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सोमवार, 4 मई 2015

क्या खूब दवा है ये जीरा

क्या खूब दवा है ये जीरा
जीरा तो हर घर में पाया जाता है ,अधिकाँश गृहिणियों को इसके लाभ की भी जानकारी है, वे सभी इसकी सहायता से बड़े बड़े रोगों पर काबू पा लेती हैं जीरा दो प्रकार का होता है- सफ़ेद जीरा (Cuminum cyminum) जो हम मसाले और छौंकने में प्रयोग करते हैं ,दुसरा काला जीरा (Carum carvi) जो प्रायः औषधीय कार्यों में ही प्रयोग होता है। सफ़ेद जीरा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब में बोया जाता है। सर्दी के अंत में इस पौधे पर फूल और फल आते हैं। जीरे में कार्बोहाइड्रेट ,प्रोटीन, फाइबर ,मिनरल,पेन्टोसोन , कैल्शियम ,फास्पोरस आयरन, विटामिन-ए और सी ,क्यूमिक एल्डीहाइड आदि तत्व पाये जाते हैं।
काला जीरा पर्वतीय फसल है। यह कश्मीर ,कुमायूं ,गढ़वाल ,उत्तरी हिमालय तथा अफगानिस्तान और ईरान में बोया जाता है। इसमें एक तेल होने के कारण इसकी गंध बहुत तीखी होती है।

जीरा सौंदर्य बढता है। जीरा उबाल कर उस पानी से रोजाना मुख धुलिये। चेहरा खिल उठेगा।
जीरा दूध बढ़ाता है। खीर में मेवे की जगह १ चम्म्च जीरा डालिये। ये खीर खाने से दूध बढ़ जाएगा।
जीरा गहरी नींद लाता है। सोते समय भून कर पिसे हुए जीरे के चूर्ण को गरम दूध से फांक लीजिये ,लगभग ४ ग्राम ,देखिये कितनी अच्छी नींद आती है।
आपको ब्लड -प्रेशर भी है, एसिडिटी भी है, भूख भी नहीं लगती तो जीरे की शरण में जाइये। १०० ग्राम जीरा २५ ग्राम काली मिर्च और १२५ ग्राम मिश्री या बूरा मिला कर पीस लीजिये ,१-१ चम्म्च पानी से निगल लीजिये सुबह शाम दोनों समय। कम से कम १ माह तक लगातार।
जीरा कैंसर से बचाता है ,हर हाल में दोनों समय जीरा भोजन में प्रयोग कीजिये।
जीरा हीमोग्लोबिन भी बढ़ाता है और प्रतिरोधक क्षमता भी।
जीरा हमारी त्वचा का सबसे अच्छा दोस्त है। जीरे का पतला पेस्ट तैयार कीजिये ,इस पेस्ट को साबुन की तरह पुरे बदन पर खूब मलिए। फिर सादे पानी से बिना साबुन के नहा लीजिये। सप्ताह में कम से कम एक बार इस क्रिया को करते रहने से स्किन डिजीज आपसे कोसों दूर रहेगी।
जीरा मुंह की बदबू भी दूर करता है। भुने हुए जीरे को चबा-चबाकर चूसिये।
खट्टी डकारें आ रही हो तो भुने हुए जीरे के चूर्ण में सेंधा नमक मिलाकर गर्म पानी से निगलिये ,एक-एक घंटे के अंतराल पर ३ बार लेना काफी होगा। पेट हल्का हो जाएगा।
जीरा उल्टियां भी रोकता है। २ ग्राम जीरे के चूर्ण को एक गिलास पानी में डालिये ,स्वाद केअनुसार सेंधा नमक और नीबू मिलाइये और पी लीजिये ,तुरंत उलटी रुक जायेगी।
पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा हो तो २-३ ग्राम जीरे का चूर्ण शहद मिलाकर चाट लीजिये ,१० मिनट में ही दर्द गायब हो जाएगा।
जीरा पेट के कीड़े भी मारता है। २ ग्राम भुने हुए जीरे का चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह खाली पेट चटाइए। कीड़े मल के साथ बाहर निकल जायेंगे।
