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शनिवार, 7 जुलाई 2018

आज का पंचांग 7 july 2018

🙏🌺🙏 *अथ  पंचांगम्* 🙏🌺🙏

*दिनाँक-: 07/07/2018,शनिवार*
नवमी, कृष्ण पक्ष
आषाढ
""""""""""""""""""""""""""""""""(समाप्ति काल)

तिथि-------------नवमी24:50:23    तक
पक्ष-----------------------------कृष्ण
नक्षत्र--------------रेवती07:39:24
योग------------अतिगंड06:14:41
योग--------------सुकर्मा28:41:09
करण-------------तैतुल13:12:30
करण--------------गरज24:50:23
वार--------------------------शनिवार
माह---------------------------आषाढ
चन्द्र राशि----------मीन07:39:24
चन्द्र राशि------------------------मेष
सूर्य राशि----------------------मिथुन
रितु निरयन--------------------ग्रीष्म
रितु सायन-----------------------वर्षा
निरयन---------------------उत्तरायण
सायन--------------------दक्षिणायण
संवत्सर----------------------विलम्बी
संवत्सर (उत्तर)----------विरोधकृत
विक्रम संवत-----------------2075
विक्रम संवत (कर्तक)------ 2074
शाका संवत------------------1940

वृन्दावन
सूर्योदय-----------------05:30:59
सूर्यास्त------------------19:17:07
दिन काल---------------13:46:08
रात्री काल--------------10:14:17
चंद्रास्त------------------13:18:36
चंद्रोदय------------------25:13:21

लग्न----मिथुन 20°45' , 80°45'

सूर्य नक्षत्र--------------------पुनर्वसु
चन्द्र नक्षत्र---------------------रेवती
नक्षत्र पाया---------------------स्वर्ण

*🚩💮🚩  पद, चरण  🚩💮🚩*

ची----रेवती 07:39:24

चु----अश्विनी 13:43:31

चे----अश्विनी 19:44:39

चो----अश्विनी 25:42:49

*💮🚩💮  ग्रह गोचर  💮🚩💮*

ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
=======================
सूर्य=मिथुन  20 ° 44 , पुनर्वसु ,  1के
चन्द्र=मीन  28 ° 54' रेवती,    4 ची
बुध=कर्क 16 ° 32  'पुष्य  '   4   ड
शुक्र=सिंह 02 ° 27  , मघा ,   1मा
मंगल=मकर  14°25 ' श्रवण '  2 खू
गुरु=तुला 19 ° 20  '  स्वाति    , 4  ता
शनि=धनु   11 ° 18'   मूल   '  4   भी
राहू=कर्क   13 ° 50  '    पुष्य ,  3  हो
केतु=मकर   12 ° 50'   श्रवण, 1  खी

*🚩💮🚩शुभा$शुभ मुहूर्त🚩💮🚩*

राहू काल 08:58 - 10:41अशुभ
यम घंटा 14:07 - 15:51अशुभ
गुली काल 05:31 - 07:14अशुभ
अभिजित 11:57 -12:52शुभ
दूर मुहूर्त 07:21 - 08:16अशुभ

💮गंड मूलअहोरात्रअशुभ

🚩पंचक05:31 - 07:39अशुभ

💮चोघडिया, दिन
काल 05:31 - 07:14अशुभ
शुभ 07:14 - 08:58शुभ
रोग 08:58 - 10:41अशुभ
उद्वेग 10:41 - 12:24अशुभ
चाल 12:24 - 14:07शुभ
लाभ 14:07 - 15:51शुभ
अमृत 15:51 - 17:34शुभ
काल 17:34 - 19:17अशुभ

🚩चोघडिया, रात
लाभ 19:17 - 20:34शुभ
उद्वेग 20:34 - 21:51अशुभ
शुभ 21:51 - 23:07शुभ
अमृत 23:07 - 24:24*शुभ
चाल 24:24* - 25:41*शुभ
रोग 25:41* - 26:58*अशुभ
काल 26:58* - 28:15*अशुभ
लाभ 28:15* - 29:31*शुभ

