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रविवार, 30 सितंबर 2018

जागो देशवासियों, हमें अपने प्रधानमंत्री का साथ हर हाल में देना ही होगा

जितना लोग मोदी से चिढ़ते है ना...उससे थोडा़ कम ही लेख लिखा है... अगर सब ने पढ़ लिया तो सोचने पर विवश हो जायेगे ।

चमचों के लिए जनहित में जारी

एक सज्जन कहने लगे- "ई मोदी कुछ नहीं करता है । अबकी बार #BJP को वोट नहीं दूंगा।"

सच कहूँ तो मुझसे रहा नहीं गया, मैंने पूछा- "आप मोदी से क्या चाहते थे जो आपको नहीं मिला..?"

साहब मेरे सवाल से अचकचा गए । अचकचा मतलब समझे? अचकचा मतलब है असहज होना...साहब चुप...

फिर मैंने कहा- "उज्जवला योजना, दीनदयाल ज्योतिर्ग्राम योजना, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री बीमा योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, शौचालय निर्माण, स्वच्छता अभियान, एक दिन में 30 किलोमीटर हाईवे बनना, दुनिया भर में भारत की धमक, स्टार्टअप योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान योजना और क्या चाहिए ??

साहब कहने लगे- "ये सब तो ठीक है लेकिन अपना काम धंधा तो चौपट है।"

मैंने कहा- "खुल कर कहो न कि अब
= दो नम्बर के काम करने से डर लगता है
= कैश ट्रांजेक्शन करने में डर लगता है
= पारदर्शिता से डर लगता है
= कहीं बेनामी संपत्ति खरीदने में डर लगता है
= बैंक ट्रांजै़क्शन ज्यादा हुआ तो इन्कमटैक्स से डर लगता है

पैसा कमाओ करोड़ों में और टेक्स भरो सैकडों में...??

साहब चुप...

साहब के साथ बैठे लड़के ने कहा- " भैया इतना सब तो ठीक है लेकिन मोदी बेकार आदमी है , करता धरता कुछ है नहीं, बस फेंकता बहुत है ।"

मैंने लड़के से कहा- "अच्छा एक बात बताओ...
12 रुपया में दो लाख का दुर्घटना बीमा... मात्र 330 रु में दो लाख का जीवन बीमा हो रहा है, कराया या नहीं... ?"
लड़का चुप..

मैंने कहा- "घर में जो शौचालय बनवाया उसका उपयोग करते हो ?
" लड़का चुप !

"आयुष्मान योजना के बारे में सुना है ?"
बार बार गंदगी हटाने को कहता है... गंदगी से कौन बीमार पड़ता है? कभी किसी और मंत्री, संत्री ने 60 साल में शौचालय व गंदगी हटाने की बात की?

आज तक सभी सरकारें आबादी को रोती रहीं व माल बनाते गईं...पर मोदी ने कभी आबादी ज्या़दा है कह कर कोसा है? बल्कि कहता है 125 करोड़ जोड़ी हाथों की शक्ति है।।

आज तक सब सरकारों ने भीख पर ही पाला है व ग़रीबों को वोट बैंक ही समझा है... पहली बार किसी ने कहा है सरकारी नोकरियों पर निर्भर मत हो खुद का रोज़गार करो... दूसरों को भी रोज़गार दो।।

अब तो 50 करोड़ लोगों का मुफ्त 5 लाख तक का बीमा करने की योजना भी लाई है, ग़रीब औरत को चूल्हे से आजा़दी दिलवाई, लाखों घरो में बिजली पहुँचवाई।

300 रुपये वाला LED बल्ब अचानक सरकार बदलते ही 65 रुपये का कैसे हो गया... सोचा कभी?

150 रुपये वाली दाल 60 रुपये कैसे हुई?

अब सड़के कहां से बननी शुरू हो गई?

फ़ौज अचानक कैसे इतनी ताक़तवर हो गई कि चीन भी पीछे हट गया?

अचानक इतने उग्रवादियों को कैसे मौत के घाट उतारा जाने लगा?

हुर्रियत के नेताओं के फण्ड कैसे बन्द हो गए कैसे उनकी संपत्ति जब्त होनी शुरू हो गई?

कैसे देश की इज्ज़त अचानक दुनिया में बढ़ गई?

लड़का चुप...

