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रविवार, 24 दिसंबर 2017

सबसे शुभ शानदार शगुन वाल्मीकि समाज की महिला का ही माना जाता है

हमारे मारवाड़ क्षेत्र और शेष राजस्थान में बिन्द (दूल्हा) जब घोड़ी पे बैठ के ब्याहने जाता है .... तो घोड़ी के आगे वाल्मीकि समाज की महिला खड़े हो के दूल्हे और बारात को अपना शगुन देती है ....
घर से बाहर किसी भी मांगलिक कार्य से निकलो .... या परदेस कमाने जाओ .... सर्वप्रथम वाल्मीकि समाज की महिला का शगुन लिया जाता है ....
घर पे बच्चा पैदा हो तो सर्वप्रथम .... वाल्मीकि समाज की महिला को बच्चे गोद में दे के उसकी नज़र उतारी जाती है ....
सबसे शुभ शानदार शगुन वाल्मीकि समाज की महिला का ही माना जाता है .... हर मंगल कार्य में इनका शगुन लिया जाता है ....
बेशक वाल्मीकि समाज आज 21 वीं सदी में भी मेला ढोता हो .... लेकिन वाल्मीकि समाज की महिला जब सुबह घर आएगी तो उनको सम्मान पूर्वक .... राणी जी या राणी सा कह के पुकारा जाता है ....
हिंदुत्व का पुरोधा है हमारा वाल्मीकि हरिजन समाज ....
जय श्री राम का उद्घोष लगाना हो .... सबसे आगे हमारा वाल्मीकि समाज ....
कार सेवा से ले के .... धार्मिक तीर्थ यात्राओं एवं पैदल संघ यात्राओं में सबसे आगे हिंदुत्व का ध्वज वाहक हमारा वाल्मीकि समाज ....
गणेश विसर्जन .... दुर्गा विसर्जन .... अन्य विसर्जनों .... धार्मिक आयोजनों में सबसे आगे हमारा वाल्मीकि समाज ....
साम्प्रदायिक झडपों में हरावल दस्ते (अग्रिम पंक्ति) में खड़े हो के .... जय श्री राम के उद्घोष के साथ बाकी 35 हिन्दू कौम बिरादरी पे आने वाले खतरे को खुद पे झेलने वाला हमारा वाल्मीकि समाज ....
कृपया हमारे वाल्मीकि हरिजन समाज को #भीमटों की श्रेणी में ना रखें .... ना उनकी तुलना #उन_भीमटों से ना करें ......... आग्रह है ....
राह में मिलने पे .... राम राम सा ....
जय श्री राम के उद्घोष के साथ अभिवादन करता है हमारा वाल्मीकि समाज ....
सरकारों से कुछ नहीं चाहिए वाल्मीकि समाज को ....
सिर्फ नगरपालिका में अस्थायी लगे कर्मचारियों को स्थायी कर दो .... या नई सफाई कर्मचारियों की भर्ती निकले तो हमको प्राथमिकता दो .... सिर्फ इतनी सी सरकारों से इनकी मांग होती है .... भाजपा या कांग्रेस जो इनकी मांग मान के अपना वादा समय पे निभाये उसी के साथ जाता है वाल्मीकि समाज ........... वर्तमान राजस्थान में वाल्मीकि समाज भाजपा का सुदृढ वोट बैंक है ....
2014 लोकसभा चुनावों में मोदी मोदी का उद्घोष लगाने वाला हमारा वाल्मीकि समाज ....
आज पूरा वाल्मीकि समाज राजस्थान में अपने अपमान को ले के सड़कों पे उतर आया है ....
सलमान खान मुर्दाबाद .... वाल्मीकि एकता ज़िंदाबाद से आज सारा राजस्थान गुंजायमान है ....
बाकी 35 कौम बिरादरी को भी चाहिए कि .... कंधे से कंधा मिला के वाल्मीकि समाज का साथ दे ....
सलमान खान जैसे फ़िल्मी भांड जितना जल्दी हो समझ ले .... ये राजस्थान है .... पहले विश्नोईयों ने पटक के पेला था .... आज वाल्मीकियों ने रेला है .... दोगले खान अपनी हद में रहोगे तो फायदे में रहोगे .... वरना कायदे से गां^% कुटाई भी हो सकती है ....
अस्पृशय समाज ही असल भारत है .... सबको आगे बढ़कर इनके साथ समरसता लानी ही चाहिए ....
वाल्मीकि एकता जिंदाबाद !!!! ....
हिन्दू एकता ज़िंदाबाद !!!! ....
रितेश प्रज्ञांश भाई से साभार

