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बुधवार, 15 अगस्त 2012

राष्ट्रीय ध्वज की डिजाईन तैयार करने वाले स्वर्गीय पिंगली वेंकैय्या

पंद्रह अगस्त को जहाँ हम स्वतंत्रता दिवस मना रहे होंगे वहीँ दूसरी ओर अपने राष्ट्रीय झंडे क़ी संरचना करने वाले पिंगली वेंकैय्या को कोई भी याद तक नहीं करेगा. राष्ट्रीय ध्वज की डिजाईन तैयार करने वाले स्वर्गीय पिंगली वेंकैय्या का जन्म आन्ध्र प्रदेश के कृष्ण जिले के “दीवी” तहसील के “भटाला पेनमरू ” नामक गाँव में दो अगस्त 1878 को हुआ था, उनके पिता का नाम पिंगली ह्न्मंत रायडू एवं माता का नाम वेंकटरत्न्म्मा
था.

पिंगली वेंकैय्या ने प्रारंभिक शिक्षा भटाला पेनमरू एवम मछलीपट्टनम से प्राप्त करने के बाद १९ वर्ष की उम्र में मुंबई चले गए. वहाँ जाने के बाद उन्‍होंने सेना में नौकरी कर ली, जहाँ से उन्हें दक्षिण अफ्रीका भेज दिया गया. सन 1899 से 1902 के बीच दक्षिण अफ्रीका के “बायर” युद्ध में उन्होंने भाग लिया. इसी बीच वहाँ पर वेंकैय्या साहब क़ी मुलाकात महात्मा गाँधी जी से हो गई, वे उनके विचारों से काफी प्रभावित हुए, स्वदेश वापस लौटने पर मुंबई (तब मुंबई को बम्बई कहा जाता था) में रेलवे में गार्ड की नौकरी में लग गए. इसी बीच मद्रास (जिसे चेन्नई के नाम से पुकारते हैं)में प्लेग नामक महामारी के चलते कई लोंगों की मौत हो गई जिससे उनका मन व्यथित हो उठा, और उन्‍होंने वह नौकरी भी छोड़ दी. वहाँ से मद्रास में प्लेग रोग निर्मूलन इन्स्पेक्टर के पद पर तैनात हो गए. स्वर्गीय पिंगली वेंकैय्या की संस्कृत ,उर्दू एवम हिंदी आदि भाषाओं पर अच्छी पकड़ थी. इसके साथ ही वे भू-विज्ञानं एवम कृषि के अच्छे जानकर भी थे.


बात सन 1904 की है जब जापान ने रूस को हरा दिया था. इस समाचार से वे इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने तुरंत जापानी भाषा सीख ली. उधर महात्मा गाँधी जी का खड़ी आन्दोलन चल ही रहा था,इस आन्दोलन ने भी पिंगली वेंकैय्या के मन को बदल दिया. उस समय उन्‍होंने अमेरिका से कम्बोडिया नामक कपास की बीज का आयात ओउर इस बीज को भारत के कपास बीज के साथ अंकुरित कर भारतीय संकरित कपास का बीज तैयार किया. जिसे (उनके इस शोध कार्य के लिये) बाद में “वेंकैय्या कपास” के नाम से जाना जाने लगा. उधर ब्रिटिश सरकार ने स्वर्गीय पिंगली वेंकैय्या को “रायल एग्रीकल्चरल सोसायटी ऑफ़ लन्दन “का सदस्य के रूप में मनोनीत कर उनके गौरव को बढाया.