💮होरा, दिन
शनि 05:31 - 06:40
बृहस्पति 06:40 - 07:49
मंगल 07:49 - 08:58
सूर्य 08:58 - 10:06
शुक्र 10:06 - 11:15
बुध 11:15 - 12:24
चन्द्र 12:24 - 13:33
शनि 13:33 - 14:42
बृहस्पति 14:42 - 15:51
मंगल 15:51 - 16:59
सूर्य 16:59 - 18:08
शुक्र 18:08 - 19:17

🚩होरा, रात
बुध 19:17 - 20:08
चन्द्र 20:08 - 20:59
शनि 20:59 - 21:51
बृहस्पति 21:51 - 22:42
मंगल 22:42 - 23:33
सूर्य 23:33 - 24:24
शुक्र 24:24* - 25:15
बुध 25:15* - 26:07
चन्द्र 26:07* - 26:58
शनि 26:58* - 27:49
बृहस्पति 27:49* - 28:40
मंगल 28:40* - 29:31

*नोट*-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान-------पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा मुनक्का खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*🚩अग्नि वास ज्ञान  -:*

15 + 9 + 7 + 1= 32 ÷ 4 = 0 शेष
पृथ्वी पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*💮 शिव वास एवं फल -:*

24 + 24 + 5 = 53 ÷ 7 = 4 शेष

सभायां = सन्ताप  कारक

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*पंचक समाप्त 07:37 तक

*💮🚩💮शुभ विचार💮🚩💮*

षड् दोषा: पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छिता।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता।।
।।विo नीo।।

ऐश्वर्य या उन्नति चाहने वाले पुरुषों को नींद, तन्द्रा (उंघना ), डर, क्रोध ,आलस्य तथा दीर्घसूत्रता (जल्दी हो जाने वाले कामों में अधिक समय लगाने की आदत )- इन छ: दुर्गुणों को त्याग देना चाहिए।

*🚩💮🚩सुभाषितानि🚩💮🚩*

गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09

मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्यु पापयोनयः ।,
स्त्रियो वैश्यास्तथा शूद्रास्तेऽपि यान्ति परां गतिम्‌ ॥,

हे अर्जुन! स्त्री, वैश्य, शूद्र तथा पापयोनि चाण्डालादि जो कोई भी हों, वे भी मेरे शरण होकर परमगति को ही प्राप्त होते हैं॥,32॥,

*💮🚩दैनिक राशिफल🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत्।।

🐏मेष
वस्तुएं संभालकर रखें। अतिथियों पर व्यय होगा। झंझटों से दूर रहें। कुसंगति से हानि होगी।

🐂वृष
व्यवसाय में वृद्धि होगी। रुका हुआ धन मिलेगा। आवश्यक वस्तुएं संभालकर रखें। प्रसन्नता रहेगी।

👫मिथुन
योजना फलीभूत होगी। कार्य की प्रशंसा होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। जल्दबाजी न करें।

🦀कर्क
अध्यात्म में रुचि रहेगी। कोर्ट व कचहरी के कार्य बनेंगे। थकान महसूस होगी। उत्तेजना पर नियंत्रण रखें।

🐅सिंह
चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। व्यवसाय ठीक चलेगा।

🙎‍♀कन्या
आय में वृद्धि होगी। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। व्यापारिक क्षेत्र में बेहतर चर्चा होगी।

⚖तुला
उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। व्यस्तता रहेगी। थकान महसूस होगी।

🦂वृश्चिक
रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। प्रसन्नता रहेगी।

🏹धनु
बुरी खबर मिल सकती है। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। जल्दबाजी से बचें।

🐊मकर
मेहनत सफल रहेगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। बेचैनी रहेगी। प्रमाद न करें।

🍯कुंभ
भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। मान बढ़ेगा। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। प्रसन्नता बढ़ेगी।

🐟मीन
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रोजगार मिलेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी ।

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏

शुक्रवार, 6 जुलाई 2018

पुराण में वर्णित है कि अमरनाथ गुफा

पैगंबर मोहम्मद का जब जन्म भी नहीं हुआ था, तब से अमरनाथ गुफा में हो रही है पूजा-अर्चना! इसलिए इस झूठ को नकारिए कि अमरनाथ गुफा की खोज एक मुसलिम ने की थी!

