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शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

Maha Shivaratri महाशिवरात्रि Mon, 20 Feb 2012

 महाशिवरात्रि व्रत कथा
(Mahashivratri Vrat Katha):


महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रखा जाता है ( Falgun Krishna Paksha Chaturdashi tithi Mahashivratri)। शिवरात्रि न केवल व्रत है, बल्कि त्यहार और उत्सव भी है. इस दिन भगवान भोलेनाथ का कालेश्वर रूप प्रकट हुआ था. महाकालेश्वर शिव की वह शक्ति हैं जो सृष्टि के अंत के समय प्रदोष काल में अपनी तीसरी नेत्र की ज्वाला से सृष्टि का अंत करता हैं। महादेव चिता की भष्म लगाते हैं, गले में रूद्राक्ष धारण करते हैं और नंदी बैल की सवारी करते हैं. भूत, प्रेत, पिशाच शिव के अनुचर हैं. ऐसा अमंगल रूप धारण करने पर भी महादेव अत्यंत भोले और कृपालु हैं जिन्हें भक्ति सहित एक बार पुकारा जाय तो वह भक्त की हर संकट को दूर कर देते हैं. महाशिवरात्रि की कथा में शिव के इसी दयालु और कृपालु स्वभाव का परिचय मिलता है.

एक शिकारी था. शिकारी शिकार करके अपना तथा अपने परिवार का भरण पोषण करता था.एक दिन की बात है शिकारी पूरे दिन भूखा प्यासा शिकार की तलाश में भटकता रहा परंतु कोई शिकार हाथ न लगा. शाम होने को आई तो वह एक बेल के पेड़ पर चढ़ कर बैठ गया. वह जिस पेड़ पर बैठा था उस वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग था. रात्रि में व्याधा अपना धनुष वाण लिए शिकार की तलाश में बैठा था और उसे शिकार भी मिला परंतु निरीह जीव की बातें सुनकर वह उन्हें जाने देता. चिंतित अवस्था में वह बेल की पत्तियां तोड़ तोड़ कर नीचे फेंकता जाता. जब सुबह होने को आई तभी शिव जी माता पार्वती के साथ उस शिवलिंग से प्रकट होकर शिकारी से बोले आज शिवरात्रि का व्रत था और तुमने पूरी रात जागकर विल्वपत्र अर्पण करते हुए व्रत का पालन किया है इसलिए आज तक तुमने जो भी शिकार किए हैं और निर्दोष जीवों की हत्या की है मैं उन पापों से तुम्हें मुक्त करता हूं और शिवलोक में तुम्हें स्थान देता हूं. इस तरह भगवान भोले नाथ की कृपा से उस व्याधा का परिवार सहित उद्धार हो गया.

महाशिवरात्रि महात्मय एवं व्रत विधान (Mahashivratri mahatmya vrat vidhan):


शिवरात्रि (Shivratri) की बड़ी ही अनुपम महिमा है. जो शिवभक्त इस व्रत का पालन करते हैं उन्हें चाहिए कि फाल्गुन कष्ण पक्ष की चतुदर्शी (Falgun Krishna Chatrudashi) यानी शिवरात्रि के दिन प्रात: उठकर स्नान करें फिर माथे पर भष्म अथवा श्रीखंड चंदन का तिलक लगाएं. हाथ में अक्षत, फूल, मु्द्रा और जल लेकर शिवरात्रि व्रत (Shivratri Vrat) का संकल्प करें. गले में रूद्राक्ष धारण करके शिवलिंग के समीप ध्यान की मुद्रा में बैठकर भगवान शिव का ध्यान करें। शांतचित्त होकर भोलेनाथ का गंगा जल से जलाभिषेक करें. महादेव को दुग्ध स्नान बहुत ही पसंद है अत: दूध से अभिषेक करें. महादेव को फूल, अक्षत, दुर्वा, धतूरा, बेलपत्र अर्पण करें। शिव जी को उक्त पदार्थ अर्पित करने के बाद हाथ जोड़ कर प्रार्थना करें.

शिवरात्रि के दिन रूद्राष्टक (Rudrastak) और शिवपुराण (Shiv Purana) का पाठ सुनें और सुनाएं. रात्रि में जागरण करके नीलकंठ कैलशपति का भजन और गुणगान करना चाहिए. अगले दिन भोले शंकर की पूजा करने के बाद पारण कर अन्न जल ग्रहण करना चाहिए. इस प्रकार महाशिवरात्रि का व्रत करने से शिव सानिघ्य प्राप्त होता है.  

