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मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

कृपया 1 मिनट का समय देकर इसे पढ़ें. अगर आपको लगता है कि बात में सच्चाई है तो यह सन्देश दूसरों को भी फॉरवर्ड करें .

कृपया 1 मिनट का समय देकर इसे पढ़ें. अगर आपको लगता है कि बात में सच्चाई है तो यह सन्देश दूसरों को भी फॉरवर्ड करें . 
अन्ना, स्वामी रामदेव या अन्य जो भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड रहे है उनसे कांग्रेस क्यों परेशान है, 
जानिए कारण: 
1- सरकार हर साल लोगों से 134 प्रकार के टैक्स से कितना पैसा जमा कराती है और ये पैसे कहा खर्च हो जाते है? ... 
2-मंदिरों का पैसा सरकार किस मद में खर्च कराती है जिसे सिर्फ हिन्दू दान देकर इकठ्ठा करता है, ये बहुत बड़ा प्रश्न है. 
3- काले धन का इतिहास क्या है, पहले कपिल सिब्बल ने कहा कोई भी नुकसान २ जी घोटाले में नहीं हुआ है, फिर अहलुवालिया ने कहा की हा वास्तव में कोई घोटाला नहीं हुआ है, फिर मनमोहन ने कहा इसकी जाँच चल रही है, विपक्ष को टालते रहे, राजा जैसा आदमी जिसके पास अपनी मोबाइल को टाप अप करने का पैसा नहीं हो, यदि वह अपनी पत्नी के नाम 3000 करोड़ रुपया मारीशाश में जमा कर दे, क्या यह सब बिना सोनिया की जानकारी के कर सकता है, उस पार्टी में जहा पर बिना सोनिया के पूछे कोई वक्तव्य तथाकथित प्रवक्ता नहीं दे सकते है, 
4- फिर आया महा घोटाला देवास-इसरो डील का जिसमे की 205000 करोड़ की बैंड विड्थ को मात्र 1200 करोड़ के 10 साल के उधार के पैसे में दे दिया गया, भला हो सुब्रमनियम स्वामी जी का जिन्हें इन चोरो को नंगा कर दिया, हमारी कांग्रेसी और विदेशी मिडिया सुब्रमनियम स्वामी की तस्वीर हमेशा से गलत पेश किया है जब की वास्तव में भारत देश को ऐसे ही इमानदार नेताओ की जरुरत है जिसने कभी भी चोरी के बारे में सोचा ही नहीं, 
5- फिर आया कामनवेल्थ खेल का 90000 करोड़ का घोटाला, फिर कोयला का घोटाला जिसमे ठेकेदारों द्वारा 10 पैसे प्रति किलो के भाव से कोयला खरीदा जाता है और उसे बाजार में 4 रुपये किलो तक बेचा जाता है, यह रकम अब तक 26 लाख करोड़ होती है, 
6- इटली के 8 बैंक और स्वीटजरलैंड के 4 बैंको को 2005 में भारत में क्यों खोला गया है और इसमे किसका पैसा जमा होता है, ये बैंक किसको लोन देते है और इनका ब्याज क्या है, इनकी जरुरत क्यों आ पड़ी भारत में जब की भारत के ही बैंकरों की बैंक खोलने की अर्जियाँ सरकार के पास धूल खा रही है, इन बैंको को चोरी छुपे क्यों खोला गया है, इन बैंको आवश्यकता क्यों है जब भारत में 80% लोग 20 रूपया प्रतिदिन से भी कम कमाते है. 
7-भारत के किसानो से कमीशन लेने वाले चोर कत्रोची के बेटे को अंदमान दीप समूह में तेल की खुदाई का ठेका क्यों दिया गया 2005 में, किसने दिया ठेका, किसके कहने पर दिया ठेका, क्या वहा पर पहले से ही तेल के कुऊ का पता लगाकर वह स्थान इसे दे दिया गया जैसे की बहुत बार खबरों में अन्य संदर्भो में आती है, यह खबर क्यों छुपाई गयी अब तक, इसे देश को क्यों नहीं बताया गया, मिडिया क्यों इसे छुपा गई, और विपक्ष ने इसे मुद्दा क्यों नहीं बनाया. 