भारतीय न्यायप्रणाली वकीलों का स्वर्ग है

12 अप्रैल 2012 की लूट की एक वारदात पढियेगा ....
वारदात मेरे घर से 2 गली आगे हुई .... मेरे ताई जी के घर .... ताई जी बुजुर्ग है और अपने पीहर किशनगढ़ (अजमेर) गए हुए थे .... घर की चाबियां हमारे पास रहती है ताकि सुबह शाम मंदिर में धूप बत्ती हो ....
12 अप्रैल 2012 को मेरे पापा जब सुबह 10 बजे वहां पूजा करने गए तो घर के ताले टूटे हुए थे .... पूरा घर अस्त व्यस्त था .... अलमारियां बिखरी पड़ी थी .... मैं भी वहां तुरंत पहुंचा .... ताई जी को कॉल किया .... स्थानीय पुलिस आई .... ताई जी बुजुर्ग है तो FIR मैंने अपने नाम से दर्ज करवाई .... चोरी की लिस्ट बनाई तो करीब 6 लाख की चोरी हुई थी ....
थाने का प्रभार उसी दिन नए CI (सर्कल इंस्पेक्टर) दर्ज़ा राम जी मेघवाल ने सम्हाला था .... मैंने डिप्टी साब अर्जुना राम जी जाट से CI साब दर्ज़ा राम जी को भी 1 सिफारशी कॉल करवा दिया था .... CI साब का ये नई पोस्टिंग पे पहला केस था उन्होंने इसे चुनोती के रूप में लिया .... फिंगर प्रिंट्स लिए फुट प्रिंट्स लिए .... इलाके के सब बदमाशों को तलब किया .... जानकारी में मालूम चला कि डीडवाना जेल से परसों दो पेशेवर चोर जमानत पर रिहा हुए है .... दोनों चोर बन-बावरिया आदिवासी जनजाति के थे जो शहरों से बाहर डेरा डाल के रहते .... दोनों को उठा के थाने में कायदे की तुड़ाई की गई .... दोनों चोरों ने वारदात को कबूल लिया .............. चोरों की निशानदेही पे उसी दिन लेट नाईट सीकर और झुंझनु में दो जगह दबिश दी गयी .... 2 और चोरों को और माल खरीदने वाले सुनार को धरा गया .... झुंझनु थाने में सबकी सामूहिक कम्बल कुटाई की गई और चोरी का सारा माल आना पाई समेत जब्ती किया गया ....
इस पूरी प्रक्रिया में 7 दिन लगे .... मैं 7 दिन थाने ही बैठा रहा रात को देरी से घर आता है सुबह जल्दी वापस थाने .... सैंकड़ों पेपर पे मेरे दस्तखत .... गवाहों जब्ती मौके के कागज़ों में मेरे और मेरे 4-5 दोस्तों के दस्तखत .... जब्ती माल न्यायालय के आदेश पर थाने में जमा और चोरों को न्यायिक अभिरक्षा में डीडवाना जेल भेजा गया ....
एक साल तक न्यायालय में फ़ाइल बन्द रही .... मामला दीपा शर्मा की अदालत में चला मेरे यहीं लाडनूं .... एक साल बाद फ़ाइल खुलने के बाद पेशियों का दौर शुरू हुआ .... सब दोस्तों को मैं पाँव पकड़ पकड़ के न्यायालय ले गया .... पब्लिक प्रोषिटयूटर से फ़ाइल निकलवा के सब गवाहों को बयान रटवाये .... मजिस्ट्रेट साहिबा और बचाव पक्ष के वकील के सामने बयान कलमबद्ध करवाये गवाहों के ........ महीनें में 2 पेशी आने लगी कभी तीन .... मुझे दिल्ली से गांव आना पड़ता तारीख पे .... 30 लाख के प्लाट के पेपर न्यायालय में जमा कर के हलफनामा दे के जब्ती का माल छुड़वाया .... सुबह 10 से 5 तक महीने में 2 या 3 पेशी पे दिल्ली से आ के कोर्ट जाओ .... लगातार 3 साल .... कभी विशेष अदालत का सत्र तो कभी दहेज अदालत का सत्र तो कभी मजिस्ट्रेट साहिबा छुट्टी पे ............ 