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सोमवार, 18 अप्रैल 2011

संकट कटै मिटे सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलवीरा।

नाम महिमा : इंद्र द्वारा वज्र से प्रहार करने से उनकी हनु (ठुड्डी) टूट जाने के कारण ही उन्हें हनुमान कहा जाने लगा। प्रहार से मूर्छित हनुमान को जल छिड़ककर पुन: सचेत कर प्रत्येक देवता ने उनको अपने-अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र दिए जिसके कारण उनका नाम महावीर हुआ।
हनुमानजी को बजरंगबली , केसरी नंदन, अंजनीपुत्र, पवनपुत्र आदि अनेक नामों से जाना जाता है।
सशरीर आज भी हैं हनुमान : वानरराज केसरी के यहाँ माता अंजनी के गर्भ से जन्मे हनुमानजी की जयंती के प्रति विद्वानों में मतभेद हैं। हनुमान के भक्त उनकी जयंती प्रथम चैत्र पक्ष पूर्णिमा और द्वितीय कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाते हैं। हनुमानजी का बचपन जितना रोचक और रोमांचक था उतनी ही उनकी युवावस्था भी। कहते हैं कि वे हिन्दुओं के एकमात्र ऐसे देवता हैं जो सशरीर आज भी विद्यमान हैं। मान्यता अनुसार कलयुग के अंत में ही हनुमानजी अपना शरीर छोड़ेंगे।
बुद्धि और बल के देव : हनुमानजबुद्धि दातहैंउत्तरकांमेभगवाराहनुमानजप्रज्ञा, धीर, वीर, राजनीति मेनिपुआदि विशेषणोसंबोधिकियहैहनुमानजबुद्धि संपन्हैंउनकमानसशास्त्र, राजनीति, साहित्य, तत्वज्ञाआदि शास्त्रोगहज्ञाहै
उन्हेग्यारहवेव्याकरणकारुद्अंशावतामानजातहैउनमेजबरदस्विद्वतहैउनकबुद्धि अनेउदाहरहैंसंकटकामेराउनकसेनहनुमानजसलालेतथे




निर्भीक बनाए हनुमान : कहतहैि हनुमाचालीसहनुमाअष्टपढ़नमात्व्यक्ति सारसंकदूजातहैंभू‍त-प्रेनिकनहीआवै, महावीनासुनावैशनि प्रकोबचालिहनुमानजभक्ति उत्तहै

श्री हनुमान मंत्र (जंजीरा)

हर बाधा का निवारण करे हनुमान मंत्र  
 

पवन पुत्र हनुमान जी की आराधना करें। 
यहाँ पर हम आपको श्री हनुमान मंत्र (जंजीरा) दे रहे हैं। जो कि इक्कीस दिन में सिद्ध हो जाता है। इसे सिद्ध करके दूसरों की सहायता करें और उनकी प्रेत-डाकिनी, नजर आदि सब ठीक करें।


श्री हनुमान मंत्र (जंजीरा)
ॐ हनुमान पहलवान पहलवान, बरस बारह का जबान,
हाथ में लड्‍डू मुख में पान, खेल खेल गढ़ लंका के चौगान,
अंजनी‍ का पूत, राम का दूत, छिन में कीलौ
नौ खंड का भू‍त, जाग जाग हड़मान
हुँकाला, ताती लोहा लंकाला, शीश जटा
डग डेरू उमर गाजे, वज्र की कोठड़ी ब्रज का ताला
आगे अर्जुन पीछे भीम, चोर नार चंपे
ने सींण, अजरा झरे भरया भरे, ई घट पिंड
की रक्षा राजा रामचंद्र जी लक्ष्मण कुँवर हड़मान करें।

इस मंत्र की प्रतिदिन एक माला जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। हनुमान मंदिर में जाकर साधक अगरबत्ती जलाएँ। इक्कीसवें दिन उसी मंदिर में एक नारियल व लाल कपड़े की एक ध्वजा चढ़ाएँ। जप के बीच होने वाले अलौकिक चमत्कारों का अनुभव करके घबराना नहीं चाहिए। यह मंत्र भूत-प्रेत, डाकिनी-शाकिनी, नजर, टपकार व शरीर की रक्षा के लिए अत्यंत सफल है। 


