यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 19 जून 2015

सूर्यनमस्कार योग - विधि और लाभ

भारतवर्ष में सूर्य को ज्ञान और उर्जा का प्रतिक माना जाता हैं। सूर्य को दैनंदिन स्वरूप से पूजने का क्रम अविरत चला आ रहा हैं। सूर्य भगवान से ज्ञान और उर्जा प्राप्ति के लिए योग में ' सूर्यनमस्कार ' किया जाता हैं। सूर्यनमस्कार अपने आप में एक सम्पूर्ण साधना है जो आसन, प्राणायाम, मंत्र और ध्यान तंत्र से परिपूर्ण हैं। सूर्यनमस्कार एक सरल और संपूर्ण व्यायाम हैं जिसकी बहुउपयोगिता तथा बहुआयामिता हमारे जीवन को तेजोमय, निरोगी तथा गतिशील बनाती हैं।
सूर्यनमस्कार संबंधी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :


सूर्यनमस्कार कैसे करते हैं ?

सूर्यनमस्कार में कुल 12 आसन किये जाते हैं। इसमें की जानेवाली 12 शारीरिक स्तिथियों का संबंध 12 राशियों से होने के दावा भी किया जाता हैं। सूर्यनमस्कार करने का सबसे शुभ समय सूर्योदय का होता हैं। अगर संभव हो तो इसे सूर्य की तरफ मुख कर स्वच्छ हवादार स्थान करने से ज्यादा लाभ होता हैं। सूर्यास्त के समय भी यह किया जा सकता हैं। समय न मिलने पर, इसे दिन में किसी भी समय किया जा सकता है पर आपका पेट खाली होना आवश्यक हैं।

सूर्यनमस्कार करने का क्रम इस प्रकार हैं :
  1. प्रणामासन : दोनों पैरो पर सीधे खड़े हो जाए और पैरो को एक दुसरे से मिलाकर रखे। आँखों को बंद कर दोनों हाथो के तलवे को एक दुसरे से वक्षपर (सिनेपर) मध्य में मिला दे। नमस्कार की मुद्रा धारण करे। इस आसन से एकाग्रता बढ़ती हैं और मानसिक शांति का लाभ होता हैं। 
  2. हस्तउतानासन : अब दोनों हाथों को कुंहनियो (elbow) को सिधाकर सिर के ऊपर उठा ले। दोनों हाथों को अपने कंधो की चौड़ाई की दुरी पर रखे। अब हाथ, सिर तथा शरीर को क्षमता अनुसार पीछे की और मोड़े। इस आसन से पाचन प्रणाली प्रभावित होती हैं। हाथ, कंधे तथा मेरुदंड को शक्ति मिलती हैं। अतिरिक्त वजन कम कर मोटापा को दूर करने में लाभप्रद हैं। 
  3. पादहस्तासन : अब धीरे-धीरे सामने की ओर झुकना हैं। दोनों हाथो को पैरो के बाजू मे रख कर भूमि को स्पर्श करे। माथे को घुटने से लगाने का प्रयास करे। ध्यान रहे की आपका घुटना सीधा रहना चाहिए। यह पेट पर जमी अतिरिक्त चर्बी कम करता हैं, कब्ज को दूर करता हैं, मेरुदंड लचीला बनाता है और पाचन प्रणाली मजबूत करता हैं। 
  4. अश्वसंचालनासन : अब निचे की ओर झुककर हथेलियों को दोनों पैर की बाजू मे रखे। बाए पैर के तलवे को स्थिर रखकर दाहिने पैर को पीछे की ओर अपने क्षमतानुसार अधिकतम तान दे। बाए पैर के घुटने को मोड़ दे। शरीर का संतुलन समान बनाये रखे। सिर को अपने क्षमतानुसार पीछे और ऊपर की ओर मोड़े तथा पीठ की कमान (curve) बनाए। आसमान / छत की और देखे। इस आसन से पैरो के स्नायु मजबूत होते हैं। तंत्रिका प्रणाली (Nervous System) संतुलित होती हैं। 
  5. पर्वतासन : अब बाए पैर को पीछे कर दाहिने पैर से मिला दें। नितंब (Hips) को ऊपर की और उठा दे। सिर को सामने झुकाकर दोनों हाथों के बिच रखे। हाथो को कुंहनियो से और पैर को घुटनों से सीधा कर पर्वत के समान आकर बनाए। एडियो को भूमि से लगाने का प्रयास करे। यह आसन हाथ-पैर के स्नायु तथा मेरुदंड को मजबूती प्रदान करता हैं। 
  6. अष्टांग नमस्कार : अब धीरे-धीरे निचे की ओर झुके और दोनों पैर की अंगुलिया, दोनों घुटने, दोनों हथेलिया, छाती तथा ठुड्डी यह आठ अंगो से भूमि को स्पर्श करे। इस आसन से हाथ-पैर तथा वक्षप्रदेश के स्नायु को मजबूती मिलती हैं।  
  7. भुजंगासन : अब नितंब को धीर से निचे की ओर ले आए। हाथों को कुंहनियो से सीधा करे तथा सिर और पीठ को पीछे की ओर तानकर कमान जैसा करे। आकाश की ओर देखे। इस आसन में शरीर का आकर सर्प के समान होता है इसलिए इसे भुजंगासन कहते हैं। इस आसन से मेरुदंड लचीला होता हैं। प्रजनन संस्था और पाचन प्रणाली को फायदा होता हैं। 
  8. पर्वतासन : अब फिर से सिर और पीठ को सीधा कर पर्वतासन (point 5) क्रिया को दोहराना है। 
  9. अश्वसंचालानासन : अब बाए पैर को दोनों हाथो के बिच रखकर अश्वसंचालनासन (point 4) करना हैं। 
  10. पादहस्तासन : अब दोनों हाथो को पैर के बाजु में रखकर पादहस्तासन (point 3) करना हैं। 
  11. हस्तउत्तानासन : अब दोनों हाथो, सिर और शरीर को पीछे की ओर मोडकर हस्तउत्तानासन (point 2) को दोहराना हैं। 
  12. प्रणामासन : दोनों हाथो के तलवो को वक्ष पर रखकर प्रणामासन (point 1) करना हैं। 
इस तरह सूर्यनमस्कार का अर्ध चक्र पूर्ण होता हैं। पूर्ण चक्र के अभ्यास में आसन क्र 4 तथा 9 में दाहिने पैर की जगह बाए पैर को पीछे ले जाना है और दाहिने पैर को जगह पर स्थिर रखना हैं। हम सपने क्षमतानुसार सूर्यनमस्कार का अभ्यास कर सकते हैं।


