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रविवार, 7 अक्तूबर 2012

पुराणों में श्लोकों की संख्या

पुराणों में श्लोकों की संख्या

ब्रह्मपुराण: १४०००
पद्मपुराण: ५५०००
विष्णुपुराण: २३०००
शिवपुराण: २४०००
श्रीमद्भावतपुराण: १८०००
नारदपुराण: २५०००
मार्कण्डेयपुराण: ९०००
अग्निपुराण: १५०००
भविष्यपुराण: १४५००
ब्रह्मवैवर्तपुराण: १८०००
लिंगपुराण: ११०००
वाराहपुराण: २४०००
स्कन्धपुराण: ८११००
वामनपुराण: १००००
कूर्मपुराण: १७०००
मत्सयपुराण: १४०००
गरुड़पुराण: १९०००
ब्रह्माण्डपुराण: १२०००

इस प्रकार सारे पुराणों के श्लोकों की कुल संख्या लगभग ४०३६०० (चार लाख तीन हजार छः सौ) है. इसके अलावा रामायण में लगभग २४००० एवं महाभारत में लगभग ११०००० श्लोक हैं

कैलाश पर्वत .......दुनिया का सबसे बड़ा रहस्यमयी पर्वत, अप्राकृतिक शक्तियों का भण्डारक

कैलाश पर्वत .......दुनिया का सबसे बड़ा रहस्यमयी पर्वत, अप्राकृतिक शक्तियों का भण्डारक

Axis Mundi (एक्सिस मुंडी ) .............प्रश्न पहेली रहस्य ...

एक्सिस मुंडी को ब्रह्मांड का केंद्र, दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव के रूप में, यह आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है जहाँ चारों दिशाएं मिल जाती हैं। और यह नाम, असली और महान, दुनिया के सबसे पवित्र और सबसे रहस्यमय पहाड़ों मे
ं से एक कैलाश पर्वत से सम्बंधित हैं। एक्सिस मुंडी वह स्थान है अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है और आप उन शक्तियों के साथ संपर्क कर सकते हैं रूसिया के वैज्ञानिक ने वह स्थान कैलाश पर्वत बताया है।

भूगोल और पौराणिक रूप से कैलाश पर्वत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। इस पवित्र पर्वत की ऊंचाई 6714 मीटर है। और यह पास की हिमालय सीमा की चोटियों जैसे माउन्ट एवरेस्ट के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता पर इसकी भव्यता ऊंचाई में नहीं, लेकिन अपनी विशिष्ट आकार में निहित है। कैलाश पर्वत की संरचना कम्पास के चार दिक् बिन्दुओं के सामान है और एकान्त स्थान पर स्थित है जहाँ कोई भी बड़ा पर्वत नहीं है। कैलाश पर्वत पर चड़ना निषिद्ध है पर 11 सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर चड़ाई की थी।

कैलाश पर्वत चार महान नदियों के स्त्रोतों से घिरा है सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलज और कर्णाली या घाघरा तथा दो सरोवर इसके आधार हैं पहला मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकर सूर्य के सामान है तथा राक्षस झील जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चन्द्र के सामान है। ये दोनों झीलें सौर और चंद्र बल को प्रदर्शित करते हैं जिसका सम्बन्ध सकारात्मक और नकारात्मक उर्जा से है। जब दक्षिण चेहरे से देखते हैं तो एक स्वस्तिक चिन्ह वास्तव में देखा जा सकता है.

कैलाश पर्वत और उसके आस पास के बातावरण पर अध्यन कर रहे रूसिया के वैज्ञानिक Tsar Nikolai Romanov और उनकी टीम ने तिब्बत के मंदिरों में धर्मं गुरुओं से मुलाकात की उन्होंने बताया कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है जिसमे तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ telepathic संपर्क करते है।

कैलाश पर्वत और उसके आस पास के बातावरण पर रूसिया के वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया जिसको कोई नकार नहीं सकता उन्होंने यह बताया की कैलाश पर्वत एक विशाल मानव निर्मित पिरामिड है जो लगभग एक सौ छोटे पिरामिडों का केंद्र है। इस क्षेत्र में पिरामिड का विचार नया नहीं है। यह कालातीत संस्कृत महाकाव्य रामायण के समय से है।

" In shape it (Mount Kailas) resembles a vast cathedral… the sides of the mountain are perpendicular and fall sheer for hundreds of feet, the strata horizontal, the layers of stone varying slightly in colour, and the dividing lines showing up clear and distinct...... which give to the entire mountain the appearance of having been built by giant hands, of huge blocks of reddish stone. "

(G.C. Rawling, The Great Plateau, London, 1905).