8- सरकार ने पहले कहा की बाबा बकवास कर रहे है, काला धन नाम की कोई चीज नहीं है, फिर खबर आयी की काला धन है और सबसे ज्यादा भारतीयों का है, यह स्विस बैंको के आलावा 70 और दुसरे देसों में जमा है, 
9- सरकार ने कहा की टैक्स चोरी का मामला है, हम उन देशो से समझौते कर रहे है, जिससे की दोहरा कर न देना पड़े, यह टैक्स चोरी नहीं भारत देशको लूट डालने का मामला है 
10- फिर बात आई की यदि ये भ्रष्टाचारी और लुटेरे इसमे से 15% टैक्स सरकार को दे तो इसे भारत के बैंको में जमा करने दिया जायेगा और किसी को यह हक़ नहीं होगा की वह पूछे की या इतना पैसा कैसे कमाया या लूटा. सरकार इस पर एक कानून क्यो नही ला रही है, किसको बचाया जा रहा है? 
11- यूरिया घोटाला है और यूरिया किसान को दुगुने दाम बेचा जाता है, फिर गेहू सस्ते में खरीदा जाता है, हम अभी तक सुरक्षित अन्न भण्डारण की व्यवस्था क्यों नहीं बना पाए जब की हमारे पास धन की कमी ही नहीं है, क्योकि अन्न को सडा दिखाकर उसे कौड़ियो के भाव शराब माफिया को बचा जाता है जब की गरीब अन्न बिना मर रहा है। 
12-हमारे देश में क्यों अनुसन्धान के लिए पर्याप्त पैसा नहीं दिया जाता है, यह कीसकी चाल है, जिसकी वजह से हम 5-10 गुना दाम में विदेशी चीजे खरीदते है, क्या कारण है की हमारे देश में एक भी सोलर ऊर्जा वैज्ञानिक नहीं है और दुनिया भर के परमाणु वैज्ञानिक है जो हमें हमेशा झूठा अश्वाव्हन देते है की यह परमाणु बिजली सस्ती और निरापद है भारत की परमाणु से सम्बंधित कुल बाजार 750 लाख करोड़ का होगा. जब की हम भारत में 400000 मेगावाट सोलर बिजली बना सकते है, 
13-ऐसे कौन से कारण है जिनके कारन हम नेहरू के द्वारा ट्रांसफर अफ पॉवर अग्रीमेंट 14 अगस्त 1947 को दस्तखत करने के बाद भी आज तक विक्सित नहीं बन पाए, जब की हमारी जनता हफ्ते में 90 घंटा काम करती है जबकि कामचोर अंग्रेज हफ्ते में सिर्फ 30 घंटा काम करते है, 
14-क्या कारण है की हमारे 5೦ रुपये में 1 डालर और 90 रुपये में 1 पौंड मिलाता है, जब की 1947 में 1 रुपये में 1 डालर मिलता था. 
15- मीडिया को निष्पक्ष बनाने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है, मिडिया , टीवी और पत्रिकाए सरकार को बिक जाती है और निराधार और झूठ को भी सच बताकर प्रस्तुत करती है। 
16- अगर देश में 2 लाख करोड़ रुपये की नकदी सर्कुलेशन में है तो देश की अर्थव्यवस्था करीब 100 लाख करोड़ रुपयों की होती है. और हमारे देश में रिजर्व बैंक अबतक लगभग 18 लाख करोड़ रुपयों के नोट छाप चुका है और कमसे कम 10 लाख करोड़ रुपये सर्कुलेशन में है. इस हिसाब से देश की अर्थव्यवस्था करीब 400 से 500 लाख करोड़ रुपये होनी चाहिए लेकिन अभी हमारी अर्थव्यवस्था केवल 60 लाख करोड़ की है. जबकि इतनी अर्थव्यवस्था के लिए दो लाख करोड़ से भी कम सर्कुलेशन मनी की जरूरत है. 
17- अगर 400 लाख करोड़ रूपये का काला धन देश में वापिस आ जाता है तो देश की अर्थव्यवस्था करीब 20,000 लाख करोड़ रुपये होगी ... क्या आप जानते हैं कि इस समय अमेरिका सबसे शक्तिशाली देश है और उसकी अर्थव्यवस्था करीब 650 लाख करोड़ की है... मतलब 400 लाख करोड़ रुपये वापिस मिलने पर हम अमरीका से भी 30 गुना ज्यादा शक्तिशाली बन सकते है......

नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है

रविवार, 11 दिसंबर 2011

हमारे देश भारत के संविधान में सभी को समानता का अधिकार है। तो फिर भारत में आरक्षण क्यों ?

आरक्षण क्यों ?
हमारे देश भारत के संविधान में सभी को समानता का अधिकार है। तो फिर भारत में आरक्षण क्यों ?
जाति के आधार पर समाज को विघटित करना कहाँ की समझदारी है। मेरे विचार से किसी जाति विशेष को आरक्षण मिलने का मतलब ये है की वो हीन है कमज़ोर है इसीलिए उसे आरक्षण दे दिया जाए,इसीलिए उन्हें दलित भी कहा जाता है।
किसी भी जाति,वर्ग या सम्प्रदाय को आरक्षण देने का मतलब है की उन्हें समाज में समानता के साथ जीने का कोई हक़ नहीं है और वो सवर्ण जातियों के समान नहीं हैं,दीन हैं।
लेकिन जब सवर्ण जातियां उन से जातीय विभेद दिखाती हैं उन्हें नीच समझती हैं तो फिर हमारे दलित समाज के लोग पुलिस के पास जाते हैं, कोर्ट में जाते हैं की साहब हमारे साथ ये विभेद क्यों ?
एक सवाल हमारे दलित भाइयों से की जब आप जातीय विभेद के खिलाफ हैं तो फिर आप आरक्षण के खिलाफ क्यों नहीं हैं क्यों आप अपने आप को हीन कहलवाना चाहते हैं,क्या आप नहीं चाहेंगे की लोग आप को हीन न कहें, क्या आप को समानता का हक नहीं है और अगर है तो फिर आरक्षण क्यों ?
जब यही आरक्षण प्रतिभाशाली छात्रों के कैरियर या आजीविका के मध्य आड़े आने लगे, जब प्रतिभाशाली लोग आरक्षण की वजह से किसी कालेज में दाखिले या किसी नौकरी से वंचित रह जाए,उन का चयन उस में न हो तो वो आत्महत्या जैसे प्रयास भी करतें हैं तो फिर एक सवाल उठता है की आरक्षण क्यों ?
एक आरक्षण और है वो है महिलाओं को आरक्षण क्यों भैया महिलाये कहाँ से कमज़ोर दिखती है,कहाँ से वो अशक्त हैं,कहाँ से वो दीन-हीन हैं। हमारी सरकारें ये भूल जाती है की ----
“आज की शक्ति नारी है,
दुर्गा शक्ति नारी है,
सावित्री शक्ति नारी है,
संसार की शक्ति नारी है।
हमारी भारतीय संस्कृति में भी कहा जाता है की व्यक्ति अपन कर्मों से,संस्कारों से महान बनता है,जाति से नहीं।
“जन्मना जायते शूद्रं, संस्कारादि द्विज उच्यते।“
आरक्षण हमारे भारतीय समाज पर एक ऐसा बदनुमा दाग जिसे धोने का प्रयास हर हाल में हर भारतीय को करना चाहिए। और एक ऐसी व्यवस्था हमारे समाज में होनी चाहिए की सब को समानता दी जाय, सभी को समान माना जाय। कालेज में प्रवेश या नौकरी सभी में व्यक्ति की प्रतिभा को ही प्राथमिकता दी जाय।
और सब से ज्यादा अहम राजनीतिज्ञों को भी हम भारतीयों को बांटने से बाज़ आना चाहिए,अपनी रोटियां सेकनी बंद करनी चाहिए। ऐसा कैसे हो सकता है की एक भाई अछूत हो और दूसरा छूत।
बंद कीजिये हम सभी को बांटने का खेल।
और अंत में बस एक बात और की --------
“ एक प्रतिभाशाली व्यक्ति चाहे वो किसी भी जाति या सम्प्रदाय का क्यों ना हो,कभी भी आरक्षण का पक्षधर नहीं हो सकता।“
आरक्षण को मानने का मतलब है की आप संविधान के समानता के अधिकार को नहीं मानते और अगर आप संविधान को मानते है तब आप आरक्षण के खिलाफ अपनी आवाज़ क्यों नहीं उठाते।


Vishal Saxena (विशाल सक्सेना)




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किसी बड़े के पैर क्यों छूना चाहिए ? - Shyam Sunder Chandak

जब भी कोई आपके पैर छुवे...................

हिंदू परंपराओं में से एक परंपरा है सभी उम्र में बड़े लोगों के पैर छुए जाते हैं। इसे बड़े लोगों का सम्मान करना समझा जाता है। जिन लोगों के पैर छुए जाते हैं उनके लिए शास्त्रों में कई नियम भी बनाए हैं। यदि कोई आपके पैर छुता है तो आपको क्या करना चाहिए, जानिए....

उम्र में बड़े लोगों के पैर छुने की परंपरा काफी प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इससे आदर-सम्मान और प्रेम के भाव उत्पन्न होते हैं। साथ ही रिश्तों में प्रेम और विश्वास भी बढ़ता है। पैर छुने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण दोनों ही मौजूद हैं। जब भी कोई आपके पैर छुए तो सामान्यत: आशीर्वाद और शुभकामनाएं तो देना ही चाहिए, साथ भगवान का नाम भी लेना चाहिए।

जब भी कोई आपके पैर छुता है तो इससे आपको दोष भी लगता है। इस दोष से मुक्ति के लिए भगवान का नाम लेना चाहिए। भगवान का नाम लेने से पैर छुने वाले व्यक्ति को भी सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं और आपके पुण्यों में बढ़ोतरी होती है। आशीर्वाद देने से पैर छुने वाले व्यक्ति की समस्याएं समाप्त होती है, उम्र बढ़ती है।

किसी बड़े के पैर क्यों छूना चाहिए ?

