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मंगलवार, 22 सितंबर 2020

भारत की जीडीपी 1725 तक पूरे विश्व की लगभग 24% थी

!!! GDP !!!

जब हमारी जीडीपी 10वीं सदी तक विश्व की  40% थी, हमारे मंदिर स्वर्ण भंडारों से भरे हुए थे, देश सोने की चिड़िया कहलाती थी, उस समय रेगिस्तान से आए मजहबी बर्बर वहशी लुटेरों ने हमारी मंदिरें तोड़ी, उनके स्वर्ण भंडार लूट कर ले गए। उन वहशी दरिंदों ने महिलाओं और लड़कियों को लूटा और घसीटते हुए अफगानिस्तान ले गए जहां उन्हें दो-दो दिनारों मे  गुलामों की तरह बेचा। जब कभी आपकी व्यक्तिगत जीडीपी हाई हो और पर्यटन का इरादा हो तो अफगानिस्तान के शहर गजनी जरूर घूमने आइए जहां एक स्तम्भ के नीचे लिखी एक इबारत "दुखतरे मीनार निलामे दो दीनार" आपको तत्कालीन  40%जीडीपी को मुंह चिढ़ाती मिलेग,

जब भारत की जीडीपी 1725 तक पूरे विश्व की लगभग 24% थी उस समय चंद जहाजों पर बैठकर सुदूर यूरोप से आए कुछ व्यापारियों ने हमारे देश पर कब्जा कर लिया और हम देखते रह गए। 1857 के बाद ब्रिटिश सरकार ने जीडीपी के प्रोडक्शन हाउस हथकरघा उद्योग स्वरोजगार करने वालों टैक्स पर टैक्स लगाकर उनसे 45ट्रीलियन डालर  टैक्स को लूट कर उन्होंने हमारे देश के टुकड़े टुकड़े किए, बेतहाशा जुल्म ढाए और अत्याचार की सारी सीमाएं लांघ डाली। और जब ये यूरोपियन विदेशी 1947 में देश से गए तब भारत की जीडीपी विश्व की कुल जीडीपी का मात्र 2% के बराबर रह गई थी।

जीडीपी हमारी खुशहाली का एक कारक हो सकता है लेकिन यह खुशहाली कितने दिन रहेगी इसकी सुरक्षा जीडीपी नहीं दे सकता। बहुत दिन नहीं हुए जब ढाका के मलमल के व्यापारी अपनी संपन्नता और विलासिता के लिए मशहूर थे। मगर उनकी ये संपन्नता और खुशहाली, उनकी व्यक्तिगत जीडीपी मात्र कुछ ही दिनों में विस्थापित होकर भारत के शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हो गया। यही हाल पाकिस्तान मैं बसे हिंदू, सिख और सिंधी व्यवसायियों का हुआ। करांची एक समय पश्चिम भारत और अभी का पाकिस्तान का सबसे संपन्न वर्ग दिल्ली की सड़कों आधे अधूरे परिवार के साथ शरणार्थी बनकर भटक रहा था। उनकी संपन्नता कि गवाही देते खबरें यदा-कदा आज भी आती हैं जब पता चलता है कि उनकी पुरानी हवेलियां तोड़ी जाती हैं तो उनसे सोने के सिक्के और सोने की मूर्तियां निकलती है। अपने ही देश  मैं एक वक्त कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के बड़े-बड़े सेब के बागान थे अपने आलीशान जिंदगी जी रहे थे व्यक्तिगत तौर पर उनकी जीडीपी देश के अन्य लोगों से बहुत हाई थी लेकिन उन्हें भी जम्मू और दिल्ली की सड़कों पर शरणार्थी बनकर भटकने के लिए मजबूर होना पड़ा।

बहुत पीछे ना भी जाए तो वर्तमान में ही पश्चिम के विकसित और बहुत ऊंची जीडीपी वाले सारे राष्ट्र एक-एक कर धराशाई होते जा रहे हैं। स्वीडन का उदाहरण सब के सामने है, यही हाल यूरोप के कई देशों  में है,विश्व के सबसे  ऊंची जीडीपी वाले अमेरिका मे हाल का अश्वेत आंदोलन और वामिस्लाम प्रायोजित दंगे इसी जीडीपी के खोखलेपन को उजागर करता है।

गिरती जीडीपी की विधवा विलाप के बीच ये तथ्य दिलचस्प है कि जब हमारी जीडीपी हाई थी तब चीन मील दर मील हमारी जमीन कब्जा करता जा रहा था और आज जब जीडीपी माइनस बताई जा रही है तब हम चीन से अपनी छीनी हुई जमीन वापस ले रहे हैं।

सुनो,, GDP की धर कर चाट लेना...

सोमवार, 21 सितंबर 2020

हिंदु कौम एक ऐसी ही सेना है जिसका कोई लक्ष्य नहीं , कोई मंजिल नहीं, शत्रु बोध का अभाव, अपना कोई सेनापति नहीं !

