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मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

अब इस देश के लिए ये जानना जरूरी है कि

युवाओं के मन मे एक प्रश्न का बना हुआ था "कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा ?"
अब इसका उत्तर मिल गया है और सिनेमा चला भी अच्छा है जो चलना ही चाहिऐ था ।

अब इस देश के लिए ये जानना जरूरी है कि
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को क्यूँ और किसने मारा,
श्री लाल बहादुर शास्त्री को किसने और क्यों मारा?
महात्मा गांधी की हत्या के वह कारण क्या थे?
इन दुर्भाग्यशाली घटनाओं से देश की पटरी ही बदल गयी।

युवाओं! ज़रा विचारो कि कहाँ कहाँ गलतियां हुई हैं.. काल्पनिक चरित्र कटप्पा से बाहर निकलो और वोपूछोजोतुमसेजुड़ाहुआहै.....

पता करो कि हम लगभग 1000 साल तक गुलाम क्यों रहे..

पता करो कि जो देश आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, और वैज्ञानिक रूप से सशक्त था.. विश्व गुरु था ...वो सब ज्ञान कहाँ और कैसे खत्म हो गया..

पता करो कि सोने की चिड़िया के पंख कैसे कतर दिए गए...

पता करो कि हमारे बच्चों को आजादी के बाद भी क्या और क्यूँ पढ़ाया जाता है...

पता करो! पाकिस्तान का स्थायी रोग किसने भारत को दिया? तब हुआ क्या-क्या था?

पता करो..! कि कश्मीर को नासूर बनाने का बीज नेहरू ने क्यों और कैसे बोया..?

पता करो..! नेपाल के महाराजा के भारत में विलय के प्रस्ताव को 1952 में नेहरू ने क्यों ठुकरा दिया था?

पता करो..! कि 1953 में UNO में भारत को स्थायी सीट देने के ख़ुद अमेरिका के प्रस्ताव को नेहरू ने क्यों गुमा दिया था? और वह सदस्यता चीन को क्यों दिला दी?

पता करो कि 1954 में नेहरू ने तिब्बत को चीन का हिस्सा भारत की ओर से मान लिया था? बाद में 1962 में उसी रास्ते से चीन ने भारत पर हमला किया, हम हारे, बेइज़्ज़त हुए।

पता करो ..! तिब्बत हारने के बाद नेहरू ने क्यों कहा था कि वो तो बंजर जमीन है, कोई बात नही.. जाने दो

ज़रा मालूम करो कि चीन से भारत की हार का दोषी नेहरू को मन्त्रालय की संयुक्त समिति ने सिद्ध किया था? उसके बाद भी नेहरू को जरा भी लाज नहीं आई थी
यह भी जानो कि जब चीनी सेना अरुणाचल, असम, सिक्किम में घुस आयी थी, तब भी 'हिन्दी चीनी भाई भाई' का राग अलापते हुए भारतीय सेना को ऐक्शन लेने से नेहरू ने क्यों रोका था?

आप ख़ुद बाहुबली बनकर कारण जानो कि हमारा कैलास पर्वत और मानसरोवर तीर्थ चीन के हिस्से में नेहरू की ग़लती से चले गए?
और भी बहुत सारी गलतियां हैं जिनमें कांग्रेस को जरा भी शर्म क्यों नहीं आती है?

हेयुवादेश...! अपनी दिशा और दशा बदलो। यह समय मज़ाक़ों का नहीं है,  वह करो जो करणीय है।
चिन्तन का विषय है-