कलियुग में महावीर हनुमान का नाम सही अर्थों में संकटमोचन है।

रामभक्त, संकटमोचन, रामसेवक, रामदूत, केशरीनंदन, आंजनेय, अंजनीसुत, कपीश, कपिराज, पवनसुत और संकटमोचक के रूप में विख्यात हनुमान अपने भक्तों को व्याधियों व संकटों, वेदनाओं तथा परेशानियों से मुक्ति दिलाते हैं।
हनुमान भक्ति व पूजा : हर व्यक्ति को जीवन में अनेक समस्याओं से गुजरना पड़ता है, ऐसे में हनुमानजी का स्मरण उसकी कष्टों से रक्षा करता है। जहाँ हनुमानजी का नाम मुश्किलों से बचाव करता है, वहीं वह मन से अनजाने भय को निकालकर शुभ व मंगल का पथ प्रशस्त करता है, विपत्तियों से मुक्ति दिलाता है।
वास्तव में, हनुमानजी रामभक्ति, सत्य मर्यादा, ब्रह्मचर्य, सदाचार व त्याग की चरम सीमा हैं। इसका सविस्तार वर्णन हमें सुंदरकांड में मिलता है। इसीलिए सुंदरकांड का पाठ करने से अनिष्ट, अमंगल तथा संकट की समाप्ति होती है, और नेष्ट का रास्ता खुलता है। सुंदरकांड का पाठ करने से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं, तथा भक्त को सुपरिणाम प्रदान करते हैं।
कार्यसिद्धि के लिए भी सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। परंतु इस हेतु पाठ अमावस्या की रात्रि से शुरू करके नियमित रूप से 45 दिन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त नवरात्रि के समय भी सुंदरकांड का पाठ करना उचित माना जाता है। एक ऐसी भी मान्यता है कि नौ ग्रहों को रावण की कैद से केशरीनंदन ने ही मुक्त कराया था। उस समय शनि ने हनुमानजी को वचन दिया था कि- 'हे हनुमान! जो कोई भी आपकी पूजा-अर्चना करेगा, मैं उसे नहीं सताऊँगा।'

साधक को मंगलवार व शनिवार की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। यथार्थ तो यह है कि कलियुग में महावीर हनुमान का नाम सही अर्थों में संकटमोचन है।


बजरंग बली की पूजा से शनि का प्रकोप शांत होता है।

बजरंग बली ने शनि महाराज को कष्टों से मुक्त कराया था, उनकी रक्षा की थी इसलिए शनि देवता ने यह वचन दिया था हनुमानजी की उपासना करने वालों को वे कभी कष्ट नहीं देंगे। बल्कि कष्टों को दूर कर उनकी रक्षा करेंगे। शनि या साढ़े साती की वजह से होने वाले कष्टों के निवारण हेतु हनुमानजी की आराधना करनी चाहिए। बजरंग बली की पूजा से शनि का प्रकोप शांत होता है। सूर्य व मंगल के साथ शनि की शत्रुता व योगों के कारण उत्पन्न कष्ट भी दूर हो जाते हैं।
संकटमोचन को ऐसे करें प्रसन्न
मंगलवार को सूर्योदय के समय नहाकर श्री हनुमते नमः मंत्र का जप करें।
मंगल को सुबह तांबे के लोटे में जल व सिंदूर मिश्रित कर श्री हनुमानजी को अर्पित करें।
श्री हनुमान यंत्र को सिद्ध कर लाल धागे में धारण करें, हर मंगलवार को इसका विधिवत पूजन करें।
लगातार 10 मंगलवार तक श्री हनुमान को गुड़ का भोग लगाएँ। शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार से इसे शुरु करें।
चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर श्री हनुमान को अर्पित करें। मंगलवार के दिन करने से शीघ्र सफलता मिलती है।
हर मंगलवार को श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।
चित्रा या मृगशिरा नक्षत्रों में किसी भी मंगलवार से शुरु कर लगातार 10 मंगलवार तक श्री हनुमान के मंदिर में जाकर केले का प्रसाद चढ़ाएँ। 



