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शुक्रवार, 6 जुलाई 2018

पुराण में वर्णित है कि अमरनाथ गुफा

पैगंबर मोहम्मद का जब जन्म भी नहीं हुआ था, तब से अमरनाथ गुफा में हो रही है पूजा-अर्चना! इसलिए इस झूठ को नकारिए कि अमरनाथ गुफा की खोज एक मुसलिम ने की थी!

जानिए अमरनाथ का पूरा इतिहास ताकि अपने बच्चों को बता सकें  .

कल बाबा बर्फानी के दर्शन के अमरनाथ यात्रा शुरू हो गयी है। अमरनाथ यात्रा शुरू होते ही फिर से सेक्युलरिज्म के झंडबदारों ने गलत इतिहास की व्याख्या शुरू कर दी है कि इस गुफा को 1850 में एक मुसलिम बूटा मलिक ने खोजा था! पिछले साल तो पत्रकारिता का गोयनका अवार्ड घोषित करने वाले इंडियन एक्सप्रेस ने एक लेख लिखकर इस झूठ को जोर-शोर से प्रचारित किया था। जबकि इतिहास में दर्ज है कि जब इसलाम इस धरती पर मौजूद भी नहीं था, यानी इसलाम पैगंबर मोहम्मद पर कुरान उतरना तो छोडि़ए, उनका जन्म भी नहीं हुआ था, तब से अमरनाथ की गुफा में सनातन संस्कृति के अनुयायी बाबा बर्फानी की पूजा-अर्चना कर रहे हैं।

कश्मीर के इतिहास पर कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ और नीलमत पुराण से सबसे अधिक प्रकाश पड़ता है। श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर 3888 मीटर की उंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा को तो भारतीय पुरातत्व विभाग ही 5 हजार वर्ष प्राचीन मानता है। यानी महाभारत काल से इस गुफा की मौजूदगी खुद भारतीय एजेंसियों मानती हैं। लेकिन यह भारत का सेक्यूलरिज्म है, जो तथ्यों और इतिहास से नहीं, मार्क्सवादी-नेहरूवादियों के ‘परसेप्शन’ से चलता है! वही ‘परसेप्शन’ इस बार भी बनाने का प्रयास आरंभ हो चुका है।

‘राजतरंगिणी’ में अमरनाथ

अमरनाथ की गुफा प्राकृतिक है न कि मानव नर्मित। इसलिए पांच हजार वर्ष की पुरातत्व विभाग की यह गणना भी कम ही पड़ती है, क्योंकि हिमालय के पहाड़ लाखों वर्ष पुराने माने जाते हैं। यानी यह प्राकृतिक गुफा लाखों वर्ष से है। कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ में इसका उल्लेख है कि कश्मीर के राजा सामदीमत शैव थे और वह पहलगाम के वनों में स्थित बर्फ के शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने जाते थे। ज्ञात हो कि बर्फ का शिवलिंग अमरनाथ को छोड़कर और कहीं नहीं है। यानी वामपंथी, जिस 1850 में अमरनाथ गुफा को खोजे जाने का कुतर्क गढ़ते हैं, इससे कई शताब्दी पूर्व कश्मीर के राजा खुद बाबा बर्फानी की पूजा कर रहे थे।

नीलमत पुराण और बृंगेश संहिता में अमरनाथ।

नीलमत पुराण, बृंगेश संहिता में भी अमरनाथ तीर्थ का बारंबार उल्लेख मिलता है। बृंगेश संहिता में लिखा है कि अमरनाथ की गुफा की ओर जाते समय अनंतनया (अनंतनाग), माच भवन (मट्टन), गणेशबल (गणेशपुर), मामलेश्वर (मामल), चंदनवाड़ी, सुशरामनगर (शेषनाग), पंचतरंगिरी (पंचतरणी) और अमरावती में यात्री धार्मिक अनुष्ठान करते थे।

वहीं छठी में लिखे गये नीलमत पुराण में अमरनाथ यात्रा का स्पष्ट उल्लेख है। नीलमत पुराण में कश्मीर के इतिहास, भूगोल, लोककथाओं, धार्मिक अनुष्ठानों की विस्तृत रूप में जानकारी उपलब्ध है। नीलमत पुराण में अमरेश्वरा के बारे में दिए गये वर्णन से पता चलता है कि छठी शताब्दी में लोग अमरनाथ यात्रा किया करते थे।

नीलमत पुराण में तब अमरनाथ यात्रा का जिक्र है जब इस्लामी पैगंबर मोहम्मद का जन्म भी नहीं हुआ था। तो फिर किस तरह से बूटा मलिक नामक एक मुसलमान गड़रिया अमरनाथ गुफा की खोज कर कर सकता है? ब्रिटिशर्स, मार्क्सवादी और नेहरूवादी इतिहासकार का पूरा जोर इस बात को साबित करने में है कि कश्मीर में मुसलमान हिंदुओं से पुराने वाशिंदे हैं। इसलिए अमरनाथ की यात्रा को कुछ सौ साल पहले शुरु हुआ बताकर वहां मुसलिम अलगाववाद की एक तरह से स्थापना का प्रयास किया गया है!