देश के लोग ये तो जानते है कि चीन ने हमें 1962 में हराया पर ये नहीं जानते कि 1967 में हमने भी चीन को हराया था। 
चीन ने "सिक्किम" पर कब्ज़ा करने की कोशिश की थी. नाथू ला और चो ला फ्रंट पर ये युद्ध लड़ा गया था. चीन को एसा करारा जवाब मिला था कि चीनी भाग खड़े हुये थे.  इस युद्ध में, 88 भारतीय सैनिक बलिदान हुये थे और 400 चीनी सैनिक मारे गए थे. इस युद्ध के बाद ही सिक्किम, "भारत का हिस्सा" बना था !
इस युद्ध में "पूर्वी कमान" को वही सैम मानेक शॉ संभाल रहे थे जिन्होंने बांग्लादेश बनवाया था।
इस युद्ध के हीरो थे राजपुताना रेजिमेंट के मेजर जोशी, कर्नल राय सिंह , मेजर हरभजन सिंह.
गोरखा रेजिमेंट के कृष्ण बहादुर , देवीप्रसाद ने कमाल कर दिया था !! जब गोलिया ख़तम हो गयी थी तो इन गोरखों ने कई चीनियों को अपनी "खुखरी" से ही काट डाला था ! कई गोलियाँ शरीर में लिए हुए मेजर जोशी ने चार चीनी ऑफिसर को मारा ! वैसे तो कई और हीरो भी है पर ये कुछ वो नाम है जिन्हें वीर चक्र मिला और इनकी वीरगाथा इतिहास बनी !!

मैं किसी पोस्ट को शेयर करने के लिये नहीं कहता पर इसे शेयर करो ताकि अधिक से अधिक लोग जाने,दुःख की बात है कि बहुत कम भारतीयों को इसके बारे में पता है !!

जूते चप्पल 👠👞👟से कैसे आता है दुर्भाग्य

हम जब भी नए जूते चप्पल खरीद कर उनको पहनते हे तो एक नई ऊर्जा का अहसास करते हे लेकिन हमे अमावस्या मंगलवार और शनिवार और ग्रहण के दिन जूते चप्पल नही खरीदने चाहिए।यदि इन दिनों हम जूते चप्पल खरीदते हे तो अचानक नुकसान की सम्भावना बन जाती हे।हमे जूते चप्पल पहन कर तिजोरी और लॉकर नही खोलना चाहिए।इससे लक्ष्मी जी का अपमान होता हे।हमे जूते चप्पल पहन कर रसोई या भण्डार घर में नही जाना चाहिए।इससे माँ अन्नपूर्णा का अपमान होता हे।जूते चप्पल पहन कर खाना बनाने से विश्वास की कमी और परिवार में अशांति का वातावरण बना रहता हे।जो इस बात का ध्यान रखते हे उनके घर में कभी अन्न की कमी नही आती हे।जूते चप्पल पहन कर किसी नदी या सरोवर के पास भी नही जाना चाहिए।चमड़े की वस्तुऍ के साथ और जूते चप्पल पहन कर कभी भी नदी या पवित्र सरोवर में स्नान करने से भाग्य रूठ जाता हे।जूते चप्पल मौजे चमड़े की वस्तुऍ पहन कर कभी मन्दिर या देव प्रतिमा के पास नही जाना चाहिए।ऐसा करने से उम्र कम हो जाती हे ।अगर आपके जूते चप्पल मन्दिर धर्म स्थान या अस्पताल से चोरी हो जाते हे तो यकीनन आपका दुर्भाग्य दूर होगा।जो नुकसान होने वाला था वो नही होता हे।अगर आपके जूते चप्पल बार बार फट् रहे या टूट रहे हे तो अपने पहने हुए जूते चप्पल शनिवार के दिन शनि मन्दिर के बाहर छोड़ कर आ जाये।शनि का कुप्रभाव नही होगा।परेशानियां बार बार कम नही हो रही हे तो आपका जो नक्षत्र हे उसमे अपने पहने हुए जूते चप्पल मन्दिर के बाहर छोड़ कर आ जाये ।आते समय नंगे पैर ही आना हे और पीछे मुड़ कर नही देखना हे।अगर आपके चलने पर जूते चप्पल की आवाज ज्यादा आती हे तो आपसे जुड़े हुए रिश्तों में तनाव बढ़ता हे अतः जूते चप्पल बदल लें।घर में ज्यादा पुरानी जूते चप्पल नही रखेँ।ध्यान रहे अगर आपके जूते चप्पल उलटे पड़े हो तो तुरन्त ही सीधे कर देवे क्योकि यह तनाव कर्ज और झगड़ा करवा देते हे।अगर जूते चप्पल एक दूसरे के ऊपर सीधे पड़े हो तो शुभ संकेत हैऔर यात्रा के अवसर मिलते हे।अगर आपका एक पैर का जूता चप्पल अचानक खो जाता हे तो और तीन दिन तक नही मिलता हे तो दूसरा जूता चप्पल भी घर के बाहर फ़ेक देना चाहिए क्योकि कोई गलत प्रयोग भी कर सकता हे।

मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018

महाशिवरात्रि का पर्व इस साल 13 फरवरी और 14 फरवरी को

प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के व्रत का पालन किया जाता है, जिसे शिव पार्वती के विवाह का अवसर माना जाता है – अर्थात मंगल के साथ शक्ति का मिलन | कुछ पौराणिक मान्यताएँ इस प्रकार की भी हैं कि इसी दिन महादेव के विशालकाय स्वरूप अग्निलिंग से सृष्टि का आरम्भ हुआ था | जो भी मान्यताएँ हों, महाशिवरात्रि का पर्व समस्त हिन्दू समाज में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है | इसी दिन ऋषि बोधोत्सव भी है, जिस दिन आर्यसमाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द को सच्चे शिवभक्त का ज्ञान प्राप्त हुआ था और उनके हृदय से उदगार फूटे थे कि सच्चा शिव किसी मन्दिर या स्थान विशेष में विराजमान मूर्ति में निवास नहीं करता, अपितु वह इस सृष्टि के प्राणि मात्र में विराजमान है, और इसलिए प्राणिमात्र की सेवा ही सच्ची ईश्वरभक्ति है | इस वर्ष 13 फरवरी को दिन भर त्रयोदशी तिथि है तथा रात्रि में 10:34 से चतुर्दशी तिथि का आगमन हो रहा है | 14 फरवरी को रात्रि 12:46 तक चतुर्दशी तिथि है | क्योंकि दोनों ही दिन निशीथ काल में चतुर्दशी तिथि है अतः यह द्विविधा होनी स्वाभाविक ही है कि किस दिन व्रत किया जाए | इसका समाधान धर्मग्रन्थों में इस प्रकार है कि यदि दूसरे दिन निशीथ काल में कुछ ही समय के लिए चतुर्दशी हो किन्तु पहले दिन सम्पूर्ण भाग में हो तो अभिषेक पहली रात्रि में करना चाहिए | हाँ यदि एक ही दिन चतुर्दशी तिथि है तो भले ही वह मध्यरात्रि में कुछ ही पलों के लिए है, अभिषेक उसी दिन होगा | रात्रि का मध्यभाग निशीथ काल कहलाता है | इस वर्ष सौभाग्य से दो रातों में चतुर्दशी तिथि है – ऐसा योग कभी कभी ही बनता है | 13 फरवरी को सम्पूर्ण रात्रि में चतुर्दशी तिथि है अतः अधिकाँश भागों में 13 तारीख़ को ही शिवरात्रि का व्रत रखकर निशीथ काल का अभिषेक किया जाएगा | इसी दिन भौम प्रदोष भी है | जिन लोगों को रात्रि में अभिषेक नहीं करना है और दिन में ही व्रत रखकर उसका पारायण करना है वे लोग 14 फरवरी को व्रत रख सकते हैं | वैसे Vedic Astrologers और पण्डितों के अनुसार निशीथ काल की पूजा का समय मध्य रात्रि बारह बजकर नौ मिनट से आरम्भ होकर एक बजे तक का बताया जा रहा है | यानी कुल 51 मिनट मुहूर्त की अवधि है | रात्रि में चार बार भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है | 14 फरवरी को प्रातः 07:04 से लेकर दोपहर 15:20 तक पारायण का समय बताया जा रहा है | शिव का अभिषेक अनेक वस्तुओं से किया जाता है | जिनमें प्रमुख हैं : सुगन्धित जल : भौतिक सुख सुविधाओं की उपलब्धि के लिए जल में चन्दन आदि की सुगन्धि मिलाकर उस जल से शिवलिंग को अभिषिक्त किया जाता है | मधु अर्थात शहद : अच्छे स्वास्थ्य तथा जीवन साथी की मंगलकामना के लिए मधु से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है | गंगाजल : समस्त प्रकार के तनावों से मुक्तिदाता माना जाता है गंगाजल को | इसी भावना से गंगाजल द्वारा शिवलिंग को अभिसिंचित करने की प्रथा है | गौ दुग्ध तथा गौ धृत : गाय का दूध और घी पौष्टिकता प्रदान करता है | हृष्ट पुष्ट रहने के लिए गाय के दूध और घी से शिवलिंग को स्नान कराया जाता है | बिल्व पत्र और धतूरा : सांसारिक तापों से मुक्ति के लिए बिल्व पत्रों तथा धतूरे से शिवलिंग का शृंगार किया जाता है | ऐसी मान्यता है कि धतूरा भगवान शंकर का सबसे अधिक प्रिय पदार्थ है और बिल्व को अमर वृक्ष तथा बिल्व पत्र को अमर पत्र और बिल्व फल को अमर फल की संज्ञा दी जाती है | किन्तु हमारी मान्यता है कि केवल जल तथा बिल्व पत्र के साथ श्रद्धा, भक्ति और पूर्ण आस्था तथा विश्वास का गंगाजल एक साथ मिलाकर उस जल से यदि शिवलिंग को अभिषिक्त किया जाए तो भोले शंकर को उससे बढ़कर और कुछ प्रिय हो ही नहीं हो सकता | इसी श्रद्धा, भक्ति और पूर्ण आस्था तथा विश्वास के गंगाजल के साथ प्रस्तुत है
शिव स्तुति तथा शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम्...
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय ||
 मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
 मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नमः शिवाय ||
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय । 
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नमः शिवाय || 
 वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य मूनीन्द्रदेवार्चितशेखराय । 
 चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै वकाराय नमः शिवाय ||
 यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
 दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै यकाराय नमः शिवाय || 
 पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ |
 शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते ||
 ॐ नमः शिवाय... ॐ नमः शिवाय... ॐ नमः शिवाय.

