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मंगलवार, 5 जून 2012

"सांवरिया" अभियान का आगाज

जय श्री कृष्णा मित्रों

आज पर्यावरण दिवस के मोके पर "सांवरिया" अभियान का आगाज किया गया
पर्यावरण दिवस के अवसर पर मारवाड़ी महासभा, ठाणे(महाराष्ट्र)  और उनकी सम्बन्ध संस्था "सांवरिया" के संयुक्त तत्वावधान में  "हरयालो राजस्थान अभियान" की शुरुआत जोधपुर में सांवरिया के संस्थापक श्री कैलाश चन्द्र लढा एवं श्रीमती सोनू लढा तथा उनके सहयोगी मित्र पवन मेवाडा,  गौरव जाजू, अनिल बंग, विक्रम माहेश्वरी एवं  अन्य क्षेत्रवासियों  ने मिलकर अपने आस पास के क्षेत्रों में नीम के वृक्ष लगाकर राजस्थान को हराभरा करने का संकल्प लिया और इसी के साथ "सांवरिया" ने श्री महेश राठी (संस्थापक) मारवाड़ी महासभा के सहयोग से जोधपुर में जल्द ही अन्य कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की शुरुआत की घोषणा भी की |
श्री कैलाश ने बताया कि "साँवरिया"  का मुख्य उद्देश्य सम्पूर्ण भारत में गौमाता, गरीबों, दीन दुखियों, असहाय एवं निराश्रितों एवं महिलाओं के उत्थान के लिए यथाशक्ति प्रयास करना है
"साँवरिया"  के अनुसार यदि भारत का हर सक्षम व्यक्ति अपने बिना जरुरत की वस्तुएं/कपडे/किताबे/अन्य सामग्री और अपनी धार्मिक कार्यों के लिए की गयी बचत आदि से सिर्फ एक गरीब असहाय व्यक्ति की सहायतार्थ देना शुरू करे तो भारत से गरीबी, निरक्षरता, बेरोजगारी और असमानता को गायब होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा |
आज भी देश में ३० करोड़ से ज्यादा भाई बहिन भूखे सोते हैं अतः भारत के उच्च परिवारों की जन्मदिन/विवाह समारोह एवं कार्यक्रमों में बचे हुए भोजन पानी जो फेंक दिया जाता है यदि वही भोजन उसी क्षेत्र मैं भूखे सोने  वाले गरीब और असहाय व्यक्तियों तक पहुंचा दिया जाये तो आपकी खुशिया दुगुनी हो जाएगी और आपके इस प्रयास से देश में भुखमरी से मरने वाले लोगो की असीम दुआए आपको मिलेगी तथा देश में भुखमरी के कारण होने वाली लूटपाट/ चोरी/ डकेती जैसी घटनाएँ कम होकर देश में भाईचारे की भावना फिर से पनपने लगेगी और एक दिन एसा भी आएगा जब देश में कोई भी भूखा नहीं सोयेगा |
"साँवरिया"  का लक्ष्य ऐसे भारत का सपना साकार करना है जहाँ न गरीबी/ न निरक्षरता/न आरक्षण/ न असमानता/ न भुखमरी और न ही भ्रष्टाचार हो| चारो ओर सभी लोग सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम और विकसित हो, जहाँ डॉलर और रुपया की कीमत एक समान हो और मेरा भारत जो पहले भी विश्वगुरु था उसका गौरव फिर से पहले जैसा बना रहे |


"साँवरिया" का लक्ष्य





"साँवरिया" का मुख्य उद्देश्य सम्पूर्ण भारत में गौमाता, गरीबों, दीन दुखियों, असहाय एवं निराश्रितों एवं महिलाओं के उत्थान के लिए यथाशक्ति प्रयास करना है