सन 1906 में भातीय राष्ट्रीय कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन कलकत्ता में हुआ, जिसकी अध्यक्षता “ग्रेंड ओल्ड मैन”के नाम से जाने जाने वाले दादा भाई नौरोजी ने की थी, इस सम्मेलन में दादा भाई नौरोजी ने स्व. पिंगली वेंकैय्या के द्वारा निःस्वार्थ भाव से किये गए कार्यों की सरहना की, बाद में उन्हें राष्ट्रीय कांग्रेस का सदस्य मनोनीत कर दिया गया. कांग्रेस के इस अधिवेशन में “यूनियन जैक” का झंडा फहराया गया था, जिसे देख कर स्व. पिंगली वेंकैय्या का मन द्रवित हो उठा. उसी दिन से वे भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की संरचना में लग गए. 1916 में उन्होंने “ए नेशनल फ्लैग फार इण्डिया” नामक एक पुस्तक प्रकाशित की,जिसमें उन्‍होंने राष्ट्रीय ध्वज के तीस नमूने प्रकाशित किये थे. पांच साल बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक सन 1921 में विजयवाड़ा में हुई तो उसमें महात्मा गाँधी जी ने सभी को स्व. पिंगली वेंकैय्या द्वारा तैयार किये गए राष्ट्रीय ध्वज के चित्रों की जानकारी दी. इसी बैठक में स्व. पिंगली वेंकैय्या जी द्वारा बनाये गए राष्ट्रीय ध्वज क़ी डिजाईन को महात्मा गाँधी ने मान्यता दी. इस सन्दर्भ में महात्मा गाँधी ने “यंग इण्डिया” नामक अख़बार के सम्पादकीय में “आवर नेशनल फ्लैग” शीर्षक से लिखा कि “राष्ट्रीय ध्वज के लिये हमें बलिदान देने को तैयार रहना चाहिए, वे आगे लिखते हैं कि मछलीपट्टनम के आन्ध्रा कालेज के पिंगली वेंकैय्या ने देश का झंडा के सन्दर्भ एक पुस्तक प्रकाशित क़ी है, जिसमें उन्‍होंने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज से सम्बंधित अनेकों चित्र प्रकाशित किए हैं, जिसके लिये मैं उनके श्रम को देखते हुए उनका आदर करता हूँ”. गाँधी जी अपने सम्पादकीय में आगे लिखते हैं कि “जब मैं विजयवाड़ा के दौरे पर था उस दौरान पिंगली वेंकैय्या ने मुझे हरा एवम लाल रंगों से बने बिना चरखे वाले कई चित्र बनाकर दिए थे. हर झंडे की रूप-रेखा पर उन्हें कम से कम तीन घंटे तो लगे ही थे. मैंने उन्हें एक झंडे में बीच में सफ़ेद रंग की पट्टी डालने की सलाह दी, जिसका उद्देश्य था कि सफ़ेद रंग सत्य व अहिंसा का होता है. उन्होंने इसे तुरंत मान लिया”. इसी के बाद पिंगली वेंकैय्या द्वारा किये गए झंडे का नाम “झंडा वेंकैय्या ” लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया. चार जुलाई 1963 को श्री पिंगली वेंकैय्या का निधन हो गया.


भारतीय डाक-तार विभाग ने 12 अगस्त 2009 को यानि उनके निधन के पूरे 46 साल बाद स्वर्गीय पिंगली वेंकैय्या पर एक पॉँच रुपये का डाक टिकट जारी किया. सीमित संख्या में जारी इस डाकटिकट को महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले के वरिष्‍ठ पत्रकार एवं डाक-टिकट संग्राहक मोती चाँद मुथा के पास देखा जा सकता है. दुःख तो इस बात का है कि स्वर्गीय पिंगली वेंकैय्या द्वारा किये गए कार्य की न तो भारत सरकार ने न ही कांग्रेस ने सही ढंग से आदर दिया है

नेत्र ज्योति बढ़ाने के आसान प्रयोग (Eye Care Tips)

नेत्र ज्योति बढ़ाने के आसान प्रयोग (Eye Care Tips)

प्रयोग-1
बड़ी हरड़ 10 ग्राम, बहेड़ा 20 ग्राम, आँवला 30 ग्राम, मुलहठी 3 ग्राम, बँसलोचन 3 ग्राम, पीपर 3 ग्राम। इनका अलग-अलग बनाया चूर्ण लेकर उसमें लगभग 150 ग्राम मिश्री मिला लें। फिर इस मिश्रण में 10 ग्राम देशी घी भी मिला लें। तत्पश्चात इसमें आवश्यकतानुसार इतना शहद मिलाएँ कि चाटने लायक अवलेह (अर्थात्‌ चटनी) बन जाए। इस अवलेह को किसी काँच के मर्तबान में सावधानीपूर्वक रख लें। इसमें से छह ग्राम की मात्रा में नित्य सोते समय चाटने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।

विशेष- नेत्र ज्योति बढ़ने के अतिरिक्त इस औषधि के सेवन से ट्रेकोमा, फूला, अर्बुद आदि नेत्र रोग नष्ट हो जाते हैं। औषधि सेवन के बाद कुल्ले न करें और रात को पानी न पिएँ तो पायरिया और कब्ज भी मिटती है।

प्रयोग-2
250 ग्राम बादाम गिरि, 100 ग्राम खसखस, 50 ग्राम सफेद मिर्च (काली मिर्च की तरह परन्तु सफेद रंग की), अलग-अलग चूर्ण बनाकर देशी घी में भून लें। तत्पश्चात 100 ग्राम मिश्री अलग से पीस लें और इन सबको मिलाकर किसी शीशे के साफ और सूखे मर्तबान में भरकर रख लें। सुबह खाली पेट गर्म दूध के साथ दो चम्मच की मात्रा में लेने से दृष्टि बढ़ती है। छह मास लगातार लेने से चश्मा उतर सकता है।

