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गुरुवार, 16 जून 2011

अगर किसी से कोई सम्बन्ध रखना है तो सबसे अच्छा सम्बन्ध है की आप कृष्ण से सम्बन्ध रखो क्योंकि इस संसार मैं सभी नष्ट हो जायेगा जो भी हमारे सम्बन्ध है वो केवल शरीर के साथ रहने तक हमारे साथ रहेंगे और इस शरीर के नष्ट हो जाने पर कुछ भी नही रहेगा पर जो हमारा सम्बन्ध श्रीकृष्ण से होगा वो कभी नष्ट नही होगा ! तो हमारे लिए बेहतर यही होगा की हम सारे सम्बन्धो को
एक तरफ रखकर श्रीकृष्ण से अपना सम्बन्ध बनाये चाहे वो सखा , प्रेम वात्सल्य ,पिता ,माता किसी भी रूप मैं हो ! तो हमारे इस सम्बंम्ध से हमारा जन्म सुधर जायेगा !क्यूंकि हम जिस कम के लिए यहाँ आये है वो हमको पहचानना है की हम अपने श्रीकृष्ण को कैसे प्राप्त करे !
भक्त तथा कृष्ण के बीच मैं पॉँच तरह का सम्बन्ध हो सकता है
१ कोई निष्क्रिय अवस्था से भक्त हो सकता है 


२ कोई सक्रिय अवस्था से भक्त हो सकता है
३ कोई सखा रूप से भक्त हो सकता है
४ कोई माता या पिता के रूप में भक्त हो सकता है
५ कोई दंपत्ति-प्रेमी के रूप मैं भक्त हो सकता है
हरे कृष्ण 
मुझे जितना दिया सरकर ने ,उतनी तो मेरी औकात न थी !!
ये तो करम है मेरे कन्हैया का, वरना मुझमे तो ऐसी कोई बात नहीं !!




नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है

मंगलवार, 14 जून 2011




क्या कुछ भारतीय मिडिया कांग्रेस & बड़े उद्योगपतियों के हाथो कि कटपुतली है ?
क्या कांग्रेश ने कुछ भारतीय मिडिया को भी काले धन के दम पर खरीद रखा है ?
क्या मिडिया वास्तव में स्वतंत & निष्पक्ष है ? कांग्रेस से आतंकित तो नहीं है ?
कुछ मिडिया लगता है कि सरकार और बडे नेताओ के हातो कि कटपुतली है तथा क्या अन्य मिडिया उनके पीछे पीछे नकल करने लगते है ?
मिडिया से जनता सवाल नहीं पूछ सकती क्या एसा कोई कानून है ? क्या मिडिया कि comment & बातो से पक्छ पात का अहसास होता है ?
आज ७/६/११ श्याम को इंडिया लाइव ने बाबा के औरतो कि आड़ में उनके खंधो पर सर रख उनकी सुरक्छा में निकलने कि विडिओ बताई पर एक बार वो भी पहले हमने पाई पहले हमने पाई कहते हुए ! प्रश्न बनता है कि यदि इतनी अहम विडियो पहले आपने जुटी तो एक बार बता के चेनल से हटा क्यों ली
मिडिय कांग्रेश से मुद्दे कि बात क्यों नहीं उठता ? या अगर उठाये तो भी थोड़ी देर चलते क्यों है ?
मीडिया कालेधन/भ्रस्ताचार/मुख्यत घोटालो कि बात क्यों नहीं उठता ?
क्या मिडिया भ्रस्टाचार & काले धन को मिटाना नहीं चाहता ?क्या देश से प्रेम नहीं ?भारत के मिडिया को भी कुछ अधिकार है और कुछ दायित्व है !

An Indian
अगर प्रश्न अच्हे लगे तो अग्रेषित जरूर करे वरना देश के लिए तो जरू करे !
Please, forward it for own country & DeshDharma ................Jai Hind ...


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क्या प्रत्येक बड़े कांग्रेसी नेता के विदेशी खाते में 1500 करोड़ रु. या ज्यादा होंगे ?