जानिए अमरनाथ का पूरा इतिहास ताकि अपने बच्चों को बता सकें  .

कल बाबा बर्फानी के दर्शन के अमरनाथ यात्रा शुरू हो गयी है। अमरनाथ यात्रा शुरू होते ही फिर से सेक्युलरिज्म के झंडबदारों ने गलत इतिहास की व्याख्या शुरू कर दी है कि इस गुफा को 1850 में एक मुसलिम बूटा मलिक ने खोजा था! पिछले साल तो पत्रकारिता का गोयनका अवार्ड घोषित करने वाले इंडियन एक्सप्रेस ने एक लेख लिखकर इस झूठ को जोर-शोर से प्रचारित किया था। जबकि इतिहास में दर्ज है कि जब इसलाम इस धरती पर मौजूद भी नहीं था, यानी इसलाम पैगंबर मोहम्मद पर कुरान उतरना तो छोडि़ए, उनका जन्म भी नहीं हुआ था, तब से अमरनाथ की गुफा में सनातन संस्कृति के अनुयायी बाबा बर्फानी की पूजा-अर्चना कर रहे हैं।

कश्मीर के इतिहास पर कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ और नीलमत पुराण से सबसे अधिक प्रकाश पड़ता है। श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर 3888 मीटर की उंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा को तो भारतीय पुरातत्व विभाग ही 5 हजार वर्ष प्राचीन मानता है। यानी महाभारत काल से इस गुफा की मौजूदगी खुद भारतीय एजेंसियों मानती हैं। लेकिन यह भारत का सेक्यूलरिज्म है, जो तथ्यों और इतिहास से नहीं, मार्क्सवादी-नेहरूवादियों के ‘परसेप्शन’ से चलता है! वही ‘परसेप्शन’ इस बार भी बनाने का प्रयास आरंभ हो चुका है।

‘राजतरंगिणी’ में अमरनाथ

अमरनाथ की गुफा प्राकृतिक है न कि मानव नर्मित। इसलिए पांच हजार वर्ष की पुरातत्व विभाग की यह गणना भी कम ही पड़ती है, क्योंकि हिमालय के पहाड़ लाखों वर्ष पुराने माने जाते हैं। यानी यह प्राकृतिक गुफा लाखों वर्ष से है। कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ में इसका उल्लेख है कि कश्मीर के राजा सामदीमत शैव थे और वह पहलगाम के वनों में स्थित बर्फ के शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने जाते थे। ज्ञात हो कि बर्फ का शिवलिंग अमरनाथ को छोड़कर और कहीं नहीं है। यानी वामपंथी, जिस 1850 में अमरनाथ गुफा को खोजे जाने का कुतर्क गढ़ते हैं, इससे कई शताब्दी पूर्व कश्मीर के राजा खुद बाबा बर्फानी की पूजा कर रहे थे।

नीलमत पुराण और बृंगेश संहिता में अमरनाथ।

नीलमत पुराण, बृंगेश संहिता में भी अमरनाथ तीर्थ का बारंबार उल्लेख मिलता है। बृंगेश संहिता में लिखा है कि अमरनाथ की गुफा की ओर जाते समय अनंतनया (अनंतनाग), माच भवन (मट्टन), गणेशबल (गणेशपुर), मामलेश्वर (मामल), चंदनवाड़ी, सुशरामनगर (शेषनाग), पंचतरंगिरी (पंचतरणी) और अमरावती में यात्री धार्मिक अनुष्ठान करते थे।

वहीं छठी में लिखे गये नीलमत पुराण में अमरनाथ यात्रा का स्पष्ट उल्लेख है। नीलमत पुराण में कश्मीर के इतिहास, भूगोल, लोककथाओं, धार्मिक अनुष्ठानों की विस्तृत रूप में जानकारी उपलब्ध है। नीलमत पुराण में अमरेश्वरा के बारे में दिए गये वर्णन से पता चलता है कि छठी शताब्दी में लोग अमरनाथ यात्रा किया करते थे।