शत्रु बोध का अभाव ! नेतृत्वहीन विराट सेना भी अंततः युद्ध हार जाती है !
हिंदु कौम एक ऐसी ही सेना है जिसका कोई लक्ष्य नहीं , कोई मंजिल नहीं, शत्रु बोध का अभाव, अपना कोई सेनापति नहीं !
हिंदुओं से ज्यादा राजनैतिक लक्ष्यहीन और दिशाहीन कौम कोई नहीं, क्योंकि हिंदुओं के नेता तो बहुत हैं पर उनके मन में हिंदुओं के साम्राज्य जैसा कोई लक्ष्य नहीं, कोई महत्वाकांक्षा नहीं इसलिए हिंदु नेताओं को सेकुलरिज्म की चादर ओढ़कर हिंदुओं के रक्त की प्यासी कौम से भाईचारा निभाने में भी कोई लज्जा नहीं आती ।
सत्ता का जो तंत्र अंग्रेज स्थापित कर गए मात्र वे उसे ढोना चाहते हैं , उसपर बैठकर उसे भोगना चाहते हैं यही हिंदु नेताओं की महत्वाकांक्षा है ।
 जबकि कम्युनिस्टों, मुसलमानों और ईसाईयों का स्पष्ट राजनैतिक लक्ष्य है ।
कम्युनिस्ट, भारत में साम्यवादी शासन चाहते हैं, मुसलमान शरीयत कानून वाला इस्लामिक भारत चाहते हैं और ईसाई बाइबिल वाला रोमानिया भारत पर हिंदुओं के मन में ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है।
उनके पास चीन, अरब और रोम का मॉडल है पर हिंदुओं के पास ऐसा कोई मॉडल नहीं ।
हिंदुओं से राजनैतिक लक्ष्य की बात करो महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी से मुक्ति से आगे उनकी कोई सोच नहीं होती ।
जबकि महगांई ,बेरिजगारी और गरीबी जैसी बीमारियां इसी राजनैतिक लक्ष्यहीनता के कारण हैं जिस दिन हिंदु मन स्वराज, हिंदु साम्राज्य और अखण्ड भारत बनाने की महत्वाकांक्षा से भर जाएगा उस दिन भारत महगांई, बेरिजगारी और गरीबी जैसी बीमारियों से स्वतः मुक्त होने लगेगा ।
हिंदुओं की राजनीतिक दिशा हीनता का इतिहास सदियों पुराना हो चला है जिन्नाह डायरेक्ट एक्शन डे की घोषणा करता है परंतु हिन्दू उसके प्रति भी मूकदर्शक रहता है जबकि वो जानता है कि दूसरा पक्ष कभी भी कार्यवाही करके हमारा कत्लेआम कर सकता है।
वर्मा, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान श्रीलंका आदि को भारत से तोड़कर अलग किया जाता रहा परंतु हिंदू फिर भी मूकदर्शक रहा । 1947 में भारत का 31 परसेंट हिस्सा काटकर मुसलमानों को दे दिया जाता है परंतु हिंदू फिर भी मूकदर्शक रहता है 
और पाकिस्तान देने के बाद भी मुसलमानों को भारत में बसा लेता है।
1947 में रोके गए मुसलमान आज फिर भारत विभाजन की मांग कर रहे हैं पर हिंदु मौन है।
शेष भारत में हजारों एकड़ भूमि  वक्फ बोर्डों के नाम कर दी जाती है परंतु हिंदू फिर भी मूकदर्शक रहता है
 हिंदुओं के अयोध्या काशी मथुरा जैसे तीर्थ स्थलों के उत्थान का कार्य नहीं कर पाता फिर भी हिन्दू मूकदर्शक रहता है
 पूरा भारत हिंदुओ के हाथों से जा रहा है परंतु हिन्दू आज तक ये निर्धारित न सके कि हमारा लक्ष्य क्या होना चाहिए ?
हिंदुओं का घर उजड़ रहा है पर हिन्दू चैन से सो रहे हैं।
मिश्रित आबादी वाले क्षेत्र में जाइये और बात कीजिये आप पायेगें कि हर साल हिंदु ही अपने मकान-दूकान बेचकर निकल रहे हैं !
और ये भारत के हर राज्य, हर शहर - कस्बे में हो रहा है।
भारत की डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है, भारत के अंदर सैकड़ों पाकिस्तान जन्म ले चुके हैं।
भारत हिंदू राष्ट्र घोषित होगा तो सनातन संस्कृति के पोषण के लिए कानून बन सकेंगे।
 हिंदू राष्ट्र भारत में हिंदुओं का धर्मांतरण नहीं किया जा सकेगा ऐसा कानून बनाया जा सकता है।
हिंदू राष्ट्र भारत में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर धर्म, संस्कृति और अपने पूर्वजों को कोई गाली नहीं दे सकेगा ऐसा कानून बना सकते हैं ।
हिंदुओं को बिना जाति के भेदभाव के हिंदुओं को आर्थिक आधार पर आरक्षण होगा !
 सेकुलर भारत अपंग और असहाय है वह अपनी संस्कृति और मूल प्रजा की रक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठा सकता, चाहें सत्ता पर कोई भी क्यों ना बैठा हो ।
अंग्रेजों द्वारा थोपे गए संविधान और शासन तंत्र को इसी प्रकार हम ढोते रहेंगे तो एक दिन वह आएगा कि भारत के हर संसाधन पर और सत्ता पर मुसलमानों का शासन होगा और जिस दिन वह सत्ता के शीर्ष पर कोई मुसलमान पहुंचेगा उस दिन संविधान का पालन नहीं होगा बल्कि शरिया लागू कर भारत को इस्लामिक राष्ट्र घोषित हो जाएगा
 तब तुम्हें वही मिलेगा जो मुसलमानों के 800 साल के शासन में काफिरों को मिलता रहा है, वही मिलेगा जो पारस में पारसियों को मिला, सीरिया में यजुर्वेदी यजीदियों को मिला ।
हिंदू नेता भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने में हिचकते हैं, उसकी बात तक करने से डरते हैं, उस पर चर्चा परिचर्चा करने से उनके हाथों में कंपन शुरू हो जाता है परंतु याद रखना जिस दिन मुसलमान सत्ता के शीर्ष पर होगा उस दिन इस्लामिक राष्ट्र घोषित करने में उन्हें तनिक लज्जा ,हिचक और देर नहीं होगी , इस्लामिक भारत में जो रोड़ा बनेगा उसे पारसियों, यजीदियों, सिंध और कश्मीरी हिंदुओं की तरह काट दिया जाएगा।
हिंदुओं का सेकुलरिज्म इसमें बाधक है
उस सेकुलरिज्म को भी समझ लें 
स्पेन का मॉडल भी एक समाधान है पर हिन्दुराष्ट्र भारत उन सबमे सबसे सर्वोत्तम शेष मार्ग है
 भारत हिन्दू और सनातन संस्कृति तनिक भी मोह है और रक्षा चाहते हैं तो केवल और केवल हिंदू राष्ट्र भारत के लिए
 संघर्षरत रहना चाहिए।
हर हिंदु को अपने हिंदु नेताओं को हिंदुराष्ट्र भारत के लिए उन्हें मजबूर करना होगा !
हिन्दुओ की रक्षा सुरक्षा की गारंटी कोई सरकार, कोई नेता कोई पार्टी, कोई संगठन नहीं बन सकता 
जबकि स्वराज और हिन्दुराष्ट्र अखंड भारत ही हिंदुओं की , भारत की , सनातन संस्कृति की रक्षा, सुरक्षा और पोषण की गारंटी बन सकता है ....
सिंध में हिन्दुओ के साथ क्या हुआ
काश्मीर में क्या हुआ यह भी पढ़ना चाहिए।।
कुछ हिन्दू तो इतने कृतघ्न हैं की इस शानदार पोस्ट को भी ध्यान से नहीं पढ़ पाएंगे, इसी हिप्पोक्रेटिक सोच का परिणाम है अतीत में हुए सभी आक्रमण और लंबे समय तक गुलामी का दंश, यदि आप वाकई सनातन संस्कृति की परवाह करते है और अभी भी आपके इष्टदेव उसी संस्कृति के मर्यादा पुरुष देवी देवता हैं जिनसे मुक्ति मोक्ष और सुख की आकांक्षा रखते हैं तो अपने परिवार, मित्रों और सभी जानकर बंधुओं तक ये पोस्ट भेजें ताकि सनातन संस्कृति की रक्षा, पालन और अनुसरण के लिए जागरूकता बढ़ाई जा सके!