ऐसा माना जाता है कि मंगलवार को हनुमानजी का जन्म हुआ है अत: इस दिन हनुमानजी की आराधना का विशेष फल मिलता है।

- हनुमानजी की पूजा करने वाले भक्त पर शनिदेव का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।

- मंगलवार को बजरंग बली को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और हमारी परेशानियां दूर होती हैं।

- ज्योतिष के अनुसार मंगलवार मंगल देव का भी दिन है, इस दिन मंगल दोष का प्रभाव कम करने के लिए लाल फूल नदी में प्रवाहित करें।

- लाल वस्तुओं का दान करें।

 

सर्वप्रथम रामकथा हनुमानजी ने लिखी थी

कहते हैं कि सर्वप्रथम रामकथा हनुमानजी ने लिखी थी और वह भी शिला पर। यह रामकथा वाल्मीकिजी की रामायण से भी पहले लिखी गई थी और हनुमन्नाटक के नाम से प्रसिद्ध है।
'हनुमान' शब्द का ह ब्रह्मा का, नु अर्चना का, मा लक्ष्मी का और न पराक्रम का द्योतक है।
 

 
हनुमान को शिवावतार अथवा रुद्रावतार भी माना जाता है। रुद्र आँधी-तूफान के अधिष्ठाता देवता भी हैं और देवराज इंद्र के साथी भी। विष्णु पुराण के अनुसार रुद्रों का उद्भव ब्रह्माजी की भृकुटी से हुआ था। हनुमानजी वायुदेव अथवा मारुति नामक रुद्र के पुत्र थे।



हनुमान को सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त था। वे सेवक भी थे और राजदूत, नीतिज्ञ, विद्वान, रक्षक, वैय्यारकरण, वक्ता, गायक, नर्तक, बलवान और बुद्धिमान भी। शास्त्रीय संगीत के तीन आचार्यों में से एक हनुमान भी थे। अन्य दो थे शार्दूल और कहाल। 'संगीत पारिजात' हनुमानजी के संगीत-सिद्धांत पर आधारित है। हनुमान के जन्म-स्थान के बारे में कुछ भी निश्चित नहीं है। मध्यप्रदेश के आदिवासियों का कहना है कि हनुमानजी का जन्म राँची जिले के गुमला परमंडल के ग्राम अंजन में हुआ था। कर्नाटकवासियों की धारणा है कि हनुमानजी कर्नाटक में पैदा हुए थे। पंपा और किष्किंधा के ध्वंसावशेष अब भी हाम्पी में देखे जा सकते हैं। अपनी रामकथा में फादर कामिल बुल्के ने लिखा है कि कुछ लोगों के अनुसार हनुमानजी वानर-पंथ में पैदा हुए थे।



हनुमानजी का जन्म कैसे हुआ इस विषय में भी भिन्न मत हैं। एक मान्यता है कि एक बार जब मारुति ने अजंनी को वन में देखा तो वह उस पर मोहित हो गया। उसने अंजनी से बलात संयोग किया और वह गर्भवती हो गई। एक अन्य मान्यता है कि वायु ने अंजनी के शरीर में कान के माध्यम से प्रवेश किया और वह गर्भवती हो गई।
एक अन्य कथा के अनुसार महाराजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ से प्राप्त जो हवि अपनी रानियों में बाँटी थी उसका एक भाग गरुड़ उठाकर ले गया और उसे उस स्थान पर गिरा दिया जहाँ अंजनी पुत्र प्राप्ति के लिए तपस्या कर रही थी। हवि खा लेने से अंजनी गर्भवती हो गई और कालांतर में उसने हनुमानजी को जन्म दिया।

रविवार, 17 अप्रैल 2011

एक अर्ज मेरी सुनलो, दिलदार हे कन्हैया ।।

एक अर्ज मेरी सुनलो, दिलदार हे कन्हैया ।। 
कर दो अधम की नैया, भव पार हे कन्हैया ।।... 

अच्छा हूँ या बुरा हूँ , पर दास हूँ तुम्हारा । 
जीवन का मेरे तुम पर, है भार हे कन्हैया ।। 
एक अर्ज मेरी सुनलो, दिलदार हे कन्हैया ...

