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सोमवार, 4 मई 2015

क्या खूब दवा है ये जीरा

क्या खूब दवा है ये जीरा
जीरा तो हर घर में पाया जाता है ,अधिकाँश गृहिणियों को इसके लाभ की भी जानकारी है, वे सभी इसकी सहायता से बड़े बड़े रोगों पर काबू पा लेती हैं जीरा दो प्रकार का होता है- सफ़ेद जीरा (Cuminum cyminum) जो हम मसाले और छौंकने में प्रयोग करते हैं ,दुसरा काला जीरा (Carum carvi) जो प्रायः औषधीय कार्यों में ही प्रयोग होता है। सफ़ेद जीरा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब में बोया जाता है। सर्दी के अंत में इस पौधे पर फूल और फल आते हैं। जीरे में कार्बोहाइड्रेट ,प्रोटीन, फाइबर ,मिनरल,पेन्टोसोन , कैल्शियम ,फास्पोरस आयरन, विटामिन-ए और सी ,क्यूमिक एल्डीहाइड आदि तत्व पाये जाते हैं।
काला जीरा पर्वतीय फसल है। यह कश्मीर ,कुमायूं ,गढ़वाल ,उत्तरी हिमालय तथा अफगानिस्तान और ईरान में बोया जाता है। इसमें एक तेल होने के कारण इसकी गंध बहुत तीखी होती है।