इतिहास में अमरनाथ गुफा का उल्लेख

अमित कुमार सिंह द्वारा लिखित ‘अमरनाथ यात्रा’ नामक पुस्तक के अनुसार, पुराण में अमरगंगा का भी उल्लेख है, जो सिंधु नदी की एक सहायक नदी थी। अमरनाथ गुफा जाने के लिए इस नदी के पास से गुजरना पड़ता था। ऐसी मान्यता था कि बाबा बर्फानी के दर्शन से पहले इस नदी की मिट्टी शरीर पर लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं। शिव भक्त इस मिट्टी को अपने शरीर पर लगाते थे।

पुराण में वर्णित है कि अमरनाथ गुफा की उंचाई 250 फीट और चौड़ाई 50 फीट थी। इसी गुफा में बर्फ से बना एक विशाल शिवलिंग था, जिसे बाहर से ही देखा जा सकता था। बर्नियर ट्रेवल्स में भी बर्नियर ने इस शिवलिंग का वर्णन किया है। विंसेट-ए-स्मिथ ने बर्नियर की पुस्तक के दूसरे संस्करण का संपादन करते हुए लिखा है कि अमरनाथ की गुफा आश्चर्यजनक है, जहां छत से पानी बूंद-बूंद टपकता रहता है और जमकर बर्फ के खंड का रूप ले लेता है। हिंदू इसी को शिव प्रतिमा के रूप में पूजते हैं। ‘राजतरंगिरी’ तृतीय खंड की पृष्ठ संख्या-409 पर डॉ. स्टेन ने लिखा है कि अमरनाथ गुफा में 7 से 8 फीट की चौड़ा और दो फीट लंबा शिवलिंग है। कल्हण की राजतरंगिणी द्वितीय, में कश्मीर के शासक सामदीमत 34 ई.पू से 17 वीं ईस्वी और उनके बाबा बर्फानी के भक्त होने का उल्लेख है।

यही नहीं, जिस बूटा मलिक को 1850 में अमरनाथ गुफा का खोजकर्ता साबित किया जाता है, उससे करीब 400 साल पूर्व कश्मीर में बादशाह जैनुलबुद्दीन का शासन 1420-70 था। उसने भी अमरनाथ की यात्रा की थी। इतिहासकार जोनराज ने इसका उल्लेख किया है। 16 वीं शताब्दी में मुगल बादशाह अकबर के समय के इतिहासकार अबुल फजल ने अपनी पुस्तक ‘आईने-अकबरी’ में में अमरनाथ का जिक्र एक पवित्र हिंदू तीर्थस्थल के रूप में किया है। ‘आईने-अकबरी’ में लिखा है- गुफा में बर्फ का एक बुलबुला बनता है। यह थोड़ा-थोड़ा करके 15 दिन तक रोजाना बढ़ता है और यह दो गज से अधिक उंचा हो जाता है। चंद्रमा के घटने के साथ-साथ वह भी घटना शुरू हो जाता है और जब चांद लुप्त हो जाता है तो शिवलिंग भी विलुप्त हो जाता है।

वास्तव में कश्मीर घाटी पर विदेशी इस्लामी आक्रांता के हमले के बाद हिंदुओं को कश्मीर छोड़कर भागना पड़ा। इसके बारण 14 वीं शताब्दी के मध्य से करीब 300 साल तक यह यात्रा बाधित रही। यह यात्रा फिर से 1872 में आरंभ हुई। इसी अवसर का लाभ उठाकर कुछ इतिहासकारों ने बूटा मलिक को 1850 में अमरनाथ गुफा का खोजक साबित कर दिया और इसे लगभग मान्यता के रूप में स्थापित कर दिया। जनश्रुति भी लिख दी गई जिसमें बूटा मलिक को लेकर एक कहानी बुन दी गई कि उसे एक साधु मिला। साधु ने बूट को कोयले से भरा एक थैला दिया। घर पहुंच कर बूटा ने जब थैला खोला तो उसमें उसने चमकता हुआ हीरा माया। वह वह हीरा लौटाने या फिर खुश होकर धन्यवाद देने जब उस साधु के पास पहुंचा तो वहां साधु नहीं था, बल्कि सामने अमरनाथ का गुफा था।

आज भी अमरनाथ में जो चढ़ावा चढ़ाया जाता है उसका एक भाग बूटा मलिक के परिवार को दिया जाता है।

चढ़ावा देने से हमारा विरोध नहीं है, लेकिन झूठ के बल पर इसे दशक-दर-दशक स्थापित करने का यह जो प्रयास किया गया है, उसमें बहुत हद तक इन लोगों को सफलता मिल चुकी है। आज भी किसी हिंदू से पूछिए, वह नीलमत पुराण का नाम नहीं बताएगा, लेकिन एक मुसलिम गरेडि़ए ने अमरनाथ गुफा की खोज की, तुरंत इस फर्जी इतिहास पर बात करने लगेगा। यही फेक विमर्श का प्रभाव होता है, जिसमें ब्रिटिशर्स-मार्क्सवादी-नेहरूवादी इतिहासकार सफल रहे हैं।

साभार~#India_Speaks_Daily .

पुराण में वर्णित है कि अमरनाथ गुफा

पैगंबर मोहम्मद का जब जन्म भी नहीं हुआ था, तब से अमरनाथ गुफा में हो रही है पूजा-अर्चना! इसलिए इस झूठ को नकारिए कि अमरनाथ गुफा की खोज एक मुसलिम ने की थी!

जानिए अमरनाथ का पूरा इतिहास ताकि अपने बच्चों को बता सकें  .

