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सोमवार, 12 नवंबर 2012

"साँवरिया" व "स्वाति नक्षत्र" ने मिलकर फेसबुक के मध्यम से दिया अनाथ बच्चो को सहारा



"साँवरिया" व "स्वाति नक्षत्र" ने मिलकर फेसबुक के मध्यम से दिया अनाथ बच्चो को सहारा

"साँवरिया" व "स्वाति नक्षत्र" के संचालकों द्वारा दीवाली मनाने के लिए पटाखो मे खर्च किए जाने वाले पैसे को ग़रीबो ओर जरुरत्मन्दो के लिए ज़रूरी सामान व मिठाइया वितरित कर मनाने की नई परंपरा शुरू करने का अभियान चलाया जा रहा है इसी दौरान फ़ेसबुक के रमेश शारदा द्वारा "साँवरिया" व "स्वाति नक्षत्र" के संचालकों को पिता के कैंसरग्रस्त होने के बाद छोटे भाई-बहनों सहित परिवार को पालने के लिए भीख मांगने को विवश हुई बारह साल की अंजलि की खबर फ़ेसबुक पर बताया जिसमे पहले से ही इस कार्य के लिए एक हुए "साँवरिया" व "स्वाति नक्षत्र" के संचालकों ने खबर के आधार पर पढ़ी तो स्वाति जैसलमेरिया व कैलाश लढा ने पता लगाकर उसकी मदद करने करने लिए स्वाती जैसलमेरिया ने स्वयं जाकर अंजलि के परिवार को सांत्वना दी ओर तत्काल राशन की सामग्री/कपड़े/ स्कूल बेग/ स्कूल ड्रेस आदि ले जाकर उसे सहारा देने के लिए जिला कलेक्टर से मिलकर उसे आर्थिक सहयता दिलवाने को कहा तथा फ़ेसबुक पर लोगो से अपील की | उसी दिन स्वाती जी ने स्वयं अंजलि ओर उसकी बहिन को लेजाकर पास के ही प्राइवेट स्कूल मे शुल्क जमा करवाकर उसकी शिक्षा का प्रबंध भी कर दिया|
अंजलि के सिर पर अब पिता का साया तो नहीं रहा लेकिन देश-विदेश से सैकड़ों हाथ उसकी मदद के लिए आगे आए हैं।देश के कई हिस्सों से अंजलि को शिक्षा व आर्थिक मदद पहुंचाने का सिलसिला शुरू हो गया मदद मिलने से अब अंजलि के चेहरे पर खुशी के साथ इस बात का सुकून है कि उसके परिवार का बेहतर पालन हो सकेगा।
"साँवरिया" व "स्वाति नक्षत्र" ग्रूप का प्रथम प्रयास सफल हुआ

इसके साथ ही "साँवरिया" व "स्वाति नक्षत्र" के संचालक स्वाति जैसलमेरिया, कैलाश लढा, सोनू लढा, राज मालपानि, निलेश मंत्री, अमित चंद्रकांत कालांत्री व ने मिलकर दीवाली मनाने के लिए पटाखो मे खर्च किए जाने वाले पैसे को ग़रीबो ओर जरुरत्मन्दो के लिए ज़रूरी सामान व मिठाइया वितरित कर मनाने की नई परंपरा की शुरुआत जोधपुर से की|
जिसमे सोशल मीडिया फ़ेसबुक पर "साँवरिया" व "स्वाति नक्षत्र" सभी लोगो ने समर्थन किया ओर देश के कई हिस्सो से लोगो ने इस कार्य के लिए अपना सहयोग करने हेतु "साँवरिया" व "स्वाति नक्षत्र" को अलग अलग शहरों मे सहयोग राशि भिजवाई, इससे "साँवरिया" व "स्वाति नक्षत्र" ने जोधपुर के स्वाति जैसलमेरिया, कैलाश लढा, सोनू लढा व पवन मेवाड़ा, विक्रम तोषणीवाल ने, आंध्रप्रदेश मे श्री राज मालपानि ने, नासिक मे निलेश मंत्री व अमित चंद्रकांत कालांत्री ने सभी जगहो पर ग़रीबो मे सर्दी के कपड़े, शॉल व मिठाई वितरित की| इससे प्रेरित होकर सभी लोगो ने इस प्रदूषणमुक्त दीवाली का अपने अपने शहरो मे भी इसी प्रकार आयोजन किया ओर भविष्य मे इसी प्रकार त्योहार मनाने का निश्चय किया




