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शनिवार, 23 दिसंबर 2017

शौच का इतिहास

शौच का इतिहास
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शौच का भी अपना अनूठा इतिहास है
पशुवत शौच की संस्कृति समूचे भारत की रग रग में समाई थी।
हालांकि तिकोनी लंगोटी की आड़ में शुरू ये सभ्यता
साल होते होते खुली नाली पर आ जाती है ।
तिकोनी लंगोटी में विकास होते ही
उसका इतिहास बदला और हगीज युग का
प्रचारमय  प्रारंभ हुआ।
ग्रामीण शौच का इतिहास बेहद
अनूठा रहा है नित्य ही सामूहिक शौच के आयोजन
सुबह शाम गांव की गलियों से खेतों की पगडंडियों तक होते रहे हैं
इन राहों पर गांवों की गोरियों की लोटा यात्रा में समाई उनकी हंसी की खनक
कभी कभी लोगगीतों की गूंज इस पूरे परिवेश को मनमोहक बना देती है
नदी किनारे बसे गांवों में शौचकाल में लोटे का प्रयोग निंदनीय रहा ।
विकास काल में रेल मंत्रालय ने शौच के इतिहास में क्रांति कर दी देश को सबसे बड़ा छतद्वार विमुक्त शौचालय उपलब्ध करा कर।
कालांतर में यही शौचालय रेल की पटरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ
बड़े बड़े खेतों में सामूहिक शौच की परंपरा ने भारीचारे को मजबूती प्रदान की।
इतिहास साक्षी है इस खुली शौच परंपरा ने
क ई प्रेमी युगल को गन्ने और। अरहर के खेतों तक पहुंचाया है और उनके मिलन का साक्षी प्रेमिका के हाथों में सधा वो लोटा ही रहा है
खेतों की पगडंडी की तरफ
लोटे के साथ लंबे घूंघट में गमन करता
बहुओं का समूह। सासनिंदा की किलोल करता था
गोल घेरे में बैठ कर फारिग होना और
सास ननद का रोना रोना
सामूहिक शौच के उत्सवी हिस्से थे
एक बिगड़ैल सांड के खेत में
अचानक आ जाने से हमारे मित्र का लोटा
चारों खाने चित हो गया ।
हड़बड़ी में भागे मित्र
अपने किये पर ही  धर रहे
इतिहास के कुछ पन्नों में
नाड़े दार कच्छे और पाजामे भी दर्ज है ।
ऐसे पजामे जिनके नकचढ़े नाड़ों ने
ऐनमौके पर खुलने से इंकार कर
अपनी कुर्बानियां दी ।
खुले में शौच एक परंपरा है
एक संस्कार है
इसी परंपरा के चलते गांव के लटूरी दास की बेटी
लोटा लेकर खेत में गई और साल भर बाद
गोद में लल्ला लेकर लौटी ।
मुसद्दी पहलवान खेत में ही अपनी पुरानी दुश्मनी के चलते खेत रहे । लौटा लेकर जो बैठे तो दुश्मनों ने उठने का मौका भी न दिया ।
लौटे का पानी आंसुओं की तरह बह गया
खुले में शौच के हजार रोचक किस्से हैं
मसलन बारिश में हरी हरी घास जब खेतों में आपकी बैठक का विरोध करें और आप प्रतिकार में उस पर बोझ डाल कर लम्बी सांस छोड़ कर अलौकिक सुख का अनुभव करते हैं ।
अनुभव हीन शौचार्थी जब लौटे के साथ सुरक्षित कोना तलाश रहा होता है तब तक अनुभवी शौचार्थी फारिग हो कर विजयी मुस्कान के साथ अपना पंचा फेंटा बांध रहा होता है । संक्षेप में कहें तो जिस मनुष्य ने खुले में शौच का आनंद नही लिया उसका मानव योनि में जन्म लेना ही व्यर्थ है
,२०० आदमियों की बारात के बीच दस बारह लौटे बार बार खेत से जनवासे तक दौड़ कर कन्या दान के प्रति अपना दायित्व निभाते हैं। शौच की विकास गाथा में लौटे के कंधों के भार को प्लास्टिक की बोतलों ने भी बांटा है
गाड़ी ड्रायवरों और हाइवे के ढावा संचालकों की इन बोतलों ने बेहद सेवा की है
आपातकालीन खुल्लमखुल्ला शौच में अखबारी कागज पत्ते या पत्थरों का भी अविस्मरणीय योगदान है
इस संस्कारिक परंपरा को बंद कर इतिहास से छेड़छाड़ करने का हक संविधान में किसी को नही है
खुले में शौच मानव का संवैधानिक अधिकार है
अतः इस परंपरा को जारी रखे वरना आने वाली पीढ़ी इस अभूतपूर्व सुख से वंचित रहेगी और रेल की खिड़कियों से खेतों में मुंह ढककर उठती बैठती पृजातियो के दर्शन ही दुर्लभ हो जायेंगे ।