रूसिया के वैज्ञानिकों का दावा है की कैलाश पर्वत प्रकृति द्वारा निर्मित सबसे उच्चतम पिरामिड है। जिसको तीन साल पहले चाइना के वैज्ञानिकों द्वारा सरकारी चाइनीज़ प्रेस में नकार दिया था। आगे कहते हैं " कैलाश पर्वत दुनिया का सबसे बड़ा रहस्यमयी, पवित्र स्थान है जिसके आस पास अप्राकृतिक शक्तियों का भण्डार है। इस पवित्र पर्वत सभी धर्मों ने अलग अलग नाम दिए हैं। "

रूसिया वैज्ञानिकों की यह रिपोर्ट UNSpecial! Magzine में January-August 2004 को प्रकाशित की गयी थी।

With deep thanks to Mr. Wolf Scott, former Deputy Director of UNRISD,


।। जयतु संस्‍कृतम् । जयतु भारतम् ।।

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- श्री राम का चरण सेवक
चाणक्य का अखंड भारत !!
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जय हो भोलेनाथ की......

द्वारा : वंदे मातृ संस्कृति

शनिवार, 6 अक्तूबर 2012

भारत मे गाय काटने का इतिहास !

मित्रो post का size अगर ज्यादा बड़ा लग रहा है !और पूरी post नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click करे !
http://www.youtube.com/watch?v=gPG4wgFdpw0


भारत मे गाय काटने का इतिहास !
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इस देश मुगल सीधा गाय का कत्ल करते थे ! और कई बार हमारे राजा मुगलो का इसी बात पर वध करते थे ! जैसे शिवाजी ने गौ माता को बचाने के लिए एक मुगल राजा की बाजू काट दी थी !!
लेकिन उन्होने कोई कत्लखाना नहीं खोला !!

पर जब अंग्रेज़ आए ये बहुत चालक थे ! किसी भी गलत काम को करने से पहले उसको कानून बना देते थे फिर करते थे और कहते थे हम तो कानून का पालन कर रहे हैं !!

भारत मे पहला गौ का कत्लखाना 1707 ईस्वी ने रॉबर्ट क्लाएव ने खोला था और उसमे रोज की 32 से 35 हजार गाय काटी जाती थी ! तो कत्लखाने के size का अंदाजा लगा सकते हैं ! और तब हाथ से गाय काटी जाती थे ! तो सोच सकते हैं कितने कसाई उन्होने रखे होंगे !
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आजादी के 5 साल बाद 1952 मे पहली बार संसद मे ये बात उठी कि गौ रक्षा होनी चाहिए ! गाय के सभी कत्लखाने जो भारत मे अंग्रेज़ो ने शुरू किए थे बंद होने चाहिए ! और यही गांधी जी कि आत्मा को यही श्र्द्धांजलि होगी ! क्यूकि ये उनके आजाद भारत के सपनों मे से पहले नंबर पर था !

तो गांधी के परम शिष्य नेहरू खड़ा हुआ और बोला चलो ठीक है अगर गौ रक्षा का कानून बनना चाहिए तो इस पर संसद मे प्रस्ताव आना चाहिए ! तो संसद मे एक सांसद हुआ करते थे महावीर त्यागी वो आर्य समाजी थे और सोनीपत से अकेले चुनाव लड़ा करते थे !सबसे पहला चुनाव 1952 मे हुआ और वो बहुत भयंकर वोटो से जीत कर आए थे !

तो महावीर त्यागी ने कहा ठीक मैं अपने नाम से प्रस्ताव लाता हूँ ! तो प्रस्ताव आया उस पर बहस हुई ! बहस के बाद तय किया कि वोट किया जाय इस पर ! तो वोट करने का दिन आया ! तब पंडित नेहरू ने एक ब्यान दिया !जो लोकसभा के रेकॉर्ड मे है आप चाहे तो पढ़ सकते हैं ! नेहरू ने कहा अगर ये प्रस्ताव पारित हुआ तो मैं शाम को इस्तीफा दे दूंगा !

