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शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

अपामार्ग (अघाडा)----

अपामार्ग (अघाडा)----
बचपन में गौरी गणपति की पूजा के समय अक्सर माँ इसके पत्ते लाने भेजती थी और हम इसे ढूंढ नहीं पाते थे , पर अब इसके गुण जान लिए तो इसे बागीचों में बारिश के बाद उगता देख कर पहचान गए .
अपां दोषान् मार्जयति संशोधयति इति अपामार्गः । अर्थात् जो दोषों का संशोधन करे, उसे अपामार्ग कहते हैं ।
गणेश पूजा , हरतालिका पूजा , मंगला गौरी पूजा आदि में पत्र पूजा में अपामार्ग के पत्ते और कई तरह के पत्ते इसलिए इस्तेमाल होते है ताकि हम इन आयुर्वेदिक रूप से महत्वपूर्ण पेड़ पौधों की पहचान भूले नहीं और ज़रुरत के समय इनका सदुपयोग कर सके .वर्षा के साथ ही यह अंकुरित होती है, ऋतु के अंत तक बढ़ती है तथा शीत ऋतु में पुष्प फलों से शोभित होती है । ग्रीष्म ऋतु की गर्मी में परिपक्व होकर फलों के साथ ही क्षुप भी शुष्क हो जाता है । इसके पुष्प हरी गुलाबी आभा युक्त तथा बीज चावल सदृश होते हैं, जिन्हें ताण्डूल कहते हैं ।
शरद ऋतु के अंत में पंचांग का संग्रह करके छाया में सुखाकर बन्द पात्रों में रखते हैं । बीज तथा मूल के पौधे के सूखने पर संग्रहीत करते हैं । इन्हें एक वर्ष तक प्रयुक्त किया जा सकता है ।

इसे अघाडा ,लटजीरा या चिरचिटा भी कहा जाता है .

- इसकी दातून करने से दांत १०० वर्ष तक मज़बूत रहते है . इसके पत्ते चबाने से दांत दर्द में राहत मिलती है और कैविटी भी धीरे धीरे भर जाती है .

- इसके बीजों का चूर्ण सूंघने से आधा सीसी में लाभ होता है . इससे मस्तिष्क में जमा हुआ कफ निकल जाता है और वहां के कीड़े भी झड जाते है .

- इसके पत्तों को पीसकर लगाने से फोड़े फुंसी और गांठ तक ठीक हो जाती है .

- इसकी जड़ को कमर में धागे से बाँध देने से प्रसव सुख पूर्वक हो जाता है . प्रसव के बाद इसे हटा देना चाहिए .

- ज़हरीले कीड़े काटने पर इसके पत्तों को पीसकर लगा देने से आराम मिलता है .

- गर्भ धारण के लिए इसकी १० ग्राम पत्तियाँ या जड़ को गाय के दूध के साथ ४ दिन सुबह ,दोपहर और शाम में ले . यह प्रयोग अधिकतर तीन बार करे .

- इसकी ५-१० ग्राम जड़ को पानी के साथ घोलकर लेने से पथरी निकल जाती है .

- अपामार्ग क्षार या इसकी जड़ श्वास में बहुत लाभ दायक है .

- इसकी जड़ के रस को तेल में पका ले . यह तेल कान के रोग जैसे बहरापन , पानी आना आदि के लिए लाभकारी है .

- इसकी जड़ का रस आँखों के रोग जैसे फूली , लालिमा , जलन आदि लिए अच्छा होता है .

- इसके बीज चावल की तरह दीखते है , इन्हें तंडुल कहते है . यदि स्वस्थ व्यक्ति इन्हें खा ले तो उसकी भूख -प्यास आदि समाप्त हो जाती है . पर इसकी खीर उनके लिए वरदान है जो भयंकर मोटापे के बाद भी भूख को नियंत्रित नहीं कर पाते .
- जानवरों के काटने व सांप, बिच्छू, जहरीले कीड़ों के काटे स्थान पर अपामार्ग के पत्तों का ताजा रस लगाने और पत्तों का रस 2 चम्मच की मात्रा में 2 बार पिलाने से विष का असर तुरंत घट जाता है और जलन तथा दर्द में आराम मिलता है। इसके पत्तों की पिसी हुई लुगदी को दंश के स्थान पर पट्टी से बांध देने से सूजन नहीं आती और दर्द दूर हो जाता है। सूजन चढ़ चुकी हो तो शीघ्र ही उतर जाती है.

रोजाना तुलसी के 5 पत्ते खाने के अनोखे फायदे :--


रोजाना तुलसी के 5 पत्ते खाने के अनोखे फायदे :--
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बारिश के मौसम में रोजाना तुलसी के 5 पत्ते खाने के
अनोखे फायदे

तुलसी एक ऐसा पौधा है जो कई तरह के अद्भुत औषधिय गुणों से भरपूर है। हिन्दू धर्म में तुलसी को इसके अनगिनत औषधीय गुणों के कारण पूज्य माना गया है।

यही कारण है कि हिन्दू धर्म में तुलसी से जुड़ी अनेक धार्मिक मान्यताएं है और हिन्दू धर्म में तुलसी को घर में लगाना अनिवार्य माना गया है। आज हम बात कर रहे हैं
तुलसी के कुछ ऐसे ही गुणों के बारे में.... -

मासिक धर्म के दौरान कमर में दर्द हो रहा हो तो एक चम्मच तुलसी का रस लें। इसके अलावा तुलसी के पत्ते चबाने से भी मासिक धर्म नियमित रहता है।

- बारिश के मौसम में रोजाना तुलसी के पांच पत्ते खाने से
मौसमी बुखार व जुकाम जैसी समस्याएं दूर रहती है।
तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण
दूर हो जाता है। मुंह के छाले दूर होते हैं व दांत भी स्वस्थ रहते हैं।