कल बाबा बर्फानी के दर्शन के अमरनाथ यात्रा शुरू हो गयी है। अमरनाथ यात्रा शुरू होते ही फिर से सेक्युलरिज्म के झंडबदारों ने गलत इतिहास की व्याख्या शुरू कर दी है कि इस गुफा को 1850 में एक मुसलिम बूटा मलिक ने खोजा था! पिछले साल तो पत्रकारिता का गोयनका अवार्ड घोषित करने वाले इंडियन एक्सप्रेस ने एक लेख लिखकर इस झूठ को जोर-शोर से प्रचारित किया था। जबकि इतिहास में दर्ज है कि जब इसलाम इस धरती पर मौजूद भी नहीं था, यानी इसलाम पैगंबर मोहम्मद पर कुरान उतरना तो छोडि़ए, उनका जन्म भी नहीं हुआ था, तब से अमरनाथ की गुफा में सनातन संस्कृति के अनुयायी बाबा बर्फानी की पूजा-अर्चना कर रहे हैं।

कश्मीर के इतिहास पर कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ और नीलमत पुराण से सबसे अधिक प्रकाश पड़ता है। श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर 3888 मीटर की उंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा को तो भारतीय पुरातत्व विभाग ही 5 हजार वर्ष प्राचीन मानता है। यानी महाभारत काल से इस गुफा की मौजूदगी खुद भारतीय एजेंसियों मानती हैं। लेकिन यह भारत का सेक्यूलरिज्म है, जो तथ्यों और इतिहास से नहीं, मार्क्सवादी-नेहरूवादियों के ‘परसेप्शन’ से चलता है! वही ‘परसेप्शन’ इस बार भी बनाने का प्रयास आरंभ हो चुका है।

‘राजतरंगिणी’ में अमरनाथ

अमरनाथ की गुफा प्राकृतिक है न कि मानव नर्मित। इसलिए पांच हजार वर्ष की पुरातत्व विभाग की यह गणना भी कम ही पड़ती है, क्योंकि हिमालय के पहाड़ लाखों वर्ष पुराने माने जाते हैं। यानी यह प्राकृतिक गुफा लाखों वर्ष से है। कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ में इसका उल्लेख है कि कश्मीर के राजा सामदीमत शैव थे और वह पहलगाम के वनों में स्थित बर्फ के शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने जाते थे। ज्ञात हो कि बर्फ का शिवलिंग अमरनाथ को छोड़कर और कहीं नहीं है। यानी वामपंथी, जिस 1850 में अमरनाथ गुफा को खोजे जाने का कुतर्क गढ़ते हैं, इससे कई शताब्दी पूर्व कश्मीर के राजा खुद बाबा बर्फानी की पूजा कर रहे थे।

नीलमत पुराण और बृंगेश संहिता में अमरनाथ।

नीलमत पुराण, बृंगेश संहिता में भी अमरनाथ तीर्थ का बारंबार उल्लेख मिलता है। बृंगेश संहिता में लिखा है कि अमरनाथ की गुफा की ओर जाते समय अनंतनया (अनंतनाग), माच भवन (मट्टन), गणेशबल (गणेशपुर), मामलेश्वर (मामल), चंदनवाड़ी, सुशरामनगर (शेषनाग), पंचतरंगिरी (पंचतरणी) और अमरावती में यात्री धार्मिक अनुष्ठान करते थे।

वहीं छठी में लिखे गये नीलमत पुराण में अमरनाथ यात्रा का स्पष्ट उल्लेख है। नीलमत पुराण में कश्मीर के इतिहास, भूगोल, लोककथाओं, धार्मिक अनुष्ठानों की विस्तृत रूप में जानकारी उपलब्ध है। नीलमत पुराण में अमरेश्वरा के बारे में दिए गये वर्णन से पता चलता है कि छठी शताब्दी में लोग अमरनाथ यात्रा किया करते थे।

नीलमत पुराण में तब अमरनाथ यात्रा का जिक्र है जब इस्लामी पैगंबर मोहम्मद का जन्म भी नहीं हुआ था। तो फिर किस तरह से बूटा मलिक नामक एक मुसलमान गड़रिया अमरनाथ गुफा की खोज कर कर सकता है? ब्रिटिशर्स, मार्क्सवादी और नेहरूवादी इतिहासकार का पूरा जोर इस बात को साबित करने में है कि कश्मीर में मुसलमान हिंदुओं से पुराने वाशिंदे हैं। इसलिए अमरनाथ की यात्रा को कुछ सौ साल पहले शुरु हुआ बताकर वहां मुसलिम अलगाववाद की एक तरह से स्थापना का प्रयास किया गया है!

इतिहास में अमरनाथ गुफा का उल्लेख

अमित कुमार सिंह द्वारा लिखित ‘अमरनाथ यात्रा’ नामक पुस्तक के अनुसार, पुराण में अमरगंगा का भी उल्लेख है, जो सिंधु नदी की एक सहायक नदी थी। अमरनाथ गुफा जाने के लिए इस नदी के पास से गुजरना पड़ता था। ऐसी मान्यता था कि बाबा बर्फानी के दर्शन से पहले इस नदी की मिट्टी शरीर पर लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं। शिव भक्त इस मिट्टी को अपने शरीर पर लगाते थे।