मतलब ??

गौ रक्षा अगर हो गई इस देश मे! तो मैं प्रधानमंत्री नहीं रहूँगा ! प्रणाम क्या हुआ जो कांग्रेसी नेता संसद मे गौ रक्षा के लिए वोट डालने को तैयार हुए थे नेहरू का ये वाक्य सुनते ही सब पलट गए ! तो उस जमाने मे क्या होता था कि नेहरू जी अगर पद छोड़ दे तो क्या होगा ?? क्यूंकि वल्ब भाई पटेल का स्वर्गवास हो चुका था !

तो कांग्रेसी नेताओ मे चिंता रहती थी कि अगर नेहरू जी भी चलेगे फिर पार्टी का क्या होगा और पता नही अगली बार जीतेंगे या नहीं जीतेंगे ! और उस समय ऐसी बात चलती थी nehru is india india is नेहरू !(और ये कोंग्रेसीओ कि आदत है indra is india india is indra )
तो बाकी कोंग्रेसी पलट गए और संसद मे हगामा कर दिया और गौ रक्षा के कानून पर वोट नहीं हुआ !
और अगले दिन महावीर त्यागी को सब ने मजबूर कर दिया और उनको प्रस्ताव वापिस लेना पड़ा !


महावीर त्यागी ने प्रस्ताव वापिस लेते समय भाषण किया और बहुत ही जबर्दस्त भाषण किया ! उन्होने कहा पंडित नेहरू मैं तुमको याद दिलाता हूँ !कि आप गांधी जी के परम शिष्य है और गांधी जी ने कहा था भारत आजाद होने के बाद जब पहली सरकार बनेगी तो पहला कानून गौ रक्षा का बनेगा ! अब आप ही इस से हट रहे है तो हम कैसे माने कि आप गांधी जी के परम शिष्य है ???

और उन्होने कहा मैं आपको आपके पुराने भाषणो कि याद दिलाता हूँ ! जो आपने कई बार अलग अलग जगह पर दिये है ! और सबमे एक ही बात काही है कि मुझे कत्लखानों से घिन्न आते इन सबको तो एक मिनट मे बंद करना चाहिए ! मेरी आत्मा घबराती है ये आपने कितनी बार कहा लेकिन जब कानून बनाने का समय आया तब आप ही अपनी बात से पलट रहे है ?!

नेहरू ने इन सब बातों को कोई जवाब नहीं दिया ! और चुप बैठा रहा !और बात आई गई हो गई ! फिर एक दिन 1956 मे नेहरू ने सभी मुख्य मंत्रियो को एक चिठी लिखी वो भी संसद के रेकॉर्ड मे है ! अब नेहरू का कौन सा स्वरूप सही था और कौन सा गलत ! ये तय करने का समय आ गया हैं !

जब वे गांधी जी के साथ मंचपर होते थे तब भाषण करते थे कि क्त्ल्खनों के आगे से गुजरता हूँ तो घिन्न आती है आत्मा चीखती है ! ये सभी क्त्ल्खने जल्द बंद होने चाहिए !और जब वे प्र्धानमतरी बनते है तो मुख्य मंत्रियो को चिठी लिखते हैं ! कि गाय का कत्ल बंद मत करो क्यूंकी इससे विदेशी मुद्रा मिलती है !


उस पत्र का अंतिम वाक्य बहुत खतरनाक था उसमे नेहरू लिख रहा है मान लो हमने गाय ह्त्याबंद करवा दी ! और गौ रक्षा होने लगी तो सारी दुनिया हम पर हसे गई कि हम भारत को 18 व शताब्दी मे ले जा रहे हैं ! !

अर्थात नेहरू को ये लगता था कि गाय का कत्ल होने से देश 21 वी शताब्दी मे जा रहा है ! और गौ रक्षा होने से 18 वी शताब्दी कि और जाएगा ! राजीव भाई का हरद्य इस पत्र को पढ़ कर बहुत दुखी हुआ !राजीव भाई के एक बहुत अच्छे मित्र थे उनका नाम था रवि राय लोकसभा के अधक्षय रह चुके थे !उनकी मदद से ये पत्र मिला ! संसद कि लाएब्रेरी मे से ! और उसकी फोटो कॉपी रख ली !!