नीलमत पुराण में तब अमरनाथ यात्रा का जिक्र है जब इस्लामी पैगंबर मोहम्मद का जन्म भी नहीं हुआ था। तो फिर किस तरह से बूटा मलिक नामक एक मुसलमान गड़रिया अमरनाथ गुफा की खोज कर कर सकता है? ब्रिटिशर्स, मार्क्सवादी और नेहरूवादी इतिहासकार का पूरा जोर इस बात को साबित करने में है कि कश्मीर में मुसलमान हिंदुओं से पुराने वाशिंदे हैं। इसलिए अमरनाथ की यात्रा को कुछ सौ साल पहले शुरु हुआ बताकर वहां मुसलिम अलगाववाद की एक तरह से स्थापना का प्रयास किया गया है!

इतिहास में अमरनाथ गुफा का उल्लेख

अमित कुमार सिंह द्वारा लिखित ‘अमरनाथ यात्रा’ नामक पुस्तक के अनुसार, पुराण में अमरगंगा का भी उल्लेख है, जो सिंधु नदी की एक सहायक नदी थी। अमरनाथ गुफा जाने के लिए इस नदी के पास से गुजरना पड़ता था। ऐसी मान्यता था कि बाबा बर्फानी के दर्शन से पहले इस नदी की मिट्टी शरीर पर लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं। शिव भक्त इस मिट्टी को अपने शरीर पर लगाते थे।

पुराण में वर्णित है कि अमरनाथ गुफा की उंचाई 250 फीट और चौड़ाई 50 फीट थी। इसी गुफा में बर्फ से बना एक विशाल शिवलिंग था, जिसे बाहर से ही देखा जा सकता था। बर्नियर ट्रेवल्स में भी बर्नियर ने इस शिवलिंग का वर्णन किया है। विंसेट-ए-स्मिथ ने बर्नियर की पुस्तक के दूसरे संस्करण का संपादन करते हुए लिखा है कि अमरनाथ की गुफा आश्चर्यजनक है, जहां छत से पानी बूंद-बूंद टपकता रहता है और जमकर बर्फ के खंड का रूप ले लेता है। हिंदू इसी को शिव प्रतिमा के रूप में पूजते हैं। ‘राजतरंगिरी’ तृतीय खंड की पृष्ठ संख्या-409 पर डॉ. स्टेन ने लिखा है कि अमरनाथ गुफा में 7 से 8 फीट की चौड़ा और दो फीट लंबा शिवलिंग है। कल्हण की राजतरंगिणी द्वितीय, में कश्मीर के शासक सामदीमत 34 ई.पू से 17 वीं ईस्वी और उनके बाबा बर्फानी के भक्त होने का उल्लेख है।

यही नहीं, जिस बूटा मलिक को 1850 में अमरनाथ गुफा का खोजकर्ता साबित किया जाता है, उससे करीब 400 साल पूर्व कश्मीर में बादशाह जैनुलबुद्दीन का शासन 1420-70 था। उसने भी अमरनाथ की यात्रा की थी। इतिहासकार जोनराज ने इसका उल्लेख किया है। 16 वीं शताब्दी में मुगल बादशाह अकबर के समय के इतिहासकार अबुल फजल ने अपनी पुस्तक ‘आईने-अकबरी’ में में अमरनाथ का जिक्र एक पवित्र हिंदू तीर्थस्थल के रूप में किया है। ‘आईने-अकबरी’ में लिखा है- गुफा में बर्फ का एक बुलबुला बनता है। यह थोड़ा-थोड़ा करके 15 दिन तक रोजाना बढ़ता है और यह दो गज से अधिक उंचा हो जाता है। चंद्रमा के घटने के साथ-साथ वह भी घटना शुरू हो जाता है और जब चांद लुप्त हो जाता है तो शिवलिंग भी विलुप्त हो जाता है।