पुराण में वर्णित है कि अमरनाथ गुफा की उंचाई 250 फीट और चौड़ाई 50 फीट थी। इसी गुफा में बर्फ से बना एक विशाल शिवलिंग था, जिसे बाहर से ही देखा जा सकता था। बर्नियर ट्रेवल्स में भी बर्नियर ने इस शिवलिंग का वर्णन किया है। विंसेट-ए-स्मिथ ने बर्नियर की पुस्तक के दूसरे संस्करण का संपादन करते हुए लिखा है कि अमरनाथ की गुफा आश्चर्यजनक है, जहां छत से पानी बूंद-बूंद टपकता रहता है और जमकर बर्फ के खंड का रूप ले लेता है। हिंदू इसी को शिव प्रतिमा के रूप में पूजते हैं। ‘राजतरंगिरी’ तृतीय खंड की पृष्ठ संख्या-409 पर डॉ. स्टेन ने लिखा है कि अमरनाथ गुफा में 7 से 8 फीट की चौड़ा और दो फीट लंबा शिवलिंग है। कल्हण की राजतरंगिणी द्वितीय, में कश्मीर के शासक सामदीमत 34 ई.पू से 17 वीं ईस्वी और उनके बाबा बर्फानी के भक्त होने का उल्लेख है।

यही नहीं, जिस बूटा मलिक को 1850 में अमरनाथ गुफा का खोजकर्ता साबित किया जाता है, उससे करीब 400 साल पूर्व कश्मीर में बादशाह जैनुलबुद्दीन का शासन 1420-70 था। उसने भी अमरनाथ की यात्रा की थी। इतिहासकार जोनराज ने इसका उल्लेख किया है। 16 वीं शताब्दी में मुगल बादशाह अकबर के समय के इतिहासकार अबुल फजल ने अपनी पुस्तक ‘आईने-अकबरी’ में में अमरनाथ का जिक्र एक पवित्र हिंदू तीर्थस्थल के रूप में किया है। ‘आईने-अकबरी’ में लिखा है- गुफा में बर्फ का एक बुलबुला बनता है। यह थोड़ा-थोड़ा करके 15 दिन तक रोजाना बढ़ता है और यह दो गज से अधिक उंचा हो जाता है। चंद्रमा के घटने के साथ-साथ वह भी घटना शुरू हो जाता है और जब चांद लुप्त हो जाता है तो शिवलिंग भी विलुप्त हो जाता है।

वास्तव में कश्मीर घाटी पर विदेशी इस्लामी आक्रांता के हमले के बाद हिंदुओं को कश्मीर छोड़कर भागना पड़ा। इसके बारण 14 वीं शताब्दी के मध्य से करीब 300 साल तक यह यात्रा बाधित रही। यह यात्रा फिर से 1872 में आरंभ हुई। इसी अवसर का लाभ उठाकर कुछ इतिहासकारों ने बूटा मलिक को 1850 में अमरनाथ गुफा का खोजक साबित कर दिया और इसे लगभग मान्यता के रूप में स्थापित कर दिया। जनश्रुति भी लिख दी गई जिसमें बूटा मलिक को लेकर एक कहानी बुन दी गई कि उसे एक साधु मिला। साधु ने बूट को कोयले से भरा एक थैला दिया। घर पहुंच कर बूटा ने जब थैला खोला तो उसमें उसने चमकता हुआ हीरा माया। वह वह हीरा लौटाने या फिर खुश होकर धन्यवाद देने जब उस साधु के पास पहुंचा तो वहां साधु नहीं था, बल्कि सामने अमरनाथ का गुफा था।

आज भी अमरनाथ में जो चढ़ावा चढ़ाया जाता है उसका एक भाग बूटा मलिक के परिवार को दिया जाता है।

चढ़ावा देने से हमारा विरोध नहीं है, लेकिन झूठ के बल पर इसे दशक-दर-दशक स्थापित करने का यह जो प्रयास किया गया है, उसमें बहुत हद तक इन लोगों को सफलता मिल चुकी है। आज भी किसी हिंदू से पूछिए, वह नीलमत पुराण का नाम नहीं बताएगा, लेकिन एक मुसलिम गरेडि़ए ने अमरनाथ गुफा की खोज की, तुरंत इस फर्जी इतिहास पर बात करने लगेगा। यही फेक विमर्श का प्रभाव होता है, जिसमें ब्रिटिशर्स-मार्क्सवादी-नेहरूवादी इतिहासकार सफल रहे हैं।

साभार~#India_Speaks_Daily .

आज का पंचांग 6 july 2018

.        ।। 🕉 ।।
    🌞 *सुप्रभातम्* 🌞
««« *आज का पंचांग* »»»
कलियुगाब्द................5120
विक्रम संवत्...............2075
शक संवत्..................1940
मास.........................आषाढ़
पक्ष............................कृष्ण
तिथी.........................अष्टमी
रात्रि 01.18 पर्यंत पश्चात नवमी
रवि.......................उत्तरायण
सूर्योदय...........05.50.09 पर
सूर्यास्त............07.11.57 पर
सूर्य राशि....................मिथुन
चन्द्र राशि......................मीन
नक्षत्र................उत्तराभाद्रपद
प्रातः 06.43 पर्यंत पश्चात रेवती
योग...........................शोभन
प्रातः 07.07 पर्यंत पश्चात अतिगंड
करण..........................बालव
दोप 01.15 पर्यंत पश्चात कौलव
ऋतु..............................वर्षा
दिन..........................शुक्रवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :-
06 जुलाई सन 2018 ईस्वी ।

☸ शुभ अंक......................1
🔯 शुभ रंग...............आसमानी

👁‍🗨 *राहुकाल* :-
प्रात: 10.51 से 12.31 तक ।

🚦 *दिशाशूल* :-
पश्चिमदिशा - यदि आवश्यक हो तो जौ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें।

✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 07.30 से 09.10 तक लाभ
प्रात: 09.10 से 10.50 तक अमृत
दोप. 12.30 से 02.10 तक शुभ
सायं 05.30 से 07.11 तक चंचल
रात्रि 09.50 से 11.10 तक लाभ ।

📿 *आज का मंत्र* :-
।। ॐ कलिपुरुषाय नमः ।।

📢 *संस्कृत सुभाषितानि* --
आशा नाम मनुष्याणां काचिदाश्चर्यशॄङखला ।
यया बद्धा: प्राधावन्ति मुक्तास्तिष्ठन्ति पङ्गुवत् ॥
अर्थात :-
आशा नामक एक विचित्र और आश्चर्यकारक शॄंखला है । इससे जो बंधे हुए है वो इधर उधर भागते रहते है तथा इससे जो मुक्त है वो पंगु की तरह शांत चित्त से एक हीसूक्तिजगह पर खडे रहते है ।

🍃 *आरोग्यं सलाह* :-
*वर्षा ऋतू में त्वचा की देखभाल के घरेलु उपाय :*

*3. चेहरे की साफ सफाई -*
चेहरे को साफ रखना बेहद जरूरी है, इसलिए किसी भी फेशियल फोम से चेहरे को साफ करना चाहिए। ऐसा करने से चेहरे की गंदगी साफ हो जाती है और थकान भी कम महसूस होती है।

*4. स्किन के लिए मॉश्चसराइजर -*
मानसून में स्किन को सूट करने वाला हाइड्रेटेड मॉश्च राइजर चेहरे पर लगाना चाहिए। इससे स्किन सीधे तौर पर बाहरी वातावरण के संपर्क में नहीं आती है और उस प्रदूषण का असर भी कम पड़ता है।

⚜ *आज का राशिफल* :-

🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। राजकीय बाधा दूर होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। संतान की चिंता रहेगी। लाभ होगा।

🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। जल्दबाजी न करें। चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है। प्रतिष्ठा घट सकती है।

👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कोर्ट व कचहरी के कार्य निबटेंगे। प्रसन्नता रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी।

🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
घर-बाहर तनाव रह सकता है। शांति बनाए रखें। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी। रोजगार मिलेगा।

🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। यात्रा सफल रहेगी। शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। अच्‍छे पकवान मिलेंगे |

👱🏻‍♀ *राशि फलादेश कन्या* :-
रोग व चोट से हानि संभव है। विवाद को बढ़ावा न दें। शोक संदेश मिल सकता है। झंझटों में न पड़ें।

⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
कम मेहनत से अधिक लाभ होगा। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। लेन-देन में सावधानी रखें। निवेश व यात्रा मनोनुकूल रहेंगे।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
शुभ समाचार मिलेंगे। स्वाभिमान बना रहेगा। मानसिक बेचैनी रहेगी। विवेक का प्रयोग करें, लाभ होगा |

🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
पुराना रोग उभर सकता है। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति होगी।

🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
चिंता तथा तनाव रहेंगे। व्ययवृद्धि होगी। लाभ के अवसर टलेंगे। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। जीवनसाथी की चिंता रहेगी। चोट व रोग से बचें। यात्रा सफल रहेगी।

🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। रुके कार्यों में गति आएगी। धन प्राप्ति सुगम होगी।

☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो |

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

गुरुवार, 5 जुलाई 2018

अजीनोमोटो: यह धीमा जहर है।

अजीनोमोटो: यह धीमा जहर है। 

सफेद रंग का चमकीला सा दिखने वाला मोनोसोडि़यम ग्लूटामेट यानी अजीनोमोटो, एक सोडियम साल्ट है। अगर आप चाइनीज़ डिश के दीवाने हैं तो यह आपको उसमें जरूर मिल जाएगा क्योंकि यह एक मसाले
के रूप में उनमें इस्तमाल किया जाता है। शायद ही आपको पता हो कि यह खाने का स्वाद बढ़ाने वाला मसाला वास्तव में जहर यह धीमा खाने का स्वाद नहीं बढ़ाता बल्कि हमारी स्वाद ग्रन्थियों के कार्य को दबा देता है जिससे हमें खाने के बुरे स्वाद का पता नहीं लगता। मूलतः इस का प्रयोग खाद्य की घटिया गुणवत्ता को छिपाने के लिए किया जाता है। यह सेहत के लिए भी बहुत खतरनाक होता है।

अजीनोमोटो को हम इसके व्यापारिक नाम मोनो सोडियम ग्लूटामेट के नाम से भी जानते है. इसको संक्षिप्त में हम एमएसजी नाम से भी जानते है. अजीनोमोटो की कंपनी का मुख्य कार्यालय चोओ, टोक्यो में स्थित है. यह 26 देशों में काम करता है. 2013 के वित्तीय वर्ष में इसका वार्षिक राजस्व करीब 12 अरब अमेरिकी डॉलर है. इसका इस्तेमाल ज्यादातर चीन की खाद्य पदार्थो में खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है. पहले हम अधिकांशतः घर पर बने खाने को खाते थे, लेकिन अब लोग चिप्स, पिज्ज़ा और मैगी जैसे खाने को ज्यादा पसंद करने लगे है जिनमे अजीनोमोटो का इस्तेमाल होता है. इसका इस्तेमाल कई डिब्बाबंद फ़ास्ट फ़ूड सोया सॉस, टोमेटो सॉस, संरक्षित मछली जैसे सभी संरक्षित खाद्य उत्पादों में किया जाता है.