3 साल में मेरी चप्पलें घिस गयी कोर्ट के चक्करों में ........... ऐसा लगने लगा जैसे हमने FIR कर के जीवन की सबसे बड़ी गलती कर दी .......... चोर तो मुफ्त की रोटियां जेल में तोड़ रहे थे ........... एक दिन पापा ने मुझसे कहा अपने को अपना माल मिल गया है .... अब केस विथड्रॉल करो कितना अपने समय पैसे का नुकसान करोगे ?? .... चोर भी 4 साल से जेल में है अब बस भी करो ............. मैं भी लगातार 3 साल कोर्ट के चक्कर काट के थक चुका था ............ चोरों के वकील ने मुझसे पेशकश की 50 हज़ार ले के केस उठा लो ........... मुझे भी सोने से महंगी घड़ाई पड़ रही थी .... नेकी और पूछ पूछ .... मैंने 50 हज़ार ले के वो केस उठा लिया .... चोर बरी हो गए ....
2015 अगस्त में दिल्ली मेरी फैक्ट्री में चोरी हुई थी .... 4 लाख का कपड़ा .... दोनों चोर मेरे स्टाफ .... मेरे ही गांव के लड़के जिनमें 1 अनाथ था मैं तरस खा के उसको दिल्ली ले गया .......... चोरी के बाद उन्होंने फैक्ट्री की CCTV भी उखाड़ दी .... लेकिन पड़ोसी की गली में लगी CCTV फुटेज से वो पकड़े गए .... कपड़ा सीलमपुर के एक मुसलमान को बेंचा था .... तीनों लोग तिहाड़ में रहे .... बाद में जमानत हो गयी .... कपड़ा खरीदने वाले ने मुझे 1 लाख का ऑफर दिया मैंने पैसे ले के उसका नाम निकलवा लिया .... बाकी 2 आरोपी चोरों से बात चल रही है .... वो 2 लाख देने को तैयार है मैं 3 लाख पे अड़ा हूँ ........... दो ढाई लाख ले के मैं ये केस भी विथड्रॉल कर रहा हूँ .......... क्योंकि मैंने 2012 से 1215 तक अनेक चक्कर काटें है कोर्ट के हश्र देखा है तारीखों का ........... मुझपे इतना समय नहीं कि कड़कड़डूमा कोर्ट के मैं चक्कर काटूं सालों तक .... मेरा 4 लाख का कपड़ा मुझे मिल चुका है .... 3 लाख एक्स्ट्रा मिल रहे है ....
................... अब 2g केस को समझिए ....
कपिल सिब्बल ने इसिपे ज़ीरो लॉस की थ्योरी दी थी .... तब हमने सिब्बल को पेला था ....
सिब्बल का परिचय सुनिए ........... चेहरे से गोरा किंतु चिंपाजी लगता है .... दिमाग से शातिर लोमड़ी है .... आंखों के ऑय ब्रो झाड़ू के तिनकों जैसे है .... कांग्रेस का वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री है .... देश का नामी वकील है .... सोशल मीडिया की 1 पोस्ट के अनुसार एशिया का सबसे बड़ा स्लॉट हाउस (बूचड़खाना) इसकी पत्नी का है ............ राम मंदिर निर्माण केस की पैरवी ये ही कर रहे हैं सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से .... इन्होंने अभी उस केस की सुनवाई भी आगे टलवाई है ....
2g केस को संक्षेप में समझिए .............
2g की बोली पहले आओ पहले पाओ की नीति पर की गई .... सुप्रीम कोर्ट ने ये आवंटन रद्द किए .... CAG की रिपोर्ट के अनुसार अगर ओपन बोली लगती तो देश को 1.76 करोड़ का लाभ होता .......... होता .... होता .... होता .... होता .... होता शब्द को याद रखिये ....