जीरा सौंदर्य बढता है। जीरा उबाल कर उस पानी से रोजाना मुख धुलिये। चेहरा खिल उठेगा।
जीरा दूध बढ़ाता है। खीर में मेवे की जगह १ चम्म्च जीरा डालिये। ये खीर खाने से दूध बढ़ जाएगा।
जीरा गहरी नींद लाता है। सोते समय भून कर पिसे हुए जीरे के चूर्ण को गरम दूध से फांक लीजिये ,लगभग ४ ग्राम ,देखिये कितनी अच्छी नींद आती है।
आपको ब्लड -प्रेशर भी है, एसिडिटी भी है, भूख भी नहीं लगती तो जीरे की शरण में जाइये। १०० ग्राम जीरा २५ ग्राम काली मिर्च और १२५ ग्राम मिश्री या बूरा मिला कर पीस लीजिये ,१-१ चम्म्च पानी से निगल लीजिये सुबह शाम दोनों समय। कम से कम १ माह तक लगातार।
जीरा कैंसर से बचाता है ,हर हाल में दोनों समय जीरा भोजन में प्रयोग कीजिये।
जीरा हीमोग्लोबिन भी बढ़ाता है और प्रतिरोधक क्षमता भी।
जीरा हमारी त्वचा का सबसे अच्छा दोस्त है। जीरे का पतला पेस्ट तैयार कीजिये ,इस पेस्ट को साबुन की तरह पुरे बदन पर खूब मलिए। फिर सादे पानी से बिना साबुन के नहा लीजिये। सप्ताह में कम से कम एक बार इस क्रिया को करते रहने से स्किन डिजीज आपसे कोसों दूर रहेगी।
जीरा मुंह की बदबू भी दूर करता है। भुने हुए जीरे को चबा-चबाकर चूसिये।
खट्टी डकारें आ रही हो तो भुने हुए जीरे के चूर्ण में सेंधा नमक मिलाकर गर्म पानी से निगलिये ,एक-एक घंटे के अंतराल पर ३ बार लेना काफी होगा। पेट हल्का हो जाएगा।
जीरा उल्टियां भी रोकता है। २ ग्राम जीरे के चूर्ण को एक गिलास पानी में डालिये ,स्वाद केअनुसार सेंधा नमक और नीबू मिलाइये और पी लीजिये ,तुरंत उलटी रुक जायेगी।
पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा हो तो २-३ ग्राम जीरे का चूर्ण शहद मिलाकर चाट लीजिये ,१० मिनट में ही दर्द गायब हो जाएगा।
जीरा पेट के कीड़े भी मारता है। २ ग्राम भुने हुए जीरे का चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह खाली पेट चटाइए। कीड़े मल के साथ बाहर निकल जायेंगे।
जीरे से एक पाचक चूर्ण आप घर में बनाकर रखिये-जीरा सौंफ धनिया ५०-५० ग्राम लीजिये और भून लीजिये फिर इसमें ५० ग्राम अनारदाना ,२५ ग्राम काला नमक, १० ग्राम सेंधा नमक मिलाइये और सबके वजन के बराबर चीनी मिलाइये। एक साथ महीन पीस लीजिये अब इस मिश्रण में ३ नीबू का रस मिला दीजिये। तैयार हो गया पाचक चूर्ण। सुबह शाम १-१ चम्म्च खाइये या आवश्यकतानुसार खाइये।
जीरे से मंजन भी बनता है जो मसूड़ा सूज जाए तो बहुत काम आता है। २० ग्राम जीरा भून लीजिये उसमे २० ग्राम सेंधा नमक मिलाइये और महीन पीस लीजिये ,अब इससे मंजन करिये दांत मजबूत होंगे ,मसूड़ों की सूजन ख़त्म होगी। १०० तरह के पेस्ट पर यह अकेला मंजन भारी है।
जीरा गर्भवती नारी के लिए वरदान है। गर्भ के दौरान कब्ज होती है ,जिसकी वजह से बवासीर हो जाना आम बात है। कभी कभी खूनी बवासीर भी हो जाती है। ऎसी दशा में १-१ चम्म्च जीरा ,सौंफ और धनिया लीजिये रात में भीगा दीजिये एक गिलास पानी में। सवेरे इस पानी को उबालिये और आधा पानी जल जाय तो एक चम्म्च देशी घी मिलाकर पी लीजिये। यह काम सुबह शाम ५ दिनों तक कीजिये। बस रोग ख़त्म।
कालाजीरा हार्ट अटैक के खतरे को ख़त्म कर देता है। २-२ ग्राम काले जीरे का पाउडर शहद में मिलाकर सुबह शाम चाटिये।
काले जीरे को पानी में उबालकर उस पानी में बैठ जाइये तो खूनी बवासीर, और गर्भाशय और योनि की खुजली तीनो में फायदा मिलेगा।
नवजात शिशु के मर जाने पर माता के स्तनों का दूध सुखाने के लिए काले जीरे को पानी में पीस कर लेप कर देना चाहिए ,अन्यथा या तो दूध बहता रहेगा या स्तनो में ही एकत्र होकर गांठ का रूप ले लेगा।
जहरीले बिच्छू आदि के काटने पर जीरे के चूर्ण और नमक को बराबर मात्रा में मिला कर फिर उसमे घी मिलाकर मलहम बनाइये और काटे हुए स्थल पर लेप कर दीजिये। जहर उतर जायेगा।
बहुत पुराना बुखार हो या मलेरिया हो ,काले जीरे का २-३ ग्राम पाउडर गुड मिला कर खा लीजिये। सुबह दोपहर शाम तीन बार ,बुखार गायब।