किसान:चुपचाप एक कोने में बैठा, थोड़ी देर में फिर दलाल के पास जकर बोलता है

मंडी में किसान अपना माल फैला कर एक कोने में हाथ बांध कर मज़दूरों की तरह बैठ जाता है..!!
और बार बार मंडी के दलाल से विनती करता रहता है कि, साहब मेरे माल की भी बोली लगवा दो..!!

दलाल:- रुक जा , देख नही रहा, कितने लोग है  लाइन में.?

किसान:चुपचाप एक कोने में बैठा, थोड़ी देर में फिर दलाल के पास जकर बोलता है, साहब अब तो देखलो..!!

तभी दलाल किसान पर एहसान जताते हुए आता है और एक मुट्ठी अनाज अपने हाथ मे लेकर बोलता है...

“उफ्फ इस बार फिर सी ग्रेड का माल ले आया”

जो भी है साहब ये ही है..!!

ठीक है अभी देखता हूँ ,50 रुपये सस्ते में जायेगा पर ये माल...

जैसा भी आप सही समझो साहब..!!

थोड़ी देर में दलाल /आढ़ती /कमीशन एजेंट आता है और उसका माल उठवाता है..!!

“कुल 18 कुंतल माल बैठा है”

पर साहब घर से तो 20 कुंतल तोल कर लाया था...

“तेरे सामने ही तो तोला है, मैं थोड़े ही खा गया 2 कुंतल माल..बता पैसे अभी लेगा या बाद में लेकर जाएगा”

अभी देदो साहब ,घर मे बहुत जरूरत है...

इसमे 5% कमिसन कट गया, 9% मंडी का टैक्स..,200 रुपए सफाई वाली के..,1000 रुपये बेलदार के..200 रुपये चौकीदार भी मांगेंगे...500 रुपये की तुलाई लग गई....

“ये ले भाई तेरा सारा हिसाब लगा कर इतना बनता है”

हाथों में नोटो को दबा कर घर जाकर, जब हिसाब लगाता है, तो पता चला, सब कट-पिट कर कुल “15 कुंतल” के माल का पैसा ही हाथ लगा..!!

बाकी 5 कुंतल कहाँ गया..??
********************************
बस जितनी भी आज राज्य सभा मे आपने हाथापाई देखी...जितना भी विरोध आप सड़को पर किसान बिल 2020 के लिए देख रहे हो...

“ये सब उसी 5 कुंतल के लिए हो रहा है...

वर्ना...

 बाकी सब ऐसे ही चलेगा..

बिचौलियों के लिए अभी भी रास्ता खुला है, बस वो अपनी मनमर्जी नही कर पाएंगे किसानों पर...

क्योंकि सरकार ने किसानों के लिए एक अलग रास्ता और दे दिया है, जिसमे किसान बिचौलियों के पास न जाकर, सीधे ग्राहक कंपनी तक पहुच सकता है..!!

“दुःख बस इन 5 कुंतल वालो को ही हो रहा है”
साभार संकलित

जिन किसानों के पास 5 एकड़ या उससे ज्यादा जमीन है उनके जिंदगी भर का पेंशन प्लान

वैदिक विश्व अध्ययन एवं अनसधान केन्द्र के अगले चरण के रूप में हम देश के किसानों के साथ मिलकर बांस पर बहुत बड़ा कार्य प्रारंभ करने वाले है।
 