सूर्यनमस्कार के क्या लाभ हैं ?

सूर्यनमस्कार एक सरल और बहुउपयोगी योगासन हैं। सूर्यनमस्कार से होनेवाले विविध लाभ की जानकारी निचे दी गयी हैं :
  • सिर्फ एक सूर्यनमस्कार करने से ही 12 आसन करने का लाभ मिलता हैं। 
  • सुबह सूर्योदय के समय खाली पेट सूर्यनमस्कार करने से हड्डियों को सूर्य की किरणों से Vitamin D भी मिलता है जिससे हड्डिया मजबूत बनती हैं। 
  • शरीर शिथिलीकरण, अंतर्गत मालिश तथा जोड़ और स्नायु को सुगठित करने के लिए सूर्यनमस्कार उत्तम योग हैं। 
  • सूर्यनमस्कार करने से शरीर को उर्जा देनेवाली पिंगला नाडी सुप्रवाहित होती हैं। 
  • सूर्यनमस्कार करने से आँखों की रोशनी ठीक रहती हैं। 
  • संपूर्ण शरीर लचीला बनता हैं। 
  • वजन कम करने में सहायक हैं। 
  • बालो का झड़ना और सफ़ेद होना कम होता हैं। 
  • शरीर की सभी प्रणालिया जैसे की - पाचन, श्वसन, प्रजनन, तंत्रिका और अन्तःस्त्रावी ग्रंथि को संतुलित किया जाता हैं। 
  • मस्तिष्क को प्राणयुक्त रक्त का प्रवाह प्रदान करता हैं। 
  • प्रसूति के 40 दिन बाद पेट को कम करने के लिए सूर्यनमस्कार उपयोगी हैं।
  • मानसिक शांति और धैर्य प्रदान करता हैं। 

सूर्यनमस्कार में क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?

सूर्यनमस्कार में निम्लिखित सावधानी बरतनी चाहिए :
  • बुखार, जोड़ो में सुजन होने पर सूर्यनमस्कार नहीं करना चाहिए। 
  • अनियंत्रित उच्च रक्तचाप, हर्निया, गंभीर ह्रदय रोग, चक्कर आना तथा मेरुदंड के गंभीर रोगी को सूर्यनमस्कार नहीं करना चाहिए। 
  • मासिक धर्म के समय तथा गर्भावस्था के 4 महीने के बाद सूर्यनमस्कार नहीं करना चाहिए। 
आज कई नामी हस्तिया भी खुद को फिट रखने हेतु सूर्यनमस्कार का नियमित अभ्यास करते हैं। सूर्यनमस्कार से सभी अंगो को लाभ मिलता है इसलिए इसे 'सर्वांग व्यायाम' भी कहते हैं। शारीरिक और मानसिक लाभ के लिए इसका अभ्यास नियमित करना चाहिए।