भीलवाड़ा के श्री रामनारायण जी लढा के पुत्र और साँवरिया के संचालक श्री कैलाश लढा ने बताया कि "साँवरिया" के अनुसार यदि भारत का हर सक्षम व्यक्ति अपने बिना जरुरत की वस्तु/कपडे/किताबे और अपनी धार्मिक कार्यों के लिए की गयी बचत आदि से सिर्फ एक गरीब असहाय व्यक्ति की सहायतार्थ देना शुरू करे तो भारत से गरीबी, निरक्षरता, बेरोजगारी और असमानता को गायब होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा | आज भी देश में ३० करोड़ से ज्यादा भाई बहिन भूखे सोते हैं अतः भारत के उच्च परिवारों की जन्मदिन/विवाह समारोह एवं कार्यक्रमों में बचे हुए भोजन पानी जो फेंक दिया जाता है यदि वही भोजन उसी क्षेत्र मैं भूखे सोने वाले गरीब और असहाय व्यक्तियों तक पहुंचा दिया जाये तो आपकी खुशिया दुगुनी हो जाएगी और आपके इस प्रयास से देश में भुखमरी से मरने वाले लोगो की असीम दुआए आपको मिलेगी तथा देश में भुखमरी के कारण होने वाली लूटपाट/ चोरी/ डकेती जैसी घटनाएँ कम होकर देश में भाईचारे की भावना फिर से पनपने लगेगी और एक दिन एसा भी आएगा जब देश में कोई भी भूखा नहीं सोयेगा |








रविवार, 11 नवंबर 2012

धनतेरस के दिन नए बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परम्परा की शुरआत कब और कैसे हुई,