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शनिवार, 2 मई 2015

कालसर्प योग के प्रकार

सर्पदोष जिसे काल सर्प योग आज कल कहा जाता है
 
जव राहु ओर केतु के वीच सभ गृह हो तव यह योग वनता है
कालसर्प बारह प्रकार का होता है
कालसर्प योग के प्रकार
मूलरूप से कालसर्प योग के बारह प्रकार होते हैं |
इन्हें यदि 12 लग्नों में विभाजित कर दें तो
12 x 12 =144 प्रकार के कालसर्प योग संभव हैं |
परन्तु 144 प्रकार के कालसर्प योग तब संभव हैं जब शेष 7 ग्रह राहु से केतु के मध्य स्थित होँ |
यदि शेष 7 ग्रह केतु से राहु के मध्य स्थित होँ, तो 12 x 12 = 144
प्रकार के कालसर्प योग संभव हैं |
इसी प्रकार से कुल 144 + 144 = 288 प्रकार के कालसर्प योग स्थापित हो सकते हैं |
यह सभी प्रकार के कालसर्प योगों का प्रतिफल एकदूसरे से भिन्न होता है |
मूलरूप से कालसर्प योग 12 प्रकार ●
[1] अनंत कालसर्प योग
[2] कुलिक कालसर्प योग
[3] वासुकि कालसर्प योग
[4] शंखपाल कालसर्प योग
[5] पदम कालसर्प योग
[6] महापदम कालसर्प योग
[7] तक्षक कालसर्प योग
[8] कारकोटक कालसर्प योग
[9] शंखचूड़ कालसर्प योग
[10] घातक कालसर्प योग
[11] विषधर कालसर्प योग
[12] शेषनाग कालसर्प योग
कालसर्प दोष और कष्ट
[1] अनंत कालसर्प यो
यदि लग्न में राहु एवं सप्तम् में केतु हो, तो यह योग बनता है | जातक कभी शांत नहीं रहता झूठ बोलना एवं षड़यंत्रों में फंस कर कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाता रहता है ||
[2] कुलिक कालसर्प योग
यदि राहु धन भाव में एवं केतु अष्टम हो, तो यह योग बनता है | इस योग में पुत्र एवं जीवन साथी सुख, गुर्दे की बीमारी, पिता सुख का अभाव एवं कदम कदम पर अपमान सहना पड़ सकता है ||
[3] वासुकी कालसर्प योग
यदि कुंडली के तृतीय भाव में राहु एवं नवम भाव में केतु हो एवं इसके मध्य सारे ग्रह हों, तो यह योग बनता है | इस योग में भाई-बहन को कष्ट, पराक्रम में कमी, भाग्योदय में बाधा, नौकरी में कष्ट, विदेश प्रवास में कष्ट उठाने पड़ते हैं ||
[4] शंखपाल कालसर्प योग
यदि राहु नवम् में एवं केतु तृतीय में हो, तो यह योग बनता है | जातक भाग्यहीन हो अपमानित होता है, पिता का सुख नहीं मिलता एवं नौकरी में बार-बार निलंबित होता है ||
[5] पद्म कालसर्प योग
अगर पंचम भाव में राहु एवं एकादश में केतु हो तो यह योग बनता है | इस योग में संतान सुख का अभाव एवं वृद्धा अवस्था में दुखद होता है शत्रु बहुत होते हैं, सट्टे में भारी हानि होती है ||
[6] महापद्म कालसर्प यो
यदि राहु छठें भाव में एवं केतु व्यय भाव में हो, तो यह योग बनता है | इसमें पत्नी विरह, आय में कमी, चरित्र हनन का कष्ट भोगना पड़ता है ||
[7] तक्षक कालसर्प योग
यदि राहु सप्तम् में एवं केतु लग्न में हो तो यह योग बनता है | ऐसे जातक की पैतृक संपत्ति नष्ट होती है, पत्नी सुख नहीं मिलता, बार-बार जेल यात्र करनी पड़ती है ||
[8] कर्कोटक कालसर्प योग
यदि राहु अष्टम में एवं केतु धन भाव में हो, तो यह योग बनता है | इस योग में भाग्य को लेकर परेशानी होगी नौकरी की संभावनाएं कम रहती है, व्यापार नहीं चलता, पैतृक संपत्ति नहीं मिलती और नाना प्रकार की बीमारियां घेर लेती हैं ||
[9] शंखचूड़ कालसर्प योग
यदि राहु सुख भाव में एवं केतु कर्म भाव में हो, तो यह योग बनता है | ऐसे जातक के व्यवसाय में उतार-चढ़ाव एवं स्वास्थ्य खराब रहता है ||
[10] घातक कालसर्प योग
यदि राहु दशम् एवं केतु सुख भाव में हो तो यह योग बनता है | ऐसे जातक संतान के रोग से परेशान रहते हैं, माता या पिता का वियोग होता है ||
[11] विषधर कालसर्प योग
यदि राहु लाभ में एवं केतु पुत्र भाव में हो तो यह योग बनता है | ऐसा जातक घर से दूर रहता है, भाईयों से विवाद रहता है, हृदय रोग होता है एवं शरीर जर्जर हो जाता है ||
[12] शेषनाग कालसर्प योग
यदि राहु व्यय में एवं केतु रोग में हो, तो यह योग बनता है | ऐसे जातक शत्रुओं से पीड़ित हो शरीर सुखित नहीं रहेगा, आंख खराब होगा एवं न्यायालय का चक्कर लगाता रहेगा ||

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