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तो राजीव भाई ने ये जानने कि कोशिश की आखिर नेहरू जी के जीवन की ऐसे कौन से बात थी जो वो गौ ह्त्या को चालू रखना चाहते थे ! क्यूंकि पत्र मे नेहरू लिखता है कि विदेशी मुद्रा मिलती है तो क्या विदेशी मुद्रा ही एक प्र्शन था या इससे भी कुछ आगे था !

राजीव भाई कहते है कि मेरा ये व्यक्तिगत मानना है ये गलत भी हो सकता है ! वो कहते है कि इंसान अपनी public life (सार्वजनिक जीवन) मे जो करता है ! उसकी जड़े उसकी जड़े उसकी private life मे जरूर होती है ! वो भारत का प्र्धानमतरी हो,राष्ट्रपति हो देश के किसी सेवधानिक पद आर बैठा हुआ हो या कोई आम इंसान हो ! या कोई किसान कोई भी व्यक्ति हो अपनी public life (सार्वजनिक जीवन) मे जो करते है ! उसकी जड़े उसकी जड़े उसकी private life मे जरूर होती है !

मतलब नेहरू कि private life मे क्या था जो वो गाय कि ह्त्या के लिए इतने परेशान थे ! और इसके लिए राजीव भाई ने बहुत प्र्यास किया और नेहरू की नीजी जीवन के private life के बहुत दस्तावेज़ इकठे किए !! कम से कम 500 से ज्यादा उनके पास थे ! तो पता चला नेहरू खुद गाय का मांस खाता था ! राजीव भाई कहते है इससे पहले मुझे इतना तो मालूम था कि नेहरू जी शराब पीते हैं ! और सिगरेट भी पीते है और chain smoker है दिन मे 60 से 70 सिगरेट पी जाते हैं !और भी बहुत कुछ मालूम था उनके चरित्र के बारे मे ! पर ये पहली बार पता चला कि वो गाय का मांस भी खाते हैं !

और उनके लिए गाय मांस के भोजन को बनाकर तेयार करके उनको lunch के रूप मे भेजने का काम दिल्ली का वही होटल करता था जहां अमेरिका का प्रधानमंत्री जार्ज बुश अंतिम बार 2006 मे आया था और वहाँ रुका था ! और नेहरू का एक दिन का खर्चा उस जमाने मे 13 हजार रुपए होता था जिस पर भारत के एक समाजवादी नेता ने बड़ी कडक टिपणी की थी राम मनोहर लोहिया ने !

उन्होने संसद मे एक दिन बहुत जोड़दार भाषण दिया था !कि नेहरू तुम्हारा एक समय के भोजन का खर्च 13 हजार रुपए है और भारत के 14 करोड़ लोगो को खाने के लिए 2 समय की रोटी नहीं है !तुमको शर्म नहीं आती उस समय के जमाने मे लोहिया जी एक व्यक्ति थे जो नेहरू जी को इस तरह से बोल पाते थे बाकी सब नेहरू के आगे पीछे ही घूमते थे !

जब ये दस्तावेज़ मिल गए तो ये बात समझ आती है कि नेहरू के मन मे गाय के लिए प्रेम सिर्फ एक दिखावा था गांधी जी को खुश करने के लिए था और भारत का प्रधानमंत्री बनने के लिए था एक बार प्र्धानमतरी बन अब तो कोई कष्ट नहीं है को रोकने वाला नहीं तो टोकने वाला नहीं और सरदार पटेल कि मृतयु के बाद तो कोई नहीं !

और राजीव भाई कहते है ये जो जितनी बाते मैंने आपको नेहरू के बारे मे कही है सब कि सब लोकसभा के रिकॉर्ड मे है और कभी इतिहास लिखा जाये तो ये सब का सब सामने आए जाये ! और पूरे देश को नेहरू का काला चिठा पता चल जाये !!



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अब आगे कि बात करे नेहरू के बाद से आजतक गाय ह्त्या रोकने का बिल पास क्यूँ नहीं हुआ !???

दस्तावेज़ बताते हैं इसके बाद के दो ऐसे प्रधानमंत्री हुए जिनहोने पूरी ईमानदारी से गौ ह्त्या रोकने का कानून लाने की कोशिश की ! उनमे से एक का नाम था श्री लाल बहादुर शास्त्री और दूसरे श्री मुरार जी देसाई !!