जीरे से एक पाचक चूर्ण आप घर में बनाकर रखिये-जीरा सौंफ धनिया ५०-५० ग्राम लीजिये और भून लीजिये फिर इसमें ५० ग्राम अनारदाना ,२५ ग्राम काला नमक, १० ग्राम सेंधा नमक मिलाइये और सबके वजन के बराबर चीनी मिलाइये। एक साथ महीन पीस लीजिये अब इस मिश्रण में ३ नीबू का रस मिला दीजिये। तैयार हो गया पाचक चूर्ण। सुबह शाम १-१ चम्म्च खाइये या आवश्यकतानुसार खाइये।
जीरे से मंजन भी बनता है जो मसूड़ा सूज जाए तो बहुत काम आता है। २० ग्राम जीरा भून लीजिये उसमे २० ग्राम सेंधा नमक मिलाइये और महीन पीस लीजिये ,अब इससे मंजन करिये दांत मजबूत होंगे ,मसूड़ों की सूजन ख़त्म होगी। १०० तरह के पेस्ट पर यह अकेला मंजन भारी है।
जीरा गर्भवती नारी के लिए वरदान है। गर्भ के दौरान कब्ज होती है ,जिसकी वजह से बवासीर हो जाना आम बात है। कभी कभी खूनी बवासीर भी हो जाती है। ऎसी दशा में १-१ चम्म्च जीरा ,सौंफ और धनिया लीजिये रात में भीगा दीजिये एक गिलास पानी में। सवेरे इस पानी को उबालिये और आधा पानी जल जाय तो एक चम्म्च देशी घी मिलाकर पी लीजिये। यह काम सुबह शाम ५ दिनों तक कीजिये। बस रोग ख़त्म।
कालाजीरा हार्ट अटैक के खतरे को ख़त्म कर देता है। २-२ ग्राम काले जीरे का पाउडर शहद में मिलाकर सुबह शाम चाटिये।
काले जीरे को पानी में उबालकर उस पानी में बैठ जाइये तो खूनी बवासीर, और गर्भाशय और योनि की खुजली तीनो में फायदा मिलेगा।
नवजात शिशु के मर जाने पर माता के स्तनों का दूध सुखाने के लिए काले जीरे को पानी में पीस कर लेप कर देना चाहिए ,अन्यथा या तो दूध बहता रहेगा या स्तनो में ही एकत्र होकर गांठ का रूप ले लेगा।
जहरीले बिच्छू आदि के काटने पर जीरे के चूर्ण और नमक को बराबर मात्रा में मिला कर फिर उसमे घी मिलाकर मलहम बनाइये और काटे हुए स्थल पर लेप कर दीजिये। जहर उतर जायेगा।
बहुत पुराना बुखार हो या मलेरिया हो ,काले जीरे का २-३ ग्राम पाउडर गुड मिला कर खा लीजिये। सुबह दोपहर शाम तीन बार ,बुखार गायब।

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शनिवार, 2 मई 2015

कालसर्प योग के प्रकार

सर्पदोष जिसे काल सर्प योग आज कल कहा जाता है
 
जव राहु ओर केतु के वीच सभ गृह हो तव यह योग वनता है
कालसर्प बारह प्रकार का होता है
कालसर्प योग के प्रकार
मूलरूप से कालसर्प योग के बारह प्रकार होते हैं |
इन्हें यदि 12 लग्नों में विभाजित कर दें तो
12 x 12 =144 प्रकार के कालसर्प योग संभव हैं |
परन्तु 144 प्रकार के कालसर्प योग तब संभव हैं जब शेष 7 ग्रह राहु से केतु के मध्य स्थित होँ |
यदि शेष 7 ग्रह केतु से राहु के मध्य स्थित होँ, तो 12 x 12 = 144
प्रकार के कालसर्प योग संभव हैं |
इसी प्रकार से कुल 144 + 144 = 288 प्रकार के कालसर्प योग स्थापित हो सकते हैं |
यह सभी प्रकार के कालसर्प योगों का प्रतिफल एकदूसरे से भिन्न होता है |
मूलरूप से कालसर्प योग 12 प्रकार ●
[1] अनंत कालसर्प योग
