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मंगलवार, 29 मई 2012

भगवान से कि गयी प्रार्थना पर विश्वास

एक छोटे से कस्बे में एक आदमी ने बार बिजनेस शुरू करने की सोची!

जो जगह उसने बार खोलने के लिए चुनी वह बिल्कुल मंदिर के सामने थी!

मंदिर कमेटी ने इस बात का बड़ा विरोध किया कि वहां पर बार कतई नहीं खुलना चाहिए!
मंदिर के पुजारियों ने तो आत्मदाह तक करने की धमकी दे डाली और एक याचिका कोर्ट में दे दी कि कोर्ट आदेश दें की वह आदमी मंदिर के सामने बार न बनायें! पर वह बिजनेसमैन नही माना उसने बार बनाने के लिए निर्माण कार्य शुरू कर दिया!

जब यह बनकर पूरा होने वाला था तो एक दिन अचानक ही जोर की बिजली कड़की और उसका बार पूरा टूट गया!
मंदिर कमेटी के सभी लोग काफी संतुष्ट थे कि बिना किसी विवाद के उसका बार खुद ही टूट गया!

परन्तु बार के मालिक ने कोर्ट जाकर मंदिर कमेटी के खिलाफ याचिका दर्ज की कि उसका बार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर मंदिर वालों द्वारा की गयी प्रार्थनाओं की वजह से ही टूटा है!

कोर्ट ने दोनों पक्षवालों को कोर्ट में आने के आदेश दिए दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जज काफी असमंजस की स्थिति में पहुँच गया कि वह क्या निर्णय दें?

फिर जज ने दोनों पक्षों कि दलीलें सुनने व कागजी कार्यवाही देखने के बाद बोला मैं नही जानता कि मैं क्या नतीजा सुनाऊं?

एक तरफ बार वाला है जो भगवान से कि गयी प्रार्थना पर विश्वास करता है और एक तरफ मंदिर के वे अधिकारी है जो हमेशा मंदिर में ही रहते है पर प्रार्थना पर विश्वास नही करते!


नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है

जागो, हिंदुस्तान के हिन्दुवों.... जागो : एक जनवरी (नववर्ष उत्सव) भारतीय संस्कृति पर पश्चिमी संस्कृति का आतंक......
अंग्रेजी नववर्ष का उत्सव न मनायें..... हिन्दू नववर्ष मनायें !!!

भारतीय संस्कृति पर पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव इस कदर छा गया है क़ि हम भारतीय अपने सारे रीती-रिवाज शन: शन: भूलते जा रहे है l अंग्रेजों का नया साल आने वाला है, जिसे मनाने के लिए सभी* हिन्दू जोर-शोर से लग जाते है, जब क़ि हिन्दुवों का नववर्ष कब आकर चला जाता है, ये उनको पता ही नहीं चलता l नवयुवकों को अपने घर के बड़े-बुजुर्गों से यह जानना चाहिए क़ि हिन्दू नववर्ष आप लोग कैसे मानते थे ?
हिन्दुवों का साल विक्रम सम्वत होता है, जो क़ि अभी 2068 चल रहा है और 23 मार्च 2012 को नया विक्रम सम्वत 2069 चालू होगा l जब सारे त्यौहार (जितने भी हिन्दू त्यौहार) हिन्दू कैलेण्डर वर्ष से मनाये जाते है, तो फिर नया साल अंग्रेजी क्यों.......???
सोचे, समझें और विचार करें....... यह दृढ निश्चय करें क़ि मुझे हिन्दू नया साल मनाना है, अंग्रेजी नया साल मनाने नहीं जाना है या नहीं मानना है l

नया हिन्दू वर्ष कैसे मानते है ?
जहाँ तक मुझे मालूम है.... हमारे बड़े-बुजुर्ग हिन्दू नववर्ष के दिन सवेरे जल्दी नहाकर मन्दिर जाया करते थे और नये कपड़े पहना करते थे, इसके साथ ही मन्दिर में भगवान की मूर्ति को 'नीम' और 'मिश्री' अर्पण करते थे और फिर प्रसाद स्वरुप पाते थे, लेकिन आजकल ये सभी प्रथायें धीरे-धीरे गौण होती जा रही है l यदि आप सभी हिन्दू लोग समय रहते नहीं जागे, तो ये सभी प्रथायें निश्चित ही लुप्त हो जाएगी l हालाँकि, भारत वर्ष में ही नहीं पुरे विश्व में सरकारी या बिज़नस सम्बन्धी सारे कार्य अंग्रेजी वर्ष में ही होते है l ये हम लोगो क़ि मजबूरी है, जो माननी ही पड़ती है l
इसके अलावा जब सारे त्यौहार इत्यादी हिन्दू कैलेण्डर वर्ष से मनाये जाते है तो फिर नया साल हिन्दू वर्ष वाला क्यों नहीं ???
मेरे सभी मित्रो, भाइयो, माताओं-बहनों, बन्धुवों व हर भारतीय से निवेदन है क़ि आने वाला अंग्रेजो का नया साल न मनाकर हिन्दुवों का नया साल मनावें l भारतीय संस्कृति को जिन्दा रखें और पश्चिमी संस्कृति को भूलें l अंग्रेजी नये वर्ष की बधाई देना बुरी बात नहीं है, परन्तु हिन्दू नववर्ष को भूलकर उसे मनाना, हिन्दू संस्कृति का अपमान है l आप सभी से सहयोग क़ि आशा में, धन्यवाद !!!

