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रविवार, 17 मार्च 2013

आयुर्वेद जो आपके स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होंगे.

आयुर्वेद तो जीवन का सौन्दर्य हैं, इस श्रंखला में हम आपको कुछ सरल उपयोगी उपाय आपके सामने रखते हैं जो आपके स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होंगे.
1. यदि शहद दो /तीन चमच्च यदि पानी के साथ सोने से पहले ली जाये तो यह शरीर का वजन कम करने केलिए बहुत अच्छा उपाय हैं पर या किसी भी हाल में २ / ३ महीने से ज्यादा उपयोग नहीं करना चाहिए .
2. यदि शहद दो /तीन चमच्च यदि दूध के साथ सोने से पहले ली जाये तो यह शरीर का वजन बढ़ाने करने केलिए बहुत अच्छा उपाय हैं पर या किसी भी हाल में २ / ३ महीने से ज्यादा उपयोग नहीं करना चाहिए .
3. प्याज ओर शहद का बराबर मात्रा में लिया गया मिश्रण कफ नष्ट करता हैं
4. नारियल के तेल से किसी भी मौसम में मालिश करना अच्छा रहता हैं .
5. एक/दो चम्मच अश्वगंधा का चूर्ण खाने के बाद एक गिलास मीठा दूध पी लेना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता हैं .
6. यदि आप थके हुए हैं तो दो/तीन बूँद शहद की एक गिलास पानी में डाल कर पी लीजिये तुरंत शक्ति अनुभव होगी .
7. यदि अर्जुन पेड़ की छाल को चाय की पत्ती की तरह , चाय बनाने मेंप्रयोग करे तो यह ह्रदय के लिए बहुत ही अच्छी होती हैं
8. यदि खाना खाने के बाद ३ ग्राम अर्जुन पेड़ की छाल को पानी के साथ लिया जाये तो स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती हैं .
9. रात्रि काल में दही या खट्टी चीजे नहीं खाना चाहिए
10. हल्दी ओर प्याज को मिक्स करके हल्का सा गर्म करके जहाँ पर दर्द हो रहा हो एक लेप की तरह लगाये यह मोच ओर इन्टरनल पैन के लिए अच्छा होता हैं ( पर यदि कोई muscular pain स्टार्ट हुआ हैं तो पहले दो दिन तो उस जगह पर बर्फ किसी कपडे में लपेट कर हल्का हल्का लगाये .)

आपका चश्मा उतर सकता है।

ज्यादा टी.वी. देखने लगातार कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम करने या अन्य कारणों से अक्सर देखने में आता है कि कम उम्र के लोगों को भी जल्दी ही मोटे नम्बर का चश्मा चढ़ जाता है। अगर आपको भी चश्मा लगा है तो आपका चश्मा उतर सकता है। नीचे बताए नुस्खों को चालीस दिनों तक प्रयोग में लाएं। निश्चित ही चश्मा उतर जाएगा साथ थी आंखों की रोशनी भी तेज होगी।

सुबह नंगे पैर घास पर मार्निंग वॉक करें।

नियमित रूप से अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें।

बादाम की गिरी, बड़ी सौंफ और मिश्री तीनों का पावडर बनाकर रोज एक चम्मच एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें।

त्रिफला के पानी से आंखें धोने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

पैर के तलवों में सरसों का तेल मालिश करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

सुबह उठते ही मुंह में ठण्डा पानी भरकर मुंह फुलाकर आंखों पर छींटे मारने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

लौंग के औषधीय प्रयोग

लौंग के औषधीय प्रयोग
लौंग भले ही छोटी है, मगर उसके प्रभाव बड़े गुणकारी हैं। साथ ही लौंग का तेल भी काफी लाभकारी होता है।लौंग को वैसे तो मसाले के रूप में सदियों से उपयोग में लाया जा रहा है। लेकिन किचन में उपस्थित इस मसाले के अमूल्य औषधीय गुणों के बारे में कम ही लोग जानते हैं। आज हम बताने जा रहे हैं लौंग के कुछ ऐसे ही औषधीय प्रयोगों के बारे में.....
लौंग में कार्बोहाइड्रेट, नमी, प्रोटीन, वाष्पशील तेल, वसा जैसे तत्वों से भरपूर होता है। इसके अलावा लौंग में खनिज पदार्थ, हाइड्रोक्लोरिक एसिड में न घुलने वाली राख, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, सोडियम, पोटेशियम, विटामिन सी और ए भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं तीखी लोंग के ऐसे ही कुछ प्रयोग जो आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं।