लेकिन गलत आवंटन नीति के कारण देश को इतनी (1.76 लाख करोड़ की) हानि हुई ....
होता .... होता .... होता .......... यानी होता लेकिन हुआ नहीं .... घोटाला या हानि सिर्फ होती ये एक आंकलन या अनुमान था ............. वास्तव में घोटाला हुआ ही नहीं था ....
सीबीआई के तत्कालीन डायरेक्टर थे रंजीत सिन्हा .... आरोपी (आवंटन कर्त्ता) की बैठकें सिन्हा से उनके निवास पे हुई .... सिन्हा ने उस वक़्त की अपने निवास की CCTV फुटेज ठिकाने लगा दी .... विजिटिंग रजिस्टर ठिकाने लगा दिया .... जिसमें उनसे मिलने आने जाने वालों के दस्तखत होते है .... 1 साल तक फ़ाइल दबा के रखी मामले की .... कमज़ोर चार्ज शीट पेश की ..............
कल न्यायलय ने आरोपियों को बरी कर दिया है ....
क्योंकि ....
बकौल न्यायालय .... ए. राजा और कनिमोझी कसूरवार नहीं है ............ क्योंकि 2g का आवंटन PMO ने किया था ............ यहां न्यायालय का बिंदु विचारणीय है .... सटीक है .... जब आवंटन PMO ने किया तो राजा कनिमोझी का क्या कसूर ?? ..............
अब केंद्र सरकार अपनी साख बचाने को ऊपरी न्यायालय जाएगी ....
वहां भी केंद्र सरकार के चित्त होने के पूरे आसार है ....
क्योंकि ....
क्योंकि घोटाला हुआ ही नहीं .... महज़ एक अनुमान या आंकलन था ............. सुप्रीम कोर्ट ने आवंटन इसलिए रद्द किए कि वो गलत तरीके से आवंटित हुए .... लेकिन जब घोटाला ही नहीं हुआ तो सुप्रीम कोर्ट सज़ा किसको देगा ?? ............. ना ही रिश्वतखोरी का आर्थिक लेनदेन हुआ ....
देश को जो हानि हो सकती थी गलत आवंटन से .... वो कांग्रेस की मिलीभगत या गलत नीति का परिणाम था ....
केस को कमज़ोर किया सीबीआई ने .... कांग्रेस की मिलीभगत से ....
मामले की चार्ज शीट कांग्रेस के समय कोर्ट में दाखिल हुई ....
गवाहों के बयान कॉंग्रेस के समय कोर्ट में कलमबद्ध हुए ....
.................. तो अब न्यायालय के फैसले से मोदी कैसे कसूरवार हुआ ?? ..............
हालांकि मैंने कल मोदी जी के प्रति आक्रोश व्यक्त किया ...... उसका मैं खेद व्यक्त करता हूँ ....
और भी अनेक मित्रों ने मोदी जी के प्रति आक्रोश व्यक्त किया ....
जो देशभक्त देशप्रेमी होगा उसका आक्रोशित होना स्वाभविक है ............. लेकिन कल हम सबसे त्रुटि हुई .... हमने कल गलत जगह अपना आक्रोश व्यक्त किया ....
अपने आक्रोश को 2019 तक सम्हाल के रखिये .... कांग्रेस के विरुद्ध .............. गलती कांग्रेस और सीबीआई की है तो आक्रोश भी इनके विरुद्ध व्यक्त होगा ............. 2019 के चुनावों में 44 से 4 पे ला के व्यक्त होगा ....
मोदी बेकसूर है ....
भारतीय न्यायप्रणाली वकीलों का स्वर्ग है ....
2018 में अभी बहुत कुछ मीठा कड़वा देखने सुनने को तैयार रहिएगा !!!! .....
भाई रितेश प्रज्ञांश का #विशेष लेख बड़ेभाई Vimal Bhati के लिये 