शिवरात्रिव्रतं ह्यतत्‌ करिष्येऽहं महाफलम्‌।
निर्विघ्नमस्तु मे चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते॥

महाशिवरात्रि के प्रथम प्रहर में संकल्प करके दूध से स्नान तथा `ओम हीं ईशानाय नम:’ का जाप करें। द्वितीय प्रहर में दधि स्नान करके `ओम हीं अधोराय नम:’ का जाप करें। तृतीय प्रहर में घृत स्नान एवं मंत्र `ओम हीं वामदेवाय नम:’ तथा चतुर्थ प्रहर में मधु स्नान एवं `ओम हीं सद्योजाताय नम:’ मंत्र का जाप करें।

महाशिवरात्रि मंत्र एवं समर्पण


सम्पूर्ण – महाशिवरात्रि पूजा विधि के दौरान ‘ओम नम: शिवाय’ एवं ‘शिवाय नम:’ मंत्र का जाप करना चाहि‌ए। ध्यान, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, पय: स्नान, दधि स्नान, घृत स्नान, गंधोदक स्नान, शर्करा स्नान, पंचामृत स्नान, गंधोदक स्नान, शुद्धोदक स्नान, अभिषेक, वस्त्र, यज्ञोपवीत, उवपसत्र, बिल्व पत्र, नाना परिमल दव्य, धूप दीप नैवेद्य करोद्वर्तन (चंदन का लेप) ऋतुफल, तांबूल-पुंगीफल, दक्षिणा उपर्युक्त उपचार कर ’समर्पयामि’ कहकर पूजा संपन्न करें। कपूर आदि से आरती पूर्ण कर प्रदक्षिणा, पुष्पांजलि, शाष्टांग प्रणाम कर महाशिवरात्रि पूजन कर्म शिवार्पण करें।

महाशिवरात्रि व्रत प्राप्त काल से चतुर्दशी तिथि रहते रात्रि पर्यन्त करना चाहि‌ए। रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने से जागरण, पूजा और उपवास तीनों पुण्य कर्मों का एक साथ पालन हो जाता है और भगवान शिव की विशेष अनुकम्पा और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।



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गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

सोच मे कितना अंतर ?

स्वामी विवेकानंद/प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह: दोनो की सोच मे कितना अंतर ?
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स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म सम्मेलन में अपने भाषण दिया था और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 8 जुलाई 2005 को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट की उपाधि ग्रहण करने पर व्याख्यान दिया था ।

स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म सम्मेलन में अपने भाषण दिया था । भारतीय नवजागरण का अग्रदूत यदि स्वामी विवेकानेद को कहा जाय, तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। उन्होंने सदियों की गुलामी में जकड़े भारतवासी को मुक्ति का रास्ता सुझाया। जन-जन के मन में भारतीय होने के गर्व का बोध कराया।

स्वामी विवेकानंद ने मानव समाज को अन्याय, शोषण और कुरीतियों के खिलाफ उठ खड़े होने का साहस प्रदान किया और पाश्चात्य संस्कृति की चकाचौंध में दिशाभ्रमित भारतीय नौजवानों के मन-मस्तिष्क में स्वदेश-प्रेम एवं हिन्दुत्व-जीवन दर्शन के प्रति अगाध विश्वास पैदा किया। अपनी विद्वतापूर्ण एवं तर्क आधारित भाषण से दुनिया भर के बुध्दिजीवियों के बीच भारत के प्रति एक जिज्ञासा पैदा की।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 8 जुलाई 2005 को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट की उपाधि ग्रहण करने पर व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा था कि अंग्रेजों ने हमें सभ्यता सिखाई। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अंग्रेजों के पक्ष में दिए गए बयान की भारत में कड़े शब्दों में चौतरफा निंदा हुई थी।

हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते हैं कि अंग्रेजों ने हमें सभ्यता सिखाई। क्या अंग्रेजों के यहां आने से पहले हम असभ्य थे?

स्वामी विवेकानंद में जीवन के उच्च आदर्शों के उदाहरण मिलते हैं जबकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अंग्रेजों के पक्ष में दिए गए व्याख्यान/बयान छोटी सोच को दर्शाता है । वैसे, देखा जाए तो यह पूरा मामला सोच के अंतर को ही दिखाता है।

भारतीय नवजागरण का अग्रदूत और भारत के युवाओ के पथ प्रदर्शक, महान दार्शनिक व चिंतक स्वामी विवेकानंद जी को शत्-शत् नमन जय हिन्द, जय भारत ! वन्दे मातरम !!


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तो वो है माँ का प्यार

एक जवान बेटा अपनी बुढी माँ के पास बेठा था...!!
उसकी माँ ने एक पेड के ऊपर बैठे पक्षीकी तरफ इशारा करके पुछा: बेटा..! वो क्या है..?
बेटा: माँ वो कौवा है..
...
एक बार फिर माँ पुछा: बेटा वो क्या है...??
बेटा: माँ वो कौवा है कौवा..!
एक बार फिर माँ ने पुछा: बेटा वो क्या है...???
बेटा गुस्सा होकर: माँ तु बुढी हो गई हो...!
अब तुम्हारे दिमाग को जंग लग गया है..!
तुम पागल हो गई हो..
मैनेँ कितनी बार बोला की वो कौवा है..!!
फिर भी तुम पुछती जा रही हो..??

माँ की आँखो से आँसु निकल आये..!!!
फिर माँ ने आँसु पोछकर भारी आवाज मेँ
बोली: बेटा..! जब तु छोटा था ना तो,
तुने मुझे 30 बार पुछा कि माँ वो क्या है...?
तो मैनेँ तीस बार तेरा सर चुमकर कहा बेटा वो कौवा है
कौवा है..कौवा है...!!!

मित्रों, दुनिया मेँ सबसे मीठा कोई है तो वो है माँ का प्यार और सबसे कडवा माँ के आँसु इस बात का हमेशा ध्यान रखना....!!!

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