यकीन मानिए !! 
बहुत बड़ा कार्य !!
*जिन किसानों के पास 5 एकड़ या उससे ज्यादा जमीन है उनके जिंदगी भर का पेंशन प्लान तैयार किया है हमारे टीम ने।* 
पहले साल मात्र पौधों का पैसा लगाना है और उसके बाद *हर साल 5 लाख रुपए प्रति एकड़ का चेक एडवांस में ले लेना है लिखित अनुबंध के साथ।*  
जी हां ! *5 लाख रुपए प्रति वर्ष प्रति एकड़*
और इसमें *कोई रिस्क आपकी नहीं*, आपको सिर्फ विशेषज्ञों के अनुभव से कार्य करना है और परिणाम कि चिंता बिल्कुल नहीं करनी है। *परिणाम चाहे जो हो भुगतान पक्का* 
वो भी *पूर्णतया स्वाभिमानी, स्वावलंबी, पर्यावरण पूरक और गौ आधारित खेती से।* क्या लगाना है ?
कैसे लगाना है, कैसे संभालना है? 
कब और कहां किस दाम के बेचना है? 
सरकार का समर्थन मूल्य उचित है या अनुचित ? 
इन सबकी चिंता आपको बिल्कुल नहीं करनी है आपको सिर्फ *मेहनत करनी है स्वाभिमान से स्वस्थ एवं आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए।*
 
और एक बात, *आपके परलोक की चिंता भी हमने की है-* 
*आप ही कि मेहनत से हम आपकी ही जमीन पर बहुत ही अल्प सहयोग से खड़ा कर देंगे एक गुरुकुल भी, जहां बच्चों को बिना किसी भेदभाव के मिलेगी निशुल्क शिक्षा और वो भी रोजगारोन्मुखी एवं वैदिक
अर्थात् *इस गुरुकुल से निकला छात्र सरकार से नौकरी की मांग कभी नहीं करेगा, हां कुछ पढ़े लिखों को नौकरी देगा अवश्य !*

ऊपर लिखा हुआ एक एक शब्द अक्षरशः सत्य है। कोई स्वप्न नहीं। हमारे जो मित्र मुझे व्यक्तिगत रूप से पहचानते है वे अच्छी तरह जानते है कि मैं कभी हवा हवाई बाते नहीं करता और जब तक मुझे 100 प्रतिशत गारंटी नहीं हो जाए, ऐसी बातों पर भरोसा भी नहीं करता हूं। बस अब आप सब भी तैयार हो जाए *हमारे आत्मनिर्भर अभियान के द्वितीय चरण के लिए, शुभ लाभ के साथ अपनी अपनी जिम्मेदारी निर्धारित करने के लिए ।*

जल्द ही हमें हर जिले में काम से कम एक ऐसा गुरुकुल तैयार करना है।

विस्तार से चर्चा जल्द ही सभी के साथ करेंगे।

professor Ritesh Gupta
vaudik vishv adhyayan evam anusandhan kendra
8279409998
9457597496

रविवार, 20 सितंबर 2020

अपने बच्चों में शिवाजी, महाराणा प्रताप ,जैसे गुण विकसित करें

*अगर आप अपने बच्चों को किसी स्पोर्ट्स एक्टिविटी के स्थान पर संघ शाखा में भेजते है तो.......*

👌आपके बच्चे में नेतृत्व के गुण बचपन से ही विकसित होने लगते हैं । संघ शाखा में गट नायक, गण शिक्षक, मुख्य शिक्षक का दायित्व संभालते संभालते आपके बच्चे में नेतृत्व के गुण उभरने लगते हैं । 

👌आपके बच्चे बुरी संगत से दूर रहेंगे । आजकल कई बच्चे जल्द ही नशे की लत का शिकार हो जाते है । इसलिए हमारे शास्त्रों में सत्संग पर इतना अधिक जोर दिया गया है । जैसी संगत वैसी रंगत । हमारी क्लास के अधिकतर सहपाठी आजकल नशा कर रहें है जबकि बचपन से ही संघ शाखा में जाने के कारण हम इससे बचे हुए हैं ।

👌संघ का संगठन इतना विशाल है कि आप कल्पना भी नहीं कर सकते । संघ के प्रचारक जी खुद आपके बच्चों का ध्यान रखते हैं और स्वयंसेवकों को उनकी क्षमता अनुसार दायित्व सौंपते रहते है । जिससे उनका विकास होता रहता है । पंडित दीनदयाल उपाध्याय , श्याम प्रसाद मुखर्जी , दत्तोपंत ठेंगड़ी , प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, कई राज्यों के राज्यपाल, मुख्यमंत्री आदि संघ की शाखा में नित्य जाने वाले स्वयंसेवक हैं ।

👌आपके बच्चे में कई नए गुण विकसित होते रहते हैं जैसे शाखा में हर रोज़ गीत होता है जिससे जो बच्चा जिसका स्वर अच्छा होता है उसको गाने का मौका मिलता रहता है । संघ में हर रोज़ कहानी , समाचार समीक्षा आदि के कार्यक्रम में बच्चो का बौद्धिक स्तर भी निखरता है । 

👌आपका बच्चे को शाखा में एक बड़ा परिवार मिलता है। उसको अपने से बड़ों से मार्गदर्शन और स्नेह , छोटों की देखभाल ,और साथियों से सामंजस्य आदि के गुण मिलते हैं । 

👌शारीरिक विकास होने के साथ साथ आपके बच्चे का बौद्धिक स्तर भी उच्च श्रेणी का हो जाता है । आरएसएस का बौद्धिक विभाग बच्चों के बौद्धिक स्तर का ध्यान रखता है । 

👌संघ द्वारा बच्चों और युवाओं के मानसिक शारीरिक विकास के लिये वर्ष में बाल शिविर , प्राथमिक शिक्षा वर्ग, संघ शिक्षा वर्ग , गीत प्रतियोगता , कहानी , खेल प्रतियोगिता, घोष  आदि आयोजित करता रहता है । मोदी जी जो इतना अच्छा ड्रम बजा लेते हैं वह आरएसएस में घोष सीखने का ही परिणाम है ।
महावीरपुरम सिटी निवासी
आज ही अपने बच्चों को संघ में सिर्फ एक घण्टा शाखा में भेजिये और अपने बच्चों में शिवाजी, महाराणा प्रताप ,जैसे गुण विकसित करें । 

