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शुक्रवार, 19 जून 2015

पॉवर योगा

पावर योगा

आजकल की भागदौड भरी जिंदगी में हम सब काम रिमोट से करना चाहते हैं, चाहे व टीवी का चैनल बदलना हो या खिडकी के पर्दे हटाना हो। शरीर के स्वाचस्य की तरफ ध्यान देने के लिए बिलकुल टाइम नहीं है। आदमी पहले बुजुर्ग होने पर बीमार पडता था लेकिन आजकल युवा पीढी में ही कई प्रकार की बीमारियों अर्थराइटिस, हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और डिप्रेशन के शिकार हो रही है। लेकिन पॉवर योगा करके कम समय में ही आसानी से स्‍वस्‍थ्‍य रह सकते हैं।

पॉवर योगा

इसे भारतीय योग के प्रमुख आसन सूर्य नमस्कार के 12 स्टे‍प्स और कुछ अन्य आसनों को मिलाकर बनाया गया है। इस योगा के प्रकार को कई सेलिब्रेटियों ने अपनाया है। जीरो फीगर व फिटनेस को बनाने में इसकी बहुत ही महत्वकपूर्ण भूमिका होती है। वजन घटाने व फिगर मेंटेन करने के लिए लड़कियाँ जहां पावर योगा सीख रही हैं, वहीं युवा लड़के भी फिटनेस, स्ट्रेंथ, सेल्फ कंट्रोल और कन्संट्रेशन के लिए इस योग का सहारा ले रहे हैं। इस योगा को 45 मि‍नट में किया जा सकता है और इसे सप्ताह में दो या तीन दिन ही किया जाता है। इसके लिए सुबह का समय होना जरूरी है।
इस योग की शुरूआत 1990 के मध्य में हुई थी। पावर योग मुख्यि रूप से अष्टांग योगा पर निर्भर करता है। लेकिन यह साधारण योगा से थोड़ा अलग है। यह योगा का एथलेटिक स्टाइल है, जिसमें सांसों की गति और अध्यात्म से ज्यादा शक्ति और लचीलेपन पर जोर रहता है। इसमें मुद्राओं की एक निर्धारित श्रेणी नहीं होती, इसलिए टीचर और इंस्ट्रक्टर के अनुसार स्टाइल अलग-अलग हो सकती है। पॉवर योगा में प्रत्येक व्यक्ति की शरीर के आधार पर ही विभिन्न प्रकार की एक्सरसाइज का इस्तेयमाल किया जाता है। पॉवर योगा में इंस्ट्रक्टर आपकी बॉडी अनुसार ही आपको एक्सरसाइज की टिप्स बताते हैं। इस योगा में आमतौर पर चार प्रकार के बॉडी शेप माने जाते है। एप्पल शेप, पियर शेप, नार्मल शेप और ट्यूब शेप जिसे जीरो फीगर भी कहा जाता है। इसमें प्रत्येक शेप के लिए अलग-अलग योगा की एक्सरसाइज होती है।

पावर योगा के फायदे

मोटापा कम करना

पावर योगा से मसल्स बनाने से लेकर शरीर के फैट तक को कम किया जा सकता है। साधारण योगा में जहां आसन और सांस की प्रक्रिया में जोर दिया जाता है वहीं पावर योगा वर्कआउट की तरह है। जिसमें विभिन्न पोज और एक्सारसाइज होती है। सप्‍ताह में कम से तीन बार पावर योगा जरूर करें। इसमें शरीर की कैलोरी जलाने की क्षमता बढती है जिससे आसानी से मोटापा कम करके शरीर को आकर्षक शेप दिया जा सकता है।

बीमारियों से रहें दूर

इस योगा के करने से रक्त संचार और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढती है। जिससे अनेक बीमारियां जैसे- अस्थमा, अर्थराइटिस, डिप्रेशन, डायबिटीज, हाइपरटेंशन आदि बीमारियां समाप्त होती हैं।

तनाव से रहें दूर

कंपटीशन के दौर में घरेलू या ऑफिस की वजह से हर कोई तनाव में रहता है। पावर योगा को करने से तनाव कम होता है। पसीने से शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले टॉक्सिन निकलते हैं जिससे सेल्फ-कंट्रोल और कन्संट्रेशन बढता है।

पावर योगा शरीर को फिट रखने का एक आसान तरीका है। यह योगा 16 से 30 साल के युवाओं के लिए अच्छा होता है। दिल को रोगियों, लो-ब्लेड प्रेशर और प्रेग्नेंट औरतों को यह योगा नहीं करना चाहिए। इस योगा में संयम और ध्यान में जोर नहीं दिया जाता है जो कि पारंपरिक योगा का मूल मंत्र है।