पॉवर योगा

पावर योगा

आजकल की भागदौड भरी जिंदगी में हम सब काम रिमोट से करना चाहते हैं, चाहे व टीवी का चैनल बदलना हो या खिडकी के पर्दे हटाना हो। शरीर के स्वाचस्य की तरफ ध्यान देने के लिए बिलकुल टाइम नहीं है। आदमी पहले बुजुर्ग होने पर बीमार पडता था लेकिन आजकल युवा पीढी में ही कई प्रकार की बीमारियों अर्थराइटिस, हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और डिप्रेशन के शिकार हो रही है। लेकिन पॉवर योगा करके कम समय में ही आसानी से स्‍वस्‍थ्‍य रह सकते हैं।

पॉवर योगा

इसे भारतीय योग के प्रमुख आसन सूर्य नमस्कार के 12 स्टे‍प्स और कुछ अन्य आसनों को मिलाकर बनाया गया है। इस योगा के प्रकार को कई सेलिब्रेटियों ने अपनाया है। जीरो फीगर व फिटनेस को बनाने में इसकी बहुत ही महत्वकपूर्ण भूमिका होती है। वजन घटाने व फिगर मेंटेन करने के लिए लड़कियाँ जहां पावर योगा सीख रही हैं, वहीं युवा लड़के भी फिटनेस, स्ट्रेंथ, सेल्फ कंट्रोल और कन्संट्रेशन के लिए इस योग का सहारा ले रहे हैं। इस योगा को 45 मि‍नट में किया जा सकता है और इसे सप्ताह में दो या तीन दिन ही किया जाता है। इसके लिए सुबह का समय होना जरूरी है।
इस योग की शुरूआत 1990 के मध्य में हुई थी। पावर योग मुख्यि रूप से अष्टांग योगा पर निर्भर करता है। लेकिन यह साधारण योगा से थोड़ा अलग है। यह योगा का एथलेटिक स्टाइल है, जिसमें सांसों की गति और अध्यात्म से ज्यादा शक्ति और लचीलेपन पर जोर रहता है। इसमें मुद्राओं की एक निर्धारित श्रेणी नहीं होती, इसलिए टीचर और इंस्ट्रक्टर के अनुसार स्टाइल अलग-अलग हो सकती है। पॉवर योगा में प्रत्येक व्यक्ति की शरीर के आधार पर ही विभिन्न प्रकार की एक्सरसाइज का इस्तेयमाल किया जाता है। पॉवर योगा में इंस्ट्रक्टर आपकी बॉडी अनुसार ही आपको एक्सरसाइज की टिप्स बताते हैं। इस योगा में आमतौर पर चार प्रकार के बॉडी शेप माने जाते है। एप्पल शेप, पियर शेप, नार्मल शेप और ट्यूब शेप जिसे जीरो फीगर भी कहा जाता है। इसमें प्रत्येक शेप के लिए अलग-अलग योगा की एक्सरसाइज होती है।

पावर योगा के फायदे

मोटापा कम करना

पावर योगा से मसल्स बनाने से लेकर शरीर के फैट तक को कम किया जा सकता है। साधारण योगा में जहां आसन और सांस की प्रक्रिया में जोर दिया जाता है वहीं पावर योगा वर्कआउट की तरह है। जिसमें विभिन्न पोज और एक्सारसाइज होती है। सप्‍ताह में कम से तीन बार पावर योगा जरूर करें। इसमें शरीर की कैलोरी जलाने की क्षमता बढती है जिससे आसानी से मोटापा कम करके शरीर को आकर्षक शेप दिया जा सकता है।

बीमारियों से रहें दूर

इस योगा के करने से रक्त संचार और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढती है। जिससे अनेक बीमारियां जैसे- अस्थमा, अर्थराइटिस, डिप्रेशन, डायबिटीज, हाइपरटेंशन आदि बीमारियां समाप्त होती हैं।

तनाव से रहें दूर

कंपटीशन के दौर में घरेलू या ऑफिस की वजह से हर कोई तनाव में रहता है। पावर योगा को करने से तनाव कम होता है। पसीने से शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले टॉक्सिन निकलते हैं जिससे सेल्फ-कंट्रोल और कन्संट्रेशन बढता है।

पावर योगा शरीर को फिट रखने का एक आसान तरीका है। यह योगा 16 से 30 साल के युवाओं के लिए अच्छा होता है। दिल को रोगियों, लो-ब्लेड प्रेशर और प्रेग्नेंट औरतों को यह योगा नहीं करना चाहिए। इस योगा में संयम और ध्यान में जोर नहीं दिया जाता है जो कि पारंपरिक योगा का मूल मंत्र है।

योग से पाएं खतरनाक रोगों पर नियंत्रण

योग से पाएं खतरनाक रोगों पर नियंत्रण

किसी कठिन और थका देने वाली दो-ढाई घंटे लंबी कसरत के बजाय बीस से तीस मिनट तक किया जाने वाला योगाभ्यास ज्यादा कारगर होता है। कसरत में फिर भी नुकसान की गुंजाइश रहती है क्योंकि पता नहीं शरीर में कौन सा रोग पल रहा है और की जा रही कसरत अपने दबाव से उस रोग को बढ़ा या बिगाड़ दे।