शनिवार, 23 दिसंबर 2017

शौच का इतिहास

शौच का इतिहास
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शौच का भी अपना अनूठा इतिहास है
पशुवत शौच की संस्कृति समूचे भारत की रग रग में समाई थी।
हालांकि तिकोनी लंगोटी की आड़ में शुरू ये सभ्यता
साल होते होते खुली नाली पर आ जाती है ।
तिकोनी लंगोटी में विकास होते ही
उसका इतिहास बदला और हगीज युग का
प्रचारमय  प्रारंभ हुआ।
ग्रामीण शौच का इतिहास बेहद
अनूठा रहा है नित्य ही सामूहिक शौच के आयोजन
सुबह शाम गांव की गलियों से खेतों की पगडंडियों तक होते रहे हैं
इन राहों पर गांवों की गोरियों की लोटा यात्रा में समाई उनकी हंसी की खनक
कभी कभी लोगगीतों की गूंज इस पूरे परिवेश को मनमोहक बना देती है
नदी किनारे बसे गांवों में शौचकाल में लोटे का प्रयोग निंदनीय रहा ।
विकास काल में रेल मंत्रालय ने शौच के इतिहास में क्रांति कर दी देश को सबसे बड़ा छतद्वार विमुक्त शौचालय उपलब्ध करा कर।
कालांतर में यही शौचालय रेल की पटरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ
बड़े बड़े खेतों में सामूहिक शौच की परंपरा ने भारीचारे को मजबूती प्रदान की।
इतिहास साक्षी है इस खुली शौच परंपरा ने
क ई प्रेमी युगल को गन्ने और। अरहर के खेतों तक पहुंचाया है और उनके मिलन का साक्षी प्रेमिका के हाथों में सधा वो लोटा ही रहा है
खेतों की पगडंडी की तरफ
लोटे के साथ लंबे घूंघट में गमन करता
बहुओं का समूह। सासनिंदा की किलोल करता था
गोल घेरे में बैठ कर फारिग होना और
सास ननद का रोना रोना
सामूहिक शौच के उत्सवी हिस्से थे
एक बिगड़ैल सांड के खेत में
अचानक आ जाने से हमारे मित्र का लोटा
चारों खाने चित हो गया ।
हड़बड़ी में भागे मित्र
अपने किये पर ही  धर रहे
इतिहास के कुछ पन्नों में
नाड़े दार कच्छे और पाजामे भी दर्ज है ।
ऐसे पजामे जिनके नकचढ़े नाड़ों ने
ऐनमौके पर खुलने से इंकार कर
अपनी कुर्बानियां दी ।
खुले में शौच एक परंपरा है
एक संस्कार है
इसी परंपरा के चलते गांव के लटूरी दास की बेटी
लोटा लेकर खेत में गई और साल भर बाद
गोद में लल्ला लेकर लौटी ।
मुसद्दी पहलवान खेत में ही अपनी पुरानी दुश्मनी के चलते खेत रहे । लौटा लेकर जो बैठे तो दुश्मनों ने उठने का मौका भी न दिया ।
लौटे का पानी आंसुओं की तरह बह गया
खुले में शौच के हजार रोचक किस्से हैं
मसलन बारिश में हरी हरी घास जब खेतों में आपकी बैठक का विरोध करें और आप प्रतिकार में उस पर बोझ डाल कर लम्बी सांस छोड़ कर अलौकिक सुख का अनुभव करते हैं ।
अनुभव हीन शौचार्थी जब लौटे के साथ सुरक्षित कोना तलाश रहा होता है तब तक अनुभवी शौचार्थी फारिग हो कर विजयी मुस्कान के साथ अपना पंचा फेंटा बांध रहा होता है । संक्षेप में कहें तो जिस मनुष्य ने खुले में शौच का आनंद नही लिया उसका मानव योनि में जन्म लेना ही व्यर्थ है
,२०० आदमियों की बारात के बीच दस बारह लौटे बार बार खेत से जनवासे तक दौड़ कर कन्या दान के प्रति अपना दायित्व निभाते हैं। शौच की विकास गाथा में लौटे के कंधों के भार को प्लास्टिक की बोतलों ने भी बांटा है
गाड़ी ड्रायवरों और हाइवे के ढावा संचालकों की इन बोतलों ने बेहद सेवा की है
आपातकालीन खुल्लमखुल्ला शौच में अखबारी कागज पत्ते या पत्थरों का भी अविस्मरणीय योगदान है
इस संस्कारिक परंपरा को बंद कर इतिहास से छेड़छाड़ करने का हक संविधान में किसी को नही है
खुले में शौच मानव का संवैधानिक अधिकार है
अतः इस परंपरा को जारी रखे वरना आने वाली पीढ़ी इस अभूतपूर्व सुख से वंचित रहेगी और रेल की खिड़कियों से खेतों में मुंह ढककर उठती बैठती पृजातियो के दर्शन ही दुर्लभ हो जायेंगे ।