मैं एक  बहुत  ही  साधारण  इंसान  हूँ | जीवन में  कई  सारे  अनुभव  से  गुजरते  हुए  में  आज  अपने  आप  को  आप  लोगों  के  सामने  स्थापित  कर  पाया  हूँ . बचपन  से  लेकर  आज  तक  आप सभी लोगो ने अपने जीवन में कई  लोगो  को  भूखे  सोते  देखा होगा, कई  लोग  ऐसे भी होते हैं  जिनके  पास  पहनने  को  कपडे  नहीं  है, किसी  को  पढना  है  पर  किताबें  नहीं  है, कई  बालक  नहीं  चाहते  हुए  भी  किस्मत  के  कारण भीख  मांगने  को  मजबूर  हो जाते है | इन  सभी  परिस्थितियों  को  हम सभी अपने जीवन में भी कही ना कही देखते  ही हैं लेकिन बहुत कम लोग ही उन पर अपना ध्यान केन्द्रित करते है या उन लोगो के बारे में सोच पाते है किन्तु भगवान् की  दया  से  आज  मुझे  उन  सभी  की  मदद  करने  की  प्रेरणा जागृत  हुई  और  इसलिए  आज  मेने  एक  संकल्प  लिया  है  उन अनाथ भाई बहिनों की  मदद  करने  का, जिनका  इस  दुनिया  में  भगवान् के अलावा कोई  नहीं  है और मेने निश्चय किया है कि उन  भाइयों  की  मुझसे  जिस  भी  प्रकार  कि  मदद  होगी  मैं  करूँगा | मैं  इसमें  अपना  तन -मन -धन  मुझसे  जितना  होगा  बिना  किसी  स्वार्थ  के  दूंगा . आज  दिनांक 31-07-2009 से  सावन  के  महीने में भगवान का  नाम  लेकर  इस अभियान हेतु इस वेबसाइट की शुरुआत  कर  रहा  हूँ | और इस वेबसाइट को बनाने  का  मेरा और कोई  मकसद  नहीं  है  बस  मैं  सिर्फ  उन  निस्वार्थ  लोगो  से  संपर्क  रखना  चाहता  हूँ  जो  इस  तरह  की  सोच  रखते  है  और दुसरो को मदद करना चाहते है मुझे  उनसे  और  कुछ  नहीं  चाहिए  बस  मेरे  इस  संकल्प  को  पूरा  करने  के  लिए  मुझे  अपनी  शुभकामनाये  और  आशीर्वाद  ज़रूर  देना  ताकि  मैं  बिना   किसी  रुकावट  के  गरीब  लोगो  की  मदद  कर  सकूँ .
             ये  वेबसाइट  आप  जेसे  लोगों  से  संपर्क  रखने  के  उद्देश्य  से  बनाई  है 
अगर  आप  मेरे  इस  काम  मैं  सहयोग  करना  चाहते  हैं  तो  अपनी श्रद्धानुसार तन-मन-धन से जिस भी प्रकार आप से हो सके आपके स्वयं के क्षेत्र में ही  आप  अपने  घर  मैं  जो  भी  चीज़  आपके  काम  नहीं  आ  रही  हो  जैसे   - कपडे , बर्तन , किताबे इत्यादि  को  फेंके  नहीं  और  उन्हें  किसी  गरीब  के  लिए  इकठ्ठा  कर  के  रखे  और  यदि  कोई  पैसे  की  मदद  करने  की  इच्छा  रखता  हो  तो  वो  भी  खुद  ही  रोजाना  अपनी  जेब खर्च  में  से  बचत  करना  शुरू  कर  दे  ताकि  वो भी किसी  गरीब के काम आ  सके  इस  तरह  एक  दिन  बचाते  बचाते  बिना किसी अतिरिक्त खर्च के आपके पास बहुत  सारे कपडे , बर्तन , किताबें और  पैसे  हो  जायेंगे  जो  की  उन  लोगो  के  काम  आ  जायेंगे  जिनके  पास  कुछ  भी  नहीं है |
    
 
 कलियुग में पाप तो स्वतः हो जाते हैं किन्तु पुण्य करने के लिए प्रयत्न करने पड़ते हैं 
 