क्या प्रत्येक बड़े कांग्रेसी  नेता के विदेशी खाते  में 1500 करोड़ रु. या ज्यादा  होंगे ?
बाबा राम देव के ट्रस्ट कि कुल सम्पति 1177 करोड़ रु. पाई गई माने यदि
1300 करोड़ होगी पर सही साफ है ! ट्रस्ट कि सम्पति को  मिडिया ने बाबा कि
सम्पति बता कर बड़ा भ्रम व् आश्चर्य  किया पर यहा एक प्रशन है :-  क्या प्रत्येक बड़े संसदीय नेता के विदेशी खाते  में 1500 करोड़ रु. नहीं होंगे ?


सरकार से कोई 400 लाख करोड़ रु. के बारे में क्यों नहीं पूछता जो उसने
विदेशी खातो में भर रखा है ? सरकार अपने विरोधी के सफ़ेद धन को कला साबित
करने में तुली है पर जो उन्होंने कला धन विदेशो में भर रखा है उससे मिडिया
का ध्यान कैसे हटा दिया गया ?


बाबा ने जो धन लिया उसे प्रतिफल बदले जनता से साफ कहकर  लिया तथा जनता ने
अपनी इच्छा से उन्हें दिया ! मंत्रियो ने पर्सनल जो लिया और दिया उसके बारे
में कोई न तो काली राय न सफ़ेद राय, क्यों ?
क्या ये धन देश कि जनता का
नहीं है जो विदेशो में कला धन बन सड रहा है ?
इससे देश कि कितनी समस्याए हल
हो सकती है ?
जब कलमाड़ी 3 -4000 करोड़ का घोटाला कर सकता है तो हमारे कांग्रेश के बड़े नेता क्या ईस से पीछे होंगे ?
राहुल जी और सोनिया जी ८जुन २०११ व् ११ जून २०११ को चुपके से इटली & स्विजरलैंड क्यों गये ?
Bhartiya midiya sahi / satya khabar meen sabse piche  piche..............





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हर घोटाले में पार्टी हाई कमान को कितना परसेंट हिस्सा मिलता है ?

हर घोटाले में पार्टी हाई कमान को कितना परसेंट हिस्सा मिलता है ? 


मुख्य सोनिया & मनमोहन है तो हर घोटाले में इनका हिस्सा पक्का होगा तो सिर्फ एक मुख्य मंत्री का ही इस्तीफा क्यों लिया जाता है ?  मंत्री अकेला ही घोटाला करता है, क्या  उससे बड़े नेताओ को पता नहीं रहता है ? 

माना एक घोटाला हुवा तो उसमे  एक को हटा दिया पर पार्टी  के राज में इतने एक के बाद एक घोटाले तो कही अध्यक्ष सोनिया/राहुल/मनमोहन में ही कमी होगी तो कांग्रेश अपनी पार्टी से सोनिया/राहुल/मनमोहन  गांदी का स्तीफा क्यों नहीं लेती & सजा क्यों नहीं दिलाती ? & प्रधान मंत्री अपने मंत्रियो के साथ स्तीफा क्यों नहीं देते ? बाबा के पीछे क्यों पड़े है ? 

कला धन तो सरकार ने बनाया है ! बाबा ने किसी को ठगा नहीं , योग सिखा कर साफ कह के धन लिया है ! बाबा का तो सारा धन सामने है जो सफ़ेद है ,  माना यदि बाबा का धन  कला है तो भ्रस्टा चार लोकपाल बिल में वो भी क्या नहीं आजायेंगे ?

सरकार सही कानून क्यों नहीं बनाती  जिसके दायरे  में सभी मंत्री व् प्रधान मंत्री अवस्य हो ? 
छोटे लोग तो अपनी मज़बूरी पर करते होंगे पर ये ये बड़े मंत्री & नेता तो अपने ना पाक कायर्यो के लिए भ्रस्ताचार करते है ? अन्ना का समर्थन सरकार क्यों नहीं करती ? 

क्या  सोनिया के पास कांग्रेस का रिमोट है ? अत रिमोट चलाने वाले को क्या सब घोटालो कि पहले ही खबर रहती होगी  ? सरकार के सभी घोटालो  के लिए रिमोट के  टन किसने दाबाए ? 

An Indian
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सुनील ने सिर्फ  जूता दिखाया तो कांग्रेसियों sath  दिग्विजय ने,फिर बाद में पुलिश ने  मारा , क्या यह सरकार कि निति सही है ? 


उसे बुरी तरह मिडिय ने जूता दिखाना बताया और  कुछ मिडिया ने जूता  दिखiने को मरना कहा ! क्या दिखने और मारने में अंतर मिडिया को नहीं पता  ?