कुल मिलाकर साहब और उनके लड़के जैसे लोग कीचड़ में रहने के आदि हैं... अखिलेश की गुंडा सरकार... मायावती की जातिवादी सरकार...ममता की जेहादी सरकार...लालू की भ्रष्टाचारी सरकार...इन सबसे बढ़कर कांग्रेस की 'हिंदू विरोधी' सरकार में रहने की आदत इतनी जल्दी बदलने वाली नहीं है।

सरकारी कर्मचारी इसलिए नाखु़श हैं कि अब duty में काम करना पड़ रहा है।

पैसे वाले इसलिए नाराज़ हैं कि ट्रांसपेरैंसी के चलते ब्लैकमनी संभालना मुश्किल है।

मिडिल क्लास इसलिए नाराज़ है कि इतनी जल्दी सब काम क्यों हो रहा है।

ग़रीब इसलिए नाराज़ है कि जब सब नाराज़ हैं, तो भैया हम भी नाराज़ हो लेते हैं..

उसे अगर वोट ही लेना होता तो वो, कभी नोटबंदी नहीं करता... कभी भी GST नहीं लाता

उसे वोट ही लेना होता तो वो कभी सब्सिडियाँ ख़त्म नहीं करता, लेकिन उसने दिल और घुटने के ऑपरेशन के दाम ढाई लाख से 50 हज़ार करके डॉक्टरों को नाराज़ किया...

उसने 800 दवाओं के दाम कम करके मेडिकल वालों को नाराज़ किया...

उसने 1% टैक्स लगा कर स्वर्णकारों को नाराज़ किया....

उसने होटल वालों के सर्विस चार्ज पर हथौड़ा चला के, ग्राहकों के हित के लिए होटलवालों से पंगा लिया...

उसने 500 और 1000 के नोट बन्द कर के अपने ही परम्परागत वोट बैंक को नाराज़ किया....

कैशलैस को बढ़ावा दे कर वो टैक्स चोरों के रास्तों का रोड़ा बन गया है....

#Rera जैसा क़ानून लागू करके बिल्डरों को नाराज़ किया...

बेनामी संपत्ति का क़ानून पारित करके ज़मीन के काला बाजारियों को बेनक़ाब कर रहा है...

स्पैक्ट्रम, कोयला, आदि का भ्रष्टाचार दूर कर, देश को लाखों करोड़ों का फ़ायदा देने के लिए बड़े उद्योगपतियों से पंगा लिया....

गैस सब्सिडी, मनरेगा, आदि का पैसा सीधे बैंक खाते में जमा करने के कारण सभी बिचौलियों की दुकानें बंद कर दी....

युरिया को नीम कोटिंग करने से केमिकल फ़ैक्टरियों का गोरख धंधा चौपट कर दिया...

2 लाख 24 हज़ार चोर कंपनियों का पंजीकरण रद्द और लाखों नकली कंपनियों की पहचान की !!!

लगभग हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार कम करने के नये नये तरीक़ों का आग़ाज़ कर रहा है....

सभी सरकारी कामों में टेक्नॉलजी के कारण गति लाने के प्रयास के कारण दलालों का 'स्पीड-मनी' बंद कर रहा है...

और न जाने कितनों को वो रोज़ नाराज़ कर रहा है....

हो सकता है आप भी उसके किसी क़दम से नाराज़ चल रहे हों, आप का भी कुछ नुक़सान हुआ हो....

वो असल में पागल बन गया है क्या?

वो चाहता तो आराम से किसी का दिल दुखाए बिना राज कर सकता है...

वह हर रोज़ नये नये क़दम उठाकर देश के हर क्षेत्र की बुराइयाँ दूर करने की रात दिन मेहनत कर रहा है...

क्योंकि...

उसे कुर्सी से प्रेम नहीं है। उसे सिर्फ़ अपने देश और सवा सौ करोड देशवासियों से प्रेम है...वो अपने देश को दुनियाँ में सबसे समृद्ध बनाना चाहता है...हर बुराई को ख़त्म करना चाहता है...वो भी इसी जैनेरेशन में...

अब भले ही आप उसे वोट न दें....
हो सकता है उस की कुर्सी 2019 में चली जाए लेकिन उसे उस की चिंता नहीं है....