योग से पाएं खतरनाक रोगों पर नियंत्रण

योग से पाएं खतरनाक रोगों पर नियंत्रण

किसी कठिन और थका देने वाली दो-ढाई घंटे लंबी कसरत के बजाय बीस से तीस मिनट तक किया जाने वाला योगाभ्यास ज्यादा कारगर होता है। कसरत में फिर भी नुकसान की गुंजाइश रहती है क्योंकि पता नहीं शरीर में कौन सा रोग पल रहा है और की जा रही कसरत अपने दबाव से उस रोग को बढ़ा या बिगाड़ दे।

लेकिन योग में ऐसा कोई खतरा नहीं। कोई आसन अभ्यास अनुकूल नहीं बैठ रहा तो आपकी सांस उखड़ने लग सकती है या हो सकता है कि वह आसन करना संभव ही न हो। योग के इन फायदों के साथ ताजा अनुसंधानों में यह भी साबित हुआ है कि योग से मधुमेह, अस्थमा और हृदयरोग जैसी जटिल बीमारियां भी बिना किसी औषधि और उपचार के नियंत्रित की जा सकती है।

चिकित्सा विज्ञान दवाओं और इलाज के बावजूद रोग के ठीक होने या उसे काबू करने की गारंटी नहीं लेता परंतु योग तो निश्चित आश्वासन देता हैं क्योंकि यह शरीर में मौजूद रोग प्रतिरोधक क्षमता से तालमेल बिठाता है।

राजधानी के सर गंगाराम अस्पताल में सौ रोगियों पर योग के प्रभाव का परीक्षण किया गया। कारोनरी हृदय रोग और मधुमेह के रोगियों को दो वर्गों में बांटकर उनकी जीवन शैली में थोड़ा बदलाव किया। इनमें एक वर्ग को सिर्फ दवाओं के भरोसे ही रखा गया और दूसरे वर्ग को योगपरक जीवन शैली के लिए प्रेरित किया।

खानपान, योग और ध्यान समन्वित इस जीवन शैली के उत्साह वर्धक परिणाम आए। जिन साधकों ने योगपरक जीवन शैली अपनाई थी उनके बाडी मास इंडेक्स (बीएनएल), कोलेस्ट्रोल और रक्तचाप नियंत्रित मिले। इस अध्ययन का संयोजन कर रहे डा. डीएससी मनचंदा के अनुसार मधुमेह, हृदय रोग और अस्थमा जैसे आधुनिक सभ्यता के रोगों पर योग से नियंत्रण की दिशा में उत्साह वर्धक परिणाम आए हैं।

आंखों के लिए योगा


आंखों के लिए योगा
आखों के योग अपनाकर आजीवन अपनी दृष्टि को मजबूत बना सकते हैं। निश्चित अंतराल के बाद आखों की रोशनी अपने-आप कम हो जाती है। आखों के आसपास की मांसपेशियां अपने लचीलेपन को समाप्त कर देती हैं और कठोर हो जाती हैं। लेकिन अगर आखों के आस-पास की मासपेशिया मजबूत हों तो आखों की रोशनी बढ़ती है। आखों और दिमाग के बीच एक गहरा संबंध होता है। दिमाग की 40 प्रतिशत क्षमता आखों की रोशनी पर निर्भर होती है। जब हम अपनी आखों को बंद करते हैं तो दिमाग को अपने-आप आराम मिलता है। दुनिया की कुल आबादी की 35 प्रतिशत जनसंख्या निकट दृष्टि दोष और दूरदृष्टि दोष (हाइपरमेट्रोपिया) से ग्रस्त है जिसकी वजह से लोग मोटे-मोटे चश्मों का प्रयोग करते हैं। लेकिन चश्मे का प्रयोग करके आखों की रोशनी को बढाया नहीं जा सकता है। योगा करके आखों की रोशनी को कायम रखा जा सकता है।

काम के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखें:

-गर्दन को सीधा रखकर आखों की पुतलियों को पहले 4-6 बार ऊपर नीचे और फिर दाएं-बाएं घुमाएं। उसके पश्चात 4-6 बार दाएं-बाएं गोलाई में क्लॉकवाइज और एंटी-क्लॉकवाइज घुमाइए।

-आखों को घुमाते वक्त हथेलियों के मध्य भाग से आखों को कुछ देर तक ढंककर रखें, इससे आखों की मासपेशिया मजबूत बनी रहेंगी।

