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रविवार, 29 अप्रैल 2018

प्राइवेट जाब में छुट्टी ले कर शादीयो मे पहुंचना उतना ही मुश्किल है जितना

प्राइवेट जाब में छुट्टी ले कर शादीयो मे पहुंचना उतना ही मुश्किल है
जितना

पुरानी फिल्मों में गवाह का कोर्ट पहुंचना होता था
😀😀😀😀😀😀😀😀®🅿

असली धन्यबाद करना ही है तो..

मैंने उसका कोई कार्य कर दिया..
बदले में उसने ..

      धन्यबाद कहा..

    मैंने कहा

   असली धन्यबाद करना ही है तो..

5 व्यक्ति जो काँग्रेसी हों
  उन्हें  कांग्रेस को वोट ना देने को राजी करो... ..

कन्या दान के बाद अधिकार जमाना अनुचित है

सास बहू संबंध

कन्या दान के बाद अधिकार जमाना अनुचित है

अस कहि पग परि पेम अति सिय हित बिनय सुनाइ।
सिय समेत सियमातु तब चली सुआयसु पाइ।।

जरा विचार करें कि जिनकी सुकोमल पुत्री एक राजकुमार से विवाह के बाद वन - वन भटक रही है, कंद -मूल-फल भोजन कर रही है लेकिन कोई आपत्ति नहीं है।
विदेह राज जनक जी दहेज कम दिए थे कि उनकी पुत्री अयोग्य थी???
किसी से सुंदरता कम था क्या???
क्या सीता जी से भी ज्यादा कोई कष्ट करेंगी??
लेकिन उनके माता पिता कोई आपत्ति करते हैं??
अधिकार जमाते हैं????
किसी को दोष देते हैं????
अपनी प्रिय पुत्री के पति, सास, ससुर के प्रति गलत व्यवहार है???=
उनकी प्रिय पुत्री चित्रकूट में कुटिया में हैं लेकिन जब सुनयना जी को पुत्री सीता जी को अपने संग कुछ घड़ी के लिए अपने शिविर में ले जाना है तो वे पुत्री के सासु माँ से आदेश लेती हैं।
वे यह मान रही हैं कि कन्या दान के बाद अधिकार जमाना दान के महत्ता कम करना है।
मेरी प्यारी पुत्री अब जिनकी बहू है उनसे आदेश लेकर ही पुत्री को ले जाना उचित है।
वे अपनी प्रिय पुत्री के सासु माँ को चरण वंदन करती हैं और विनती करती हैं कि - सीता को अपने बचपन के सखियों , माताओं, स्वजनों से मिलने के लिए मेरे साथ जाने की आज्ञा दें। इसे स्वजनों से मिलने के बाद आपके सेवा में उपस्थित करूँगी।
वहाँ जाने पर कोई सीता जी के ससुराल को दोष नहीं देते बल्कि पिता को अपनी प्रिय पुत्री के आचरण पर गर्व होता है...
कोई आधुनिक युग जैसे ये कहने वाला नहीं है कि दहेज व्यर्थ गया
बड़े नालायक के यहाँ विवाह किए....आदि आदि
पिता गर्व से कहते हैं-
पुत्री! पवित्र किए कुल दोऊ। सुजस धवल जगु कह सब कोऊ।।
मेरी प्यारी बिटिया! मुझे तुम पर गर्व है।
तुमने ससुर कुल के साथ साथ पिता कुल भी गौरवान्वित कर दी। केवल मैं ही नहीं बल्कि सभी तुम्हारी प्रशंसा कर रहे हैं।
तुम जैसी महान बिटिया के पिता होने का मुझे गर्व है।
जिति सुरसरि कीरति सरि तोरी। गवनु कीन्ह बिधि अंड करोरी।।
गंगा जी  जो त्रपथगामिनी हैं तो भूलोक के कुछ क्षेत्र में ही गमन की हैं । मात्र तीन लोक को पवित्र करने की  क्षमता है लेकिन तुम्हारे कीर्ति रूपी निर्मल गंगा करोड़ों ब्रह्मांड में गमन कर पवित्र कर रही है।
मैं तुम्हारे पिता बन कर परम धन्य हूँ सीते ! मैं परम धन्य हूँ!!!!
वे अपनी प्रिय पुत्री के ससुराल का आदर करते हैं।
पुत्री के सास ससुर पर दोषारोपण नहीं करते।
उन्हें पुत्री के पति से भी कोई शिकायत नहीं है
बस यही कारण है कि...महान त्यागी विदेह वंश की कन्या महान आदर्श प्रस्तुत कर सकीं...
सती सिरोमनि सिय गुन गाथा।सोइ गुन अमल अनूपम पाथा।।

सीता जैसी महान बिटिया के माता पिता को शत् शत् नमन
सीताराम जय सीताराम
सीताराम जय सीताराम

जो तुम्हारे और तुम्हारे परिवार का भविष्य सुधार देगा

बाप मरणासन्न अवस्था में पलंग पर पड़ा था।

दो भाई, ऐक बहन अंतिम समय अपने पिता के पास बैठे थे।

पिता ने तीनो से कहा- में तुम्हें कुछ सपने तुम्हारी आने वाली पीढियों के लिए कुछ देना चाहता था ,

तीनों संताने एक साथ बोली .............
पिता जी आपने सब तो दे दिया अब कुछ नही चाहिये........