लेकिन योग में ऐसा कोई खतरा नहीं। कोई आसन अभ्यास अनुकूल नहीं बैठ रहा तो आपकी सांस उखड़ने लग सकती है या हो सकता है कि वह आसन करना संभव ही न हो। योग के इन फायदों के साथ ताजा अनुसंधानों में यह भी साबित हुआ है कि योग से मधुमेह, अस्थमा और हृदयरोग जैसी जटिल बीमारियां भी बिना किसी औषधि और उपचार के नियंत्रित की जा सकती है।

चिकित्सा विज्ञान दवाओं और इलाज के बावजूद रोग के ठीक होने या उसे काबू करने की गारंटी नहीं लेता परंतु योग तो निश्चित आश्वासन देता हैं क्योंकि यह शरीर में मौजूद रोग प्रतिरोधक क्षमता से तालमेल बिठाता है।

राजधानी के सर गंगाराम अस्पताल में सौ रोगियों पर योग के प्रभाव का परीक्षण किया गया। कारोनरी हृदय रोग और मधुमेह के रोगियों को दो वर्गों में बांटकर उनकी जीवन शैली में थोड़ा बदलाव किया। इनमें एक वर्ग को सिर्फ दवाओं के भरोसे ही रखा गया और दूसरे वर्ग को योगपरक जीवन शैली के लिए प्रेरित किया।

खानपान, योग और ध्यान समन्वित इस जीवन शैली के उत्साह वर्धक परिणाम आए। जिन साधकों ने योगपरक जीवन शैली अपनाई थी उनके बाडी मास इंडेक्स (बीएनएल), कोलेस्ट्रोल और रक्तचाप नियंत्रित मिले। इस अध्ययन का संयोजन कर रहे डा. डीएससी मनचंदा के अनुसार मधुमेह, हृदय रोग और अस्थमा जैसे आधुनिक सभ्यता के रोगों पर योग से नियंत्रण की दिशा में उत्साह वर्धक परिणाम आए हैं।

आंखों के लिए योगा


आंखों के लिए योगा
आखों के योग अपनाकर आजीवन अपनी दृष्टि को मजबूत बना सकते हैं। निश्चित अंतराल के बाद आखों की रोशनी अपने-आप कम हो जाती है। आखों के आसपास की मांसपेशियां अपने लचीलेपन को समाप्त कर देती हैं और कठोर हो जाती हैं। लेकिन अगर आखों के आस-पास की मासपेशिया मजबूत हों तो आखों की रोशनी बढ़ती है। आखों और दिमाग के बीच एक गहरा संबंध होता है। दिमाग की 40 प्रतिशत क्षमता आखों की रोशनी पर निर्भर होती है। जब हम अपनी आखों को बंद करते हैं तो दिमाग को अपने-आप आराम मिलता है। दुनिया की कुल आबादी की 35 प्रतिशत जनसंख्या निकट दृष्टि दोष और दूरदृष्टि दोष (हाइपरमेट्रोपिया) से ग्रस्त है जिसकी वजह से लोग मोटे-मोटे चश्मों का प्रयोग करते हैं। लेकिन चश्मे का प्रयोग करके आखों की रोशनी को बढाया नहीं जा सकता है। योगा करके आखों की रोशनी को कायम रखा जा सकता है।

काम के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखें:

-गर्दन को सीधा रखकर आखों की पुतलियों को पहले 4-6 बार ऊपर नीचे और फिर दाएं-बाएं घुमाएं। उसके पश्चात 4-6 बार दाएं-बाएं गोलाई में क्लॉकवाइज और एंटी-क्लॉकवाइज घुमाइए।

-आखों को घुमाते वक्त हथेलियों के मध्य भाग से आखों को कुछ देर तक ढंककर रखें, इससे आखों की मासपेशिया मजबूत बनी रहेंगी।

-कंप्यूटर पर काम करते वक्त हर 10 मिनट बाद कम से कम 20 फुट दूर जरूर देखें, इससे दूर दृष्टि बनी रहेगी।

आखों के लिए कुछ योगा

सर्वागासन:

-इस क्त्रिया को करने के लिए सबसे पहले शवासन में लेट जाइए, दोनों हाथों को जाघों की बगल में तथा हथेलियों को जमीन पर रखें। पैरों को घुटनों से मोडकर ऊपर उठाइए तथा पीठ को कंधों तक उठाइए। दोनों हाथ कमर के नीचे रखकर शरीर के उठे हुए भाग को सहारा दीजिए इस तरह ठुड्डी को छाती से लगाए रखें। अब सास को रोके नहीं। अब पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए वापस माथे के पास ले आइए। अब हाथों को जमीन पर रखते हुए शरीर और पैरों को धीरे-धीरे शवासन में लाइए। आसन करते समय आखों को खुला रखें। इस आसन को करने से आखों की रोशनी तेजी से बढती है। क्त्रोध और चिड़चिड़ापन भी समाप्त होता है। बच्चों के दिमाग के लिए यह आसन बहुत उपयोगी है।