💐 *आरएसएस की शाखा में जाने के लिये नीचे दिए गये लिंक पर जाकर फॉर्म भरें आपको अपनी नजदीकी शाखा से सम्पर्क किया जाएगा ।https://www.rss.org/pages/joinrss.aspx*

राजस्थान का एक भी जिला मुगलों के नाम पर नहीं है

*राजस्थान का एक भी जिला मुगलों के नाम पर नहीं है , भारत में भरे पडे हैं। शर्म आती है कि नहीं।*
*राजस्थान के 33 जिले है जिनके नाम हैं..*

*गंगानगर,बीकानेर,जैसलमेर,बाडमेर,जालोर,सिरोही,उदयपुर,डूंगरपुर,बांसवाड़ा,प्रतापगढ़,चित्तौड़गढ़,झालावाड़,कोटा,बारां,सवाईमाधोपुर,करौली,धौलपुर,भरतपुर,अलवर,जयपुर,सीकर,झुंझुनू,चूरु,भीलवाड़ा,हनुमानगढ़,नागौर,जोधपुर,पाली,अजमेर,बूंदी, राजसमंद, टोंक, दौसा!!*

*कृपया इन नामों को ध्यान से देखना ,क्योंकि इन नामों में एक भी मुगलों के नाम नहीं है अर्थात एक भी जिले का नाम मुगलो पर नही है!!*

  इन जिलों के नाम से ही पता चलता     होगा ! राजपूतो ने क्या किया!! अब  एक एक जिलों का परिचय करवाता हु!

#अजमेर:-  अजमेर 27 मार्च1112 में चौहान राजपूत वंश के  तेइसवें शासक अजयराज चौहान ने बसाया!!

#बीकानेर:- बीकानेर  का पुराना नाम जांगल देश, राव बीका जी राठौड़ के नाम से बीकानेर पड़ा!

#गंगानगर:- महाराजा गंगा सिंह जी से गंगानगर पड़ा!

#जैसलमेर:- जैसलमेर ,महारावल जैसलजी भाटी ने बसाया

#उदयपुर: - महाराणा उदय सिंह सिसोदिया जी ने बसाया उनके नाम से उदयपुर पड़ा!!

#बाड़मेर:- बाड़मेर को राव बहाड़ जी ने बसाया!!

#जालौर:- जालौर की नींव 10वी  शताब्दी में परमार राजपूतों के द्वारा रखी गई! बाद में चौहान, राठौड़,  सोलंकी आदि राजवंशो ने शासन किया!!

#सिरोही:-राव सोभा जी के पुत्र, शेशथमल ने सिरानवा हिल्स की पश्चिमी ढलान पर वर्तमान शहर सिरोही की स्थापना की थी। उन्होंने वर्ष 1425 ईसवी में वैशाख के दूसरे दिन (द्वितिया) पर सिरोही किले की नींव रखी। 

#डूंगरपुर:- वागड़ के राजा डूंगरसिंह ने ई. 1358 में डूंगरपुर नगर की स्थापना की। बाबर के समय में उदयसिंह वागड़ का राजा था जिसने मेवाड़ के महाराणा के संग्रामसिंह के साथ मिलकर खानुआ के मैदान में बाबर का मार्ग रोका था।

#प्रतापगढ़:- प्रताप सिंह महारावत ने बसाया!

#चित्तौड़:- स्वाभिमान, शौर्य ,त्याग, वीरता ,राजपुताना की शान चित्तौड़, सिसोदिया (गहलोत)वंश ने बहुत शासन किया बप्पा रावल, महाराणा प्रताप सिंह जी यहाँ षासन किया!!

#हनुमानगढ़ :-भटनेर दुर्ग 285 ईसा में भाटी वंश के राजा भूपत सिंह भाटी ने बनवाया इस लिए इसे भटनेर कहाँ जाता है। मंगलवार को दुर्ग की स्थापना होने कारण हनुमान जी के नाम पर हनुमानगढ़ कहा जाता है।

#जोधपुर:-राव जोधा ने 12 मई, 1459 ई. में आधुनिक जोधपुर शहर की स्थापना की।

#राजसमंद:- शहर और जिले का नाम मेवाड़ के राणा राज सिंह द्वारा 17 वीं सदी में निर्मित एक कृत्रिम झील, राजसमन्द झील के नाम से लिया गया है।

#बूंदी:-इतिहास के जानकारों के अनुसार 24 जून 1242 में हाड़ा वंश के राव देवा ने इसे मीणा सरदारों से जीता और बूंदी राज्य की स्थापना की। कहा जाता है कि बून्दा मीणा ने बूंदी की स्थापना की थी, तभी से इसका नाम 'बूंदी' हो गया।

#सीकर:-सीकर जिले को "वीरभान" ने बसाया ओर "वीरभान का बास" सीकर का पुराना नाम दिया।

#पाली:- महाराणा प्रताप की जन्मस्थली एवं महाराणा उदयसिंह का ससुराल है। पाली मूलतया पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया है।

#भीलवाड़ा:-किवदंती है कि इस शहर का नाम यहां की स्‍थानीय जनजाति भील के नाम पर पड़ता है जिन्‍होंने 16वीं शताब्‍दी में अकबर के खिलाफ मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप की मदद की थी। तभी से इस जगह का नाम भीलवाड़ा पड़ गया।

#करौली:-इसकी स्‍थापना 955 ई. के आसपास राजा विजय पाल ने की थी जिनके बारे में कहा जाता है कि वे भगवान कृष्‍ण के वंशज थे।

#सवाई_माधोपुर:-राजा माधोसिंह ने ही शहर बसाया और इसका नाम सवाई माधोपुर दिया।

#जयपुर:-जयपुर शहर की स्थापना सवाई जयसिंह ने 1727 में की। सवाई प्रताप सिंह से लेकर सवाई मान सिंह द्वितीय तक कई राजाओं ने शहर को बसाया।