[2] कुलिक कालसर्प योग
[3] वासुकि कालसर्प योग
[4] शंखपाल कालसर्प योग
[5] पदम कालसर्प योग
[6] महापदम कालसर्प योग
[7] तक्षक कालसर्प योग
[8] कारकोटक कालसर्प योग
[9] शंखचूड़ कालसर्प योग
[10] घातक कालसर्प योग
[11] विषधर कालसर्प योग
[12] शेषनाग कालसर्प योग
कालसर्प दोष और कष्ट
[1] अनंत कालसर्प यो
यदि लग्न में राहु एवं सप्तम् में केतु हो, तो यह योग बनता है | जातक कभी शांत नहीं रहता झूठ बोलना एवं षड़यंत्रों में फंस कर कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाता रहता है ||
[2] कुलिक कालसर्प योग
यदि राहु धन भाव में एवं केतु अष्टम हो, तो यह योग बनता है | इस योग में पुत्र एवं जीवन साथी सुख, गुर्दे की बीमारी, पिता सुख का अभाव एवं कदम कदम पर अपमान सहना पड़ सकता है ||
[3] वासुकी कालसर्प योग
यदि कुंडली के तृतीय भाव में राहु एवं नवम भाव में केतु हो एवं इसके मध्य सारे ग्रह हों, तो यह योग बनता है | इस योग में भाई-बहन को कष्ट, पराक्रम में कमी, भाग्योदय में बाधा, नौकरी में कष्ट, विदेश प्रवास में कष्ट उठाने पड़ते हैं ||
[4] शंखपाल कालसर्प योग
यदि राहु नवम् में एवं केतु तृतीय में हो, तो यह योग बनता है | जातक भाग्यहीन हो अपमानित होता है, पिता का सुख नहीं मिलता एवं नौकरी में बार-बार निलंबित होता है ||
[5] पद्म कालसर्प योग
अगर पंचम भाव में राहु एवं एकादश में केतु हो तो यह योग बनता है | इस योग में संतान सुख का अभाव एवं वृद्धा अवस्था में दुखद होता है शत्रु बहुत होते हैं, सट्टे में भारी हानि होती है ||
[6] महापद्म कालसर्प यो
यदि राहु छठें भाव में एवं केतु व्यय भाव में हो, तो यह योग बनता है | इसमें पत्नी विरह, आय में कमी, चरित्र हनन का कष्ट भोगना पड़ता है ||
[7] तक्षक कालसर्प योग
यदि राहु सप्तम् में एवं केतु लग्न में हो तो यह योग बनता है | ऐसे जातक की पैतृक संपत्ति नष्ट होती है, पत्नी सुख नहीं मिलता, बार-बार जेल यात्र करनी पड़ती है ||
[8] कर्कोटक कालसर्प योग
यदि राहु अष्टम में एवं केतु धन भाव में हो, तो यह योग बनता है | इस योग में भाग्य को लेकर परेशानी होगी नौकरी की संभावनाएं कम रहती है, व्यापार नहीं चलता, पैतृक संपत्ति नहीं मिलती और नाना प्रकार की बीमारियां घेर लेती हैं ||
[9] शंखचूड़ कालसर्प योग
यदि राहु सुख भाव में एवं केतु कर्म भाव में हो, तो यह योग बनता है | ऐसे जातक के व्यवसाय में उतार-चढ़ाव एवं स्वास्थ्य खराब रहता है ||
[10] घातक कालसर्प योग
यदि राहु दशम् एवं केतु सुख भाव में हो तो यह योग बनता है | ऐसे जातक संतान के रोग से परेशान रहते हैं, माता या पिता का वियोग होता है ||
[11] विषधर कालसर्प योग
यदि राहु लाभ में एवं केतु पुत्र भाव में हो तो यह योग बनता है | ऐसा जातक घर से दूर रहता है, भाईयों से विवाद रहता है, हृदय रोग होता है एवं शरीर जर्जर हो जाता है ||
[12] शेषनाग कालसर्प योग
