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गुरुवार, 29 नवंबर 2012

363 महान लोगों ने पेड़ों के लिए अपना बलिदान दे दिया...

कब बदलेगा भारत ?

उस आन्दोलन में पेड़ों को बचाने के लिए एक-दो नहीं नहीं बल्कि 363 महिलाओं-पुरुषों ने अपना बलिदान दे दिया....पर दुःख होता है उस आन्दोलन को कभी याद नहीं किया जाता...यहाँ तक की ज्यादातर भारतीय इस आन्दोलन को जानते भी नहीं....
सन 1730 में...जोधपुर(राजस्थान) के राजा को अपना आलिशान महल बनवाने के लिए इमारती लकड़ी की जरुरत थी...उसे पता चला की
खेजडली गाँव में खेजड़ी के मोटे-मोटे वृक्ष हैं....राजा ने उन वृक्षों को काटने के लिए अपनी सेना भेज दी....सेनिकों ने गावं में पहुच कर वृक्षों पर कुल्हाड़ी चलानी शुरू कर दी...कुल्हाड़ी की आवाज जब पास में रहने वाली एक महिला अमृता देवी ने सुनी...तो इसने वृक्षों को काटने का विरोध किया...और कहा की "ये वृक्ष हमरे बच्चे हैं...हमने इनको अपने बच्चों की तरह पाला है...." और ये कहकर वो वृक्ष से चिपक गयी....
सेनिकों ने कहा की हमने राजा की आज्ञा का पालन करना है...अगर तुम बीच से नहीं हटी तो हम तुम्हारा गला काट देंगे...पर अमृता देवी सामने से नहीं हटी....और सेनिकों की कुल्हाड़ी ने अमृता देवी का गला काट दिया...
इसके बाद अमृता देवी की तीन बेटियों वृक्षों से चिपक कर अपना बलिदान दे दिया...
ये खबर खेजडली गावं और आस-पास के गावों वालों को पता चली तो वो सब इस आन्दोलन में कूद गए...और आ-आ कर पेड़ों से चिपकते चले गए...और इस तरह 363 महान लोगों ने पेड़ों के लिए अपना बलिदान दे दिया...

कुछ वर्षों पूर्व जब दुनिया के एक महशूर पर्यावरणविद को इस घटना का पता चला तो उन्होंने कहा कि.." भारत के सब लोग अपनी बेटियों का नाम अमृता क्यों नहीं रखते...?

मटके में आठ पाप

एक बार घूमते-घूमते कालिदास बाजार गये|

वहाँ एक महिला बैठी मिली |

उसके पास एक मटका था और कुछ प्यालियाँ पड़ी थी |

कालिदास ने उस महिला से पूछा :

” क्या बेच रही हो ? “

महिला ने जवाब दिया :

” महाराज ! मैं पाप बेचती हूँ | “

कालिदास ने
आश्चर्यचकित होकर पूछा :

” पाप और मटके में ?

“ महिला बोली :

” हाँ, महाराज ! मटके में पाप है | “

कालिदास :
” कौन-सा पाप है ? “
महिला :
” आठ पाप इस मटके में है |
मैं चिल्लाकर कहती हूँ की मैं पाप बेचती हूँ पाप …
और लोग पैसे देकर पाप ले जाते है |”

अब महाकवि कालिदास को और आश्चर्य हुआ :

” पैसे देकर लोग पाप ले जातेहै ? “

महिला :
” हाँ, महाराज ! पैसे से खरीदकर लोग पाप ले जाते है | “

कालिदास :
” इस मटके में आठ पाप कौन-कौन से है ? “

महिला :
” क्रोध ,
बुद्धिनाश ,
यश का नाश ,
स्त्री एवं बच्चों के साथ अत्याचार
और अन्याय ,
चोरी ,
असत्य आदि दुराचार ,
पुण्य का नाश ,
और स्वास्थ्य का नाश …
ऐसे आठ प्रकार के
पाप इस घड़े में है | “

कालिदास को कौतुहल हुआ की यह तो बड़ी विचित्र बात है | किसी भी शास्त्र में नहीं आया है की मटके
में आठ प्रकार के
पाप होते है |

वे बोले : ”
आखिरकार इसमें क्या है ? ”

महिला : ” महाराज ! इसमें शराब है

शराब !
“ कालिदास महिला की कुशलता पर प्रसन्न होकर बोले:
” तुझे धन्यवाद है !
शराब में आठ प्रकार के पाप है यह तू जानती है और
‘ मैं पाप बेचती हूँ ‘
ऐसा कहकर बेचती है फिर भी लोग ले
जाते है |
धिक्कार है ऐसे लोगों को !

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