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शनिवार, 14 अप्रैल 2012

चारो ओर खड़े है लुटेरे बड़े ही खतरनाक|

तुम कायर बनकर बहना, कभी भाग न जाना, जीवन साथी चुनने में पूरा ही विवेक जगाना|
चिकनी चुपड़ी बातों में बहना, तु कभी न आना, अपने कृत्यों से माँ बाप का, सिर न कभी लजाना||

माँ बाप कभी तुम्हारे दुश्मन हो नहीं सकते, तुम्हारे जीवन में वे कभी कांटे बो नहीं सकते|
कैसे भूल सकती हो तुम, उनके सारे एहसान, जीते जी कैसे पहुंचाओगी, तुम उन्हें शमशान||

जब से सोलह बसंत, तूने किये पार, जब से कालेज का देखा तुमने द्वार|
क्यों छाया दिमाग पर, प्यार का बुखार, अब भी वक्त है समय रहते उसे उतार||

प्रदर्शनकी वस्तु नहीं है बहना,ये तुम्हारी काया,ऐसे कपडे मत पहनो कि,शरमा जाये तुम्हारा साया|
फीका सौन्दर्य तुम्हारा, फीकी सारी इसकी माया, आत्मा के आभूषण से यदि, इसे तुने नहीं सजाया||

अपने ही हाथों तुम जीवन में,जहर घोल रही हो,जवानीके नशे में तुम बेसुध होकर डोल रही हो|
हिरोईन की अदाओं से,तुम खुद को तौल रही हो,क्यों कुमार्ग पर चलकर बर्बादीके पट खोल रही हो||

वासना का कुत्ता जब जब,सिर पर चढकर भौंका,तब तब हर लड़की ने,जीवन में खाया है धोखा|
धर लेता विकराल रूप, जब जब यौवन का सागर, मुश्किलमें पड जाती है, तब तब जीवनकी नौका||

नारी के रोम रोम में, भरी मादकता अपार है, इसीलिए तो चारो ओर फिरते चाटुकार है|
घास कभी ना डालना, अगर तु जरा भी समझदार है, वासना के दानव तुझे नौंचने को तैयार है||

जो जो भी गई भागकर, ठोकर खाती है, अपनी गलती पर रो-रोकर आंसू बहाती है|
एक ही किचन में, मुर्गी के संग साग पकाती है, हुई भयानक भूल सोचकर पछताती है||

यौवन के नशे में मत करना, तु कोई भी पाप, वरना सहना होगा तुम्हे उम्र भर संताप|
अपने हाथों मत करना क्रिया कर्म खुशियों का, नहीं तो खुद ही दोगी तुम खुद को अभी शाप||

बाबुलकी बगियामें जब तू , बनके कलि खिली, तुम्हे क्या मालूम कि उनको कितनी खुशी मिली|
उस बाबुलको मारकर ठोकर, जब तुम घरसे भाग जाती!जिनका प्यारा हाथ पकड़कर तुम पहली बार चली||

माँ बाप ने बड़े प्यार से तेरा जीवन बाग सींचा, कैसे दिखा सकती हो तुम, उनको समाज में नीचा|
परिवार कि खुशियों का, जो तुमने फाड़ा दामन, सूख जायेगा तेरे सुखों का, हरा भरा बगीचा||

संस्कार कि चुनरी से बदन को पूरा ढांक,लाज का घूंघट खोल, तू इधर उधर मत झांक|
बिन सोचे समझे बहना,तू कुछ भी मत फांक,चारो ओर खड़े है लुटेरे बड़े ही खतरनाक||

मेरा भारत फिर से विश्व गुरु कहलायेगा, दुनिया में फिर से पहले की तरह पूजा जायेगा

क्या होगा हमारे देश का ?
आप सोच रहे होंगे की अब तक जो हुआ है आगे भी होता रहेगा
क्यों? सही है ना ?
पढ़कर बड़ा आश्चर्य हो रहा होगा ?