यदि राहु व्यय में एवं केतु रोग में हो, तो यह योग बनता है | ऐसे जातक शत्रुओं से पीड़ित हो शरीर सुखित नहीं रहेगा, आंख खराब होगा एवं न्यायालय का चक्कर लगाता रहेगा ||

सोमवार, 20 अप्रैल 2015

वाटर थिरेपी : डॉ हिरेन पटेल

वाटर थिरेपी : डॉ हिरेन पटेल
यह लेख आपके जीवन के लिए बेहद उपयोगी है अगर इसे आपने समझ लिया तो आप अपने बीमारियों के कारणों को आसानी से जान पाएंगे ।
सन 2007 में डाक्टर हिरेन पटेल को 24 घंटे हमेशा थोडा-थोडा बुखार रहता था , जो कि थर्मामीटर में नहीं आता था लेकिन इससे उनका वजन कम होने लगा । उन्होंने भारत के अनेक बड़े-बड़े डाक्टरों को दिखाया और टेस्ट कराया लेकिन उनकी इस वीमारी को कोई डाक्टर पकड़ (Diagnos) नहीं पाया , कोई डाक्टर लीवर कैंसर तो कोई ल्यूकोमा तो कोई HIV+ आदि-आदि की शंका व्यक्त करते थे । लिहाजा उनकी रातों की नींद गायब हो गयी। अंत में ईश्वर की शरण में गए जहाँ उन्हें आभास हुआ कि आप अमृत का सेवन कीजिये । अब अमृत मिले कहाँ से ? तो उन्होंने अनेक वैदिक ग्रंथों को पढ़ा और उन्हें वहां " अमृत" का तात्पर्य समझ में आया ।
* अमृत दो शब्दों से बना है । आम + रीत ,
आम = सामान्य , रीत = तरीका ( practice)
यानि पानी पीने का सही तरीका ( Travelent Practice of Drinking Water ) भारत में एक कमी है कि हमारे ऋषियों ने जिन तरीको को प्रमाणित करके सिद्द कर रखा है भारत में उस पर खोज नहीं करते, जबकि विदेशों में हर दवाइयों पर Documentation है । हमारे यहाँ माउथ ऑफ़ डॉक्यूमेंटेशन है इस कारण शब्द का मूल अर्थ विलुप्त हो जाता है ।
- यदि शरीर को समझना है तो ब्रह्माण्ड को समझना जरुरी है , पृथ्वी पर 73% जल है उसी प्रकार हमारे शरीर में भी 73% जल है । यदि हमारी सारी हड्डियों व मांसपेशियों को निचोड़ा जाए तो 27% स्थूल है ।
- हम जो भी खाते-पीते है वह पानी के माध्यम से शरीर में जाता है पानी का प्रारूप शरीर में रक्त है।
पानी रक्त में घुलकर शरीर के अंगों को पोषकता प्रदान करता है । हम जो पानी पीते है उसका रासायनिक विघटन होता है। जैसे हाइड्रोजन व आक्सीजन ।
शरीर में जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक होता है वह साँस से होता है, जिसे प्राणवायु ( Oxigen) कहते है ।
- यह शरीर हमें अपने माँ-बाप से मिला है , इसीलिए हमारा डीएनए हमारे माँ-वाप से , पूर्वजों से मिलता है, एक अणु से हमारा शरीर कैसे बना ? This is a science of DNA .
यदि हमारे डीएनए में विकृति होगी तो हमें जन्मजात रोग पैदा होते ही शुरू हो जायेंगे।
- हमारे शरीर में तीन रचना है १. ओक्सीजन को फैलाना २. भोजन करना व पचाना ३. विजातीय तत्व (Wastage) को बाहर करना । हमारे शरीर में दो तरह का wastage है ।१. Water Soluble २. Non water Soluble जिसे लीवर प्रोसेस करके बाहर निकालता है, तथा किडनी मूत्र के द्वारा प्रोसेस करके शरीर से बाहर निकालती है । अब जरा सोचें ! जो शरीर हमें हमारे माँ-बाप से मिला है उसे क्यूँ Soluble Processing की आदत होगी ?
