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शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

इस अनोखे कुंड में होता है सात समुद्रों का मिलन

इलाहाबाद के इस अनोखे कुंड में होता है सात समुद्रों का मिलन

संगम नगरी इलाहाबाद में केवल तीन नदियों के पानी का ही नहीं, ब्लकि सात समुंद्र के पानी का मिलन भी होता है। यह सुनने मे ज़रूर अजीब है पर यह सच है। इलाहाबाद मे एक ऐसा कुंआ है जो कई हज़ार साल पुराना है और सैकड़ों फीट गहरा है। पुराणों में यह वर्णन मिलता है कि‍ इस कुंए मे सात समुद्रों का जल आकर मिलता है। वर्तमान में यह कूप गंगा के किनारे एक विशाल, उंचे टीले पर स्थित है।

इस कूप का व्यास लगभग 22 फीट है। पत्थरों से बने इस कूप के जगत पर विष्णु का पदचाप एवं शिवजी की मूर्ति है। इस कूप को समुद्र कूप की संज्ञा दी गई है। समुद्रकूप का पूरा परिसर 10 से 12 फीट ऊंची ईंट की चहारदीवारी से घिरा है। समुद्रकूप के पास एक आश्रम भी है जहां यह वर्णन मिलता है कि‍ द्वापर युग मे पांडव लाक्षागृह से बचने के बाद यहां आए थे।

पद्म पुराण और भागवत पुराण मे यह वर्णन मिलता है कि‍ कई ह़जार वर्ष पहले चंद्र वंश के पहले पुरुष राजा पुरुरवा ने इलाहाबाद के समीप गंगा नदी के किनारे प्रतिष्ठान पुरी नामक नगर बसाया था। जो वर्तमान मे झूंसी कहलाता है। उन्होंने कई 100 सालों तक यही रह कर अपना शासन किया। उनके शासन के दौरान स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी भी उनके साथ करीब 100 साल तक उनके साथ यहीं रही। उर्वशी को ऋषि दुर्वासा ने तप मे बाधा उत्पन करने के कारण मृत्युक लोक मे रहने का श्राप दिया था। इन्ही राजा पुरुरवा और उर्वशी की संतान से चंद्र वंश चला और इशी चंद्र वंश की 65 कडी मे भगवान् कृष्ण ने जन्म लिया।

उन्ही राजा पुररवा ने ही इस समुद्र कूप का निर्माण करवाया था। राजा ने कई यज्ञ और अनुष्ठान के लिए सातों समुद्रों का आह्वान इस कूप मे किया था। तभी से इस कूप मे सातों समुंदरों का जल पाया जाता है। इस कूप का कुल व्यास करीब 22 मीटर का है तथा इसकी गहराई के बारे मे कोई अंदाजा नही लगया जा सकता। ऊपर से देखने पर यह करीब 100 फीट गहरा दिखाई देता है। पर जिन लोगों ने इस कुए में प्रवेश किया है, उनका मानना है कि‍ इस कुएं की सतह पर एक लोहे का तवा रखा हुआ है, जिसके अन्दर ना जाने कितना और गहरा इसका स्रोत है। इस कूप के चारो तरफ़ 10 से 12 फीट उची दीवार है। गंगा नदी के किनारे होने के बावजूद आज भी इस कुंए का पानी समुद्र के पानी की तरह खारा है जिससे यह साबित होता है कि‍ इस कूप मे समुद्र का जल है।

इस समुद्र कूप के पुजारी महंत बाल कृष्ण कहते है कि‍ इस समुद्र कूप का वर्णन पद्म पुराण और मत्स्य पुराण में भी मिलता है। जब द्वापर युग मे पांचो पांडव लाक्षा गृह से बच के आए थे तो उन्होंने यही पर रह कर इस कुंए के जल से अश्वमेघ यज्ञ किया था। यहीं से उनकी विजय के लिए ब्रह्मा जी ने उन्हे वरदान दिया था। पद्म पुराण मे यह वर्णन भी मिलता है कि एक मुनि ने इस कूप के बारे मे युधिष्ठि्‍र को बताया था।

यह वर्णन मिलता है कि‍ इस कूप के किनारे ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए क्रोध को शांत करके तीन रात तक यहां विश्राम कर ले तो उसके सब पाप कट जाते हैं। इसके जल का आचमन करने से परमपद की प्राप्ति होती है।

इस कूप के बारे मे मत्स्य पुराण मे भी लिखा गया है कि‍ प्रतिष्ठान पुरी में एक महान कूप है जिसके दर्शन मात्र से मनुष्य पाप रहित हो जाता है। अमावस्या पूर्णिमा और चंद्रग्रहण के समय इस कूप की परि‍क्रमा से पृथ्वी की परि‍क्रमा का फल मिलता है। यहां पर स्नान दान करने से यश प्राप्त होता है और अंत में इंसान स्वर्ग को प्राप्त होता है। कहा जाता है कि‍ महाकुम्भ में संगम किनारे कल्पवास करने की बाद अगर इस समुन्द्र्कूप के दर्शन नहीं किए जाये तो कल्पवास का सारा फल व्यर्थ हो जाता है।