वास्तव में कश्मीर घाटी पर विदेशी इस्लामी आक्रांता के हमले के बाद हिंदुओं को कश्मीर छोड़कर भागना पड़ा। इसके बारण 14 वीं शताब्दी के मध्य से करीब 300 साल तक यह यात्रा बाधित रही। यह यात्रा फिर से 1872 में आरंभ हुई। इसी अवसर का लाभ उठाकर कुछ इतिहासकारों ने बूटा मलिक को 1850 में अमरनाथ गुफा का खोजक साबित कर दिया और इसे लगभग मान्यता के रूप में स्थापित कर दिया। जनश्रुति भी लिख दी गई जिसमें बूटा मलिक को लेकर एक कहानी बुन दी गई कि उसे एक साधु मिला। साधु ने बूट को कोयले से भरा एक थैला दिया। घर पहुंच कर बूटा ने जब थैला खोला तो उसमें उसने चमकता हुआ हीरा माया। वह वह हीरा लौटाने या फिर खुश होकर धन्यवाद देने जब उस साधु के पास पहुंचा तो वहां साधु नहीं था, बल्कि सामने अमरनाथ का गुफा था।

आज भी अमरनाथ में जो चढ़ावा चढ़ाया जाता है उसका एक भाग बूटा मलिक के परिवार को दिया जाता है।

चढ़ावा देने से हमारा विरोध नहीं है, लेकिन झूठ के बल पर इसे दशक-दर-दशक स्थापित करने का यह जो प्रयास किया गया है, उसमें बहुत हद तक इन लोगों को सफलता मिल चुकी है। आज भी किसी हिंदू से पूछिए, वह नीलमत पुराण का नाम नहीं बताएगा, लेकिन एक मुसलिम गरेडि़ए ने अमरनाथ गुफा की खोज की, तुरंत इस फर्जी इतिहास पर बात करने लगेगा। यही फेक विमर्श का प्रभाव होता है, जिसमें ब्रिटिशर्स-मार्क्सवादी-नेहरूवादी इतिहासकार सफल रहे हैं।

साभार~#India_Speaks_Daily .

पुराण में वर्णित है कि अमरनाथ गुफा

पैगंबर मोहम्मद का जब जन्म भी नहीं हुआ था, तब से अमरनाथ गुफा में हो रही है पूजा-अर्चना! इसलिए इस झूठ को नकारिए कि अमरनाथ गुफा की खोज एक मुसलिम ने की थी!

जानिए अमरनाथ का पूरा इतिहास ताकि अपने बच्चों को बता सकें  .

कल बाबा बर्फानी के दर्शन के अमरनाथ यात्रा शुरू हो गयी है। अमरनाथ यात्रा शुरू होते ही फिर से सेक्युलरिज्म के झंडबदारों ने गलत इतिहास की व्याख्या शुरू कर दी है कि इस गुफा को 1850 में एक मुसलिम बूटा मलिक ने खोजा था! पिछले साल तो पत्रकारिता का गोयनका अवार्ड घोषित करने वाले इंडियन एक्सप्रेस ने एक लेख लिखकर इस झूठ को जोर-शोर से प्रचारित किया था। जबकि इतिहास में दर्ज है कि जब इसलाम इस धरती पर मौजूद भी नहीं था, यानी इसलाम पैगंबर मोहम्मद पर कुरान उतरना तो छोडि़ए, उनका जन्म भी नहीं हुआ था, तब से अमरनाथ की गुफा में सनातन संस्कृति के अनुयायी बाबा बर्फानी की पूजा-अर्चना कर रहे हैं।

कश्मीर के इतिहास पर कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ और नीलमत पुराण से सबसे अधिक प्रकाश पड़ता है। श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर 3888 मीटर की उंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा को तो भारतीय पुरातत्व विभाग ही 5 हजार वर्ष प्राचीन मानता है। यानी महाभारत काल से इस गुफा की मौजूदगी खुद भारतीय एजेंसियों मानती हैं। लेकिन यह भारत का सेक्यूलरिज्म है, जो तथ्यों और इतिहास से नहीं, मार्क्सवादी-नेहरूवादियों के ‘परसेप्शन’ से चलता है! वही ‘परसेप्शन’ इस बार भी बनाने का प्रयास आरंभ हो चुका है।