धनतेरस के दिन नए बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परम्परा है। इस पर्व पर बर्तन खरीदने की शुरआत कब और कैसे हुई, इसका कोई निश्चित प्रमाण तो नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि जन्म के समय धन्वन्तरि के हाथों में अमृत कलश था। यही कारण होगा कि लोग इस दिन बर्तन खरीदना शुभ मानते हैं।
आने वाली पीढ़ियां अपनी परम्परा को अच्छी तरह समझ सकें, इसके लिए भारतीय संस्कृति के हर पर्व से जुड़ी कोई न कोई लोककथा अवश्य है। दीपावली से पहले मनाए जाने वाले धनतेरस पर्व से भी जुड़ी एक लोककथा है, जो कई युगों से कही-सुनी जा रही है।
पढ़ें- इस दीवाली खरीदें ‘चांदी के नोट’
पौराणिक कथाओं में धन्वन्तरि के जन्म का वर्णन करते हुए बताया गया है कि देवता और असुरों के समुद्र मंथन से धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। वह अपने हाथों में अमृत-कलश लिए प्रकट हुए थे। इस कारण उनका नाम ‘पीयूषपाणि धन्वन्तरि’ विख्यात हुआ। उन्हें विष्णु का अवतार भी माना जाता है।
परम्परा के अनुसार धनतेरस की संध्या को यम के नाम का दीया घर की देहरी पर रखा जाता है और उनकी पूजा करके प्रार्थना की जाती है कि वह घर में प्रवेश नहीं करें और किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएं। देखा जाए तो यह धार्मिक मान्यता मनुष्य के स्वास्थ्य और दीर्घायु जीवन से प्रेरित है।
यम के नाम से दीया निकालने के बारे में भी एक पौराणिक कथा है- एक बार राजा हिम ने अपने पुत्र की कुंडली बनवाई, इसमें यह बात सामने आयी कि शादी के ठीक चौथे दिन सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी। हिम की पुत्रवधू को जब इस बात का पता चला तो उसने निश्चय किया किवह हर हाल में अपने पति को यम के कोप से बचाएगी। शादी के चौथे दिन उसने पति के कमरे के बाहर घर के सभी जेवर और सोने-चांदी के सिक्कों का ढेर बनाकर उसे पहाड़ का रूप दे दिया और खुद रात भर बैठकर उसे गाना और कहानी सुनाने लगी ताकि उसे नींद नहीं आए।
रात के समय जब यम सांप के रूप में उसके पति को डंसने आया तो वह आभूषणों के पहाड़ को पार नहीं कर सका और उसी ढेर पर बैठकर गाना सुनने लगा। इस तरह पूरी रात बीत गई। अगली सुबह सांप को लौटना पड़ा। इस तरह उसने अपने पति की जान बचा ली। माना जाता है कि तभी से लोग घर की सुख-समृद्धि के लिए धनतेरस के दिन अपने घर के बाहर यम के नाम का दीया निकालते हैं ताकि यम उनके परिवार को कोई नुकसान नहीं पहुंचाए।
भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धनसे ऊपर माना जाता रहा है। यह कहावत आज भी प्रचलित है कि “पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया” इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है। जो भारतीय संस्कृति के सर्वथा अनुकूल है।
धनतेरस के दिन सोने और चांदी के बर्तन, सिक्के तथा आभूषण खरीदने की परम्परा रही है। सोना सौंदर्य में वृद्धि तो करता ही है, मुश्किल घड़ी में संचित धन के रूप में भी काम आता है। कुछ लोग शगुन के रूप में सोने या चांदी के सिक्के भी खरीदते हैं।
बदलते दौर के साथ लोगों की पसंद और जरूरत भी बदली है इसलिए इस दिन अब बर्तनों और आभूषणोंके अलावा वाहन, मोबाइल आदि भी खरीदे जाने लगे हैं। वर्तमान समय में देखा जाए तो मध्यमवर्गीय परिवारों में धनतेरस के दिन वाहन खरीदने का फैशन सा बन गया है। इस दिन ये लोग गाड़ी खरीदना शुभ मानते हैं। कई लोग तो इस दिन कम्प्यूटर और बिजली के उपकरण भी खरीदते हैं।
रीति-रिवाजों से जुड़ा धनतेरस आज व्यक्ति की आर्थिक क्षमता का सूचक बन गया है। एक तरफ उच्च और मध्यम वर्ग के लोग धनतेरस के दिन विलासिता से भरपूर वस्तुएं खरीदते हैं तो दूसरी ओर निम्न वर्ग के लोग जरूरत की वस्तुएं खरीद कर धनतेरस का पर्व मनाते हैं। इसके बावजूद वैश्वीकरण के इस दौर में भी लोगअपनी परम्परा को नहीं भूले हैं और अपने सामर्थ्य के अनुसार यह पर्व मनाते हैं।

हनुमान चालीसा का चमत्कार

हनुमान चालीसा का चमत्कार

मेरे पास कई लोग आते हें और कहते हें की में दिन में ७ हनुमान चालीसा का पाठ करता हू,