भारत ,


"मेरा भारत",

"सोने की चिड़िया "


एक जमाना था जब भारत "सोने की चिड़िया" कहलाता था

एक एसा भी जमाना था जब भारतीय संस्कृति की विदेशों में पूजा होती थी, अभी भी होती है पर कहीं कहीं, कभी भारत "विश्व गुरु" कहलाता था, अब तो शायद ही किसी को ज्ञात होगा कि देवता भी जिस भूमि पर बार बार जन्म लेने के लिए व्याकुल हुआ करते थे
भारत को हम हमारी "भारत माता" कहते है, हमारे भारत में नारियों का सम्मान माँ के रूप किया जाता है, कहा जाता है कि "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः"
अर्थात जहाँ नारियों की पूजा होती है वहा देवताओ का निवास होता है
और हाँ भारत को एकता में अखंडता के लिए सदियों से जाना जाता था, यहाँ की भोगोलिक परिस्थितियां भी भारत की एकता में अखंडता की परिचायक है जेसे जहाँ एक और भारत के उत्तर में हिमालय जेसा विशाल पर्वत है तो वहीँ दूसरी और दक्षिण में बहुत बड़ा पठार है इसमें जहाँ एक तरफ थार का रेगिस्तान है वाही दूसरी और हरा भरा गंगा सतलज का मैदान है कहीं पर बहुत सर्दी है कहीं पर बहुत गर्मी भी है, ऋतुएँ, मौसम, आदि की विभिन्न्ताये भारत में व्याप्त है | यहाँ हर ५० किलोमीटर पर भाषा, खान पान, रहन सहन भिन्न भिन्न है उसके बावजूद भारत के सभी लोग एक होकर के रहते है यहाँ हिन्दू मुस्लिम, सिक्ख, इसाई, एवं और भी कई धर्म के अनुयायी निवास करते हैं फिर भी भारत में एकता में अखंडता जानी जाती है |

लेकिन कुछ लोग जानबुझ कर भारत को बाँट रहे हैं, कुछ लोग भारत की संस्कृति को छोड़ कर विदेशियों का अनुकरण कर रहे है और भारत की छवि को बदनाम कर रहे है, चंद पैसों के लिए अपना ईमान बेचकर भारत माता को छलनी करने का प्रयास कर रहे है, और अपनी इस गलती को कलियुग का प्रभाव का नाम देने से भी नहीं चुकते हैं |


क्या आप जानते हैं जापान की टेक्नोलोजी पुरे संसार में प्रसिद्ध क्यों है ?

क्या आप जानते हैं अमेरिका के द्वारा जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराने से आज भी वहां लोग लूले लंगड़े बहुतायात में पैदा होते है
फिर भी जापानी मशीनरी पुरे विश्व में प्रसिद्द है, जापान की बुलेट ट्रेन जो विश्व की सबसे तेज गति से चलने वाली गाड़ी का उदाहरण है

जानते है एसा क्यों ?

क्योंकि जापान में देश के साथ कोई गद्दारी नहीं करता वहां सिर्फ देशभक्त ही पैदा होते हैं ,

एक बार जापान में बहुत भरी अकाल पड़ा, और वहा कोई किसान का पूरा परिवार भूख से मर गया तो वहां अकाल राहत के लिए जिस NGO के कुछ अधिकारी देखने के लिए आये कि क्या सच में कोई किसान भूख से मरा है क्या तो उन्होंने पाया कि एक किसान का पूरा परिवार जो कि भूख से मर गया उसके घर में एक बोरी गेहूं पड़ा था तो उन अधिकारीयों ने वहां के निवासियों से पूछा कि जब घर में एक बोरी अनाज पड़ा था तो भूख से मरने कि कहाँ जरुरत थी ? तो लोगो ने जवाब दिया कि वो एक बोरी अनाज पड़ा तो था किन्तु वो तो देश के लिए अलग निकाला हुआ था ताकि बीज बोने के लिए अनाज मिल सके तो इसीलिए वहाँ के लोग चाहे अपनी जान दे देते हैं पर देश के लिए जीते है और देश के लिए मर भी जाते हैं पर देश के साथ गद्दारी नहीं करते |

बस यही कारण है जापान की तरक्की का |
वहां के लोग अपनी बात मनवाने के लिए राष्ट्रीय संपत्ति का कभी नुक्सान नहीं करते, जबकि यहाँ तो आये दिन लोग सडको पर उतर कर राष्ट्रीय संपत्ति का नुक्सान कर के अपनी देशभक्ति का दिखावा करते हैं
"समझदार के लिए इशारा ही काफी है " शायद आप लोग मेरी बात को समझ रहे होंगे |
मैं ये नहीं कहता कि सभी लोग गद्दार है या सभी लोग एसा करते हैं, पर जुर्म करना, जुर्म होते हुए देखना और जुर्म सहना भी उतना ही बड़ा अपराध है, जितना की जुर्म करना
क्या आप जानते हैं आज पूरा भारत कर्ज में डूबा हुआ है ?
क्या आप जानते हैं पुरे भारत में यदि हर व्यक्ति इमानदारी से अपना टैक्स भर दे तो भारत को किसी भी अन्य देश पर निर्भर रहने की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी
भारत का उत्थान भारतियों के ही हाथ में हैं कोई विदेशी नहीं करेगा भारत का उत्थान,
कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम जो कर रहे हो उसे ही ठीक कर लो सब कुछ ठीक हो जायेगा