-कंप्यूटर पर काम करते वक्त हर 10 मिनट बाद कम से कम 20 फुट दूर जरूर देखें, इससे दूर दृष्टि बनी रहेगी।

आखों के लिए कुछ योगा

सर्वागासन:

-इस क्त्रिया को करने के लिए सबसे पहले शवासन में लेट जाइए, दोनों हाथों को जाघों की बगल में तथा हथेलियों को जमीन पर रखें। पैरों को घुटनों से मोडकर ऊपर उठाइए तथा पीठ को कंधों तक उठाइए। दोनों हाथ कमर के नीचे रखकर शरीर के उठे हुए भाग को सहारा दीजिए इस तरह ठुड्डी को छाती से लगाए रखें। अब सास को रोके नहीं। अब पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए वापस माथे के पास ले आइए। अब हाथों को जमीन पर रखते हुए शरीर और पैरों को धीरे-धीरे शवासन में लाइए। आसन करते समय आखों को खुला रखें। इस आसन को करने से आखों की रोशनी तेजी से बढती है। क्त्रोध और चिड़चिड़ापन भी समाप्त होता है। बच्चों के दिमाग के लिए यह आसन बहुत उपयोगी है।

शवासन:

इस आसन को करने के लिए सहज और शात मन से पीठ के बल लेट जाइए। पैरों को ढीला छोड़कर भुजाओं को शरीर से सटाकर बगल में रख लीजिए। शरीर को पूरी तरह से फर्श पर स्थिर हो जाने दीजिए। इस आसन को करने से शरीर की थकान और दबाव कम हो जाएगी। सास और नाड़ी की गति सामान्य हो जाएगी। आखों को आराम मिलता है और रोशनी बढ़ती है।

प्राणायाम:

प्राणायाम पद्मासन और सिद्धासन की मुद्रा में बैठकर किया जाता है। प्राणायम शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की साधनाओं में किया जा सकता है। प्राणायाम करने से दिमाग स्थिर रहता है और आखों की रोशनी बनी रहती है। प्राणायाम से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं।

कई लोग जो कंप्यूटर पर लगातार 8-10 घटे काम करते वक्त आखें गड़ाए रहते हैं उनकी आखों पर नुकसान पहुंचता है। आखों को आराम देने के लिए केवल नींद लेना ही पर्याप्त नहीं होता है। आखों में कमजोरी आने की वजह से स्मृति दोष और चिड़चिड़ापन की समस्या आम हो जाती है जिसके लिए आखों का योगा बहुत जरूरी है।

योग के फायदे

योग के फायदे

ऐलोपैथी और होम्योपैथी के दौर में योग और आयुर्वेद का प्रचलन बढ़ता जा रहा है और आगे भी बढ़ेगा। लोगों को योग की ओर झुकना ही होगा। ऐसा लगता है कि आज दवाइयों का नहीं बीमारियों का उत्पादन होने लगा है। दवाइयों पर भरोसा नहीं रहा। दवा भी अब किसी को असर करती है तो किसी को नहीं और आखिर कब तक दवा के भरोसे रहेंगे। हम दवा को नहीं दवा हमें खा रही है।

सब कुछ हो चला दूषित : दूषित अन्न, दूषित जल और वायु प्रदूषण के चलते व्यक्ति वक्त के पहले ही मौत के करीब पहुंच जाता है। शहरी लोगों को गौर से देखने पर पता चलता है कि वे किसी तरह बस जी रहे हैं। खुद पर अत्याचार करते-करते उनके चेहरे मुरझा गए हैं और शरीर भी अब कहने लगा है- बस अब मुझे छोड़ दो।

रोग का फैलाव : किसी को कब्ज है, किसी को अस्थमा, किसी को सिरदर्द बना रहता है तो किसी को तनाव। शहरी जीवन में ये रोग सामान्य हो चले हैं। इसके अलावा अब डायबिटीज, हार्ट अटैक, ब्लडप्रेशर भी आम शहरी जीवन में पैठ बना चुके हैं। वक्त के पहले ही लोग बुढ़े होने लगे हैं और बेवक्त ही मर जाते हैं। इन सबके चलते सबसे ज्यादा मजे में रहते हैं शहर के अस्पताल।