शवासन:

इस आसन को करने के लिए सहज और शात मन से पीठ के बल लेट जाइए। पैरों को ढीला छोड़कर भुजाओं को शरीर से सटाकर बगल में रख लीजिए। शरीर को पूरी तरह से फर्श पर स्थिर हो जाने दीजिए। इस आसन को करने से शरीर की थकान और दबाव कम हो जाएगी। सास और नाड़ी की गति सामान्य हो जाएगी। आखों को आराम मिलता है और रोशनी बढ़ती है।

प्राणायाम:

प्राणायाम पद्मासन और सिद्धासन की मुद्रा में बैठकर किया जाता है। प्राणायम शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की साधनाओं में किया जा सकता है। प्राणायाम करने से दिमाग स्थिर रहता है और आखों की रोशनी बनी रहती है। प्राणायाम से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं।

कई लोग जो कंप्यूटर पर लगातार 8-10 घटे काम करते वक्त आखें गड़ाए रहते हैं उनकी आखों पर नुकसान पहुंचता है। आखों को आराम देने के लिए केवल नींद लेना ही पर्याप्त नहीं होता है। आखों में कमजोरी आने की वजह से स्मृति दोष और चिड़चिड़ापन की समस्या आम हो जाती है जिसके लिए आखों का योगा बहुत जरूरी है।

योग के फायदे

योग के फायदे

ऐलोपैथी और होम्योपैथी के दौर में योग और आयुर्वेद का प्रचलन बढ़ता जा रहा है और आगे भी बढ़ेगा। लोगों को योग की ओर झुकना ही होगा। ऐसा लगता है कि आज दवाइयों का नहीं बीमारियों का उत्पादन होने लगा है। दवाइयों पर भरोसा नहीं रहा। दवा भी अब किसी को असर करती है तो किसी को नहीं और आखिर कब तक दवा के भरोसे रहेंगे। हम दवा को नहीं दवा हमें खा रही है।

सब कुछ हो चला दूषित : दूषित अन्न, दूषित जल और वायु प्रदूषण के चलते व्यक्ति वक्त के पहले ही मौत के करीब पहुंच जाता है। शहरी लोगों को गौर से देखने पर पता चलता है कि वे किसी तरह बस जी रहे हैं। खुद पर अत्याचार करते-करते उनके चेहरे मुरझा गए हैं और शरीर भी अब कहने लगा है- बस अब मुझे छोड़ दो।

रोग का फैलाव : किसी को कब्ज है, किसी को अस्थमा, किसी को सिरदर्द बना रहता है तो किसी को तनाव। शहरी जीवन में ये रोग सामान्य हो चले हैं। इसके अलावा अब डायबिटीज, हार्ट अटैक, ब्लडप्रेशर भी आम शहरी जीवन में पैठ बना चुके हैं। वक्त के पहले ही लोग बुढ़े होने लगे हैं और बेवक्त ही मर जाते हैं। इन सबके चलते सबसे ज्यादा मजे में रहते हैं शहर के अस्पताल।

सेहतमंद और स्फूर्तिवान बनाने में सक्षम है योग : ऐसे माहौल में सिर्फ एक ही उपाय है योग और आयुर्वेद का फंडा। योग से जुड़ों और सदा स्वस्थ तथा स्फूर्तिवान बने रहो। आप सोच रहे होंगे कि योग का अर्थ एक्सरसाइज करना है तो जिम ही ठीक है, अखाड़े जाते तो हैं। लेकिन जनाब ये आपकी बॉडी को बनाते और बिगाड़ते हैं, लेकिन यह उसे सेहतमंद और स्फूर्तिवान बनाने में सक्षम नहीं हैं। क्या इससे उम्र लंबी होती है? व्यक्ति सदा जवान बना रह सकता है? नहीं।

योग आपको ‍कई स्तर से सुधारता है- आसन से जहां हड्डी, मांस-मज्जा और भीतरी अंगों में सुधार होता है, वहीं प्राणायाम से शरीर के भीतर की नस और नाड़ियों में सुधार होता है। इसके अलावा बंध, मुद्रा और क्रियाएं हैं जो आपके शरीर से दूषित पदार्थ को बाहर निकालकर हर तरह के रोग को समाप्त करने की ताकत रखती हैं।