आन्दोलन करने वाली  जनता को  लापता कर दिया या जानसे भी मारा गया होगा  अगर इसी तरह जनता भी अपना आक्रोश निकले तो क्या वह गलत होगा ? क्या यह सरकार ने जो निति  सुनील के साथ कि वो यदि जनता करे तो क्या गलत है ?

मंत्रियो द्वारा पीड़ित व्यक्ति हे जो मंत्रियो को कैसे सबक सिखाएँगे ? हमने देखा कि राम लीला मैदान में सो रहे व्यक्तियो को सरकार ने मारा , उनके साथ धोखा , कपट , उत्पीडन , षड्यंत्र आदि किये तो वहा लोगो ने सरकार व् नेताओ को सबक सिखाने कि सोगंद /सपथ ली थी ! क्या वे आपना इंतकाम या बदला ले पाएंगे ? 
 
देखेगे ! देखे नही , इनके लिए अन्ना के साथ शांति से सत्याग्रह करे ! 
सरकार को भगवान सद बुधि दे !!!




An Indian
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एक और महाभारत के प्रारंभ होने का इंतजार है


भगवान श्री कृष्ण दुर्योधन (कालेधन,बुरे धन ) के साथ नहीं है ,
बल्कि भगवान  श्री कृष्ण  अर्जुन (साधक,सत )  के   साथ  है ,
भगवान श्री कृष्ण अधर्म के साथ नहीं बल्कि  धर्म के  साथ है ! 
भारत को बस एक और  महाभारत के प्रारंभ होने का इंतजार है 

मंगलवार, 24 मई 2011

मन नहीं लगे तब भी बैठकर जप करो,

किसी सेठ के पास एक नौकर गया। सेठ ने पूछाः "रोज के कितने रुपये लेते हो?"

नौकरः "बाबू जी ! वैसे तो आठ रूपये लेता हूँ। फिर आप जो दे दें।"

सेठः "ठीक है, आठ रुपये दूँगा। अभी तो बैठो। फिर जो काम होगा, वह बताऊँगा।"

सेठ जी किसी दूसरे काम में लग गये। उस नये नौकर को काम बताने का मौका नहीं मिल पाया। जब शाम हुई तब नौकर ने कहाः "सेठ जी! लाइये मेरी मजदूरी।"

सेठः "मैंने काम तो कुछ दिया ही नहीं, फिर मजदूरी किस बात की?"

नौकरः "बाबू जी ! आपने भले ही कोई काम नहीं बताया किन्तु मैं बैठा तो आपके लिए ही रहा।"

सेठ ने उसे पैसे दे दिये।



जब साधारण मनुष्य के लिए खाली-खाली बैठे रहने पर भी वह मजदूरी दे देता है तो परमात्मा के लिए खाली बैठे भी रहोगे तो वह भी तुम्हें दे ही देगा। 'मन नहीं लगता.... क्या करें?' नहीं, मन नहीं लगे तब भी बैठकर जप करो, स्मरण करो। बैठोगे तो उसके लिए ही न? फिर वह स्वयं ही चिंता करेगा।

विकारो से बचने हेतु संकल्प-साधना

विषय-विकार साँप के विष से भी अधिक भयानक है, इन्हें छोटा नहीं समझना चाहिए | सैकड़ो लीटर दूध में विष की एक बूंद डालोगे तो परिणाम क्या मिलेगा? पूरा सैकड़ो लीटर दूध व्यर्थ हो जायेगा|
साँप तो कटेगा तभी विष चढ़ पायेगा किन्तु विषय-विकार का केवल चिंतन ही मन को भ्रष्ट कर देता है | अशुद्ध वचन सुनने से मन मलिन हो जाता है |
अत: किसी भी विकार को कम मत समझो | विकारो से सदैव सौ कोस दूर रहो | भ्रमर में कितनी शक्ति होती है कि वह लकड़ी को भी छेद देता है, परन्तु बेचारा फूल की सुगंध पर मोहित होकर पराधीन होके अपने को नष्ट कर देता है | हाथी स्पर्श के वशीभूत होकर स्वयं को गड्ढे में डाल देता है | मछली स्वाद के कारण कांटे में फँस जाती है | पतंगा रूप के वशीभूत होकर अपने को दिये पर जला देता है | इन सबमे सिर्फ एक-एक विषय का आकर्षण होता है फिर भी ऐसे दुर्गति को प्राप्त होते है, जबकि मनुष्य के पास तो पाँच इन्द्रियों के दोष है | यदि वह सावधान नहीं रहेगा तो तुम अनुमान लगा सकते हो की उसका क्या हाल होगा !
अली पतंग मृग मीन गज, एक एक रस आंच|
तुलसी तिनकी कौन गति जिनको व्यापे पाँच ||
अत: भैया मेरे ! सावधान रहे | जिस-जिस इन्द्रियों का आकर्षण है उस-उस आकर्षण से बचने का संकल्प करे | गहरा स्वास ले और प्रणव (ॐकार) का जप करे | मानसिक बल बढ़ाते जाये | जितनी बार हो सके बलपूर्वक उच्चारण करे, फिर उतनी ही देर मौन रहकर जप करे | 'आज उस विकार में फिर से नहीं फँसूँगा या एक सप्ताह तक अथवा एक माह तक नहीं फँसूँगा...' ऐसा संकल्प करे | फिर से गहरा श्वास ले और 'हरि ॐ ॐ ॐ...हरि ॐ ॐ ॐ...' ऐसा उच्चारण करे|