रविवार, 11 फ़रवरी 2018

राम मंदिर पर आंतरिक कूटनीति इस समय चरम पर

राम मंदिर पर आंतरिक कूटनीति इस समय चरम पर है। मजे की बात यह है कि इसमें हर पक्ष को यह लग रहा है कि मोदिया उनको उल्लू बना रहा है और सबसे ज्यादा परेशान हैं चार समूह --
1-- मुसलमान
2-- कांग्रेस
3--मी लोड
4-- फेसबुक के फ़ूफे

राम जन्म भूमि का मामला अब केवल भारत का आंतरिक मामला नहीं रहा । इस मामले से अब भारत में हिंदुओं और मुस्लिमों की नियति तय होगी इसलिये विश्व की हर शक्ति इसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुचि ले रही है ।

आपको क्या लगता है शिया बोर्ड और शिया लोग राम मंदिर का समर्थन हिंदुओं से अचानक पैदा हुये प्रेम के कारण कर रहे हैं ?
अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आप वाकई पकौड़े तलने की ही काबिलियत रखते हैं,

शियाओं के इस राम प्रेम का कारण है उनके आका ईरान की सऊदी वहाबियों से दुश्मनी ईरान ने भारत से ईराक और सीरिया की सरकार के समर्थन और अमेरिकी प्रतिबंधों के विरुद्ध भारत का गुपचुप समर्थन खरीदा है और यही कारण है कि ईरान के विरुद्ध आग उगलता अमेरिका अचानक चुप हो गया है । बदले में भारत को मिला है चाबहर और राम मंदिर पर भारत के शियाओं के समर्थन,
जी हां भारत के शियाओं का राम मंदिर पर समर्थन उनके ईरानी आकाओं के निर्देश का परिणाम है,
अब बचे सुन्नी और पाकिस्तान जिनको निस्तेज बनाने का काम मोदी ने सऊदी अरब से तगड़ी सौदेबाजी करके कर दिया है । फिलस्तीन मसले पर भारत के परंपरागत समर्थन और सीरिया में भारत की चुप्पी के बदले सऊदी अरब ने इजरायल पर चुप्पी साध ली है और भारत के सुन्नियों विशेषतः वहाबियों की कान उमेठे हैं,
प्रमाण के तौर पर घटनाओं को याद करें --
भारत का यू एन में फिलस्तीन के पक्ष में मत ,
सऊदी अरब का अपनी वायुसीमा को इजरायल जामे वाले भारतीय विमान के लिये खोलना और
सुन्नी वक्फबोर्ड के कट्टरतावादी सुन्नी सदस्य मौलाना सलमान नदवी जो बगदादी को अभिनंदनपत्र तक भेज चुका है , का मंदिर समर्थन में बयान,
