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मंगलवार, 27 नवंबर 2012

शिव-शक्ति चरित्र से जुड़ा अर्द्धनारीश्वर रूप

शास्त्रों के मुताबिक शिव-शक्ति एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। शिव शक्ति के बल पर तो शक्ति शिव के सहारे जगत का तमाम सुखों से कल्याण करते हैं। जगत की सृजन, पालन व संहार में स्त्री-पुरुष के योगदान व महत्व को उजागर करने वाला शिव-शक्ति चरित्र से जुड़ा अर्द्धनारीश्वर रूप जगत प्रसिद्ध व पूजनीय है। शिव-पार्वती, उमा-शंकर, शिव-सती के प्रसंग भी भगवान शिव व जगतजननी की रचना, पालन व विनाशक शक्तियों की महिमा गाते हैं।

शिव-शक्ति का ऐसा ही एक अनूठा और कल्याणकारी साक्षात् स्वरूप गौरी-शंकर रुद्राक्ष को भी माना जाता है। यह रुद्र के अंश रुद्राक्ष का ही एक रूप है। जिसमें दो रुद्राक्ष प्राकृतिक रूप से ही एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। यही कारण है कि गौरी शंकर रुद्राक्ष शिव-शक्ति की अद्भुत शक्तियों से पूर्ण माना जाता है।

सांसारिक दृष्टि से शिव-पार्वती व शिव परिवार गृहस्थ जीवन का आदर्श है। इसलिए माना गया है कि गौरी शंकर रुद्राक्ष को धारण करना दाम्पत्य जीवन में अपार सुख, शांति और समृद्धि लाता है। पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम, विश्वास और सहयोग को बरकरार रखता है। संतान सुख देता है। घर-परिवार में लक्ष्मी कृपा बनी रहती है। साथ ही यह सभी कामनाओं की सिद्धि करने के साथ धार्मिक दृष्टि से धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति में बहुत असरदार माना गया है।

यही नहीं शास्त्रों के मुताबिक गौरी शंकर रुद्राक्ष के शुभ प्रभाव से खासतौर पर अविवाहितों का शीघ्र विवाह, वैवाहिक जीवन में अलगाव या तलाक के कारणों का अंत और पति-पत्नी के संबंधों में प्रेम, समर्पण और घनिष्ठता आती है।

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