अजीनोमोटो और उसके लाभ एवं नुकसान

अजीनोमोटो का इतिहास (What is Ajinomoto history)

अजीनोमोटो को पहली बार 1909 में जापानी जैव रसायनज्ञ किकुनाए इकेडा के द्वारा खोजा गया था. उन्होने इसके स्वाद को मामी के रूप में पहचाना जिसका अर्थ होता है सुखद स्वाद. कई जापानी सूप में इसका इस्तेमाल होता है. इसका स्वाद थोडा नमक के जैसा होता है. देखने में यह चमकीले छोटे क्रिस्टल के जैसा होता है. इसमें प्राकृतिक रूप से एमिनो एसिड पाया जाता है.          
अजीनोमोटो का उपयोग (Ajinomoto uses)
  • अजीनोमोटो 1908 में एक ब्रांड के रूप में व्यावसायिक तौर पर आया, किन्तु आज दुनिया के हर कुक खाने में स्वाद को बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल करते है.
  • एमएसजी का इस्तेमाल सुरक्षित माना गया है, लेकिन इसको लेकर कुछ ग़लतफ़हमी भी है जो कि वैज्ञानिक रूप से अभी प्रमाणित नहीं हुई है इसका इस्तेमाल सब्जियों के मसाले में किया जाता है.
  • इसका उपयोग विशेष रूप से चायनीज़ खाने में किया जाता है. यदि किसी सामान्य या चायनीज़ खाने को स्वादिष्ट बनाना है तो लोग इसका इस्तेमाल करते है.
  • चायनीज़ खाने जैसे नूडल्स, सूप आदि कई प्रकार के खाने के व्यंजन में इसका इस्तेमाल किया जाता है

अजीनोमोटो के लाभ (Ajinomoto benefit)

कुछ खाद्य पदार्थो में प्राकृतिक रूप से ग्लूटामेट पाया जाता है जैसे टमाटर, समुद्री मछलियों, पनीर और मशरूम में ये प्रचुर मात्रा में पाए जाते है, जिससे इसमें अलग से इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता और यह हानिकारक भी नहीं होता है. इसलिए अगर कोई व्यक्ति स्वस्थ है और उसको इसे खाने से कोई समस्या नहीं है तो उसे इसका सेवन करने में कोई परेशानी नहीं होगी. यू. एस. फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने एमएसजी के सेवन को सामान्य रूप से सुरक्षित माना है.                
अजीनोमोटो के नुकसान (Ajinomoto side effects)
एमएसजी का इस्तेमाल पहले चीन की रसोई में होता था, लेकिन अब ये धीरे धीरे हमारे भी घरों की रसोई में अपना पैठ बना चूका है. अपने समय को बचाने के लिए जो हम 2 मिनट में नुडल्स को तैयार कर ग्रहण करते है इस तरह के अधिकांशतः खाद्य पदार्थो में यह पाया जाता है जो धीरे धीरे हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते है.