यानि मोदी ने अपनी कूटनीति में गृह , विदेश और रक्षा मामलों का ऐसा कॉकटेल बनाया है जिसके फार्मूले का किसी को नहीं पता और सभी इसके अनजाने स्वाद से डर रहे हैं,
अब भारत के मुस्लिमों के सामने दो रास्ते बचे हैं --
1- प्रथम रास्ता है अदालत के फैसले का इंतजार जिसमें हमारे मी लोड लोग खुद बुरी तरह फंस गये हैं इसीलिये जिस तरह उन्होंने अयोध्या को भूमिविवाद की तरह लिया है नाकि ऐतिहासिक विवाद की तरह , तो उससे लगता है कि मेरे लोड भी सेफ गेम खेल रहे हैं और वे खुद मामले को 2019 तक लटकाना चाहते हैं ।
अगर वे चाहें तो शिया बोर्ड द्वारा उपलब्ध कराये गये राजा दशरथ के नाम के खसरे व खतौनी ट्ठा शिये वक्फ बोर्ड के दावे के आधार पर हिंदुओं के पेक्ष में फैसला कर सकता है और अगर चाहें तो सुन्नी वक्फबोर्ड के मालकियत के दावे को मान्यता दे मुस्लिमों के पक्ष में भी ।
अब अगर मुस्लिमों के पक्ष में निर्णय आता है तो सभी अच्छे से जानते हैं भाजपा संसद में शाहबानो मामले की तर्ज पर कानून बनाएगी और कांग्रेस की भैंस पानी में , 2019 में मोदी सुपर बहुमत से वापसी और कृष्ण जन्म भूमि , ज्ञानवापी सहित कई मंदिरों सहित समा नागरिक संहिता पर अदालती आदेश मानने की मजबूरी हो जायेगी ।
अब अगर हिंदुओं के पक्ष में निर्णय आता है तो भी हिंदुओं में जबरदस्त उत्साह आयेगा और मुस्लिमों का जरा सा भी विरोध जो होगा ही , वह ध्रुवीकरण की लहर पैदा करेगा और मोदी 2019 में वापस ।

मुस्लिमों के सामने 'घर वापसी' या 'गृह युद्ध' के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा और समर्थन के लिये होंगे केवल चीन , तुर्की और पाकिस्तान । अरब देशों को इतनी अहमियत देने का मूल कारण मुस्लिमों के संभावित विद्रोह की आर्थिक व नैतिक कमर तोडना है ताकि चीन व मुस्लिम गठजोड़ में दरार डाली जा सके,
यही कारण है कि राहुल गांधी अब अमेरिकी दूतावास जाने की बजाय चीनी दूतावास में उठना बैठना कर रहा है और पाकिस्तानी थिंक टैंक मोदी के विरुद्ध खुलेआम कांग्रेस के पक्ष में कोशिश करने का आह्वान कर रहा है,
राफेल सौदे पर हल्ला मचाना उसी रणनीति का हिस्सा है ताकि राममंदिर मुद्दे से पहले ही मोदी को घेर लिया जाये,