"सोच बदल दो सितारे अपने आप ही बदल जायेंगे

नजरिया बदल दो नज़ारे अपने आप ही बदल जायेंगे "

मेरा भारत फिर से विश्व गुरु कहलायेगा, दुनिया में फिर से पहले की तरह पूजा जायेगा

हम चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, चाहे सिक्ख हो या इसाई, चाहे राजस्थानी हो या गुजराती, चाहे ब्राह्मण हो या शुद्र, क्षत्रिय हो या वेश्य, पर सबसे पहले हम भारतीय है

I am a proud of INDIAN , गर्व से कहो हम भारतीय है

Vande matram.
जय श्री कृष्णा 

सुख, शान्ति व सफलता के लिये.- वास्तु दीप.


एक कांच या चीनी मिट्टी का लगभग 5" 6" इंच व्यास का एक सुन्दर कटोरा लें और उसे आधे से कुछ अधिक पानी से भरदें । अब इसमें कांच का एक गिलास उल्टा करके इस प्रकार से रख दें कि वह छोटे दीपक के लिये एक स्टेन्ड सा बन जावे और फिर उसके उपर एक छोटा कटोरा कांच का लेकर उसमें घी, तेल या मोम अपनी सामर्थ्य अनुसार भर कर उसमें रुई की सामान्य बत्ती बनाकर लगा दें । कांच की कुछ गोटियां (बच्चों के खेलने की) इस पानी में डाल दे .एक्वेरियम में डालने वाले कुछ रंगीन पत्थर इसमें डाल दें और अन्त में गुलाब फूल की कुछ पंखुडियां भी इस पानी में डालकर सूर्यास्त के बाद इस दीपक को प्रज्जवलित कर अपने घर के बैठक के कमरे में दक्षिण पूर्व दिशा (आग्नेय कोण) में रख दें । यदि इस क्षेत्र में इसे रखने में कुछ असुविधा लग रही हो तो वैकल्पिक स्थान के रुप में आप इसे दक्षिण दिशा में भी रख सकते हैं । यदि घर में विवाह योग्य कन्या हो और उसके विवाह में किसी भी प्रकार की अडचन आ रही हो तो इस दीपक को आप उस कन्या के कमरे में इसी दिशा में रख सकते हैं । मान्यता यह भी है कि इस उपाय से कन्या के विवाह में आ रही बाधाएँ भी दूर हो जाती हैं ।

हमारा शरीर जिन पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, काष्ठ, धातु और अग्नि) से निर्मित है उन्हीं पंचत्तवों का सन्तुलन इस दीपक के द्वारा हमारे घर-परिवार में कायम रहता है और इसी सामंजस्य से जीवन में नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मकता बनी रहती है जो हमारे शान्तिपूर्ण, सुखी व समृद्ध जीवन में मददगार साबित होती है ।

प्रतिदिन सूर्यास्त के बाद जलाये जाने वाले इस दीपक को आप सोने के पूर्व बन्द भी कर दें और कटोरा रात भर वहीं रखा रहने दें । सुबह इस पानी को घर के आठों कोण में मन ही मन इस भाव के साथ छिड़क दे की घर की सारी नकारात्मकता घर की सम्पूर्ण सरचना से बहर निकल रही है और उसके स्थान पर सकारात्मक उर्जा का प्रवेश हो रहा है ,इससे घर की सारे वास्तु दोष ठीक होते जा रहे हैं ,इस प्रक्रिया से घर का शुद्धिकरण आप स्वयम कर सकते है ,आज ही से कर के देखें और मुझे इसका परिणाम भी बताएं ,क्योंकि इसमें कोई खर्च नही है


नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है

एक बेटे ने अपनी आत्मकथा में अपनी माँ के बारे में लिखा

एक बेटे ने अपनी आत्मकथा में अपनी माँ के बारे में लिखा ;कि उसकी माँ की केवल एक आँख थी

इस कारण वह उस से नफ़रत करता था एक दिन उसके एक दोस्त ने उस से आ कर कहा कि अरे
तुम्हारी माँ कैसी दिखती है ना एक ही आँख में ? .......यह सुन कर वो शर्म से जैसे
ज़मीन में धंस गया .....दिल किया यहाँ से कही भाग जाए , छिप जाए और उस दिन उसने अपनी
माँ से कहा की ....यदि वो चाहती है की दुनिया में मेरी कोई हँसी ना उड़ाए तो वो यहाँ से चली जाए !
माँ ने कोई उतर नही दिया वह इतना गुस्से में था कि एक पल को भी नही सोचा की उसने माँ से क्या कह दिया है और यह सुन कर उस पर क्या गुज़री होगी ! .....