"अपने  लिए  तो  सभी  करते  हैं  दूसरों  के  लिए  कर  के  देखो
कलियुग में राष्ट्र सेवा, गौ सेवा, और दीन दुखियों की सेवा ही सबसे बड़ा पुण्य का काम है
"साँवरिया" का मुख्य उद्देश्य सम्पूर्ण भारत में गरीबों, दीन दुखियों, असहाय एवं निराश्रितों के उत्थान के लिए यथाशक्ति प्रयास करना है
"साँवरिया" के अनुसार यदि भारत का हर सक्षम व्यक्ति अपने बिना जरुरत की वस्तु/कपडे/किताबे और अपनी धार्मिक कार्यों के लिए की गयी बचत आदि से सिर्फ एक गरीब असहाय व्यक्ति की सहायतार्थ देना शुरू करे तो भारत से गरीबी, निरक्षरता, बेरोजगारी और असमानता को गायब होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा |
आज भी देश में ३० करोड़ से ज्यादा भाई बहिन भूखे सोते हैं अतः भारत के उच्च परिवारों की जन्मदिन/विवाह समारोह एवं कार्यक्रमों में बचे हुए भोजन पानी जो फेंक दिया जाता है यदि वही भोजन उसी क्षेत्र मैं भूखे सोने वाले गरीब और असहाय व्यक्तियों तक पहुंचा दिया जाये तो आपकी खुशिया दुगुनी हो जाएगी और आपके इस प्रयास से देश में भुखमरी से मरने वाले लोगो की असीम दुआए आपको मिलेगी तथा देश में भुखमरी के कारण होने वाली लूटपाट/ चोरी/ डकेती जैसी घटनाएँ कम होकर देश में भाईचारे की भावना फिर से पनपने लगेगी और एक दिन एसा भी आएगा जब देश में कोई भी भूखा नहीं सोयेगा |
"साँवरिया" का लक्ष्य ऐसे भारत का सपना साकार करना है जहाँ न गरीबी/ न निरक्षरता/न आरक्षण/ न असमानता/ न भुखमरी और न ही भ्रष्टाचार हो| चारो ओर सभी लोग सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम और विकसित हो, जहाँ डॉलर और रुपया की कीमत एक समान हो और मेरा भारत जो पहले भी विश्वगुरु था उसका गौरव फिर से पहले जैसा हो जाये |
                       
     "सर्वे  भवन्तु  सुखिनः "         

मंगलवार, 29 मई 2012

भगवान से कि गयी प्रार्थना पर विश्वास

एक छोटे से कस्बे में एक आदमी ने बार बिजनेस शुरू करने की सोची!

जो जगह उसने बार खोलने के लिए चुनी वह बिल्कुल मंदिर के सामने थी!

मंदिर कमेटी ने इस बात का बड़ा विरोध किया कि वहां पर बार कतई नहीं खुलना चाहिए!
मंदिर के पुजारियों ने तो आत्मदाह तक करने की धमकी दे डाली और एक याचिका कोर्ट में दे दी कि कोर्ट आदेश दें की वह आदमी मंदिर के सामने बार न बनायें! पर वह बिजनेसमैन नही माना उसने बार बनाने के लिए निर्माण कार्य शुरू कर दिया!

जब यह बनकर पूरा होने वाला था तो एक दिन अचानक ही जोर की बिजली कड़की और उसका बार पूरा टूट गया!
मंदिर कमेटी के सभी लोग काफी संतुष्ट थे कि बिना किसी विवाद के उसका बार खुद ही टूट गया!

परन्तु बार के मालिक ने कोर्ट जाकर मंदिर कमेटी के खिलाफ याचिका दर्ज की कि उसका बार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर मंदिर वालों द्वारा की गयी प्रार्थनाओं की वजह से ही टूटा है!

कोर्ट ने दोनों पक्षवालों को कोर्ट में आने के आदेश दिए दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जज काफी असमंजस की स्थिति में पहुँच गया कि वह क्या निर्णय दें?

फिर जज ने दोनों पक्षों कि दलीलें सुनने व कागजी कार्यवाही देखने के बाद बोला मैं नही जानता कि मैं क्या नतीजा सुनाऊं?

एक तरफ बार वाला है जो भगवान से कि गयी प्रार्थना पर विश्वास करता है और एक तरफ मंदिर के वे अधिकारी है जो हमेशा मंदिर में ही रहते है पर प्रार्थना पर विश्वास नही करते!


नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है

जागो, हिंदुस्तान के हिन्दुवों.... जागो : एक जनवरी (नववर्ष उत्सव) भारतीय संस्कृति पर पश्चिमी संस्कृति का आतंक......
अंग्रेजी नववर्ष का उत्सव न मनायें..... हिन्दू नववर्ष मनायें !!!

भारतीय संस्कृति पर पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव इस कदर छा गया है क़ि हम भारतीय अपने सारे रीती-रिवाज शन: शन: भूलते जा रहे है l अंग्रेजों का नया साल आने वाला है, जिसे मनाने के लिए सभी* हिन्दू जोर-शोर से लग जाते है, जब क़ि हिन्दुवों का नववर्ष कब आकर चला जाता है, ये उनको पता ही नहीं चलता l नवयुवकों को अपने घर के बड़े-बुजुर्गों से यह जानना चाहिए क़ि हिन्दू नववर्ष आप लोग कैसे मानते थे ?
हिन्दुवों का साल विक्रम सम्वत होता है, जो क़ि अभी 2068 चल रहा है और 23 मार्च 2012 को नया विक्रम सम्वत 2069 चालू होगा l जब सारे त्यौहार (जितने भी हिन्दू त्यौहार) हिन्दू कैलेण्डर वर्ष से मनाये जाते है, तो फिर नया साल अंग्रेजी क्यों.......???
सोचे, समझें और विचार करें....... यह दृढ निश्चय करें क़ि मुझे हिन्दू नया साल मनाना है, अंग्रेजी नया साल मनाने नहीं जाना है या नहीं मानना है l

नया हिन्दू वर्ष कैसे मानते है ?
जहाँ तक मुझे मालूम है.... हमारे बड़े-बुजुर्ग हिन्दू नववर्ष के दिन सवेरे जल्दी नहाकर मन्दिर जाया करते थे और नये कपड़े पहना करते थे, इसके साथ ही मन्दिर में भगवान की मूर्ति को 'नीम' और 'मिश्री' अर्पण करते थे और फिर प्रसाद स्वरुप पाते थे, लेकिन आजकल ये सभी प्रथायें धीरे-धीरे गौण होती जा रही है l यदि आप सभी हिन्दू लोग समय रहते नहीं जागे, तो ये सभी प्रथायें निश्चित ही लुप्त हो जाएगी l हालाँकि, भारत वर्ष में ही नहीं पुरे विश्व में सरकारी या बिज़नस सम्बन्धी सारे कार्य अंग्रेजी वर्ष में ही होते है l ये हम लोगो क़ि मजबूरी है, जो माननी ही पड़ती है l
इसके अलावा जब सारे त्यौहार इत्यादी हिन्दू कैलेण्डर वर्ष से मनाये जाते है तो फिर नया साल हिन्दू वर्ष वाला क्यों नहीं ???
मेरे सभी मित्रो, भाइयो, माताओं-बहनों, बन्धुवों व हर भारतीय से निवेदन है क़ि आने वाला अंग्रेजो का नया साल न मनाकर हिन्दुवों का नया साल मनावें l भारतीय संस्कृति को जिन्दा रखें और पश्चिमी संस्कृति को भूलें l अंग्रेजी नये वर्ष की बधाई देना बुरी बात नहीं है, परन्तु हिन्दू नववर्ष को भूलकर उसे मनाना, हिन्दू संस्कृति का अपमान है l आप सभी से सहयोग क़ि आशा में, धन्यवाद !!!

आपकी जानकारी के लिए बता दूँ क़ि नया हिन्दू वर्ष 23 मार्च 2012 को चालू होगा l जिसकी जानकारी समय पर आप सभी को दी जाएगी l नया हिन्दू वर्ष नये सूर्योदय से माना जाता है, न क़ि जिस समय पुराना संवत्सर समाप्त हो उस समय से l अत: नव हिन्दू वर्ष 23 मार्च 2012 को चालू होगा न क़ि 22 मार्च को l आप सभी से निवेदन है की इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और सभी तक पहुंचावें, धन्यवाद !!!


नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है

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