- हमारे शरीर को Soluble Process करने का तरीका हमारे DNA में हमारे माँ-बाप से मिला । तो क्या हमारे माँ-बाप कोल्ड ड्रिंक्स पीते थे ? यूरिया , रासायनिक खाद खाते थे ? डाई लगाते थे ? चाय-काफी पीते थे ? जंक फूड खाते थे ? नहीं ना ! तो फिर आपके लीवर व किडनी को क्यूँ उन चीजों को प्रोसेस करने की आदत होनी चाहिए । हो सकता है हमारी आने वाली पीड़ी इन्हें प्रोसेस कर पायें लेकिन अभी से कुछ कहना मुश्किल है ।
* * हमारी 90 % विमारियां हमारे शरीर से Wastage ना निकलने के कारण होती है। हमारा मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ़ वेस्टेज प्रोसेस को बिगाड़ा किसने ? खुद हमने
- आज मेडिकल साइंस मानवता से दूर होता जा रहा है इनका उद्देश्य सिर्फ पैसे कमाना है , जिस चीज की कीमत 1000 रुपये है यह फर्मासिस्टकल कम्पनियाँ उसे अस्पताल को 20 हजार में बेचती है और वह अस्पताल उसी सामान के 1.5 से 2 लाख रूपये आपसे वसूलती है कितना अधिक प्रॉफिट मार्जिन है ? ? ये फर्मासिस्टूकल कम्पनियाँ डाक्टरों को मोटे-मोटे गिफ्ट और विदेशी दौरों का पूरा खर्च खुद उठाती है।
* => हमारे शरीर में 73% पानी है और सारे ओर्गन्स पानी में तैरते स्पांज जैसे है यदि स्पांज से पानी निकाल दें तो वह सूख जायेगा, निष्क्रिय हो जायेगा और काम करना बंद कर देगा । हमारे शरीर में जब भी पानी की कमी होती है तो शरीर सबसे पहले बेन व हार्ट को बचाने का प्रयास करता है । शरीर ब्रेन व हार्ट को पानी की कमी नहीं होने देगा उसके लिए वह दूसरे अंगों से पानी को अवशोषित करके ब्रेन व हार्ट को देगा , अब मान लीजिये आपके शरीर में पानी की कमी हो गयी तो शरीर ने आपके पेनक्रियाज से पानी खींच लिया और हार्ट को दे दिया तो क्या होगा ? आपका पेनक्रियाज सूख जायेगा यदि यही क्रिया निरंतर चलती रही तो धीरे-धीरे पेनक्रियाज काम करना बंद कर देगा और काम बंद करते ही इन्सुलिन बनना बंद हो जायेगा और आपको डायबटीज हो जायेगा। शरीर के अन्दर जब भी पानी की कमी होती है शरीर Defective होना शुरू हो जाता है । ब्रेन व हार्ट का पानी सबसे अंत में सूखता है ।
- - शरीर में जब पानी की कमी हो जाती है तो शरीर का wastage नहीं निकलता है वह धीरे-धीरे शरीर में जमा होने लगता है, फिर वह अल्सर का रूप लेता है , फिर टयुमर , फिर कैंसर का रूप ले लेता है । यानि " कैंसर का मूल " शरीर से wastage का ना निकलना है।
* डा. फरीदुल बेटमिन गिलीज एक इजराइली वैज्ञानिक थे , जिन्हें नोबल पुस्कार के लिए चुना गया लेकिन इन फर्मास्विटिकल कंपनियों ने षड्यंत्र करके उन्हें रोक दिया ।
स्पस्टवादी विचारधारा होने के कारण एक बार उन्होंने कुछ बोल दिया होगा तो इजराइल की सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया जहाँ उन्होंने 3000 मरीजों को तीन साल में ठीक किया और वहां पर वाटर थिरेपी के ऊपर एक किताब लिखी " Your Body Many Crises " यह दुनिया के अनेक देशों में प्रतिबंधित है। भारत में भी प्रतिबंधित है यदि आपके कोई रिश्तेदार विदेश में रहते है तो आप उनसे यह किताब मंगवाकर पढ़िए एनाजोन डॉट कॉम । इन्होने अनेक विमारियों को एनालाइज करके लिखा है ।
- हमारे शरीर में 90% विमारी पानी की कमी के कारण होता है । शरीर के सारे विजातीय तत्व पानी पीने से निकल जाते है। ज्यादा पानी पीने से भी शरीर में सूजन हो जाती है आइये कुछ विमारियों के द्वारा आपको वाटर थिरेपी के विषय में समझाने का प्रयास करते है ।
** ईश्वर ने शरीर से wastage निकलने के लिए मल-मूत्र-पसीना (स्वेद), छींक , पाद आदि प्रारूप दिए हैं ।
=> अस्थमा :- अस्थमा में आदमी साँस नहीं ले पाता है डाक्टर से पूंछो तो कहेंगे कि कैप्लरी में ब्लोकेज है, लेकिन जब पूंछो कि अस्थमा होता क्यों है ? तो डाक्टर कहेंगे श्वांस नलिका में सूजन के कारण , या इन्फेशन के कारण ? अब प्रश्न उठता है कि फिर सबकी श्वांस नलिका में सूजन क्यों नहीं होता है ?