कुछ समय बाद उसकी पढ़ाई खत्म हो गयी ,अच्छी नौकरी लग गई और उसने ने शादी कर ली ,एक घर भी खरीद लिया फिर उस के बच्चे भी हुए !एक दिन माँ का दिल नही माना वो सब खबर तो रखती थी अपने बेटे के बारे में और वो उन से मिलने को चली गयी..... उस के पोता पोती उसको देख के पहले डर गए फिर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे....... बेटा यह देख के चिल्लाया की तुमने कैसे हिम्मत की यहाँ आने की मेरे बच्चो को डराने की और वहाँ से जाने को कहा |

माँ ने कहा की शायद मैं ग़लत पते पर आ गई हूँ मुझे अफ़सोस है और वो यह कह के वहाँ से चली गयी!

एक दिन पुराने स्कूल से पुनर्मिलान समरोह का एक पत्र आया बेटे ने सोचा की चलो सब से मिल के आते हैं !वो गया सबसे मिला ,यूँ ही जिज्ञासा हुई कि देखूं माँ है की नही अब भी पुराने घर में
वो वहाँ गया ..वहाँ जाने पर पता चला की अभी कुछ दिन पहले ही उसकी माँ का देहांत हो गया है
यह सुन के भी बेटे की आँख से एक भी आँसू नही टपका.....:(:(

तभी एक पड़ोसी ने कहा की वो एक पत्र दे गयी है तुम्हारे लिए .....पत्र में माँ ने लिखा था कि --

""मेरे प्यारे बेटे मैं हमेशा तुम्हारे बारे में ही सोचा करती थी और सदा तुम कैसे हो ? कहाँ हो ? यह पता लगाती रहती थी........ उस दिन मैं तुम्हारे घर में तुम्हारे बच्चो को डराने नही आई थी .....बस रोक नही पाई उन्हे देखने से .....इस लिए आ गयी थी, :( मुझे बहुत दुख है की मेरे कारण तुम्हे हमेशा ही एक हीन भावना रही पर इस के बारे में मैं तुम्हे एक बात बताना चाहती हूँ की जब तुम बहुत छोटे थे तो तुम्हारी एक आँख एक दुर्घटना में चली गयी .....अब मै माँ होने के नाते कैसे सहन करती कि मेरा बेटा अंधेरे में रहे इस लिए मैने अपनी एक आँख तुम्हे दे दी और हमेशा यह सोच के गर्व महसूस करती रही की अब मैं अपने बेटे की आँख से दुनिया देखूँगी और मेरा बेटा अब पूरी दुनिया देख पाएगा उसके जीवन में अंधेरा नही रहेगा ...
..सस्नेह

तुम्हारी माँ"

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शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

ए मेरे भगवन .बता दे , निर्धन क्या इन्सान नहीं .!!

धनवानों का मान है जग में, निर्धन का कोई मान नहीं.!
ए मेरे भगवन .बता दे , निर्धन क्या इन्सान नहीं .!!
पास किसी के हीरे मोती,पास किसी के लंगोटी है.!
दूध मलाई खाए कोई ,कोई सुखी रोटी है..!
मुझे पता क्या तेरे राज्य में ,निर्धन का सम्मान नहीं..!
धनवानों का मान है जग में, निर्धन का कोई मान नहीं.!!

एक को सुख साधन फिर क्यों एक को दुःख देते हो..
नंगे पाँव दौड़ लगाकर ,खबर किसी की लेते हो .
लोग कहे भगवन तुजे पर में कहता भगवन नहीं..!
धनवानों का मान है जग में, निर्धन का कोई मान नहीं.!!

भक्ति करे जो तेरी वो , बैतरनी को तर जाये
जो न सुमरे तुम्हे भंवर के जाल में वो फस जाये
पहले रिश्वत लिए तो तारे ,क्या इसमें अपमान नहीं..!!
धनवानों का मान है जग में, निर्धन का कोई मान नहीं.!!

तेरी जगत की रित में है क्या हो जग के रखवाले
दे ना सको अगर सुख का साधन तो मुजको तू बुलवाले
अर्जी तेरे है बच्चो की, तू भी तो अनजान नहीं ..!!
धनवानों का मान है जग में, निर्धन का कोई मान नहीं.!
ए मेरे भगवन .बता दे , निर्धन क्या इन्सान नहीं .!!
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