पैर छुना या प्रणाम करना, केवल एक परंपरा या बंधन नहीं है। यह एक विज्ञान है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ा है। पैर छुने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता बल्कि अनजाने ही कई बातें हमारे अंदर उतर जाती है। पैर छुने का सबसे बड़ा फायदा शारीरिक कसरत होती है, तीन तरह से पैर छुए जाते हैं। पहले झुककर पैर छुना, दूसरा घुटने के बल बैठकर तथा तीसरा साष्टांग प्रणाम। झुककर पैर छुने से कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है। दूसरी विधि में हमारे सारे जोड़ों को मोड़ा जाता है, जिससे उनमें होने वाले स्ट्रेस से राहत मिलती है, तीसरी विधि में सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए तन जाते हैं, इससे भी स्ट्रेस दूर होता है। इसके अलावा झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो स्वास्थ्य और आंखों के लिए लाभप्रद होता है। प्रणाम करने का तीसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है। किसी के पैर छुना यानी उसके प्रति समर्पण भाव जगाना, जब मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार स्वत: ही खत्म होता है। इसलिए बड़ों को प्रणाम करने की परंपरा को नियम और संस्कार का रूप दे दिया गया।


by Shyam Sunder Chandak


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मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

Where does a women's money go



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महालक्ष्मी रहेंगी आपके घर में, बस समय-समय पर पैसा खर्च करें - by Aditya Mandowara


प्राचीन काल से ही धन के मोह और लोभ के कई किस्से-कहानियां प्रचलित हैं। आज भी धन के प्रति लोगों का मोह काफी अधिक है। सभी पैसों को छिपाकर रखते हैं, खर्च नहीं करते। धन का सही उपयोग नहीं करने पर वह नष्ट हो जाता है। शास्त्रों में भी धन की महिमा बताई गई है। धन यानि महालक्ष्मी किन लोगों के पास रहती है? इस संबंध में राजा भृर्तहरी ने बताया है कि-

दानं भोगो नाशस्तिस्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य।

यो न ददाति न भुंक्ते तस्त तृतीया गतिर्भवति।।

इस संस्कृत श्लोक का अर्थ है कि धन की केवल तीन ही अवस्थाएं हैं- पहली है दान देना, दूसरी है धन का उपभोग करना और अंतिम अवस्था है धन का नष्ट होना।

राजा भृर्तहरी ने लिखा है कि यदि कोई व्यक्ति धन का दान नहीं करता है और धन का उपभोग नहीं करता है तो उससे महालक्ष्मी रुठ जाती हैं यानि उसका सारा धन नष्ट हो जाता है। जो लोग धन को जान से अधिक सहेजकर कर रखते हैं, उसका सदुपयोग नहीं करते हैं, दान-पुण्य नहीं करते, किसी गरीब की धन से मदद नहीं करते, परिवार वालों की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं करते हैं, ऐसे लोगों का धन व्यर्थ ही है। इनका धन बहुत ही जल्द नष्ट होने वाला है। महालक्ष्मी की कृपा ऐसे लोगों पर नहीं होती जो धन को एकत्र करने में लगे रहते हैं और उसका सही उपयोग नहीं करते हैं। धन को बचाने का सबसे अच्छा रास्ता है दान-पुण्य किया जाए, गरीबों की मदद की जाए और पैसों का सही उपयोग किया।

कौन है राजा भृर्तहरी

भृर्तहरी मध्यप्रदेश के उज्जैन के प्राचीन राजा माने जाते हैं। ये सम्राट विक्रमादित्य के बड़े भाई थे। उस काल में उज्जैन को उज्जयिनी के नाम से जाना जाता था। भृर्तहरी उज्जैन के राजा तो थे साथ ही वे महान संस्कृत कवि और नीतिकार भी थे। उन्होंने नीतिशतक, श्रंगारशतक, वैराग्यशतक की रचना की। प्रत्येक शतक में सौ-सौ श्लोक हैं। राजा भृर्तहरी के नीतिशतक में जीवन प्रबंधन की अचूक उपाय बताए गए हैं। जिन्हें अपनाने पर कोई भी व्यक्ति श्रेष्ठ जीवन जी सकता है।
 
 
 
by Aditya Mandowara
 


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