सोमवार, 18 दिसंबर 2017

बनिये की सोच सबसे अलग और आगे रहती है।

गुजरात  में एक बड़ी फैक्ट्री का निर्माण हो रहा था और उस प्लांट को बनाने के दौरान एक बड़ी समस्या थी.
वो *समस्या ये थी कि एक भारी भरकम मशीन को प्लांट में बने एक गहरे गढ्ढे के तल में बैठाना था लेकिन मशीन का भारी वजन एक चुनौती बन कर उभरा*.

*मशीन साईट पर आ तो गयी पर उसे 30 फीट गहरे गढ्ढे में कैसे उतारा जाये ये एक बड़ी समस्या थी* !! *अगर ठीक से नहीं बैठाया गया तो फाउंडेशन और मशीन दोनों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता*.
आपको बता दे कि ये वो समय था जब *बहुत भारी वजन उठाने वाली क्रेनें हर जगह उपलब्ध नहीं थीं*. जो थीं वो अगर उठा भी लेतीं तो *गहरे गढ्ढे में उतारना उनके बस की बात नहीं थी*.

आखिरकार  हार मानकर इस समस्या का समाधान ढूढ़ने के लिए प्लांट बनाने वाली कम्पनी ने टेंडर निकाला और इस टेंडर का नतीज़ा ये हुआ कि बहुत से लोगो ने इस मशीन को गड्ढे में फिट करने के लिए अपने ऑफर भेजे *उन्होंने सोचा कि कहीं से बड़ी क्रेन मंगवा कर मशीन फिट करवा देंगे*. इस हिसाब से *उन्होंने 10 से 15 लाख रुपये काम पूरा करने के मांगे*. लेकिन उन लोगो के बीच एक *बनिया * था जिसने कंपनी से पूछा कि *अगर मशीन पानी से भीग जाये तो कोई समस्या होगी क्या* ?
इस पर कंपनी ने जबाव दिया कि *मशीन को पानी में भीग जाने पर कोई फर्क नहीं पड़ता*.
उसके बाद उसने भी टेंडर भर दिया ।

जब सारे ऑफर्स देखे गये तो *उस बनिये ने काम करने के सिर्फ 5 लाख मांगे थे*, जाहिर है मशीन बैठाने का काम उसे मिल गया.
लेकिन *अजीब बात ये थी कि उस बनिये ने ये बताने से मना कर दिया कि वो ये काम कैसे करेगा, बस इतना बोला कि ये काम करने का हुनर और सही टीम उसके पास है*.
उसने कहा – *कम्पनी बस उसे तारीख और समय बताये कि किस दिन ये काम करना है*.

आखिर वो दिन आ ही गया. हर कोई उत्सुक था ये जानने के लिए कि *ये बनिया काम कैसे करेगा* ? उसने तो *साईट पर कोई तैयारी भी नहीं की थी*. तय समय पर कई ट्रक उस साईट पर पहुँचने लगे. *उन सभी ट्रकों पर बर्फ लदी थी, जो उन्होंने गढ्ढे में भरना शुरू कर दिया*.

जब बर्फ से पूरा गढ्ढा भर गया तो उन्होंने *मशीन को खिसकाकर बर्फ की सिल्लियों के ऊपर लगा दिया*.
इसके बाद एक पोर्टेबल वाटर पंप चालू किया गया और गढ्ढे में पाइप डाल दिया जिससे कि पानी बाहर निकाला जा सके. *बर्फ पिघलती गयी, पानी बाहर निकाला जाता रहा, मशीन नीचे जाने लगी*.

4-5 घंटे में ही काम पूरा हो गया और *कुल खर्चा 1 लाख रुपये से भी कम आया*.
*मशीन एकदम अच्छे से फिट हो गयी* और उस *बनिये ने 4 लाख रुपये से अधिक मुनाफा भी कमा लिया*.