कई लोग कहते हें में हर शनिवार और मंगलवार को २७ या १०८ बार हनुमान चालीसा करता हू परन्तु उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता तो मेने उनसे पूछा की आप किस प्रकार हनुमान चालीसा करते हें, तो उन्हों ने बताया की बस हम सिर्फ हनुमानजी के आगे दिया और धुप जला कर बैठ जाते हें और ज्यादा से ज्यादा आक के फूल...ो की माला चढाते हें और बाद में निश्चित संख्या में हनुमान चालीसा करते हें – फिर मेने उन लोगो से कहा आपने शायद रामायण या सुन्दरकाण्ड में पढ़ा होगा की हनुमानजी बचपन में बहुत शरारत करते थे तो ऋषि मुनियो ने उन्हें श्राप दिया था की जब तक आपको आपकी शक्तिओ को कोई (जागृत ) याद नहीं करवाएगा तब तक आप अपनी शक्ति का उपयोग नहीं कर पाएंगे – यही वजह से जब समुद्र को लांग कर श्री रामजी की मुद्रिका ले कर माँ सीता के पास जाना था तब ...कोई जायेगा ये सवाल था – तब श्री जामवंत जी ( रींछ पति ) ने श्री हनुमानजी की स्तुति कर उन्हें अपनी शक्तिया राम काज के लिए याद करवाई थी – ठीक उसी प्रकार हमें हमारे काज के लिए श्री हनुमाजी को स्तुति कर प्रसन्न कर उनकी शक्तिया याद करवानी चाहिए – तब जाके वो आपकी पूजा अवश्य स्वीकार करेंगे – तो आपको भी हनुमान चालीसा करने से या हनुमानजी का कोई भी पूजन करने से पहले निन्म मंत्र स्तुति में दे रहा हू वो आपको कम से कम २७ बार अवश्य करनी हें – देखे फिर चमत्कारिक फल की प्राप्ति अवश्य होगी ( ध्यान रहे गलत कर्मो के लिए हनुमानजी किसी को सहाय नहीं करते ) हरी ओम तत्सत ...
स्तुति मन्त्र : ||
कहइ रीछपति सुनु हनुमाना
काचुप साधी रहेहु बलवाना
पवन तनय बल पवन समाना
बुद्धि बिबेक बिज्ञान निधाना,
कवन सो काज कठिन जग माहि
जो नहीं होय तात तुम पाहि ||

सेहत के लिए लाभदायक है सौंफ

सौंफ प्रतिदिन घर में प्रयुक्त किए जाने वाले मसालों में से एक है। इसका नियमित उपयोग सेहत के लिए लाभदायक है।सौंफ सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाने का ही काम नहीं करती है। खाने के बाद थोड़ी सौंफ चबाने के अनेक फायदे हैं। सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, फास्फोरस, आयरन और पोटेशियम जैसे त त्व होते हैं।पेट के कई विकारों जैसे मरोड़, दर्द और गैस्ट्रो विकार के उपचार में यह बहुत लाभकारी है। बड़ा हो या छोटा बच्चा यह हर किसी के स्वास्थ्य के लिए बड़ी लाभकारी है।
* सौंफ और मिश्री समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लें। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है तथा नेत्र ज्योति में वृद्धि होती है।
* सौंफ का अर्क दस ग्राम शहद मिलाकर लें। खाँसी में तत्काल आराम मिलेगा।
* बेल का गूदा 10 ग्राम और 5 ग्राम सौंफ सुबह-शाम चबाकर खाने से अजीर्ण मिटता है और अतिसार में लाभ होता है।
* यदि आपको पेटदर्द होता है, तो भुनी हुई सौंफ चबाइए, तुरंत आराम मिलेगा। सौंफ की ठंडाई बनाकर पीजिए, इससे गर्मी शांत होगी और जी मिचलाना बंद हो जाएगा।
* हाथ-पाँव में जलन की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया कूट-छानकर मिश्री मिलाकर खाना खाने के पश्चात 5-6 ग्राम मात्रा में लेने से कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है।
* सौंफ रक्त को साफ करने वाली एवं चर्मरोग नाशक है।
* दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौंफ को दो या तीन बार लेने से अपच और कफ की समस्या समाप्त होती है। अस्थमा और खांसी के उपचार में सौंफ सहायक है। गुड़ के साथ सौंफ खाने से मासिक धर्म नियमित होता है। अगर गले में खराश हो जाए तो सौंफ चबाना चाहिए।

* अगर आप चाहते है कोलेस्ट्रॉल स्तर न बढ़े तो खाने के लगभग 30 मिनट बाद एक चम्मच सौंफ खा लें।
इसके अलावा भी यह विभिन्न स्त्री रोगों में बहुत अच्छी औसधि के रूप में कार्य करता है और मुख रोग या मुख से आती बदबू में बहुत लाभदायक है|

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