‘राजतरंगिणी’ में अमरनाथ

अमरनाथ की गुफा प्राकृतिक है न कि मानव नर्मित। इसलिए पांच हजार वर्ष की पुरातत्व विभाग की यह गणना भी कम ही पड़ती है, क्योंकि हिमालय के पहाड़ लाखों वर्ष पुराने माने जाते हैं। यानी यह प्राकृतिक गुफा लाखों वर्ष से है। कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ में इसका उल्लेख है कि कश्मीर के राजा सामदीमत शैव थे और वह पहलगाम के वनों में स्थित बर्फ के शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने जाते थे। ज्ञात हो कि बर्फ का शिवलिंग अमरनाथ को छोड़कर और कहीं नहीं है। यानी वामपंथी, जिस 1850 में अमरनाथ गुफा को खोजे जाने का कुतर्क गढ़ते हैं, इससे कई शताब्दी पूर्व कश्मीर के राजा खुद बाबा बर्फानी की पूजा कर रहे थे।

नीलमत पुराण और बृंगेश संहिता में अमरनाथ।

नीलमत पुराण, बृंगेश संहिता में भी अमरनाथ तीर्थ का बारंबार उल्लेख मिलता है। बृंगेश संहिता में लिखा है कि अमरनाथ की गुफा की ओर जाते समय अनंतनया (अनंतनाग), माच भवन (मट्टन), गणेशबल (गणेशपुर), मामलेश्वर (मामल), चंदनवाड़ी, सुशरामनगर (शेषनाग), पंचतरंगिरी (पंचतरणी) और अमरावती में यात्री धार्मिक अनुष्ठान करते थे।

वहीं छठी में लिखे गये नीलमत पुराण में अमरनाथ यात्रा का स्पष्ट उल्लेख है। नीलमत पुराण में कश्मीर के इतिहास, भूगोल, लोककथाओं, धार्मिक अनुष्ठानों की विस्तृत रूप में जानकारी उपलब्ध है। नीलमत पुराण में अमरेश्वरा के बारे में दिए गये वर्णन से पता चलता है कि छठी शताब्दी में लोग अमरनाथ यात्रा किया करते थे।

नीलमत पुराण में तब अमरनाथ यात्रा का जिक्र है जब इस्लामी पैगंबर मोहम्मद का जन्म भी नहीं हुआ था। तो फिर किस तरह से बूटा मलिक नामक एक मुसलमान गड़रिया अमरनाथ गुफा की खोज कर कर सकता है? ब्रिटिशर्स, मार्क्सवादी और नेहरूवादी इतिहासकार का पूरा जोर इस बात को साबित करने में है कि कश्मीर में मुसलमान हिंदुओं से पुराने वाशिंदे हैं। इसलिए अमरनाथ की यात्रा को कुछ सौ साल पहले शुरु हुआ बताकर वहां मुसलिम अलगाववाद की एक तरह से स्थापना का प्रयास किया गया है!

इतिहास में अमरनाथ गुफा का उल्लेख

अमित कुमार सिंह द्वारा लिखित ‘अमरनाथ यात्रा’ नामक पुस्तक के अनुसार, पुराण में अमरगंगा का भी उल्लेख है, जो सिंधु नदी की एक सहायक नदी थी। अमरनाथ गुफा जाने के लिए इस नदी के पास से गुजरना पड़ता था। ऐसी मान्यता था कि बाबा बर्फानी के दर्शन से पहले इस नदी की मिट्टी शरीर पर लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं। शिव भक्त इस मिट्टी को अपने शरीर पर लगाते थे।

पुराण में वर्णित है कि अमरनाथ गुफा की उंचाई 250 फीट और चौड़ाई 50 फीट थी। इसी गुफा में बर्फ से बना एक विशाल शिवलिंग था, जिसे बाहर से ही देखा जा सकता था। बर्नियर ट्रेवल्स में भी बर्नियर ने इस शिवलिंग का वर्णन किया है। विंसेट-ए-स्मिथ ने बर्नियर की पुस्तक के दूसरे संस्करण का संपादन करते हुए लिखा है कि अमरनाथ की गुफा आश्चर्यजनक है, जहां छत से पानी बूंद-बूंद टपकता रहता है और जमकर बर्फ के खंड का रूप ले लेता है। हिंदू इसी को शिव प्रतिमा के रूप में पूजते हैं। ‘राजतरंगिरी’ तृतीय खंड की पृष्ठ संख्या-409 पर डॉ. स्टेन ने लिखा है कि अमरनाथ गुफा में 7 से 8 फीट की चौड़ा और दो फीट लंबा शिवलिंग है। कल्हण की राजतरंगिणी द्वितीय, में कश्मीर के शासक सामदीमत 34 ई.पू से 17 वीं ईस्वी और उनके बाबा बर्फानी के भक्त होने का उल्लेख है।