सबसे बड़ी दवा योगनिद्रा और ध्यान : इसके अलावा शोध कहते हैं कि नींद सबसे बड़ी दवा है इसीलिए योगनिद्रा जरूरी है। ध्यान पर दुनियाभर में शोध हुए हैं- ध्यान से जहां हार्ट अटैक, ब्लडप्रेशर जैसे रोगों को रोका जा सकता हैं, वहीं इसके नियमित अभ्यास से कई गंभीर बीमारियां भी ठीक की जा सकती हैं।

योग से शारीरिक, मानसिक और आत्मिक तीनों स्तर पर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है। निश्चित ही आप योग से 100 वर्ष तक स्वस्थ रहकर जवान बने रह सकते हैं। बशर्ते कि आप सदा योग की शरण में रहें।

प्राणायाम बीमारियों से आपकी सुरक्षा करता है।

प्राणायाम

स्वस्थ रहने के लिए योगा से अच्छा कोई और विकल्प नहीं। तन और मन को आराम देने वाले इस आसन प्राणायाम श्वा‍स से संबंधी व्यायाम है। यह योग पूरी तरह से हमारी श्वनसन प्रक्रिया पर आधारित है। वास्तविकता यह भी है कि आप एक ही दिन में प्राणायाम करना नहीं सीख सकते, इसके लिए रोज़ अभ्याहस करने की आवश्यकता है। सही प्रकार से किया गया प्राणायाम बीमारियों से आपकी सुरक्षा करता है।

प्राणयाम योग में आप अनुलोग-विलोम कर सकते हैं। अनुलोम विलोम बेहद ही आसान व्‍यायाम है, इसे आप आसानी से घर बैठे भी कर सकते हैं।

सबसे पहले तो पालथी मारकर बैठ जायें और फिर अपने दाहिने हाथ से बाईं ओर की नाक को बंद कर के सांस लें और छोड़ें।
यही प्रक्रिया बाये हांथों से दोहरायें।
सांस छोड़ने की लय घड़ी की आवाज़ की तरह ही नियमित होनी चाहिए।
एक हफ्ते तक हर एक सेकण्ड में एक बार सांसों को बाहर की ओर लेने की प्रक्रिया को बनाये रखना चाहिए और फिर एक सेकण्ड में दो बार सांसों को बाहर की ओर छोड़ना चाहिए।
ऐसी सलाह दी जाती है कि प्राणयाम की शुरूवात में हर एक दौरे में 10 बार सांसों को अंदर की ओर लेना और बाहर की ओर छोड़ना शामिल होना चाहिए और धीरे धीरे इस प्रक्रिया का समय बढ़ाना चाहिए ।

प्राणायाम में सावधानी

व्यायाम के दौरान किसी प्रकार का कठोर दर्द होने पर कुछ समय के लिए व्यायाम नहीं करना चाहिए।
ऐसी भी सलाह दी जाती है कि व्यायाम करते समय अपने फीज़ीशियन से सम्पर्क करें जो आपको श्वसन से सम्बन्धी व्यायाम समझा सके। उच्च रक्तचाप और हृदय के मरीज़ों को डाक्टरी सलाह के बिना कपालभाती नहीं करनी चाहिए।
यह भी ध्यान रखने योग्य बात है कि इस आसन को खाली पेट ही करना चाहिए।
अगर आपको व्यायाम के दौरान चक्कर आता है या आपके पेट में दर्द होता है तो ऐसे में कुछ समय के लिए व्यायाम करना छोड़ दें।

तन और मन को आराम देने वाले इस आसन प्राणायाम श्वा‍स से संबंधी व्यायाम है।

शीर्षासन क्या है,

शीर्षासन

योगासन कोई भी हो लेकिन उसके कोई ना कोई फायदे जरूर होते हैं। शीर्षासन भी एक ऐसा ही आसन है जो सिर के बल किया जाता है। शीर्षासन को योगासनों में सबसे अच्छा माना जाता है। शीर्षासन को वृक्षासन और कपालासन के नाम से भी जाना जाता हैं। शीर्षासन के कई लाभ हैं इसीलिए इसे बहुत ही उपयोगी माना जाता है। लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि आखिर शीर्षासन क्या है, इसके क्या -क्या लाभ हैं। शीर्षासन कैसे किया जाता है। किन लोगों को शीर्षासन नहीं करना चाहिए। इन्हीं सब बातों को जानने के लिए यह जानना होगा कि शीर्षासन क्या हैं। आइए जानें आखिर शीर्षासन क्या है।
क्या है शीर्षासन

शीर्षासन जैसे की नाम से ही विदित हैं यह सिर के बल किया जाने वाला आसन हैं। हालांकि शीर्षासन को करने के लिए बहुत अभ्यास की जरूरत है क्योंकि इस आसन को करना हर किसी के बस की बात नहीं।
यदि कोई शीर्षासन करना सीख जाएं तो वह व्यक्ति कई गंभीर बीमारियों से आराम से लड़ सकता हैं।
शीर्षासन को ताड़ासन के विपरीत माना गया हैं।