सोमवार, 18 दिसंबर 2017

बनिये की सोच सबसे अलग और आगे रहती है।

गुजरात  में एक बड़ी फैक्ट्री का निर्माण हो रहा था और उस प्लांट को बनाने के दौरान एक बड़ी समस्या थी.
वो *समस्या ये थी कि एक भारी भरकम मशीन को प्लांट में बने एक गहरे गढ्ढे के तल में बैठाना था लेकिन मशीन का भारी वजन एक चुनौती बन कर उभरा*.

*मशीन साईट पर आ तो गयी पर उसे 30 फीट गहरे गढ्ढे में कैसे उतारा जाये ये एक बड़ी समस्या थी* !! *अगर ठीक से नहीं बैठाया गया तो फाउंडेशन और मशीन दोनों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता*.
आपको बता दे कि ये वो समय था जब *बहुत भारी वजन उठाने वाली क्रेनें हर जगह उपलब्ध नहीं थीं*. जो थीं वो अगर उठा भी लेतीं तो *गहरे गढ्ढे में उतारना उनके बस की बात नहीं थी*.

आखिरकार  हार मानकर इस समस्या का समाधान ढूढ़ने के लिए प्लांट बनाने वाली कम्पनी ने टेंडर निकाला और इस टेंडर का नतीज़ा ये हुआ कि बहुत से लोगो ने इस मशीन को गड्ढे में फिट करने के लिए अपने ऑफर भेजे *उन्होंने सोचा कि कहीं से बड़ी क्रेन मंगवा कर मशीन फिट करवा देंगे*. इस हिसाब से *उन्होंने 10 से 15 लाख रुपये काम पूरा करने के मांगे*. लेकिन उन लोगो के बीच एक *बनिया * था जिसने कंपनी से पूछा कि *अगर मशीन पानी से भीग जाये तो कोई समस्या होगी क्या* ?
इस पर कंपनी ने जबाव दिया कि *मशीन को पानी में भीग जाने पर कोई फर्क नहीं पड़ता*.
उसके बाद उसने भी टेंडर भर दिया ।

जब सारे ऑफर्स देखे गये तो *उस बनिये ने काम करने के सिर्फ 5 लाख मांगे थे*, जाहिर है मशीन बैठाने का काम उसे मिल गया.
लेकिन *अजीब बात ये थी कि उस बनिये ने ये बताने से मना कर दिया कि वो ये काम कैसे करेगा, बस इतना बोला कि ये काम करने का हुनर और सही टीम उसके पास है*.
उसने कहा – *कम्पनी बस उसे तारीख और समय बताये कि किस दिन ये काम करना है*.

आखिर वो दिन आ ही गया. हर कोई उत्सुक था ये जानने के लिए कि *ये बनिया काम कैसे करेगा* ? उसने तो *साईट पर कोई तैयारी भी नहीं की थी*. तय समय पर कई ट्रक उस साईट पर पहुँचने लगे. *उन सभी ट्रकों पर बर्फ लदी थी, जो उन्होंने गढ्ढे में भरना शुरू कर दिया*.

जब बर्फ से पूरा गढ्ढा भर गया तो उन्होंने *मशीन को खिसकाकर बर्फ की सिल्लियों के ऊपर लगा दिया*.
इसके बाद एक पोर्टेबल वाटर पंप चालू किया गया और गढ्ढे में पाइप डाल दिया जिससे कि पानी बाहर निकाला जा सके. *बर्फ पिघलती गयी, पानी बाहर निकाला जाता रहा, मशीन नीचे जाने लगी*.

