यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 10 अगस्त 2011

मेने भारत में किसी भारतीय को नहीं देखा ?

मेने भारत में किसी भारतीय को नहीं देखा ?

क्यों?

पढ़कर बड़ा आश्चर्य हो रहा होगा ?

भारत में ही अगर भारतीय को नहीं देखा तो फिर अँधा है क्या ?

एक बार एक प्रवासी भारतीय ने अमेरिका में अपने मित्र को भारत भेजा घुमने के लिए और वो हमेशा भारतियों की तारीफ़ करता था कि हम इसे भारतीय है जिसकी संस्कृति की विदेशों में पूजा होती है, मेरा भारत महान, और बहुत सी तारीफ़ की उसने भारतीयों की | अमेरिकन भारत घूम के वापस अमेरिका गया और अपने मित्र से मिला तो बोला तुम तो कह रहे थे की वह बहुत सारे भारतीय रहते है मुझे तो एक भी नहीं मिला | उसने कहा एसा नहीं हो सकता तुम किसी गलत देश में चले गए होंगे वो बोला नहीं मैं गया तो भारत में ही था पर वह भारतीय के अलावा तो बहुत सारे लोग रहते हैं पर भारतीय नहीं था,

तो प्रवासी भारतीय ने पूछा तो तुम कहाँ कहाँ गए थे तो

अमेरिकन बोला जब में हरियाणा गया तो वहां के लोगो ने कहा मैं हरयान्वी हूँ,

जब पंजाब गया तो वहा के लोगो ने कहा मैं पंजाबी हूँ,

राजस्थान में गया तो सभी लोग राजस्थानी थे,

बिहार में गया तो सभी लोग बिहारी थे,

गुजरात में गया तो वहां के सभी लोग गुजराती थे.

फिर मेने और सभी तरह से परिचय पूछा तो कोई कहता है में ब्राह्मण हूँ , किसी ने कहा में सिन्धी हूँ, किसी ने कहा में सिक्ख हूँ, कोई कहता में इसाई हूँ, किसी ने कहा मैं फलाना, मैं ढीकड़ा, पर किसी ने भी नहीं कहा कि मैं भारतीय हूँ
वहा तो दुसरे लोग रहते है कोई भारतीय नहीं था

अब आप ही बताइए क्या विदेशों में यही छवि बनाना चाहते है भारत की ?
क्या वो अमेरिकन गलत कह रहा था ?
हम चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, चाहे सिक्ख हो या इसाई, चाहे राजस्थानी हो या गुजराती, चाहे ब्राह्मण हो या शुद्र, क्षत्रिय हो या वेश्य, पर सबसे पहले हम भारतीय है

I am a proud of INDIAN , गर्व से कहो हम भारतीय है

Vande matram!!!

who are you ?


Small minds talk about sales
Average minds talk about Business,
Great Minds talk about Growth
But Champions Never talk,
They just perform & the world talk

who are you ?


Small minds talk about sales
Average minds talk about Business,
Great Minds talk about Growth
But Champions Never talk,
They just perform & the world talk

भारत के मान्धाताओं की आँख कब खुलेगी ??