- सुबह पानी के साथ तुलसी की पत्तियां निगलने से
कई प्रकार की बीमारियां व संक्रामक रोग नहीं होते हैं।
दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में
रोजाना तुलसी खाने व तुलसी के अर्क को प्रभावित
जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है।

- तुलसी की जड़ का काढ़ा ज्वर (बुखार) नाशक होता है।
तुलसी, अदरक और मुलैठी को घोटकर शहद के साथ लेने
से सर्दी के बुखार में आराम होता है।

जलने पर अपनाएं तुरंत यह उपचार

जलने पर अपनाएं तुरंत यह उपचार
जब भी कभी हाथ या शरीर का कोई भी हिस्सा जल जाए, तो परेशान ना हों। इसके लिये घर पर मौजूद कुछ ऐसे समानों का प्रयोग करें, जिससे व्यक्ति को तुरंत ही राहत मिल जाए। बाद में आप डॉक्टर के पास जा कर इसका इलाज करवा सकते हैं। आइये जानते हैं कि क्या हैं वे सामग्री जिसे आप जलने पर तुरंत ही प्रयोग कर सकती हैं।

1. टमाटर- इसमें कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जिसको तुरंत लगाने से जले हुए भाग को आराम मिल जाता है। हाथ जल जाने पर एक टमाटर का स्लाइस काटे और वह जब तक सूख ना जाए तब तक उसे जले हुए भाग पर लगाए रखें। आप हैरान रह जाएंगे कि आपका हाथ कितनी जल्दी सही हो चुका होगा।

2. अंडे की सफेदी- जब स्किन जल जाती है तो उसमें बड़ी ही तेजी से जलन होने लगती है। इसी जलन को मिटाने के लिये अंडे़ का सफेद भाग लगाइये और उसे कुछ देर के लिये सूखने दीजिये। इसको कई बार तक लगाना पडे़गा जिससे दर्द चला जाए और दाग ना पडे़।

3. हल्दी पेस्ट- हल्दी में लाजवाब शक्ति होती है, वह दर्द को पल भर में सोख लेती है। हल्दी को जले हुए भाग पर लगाइये और सूखने दीजिये। जब यह सूख जाए तब इसे धोइये और दुबारा से पेस्ट लगाइये। ऐसा बार-बार करने से आपका दर्द तुरंत दूर हो जाएगा।

4. एलो वेरा- यह एक जादुई पौधा है जो कि कई समस्याओं में महत्वपूर्ण हिस्सा अदा करता है। अगर आपके घर पर एलो वेरा का पौधा है तो उसके पत्ते को काट कर अपने जले हुए हिस्से पर तुरंत लगा लीजिये। यह आपको जलन से तुरंत ही राहत दिलायेगा क्योंकि यह बहुत ठंडा होता है।

5. टूथपेस्ट- यह दर्द को बहुत ही अच्छी प्रकार से दूर कर देता है। किसी भी जले हुए स्थान पर सफेद टूथपेस्ट लगा दीजिये और सूखने दीजिये। जरुरत पडने पर आप इसे एक समय में 2-3 बार लगा सकते हैं।

बर्न्स के लिए प्राथमिक उपचार

छोटे बर्न्स (पहली और दूसरी डिग्री के बर्न्स) जिनका क्षेत्रफल 3 इंच व्यास से कम का है उनका इलाज घर पर किया जा सकता है। मामूली बर्न्स के लिए प्राथमिक उपचार में ये शामिल हैं
• बर्न को ठंडा करें: बर्न को 10-15 मिनट के लिए या दर्द कम होने तक नल के नीचे ठंडे पानी में भिगोएं। यदि नल के नीचे भिगोना संभव नहीं है तो बर्न को ठंडे पानी में डुबो दें या इसे कोल्ड कम्प्रैसेस (ठंडी पट्टी) से ठंडा करें। जलने पर बर्फ न लगाएं।
• पट्टी लगाएं: जीवाणुरहित पट्टी से जले क्षेत्र को सुरक्षित करें। ढकने के लिए रुई का इस्तेमाल न करें इससे जलन हो सकती है। पट्टी को हलके से लगाएं जिससे जली त्वचा पर अनुचित दबाव न पड़े। जले क्षेत्र पर पट्टी करने से दर्द को कम करने में मदद मिलती है और फफोले पड़ी त्वचा सुरक्षित रहती है।

आपको क्या नहीं करना चाहिए?
• जले क्षेत्र पर बर्फ न लगाएं।
• जले पर मक्खन या मलहम न लगाएं।
• फफोले न फोड़ें क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
व्यापक या तीसरे डिग्री बर्न का घर पर इलाज न करें।Ayurveda

किसी भी प्रकार से प्रमुख रुप से जलने पर अपने बच्चे को तुरंत अस्पताल ले जाएं। अस्पताल पहुंचने तक इन चरणों का पालन करें
• जली हुई जगह से चिपके किसी भी कपड़े को न उतारें।
• गंभीर रुप से जले क्षेत्रों को पानी में न भिगोएं या कोई मरहम न लगाएं। जीवाणुरहित पट्टी या साफ कपड़े से जली सतह को ठकें।
• सांस लेने, खांसने या गतिविधि की जांच करें। यदि बच्चा सांस नहीं ले रहा है या परिसंचलन के अन्य लक्षण अनुपस्थित हैं तो कार्डियोपल्मोनरी रेसुसिटेशन (सीपीआर) शुरू करें।
यदि संभव हो तो शरीर के जले हिस्से दिल के स्तर से ऊपर उठाएं।

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