आज जो उसका या उस के समर्थकों का मज़ाक उड़ा रहा है वो वास्तव में खु़द का और खु़द की भावी पीढी़ का मज़ाक उड़ा रहा है...।

देश बेचकर अपनी जेब भरने वाले चंद दोग़ले नेताओं, टीवी चैनलों और ब्युरोक्रेट्स की बातों में आकर उसका साथ छोडा़ तो खु़द को मज़ाक बनने से तुम्हें कोई नहीं रोक सकता।

सरकार की कुछ कमियों को, कुछ अब तक न हुए कामों को बढ़ा चढ़ा कर बोल कर ये लोग आप को गुमराह कर रहे हैं...

इस स्थिति में सभी खूनी भेडिये उसके खि़लाफ लामबंद हो रहे हैं...

लेकिन देश के लिए उसे हमारे साथ की ज़रुरत है...
इससे भी ज्या़दा हमें उसकी ज़रूरत है। आप ने उसे हटा दिया तो उस का कुछ नहीं बिगड़ने वाला...वो तो हिमालय चला जाएगा...

लेकिन हमारी अगली नस्लें हमें सैकड़ों सालों तक कोसेंगी....

जागो देशवासियों,

हमें अपने प्रधानमंत्री का साथ हर हाल में देना ही होगा.. हमें उसकी आवाज़ बनना है...अपने और अपने बच्चों के भविष्य के लिए....

बाकि आपको जो अच्छा लगे कीजिए लेकिन एक बार यह ज़रूर सोचिए कि आखिर वह यह सब काम किसके लिए कर रहा है... हमारे लिए या अपने लिए???

PLEASE HAVE FAITH IN MODI, उसे अपना घर भरना होता तो वह 13 साल गुजरात का CM रह कर भर लेता। उसे कुर्सी से प्रेम नहीं है सिर्फ़ अपने देश से प्रेम है...

आप मोदी से उसकी कुर्सी छीन सकते हैं लेकिन वो संकल्प वो महान संकल्प नहीं छीन सकते जो उसने भारत को महान बनाने के लिए लिया हुअा है...

मुझे गर्व है अपने प्रधानसेवक पर 💐
जयहिंद
वंदे मातरम
भारत माता की जय

शनिवार, 29 सितंबर 2018

श्री हनुमान चालीसा में 40 चौपाइयां

कई लोगों की दिनचर्या हनुमान चालीसा पढ़ने से शुरू होती है। पर क्या आप जानते हैं कि श्री *हनुमान चालीसा* में 40 चौपाइयां हैं, ये उस क्रम में लिखी गई हैं जो एक आम आदमी की जिंदगी का क्रम होता है।

माना जाता है तुलसीदास ने चालीसा की रचना मानस से
पूर्व किया था
हनुमान को गुरु बनाकर उन्होंने राम को पाने की शुरुआत की।

अगर आप सिर्फ हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं तो यह आपको भीतरी शक्ति तो दे रही है लेकिन अगर आप इसके अर्थ में छिपे जिंदगी  के सूत्र समझ लें तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिला सकते हैं।

हनुमान चालीसा सनातन परंपरा में लिखी गई पहली चालीसा है शेष सभी चालीसाएं इसके बाद ही लिखी गई।

हनुमान चालीसा की शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं। आइए जानते हैं हनुमान चालीसा से आप अपने जीवन में क्या-क्या बदलाव ला सकते हैं….

*शुरुआत गुरु से…*

हनुमान चालीसा की शुरुआत *गुरु* से हुई है…

श्रीगुरु चरन सरोज रज,
निज मनु मुकुरु सुधारि।

*अर्थ* - अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं।

गुरु का महत्व चालीसा की पहले दोहे की पहली लाइन में लिखा गया है। जीवन में गुरु नहीं है तो आपको कोई आगे नहीं बढ़ा सकता। गुरु ही आपको सही रास्ता दिखा सकते हैं।

इसलिए तुलसीदास ने लिखा है कि गुरु के चरणों की धूल से मन के दर्पण को साफ करता हूं। आज के दौर में गुरु हमारा मेंटोर भी हो सकता है, बॉस भी। माता-पिता को पहला गुरु ही कहा गया है।

समझने वाली बात ये है कि गुरु यानी अपने से बड़ों का सम्मान करना जरूरी है। अगर तरक्की की राह पर आगे बढ़ना है तो विनम्रता के साथ बड़ों का सम्मान करें।