इडियट बॉक्स (टी.वी.) का प्रभाव
आज टी.वी. विडियो चेनलों से भरपूर पापाचारों के युग में धर्म और संस्कृति का तो निकंदन निकल रहा है | मर्यादा की मोत हुई जा रही है
इसे भयंकर विषम समय में इंसान अपने बुद्धिबल से या किसी भी तरह अपनी संतान को बचा पायेगा क्या. ????
इडियट बॉक्स की उपमा प्राप्त टी.वी. विडियो और चेनल के दृश्य आत्मा की परलोक में क्या दशा करेंगे यह बात सोचते ही आप चोंक उठेंगे
टी.वी. का आजकल की पीढ़ियों पर जो असर है उसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा की
टी.वी. ब्रह्मा, टी.वी. विष्णु, टी.वी. देवो महेश्वरः |
टी.वी. साक्षात् परम ब्रह्मा, तस्मे श्री टी.वी.गुरुवे नमः ||
आज का इंसान बीवी छोड़ने को तैयार हो सकता है पर टी.वी. नहीं छोड़ेगा | ओ पूज्य पप्पाओं और ओ परम पूज्य कहलाने वाली मम्मियों !! जागो और समझो ....
यदि आपको अपने बच्चे प्यारे है, उनका भविष्य आप सोच सकते हैं इसी बोद्धिक क्षमता है तो टी.वी. का बहिष्कार करो
आज की ताजा खबर : केनेडा की एक मासूम १४ साल की कन्या पर कुछ नराधमो ने दुष्कर्म किया| इस बर्बर कृत्य के सभी हतप्रभ रह गए | रो रो कर आँखे सूज गई और उस कन्या ने निदान किया अ
इस पापाचार का मूल टी.वी. के भयंकर सेक्सी दृश्य है | २.५ करोड़ की केनेडा की जनता है लाख हस्ताक्षर इकट्ठे करके ओटोवा में प्राईम मिनिस्टर को हाथो हाथ पत्र लिखकर अवगत कराया और धमकी भरे शब्द में विनती की कि यदि टी.वी. पर अश्लील और हिंसक दृश्य बंद नहीं किये तो भयंकर परिणाम की चेतावनी दी | पूरी सेनेट ने पात्र को खूब गंभीरता से लिया और पुरे देश में अश्लील और हिंसक प्रसारण पर रोक लगा दी
(भारत के मान्धाताओं की आँख कब खुलेगी ??????)

रविवार, 7 अगस्त 2011

हर धड़कन में एक राज़ होता है


हर धड़कन में एक राज़ होता है
हर बात को बताने का एक अंदाज़ होता है
जब तक ठोकर न लगे बेवफाई की
हर किसी को अपने प्यार पर नाज़ होता है .......

हर धड़कन में एक राज़ होता है


हर धड़कन में एक राज़ होता है
हर बात को बताने का एक अंदाज़ होता है
जब तक ठोकर न लगे बेवफाई की
हर किसी को अपने प्यार पर नाज़ होता है .......

चारो ओर खड़े है लुटेरे बड़े ही खतरनाक||

तुम कायर बनकर बहना, कभी भाग न जाना, जीवन साथी चुनने में पूरा ही विवेक जगाना|
चिकनी चुपड़ी बातों में बहना, तु कभी न आना, अपने कृत्यों से माँ बाप का, सिर न कभी लजाना||

माँ बाप कभी तुम्हारे दुश्मन हो नहीं सकते, तुम्हारे जीवन में वे कभी कांटे बो नहीं सकते|
कैसे भूल सकती हो तुम, उनके सारे एहसान, जीते जी कैसे पहुंचाओगी, तुम उन्हें शमशान||

जब से सोलह बसंत, तूने किये पार, जब से कालेज का देखा तुमने द्वार|
क्यों छाया दिमाग पर, प्यार का बुखार, अब भी वक्त है समय रहते उसे उतार||

प्रदर्शनकी वस्तु नहीं है बहना,ये तुम्हारी काया,ऐसे कपडे मत पहनो कि,शरमा जाये तुम्हारा साया|
फीका सौन्दर्य तुम्हारा, फीकी सारी इसकी माया, आत्मा के आभूषण से यदि, इसे तुने नहीं सजाया||

अपने ही हाथों तुम जीवन में,जहर घोल रही हो,जवानीके नशे में तुम बेसुध होकर डोल रही हो|
हिरोईन की अदाओं से,तुम खुद को तौल रही हो,क्यों कुमार्ग पर चलकर बर्बादीके पट खोल रही हो||

वासना का कुत्ता जब जब,सिर पर चढकर भौंका,तब तब हर लड़की ने,जीवन में खाया है धोखा|
धर लेता विकराल रूप, जब जब यौवन का सागर, मुश्किलमें पड जाती है, तब तब जीवनकी नौका||

नारी के रोम रोम में, भरी मादकता अपार है, इसीलिए तो चारो ओर फिरते चाटुकार है|
घास कभी ना डालना, अगर तु जरा भी समझदार है, वासना के दानव तुझे नौंचने को तैयार है||

जो जो भी गई भागकर, ठोकर खाती है, अपनी गलती पर रो-रोकर आंसू बहाती है|
एक ही किचन में, मुर्गी के संग साग पकाती है, हुई भयानक भूल सोचकर पछताती है||