#नागौर:-नागौर दुर्ग भारत के प्राचीन क्षत्रियों द्वारा बनाये गये दुर्गों में से एक है। माना जाता है कि इस दुर्ग के मूल निर्माता नाग क्षत्रिय थे। नाग जाति महाभारत काल से भी कई हजार साल पुरानी थी। यह आर्यों की ही एक शाखा थी तथा ईक्ष्वाकु वंश से किसी समय अलग हुई।

#अलवर:-कछवाहा राजपूत राजवंश द्वारा शासित एक रियासत थी, जिसकी राजधानी अलवर नगर में थी। रियासत की स्थापना 1770 में प्रभात सिंह प्रभाकर ने की थी।
#धौलपुर:- मूल रूप से यह नगर ग्याहरवीं शताब्दी में राजा धोलन देव ने बसाया था। पहले इसका नाम धवलपुर था, अपभ्रंश होकर इसका नाम धौलपुर में बदल गया।

#झालावाड़:-झालावाड़ गढ़ भवन का निर्माण राज्य के प्रथम नरेश महाराजराणा मदन सिंह झाला ने सन 1840 में करवाया था। 

#दौसा:-बड़गूजरों  द्वारा करवाया गया था। बाद में कछवाहा शासकों ने इसका निर्माण करवाया।🙏
*जय जय राजस्थान.*
🙏🙏🌹🌷🙏🏾👏

शनिवार, 19 सितंबर 2020

मोदी सरकार ने पद्मश्री के लिए खोज के निकालाहलधर नाग : उड़‍िया लोक-कवि

#सुनो
साहिब-दिल्ही आने तक के पैसे नही हैं कृपया पुरुस्कार डाक से भिजवा दो ।।

जिसके नाम के आगे कभी श्री नहीं लगाया गया, 3 जोड़ी कपड़े, एक टूटी रबड़ की चप्पल  एक बिन कमानी का चश्मा और जमा पूंजी 732 रुपया का मालिक 
 पद्मश्री से उद्घोषित होता है ।।
ये हैं ओड़िशा के हलधर नाग ।
जो कोसली भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं। ख़ास बात यह है कि उन्होंने जो भी कविताएं और 20 महाकाव्य अभी तक लिखे हैं, वे उन्हें ज़ुबानी याद हैं। अब संभलपुर विश्वविद्यालय में उनके लेखन के एक संकलन ‘हलधर ग्रन्थावली-2’ को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। सादा लिबास, सफेद धोती, गमछा और बनियान पहने, नाग नंगे पैर ही रहते हैं। ऐसे हीरे को चैनलवालों ने नहीं, मोदी सरकार ने पद्मश्री के लिए खोज के  निकाला
हलधर नाग : 
उड़‍िया लोक-कवि हलधर नाग के बारे में जब आप जानेंगे तो प्रेरणा से ओतप्रोत हो जायेंगे। हलधर एक गरीब दलित परिवार से आते हैं। 10 साल की आयु में मां बाप के देहांत के बाद उन्‍होंने तीसरी कक्षा में ही पढ़ाई छोड़ दी थी। अनाथ की जिंदगी जीते हुये ढाबा में जूठे बर्तन साफ कर कई साल  गुजारे। बाद में एक स्कूल में रसोई की देखरेख का काम मिला। कुछ वर्षों बाद बैंक से 1000 रु कर्ज लेकर पेन-पेंसिल आदि की छोटी सी दुकान उसी स्कूल के सामने खोल ली जिसमें वे छुट्टी के समय पार्टटाइम बैठ जाते थे। यह तो थी उनकी अर्थ व्यवस्था। अब आते हैं उनकी साहित्यिक विशेषता पर। हलधर ने 1995 के आसपास स्थानीय उडिया भाषा में ''राम-शबरी '' जैसे कुछ धार्मिक प्रसंगों पर लिख लिख कर लोगों को सुनाना शुरू किया। भावनाओं से पूर्ण कवितायें लिख जबरन लोगों के बीच प्रस्तुत करते करते वो इतने लोकप्रिय हो गये कि  राष्ट्रपति ने उन्हें साहित्य के लिये पद्मश्री प्रदान किया। इतना ही नहीं 5 शोधार्थी अब उनके साहित्य पर PHd कर रहे हैं जबकि स्वयं हलधर तीसरी कक्षा तक पढ़े हैं।
आभार मोदीजी ऐसे व्यक्ति को चुनने के लिए

आप किताबो में प्रकृति को चुनते है 
पद्मश्री ने,प्रकृति से किताबे चुनी है।।

उस समय जीवन का और मेहनत से कमाए हुए धन का आनंद लेने का वक्त निकल चुका होगा

*प्रिय साथियो ,*

*नमस्कार,*

*एक 67 वर्षीय रिटायर्ड बैंक अधिकारी द्वारा WhatsApp पर सभी वरिष्ठ साथियों व रिटायर होने वाले साथियों के लिए share किया गया एक उत्तम संदेश::::*
*कृपया अंत तक अवश्य पढ़ें*..