*ड्रेसअप का रखें ख्याल…*

चालीसा की चौपाई है

कंचन बरन बिराज सुबेसा,
कानन कुंडल कुंचित केसा।

*अर्थ* - आपके शरीर का रंग सोने की तरह चमकीला है, सुवेष यानी अच्छे वस्त्र पहने हैं, कानों में कुंडल हैं और बाल संवरे हुए हैं।

आज के दौर में आपकी तरक्की इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप रहते और दिखते कैसे हैं। फर्स्ट इंप्रेशन अच्छा होना चाहिए।

अगर आप बहुत गुणवान भी हैं लेकिन अच्छे से नहीं रहते हैं तो ये बात आपके करियर को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, रहन-सहन और ड्रेसअप हमेशा अच्छा रखें।

आगे पढ़ें - हनुमान चालीसा में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र...

*सिर्फ डिग्री काम नहीं आती*

बिद्यावान गुनी अति चातुर,
राम काज करिबे को आतुर।

*अर्थ* - आप विद्यावान हैं, गुणों की खान हैं, चतुर भी हैं। राम के काम करने के लिए सदैव आतुर रहते हैं।

आज के दौर में एक अच्छी डिग्री होना बहुत जरूरी है। लेकिन चालीसा कहती है सिर्फ डिग्री होने से आप सफल नहीं होंगे। विद्या हासिल करने के साथ आपको अपने गुणों को भी बढ़ाना पड़ेगा, बुद्धि में चतुराई भी लानी होगी। हनुमान में तीनों गुण हैं, वे सूर्य के शिष्य हैं, गुणी भी हैं और चतुर भी।

*अच्छा लिसनर बनें*

प्रभु चरित सुनिबे को रसिया,
राम लखन सीता मन बसिया।

*अर्थ* -आप राम चरित यानी राम की कथा सुनने में रसिक है, राम, लक्ष्मण और सीता तीनों ही आपके मन में वास करते हैं।
जो आपकी प्रायोरिटी है, जो आपका काम है, उसे लेकर सिर्फ बोलने में नहीं, सुनने में भी आपको रस आना चाहिए।

अच्छा श्रोता होना बहुत जरूरी है। अगर आपके पास सुनने की कला नहीं है तो आप कभी अच्छे लीडर नहीं बन सकते।

*कहां, कैसे व्यवहार करना है ये ज्ञान जरूरी है*

सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रुप धरि लंक जरावा।

*अर्थ* - आपने अशोक वाटिका में सीता को अपने छोटे रुप में दर्शन दिए। और लंका जलाते समय आपने बड़ा स्वरुप धारण किया।

कब, कहां, किस परिस्थिति में खुद का व्यवहार कैसा रखना है, ये कला हनुमानजी से सीखी जा सकती है।

सीता से जब अशोक वाटिका में मिले तो उनके सामने छोटे वानर के आकार में मिले, वहीं जब लंका जलाई तो पर्वताकार रुप धर लिया।

अक्सर लोग ये ही तय नहीं कर पाते हैं कि उन्हें कब किसके सामने कैसा दिखना है।

*अच्छे सलाहकार बनें*

तुम्हरो मंत्र बिभीसन माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना।

*अर्थ* - विभीषण ने आपकी सलाह मानी, वे लंका के राजा बने ये सारी दुनिया जानती है।

हनुमान सीता की खोज में लंका गए तो वहां विभीषण से मिले। विभीषण को राम भक्त के रुप में देख कर उन्हें राम से मिलने की सलाह दे दी।

विभीषण ने भी उस सलाह को माना और रावण के मरने के बाद वे राम द्वारा लंका के राजा बनाए गए। किसको, कहां, क्या सलाह देनी चाहिए, इसकी समझ बहुत आवश्यक है। सही समय पर सही इंसान को दी गई सलाह सिर्फ उसका ही फायदा नहीं करती, आपको भी कहीं ना कहीं फायदा पहुंचाती है।

*आत्मविश्वास की कमी ना हो*

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही, जलधि लांघि गए अचरज नाहीं।

*अर्थ* - राम नाम की अंगुठी अपने मुख में रखकर आपने समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई अचरज नहीं है।

अगर आपमें खुद पर और अपने परमात्मा पर पूरा भरोसा है तो आप कोई भी मुश्किल से मुश्किल टॉस्क को आसानी से पूरा कर सकते हैं।