- खाना खाने के बाद 1-1 लौंग सुबह-शाम खाने से एसीडिटी ठीक हो जाती है।

-15 ग्राम हरे आंवलों का रस, पांच पिसी हुई लौंग, एक चम्मच शहद और एक चम्मच चीनी मिलाकर रोगी को पिलाएं इससे एसीडिटी ठीक हो जाता है।

- लौंग को गरम कर जल में घिसकर माथे पर लगाने से सिर दर्द गायब हो जाता है।

- लौंग को पीसकर एक चम्मच शक्कर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर उबाल लें व ठंडा कर लें। इसे पीने से उल्टी होना व जी मिचलाना बंद हो जाता है।

- लौंग सेंककर मुंह में रखने से गले की सूजन व सूखे कफ का नाश होता है।

- सिर दर्द, दांत दर्द व गठिया में लौंग के तेल का लेप करने से शीघ्र लाभ मिलता है।

- गर्भवती स्त्री को अगर ज्यादा उल्टियां हो रही हों तो लौंग का चूर्ण शहद के साथ चटाने से लाभ होता है।

- लौंग का तेल मिश्री पर डालकर सेवन करने से पेटदर्द में लाभ होता है।

- एक लौंग पीस कर गर्म पानी से फांक लें। इस तरह तीन बार लेने से सामान्य बुखार दूर हो जाएगा।

- लौंग दमा रोगियों के लिए विशेषरूप से लाभदायक है। लौंग नेत्रों के लिए हितकारी, क्षय रोग का नाश करने वाली है।

संक्रमण::
एंटीसेप्टिक गुणों के कारण यह चोट, घाव, खुजली और संक्रमण में भी काफी उपयोगी होता है। इसका उपयोग कीटों के काटने या डंक मारने पर भी किया जाता है लेकिन संवेदनशाल त्वचा पर इसे नहीं लगाना चाहिए।

तनाव::
अपने विशिष्ट गुण के कारण यह मानसिक दबाव और थकान को कम करने का काम करता है। यह अनिद्रा के मरीजों और मानसिक बीमारियों जैसे कम होती याददाश्त, अवसाद और तनाव में उपयोगी होता है।

- लौंग और हल्दी पीस कर लगाने से नासूर मिटता है।

- चार लौंग पीस कर पानी में घोल कर पिलाने से बुखार ठीक हो जाती है।

डायबिटीज::
खून की सफाई के साथ-साथ लौंग का तेल ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मददगार होता है।

हकलाने की आयुर्वेदिक चिकित्सा

हकलाने की आयुर्वेदिक चिकित्सा

हकलाकर बोलना और अटक-अटक कर बोलना, दोनों का मतलब एक ही है - वाक् शक्ति में गड़बड़ी, जिसमे बोलनेवाला, बोले हुए शब्दों को दोहराता है या उन्हें लंबा करके बोलता है। हकलाने वाला या अटक कर बोलने वाला, बोलते-बोलते रुक सकता है या कुछेक शब्दांशों की कुछ आवाज़ ही नहीं निकाल पाता।

हकलाने और अटककर बोलने की बीमारी अधिकतर बच्चों में पाई जाती है और हकलाने वाले बच्चों के माता पिता को बच्चों की यह बीमारी असीमित परेशानी में डाल देती है, और बच्चों को निराशा से भर देती है और फिर, आजकल के मशीनी युग में बच्चों में यह बीमारी इतनी गहन भावनाएं पैदा करती है, कि विचारों और अनुभवों को शब्दों में परवर्तित करना मुश्किल हो जाता है।