यही नहीं, जिस बूटा मलिक को 1850 में अमरनाथ गुफा का खोजकर्ता साबित किया जाता है, उससे करीब 400 साल पूर्व कश्मीर में बादशाह जैनुलबुद्दीन का शासन 1420-70 था। उसने भी अमरनाथ की यात्रा की थी। इतिहासकार जोनराज ने इसका उल्लेख किया है। 16 वीं शताब्दी में मुगल बादशाह अकबर के समय के इतिहासकार अबुल फजल ने अपनी पुस्तक ‘आईने-अकबरी’ में में अमरनाथ का जिक्र एक पवित्र हिंदू तीर्थस्थल के रूप में किया है। ‘आईने-अकबरी’ में लिखा है- गुफा में बर्फ का एक बुलबुला बनता है। यह थोड़ा-थोड़ा करके 15 दिन तक रोजाना बढ़ता है और यह दो गज से अधिक उंचा हो जाता है। चंद्रमा के घटने के साथ-साथ वह भी घटना शुरू हो जाता है और जब चांद लुप्त हो जाता है तो शिवलिंग भी विलुप्त हो जाता है।

वास्तव में कश्मीर घाटी पर विदेशी इस्लामी आक्रांता के हमले के बाद हिंदुओं को कश्मीर छोड़कर भागना पड़ा। इसके बारण 14 वीं शताब्दी के मध्य से करीब 300 साल तक यह यात्रा बाधित रही। यह यात्रा फिर से 1872 में आरंभ हुई। इसी अवसर का लाभ उठाकर कुछ इतिहासकारों ने बूटा मलिक को 1850 में अमरनाथ गुफा का खोजक साबित कर दिया और इसे लगभग मान्यता के रूप में स्थापित कर दिया। जनश्रुति भी लिख दी गई जिसमें बूटा मलिक को लेकर एक कहानी बुन दी गई कि उसे एक साधु मिला। साधु ने बूट को कोयले से भरा एक थैला दिया। घर पहुंच कर बूटा ने जब थैला खोला तो उसमें उसने चमकता हुआ हीरा माया। वह वह हीरा लौटाने या फिर खुश होकर धन्यवाद देने जब उस साधु के पास पहुंचा तो वहां साधु नहीं था, बल्कि सामने अमरनाथ का गुफा था।

आज भी अमरनाथ में जो चढ़ावा चढ़ाया जाता है उसका एक भाग बूटा मलिक के परिवार को दिया जाता है।

चढ़ावा देने से हमारा विरोध नहीं है, लेकिन झूठ के बल पर इसे दशक-दर-दशक स्थापित करने का यह जो प्रयास किया गया है, उसमें बहुत हद तक इन लोगों को सफलता मिल चुकी है। आज भी किसी हिंदू से पूछिए, वह नीलमत पुराण का नाम नहीं बताएगा, लेकिन एक मुसलिम गरेडि़ए ने अमरनाथ गुफा की खोज की, तुरंत इस फर्जी इतिहास पर बात करने लगेगा। यही फेक विमर्श का प्रभाव होता है, जिसमें ब्रिटिशर्स-मार्क्सवादी-नेहरूवादी इतिहासकार सफल रहे हैं।

साभार~#India_Speaks_Daily .