आज के युवाओं में एक कमी ये भी है कि उनका भरोसा बहुत टूट जाता है। आत्मविश्वास की कमी भी बहुत है। प्रतिस्पर्धा के दौर में आत्मविश्वास की कमी होना खतरनाक है। अपनेआप पर पूरा भरोसा रखे

       🙏 जय श्री राम 🙏

शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

आज का पंचांग Date 28 september 2018

.                ।। *🕉* ।।
    🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩
📜 ««« *आज का पंचांग* »»»📜
कलियुगाब्द.........................5120
विक्रम संवत्........................2075
शक संवत्...........................1940
मास..................................अश्विन
पक्ष.....................................कृष्ण
तिथी.................................तृतीया
प्रातः 08.49 पर्यंत पश्चात चतुर्थी
रवि..............................दक्षिणायन
सूर्योदय...................06.17.01 पर
सूर्यास्त...................06.17.22 पर
सूर्य राशि.............................कन्या
चन्द्र राशि..............................मेष
नक्षत्र.................................भरणी
रात्रि 02.25 पर्यंत पश्चात कृत्तिका
योग...................................हर्षण
रात्रि 11.44 पर्यंत पश्चात वज्र
करण..................................विष्टि
प्रातः 08.43 पर्यंत पश्चात बव
ऋतु....................................वर्षा
दिन...............................शुक्रवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :-*
28 सितम्बर सन 2018 ईस्वी ।

☸ शुभ अंक......................1
🔯 शुभ रंग...............आसमानी

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
प्रात: 10.48 से 12.17 तक ।

🚦 *दिशाशूल :-*
पश्चिमदिशा - यदि आवश्यक हो तो जौ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें।

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 07.49 से 09.18 तक लाभ
प्रात: 09.18 से 10.47 तक अमृत
दोप. 12.16 से 01.45 तक शुभ
सायं 04.43 से 06.13 तक चंचल
रात्रि 09.14 से 10.45 तक लाभ ।

📿 *आज का मंत्र :-*
।। ॐ स्वरात्मिकाय नमः ।।

🎙 *संस्कृत सुभाषितानि --*
रथ्या चर्पट विरचित कन्थः,
पुण्यापुण्य विवर्जित पन्थः।
योगी योगनियोजित चित्तो,
रमते बालोन्मत्तवदेव॥२२॥
अर्थात :-
रथ के नीचे आने से फटे हुए कपडे पहनने वाले, पुण्य और पाप से रहित पथ पर चलने वाले, योग में अपने चित्त को लगाने वाले योगी, बालक के समान आनंद में रहते हैं॥२२॥

🍃 *आरोग्यं सलाह :-*
*मुंह के छाले से छुटकारे के आसान उपाय -*

*4. बेकिंग सोडा -*
बेकिंग सोडा वैसे तो सिर से लेकर पांव तक की खूबसूरती को बनाए रखने में मदद करता है। लेकिन यह मुंह के छाले को भी ठीक करता है। हर घर में आसानी से मिल जाने वाला बेकिंग सोडा मुंह में बैक्टीरिया को खत्म कर देता है। यह मुंह के छाले को और अधिक जल्दी ठीक करने में मदद करता है। इसके लिए आधे कप गर्म पानी में बेकिंग सोडा का 1 चम्मच मिलाएं। फिर इस मिश्रण के साथ कुल्ला करें। उसके बाद ताजे पानी के साथ कुल्ला करें।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। कोई बड़ा काम होगा। प्रसन्नता रहेगी। झंझटों में न पड़ें। विवाद को बढ़ावा न दें। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्ययवृद्धि होगी। तनाव रहेगा। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। कार्य में अधिक ध्यान दें। फालतू खर्च होगा। कार्य में मन नहीं लगेगा। कुसंगति से बचें। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं।

👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। रोजगार में वृद्धि होगी। प्रसन्नता रहेगी। प्रभावशाली व्यक्ति सहयोग करेंगे। वै‍वाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। वरिष्ठजनों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
कार्यस्थल पर परिवर्तन तथा योजना में सुधार होगा। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। आत्मसंतोष बना रहेगा। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल लाभ देंगे। बकाया वसूली होगी। व्यस्तता रहेगी। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
तंत्र-मंत्र में रुचि रहेगी। सत्संग का लाभ मिलेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। आय में वृद्धि होगी। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। राजकीय सहयोग मिलेगा। उन्नति होगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। योजना फलीभूत होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। विवाद न करें।