●  *जीवन मर्यादित है और उसका जब अंत होगा तब इस लोक की कोई भी वस्तु साथ नही जाएगी* 

● *फिर ऐसे में कंजूसी कर, पेट काट कर बचत क्यों की जाए ? आवश्यकतानुसार खर्च क्यों ना करें? जिन अच्छी बातों में आनंद मिलता है वे करनी ही चाहिएँ*

●  *हमारे जाने के पश्चात क्या होगा, कौन क्या कहेगा, इसकी चिंता छोड़ दें, क्योंकि देह के पंचतत्व में विलीन होने के बाद कोई तारीफ करे या टीका टिप्पणी करे, क्या फर्क पड़ता है?*   

●  *उस समय जीवन का और मेहनत से  कमाए हुए धन का आनंद लेने का वक्त निकल चुका होगा*

●  *अपने बच्चों की जरूरत से अधिक फिक्र ना करें* *उन्हें अपना मार्ग स्वयं खोजने दें*

*अपना भविष्य उन्हें स्वयं बनाने दें। उनकी इच्छाओं*, *आकांक्षाओं और सपनों के गुलाम आप ना बनें* 

●  *बच्चों को प्रेम करें, उनकी परवरिश करें, उन्हें भेंट वस्तुएं भी दें, लेकिन कुछ आवश्यक खर्च स्वयं अपनी आकांक्षाओं पर भी करें*

●  *जन्म से लेकर मृत्यु तक सिर्फ कष्ट करते रहना ही जीवन नही है: यह ध्यान रखें*

● *आप  ६ दशक पूरे कर चुके हैं, अब जीवन और आरोग्य से खिलवाड़ करके पैसे कमाना अनुचित है क्योंकि अब इसके बाद पैसे खर्च करके भी आप आरोग्य खरीद नही सकते*

●  *इस आयु में दो प्रश्न महत्वपूर्ण है: पैसा कमाने का कार्य कब बन्द करें और कितने पैसे से अब बचा हुआ जीवन सुरक्षित रूप से कट जाएगा*

●  *आपके पास यदि हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन भी हो, तो भी पेट भरने के लिए कितना अनाज चाहिए? आपके पास अनेक मकान हों तो भी रात में सोने के लिए एक ही कमरा चाहिए* 

●  *एक दिन बिना आनंद के बीते तो, आपने जीवन का एक दिन गवाँ दिया और एक दिन आनंद में बीता तो एक दिन आपने कमा लिया है, यह ध्यान में रखें*

●  *एक और बात: यदि आप खिलाड़ी प्रवृत्ति के और खुश-मिजाज हैं तो बीमार होने पर भी बहुत जल्द स्वस्थ होंगे और यदि सदा प्रफुल्लित रहते हैं तो कभी बीमार ही नही होंगे*

●  *सबसे महत्व- पूर्ण यह है कि अपने आसपास जो भी अच्छाई है, शुभ है, उदात्त है, उसका आनंद लें और उसे संभाल- कर रखें*

●  *अपने मित्रों को कभी न भूलें। उनसे हमेशा अच्छे संबंध बनाकर रखें। अगर इसमें सफल हुए तो हमेशा दिल से युवा रहेंगे और सबके चहेते रहेंगे*

●  *मित्र न हो, तो अकेले पड़ जाएंगे और यहअकेलापन बहुत भारी पड़ेगा*

●  *इसलिए रोज व्हाट्सएप के माध्यम से संपर्क में रहें, हँसते-हँसाते रहें, एक दूसरे की तारीफ करें.जितनी आयु बची है उतनी आनंद में व्यतीत करें* 

● *प्रेम व स्नेह मधुर है उसकी लज्जत का आनंद लें*

●  *क्रोध घातक है: उसे हमेशा के लिए जमीन में गाड़ दें*

● *संकट क्षणिक होते हैं, उनका सामना करें*

●  *पर्वत-शिखर के परे जाकर सूर्य वापिस आ जाता है लेकिन दिल से दूर गए हुएप्रियजन वापिस नही आते*

● *रिश्तों को संभालकर रखें, सभी में आदर और प्रेम बाँटें। जीवन तो क्षणभंगुर है, कब खत्म होगा, पता भी नही चलेगा। इसलिए आनंद दें, आनंद लें*

*दोस्ती और दोस्त संभाल कर रखें* 

*जितना हो सके उतने “गैट-टूगेदर*
(Get-together) *करते रहें*

*Current situation में भी social distancing रखते हुए Life को Enjoy करें* 

*पढ़ कर यदि आपको आनन्द आया हो तो अपने और वरिष्ठ-मित्रों को यह संदेश फॉरवर्ड करें*
😃😃😃😃😃🙏

सोमवार, 14 सितंबर 2020

हिन्दी वर्णमाला का क्रम से कवितामय प्रयोग-बेहतरीन है

यह कविता जिसने भी लिखी प्रशंसनीय है
हिन्दी वर्णमाला का क्रम से कवितामय प्रयोग-बेहतरीन है

*अ* चानक
*आ* कर मुझसे
*इ* ठलाता हुआ पंछी बोला

*ई* श्वर ने मानव को तो
*उ* त्तम ज्ञान-दान से तौला

*ऊ* पर हो तुम सब जीवों में
*ऋ* ष्य तुल्य अनमोल
*ए* क अकेली जात अनोखी

*ऐ* सी क्या मजबूरी तुमको
*ओ* ट रहे होंठों की शोख़ी

*औ* र सताकर कमज़ोरों को
*अं* ग तुम्हारा खिल जाता है
*अ:* तुम्हें क्या मिल जाता है.?

*क* हा मैंने- कि कहो
*ख* ग आज सम्पूर्ण
*ग* र्व से कि- हर अभाव में भी
*घ* र तुम्हारा बड़े मजे से
*च* ल रहा है

*छो* टी सी- टहनी के सिरे की
*ज* गह में, बिना किसी
*झ* गड़े के, ना ही किसी
*ट* कराव के पूरा कुनबा पल रहा है

*ठौ* र यहीं है उसमें
*डा* ली-डाली, पत्ते-पत्ते
*ढ* लता सूरज
*त* रावट देता है

*थ* कावट सारी, पूरे
*दि* वस की-तारों की लड़ियों से
*ध* न-धान्य की लिखावट लेता है

*ना* दान-नियति से अनजान अरे
*प्र* गतिशील मानव
*फ़* रेब के पुतलो
*ब* न बैठे हो समर्थ
*भ* ला याद कहाँ तुम्हें
*म* नुष्यता का अर्थ.?