पिताजी बोले - नही मुझे पता था की समय आने के पहले ही मेरे प्राण निकल जाएगे
इस लिए मेने पूजा घर मे मूर्ति के नीचे लिख कर रखा है, जो तुम्हारे और तुम्हारे परिवार का भविष्य सुधार देगा।।

इतना बोल पिताजी चिर निद्रा मैं लीन हो गये................

क्रिया कर्म के बाद याद आने पर बेटी पूजा घर में रखा कागज ला कर पढने लगी......

आखो में आसूं थे................

भाई ने पूछा क्या लिखा है बता....................

*पर्ची पर लिखा हुआ था*
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*"अब की बार मोदी सरकार"*🚩🚩

सफलतम प्रबंधक है."एक आम गृहिणी"

कई साल पहले एक बड़े कॉर्पोरेट हाउस ने बेंगलोर में *मैनेजमेंट गुरुओं* का एक सम्मेलन कराया था।

उसमे एक सवाल पूछा गया था।

*आप सफलतम मैनेजर किसे मानते हैं?*

विशेषज्ञों ने...

रोनाल्ड रीगन से नेल्सन मंडेला तक,

चर्चिल से गांधी तक,

टाटा से हेनरी फोर्ड तक,

चाणक्य से बिस्मार्क तक,

और न जाने कितने और नाम सुझाये।

पर ज्यूरी ने *कुछ और ही सोच* रखा था।

*सही उत्तर था* सफलतम प्रबंधक है...

*"एक आम गृहिणी ।"*

एक गृहिणी परिवार से किसी का *ट्रांसफर* नहीं कर सकती।

किसी को *सस्पेंड* नहीं कर सकती।

किसी को *टर्मिनेट* नहीं कर सकती।

और,

किसी को *अपॉइंट* भी नहीं कर सकती।

परन्तु फिर भी *सबसे काम करवाने की क्षमता* रखती है।

*किससे*, *क्या* और *कैसे* कराना है...

कब *प्रेम के राग* में *हौले से काम पिरोना* है...

और कब *राग सप्तक* पर *उच्च स्वर* में *भैरवी सुना क*र जरूरी कामों को अंजाम तक पहुंचाना है...

उसे पता होता है।

मानव संसाधन प्रबंधन का इससे बेहतर क्या उदहारण हो सकता है?

बड़े बड़े उद्योगों में भी कभी कभी इसलिए काम रुक जाता है क्योंकि *जरूरी फ्यूल* नहीं था या कोई *स्पेयर पार्ट* उपलब्ध नहीं था या कोई *रॉ मटेरियल* कम पड़ गया।

पर किसी गरीब से गरीब घर मे भी *नमक* _कम नहीं पड़ता_।

शायद बहुत याद करने पर भी आप को *वह दिन याद न आ पाए* जिस दिन *मां आपको खाने में* सिर्फ इसलिए कुछ नहीं दे पाई कि *बनाने को कुछ नही था* या *गैस खत्म* हो गई थी या *कुकर का रिंग* खराब हो गया था।

हर कमोबेशी और हर समस्या का *विकल्प* एक गृहिणी रखती है।

वो भी *बिल्कुल खामोशी* से।

*सामग्री प्रबंधन* एवं *संचालन*, संधारण प्रबंधन का इससे बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है ?

काम वाली बाई का बच्चा दुर्घटना का शिकार हो जाता है।

डॉक्टर बड़ा खर्च बता देता है, बाकी सब बगलें झांकने लगते हैं।

लेकिन वो फटाफट पुराने संदूको में छुपा कर रखे बचत के पैसे निकालती है।

कुछ गहने गिरवी रखती है।

कुछ घरों से सिर्फ साख के आधार पर उधार लेती है।

पर *पैसे का इंतजाम* कर ही लाती है।

*संकटकालीन अर्थ प्रबंध* का इससे बेहतर क्या उदाहरण हो सकता है?

निचले इलाकों में बेमौसम बारिश में घर मे पानी भरने लगे या *बिना खबर* अचानक चार मेहमान आ जाएं।

सब के लिए *आपदा प्रबंधन* की योजना रहती है उसके पास।

और...

सारे प्रबंधन के लिए पास में है बस कुछ आंसू और कुछ मुस्कान।

लेकिन...

जो सबसे बड़ी चीज होती है...

वो है...

जिजीविषा*, *समर्पण* और *प्रेम*।

सफल गृहिणी का *सबसे बड़ा संबल* होता है *सब्र*।

वही सब्र...

जिसके बारे में किसी ने बहुत सटीक कहा है...

*सब्र का घूंट दूसरों को पिलाना*
*कितना आसान लगता है*।

*ख़ुद पियो तो*,
*क़तरा क़तरा ज़हर लगता है*।

🙏

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