जब फेफड़ा पम्प करता है तो उसे पानी की ज्यादा जरुरत होती है लेकिन शरीर में पानी की कमी है तब ? शरीर फेफड़े का पानी खींचकर हार्ट व ब्रेन को बचाएगा उस समय फेफड़ों में पानी की कमी के कारण कैप्लरी में " स्टामिन " बनेगा अर्थात सूजन होगा । स्टामिन मनुष्य का दुश्मन नहीं है , शरीर स्टामिन बनाती है तो उसका कारण है। मान लीजिये शरीर में पानी की कमी हो जाये तो फेफड़ा सारा पानी खींच लेगा तो उस स्थति में हार्ट व ब्रेन को पानी नहीं मिलेगा लिहाजा हार्ट व ब्रेन ख़राब हो जायेगा ।
1% दवाइयां स्टामिन मैनेजमेंट सिस्टम की है। जब डाक्टर स्प्रे व नोसल ड्राप देते है तो जरा सोचिये वह क्या करता है ? ? वह force fully स्टामिन के ब्लोकेज को खोलने का प्रयास करेगा अब ऐसी स्थति में जब शरीर में पानी की कमी है तो फेफड़ा और सूख जाएगा अतः आपकी दवाओं का डोस बढ़ा दिया जायेगा और एक समय बाद डाक्टर कहेगा आपको दवाइयां असर नहीं कर रही है लिहाजा आपको आर्टिफिशयल कैप्लरी सर्जरी के द्वारा लगवानी पड़ेगी। यह समस्या फिर आएगी तब डाक्टर कहेगा इन्हें घर ले जाइये अब इन्हें दुवाओं की जरुरत है। यानि हम अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार रहे है ।
=> ब्लड -प्रेशर :- एक व्यक्ति जब तक मरता है तब तक 2.5 लाख की ब्लड-प्रेशर की दवाइयां खा लेता है। याद रखें " जो दवाई आपको पूरी जिन्दगी लेनी पड़े वह दवाई नहीं बल्कि आपके भोजन का हिस्सा है " । ब्लड-प्रेशर का मुख्य कारण "हाइपर टेंशन" है हाइपर टेंशन यानि क्या ? यानि आपका दिमाग हमेशा गर्म रहेगा । वह Electromagnetic Wave निकालता है तो ब्रेन में सेंसेसन चक-चक-चक करता रहता है। यदि Electromagnetic Wave बढ़ जाता है तो दिमाग गर्म हो जायेगा तब उसे पानी की ज्यादा जरुरत पड़ेगी । ऐसी स्थति में शरीर को तो ब्रेन को बचाना है इस कारण शरीर तेजी से ब्रेन को पानी पहुँचाने की कोशिश करेगा वही स्पीड बढ़ते ही हाई-ब्लड-प्रेशर शुरू हो जायेगा। यदि दिमाग ठंडा होगा तो उसे पानी की जरुरत नहीं होगी , यदि दिमाग को पानी की जरुरत नहीं होगी तो ब्लड-प्रेशर नहीं बढेगा ।
** ब्लड-प्रेशर के रोगी नहाने के पहले 150 ml पानी को पियें , भोजन के पहले व भोजन के बाद पेशाब करें । इससे धीरे-धीरे BP सामान्य हो जायेगा।
=> डाइबटीज ( शुगर ) :- हमारे शरीर में एक अंग है पेनक्रियाज जो इन्सुलिन बनाता है जो कि हमारे रक्त के अन्दर मौजूद ब्लड-शुगर को use करता है शरीर में जब ग्लूकोस पचता नहीं है तो शुगर बढ़ जाता है ग्लूकोस , इन्सुलिन ना बनने के कारण पचता नहीं है और इन्सुलिन जब शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो शरीर पेनक्रियाज से पानी खींचकर हार्ट व ब्रेन को बचाता है ऐसा बार-बार होने पर पेनक्रियाज निष्क्रिय हो जाता है और इन्सुलिन