वाह! चायवाले ने गरीब बच्चों के लिए खोल डाला स्कूल:-

वाह! चायवाले ने गरीब बच्चों के लिए खोल डाला स्कूल:-

कटक के एक छोटे से टी-स्टॉल का मालिक गरीब बच्चों की मदद करत करते उनके लिए एक शिक्षक भी बन गया।हर सुबह चाय के ठेला चलाने वा प्रकाश राव कुछ गरीब बच्चों को दूध बेचता है जो उसके स्टॉल के करीब आते हैं। अगर यह 55 साल का चायवाला इस ओर कदम नहीं बढ़ाता तो शायद यह बच्चे कभी पढ़ ही नहीं पाते।

प्रकाश को 11 कक्षा में छात्रवृत्ति के बाद भी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी जिसके कारण वह शिक्षा की अहमियत जान चुका था। इसके कारण ही प्रकाश ने बस्ती में रहने वाले बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया गया। इस गांव के 2 किमी के आस पास 4 सरकारी स्कूल हैं पर ज्यादातर मां बाप बेहद गरीब परिवार से हैं और वह अपने बच्चों को इस कारण वहां नहीं भेज सकते।

ऐसे बच्चों की मदद प्रकाश ने करी जिससे वह पास में ही अच्छी शिक्षा मुफ्त में ले पाएं।राव ने सभी बच्चों को कक्षा 3 तक पढ़ाता है और इसको पास करने वाले छात्रों को वह सरकारी स्कूल भेजने में भी मदद करता है।बस्ती में रहने वाली एक मां बी नागरातनम के मुताबिक स्कूल से बच्चों का मन पढ़ने में लग गया।इससे पहले सभी बच्चे आवारा घूमते रहते थे अब पढ़ाई में अपना ध्यान लगाकर वह अपना भविष्य बना रहे हैं।

हालांकि स्कूल बनाने का यह सपना इतना आसान नहीं था। प्रकाश को किसी वित्तीय संस्थान से कोई मदद नहीं मिली और उसने अपने बल पर यह काम पूरा किया। स्कूल के लिए पूरे महीने के किराया 10,000 रुपए होता है जिसमें 4 शिक्षकों का वेतन अलग होता है। प्रकाश अपने टी स्टॉल से 20,000 रुपए का फायदा महीने में कमाता है और कभी किसी बिल के भुगतान में देरी नहीं करता।

मौसमी फलों का सेवन अवश्य करना चाहिए।




मकोय (रसभरी)

- आजकल मकोय के फलों का मौसम चल रहा है।मौसमी फलों का सेवन अवश्य करना चाहिए।

- यह हर जगह अपने आप ही उग जाती है। सर्दियों में इसके नन्हे नन्हे लाल लाल फल बहुत अच्छे लगते हैं ।ये फल बहुत स्वादिष्ट होते हैं और लाभदायक भी।इसके फल जामुनी रंग के या हलके पीले -लाल रंग के होते हैं ।

- मकोय के फल सवेरे सवेरे खाली पेट खाने से अपच की बीमारी ठीक होती है।

- शहद मकोय के गुणों को सुरक्षित रख कर दोषों... को दूर करता है।

- यह वात , पित्त और कफ नाशक होता है।

- यह सूजन और दर्द को दूर करता है।

- शुगर की बीमारी हो या फिर कमजोरी हो तो मकोय के सूखे बीजों का पावडर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें . किडनी की बीमारी हों तो 10-15 दिन लगातार इसकी सब्जी खाइए . इसके 10 ग्राम सूखे पंचांग का 200 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें .

- बुढापे में हृदय गति कम हो जाए तो इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें । हृदय की किसी भी प्रकार की बीमारी के लिए 5 ग्राम मकोय का पंचांग और 5 ग्राम अर्जुन की छाल ; दोनों को मिलाकर 400 ग्राम पानी में पकाएँ । जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें ।

- लीवर ठीक नहीं है , पेट खराब है , आँतों में infection है , spleen बढ़ी हुई है या फिर पेट में पानी भर गया है ; सभी का इलाज है मकोय की सब्जी . रोज़ इसकी सब्जी खाएं । या फिर इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें ।

- पीलिया होने पर इसके पत्तों का रस 2-4 चम्मच पानी मिलाकर ले लें ।

- अगर नींद न आये तो इसकी 10 ग्राम जड़ का काढ़ा लें । अगर साथ में गुड भी मिला लें तो नींद तो अच्छी आयेगी ही साथ ही सवेरे पेट भी अच्छे से साफ़ होगा ।

- त्वचा सम्बन्धी बीमारियाँ भी इसके नित्य प्रयोग से ठीक होती हैं ।

- यह सर्दी -खांसी , श्वास के रोग , हिचकी आदि को ठीक करता है।

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