4-5 घंटे में ही काम पूरा हो गया और *कुल खर्चा 1 लाख रुपये से भी कम आया*.
*मशीन एकदम अच्छे से फिट हो गयी* और उस *बनिये ने 4 लाख रुपये से अधिक मुनाफा भी कमा लिया*.

वास्तव में बिज़नेस बड़ा ही रोचक विषय है.
*ये एक कला है, जो व्यक्ति की सूझबूझ, चतुराई और व्यवहारिक समझ पर निर्भर करता है*.
*मुश्किल से मुश्किल समस्याओं का भी सरल समाधान खोजना ही एक अच्छे बिजनेसमैन की पहचान है* ,'और ये बनिया ने साबित कर दिया कि बनिये की सोच सबसे अलग और आगे रहती है।
🙏🙏

भाजपा जीत तो गई और जीत जीत ही होती

गुजरात के परिणाम पर ध्यान दिया जाय तो उस पर अशोक गहलोत की छाप स्पष्ट दिखाई दे रही है ,लेकिन यकीन मानिए काँग्रेस की बढ़ी सीटों का श्रेय अशोक जी को कदापि नहीं मिलेगा . काँग्रेस में श्रेय सिर्फ गाँधी परिवार को ही मिल सकता है और हार का ठीकरा हमेशा दूसरों के सर ही फूटता है .
भाजपा जीत तो गई और जीत जीत ही होती है लेकिन इस जीत के हार में चिंताओं के कांटे भी पिरोए हुए हैं .कुछ तो मोदी जी का चमत्कार गुजरात को बचा लाया और कुछ सहारा मौखिक बवासीर से ग्रस्त काँग्रेस नेताओं ने दे डाला वरना इस बार भाजपा को शर्म का सामना करना पड़ सकता था .
यह भी स्पष्ट हो रहा है कि मात्र विकास के बल पर ही वोट प्राप्त नहीं हो सकते इस के लिए जातियों को भी मैनेज करना होता है ,अपने परम्परागत वोटर्स की आस्थाओं को भी सहलाना पड़ता है और उन के साथ खड़े होना भी दिखाना होता है .अपनी छबि को बदलने का प्रयत्न नुकसान पहुँचा सकता है भाजपा को यह बात अच्छे से समझ लेनी चाहिए कि भाजपा को लोग उस की हिन्दुत्ववादी नीतियों के कारण पसन्द करते हैं . हिन्दुत्व की पटरी से किंचित् भी इधर उधर होने का संकेत जनता बर्दाश्त नहीं कर सकती .
काँग्रेस ने सॉफ्ट हिन्दुत्व का जो ढोंग किया उस से भी उस को कुछ लाभ हुआ इस परिवर्तन को इस दृष्टि से देखा जाना चाहिए कि यदि हिन्दू समाज एकजुटता दिखाए तो काँग्रेस हिन्दुत्व की तरफ झुकने को विवश होगी इस में कोई सन्देह नहीं . यह भी हिन्दुत्व की जीत है .
गुजरात में अब जो भी सरकार बने उसे मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों का अनुसरण करना होगा तब ही 2019 की राह आसान हो पाएगी अन्यथा आगे की राह काफ़ी काँटों भरी प्रतीत हो रही है .
अब बात आती है हिन्दू समाज की तो मुझे तो निराशा ही हो रही है . गुजराती अपना गला काटने ही जा रहे थे .यह तो भला हो मणिशंकर के घर की बैठक का जिस में पाकिस्तानियों को ' ब्रह्म भोज ' कराने की बात लीक हो गई और गुजराती हिन्दू थोड़े संभल गए वरना सरदार वल्लभ भाई पटेल के गुजरात में अहमद पटेल का परचम लहराता और फिर गुजराती हिन्दुओं के कस बल जम कर ढीले किये जाते .ढोंगियों के तिलक लगाने और वक्ती तौर पर मन्दिरों के दौरे करने से प्रभावित होने वाला हिन्दू समाज अब भी राजनैतिक रूप से इतना परिपक्व नहीं हो पाया है जितना होना चाहिए .

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