वास्तव में बिज़नेस बड़ा ही रोचक विषय है.
*ये एक कला है, जो व्यक्ति की सूझबूझ, चतुराई और व्यवहारिक समझ पर निर्भर करता है*.
*मुश्किल से मुश्किल समस्याओं का भी सरल समाधान खोजना ही एक अच्छे बिजनेसमैन की पहचान है* ,'और ये बनिया ने साबित कर दिया कि बनिये की सोच सबसे अलग और आगे रहती है।
🙏🙏

भाजपा जीत तो गई और जीत जीत ही होती

गुजरात के परिणाम पर ध्यान दिया जाय तो उस पर अशोक गहलोत की छाप स्पष्ट दिखाई दे रही है ,लेकिन यकीन मानिए काँग्रेस की बढ़ी सीटों का श्रेय अशोक जी को कदापि नहीं मिलेगा . काँग्रेस में श्रेय सिर्फ गाँधी परिवार को ही मिल सकता है और हार का ठीकरा हमेशा दूसरों के सर ही फूटता है .
भाजपा जीत तो गई और जीत जीत ही होती है लेकिन इस जीत के हार में चिंताओं के कांटे भी पिरोए हुए हैं .कुछ तो मोदी जी का चमत्कार गुजरात को बचा लाया और कुछ सहारा मौखिक बवासीर से ग्रस्त काँग्रेस नेताओं ने दे डाला वरना इस बार भाजपा को शर्म का सामना करना पड़ सकता था .
यह भी स्पष्ट हो रहा है कि मात्र विकास के बल पर ही वोट प्राप्त नहीं हो सकते इस के लिए जातियों को भी मैनेज करना होता है ,अपने परम्परागत वोटर्स की आस्थाओं को भी सहलाना पड़ता है और उन के साथ खड़े होना भी दिखाना होता है .अपनी छबि को बदलने का प्रयत्न नुकसान पहुँचा सकता है भाजपा को यह बात अच्छे से समझ लेनी चाहिए कि भाजपा को लोग उस की हिन्दुत्ववादी नीतियों के कारण पसन्द करते हैं . हिन्दुत्व की पटरी से किंचित् भी इधर उधर होने का संकेत जनता बर्दाश्त नहीं कर सकती .
काँग्रेस ने सॉफ्ट हिन्दुत्व का जो ढोंग किया उस से भी उस को कुछ लाभ हुआ इस परिवर्तन को इस दृष्टि से देखा जाना चाहिए कि यदि हिन्दू समाज एकजुटता दिखाए तो काँग्रेस हिन्दुत्व की तरफ झुकने को विवश होगी इस में कोई सन्देह नहीं . यह भी हिन्दुत्व की जीत है .
गुजरात में अब जो भी सरकार बने उसे मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों का अनुसरण करना होगा तब ही 2019 की राह आसान हो पाएगी अन्यथा आगे की राह काफ़ी काँटों भरी प्रतीत हो रही है .
अब बात आती है हिन्दू समाज की तो मुझे तो निराशा ही हो रही है . गुजराती अपना गला काटने ही जा रहे थे .यह तो भला हो मणिशंकर के घर की बैठक का जिस में पाकिस्तानियों को ' ब्रह्म भोज ' कराने की बात लीक हो गई और गुजराती हिन्दू थोड़े संभल गए वरना सरदार वल्लभ भाई पटेल के गुजरात में अहमद पटेल का परचम लहराता और फिर गुजराती हिन्दुओं के कस बल जम कर ढीले किये जाते .ढोंगियों के तिलक लगाने और वक्ती तौर पर मन्दिरों के दौरे करने से प्रभावित होने वाला हिन्दू समाज अब भी राजनैतिक रूप से इतना परिपक्व नहीं हो पाया है जितना होना चाहिए .