आपकी जानकारी के लिए बता दूँ क़ि नया हिन्दू वर्ष 23 मार्च 2012 को चालू होगा l जिसकी जानकारी समय पर आप सभी को दी जाएगी l नया हिन्दू वर्ष नये सूर्योदय से माना जाता है, न क़ि जिस समय पुराना संवत्सर समाप्त हो उस समय से l अत: नव हिन्दू वर्ष 23 मार्च 2012 को चालू होगा न क़ि 22 मार्च को l आप सभी से निवेदन है की इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और सभी तक पहुंचावें, धन्यवाद !!!


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सफलता का रहस्य


एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है?

सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो.वो मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा.और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया. लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा , लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वो नीला नहीं पड़ने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना.

सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”

लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना”

सुकरात ने कहा,” यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना चाहते थे तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके आलावा और कोई रहस्य नहीं है.


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शुक्रवार, 25 मई 2012

bhagat ke vash me hai bhagwan



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भोजन विषयक हानिकारक संयोग


लेखक- डॉ. मनोहरदास अग्रावत

मधु (शहद) और घी दोनों ही शरीर के लिए हितकर हैं। परन्तु यदि बराबर मात्रा में इन दोनों को मिलाकर लिया जाए तो इससे विषात्मक लक्षण पैदा हो जाते हैं। मधु और दूध दोनों के अलग-अलग लेने पर शरीर के लिए उपयोगी है, परन्तु इन्हें समान मात्रा में मिलाकर खाना नुकसानदेय है। शहद,
मछली और दूध मिलाकर लेने से "कुष्ठरोग' के पैदा होने की संभावना हो जाती है।

इसी तरह ऋतु मास (भारतीय महीनों) में कुछ खाद्य पदार्थ भी वर्जित हैं, जैसे- चैत्रमास में गुड़ खाना, हानिप्रद माना गया है। वैशाख मास में तेल, ज्येष्ठ मास में महुआ, आषाढ़ मास में बेल (बेलफल), सावन मास में दूध, भादों मास में छाछ, आश्विन मास में करेला, कार्तिक मास में दही, अगहन मास में जीरा, पौष मास में धनिया (बीज), माघ मास में मिश्री और फाल्गुन मास में चना। तात्पर्य यह कि इन खाद्य पदार्थों को बतलाये गए महीनों में कम से कम या बिल्कुल नहीं का सेवन स्वास्थ्यप्रद माना गया है।

कुछ विरुद्ध द्रव्यों का विवरण दिया जा रहा है,जिनसे परहेज रखना आवश्यक है-
1. बड़हल के पक्के फल के साथ मधु और दूध
का सेवन हानिकारक है।
2. मूली, लहसुन, सहिजन अथवा तुलसी के पत्ते
खाने के बाद दूध का सेवन हानिकारक है।
3. दूध के साथ किसी भी खट्टे पदार्थ का उपयोग
हानिकारक है।
4. खीर के साथ सत्तू का प्रयोग हानिकारक है।
5. मधु (शहद) को गरम करके उसका सेवन करना
हानिकारक है।
6. मधु चाटकर ऊपर से गर्म जल पीना
वर्जित है।
7. घी आदि चिकनाई वाले द्रव्यों का सेवन कर
ऊपर से ठण्डा जल पीना हानिकारक है।
8. गर्मी के दिनों में गरम, कड़वी एवं चटपटी चीजों
का सेवन और सर्दी (जाड़े) के दिनों में ठण्डे
एवं रूखे पदार्थों का उपयोग करना हानिकारक है।
9. मूली के साथ गुड़ हानिप्रद है।
10. तरबूज के साथ पोदीना या शीतल जल नहीं
लेना चाहिए।
11. नमक को कभी खुला (उघाड़ा) नहीं रखना चाहिए,
हमेशा ढककर रखना चाहिए। क्योंकि यदि नमक
पर छिपकली बैठ जाए तो नमक खाने वाले
को कोढ हो जाता है।

प्रेषक :

राजेन्द्र आर्य‌

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