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गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012

जानिए यह तुलसी गायत्री मंत्र व पूजा की आसान विधि -

जब माता सीता द्वारा भोजन करवाए जाने पर भी बजरंग बलि जी की जठराग्नि (अर्थात भूख) शांति नहीं हुयी तब माता सीता ने तुलसी का पत्ता उन्हें दिया उसे खाने के पश्चात बजरंग बलि जी क भूख शांत हुयी ! आओ जाने पतित पावनी तुलसी के बारे में हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा देवीय स्वरूप में पूजनीय है। धर्मग्रंथों में तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय बताई गई है। यह पवित्र और पापों को मिटाने वाली मानी गई है। धार्मिक नजरिए से घर में तुलसी का पौधा और उसकी उपासना दरिद्रता का नाश कर सुख-समृद्ध करने वाला होता है। वहीं व्यावहारिक रूप से भी तुलसी को खान-पान में शामिल करना रोगनाशक और ऊर्जा देने वाला माना गया है। शास्त्रों में तुलसी को माता गायत्री का स्वरूप भी माना गया है। गायत्री स्वरूप का ध्यान कर तुलसी पूजा मन, घर-परिवार से कलह व दु:खों का अंत कर खुशहाली लाने वाली मानी गई है। इसके लिए तुलसी गायत्री मंत्र का पाठ मनोरथ व कार्यसिद्धि में चमत्कारी भी माना जाता है।

जानिए यह
तुलसी गायत्री मंत्र व पूजा की आसान विधि -
- सुबह स्नान के बाद घर के आंगन या देवालय में लगे तुलसी के पौधे की गंध, फूल, लाल वस्त्र चढ़ाकर पूजा करें। फल का भोग लगाएं। धूप व दीप जलाकर उसके नजदीक बैठकर तुलसी की ही माला से तुलसी गायत्री मंत्र का श्रद्धा से सुख की कामना से कम से कम 108 बार स्मरण कर अंत में तुलसी की पूजा करें-
ऊँ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।
- पूजा व मंत्र जप में हुई त्रुटि की प्रार्थना आरती के बाद कर फल का प्रसाद ग्रहण करें।
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संध्या समय तुलसी के पास दीपक प्रज्वलित अवश्य ही करना चाहिए ..
इससे सदैव घर में सुख शांति का वातारण बना रहता है

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