हकलाने के लक्षण और संकेत
• किसी शब्द, वाक्य, पंक्ति को शुरू करने में समस्या, कुछ शब्दों को बोलने से पहले हिचकिचाहट महसूस करना, किसी शब्द, आवाज़ या शब्दांश को दोहराना, वाक्य तेज़ गति से निकलना इत्यादि।
• बोलते समय तेज़ गति से आँखें भीचना, होठों में कंपकंपाहट, पैरों को ज़मीन पर थपथपाना, जबड़े का हिलना इत्यादि।
• कुछ आवाज़ निकालने से पहले 'उहं' जैसा विस्मयबोधक शब्द का बार बार इस्तेमाल करना।

हकलाहट के आयुर्वेदिक उपचार

• गुनगुने ब्राह्मी तेल से सिर पर 30 से 40 मिनट तक मालिश करें। उसके बाद गुनगुने पानी से नहा लें। इससे स्मरण शक्ति में सुधार होता है और अटककर और हकला कर बोलने का दोष मिट जाता है ।
• एक चम्मच सारस्वत चूर्ण और 1/2 चम्मच ब्राह्मी किरुथम शहद में मिला दें। इस मिश्रण को चावल के गोलों में मिलाकर मुँह में रखकर अच्छी तरह से चबाने से हकलाहट में लाभ मिलता है। बेहतर होगा अगर आप इसका सेवन नाश्ते के रूप में चटनी जैसा करें।नाश्ते के बाद 30 मिलीलीटर सारस्वतारिष्ट लेने से हकलाहट में लाभ मिलेगा।
• गाय का घी हकलाहट को दूर करने का एक उम्दा उपचार माना जाता है।
• कुछ कोथमीर के बीज और पाम कैंडी वल्लाराई के पत्तों में रखकर चबाने से हकलाहट दूर हो जाती है। वल्लाराई के पत्तों को धूप में सुखाकर पाउडर बना लें और इस पाउडर का नियमित रूप से सेवन करने से भी हकलाहट दूर हो जाती है।
• नियमित रूप से एक आँवले का सेवन करने से हकलाहट कम होती है । सुबह सवेरे एक चम्मच सूखे आँवले का पाउडर और एक चम्मच देसी घी का सेवन करने से भी हकलाहट में लाभ मिलता है।
• 12 बादाम पूरी रात पानी में सोख कर रखें, और सुबह उनके छिलके उतार कर पीस लें, और उन्हें 30 ग्राम मक्खन के साथ सेवन करने से भी हकलाहट में लाभ मिलता है।
• हकलाहट दूर करने के लिए 10 बादाम और 10 काली मिर्च मिश्री के साथ पीस कर दस दिन तक सेवन करें।
• सोने से पहले छुआरों का सेवन करें पर कम से कम 2 घंटों तक पानी न पीयें। इससे आवाज़ भी साफ़ हो जायेगी और हकलाहट भी दूर हो जायेगी।
• सूर्य की तरफ पीठ करके एक आइना पकड़कर और मुँह खोलकर ऐसी स्थिति में बैठें ताकि सूर्य की रोशनी आईने से प्रतिम्बिबित होकर आपके खुले मुँह में प्रवेश करे। गहरी साँस लें और धीरे धीरे अपना मुँह खोलें, और आईने को अपनी जीभ पर प्रतिम्बिबित करें। जीभ आपके मुँह के निचले भाग की तरफ होनी चाहिए अगर आपने सही तरह से निर्देशों का पालन किया है। अपनी जीभ को ढीला छोड़ दें, उसे कभी भी कड़ा न करें, क्योंकि ऐसा करने से हकलाहट बनी रहेगी। स्पष्ट रूप से 'क्या हो' शब्द का बार बार उच्चारण करें। आपकी जीभ को सुचारू रूप से कार्यशील करने के लिए यह एक उत्तम उपाय माना जाता है।

अगर आपके बच्चे की हकलाने की आदत 6 महीने से ज़्यादा और 5 वर्ष की उम्र से ज़्यादा तक जारी रहती है तो तुरंत किसी विशेषज्ञ की सलाह लें।

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