  • यह एक प्रकार से नशे की लत जैसा होता है अगर आप एक बार अजीनोमोटो युक्त भोजन को ग्रहण कर लेते है, तो आप उस भोजन को नियमित खाने की इच्छा रखने लगेंगे.
  • इसके सेवन से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाती है. जब आप एमएसजी मिले पदार्थो का सेवन करते है, तो रक्त में ग्लूटामेट का स्तर बढ़ जाता है. जिस वजह से इसका शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ता है.
  • एमएसजी को एक धीमा हत्यारा भी कहा जा सकता है. यह आँखों की रेटिना को नुकसान पहुंचाता है साथ ही यह थायराईड और कैंसर जैसे रोगों के लक्षण पैदा कर सकता है.   
अजीनोमोटो का इस्तेमाल हानिकारक है (Ajinomoto harmful effects)
हो जाते है आदी
इसके सेवन से हम सोडियम ग्‍लूटामेट के आदी हो जाते हैं, हम कुछ भी खा लें लेकिन हमारी भूख शांत नहीं हेाती हैं जब तक की शरीर को एक बार फिर सोडियम ग्‍लूटामेट नहीं मिल जाएं। इसका मस्तिष्‍क में बिल्‍कुल वैसा ही प्रभाव पड़ता है जैसे ड्रग्‍स के बाद मस्तिष्‍क आदी हो जाता हैं।
मूत्र संबंधी समस्‍या
सोडियम ग्‍लूटामेट के सेवन से हमारे शरीर में मूत्र संबंधी परेशानियों का भी निर्माण होने लगता है, जिसके कारण मूत्राशय में बार बार दर्द होने लगता है।
बीपी में जहर के समान जिन लोगों को ब्‍लडप्रेशर की शिकायत हे, उनके लिए सोडियम ग्‍लूटामेट किसी जहर से कम नहीं हैं, इसके सेवन से बीपी हाई या लो हो सकती है। इसके अलावा इससे दिल की संबंधी बीमारियां होने का भी खतरा रहता है।
प्रेगनेंसी में भूलकर भी न करें सेवन गर्भवती महिलाओं को सोडियम ग्‍लूटामेट से दूर रहना चाहिए क्‍योंकि इसके सेवन से होने वाले बच्‍चें पर मानसिक और शारीरिक विकास पर काफी असर पड़ सकता है।
आंखों पर भी असर
सोडियम ग्‍लूटामेट, आंखों पर भी असर डालता है। इसके ज्‍यादा सेवन से कहीं न कहीं आंखों की रोशनी क्षीण होने लगती हैं। अन्‍य नुकसान सोडियम ग्‍लूटामेट के सेवन से चेहरे पर भी इसका असर नजर आने लगता हैं। इसके सेवन से चेहरे पर सूजन आने लगती है और शरीर में डिहाइड्रेशन की समस्‍या होने लगती है। कभी भी मुंह सूखने लगता हैं।
* सिर दर्द, पसीना आना और चक्कर आने जैसी खतरनाक बीमारी आपको अजीनोमोटो से हो सकती है। अगर आप इसके आदि हो चुके हैं और खाने में इसको बहुत प्रयोग करते हैं तो यह आपके दिमाग को भी नुकसान कर सकता है।
* इसको खाने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। चेहरे की सूजन और त्वचा में खिंचावमहसूस होना इसके कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
* इसका ज्यादा प्रयोग से धीरे धीरे सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत और आलस भी पैदा कर सकता है और ह्रदय की मांसपेशियों में खिचाव होने लगता है.  । इससे सर्दी-जुखाम और थकान भी महसूस होती है। इसमें पाये जाने वाले एसिड सामग्रियों की वजह से यह पेट और गले में जलन भी पैदा कर सकता है।
* पेट के निचले भाग में दर्द, उल्टी आना और डायरिया इसके आम दुष्प्रभावों में से एक हैं।
* अजीनोमोटो आपके पैरों की मासपेशियों और घुटनों में दर्द पैदा कर सकता है। यह हड्डियों को कमज़ोर और शरीर द्वारा जितना भी कैल्शिम लिया गया हो, उसे कम कर देता है।
* उच्च रक्तचाप की समस्या से घिरे लोगों को यह बिल्कुल नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ और घट जाता है।
* व्यक्तियों को इससे माइग्रेन होने की समस्या भी हो सकती है। आपके सिर में दर्द पैदा हो रहा है तो उसे तुरंत ही खाना बंद कर दें।
* अजीनोमोटो की उत्पादन प्रक्रिया भी विवादास्पद है : कहा जाता है कि इसका उत्पादन जानवरों के शरीर से प्राप्त सामग्री से भी किया जा सकता है।

*अजीनोमोटो बच्चों के लिए बहुत हानिकारक है। इसके कारण स्कूल जाने वाले ज्यादातर बच्चे सिरदर्द के शिकार हो रहे हैं। भोजन में एमएसजी का इस्तेमाल या प्रतिदिन एमएसजी युक्त जंकफूड और प्रोसेस्ड फूड का असर बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है। कई शोधों में यह बात साबित हो चुकी है कि एमएसजी युक्त डाइट बच्चों में मोटापे की समस्या का एक कारण है। इसके अलावा यह बच्चों को भोजन के प्रति अंतिसंवेदनशील बना सकता है। मसलन, एमएसजी युक्त भोजन अधिक खाने के बाद हो सकता है कि बच्चे को किसी दूसरी डाइट से एलर्जी हो जाए। इसके अलावा, यह बच्चों के व्यवहार से संबंधित समस्याओं का भी एक कारण है। छिपा हो सकता है अजीनोमोटो अब पूरी दुनिया में मैगी नूडल बच्चे बड़े सभी चाव से खाते हैं, इस मैगी में जो राज की बात है वो है Hydrolyzed groundnut protein और स्वाद वर्धक 635 Disodium ribonucleotides यह कम्पनी यह दावा करती है कि इसमें अजीनोमोटो यानि MSG नहीं डाला गया है। जबकि Hydrolyzed groundnut protein पकने के बाद अजीनोमोटो यानि MSG में बदल जाता है और Disodium ribonucleotides इसमें मदद करता है।
तंत्रिका पर प्रभाव – एमएसजी तंत्रिका को प्रेरित कर उसमे असंतुलन पैदा कर सकती है इस वजह से गर्दन में अकडन या खिचाव के साथ शरीर में झुनझुनी पैदा होने लगती है. इसके सेवन से अल्झाइमर, हन्तिन्ग्तिओन और पार्किन्सन, मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस जैसी लक्षण पैदा होने लगते है. अजीनोमोटो एक नयूरोत्रन्स्मित्टर है जो अनिंद्रा जैसे विकारों के भी लक्षण पैदा कर सकते है.
बाँझपन – गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए, क्योकि ये महिला और बच्चे के बीच भोजन आपूर्ति में बाधक बन सकता है. साथ ही यह मस्तिष्क के नयूरोंस पर भी बुरा प्रभाव डालता है यह शरीर में सोडियम की मात्रा को बढ़ा देता है जिस वजह से रक्तचाप बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही पैरों में सूजन की भी समस्या होने लगती है.

अजीनोमोटो के लिए निष्कर्ष (Ajinomoto conclusion)
किसी भी चीज का अधिक सेवन हमे लाभ पहुंचाने के बदले नुकसान ही पहुंचाते है. अजीनोमोटो का भी जरुरत से ज्यादा या लगातार इस्तेमाल किसी अति संवेदनशील व्यक्ति को नुकसान पंहुचा सकता है. इसलिए जब भी आप इसका सेवन करे ऊपर वर्णित लक्षण दिखने पर इसका सेवन बंद कर दे और डॉ. से परामर्श ले.