शीर्षासन करने की प्रक्रिया
शीर्षासन किसी चद्दर या फिर कंबल पर करना चाहिए।

इसके लिए आपको किसी सपाट जगह का चयन करना चाहिए।
शीर्षासन के लिए सबसे पहले आपको वज्रासन में बैठना चाहिए। आप इस तरह से बैठें की आगे की ओर झुकने के लिए आपके पास भरपूर जगह हो।
वज्रासन में बैठकर आप दोनों कोहनियों को जमीन पर टिकाकर दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में मिला लें।
दोनों हाथों की अंगुलियों को मिलाकर आपकी हथेलियां ऊपर की ओर होनी चाहिए जिससे आप अपने सिर को हथेलियों का सहारा दे सकें।
धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हए अपने सिर को हथेलियों पर रखें और सांस सामान्य रखें। फिर धीरे-धीरे अपने सिर पर शरीर का भार आने दें।
इस स्थिति में आकर आपको अपने पैरों को आसमान की ओर उठाना है ठीक इस तरह से जैसे आप सीधें पैरों के बल खड़े होते हैं वैसे ही आप उल्टा सिर के बल खड़े हैं।
कुछ देर इसी स्थिती में रहें और फिर सामान्य स्थिति में वापस आ जाएं।

शीर्षासन के लाभ

शीर्षासन को नियमित रूप से करने से आप पाचन संबंधी बीमारियों से आसानी से निजात पा सकते हैं।
शीर्षासन से शरीर में रक्त संचार प्रक्रिया सुचारू रूप से काम करने लगती हैं।
शीर्षासन से शरीर को मजबूती मिलती हैं और शरीर हष्ट -पुष्ट बनता हैं।
शीर्षासन के जरिए ही मस्तिक में रक्त संचार बढ़ता हैं जिससे याददाश्त बढ़ाने में मदद मिलती हैं।
कब्ज, हर्निया जैसी बीमारियों से निजात पाने के लिए शीर्षासन करना चाहिए।
बालों संबंधी समस्याओं, बालों के झड़ने की समस्या हो या फिर समय से पहले बाल सफेद होने की समस्या इनसे निजात पाने के लिए शीर्षासन करना चाहिए।
शरीर को अधिक से अधिक सक्रिय करने और कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए शीर्षासन बहुत ही उपयोगी आसन हैं।

शीर्षासन के दौरान सावधानियां

पहली बार शीर्षासन किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए।
यदि आप थोड़ा सा भी अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं तो आपको शीर्षासन करने से बचना चाहिए।
पहली बार शीर्षासन के दौरान आप दीवार का सहारा भी ले सकते हैं।
आपका रक्तचाप बहुत अधिक बढ़ा रहता है तो आपको शीर्षासन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
यदि आपको सर्वाइकल की समस्या है या फिर गर्दन में दर्द की समस्या है तो आपको शीर्षासन नहीं करना चाहिए।
जिन लोगों को कम दिखाई देता है या फिर आंखों संबंधी कोई और समस्या हैं तो उन्हें शीर्षासन नहीं करना चाहिए।

बच्चों को योग सिखाने के लाभ--- -

इससे बच्चें शांत होते है. - आज के दौर में बच्चें भी बहुत तनाव में होते है. योग से उनका तनाव दूर होता है. - योग बच्चों की एकाग्रता और संतुलन को बढाता है. - योग करने से बच्चें सक्रीय और बेहतर जीवन शैली की ओर कदम बढाते है. - योग करने से बच्चों की नींद और अच्छी होती है. - योग करने से बच्चों की कार्य प्रवीणता यानी मोटर स्किल में वृद्धि होती है. वे बारीक से बारीक और भारी से भारी काम ज़्यादा अच्छे से करते है. - योग करने से बच्चों का पाचन अच्छा होता है . इससे उनके मुंह का स्वाद और भूख खुलने से वे सब कुछ खाना पसंद करते है. वे जंक फ़ूड से दूर रह पाते है. - योग से बच्चों में लचीलापन और शक्ति बढती है. - योग से बच्चें बेहतर तरीके से अपने विचार लिख-बोल पाते है. उनका आत्मविश्वास बढ़ता है. - योग से बच्चें अपने शरीर , मन , विचार और बुद्धि के प्रति जागरूक होते है. - योग करने से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होता है. - इससे बच्चों में रोग प्रतिकारक शक्ति का विकास होता है. बार बार सर्दी खांसी , अस्थमा और पेट की गड़बड़ी नहीं होती. - बच्चों में किसी प्रकार की एलर्जी नहीं होती. - बचपन में शरीर हल्का और लचीला होता है. कई आसन बचपन से ही करना चाहिए जैसे शिर्षासन. इससे बड़े हो कर भी वे अच्छे से सभी आसन कर पाते है. - योग भारत का गौरव है इसे हर भारतीय को करते आना चाहिए. इससे देश के प्रति अभिमान में वृद्धि होती है. - योग सीख लेने पर एक शैली में बच्चा निपुण हो जाता है. यह उसे अपने आगे के जीवन में बहुत काम आयेगा. - योग से प्राप्त लचीलापन , शारीरिक और मानसिक क्षमता अन्य खेल और कला सीखने में काम आएँगी. - स्वामी रामदेवजी ने बच्चों के लिए बहुत मनोरंजक शैली में योग कार्यक्रम बनाए है. इस लिंक पर जाकर बच्चों के साथ इन कार्यक्रमों को देखें -दिखाए. इससे बच्चें योग की ओर आकर्षित होंगे.