2-- द्वितीय रास्ता है हर हालात में संभावित हार को देखकर सौदेबाजी करना जिसमें मस्जिद के लिये जमीन , समा नागरिक संहिता को ठंडे बस्ते में डालना और अन्य किसी भी तोड़े गये मंदिर को वापस ना मांगने की शर्त होगी,
पर ये लोग यह भूल रहे हैं कि इस वक्त वे सरदार पटेल के बाद हिंदुओं की सबसे कुटिल राजनैतिक मेधा का सामना कर रहे हैं जिसका नाम मोदी है,
तो अगर भाजपा ने इसे हिंदुओं के हित में सुलझा लिया तो कांग्रेस का विनाश तय है और भारत में हिंदुत्व की वो लहर उठेगी जिसपर सवार होकर भाजपा अगले कई दशकों तक सत्ता में रहेगी और उसे चुनौती देने की क्षमता होगी किसी एक दम नई पार्टी में जो भाजपा से कईगुना हार्ड हिन्दुत्व लाइन पर चलेगी जिससे मजबूर होकर भाजपा को हिंदू राष्ट्र की दिशा में चलना ही पड़ेगा,
चीन के कौटिल्य सुनत्सु ने कहा था एक अच्छा सेनापति वह है जो बिना जंग लड़े युद्ध जीत ले पर क्या है कि फेसबुकिये फ़ूफ़ाओं को परिणाम में नहीं मारधाड़ में ज्यादा रुचि है,
इन्हें राम मंदिर और राष्ट्रीय हितों की बजाय मोदी को निर्देशित करने में ज्यादा रुचि है,

जाओ रे जाओ,
तुम लोग पकौड़े तलो या मास्टरी के फॉर्म भरो , मोदी को राम मंदिर और राष्ट्र निर्माण करने दो....
साभार देवेन्द्र सिकरवार

शनिवार, 10 फ़रवरी 2018

परीक्षा से पहले बच्चों के पैरेंट्स को लेटर

परीक्षा से पहले प्रिंसिपल ने बच्चों के पैरेंट्स को एक लेटर भेजा जिसका हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है :-

"डियर पैरेंट्स,

मैं जानता हूं आप इसको लेकर बहुत बेचैन हैं कि आपका बेटा इम्तिहान में अच्छा प्रदर्शन करें,

लेकिन ध्यान रखें कि यह बच्चे जो इम्तिहान दे रहे हैं इनमें भविष्य के अच्छे कलाकार भी हैं जिन्हें गणित समझने की बिल्कुल जरूरत नहीं,

इनमें बड़ी बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि भी बैठे हैं, जिन्हें इंग्लिश लिटरेचर और इतिहास समझने की जरूरत नहीं है,

इन बच्चों में भविष्य के बड़े-बड़े संगीतकार भी हैं जिनकी नजर में केमिस्ट्री के कम अंकों का कोई महत्व नहीं,

इन सबका इनके भविष्य पर कोई असर नहीं पड़ने वाला इन बच्चों में भविष्य के एथलीट्स भी हैं जिनकी नजर में उनके मार्क्स से ज्यादा उन की फिटनेस जरूरी है|

लिहाजा अगर आपका बच्चा ज्यादा नंबर लाता है तो बहुत अच्छी बात है लेकिन अगर वह ज्यादा नंबर नहीं ला सका तो तो आप बच्चे से उसका आत्मविश्वास और उसका स्वाभिमान ना छीन ले।

अगर वह अच्छे नंबर ना ला सके तो आप उन्हें हौसला दीजिएगा की कोई बात नहीं यह एक छोटा सा इम्तिहान हैl

वह तो जिंदगी में इससे भी कुछ बड़ा करने के लिए बनाए गए हैं l

अगर वह कम मार्क्स लाते हैं तो आप उन्हें बता दें कि आप फिर भी इनसे प्यार करते हैं और आप उन्हें उन के कम अंको की वजह से जज नहीं करेंगे l

ईश्वर के लिए ऐसा ही कीजिएगा और जब आप ऐसा करेंगे फिर देखिएगा कि आपका बच्चा दुनिया भी जीत  लेगा l

एक इम्तिहान और कम नंबर आपके बच्चे से इसके सपने और इसका टैलेंट नहीं छीन सकते

और हां प्लीज ऐसा मत सोचिएगा कि इस दुनिया में सिर्फ डॉक्टर और इंजीनियर ही खुश रहते हैं

"अपने बच्चों को एक. अच्छा इंसान बनने की शिक्षा दीजिये.

केवल अंक ही बच्चों की योग्यता का मापदंड नही हैं.
🙏🏻

आपका प्रिंसिपल

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