👱🏻‍♀ *राशि फलादेश कन्या :-*
वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। पुराना रोग उभर सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। कुसगंति से हानि होगी। लाभ कम होगा। घर-बाहर तनाव रह सकता है। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। अचानक लाभ होगा। शत्रु परास्त होंगे।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। राजकीय बाधा दूर होकर लाभ की स्‍थिति बनेगी। विवाद न करें। प्रसन्नता रहेगी। तं‍त्र-मंत्र में रुचि रहेगी। राजकीय बाधा दूर होगी। परिवार में प्रसन्नता रहेगी। धन प्राप्ति सुगमता से होगी।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। आय में वृद्धि होगी। जोखिम न उठाएं। विवाद न करें। कानूनी अड़चन सामने आएगी। ईष्ट मित्र सहायता करेंगे। धनार्जन होगा।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
पुराना रोग उभर सकता है। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। शारीरिक कष्ट संभव है। चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि होगी। धैर्य रखें।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
शोक समाचार मिल सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। विवाद को बढ़ावा न दें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। पुराना रोग उभर सकता है। व्यवसाय ठीक चलेगा। लाभ होगा। बुरी सूचना मिल सकती है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। नकारात्मकता बढ़ेगी। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
कोशिशें कामयाब होंगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। आय में वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। नौकरी में सम्मान मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। जल्दबाजी से हानि होगी। भूमि व भवन संबंधी कार्य लाभ देंगे। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। अस्वस्थता रहेगी। प्रमाद न करें।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
फालतू खर्च होगा। भूले-बिसरे साथियों व मित्रों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। लाभ में वृद्धि होगी। प्रसन्नता रहेगी। स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद मिलेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी।

☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो |*

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

बस_नाम_का_रह_गया_महान_मेरा_हिन्दुस्तान

#बस_नाम_का_रह_गया_महान_मेरा_हिन्दुस्तान 🙃
यहां ये हो क्या रहा है और ये करना क्या चाह रहे हैं ?
धारा 377 हटाना क्या कम था जो अब धारा 497 भी 😶 ।
मतलब अब शादी शुदा मर्द और औरत भी गैर मर्द या औरत से संबंध बना सकते हैं , उस पर अब कोई कानूनी केस नहीं बनेगा ।
SC ये सब किसकी सहमति लेके कर रहा है , या कुछ लिब्रांडू ही पुरी देश की जनता के विचारों और सोच का नेतृत्व कर रहे हैं ।
ऐसी चीजों को साथ देनें वाले और फैसले देनें वाले वो लोग हैं जिनके घर में ऐसा होता होगा । उनकी मां पड़ोस के अंकल से सैट है , तो वहीं उनके बाप की भी कहीं पड़ोस में आंटी से सैटिंग है । ऐसे लोग ही अपनें मां - बाप , भाई - बहन के रिश्ते बचाने के लिए ऐसे चीजों के समर्थन में हैं ।
ये हमारी नस्लों को किस दिशा में ले जाना चाह रहे हैं आजादी आजादी के नाम पर , दिन रात कहीं भी नशे करो ये है आजादी , दिन में 10 अलग अलग लड़के - लड़कियों के साथ सम्बंध बनाओ ये है आजादी , सड़क पर अपने नंगे शरीर की नुमाईश करो ये है आजादी ।
सारे कानून तुम्हारे हक में हैं सब कुछ सुविधा हैं तो तुम उसका गलत फायदा ऊठाओ ये है आजादी । कोई तुम्हें सही राह दिखाऐ तो उसे एकदम छोटी सोच वाला बता देते हो ।
अरे शर्म करलो शर्म समाज और कौम के बारे में तो सोचना छोड़ ही चुके हो तुम पर कम से कम अपनें मां बाप की तो सोचो उनकी इज्जत की तो  सोचो , या मां बाप भी तुम्हारे लिए बस चूतिया ही हैं और कुछ नहीं ।
अपनें आप को जो कहते हैं ना कि मैं 18 साल को हो गया अपनी मर्जी का मालिक जो चाहूं वो करूंगा , तो याद रखना 18 साल तक आये किसकी वजहा से ।
मां - बाप आजादी इसलिए देते हैं कि हमारे बच्चे पढ़ लिख कर इज्जत की जिन्दगी जिऐ और हमारी भी इज्जत बढाऐ समाज में । पर नहीं यहां तो उल्टा ही चलन है , नौकरी लगनें के बाद तो बच्चे खुद को तुर्रम खान समझनें लगते हैं , और मां बाप कि सोच को छोटी सोच कहकर उन्हें चुप कर देते हैं ।
#दिल_में_तो_बहुत_कुछ_है_पर_कहां_तक_लिखूं 😐