श्री मुरार जी भाई ये कानून पास करवा पाते कि उनकी सरकार गिर गई ! या दूसरे शब्दो मे कहे सरकार गिरा दी गई ! क्योंकि वही एक मात्र ऐसे प्रधान मंत्री थे ! जिनहोने बहुत हिम्मत वाला काम किया था अमेरिका कि कंपनी coca cola को 3 दिन का नोटिस दिया और भारत से भागा दिया ! और ऐसा नोटिस केवल coco cola को नहीं बल्कि एक और बड़ी विदेशी कंपनी hul(hindustaan uniliver ) को भी दिया और ऐसे करते करते काफी विदेशी कंपनियो को नोटिस जारी किया कि जल्दी से जल्दी तुम भारत छोड़ दो !

इसके इलवा उन्होने एक और बढ़िया काम किया था गुजरात मे शराब पर प्रतिबंध लगा दिया ! और वो आजतक है वो बात अलग है कि black मे कहीं शराब मिल जाती है पर कानूनी रूप से प्रतिबंध है ! और उनहोने कहा था ऐसा मैं पूरा भारत मे करूंगा और जल्दी से गौ रक्षा का कानून भी लाऊँगा और गौ ह्त्या करने वाले को कम से कम फांसी कि सजा होगी !

तो देश मे शराब बेचने वाले,गौ ह्त्या करने वाले और विदेशी कंपनिया वाले ! ये तीनों l lobby सरकार के खिलाफ थी इन तीनों ने मिल कर कोई शयद्त्र रचा होगा जिससे मुरार जी भाई की सरकार गिर गई !!

लालबहादुर शास्त्री जी ने भी एक बार गौ ह्त्या का कानून बनाना चाहा पर वो ताशबंद गए ! और फिर कभी जीवित वापिस नहीं लोटे !!

और अंत 2003 मे श्री अटल बिहारी वाजपायी की NDA सरकार ने गौ ह्त्या पर सुबह संसद मे बिल पेश किया और शाम को वापिस ले लिया !!

क्यू ??

अटल जी की सरकार को उस समय दो पार्टिया समर्थन कर रही थी एक थी तेलगु देशम और दूसरी त्रिमूल कॉंग्रेस ! दोनों ने लोकसभा मे कहा अगर गौ ह्त्या पर कानून पास हुआ तो समर्थन वापिस !!
बाहर मीडिया वालों ने ममता बेनर्जी से पूछा की आप गौ ह्त्या क्यूँ नहीं बंद होने देना चाहती ???

ममता बेनर्जी ने कहा गाय का मांस खाना मे मौलिक अधिकार है
कोई कैसे रोक सकता है ??
तो किसी ने कहा आप तो ब्राह्मण है तो ममता ने कहा बेशक हूँ !!

तो अंत वाजपाई जी को अपनी सरकार बचाना गौ ह्त्या रोकने से ज्यादा बड़ा लगा ! और उन्होने बिल वापिस ले लिया !

इसके बाद राजीव भाई ने अटल जी को एक चिठी लिखी ! और कहा अटल जी काश आपने गौ ह्त्या रोकने के मुद्दे पर अपनी सरकार गिरा ली होती ! तो मैं गारंटी के साथ कहता हूँ अगली बार आप पूर्ण बहुमत से जीतकर आते !! क्यूँ कि गौ ह्त्या को रोकने का मामला इस देश 80 करोड़ लोगो के दिल से जुड़ा है ! और वो आपको दुबारा जीतवाते ! अगर गौ ह्त्या रोकने के लिए आपने सरकार गिरा ली होती !!
तो खैर अटल जी शायद उस वक्त इतने दूरदर्शी नहीं थे !!

फिर 2003 के बाद कॉंग्रेस आ गई ! इससे तो वैसे कोई अपेक्षा नहीं कि जा सकती ! गाय ह्त्या रोकना तो दूर लूटेरे मनमोहन ने भारत को दुनिया मे गाय का मांस निर्यात करने वाले देशो कि सूची मे तीसरे नंबर पर ला दिया है !!

अब आपको तय करना है की हम सब गौ ह्त्या रोकने का बिल संसद मे कैसे पास करवाएँगे !!


वन्देमातरम !! जय गौ माता !!
आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद
यहाँ जरूर जरूर click करे !
http://www.youtube.com/watch?v=gPG4wgFdpw0


वन्देमातरम !! जय गौ माता !!

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