यौवन के नशे में मत करना, तु कोई भी पाप, वरना सहना होगा तुम्हे उम्र भर संताप|
अपने हाथों मत करना क्रिया कर्म खुशियों का, नहीं तो खुद ही दोगी तुम खुद को अभी शाप||

बाबुलकी बगियामें जब तू , बनके कलि खिली, तुम्हे क्या मालूम कि उनको कितनी खुशी मिली|
उस बाबुलको मारकर ठोकर, जब तुम घरसे भाग जाती!जिनका प्यारा हाथ पकड़कर तुम पहली बार चली||
 
माँ बाप ने बड़े प्यार से तेरा जीवन बाग सींचा, कैसे दिखा सकती हो तुम, उनको समाज में नीचा|
परिवार कि खुशियों का, जो तुमने फाड़ा दामन, सूख जायेगा तेरे सुखों का, हरा भरा बगीचा||

संस्कार कि चुनरी से बदन को पूरा ढांक,लाज का घूंघट खोल, तू इधर उधर मत झांक|
बिन सोचे समझे बहना,तू कुछ भी मत फांक,चारो ओर खड़े है लुटेरे बड़े ही खतरनाक|| 

रविवार, 31 जुलाई 2011

मानव जाति का इतिहास


हमने पढ़ा है
कि राजा मनु को ही हजरत नूह माना जाता हैं। नूह ही यहूदी,ईसाई और इस्लाम के पैगंबर हैं। इस पर शोध भी हुए हैं। जल प्रलय की ऐतिहासिक घटना संसार की सभी सभ्यताओं में पाई जाती है। बदलती भाषा और लम्बे कालखंड के चलते इस घटना में कोईखास रद्दोबदल नहीं हुआ है। मनु की यह कहानी यहूदी, ईसाई और इस्लाम में ‘हजरत नूह की नौका’ नाम से वर्णित की जाती है। इंडोनेशिया, जावा, मलेशिया, श्रीलंका आदि द्वीपों के लोगों ने अपनी लोक परम्पराओं में गीतों के माध्यम से इस घटना को आज भी जीवंत बनाए रखा है। इसी तरह धर्मग्रंथों से अलग भी इस घटना को हमें सभी देशों की लोक परम्पराओं के माध्यम से जानने को मिलता है। नूह की कहानी : उस वक्त नूह की उम्र छह सौ वर्ष थी जब यहोवा (ईश्वर) ने उनसे कहा कि तू एक-जोड़ी सभी तरह के प्राणी समेत अपने सारे घराने को लेकर कश्ती पर सवार हो जा, क्योंकि मैं पृथ्वी पर जल प्रलय लाने वाला हूँ। सात दिन के उपरान्त प्रलय का जल पृथ्वी पर आने लगा। धीरे-धीरे जल पृथ्वी पर अत्यन्त
बढ़ गया। यहाँ तक कि सारी धरती पर जितने बड़े- बड़े पहाड़ थे, सब डूब गए। डूब गए वे सभी जो कश्ती से बाहर रह गए थे, इसलिए वे सब पृथ्वी पर से मिट गए। केवल हजरत नूह और जितने उनके साथ जहाज में थे, वे ही बच गए। जल ने पृथ्वी पर एक सौ पचास दिन तक पहाड़
को डुबोए रखा। फिर धीरे-धीरे जल उतरा तब पुन: धरती प्रकट हुई और कश्ती में जो बच गए थे उन्ही से दुनिया पुन: आबाद हो गई।