मंगलवार, 25 सितंबर 2018

संगीतमय सुंदरकांड पाठ का आयोजन - 26-09-2018 जोधाणा वृद्ध आश्रम में


एक शाम वृद्धजनों के नाम-

संगीतमय सुंदरकांड पाठ का आयोजन
शयोमित्रै सुंदरकांड मंडली सांवरिया ग्रुप, पुलिस पब्लिक प्रेस, जिओ क्लब के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 26.9.2018 शाम 7:15 बजे से  जोधाणा वृद्ध आश्रम में
रूपनगर प्रथम गली शिव शक्ति नगर महामंदिर तीसरी पोल के बाहर
जोधपुर शहर के विभिन्न संस्थाओं एनजीओ, समाजसेवी संस्थाओं से, समितियों से आग्रह है कि आप इस कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा पधार कर इस कार्यक्रम को सफल बनावें,

मुख्य कार्यक्रम सुंदरकांड पाठ प्रस्तुति हमारे बुजुर्गों के लिए श्रद्धा एवं धन्यवाद ही उद्देश्य है,

कार्यक्रम के मुख्य गायक अभिषेक शर्मा होंगे
जितेंद्र गौड़, कैलाशचंद्र लढा  तथा  अशोक गौड़, राजेश माथुर, गोविंद गोयल, मुस्तफा, हेमंत वाजपेई, डॉ. नीलम मूंदड़ा, सुमन शर्मा, राहुल शर्मा व दीपक साउंड व सत्यप्रकाश सोनी, तरुण सोतवाल,अन्य सहयोगी उपस्थित होंगे ।


WWW.SANWARIYA.ORG

बलात्कार का आरंभ~ यौन अपराध किसकी की देन

बलात्कार का आरंभ~
पढ़े यौन अपराध किसकी की देन~

मुझे पता है 90 % लोग बिना पढ़े ही निकल लेंगे
लेकिन मेरा निवेदन है एक बार समय निकाल कर पढ़ियेगा जरूर!!

~~आखिर भारत जैसे देवियों को पूजने वाले देश में बलात्कार की गन्दी मानसिकता कहाँ से आयी।।

~~आखिर क्या बात है कि जब प्राचीन भारत के रामायण, महाभारत आदि लगभग सभी हिन्दू-ग्रंथ के उल्लेखों में अनेकों लड़ाईयाँ लड़ी और जीती गयीं, परन्तु विजेता सेना द्वारा किसी भी स्त्री का बलात्कार होने का जिक्र नहीं है।तब आखिर ऐसा क्या हो गया ?? कि आज के आधुनिक भारत में बलात्कार रोज की सामान्य बात बन कर रह गयी है ??~

श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त की पर न ही उन्होंने और न उनकी सेना ने पराजित लंका की स्त्रियों को हाथ लगाया ।

महाभारत में पांडवों की जीत हुयी लाखों की संख्या में योद्धा मारे गए। पर किसी भी पांडव सैनिक ने किसी भी कौरव सेना की विधवा स्त्रियों को हाथ तक न लगाया ।