बच्चों के लिए योग


बच्चों के लिए योग
आजकल की रोजमर्रा की जिंदगी में बच्चे भी बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं। इसीलिए ये जरूरी हो जाता है कि बच्चों को अधिक से अधिक सक्रिय रखा जाएं। बच्चों को सक्रिय रखने के लिए आपको चाहिए कि आप बच्चों को अपने साथ टहलने के लिए ले जाएं या फिर बच्चों से योग करवाएं और बच्चों के साथ योग करें। लेकिन क्या आप जानते हैं बच्चों को हर तरह के योग नहीं करवाने चाहिए, इतना ही नहीं बच्चों को योगा के दौरान सावधानियां भी बरतनी चाहिए। लेकिन इससे पहले आपको यह भी जानना चाहिए कि बच्चों को योग करवाने के क्या फायदे हैं। योगा के जरिए क्या बच्चे भी वजन कम कर सकते हैं। आइए जानें बच्चों के लिए योग के दौरान क्या करें,क्या ना करें।

बच्चों के लिए योग

बच्चों को योग कराने के दौरान बैठने वाले आसनों में कमर सीधी करके बैठाएं।
खड़े होने वाले आसनों में एकदम सीधा खड़ा करें।
बच्चों को लंबी सांस लेने के लिए कहें जिससे योग का बच्चों को भरपूर लाभ मिल सकें।
बच्चों को किसी भी काम पर फोकस करने के लिए बीच-बीच में योग का महत्व और योग के फायदों के बारे में बताते रहें।
बच्चों से उच्चारण करवाएं जिससे बच्चे योगा के दौरान रोमांच महसूस करें।

बच्चों के लिए योग के फायदे

योग बच्चों को अधिक से अधिक सक्रिय बनाता है। इतना ही नहीं उनका शरीर अधिक लचीला बनता हैं।
योग से बच्चों का इम्‍यून सिस्टम मजबूत होता है और इससे वे बीमारियों से बच पाते हैं।
बच्चों के रोजाना योग करने से उनका काम के प्रति ध्यान केंद्रित होता है और बच्चों के मस्तिष्क का विकास भी सही रूप में होता है।
बच्चों को एक्टिव बनाने और आत्मविश्वास बढ़ाने में योगा बहुत ही उपयोगी हैं।
बच्चों को फिट रखने और मौसमी बीमारियों से बचाने के लिए योगा फायदेमंद है।
सूर्य नमस्कार, मेडीटेशन और योगासन से चंचल बच्चों का मन शांत होता है।
योगासन से बच्चे तनावग्रस्त होते हैं और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से बचते हैं।
योग के जरिए जिद्दी बच्चों को ठीक किया जा सकता है और जिन बच्चों को बहुत गुस्सा आता हैं उनके गुस्से को नियंत्रि‍त करने में योग बहुत लाभदायक है।
सकारात्मक सोच और बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए बच्चों को योग करवाना चाहिए।

योग के दौरान ध्याग रखने योग्य बातें

बच्चों को योगासन कराने से पहले ध्यान रखें कि बच्चा खाली पेट हो।
बच्चों को योग उसी स्थिति में करवाना चाहिए जब आप बच्चे को सप्ताह में कम से कम पांच दिन योग करवा सकें यानी नियमित रूप से योगा करवाना जरूरी हैं।
योग के दौरान बच्चे को शुरूआत में ही सब कुछ एकसाथ ना करवाएं। बल्कि धीरे-धीरे अभ्यास करवाएं। जैसे शुरू के सप्ताह में 15 मिनट, दूसरे सप्ताह में 30 मिनट।
बच्चों को योग के दौरान बीच-बीच में रिलैक्स करवाने के लिए श्वासन जरूर करवाएं जिससे बच्चे थके नहीं।
योग के दौरान बच्चों को बोरियत ना हो इसके लिए आपको कोई लाइट म्यूजिक थीम चलाना चाहिए, इससे बच्चों का मन लगा रहेगा।
आप भी बच्चों के साथ योगासन करें।

function disabled

Old Post from Sanwariya