राहुल जी का फोन आया

राहुल जी का फोन आया .
अभी कल परसों ही दासजन पथ हो कर आया था .काँग्रेस अध्यक्ष पद का  बहुत ही कठिन चुनाव लड़ने के बाद राहुल जी को मिली सफलता और उन के अध्यक्ष  पर अभिषिक्त होने की ख़ुशी में जो हवन पूजन हुआ था उस का वृत्तांत तो आप को ज्ञात हो ही गया अब आज का ताजा समाचार यह है कि माननीय राहुल जी गुजरात के चुनाव परिणामों से उत्साहित हो कर आगे की रणनीति बनाने में जुट गए हैं .
संध्यावन्दन , चण्डीपाठ , रुद्राभिषेक और वेदाध्ययन के पश्चात् उन का शेष समय ( मात्र दो घंटे सोने और एक घंटा नित्य कर्म , दंतधावन और स्नान के अलावा ) अपनी पार्टी को सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में जिताने में ही लगा रहे हैं और इस का परिणाम भी मिल रहा है . आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि ब्रह्माण्ड के अधिकाँश ग्रहों, उपग्रहों , क्षुद्र ग्रहों , धूमकेतुओं ,नक्षत्रों , तारामंडलों , मंदाकिनियों आदि में राहुल जी के कुशल नेतृत्व के कारण काँग्रेस की सरकार बन चुकी है अब पृथ्वी जैसे तुच्छ ग्रह की कुछ सीटें ही जीतना बाकि है . अरब , इजराईल , सोवियत रूस , चीन , जापान , जर्मनी , सम्पूर्ण अमेरिका , सम्पूर्ण अफ्रीका , आस्ट्रेलियाअर्थात सातों महाद्वीपों  इत्यादि में काँग्रेस की सरकारें जनता के दुःख दर्दों को समाप्त कर रही है .
हाँ तो मूल बात पर लौटते हैं , राहुल जी ने मुझे बताया कि भय्या गुजरात में अपनी गुप्त जनेऊ को प्रकट करने तथा तिलक छापा करने से पार्टी को जिस प्रकार से बहुमत मिला है उस से उत्साहित हो कर अब यह प्लान है कि मैं अघोरी बन कर कौपीन धारण कर लूँ और इसी वेश में जीवन यापन करूं इस से मेरे प्यारे हिन्दू भाई बहनों को ख़ुशी होगी . चूँकि हिमाचल में कोई मन्दिर नहीं था इस लिए वहां मैं अपने आराध्य शिव जी के दर्शन नहीं कर पाया अतः सोच रहा हूँ कि पार्टी फण्ड से हिमाचल की एक एक विधानसभा में यानी ग्राम ग्राम नगर नगर भव्य देवालय बना दूँ जिस से भविष्य में जब हिमाचल में चुनाव हों तो नित्य देव दर्शन का जो मेरा व्रत है वह खण्डित न हो . अरे हिमाचल प्रदेश ही क्यूँ विश्व भर के गाँवों में देव मन्दिरों की एक पुरी श्रृंखला ही खड़ी कर दूँ , इन सब मन्दिरों के निकट चन्दन के वृक्ष भी लगा दूँ जिस से मेरे ललाट को लेपित करने के लिए ताजा चंदन उपलब्ध हो सके .निकट ही कुमकुम बनाने के कुटीर उद्योग स्थापित कर दूँ जिस से मेरे ही नहीं सभी हिन्दुप्रेमी कांग्रेसजनों के भाल कुमकुम चन्दनादि से सुशोभित हो सकें .
मैं गद्गद् हो उठा , मेरी आँखों से आनन्द बाष्प झरने लगे , मेरे रोम रोम खड़े हो गए . मैं सुखद कल्पनाओं में खो गया यानी भाव विभोर हो गया , मुझे विश्व भर के गाँव गाँव में बनने जा रहे देवालयों , उस में गूँजने वाली घंटियों कि मधुर टंकारों , वेद ध्वनियों आदि का दिव्य अनुभव होने लगा ,भावातिरेक से  मैं मूर्छित हो गया . जैसे ही मूर्छा समाप्त हुई मैं तत्काल आप को अपना सत्य वृत्तांत सुनाने उपस्थित हो गया हूँ .
भाईयों सत्य वृतांत को सत्य ही समझना इसी में आप का हित है .इसी से आप को परम पूजनीय सोनिया मय्या और प्रातः स्मरणीय राहुल जी की कृपा का प्रसाद प्राप्त होगा , जन्म मरण का बंधन कटेगा , आप के मार्ग का हर एक रोड़ा हटेगा , आप का काम पटेगा और  यदि आप इसे असत्य मानेंगे तो उस के दुष्परिणामों , घोर नरकों की यातनाओं को भोगना पड़ेगा जिस  के लिए स्वयं उत्तरदायी होंगे .
जय सोनिया मय्या जय राहुल भय्या .

शनिवार, 9 दिसंबर 2017

06 January 2018 रक्तदान शिविर का आयोजन

जय श्री कृष्णा साथियों





में रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है आपको व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित कर रहा हूं कृपया अपनी एवं अपनी सभी मित्रों व स्वैच्छिक रक्तदाताओं सहित समय पर पधार कर रक्तदान कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना अनमोल समय प्रदान करें आपका दिया गया रक्त तीन व्यक्तियों की जिंदगी बचा सकता है

कृपया अपना संपूर्ण योगदान एवं समय देवें

रक्तदाताओं की सूची बनाकर मुझे WhatsApp पर अवगत कराएं & contact us



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