सेहतमंद और स्फूर्तिवान बनाने में सक्षम है योग : ऐसे माहौल में सिर्फ एक ही उपाय है योग और आयुर्वेद का फंडा। योग से जुड़ों और सदा स्वस्थ तथा स्फूर्तिवान बने रहो। आप सोच रहे होंगे कि योग का अर्थ एक्सरसाइज करना है तो जिम ही ठीक है, अखाड़े जाते तो हैं। लेकिन जनाब ये आपकी बॉडी को बनाते और बिगाड़ते हैं, लेकिन यह उसे सेहतमंद और स्फूर्तिवान बनाने में सक्षम नहीं हैं। क्या इससे उम्र लंबी होती है? व्यक्ति सदा जवान बना रह सकता है? नहीं।

योग आपको ‍कई स्तर से सुधारता है- आसन से जहां हड्डी, मांस-मज्जा और भीतरी अंगों में सुधार होता है, वहीं प्राणायाम से शरीर के भीतर की नस और नाड़ियों में सुधार होता है। इसके अलावा बंध, मुद्रा और क्रियाएं हैं जो आपके शरीर से दूषित पदार्थ को बाहर निकालकर हर तरह के रोग को समाप्त करने की ताकत रखती हैं।

सबसे बड़ी दवा योगनिद्रा और ध्यान : इसके अलावा शोध कहते हैं कि नींद सबसे बड़ी दवा है इसीलिए योगनिद्रा जरूरी है। ध्यान पर दुनियाभर में शोध हुए हैं- ध्यान से जहां हार्ट अटैक, ब्लडप्रेशर जैसे रोगों को रोका जा सकता हैं, वहीं इसके नियमित अभ्यास से कई गंभीर बीमारियां भी ठीक की जा सकती हैं।

योग से शारीरिक, मानसिक और आत्मिक तीनों स्तर पर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है। निश्चित ही आप योग से 100 वर्ष तक स्वस्थ रहकर जवान बने रह सकते हैं। बशर्ते कि आप सदा योग की शरण में रहें।

प्राणायाम बीमारियों से आपकी सुरक्षा करता है।

प्राणायाम

स्वस्थ रहने के लिए योगा से अच्छा कोई और विकल्प नहीं। तन और मन को आराम देने वाले इस आसन प्राणायाम श्वा‍स से संबंधी व्यायाम है। यह योग पूरी तरह से हमारी श्वनसन प्रक्रिया पर आधारित है। वास्तविकता यह भी है कि आप एक ही दिन में प्राणायाम करना नहीं सीख सकते, इसके लिए रोज़ अभ्याहस करने की आवश्यकता है। सही प्रकार से किया गया प्राणायाम बीमारियों से आपकी सुरक्षा करता है।

प्राणयाम योग में आप अनुलोग-विलोम कर सकते हैं। अनुलोम विलोम बेहद ही आसान व्‍यायाम है, इसे आप आसानी से घर बैठे भी कर सकते हैं।

सबसे पहले तो पालथी मारकर बैठ जायें और फिर अपने दाहिने हाथ से बाईं ओर की नाक को बंद कर के सांस लें और छोड़ें।
यही प्रक्रिया बाये हांथों से दोहरायें।
सांस छोड़ने की लय घड़ी की आवाज़ की तरह ही नियमित होनी चाहिए।
एक हफ्ते तक हर एक सेकण्ड में एक बार सांसों को बाहर की ओर लेने की प्रक्रिया को बनाये रखना चाहिए और फिर एक सेकण्ड में दो बार सांसों को बाहर की ओर छोड़ना चाहिए।
ऐसी सलाह दी जाती है कि प्राणयाम की शुरूवात में हर एक दौरे में 10 बार सांसों को अंदर की ओर लेना और बाहर की ओर छोड़ना शामिल होना चाहिए और धीरे धीरे इस प्रक्रिया का समय बढ़ाना चाहिए ।

प्राणायाम में सावधानी

व्यायाम के दौरान किसी प्रकार का कठोर दर्द होने पर कुछ समय के लिए व्यायाम नहीं करना चाहिए।
ऐसी भी सलाह दी जाती है कि व्यायाम करते समय अपने फीज़ीशियन से सम्पर्क करें जो आपको श्वसन से सम्बन्धी व्यायाम समझा सके। उच्च रक्तचाप और हृदय के मरीज़ों को डाक्टरी सलाह के बिना कपालभाती नहीं करनी चाहिए।
यह भी ध्यान रखने योग्य बात है कि इस आसन को खाली पेट ही करना चाहिए।
अगर आपको व्यायाम के दौरान चक्कर आता है या आपके पेट में दर्द होता है तो ऐसे में कुछ समय के लिए व्यायाम करना छोड़ दें।

तन और मन को आराम देने वाले इस आसन प्राणायाम श्वा‍स से संबंधी व्यायाम है।

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