ढाई अक्षर प्रेम का

ढाई अक्षर प्रेम का......
एक बार चैतन्य महाप्रभु को विद्वानों ने घेर लिया। पूछने लगेः
"आप न्यायशास्त्र के बड़े विद्वान हो, वेदान्त के अच्छे ज्ञाता हो। हम समझ नहीं पाते कि इतने बड़े भारी विद्वान होने पर भी आप 'हरि बोल.... हरि बोल....' करके सड़कों पर नाचते हो, बालकों जैसी चेष्टा करते हो, हँसते हो, खेलते हो, कूदते हो !"
चैतन्य महाप्रभु ने जवाब दियाः "बड़ा भारी विद्वान होकर मुझे बड़ा भारी अहं हो गया था। बड़ा धनवान होने का भी अहं है और बड़ा विद्वान होने का भी अहं है। यह अहं ईश्वर से दूर रखता है। इस अहं को मिटाने के लिए मैं सोचता हूँ कि मैं कुछ नहीं हूँ......मेरा कुछ नहीं है। जो कुछ है सो तू है और तेरा है। ऐसा स्मरण करते-करते, हरि को प्यार करते-करते मैं जब नाचता हूँ, कीर्तन करता हूँ तो मेरा 'मैं' खो जाता है और उसका मैं हो जाता है।
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ईशकृपा बिन गुरु नहीं, गुरु बिना नहीं ज्ञान।
ज्ञान बिना आत्मा नहीं, गावहिं वेद पुरान।।

मौन का असर

 मौन का असर है।
एक गांव में सास और बहू रहती थी। उन दोनों के बीच अक्सर लडाई-झगडा होता रहता था। सास बहू को खूब खरी-खोटी सुनाती थी। पलटकर बहू भी सास को एक सवाल के सात जवाब देती थी।
एक दिन गांव में एक संत आए। बहू ने संत से निवेदन किया-गुरूदेव, मुझे ऐसा मंत्र दीजिए या ऐसा उपाय बताइए कि मेरी सास की बोलती बंद हो जाए। जवाब में संत ने कहा बेटी, यह मंत्र ले जाओ। जब तुम्हारी सास तुमसे गाली-गलौज करे, तो इस मंत्र को एक कागज पर लिखना और दांतो के बीच कसकर भींच लेना।
दूसरे दिन जब सास ने बहू के साथ गाली-गलौज किया, तो बहू ने संत के कहे अनुसार मंत्र लिखे कागज को दांतों के बीच भींच लिया। ऐसी स्थिति में बहू ने सास की बात को कोई जवाब नहीं दिया। यह सिलसिला दो-तीन दिन चलता रहा।
एक दिन सास के बडे प्रेमपूर्वक बहू से कहा-अब मैं तुमसे कभी नहीं लडूंगी
क्योंकि अब तुमने मेरी गाली के बदले गाली देना बंद कर दिया।
बहू ने सोचा- मंत्र का असर हो गया है और सासूजी ने हथियार डाल दिए है।
दूसरी दिन बहू ने जाकर संत से निवेदन किया-गुरूजी आपका मंत्र काम कर गया।
संत ने कहा यह मंत्र का असर नही, मौन का असर है।

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