तुम हो अधम जनों का, उद्धार करने वाले ।
मैं हूँ अधम जनों का, सरदार हे कन्हैया ।। 
एक अर्ज मेरी सुनलो, दिलदार हे कन्हैया ...

करूणानिधान करूणा, करनी पडेगी तुमको । 
वरना ये नाम होगा, बेकार हे कन्हैया ।। 
एक अर्ज मेरी सुनलो, दिलदार हे कन्हैया ...

ख्वायश ये है कि मुझसे, दृग बिंदु अश्रु लेकर । 
बदले में दे दो अपना, कुछ प्यार हे कन्हैया ।। 
एक अर्ज मेरी सुनलो, दिलदार हे कन्हैया... 

कर दो अधम की नैया, भव पार हे कन्हैया....

शनिवार, 16 अप्रैल 2011

so never loose above three CONFIDENCE ,TRUST & HOPE

1.एक बार एक गावं ने सोचा क्यों ना हम बारिश के लिए
भगवान से प्रार्थना करे ! स्थान तय हुआ !! सारा गावं
वहा पंहुचा पर एक बच्चा छतरी ले के पंहुचा ! इसको
कहते हैं confidance ?
2.एक साल के बच्चे को हवा मैं उछाला और वो हंस रहा था
क्योंकी उसको विश्वास हैं की कोइ उसे पकड़ भी लेगा
इसको कहते हैं trust.
3.हम रोज रात को बिस्तर पे सोने जाते हैं !! हमे पता भी
नहीं की कल् हमारी आँख खुलेगी भी या नहीं पर
फिर भी हम अगले दिन की रूप रेखा बना के सोते हैं
इसको कहते हैं hope
so never loose above three CONFIDENCE ,TRUST & HOPE

एक काल्पनिक फ़ोन वार्ता पढ़िये

एक काल्पनिक फ़ोन वार्ता पढ़िये –

(नरेन्द्र मोदी भारत के लोहा व्यापारी हैं, जबकि परवेज़ मुशर्रफ पाकिस्तान के लोहे के व्यापारी हैं)
फ़ोन की घण्टी बजती है –
नरेन्द्र मोदी – क्यों बे मुशर्रफ, सरिया है क्या?
मुशर्रफ– हाँ है…
मोदी – मुँह में डाल ले… (फ़ोन कट…)

इसे कहते हैं Provocation करना…

अगले दिन फ़िर फ़ोन बजता है –
नरेन्द्र मोदी – क्यों बे मुशर्रफ, सरिया है क्या?
मुशर्रफ(स्मार्ट बनने की कोशिश) – सरिया नहीं है…
मोदी – क्यों, मुँह में डाल लिया क्या? (फ़िर फ़ोन कट…)

इसे कहते हैं, “Irritation” में डालना…

अगले दिन फ़िर फ़ोन बजता है –
नरेन्द्र भाई – क्यों बे मुशर्रफ, सरिया है क्या?
मुशर्रफ(ओवर स्मार्ट बनने की कोशिश) – अबे साले, सरिया है भी और नहीं भी…
नरेन्द्र भाई – अच्छा, यानी कि बार-बार उसे मुँह में डालकर निकाल रहा है? (फ़ोन कट…)

इसे कहते हैं Aggravation में डालना…

अगले दिन मुशर्रफ , मोदी जी से बदला लेने की सोचता है… खुद ही फ़ोन करता है…
मुशर्रफ – क्यों बे मोदी, सरिया है क्या?
नरेन्द्र मोदी – अबे मुँह में दो-दो सरिये डालेगा क्या? (फ़ोन कट…)

इसे कहते हैं Frustration पैदा कर देना…

परमात्मा का अंश तो परमात्मा ही

परमात्मा का अंश तो परमात्मा ही हुवा न छोटासा....

सोने की इतनी बड़ी डली लेलो उसमे से थोडा टुकडा काट लो तो वो सोना ही है.....