आज का पंचांग 6 july 2018

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    🌞 *सुप्रभातम्* 🌞
««« *आज का पंचांग* »»»
कलियुगाब्द................5120
विक्रम संवत्...............2075
शक संवत्..................1940
मास.........................आषाढ़
पक्ष............................कृष्ण
तिथी.........................अष्टमी
रात्रि 01.18 पर्यंत पश्चात नवमी
रवि.......................उत्तरायण
सूर्योदय...........05.50.09 पर
सूर्यास्त............07.11.57 पर
सूर्य राशि....................मिथुन
चन्द्र राशि......................मीन
नक्षत्र................उत्तराभाद्रपद
प्रातः 06.43 पर्यंत पश्चात रेवती
योग...........................शोभन
प्रातः 07.07 पर्यंत पश्चात अतिगंड
करण..........................बालव
दोप 01.15 पर्यंत पश्चात कौलव
ऋतु..............................वर्षा
दिन..........................शुक्रवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :-
06 जुलाई सन 2018 ईस्वी ।

☸ शुभ अंक......................1
🔯 शुभ रंग...............आसमानी

👁‍🗨 *राहुकाल* :-
प्रात: 10.51 से 12.31 तक ।

🚦 *दिशाशूल* :-
पश्चिमदिशा - यदि आवश्यक हो तो जौ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें।

✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 07.30 से 09.10 तक लाभ
प्रात: 09.10 से 10.50 तक अमृत
दोप. 12.30 से 02.10 तक शुभ
सायं 05.30 से 07.11 तक चंचल
रात्रि 09.50 से 11.10 तक लाभ ।

📿 *आज का मंत्र* :-
।। ॐ कलिपुरुषाय नमः ।।

📢 *संस्कृत सुभाषितानि* --
आशा नाम मनुष्याणां काचिदाश्चर्यशॄङखला ।
यया बद्धा: प्राधावन्ति मुक्तास्तिष्ठन्ति पङ्गुवत् ॥
अर्थात :-
आशा नामक एक विचित्र और आश्चर्यकारक शॄंखला है । इससे जो बंधे हुए है वो इधर उधर भागते रहते है तथा इससे जो मुक्त है वो पंगु की तरह शांत चित्त से एक हीसूक्तिजगह पर खडे रहते है ।

🍃 *आरोग्यं सलाह* :-
*वर्षा ऋतू में त्वचा की देखभाल के घरेलु उपाय :*

*3. चेहरे की साफ सफाई -*
चेहरे को साफ रखना बेहद जरूरी है, इसलिए किसी भी फेशियल फोम से चेहरे को साफ करना चाहिए। ऐसा करने से चेहरे की गंदगी साफ हो जाती है और थकान भी कम महसूस होती है।

*4. स्किन के लिए मॉश्चसराइजर -*
मानसून में स्किन को सूट करने वाला हाइड्रेटेड मॉश्च राइजर चेहरे पर लगाना चाहिए। इससे स्किन सीधे तौर पर बाहरी वातावरण के संपर्क में नहीं आती है और उस प्रदूषण का असर भी कम पड़ता है।

⚜ *आज का राशिफल* :-

🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। राजकीय बाधा दूर होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। संतान की चिंता रहेगी। लाभ होगा।

🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। जल्दबाजी न करें। चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है। प्रतिष्ठा घट सकती है।

👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कोर्ट व कचहरी के कार्य निबटेंगे। प्रसन्नता रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी।

🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
घर-बाहर तनाव रह सकता है। शांति बनाए रखें। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी। रोजगार मिलेगा।

🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। यात्रा सफल रहेगी। शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। अच्‍छे पकवान मिलेंगे |

👱🏻‍♀ *राशि फलादेश कन्या* :-
रोग व चोट से हानि संभव है। विवाद को बढ़ावा न दें। शोक संदेश मिल सकता है। झंझटों में न पड़ें।

⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
कम मेहनत से अधिक लाभ होगा। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। लेन-देन में सावधानी रखें। निवेश व यात्रा मनोनुकूल रहेंगे।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
शुभ समाचार मिलेंगे। स्वाभिमान बना रहेगा। मानसिक बेचैनी रहेगी। विवेक का प्रयोग करें, लाभ होगा |

🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
पुराना रोग उभर सकता है। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति होगी।

🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
चिंता तथा तनाव रहेंगे। व्ययवृद्धि होगी। लाभ के अवसर टलेंगे। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। जीवनसाथी की चिंता रहेगी। चोट व रोग से बचें। यात्रा सफल रहेगी।

🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। रुके कार्यों में गति आएगी। धन प्राप्ति सुगम होगी।

☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो |

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

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