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Jai shree krishna

Thanks,

Regards,

कैलाश चन्द्र लढा(भीलवाड़ा)www.sanwariya.org
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आज का पंचांग 5 july 2018

.            ।। 🕉 ।।
    🌞 *सुप्रभातम्* 🌞
««« *आज का पंचांग* »»»
कलियुगाब्द.................5120
विक्रम संवत्...............2075
शक संवत्..................1940
मास.........................आषाढ़
पक्ष............................कृष्ण
तिथी........................सप्तमी
रात्रि 01.03 पर्यंत पश्चात अष्टमी
रवि.....................उत्तरायण
सूर्योदय..........05.50.11 पर
सूर्यास्त..........07.11.59 पर
सूर्य राशि..................मिथुन
चन्द्र राशि...................मीन
नक्षत्र..............उत्तराभाद्रपद
दुसरे दिन प्रातः 06.44 पर्यंत पश्चात रेवती
योग.......................सौभाग्य
प्रातः 07.26 पर्यंत पश्चात शोभन
करण........................विष्टि
दोप 12.37 पर्यंत पश्चात बव
ऋतु...........................वर्षा
दिन.........................गुरुवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :-
05 जुलाई सन 2018 ईस्वी ।

👁‍🗨 *राहुकाल* :-
दोपहर 02.11 से 03.51 तक ।

🚦 *दिशाशूल* :-
दक्षिणदिशा -
यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक.................1
🔯 शुभ रंग................पीला

✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 05.49 से 07.30 तक शुभ
प्रात: 10.50 से 12.30 तक चंचल
दोप. 12.30 से 02.10 तक लाभ
दोप. 02.10 से 03.50 तक अमृत
सायं 05.30 से 07.11 तक शुभ
सायं 07.11 से 08.30 तक अमृत
रात्रि 08.30 से 09.51 तक चंचल |

📿 *आज का मंत्र* :-
|| ॐ गन्धर्वाय नमः ||

📢 *सुभाषितम्* :-
यस्यास्ति वित्तं स नर:कुलीन: , स पण्डित: स श्रुतवान् गुणज्ञ: ।
स एव वक्ता स च दर्शनीय: , सर्वे गुणा: काञ्चनमाश्रयन्ते ॥
अर्थात :-
जिसके पास धन है वही कुलीन कहलाता है ) वही पण्डित , बहुश्रुत , गुणों की पहचान रखनेवाला, वक्ता तथा दर्शनीय समझा जाता है| अर्थात सभी गुण धन का आश्रय लेते है।

🍃 *आरोग्यं* :-
*वर्षा ऋतू में त्वचा की देखभाल के घरेलु उपाय :*

*1. अतिरिक्त छिद्र को हटाएं -*
चेहरे पर अक्सर बड़े-बड़े छिद्र या पोर्स हो जाते हैं यानी की रोम छिद्र हो जाते हैं और यह रोम छिद्र चेहरे पर साफ दिखाई देने लगते हैं। जो की दिखने में बड़े भद्दे से लगते हैं। मानसून में अतिरिक्त छिद्र और तेल को हटाने के लिए दिन में कम से कम 3 बार अपनी त्वचा को साफ करें।

*2. त्वचा को टोन -*
मानसून में त्वचा की देखभाल के लिए आपको अपनी त्वचा को टोन करना चाहिए और ऐसा करने के लिए गैर-मादक विविधता (non-alcoholic variety) का चयन करना चाहिए। ये आपकी त्वचा की पीएच संतुलन को भी मदद करते हैं और आपकी त्वचा पर चमक भी लाते हैं।

⚜ *आज का राशिफल* :-

🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
व्ययवृद्धि होगी। तनाव रहेगा। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। लेन-देन में सावधानी रखें। व्यवसाय ठीक चलेगा।

🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। कार्य का विस्तार होगा। लेन-देन में सावधानी रखें। प्रमाद न करें।

👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
यात्रा सफल रहेगी। नई योजना बनेगी। प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। नए अनुबंध होंगे। आय बढ़ेगी। धार्मिक कार्यक्रमों में परिवार भाग लेंगे।

🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
वाणी पर नियंत्रण रखें। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी।

🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
प्रेम-प्रसंग में जोखिम न लें। बात बिगड़ सकती है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें।

👱🏻‍♀ *राशि फलादेश कन्या* :-
जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। कोर्ट व कचहरी के काम बनेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। जोखिम न लें।

⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
बेचैनी रहेगी। भूमि व भवन की खरीद-फरोख्त संभव है। रोजगार मिलेगा। भागदौड़ रहेगी। प्रसन्नता रहेगी।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। चोट व रोग से बचें। लाभ होगा।

🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
पुराना रोग उभर सकता है। दु:खद समाचार मिल सकता है। विवाद न करें। बाकी सामान्य रहेगा।

🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
अज्ञात भय सताएगा। प्रयास सफल रहेंगे। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कार्य का विस्तार होगा। जल्दबाजी न करें।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
शुभ समाचार प्राप्त होंगे। पुराने मित्र व संबंधी मिलेंगे। आत्मसम्मान बना रहेगा। प्रसन्नता रहेगी।

🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
बेरोजगारी दूर होगी। आय में वृद्धि होगी। यात्रा सफल रहेगी। प्रसन्नता बढ़ेगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।

।। *शुभम भवतु* ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय*  🚩🚩

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