शुद्ध सोना है हम सब, परंतु इस सोने को माया का,कर्मो का कचरा लग गया है, लेकिन कचरे में भी सोना है तो उसका मोल थोडी कम हो गया कोई, साफ करो उसकी कीमत वही है

कोई दोष, कोई खोट नहीं है हममे, कोई पापी भी नहीं है, पाप भी अपवित्र नहीं कर सकता हमें, अगर परमात्मा का अंश अपवित्र हो गया तो, परमात्मा भी अपवित्र हो सकता है

भगवन के पास न पाप जायेगा न पुण्य जायेगा, अगर सिर्फ पुण्य ही वहा जा सकता है, तो गलत है, फिर वो भगवान नहीं है, वहा सौदा नहीं है, वहा सिर्फ शुद्ध जायेगा...........

पाप भी बोझ है और पुण्य भी, दोनों का फल भुगतना है अच्छा या बुरा.....

लेकिन परमात्मा की भक्ति एक एसा यज्ञ है सब स्वाहा,पाप क्या पुण्य भी नहीं बचेंगा


"पुरन प्रगटे भाग्य कर्म का कलसा फूटा"

एक दिन एसा आता है भगवन की भक्ति-ध्यान करते-करते इतना तेज आ जाता है जो घडा है कर्म का जिसमे पाप-पुण्य जो कुछ भी भरा पड़ा है वो फुट जाता है और ये अंश परमात्मा में समां जाता है और परमात्मा

जीवन मरण का साथी

भगवान बडे अंतर्यामी हैं और सदा संकट के घेरे में भक्तों का साथ देते हैं। यह प्रभु की महानता ही है कि हम मांगते-मांगते नहीं थकते और देते-देते नहीं थकता।
भगवान समय-समय पर जो बिन मांगे देते रहते हैं। उसका तो हमें भान भी नहीं रहता मगर जो हमें नहंी मिला हो अज्ञानता वश हम उसी का शिकवा भगवान से करते रहते हैं।
उन्होंने कहा कि भगवान की कृपा से ही हमें मानव जीवन प्राप्त हुआ है और उसी ने हमारे लालन-पालन का बंदोबस्त भी किया है। मानव सदा ही जो भगवान ने उसे बिन मांगे दे दिया है। उसका भगवान को शुक्रिया अदा नहीं करता मगर जो उसे नहंी मिला। उसी को पाने के लिए भगवान के दर पर आता है। मानव कभी संतुष्ट नहीं होता। वह सदा ही मांगता रहता है। कभी यह चाहिए, कभी वह चाहिए, कभी ऐसा चाहिए, कभी वैसा चाहिए, अब चाहिए और तब चाहिए बस चाह ही चाह, यही मानव जीवन का सार है। मगर जो उसे जीवन पर्यन्त देता आता है जो सदा संकट की घडी में मानव का सहारा बनता है। उसका आभार मानव कभी नहीं जताता। उसकी पूजा ध्यान के लिए मानव कभी समय निकालने का प्रयास नहीं करता। फिर भी दयावान भगवान सदा उसकी सहायता व रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं। हम सो भी जाते हैं मगर भगवान सदा जागते रहते हैं। हम बेखबर हो भी जाते हैं पर वे खबरदार बने रहते हैं। हम संकटों में फंस जाते हैं परन्तु भगवान अपने अदृश्य हाथों से हमें उबार लेते हैं।
उन्होंने कहा कि यदि हम अपने चारों तरफ देखते हैं तो सर्व समर्थ, सर्व शक्तिमान, व्यापक, सर्वज्ञ, सर्व नियंता, अनादि, अनंत, सर्व दुखहारीऔर जो सबका होते हुए भी हमारा बिल्कुल अपना सा लगे। साथ ही अभय दान देने वाला हो और जीवन मरण का साथी हो। ऐसे तो केवल जगत में प्रभु ही हैं। उन्हीं में वे सारी तो क्या और भी अपरिमित व अनगिनत विशेषताएं हैं। सभी सांसारिक व्यक्तियों के देह प्रेम पर मुग्ध रहते हैं। मगर एक भगवान ही हैं जिनका निश्चय प्रेम हमारे लिए छलकता रहता है और बिना किसी भेदभाव के सभी को समान रूप से मिलता है।

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