मनु की कहानी : द्रविड़ देश के राजर्षि सत्यव्रत (वैवस्वत मनु) के समक्ष भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में प्रकट होकर कहा कि आज से सातवें दिन भूमि जल प्रलय के समुद्र में डूब जाएगी। तब तक एक नौका बनवा लो। समस्त प्राणियों के सूक्ष्म शरीर तथा सब प्रकार के बीज लेकर सप्तर्षियों के साथ उस नौका पर चढ़ जाना। प्रचंड आँधी के कारण जब नाव डगमगाने लगेगी तब मैं मत्स्य रूप में बचाऊँगा। तुम लोग नाव को मेरे सींग से बाँध देना। तब प्रलय के अंत तक मैं तुम्हारी नाव खींचता रहूँगा। उस समय भगवान मत्स्य ने नौका को हिमालय की चोटी ‘नौकाबंध’ से बाँध दिया। भगवान ने प्रलय समाप्त होने पर वेद का ज्ञान वापस दिया। राजा सत्यव्रत ज्ञान- विज्ञान से युक्त हो वैवस्वत मनु
कहलाए। उक्त नौका में जो बच गए थे उन्हीं से संसार में जीवन चला। विचारणीय है कि कितने लोग होंगे जो मनु और नूह को एक ही शख्स मानते होंगे या धार्मिक कट्टरता के चलते नहीं भी मानते होंगे। फिर भी यहाँ इतना तो कह ही सकते हैं कि तौरात, इंजिल, बाइबिल और कुरआन से पूर्व ही मत्स्य पुराण लिखा गया था, जिसमें उक्त कथा का उल्लेख मिलता है। यहाँ यह सिद्ध करने का प्रयास नहीं है कि अन्य धर्म ग्रंथों में पुराण से ही ली गई कथा है, जिसे अपने तरीके से गढ़ा। तथ्य यह है कि उक्त घटना का स्थान, समय और परम्परा के मान से अलग-
अलग प्रभाव पड़ा और लोगों ने इसे दर्ज किया। यह मानव जाति का इतिहास है न कि किसी धर्म विशेष का।

सोमवार, 25 जुलाई 2011

एक बात जो रोने को मजबूर कर दे !

एक बात जो रोने को मजबूर कर दे ! 

स्रष्टि के निर्माण के समय श्री ब्रम्हा ने  सोचा ki में जिव को प्रथ्वी पर
केसे भेजू इन्हें तो हर पल प्रभु का साथ चाहिये प्रभु बिन तो ये रह नहीं
सकता तब श्रीक्रष्ण प्रभु ने स्वयं उन्हें माँ रूपी उपाय बताया क्योकि माँ
ही सर्वोपरि है जिसने माँ बाप को दुःख दिया वो कभी सुखी नहीं रह पाया !

सुबह से शाम सख्त और कड़ी मेहनत के बाद जब घर आया तो 

बाप ने पूछा क्या कमाया 

बीवी ने पूछा क्या बचाया 

ओलाद ने पूछा क्या लाया 

सिर्फ माँ  ने पूछा बेटा तुने क्या खाया ...............

श्री भागवत कथा कहती हे सारी समस्याओ से मुक्ति हेतु आज भी प्रात: उठकर
माता पिता के चरण स्पर्श करो आपको खुद ही महसूस हो जायेगा ,,,,,,,, क़ि माँ
क्या है ! 

 और आज भी कई लोग 

१) माँ बाप क़ि सेवा तो दूर आदर भी नहीं करते 
२) उन्हें सम्मान तो दूर प्यार भी नहीं दे सकते 

३) रखना तो दूर अनाथ आश्रम में भेज देते हे ..

४) इंदौर में जैन परिवार के एक बेटे ने पेसो के लिए माँ बाप को मार डाला ..

मत दो मान, सम्मान , इज्जत ,रुपये , पैसा , बंगले , मोटर गाड़ी , ५६ भोग , मत घुमाओ तीरथ , 

सिर्फ दे दो प्यार के दो बोल...

१) माँ तू केसी हे 

२) माँ तो भोजन कर ले

पहले पढाया जाता था

पहले  पढाया  जाता  था "ग" से "गणेश" , जिस शब्द  से बच्चा बुद्धि ,धर्म, भगवान गणेश,पितृ सेवा और संस्कृति सीखता था पर हमारी सरकार को पसंद नहीं आया ! सरकार कहने लगी इससे साम्प्रदायीक्ता फैलती है, इसलिए अब पढ़iना प्रारम्भ किया गया "ग" से "गधा"   !

परम तत्व को भूल बच्चा  क्या सीखेगा ?सिर्फ नाशवान भौतिक सुख के लिए कर्म करना और उनके पीछे भागना ! अधर्मयता !
Jannat Paana 
..........................................................................................
अधर्म कि घिरी घटा कुचक्र है पनप रहे 
पुण्य धर्म भूमि पर अधर्म कर्म बढ़ रहे 
व्यथा विशाल राष्ट्र कि    
आज हम समझ सके, विशुद्ध राष्ट्र भाव से ,  
ये देश महक उठे   

function disabled

Old Post from Sanwariya