नहीं बनाता है , लिहाजा ब्लड के अन्दर शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और हमें शुगर हो जाता है । फिर हम बाहर से आर्टिफिशियल इन्सुलिन की गोली लेते है , इससे ब्लड-शुगर अवशोषित होगा तब फिर हमें पानी की जरूरत पड़ेगी और शरीर में पानी की कमी के कारण पेनक्रियाज में स्टामिन बनेगा यानि सूजन आएगी फिर हम इन्सुलिन की गोली व गोली से इंजेक्शन की तरफ जायेंगे। शुरुआत गोली से करते हैं और ख़त्म हाई डोस इंजेक्शन पर करते है ।
इसी पानी की चिकित्सा से थर्ड स्टेज कैंसर और पैरालिसिस भी ठीक हुआ है ।
आइये अब हम पानी पीने के तरीकों की बात करते है ।
* => सुबह उठते ही सवा लीटर पानी पीजिये क्योकि हमारे आमाशय की कैपिसिटी 600 मिली है यदि इसको जबरदस्ती फैलाया जाए तो लगभग तीन लीटर पानी आ सकता है अब आप 600 ml का दूना कर लीजिये यानि सवा लीटर पानी विना कुल्ला किये बैठकर पीजिये । जब आप पानी पियेंगे तो आमाशय से हवा निकलेगी और पानी को focefully यूरिन ट्रैप से किडनी द्वारा या डाइजेस्टिव ट्रैप से पानी निकाला जायेगा इस कारण सारा कचरा मल व पेशाब के रास्ते साफ हो जायेगा सारे विजातीय तत्व बाहर निकल जायेंगें । जब wastage निकल जायेगा तो आपको विमारियां नहीं होंगी ।
- => हमारे शरीर में कोलन है आँतों के पीछे का हिस्सा जिसमे हेपेटाइटस -H जो कि शरीर के बचे निष्क्रिय कोशिकाओं को पेशाब व मल के द्वारा बाहर निकाल देता है। इसका कार्य पुरुष में वीर्य व औरतों में अंडे बनाने का कार्य करता है ।
-*- 15 वर्ष से ऊपर के सभी बच्चे 600 ml से ज्यादा पानी पी सकते है । जिन्हें आदत नहीं है वो 100 ml प्रति सप्ताह बढ़ाते जाएँ दो-तीन माह में वो भी सवा लीटर पानी आसानी से पी सकते है । पानी पीने के एक घंटे पहले व बाद में कुछ भी ना खाएं ना-पीये , अन्यथा वह पाचन में जायेगा जबकि आपने पानी पिया है wastage को निकालने के लिए।
*- भोजन के एक घंटे बाद ही जल का सेवन करें ।
*- जिन्हें गैस या एसिडिटी है वह भोजन के आधे घंटे पहले 150 ml पानी पियें ।
*- जो सोने से पहले 150 ml पानी पीकर सोते है उन्हें हार्ट व लकवा की शिकायत जल्द नहीं होती है ।
*=> ध्यान दें :- मोटापा , कफ प्रवृति , जोड़ों के दर्द , न्योरिजिकल डिसीज जैसे लकवा , लाइजमर, पार्किसेन्स, वाले ही सुबह गर्म पानी पियें बाकि सारे लोग सामान्य पानी पियें ।
**=> पानी ना पियें :- जिन्हें पानी पीने के बाद हाथ-पैरों व चहरे पर सूजन आती हो , नाक से पानी गिरता हो, छींक आती हो, चक्कर आते हों , किडनी की समस्या हो वो लोग सुबह का पानी ना पियें ।
** गर्भवती महिलाएं को 500 ml से कम पानी ( room tem के बराबर ) पीना चाहिए ।।

REGARDS......
>DR.ASHOK SODANI
JOURNALIST
BHILWARA

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