*य* ह जो थी, प्रभु की
*र* चना अनुपम...

*ला* लच-लोभ के 
*व* शीभूत होकर
*श* र्म-धर्म सब तजकर
*ष* ड्यंत्रों के खेतों में
*स* दा पाप-बीजों को बोकर
*हो* कर स्वयं से दूर
*क्ष* णभंगुर सुख में अटक चुके हो
*त्रा* स को आमंत्रित करते
*ज्ञा* न-पथ से भटक चुके हो.!!

 *विश्व* *हिंदी* *दिवस* पर सप्रेम🌹
🙏🙏

रविवार, 13 सितंबर 2020

हिन्दुओं, एकता और बढ़ाओ -आज से ही शुरू कीजिये.... Because tomorrow never comes

 समाज में होते जबरदस्त बदलाव कि बानगी  देखिए:


जिसको लेकर मुस्लिम समाज भी अचंभित और सदमे में है! 


1. भारत में जितनी भी दरगाहें हैं, वहां का 70%  खर्चा हिन्दुओं से चलता है! FaceBook और WhatsApp की वजह से हिंदुओं मे  एकता औऱ जागरुकता आने लगी है !


जिसकी वजह से अजमेर दरगाह पर जाने वाले हिंदुओं की संख्या 30% तक कम हो गई है! इस बात  को लेकर वहां के खादिम लोग बहुत परेशान हैं!


सोर्सेज: टॉप फाइव इंडिया लीडिंग ट्रेवल एजेंसीज!


2. अब हिंदू भाई- बहन इतने जागरुक हो गए हैं, कि कोई भी सामान सिर्फ हिंदू भाई की ही दुकान से खरीद रहे हैं, क्यों कि उन्हें यह एहसास हो गया है, कि उनके द्वारा शांति दूतों के दुकान से की गई खरीदारी कहीं ना कहीं उनके अपनों के पलायन का कारण बनेगी! इस बात को लेकर सभी बड़े मस्जिदों में मंथन का दौर चल रहा है!


3. अभी तक किसी भी उपद्रव होने पर शांत रहने वाले हिंदू भाई पलट कर मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं, इसको लेकर भी शांति दूतों की फटी पड़ी है!


4. सभी इलाकों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार ईद पर जबरदस्त तरीके से मुसलमानों के घरों का सेवइयों का बाँयकाट किया गया है! मस्जिदों में नमाज के बाद अधिक से अविक हिंदुओं से दोस्ती करने को, औऱ उनको अपने में घर बुलाकर खाना खिलाने का, जोर दिया जा रहा है!


5.  मुस्लिम एक्टर्स और देश विरोधी बयान देने वाली हीरोइनों कि फिल्मों  के इनकम में भी जबरदस्त डाउन फाल आया है!


6. यह पॉइंट तो जबर्दस्त है, और बिलकुल शत प्रतिशत सही है, कि 2015 तक मुस्लिम बनने की होड़ 2020  तक हिन्दू बनने की होड़ में तब्दील हो गई!


पांच सालों में कितना बदल गया मेरा भारत!  यह मुमकिन हुआ है कि कोई भी सेकुलर नेता जालीदार टोपी नहीं पहना पूरे चुनाव में!


सोशल मीडिया से जबरदस्त फायदा  हुआ है हिन्दू समाज को!


 मोबाइल नहीं, यह महासमर का यंत्र सुत्र है! यह सब तेजी से फेलाना चाहिए कि आप सबके मिलकर काम करने का नतीजा है, कि पूरे चुनाव में हर पार्टी के नेता सिर्फ मंदिर की चौखट पर माथा रगड़ा है! दिग्विजय सिंह जैसा हरामखोर धर्म विरोधी नेता भी हिन्दू धर्म के विरुद्ध हिम्मत नहीं जुटा पाया! इसी तरह आप की एकता बनीं रही तो बो दिन दूर नहीं जब हर राजनैतिक पार्टी आप से पूंछ कर टिकट तय करेंगी!


ये सही लिखा किसी ने:


 जिस भाजपा ने:


कांग्रेस-सीपीआई एक कर दी;


यूपी मे बसपा-सपाई एक कर दी;


पाकिस्तान की तबियत से धुलाई एक कर दी;


भिन्न-भिन्न टैक्स की भराई, GST एक कर दी;


 मुस्लिम और ईसाई की दुहाई एक कर दी;


अब्दुल की चार थी, लुगाई एक कर दी;


*उस  भाजपा  सम्प्रदायिक कहा जाता  है उसने ये बदलाव किया है


यह बदलाव अच्छा है! बदलते भारत की बदलती तस्वीर!!


काँग्रेस होती तो यह सब होने नहीं देती, सामाजिक सद्भावना रूपी जहर के नाम पर!


आत्मरक्षा के लिए भी सब जल्दी से जल्दी आत्मनिर्भर हो जाएं!


 हिन्दुओं, एकता और बढ़ाओ, सन्डे वाले दिन एक निश्चित समय पर मन्दिर जाना शुरू कीजिये, अपने बच्चों पर ध्यान रखिए, मुस्लिम लव जिहाद से लड़कियों को बचाईए, मुस्लिम चाहे कितना ही पढ़ा लिखा, साफ सुथरा, ईमानदार दिखे- बिल्कुल भरोसा मत कीजिए (प्रोफेसर,इंजीनियर, डा. ही आतंकवादी व प्रखर हिन्दू नाश करने वाले नाम सामने आएं हैं) इन्हें अपने परिवार,व्यापार से दूर रखिए।


आज से ही शुरू कीजिये.... Because tomorrow never comes...


सहमत हैं तो शेयर कीजिये!

हिन्दू जनजागरण अभियान

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