प्रयोग-3
असगन्ध 100 ग्राम, बड़ी पीपर 100 ग्राम, आँवला 100 ग्राम, बहेड़ा 100 ग्राम, हरड़ 100 ग्राम, इलायची छोटी 25 ग्राम। प्रत्येक का चूर्ण बनाकर अच्छी तरह मिलाकर रख लें। इसमें से एक चम्मच की मात्रा दूध के साथ नित्य खाली पेट सुबह-शाम लें। साथ ही त्रिफला जल से नित्य प्रातः आँखें धोएँ। इससे आँख का बढ़ता हुआ नंबर रुक जाता है। लंबे समय तक प्रयोग करने से चश्मे का नंबर अवश्य कम हो जाता है।

नेत्रशूल होने पर
त्रिफला यानी हरड़, बहेड़ा, आँवला तीनों बराबर मात्रा में लें। अलग-अलग चूर्ण बनाकर मिलाएँ। त्रिफला चूर्ण की बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएँ और छह-छह ग्राम की पुड़िया बनाएँ। एक-एक पुड़िया छह दिन तक शहद तथा दो बूँद गाय का ताजा घी मिलाकर प्रातः खाली पेट चाट लें। दवा सेवनकाल के छह दिनों में अलूना (बिना नमक का खाना खाएँ। आँख का दर्द बिलकुल ठीक हो जाएगा। थोड़ा-थोड़ा कर के नमक शुरू करें।

चेतावनी : उपरोक्त उपाय विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर दिए गए हैं लेकिन आँखे शरीर का सबसे नाजुक अंग होती है अत: कोई भी प्रयोग आजमाने से पूर्व अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें

लेकिन किस बात की आजादी

लोग एक दूसरे को आजादी की शुभकामनायेँ दे रहे हैँ लेकिन किस बात की आजादी ?


हमारे देश पर 850 साल मुस्लिमोँ ने शासन किया मन्दिर तुड़वाये जनेऊ तुड़वाकर खतना कराया मन्दिरोँ की अपार सम्पदा को लूटा फिर 200 साल हमारे देश पर अंग्रेजोँ का शासन रहा उन्होँने भी देश को लूटा और बहुत सी विकृतियाँ छोड़ गये
उसके बाद पचास साल अंग्रेजोँ द्वारा जन्मी काँग्रेस का शासन रहा  इन तीनोँ कालोँ मेँ एक समानता रही लूट मुस्लिम लूटकर अफगानिस्तान अरब ले गये
 तब भी जलियाँवाला बाग मेँ देशभक्तोँ पर गोलियाँ बरसाइँ गई अब भी रामलीला मैदान मेँ लाठियाँ बरसाईँ गई
तब भी देशभक्तोँ को जेल मेँ डाल दिया जाता था और अब भी हमारा मीडिया भी उन्हीँ का गुलाम है हमारी युवा पीढ़ी भी मैँकॉलेवादियोँ की गुलाम बनती जा रही है

एक बात बार बार दिमाग मेँ प्रश्नचिन्ह लगा देती है

क्या हम आजाद हैँ ?
कैसा स्वतंत्रता दिवस ??
किससे आजादी ??
किस बात की बधाई ??
इस बात पार खुश हों कि आज ही के दिन माँ भारती के शरीर को काटकर हमने मुल्लों को भेंट कर दिया ?
इस बात पर खुश हों कि हमारे खेत, नदियाँ, पहाड, जंगलों पर नाजायज रूप से  कब्ज़ा करने के बाद भी मुल्ले इस देश के और  टुकड़े करवाने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं ?
इस बात पर खुश हों कि हिंदुओं के प्रथम  पुरुष, मर्यादा पुरुषोत्तमभगवान श्री राम आज चीथड़े हो चुके टेंट के नीचे विराजमान हैं ?
इस बात पर खुश हों कि कैलाश पर्वत पर  भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए हमें चीन से वीजा लेना पड़ता है ?
इस बात पर खुश हों कि आजादी ने हमें SC/ST/OBC/ MINORITY जैसे कलंक दिए हैं ?
लोगों से विकास के समान अवसर छीन लिए हैं.
अन्नदाता किसान आत्महत्या कर रहाहै.
जंगलों के स्वामी आदिवासी खाने के आभाव  में भूखे मर रहे हैं, बंदरों को मार कर और आम की गुठलियों को उबाल कर खा रहे हैं.
क्या इस बात के लिए खुश हुआ जाए.देश के दुश्मनों को सुप्रीम कोर्ट मौत की सजा सुनाता है, लेकिन ये तथाकथित लोकतंत्र और उसके नुमाइंदे उन अपराधियों को अमरत्व का वरदान दे देते हैं.
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हम आजादी नहीँ मनायेँगे सिर्फ शहीदोँ को नमन करेँगे जो आजादी की चाह मेँ वतन के लिये कुर्बान हो गये
अंग्रेज लूटकर ब्रिटेन ले गयेकाँग्रेस भी लूटकर स्विस बैँक ले गये
 

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