अब आते हैं ईसापूर्व इतिहास में~220-175 ईसापूर्व में यूनान के शासक "डेमेट्रियस प्रथम" ने भारत पर आक्रमण किया। 183 ईसापूर्व के लगभग उसने पंजाब को जीतकर साकल को अपनी राजधानी बनाया और पंजाब सहित सिन्ध पर भी राज किया। लेकिन उसके पूरे समयकाल में बलात्कार का कोई जिक्र नहीं।
इसके बाद "युक्रेटीदस" भी भारत की ओर बढ़ा और कुछ भागों को जीतकर उसने "तक्षशिला" को अपनी राजधानी बनाया। बलात्कार का कोई जिक्र नहीं।
"डेमेट्रियस" के वंश के मीनेंडर (ईपू 160-120) ने नौवें बौद्ध शासक "वृहद्रथ" को पराजित कर सिन्धु के पार पंजाब और स्वात घाटी से लेकर मथुरा तक राज किया परन्तु उसके शासनकाल में भी बलात्कार का कोई उल्लेख नहीं मिलता।
"सिकंदर" ने भारत पर लगभग 326-327 ई .पू आक्रमण किया जिसमें हजारों सैनिक मारे गए । इसमें युद्ध जीतने के बाद भी राजा "पुरु" की बहादुरी से प्रभावित होकर सिकंदर ने जीता हुआ राज्य पुरु को वापस दे दिया और"बेबिलोन" वापस चला गया ।विजेता होने के बाद भी "यूनानियों" (यवनों) की सेनाओं ने किसी भी भारतीय महिला के साथ बलात्कार नहीं किया और न ही "धर्म परिवर्तन" करवाया ।
इसके बाद "शकों" ने भारत पर आक्रमण किया (जिन्होंने ई.78 से शक संवत शुरू किया था)। "सिन्ध" नदी के तट पर स्थित "मीननगर" को उन्होंने अपनी राजधानी बनाकर गुजरात क्षेत्र के सौराष्ट्र , अवंतिका, उज्जयिनी,गंधार,सिन्ध,मथुरा समेत महाराष्ट्र के बहुत बड़े भू भाग पर 130 ईस्वी से 188 ईस्वी तक शासन किया। परन्तु इनके राज्य में भी बलात्कार का कोई उल्लेख नहीं।
इसके बाद तिब्बत के "युइशि" (यूची) कबीले की लड़ाकू प्रजाति "कुषाणों" ने "काबुल" और "कंधार" पर अपना अधिकार कायम कर लिया। जिसमें "कनिष्क प्रथम" (127-140ई.) नाम का सबसे शक्तिशाली सम्राट हुआ। जिसका राज्य "कश्मीर से उत्तरी सिन्ध" तथा "पेशावर से सारनाथ" के आगे तक फैला था। कुषाणों ने भी भारत पर लम्बे समय तक विभिन्न क्षेत्रों में शासन किया। परन्तु इतिहास में कहीं नहीं लिखा कि इन्होंने भारतीय स्त्रियों का बलात्कार किया हो ।
इसके बाद "अफगानिस्तान" से होते हुए भारत तक आये"हूणों" ने 520 AD के समयकाल में भारत पर अधिसंख्य बड़े आक्रमण किए और यहाँ पर राज भी किया। ये क्रूर तो थे परन्तु बलात्कारी होने का कलंक इन पर भी नहीं लगा।
इन सबके अलावा भारतीय इतिहास के हजारों साल के इतिहास में और भी कई आक्रमणकारी आये जिन्होंने भारत में बहुत मार काट मचाई जैसे "नेपालवंशी" "शक्य" आदि। पर बलात्कार शब्द भारत में तब तक शायद ही किसी को पता था।।
अब आते हैं मध्यकालीन भारत में~जहाँ से शुरू होता है इस्लामी आक्रमण
और यहीं से शुरू होता है भारत में बलात्कार का प्रचलन।
सबसे पहले 711 ईस्वी में "मुहम्मद बिन कासिम" ने सिंध पर हमला करके राजा "दाहिर" को हराने के बाद उसकी दोनों "बेटियों" को "यौनदासियों" के रूप में "खलीफा" को तोहफा भेज दिया। तब शायद भारत की स्त्रियों का पहली बार बलात्कार जैसे कुकर्म से सामना हुआ जिसमें "हारे हुए राजा की बेटियों" और "साधारण भारतीय स्त्रियों" का "जीती हुयी इस्लामी सेना" द्वारा बुरी तरह से बलात्कार और अपहरण किया गया ।
फिर आया 1001 इस्वी में "गजनवी"। इसके बारे में ये कहा जाता है कि इसने "इस्लाम को फ़ैलाने" के उद्देश्य से ही आक्रमण किया था।"सोमनाथ के मंदिर" को तोड़ने के बाद इसकी सेना ने हजारों "हिन्दू औरतों" का बलात्कार किया फिर उनको अफगानिस्तान ले जाकर "बाजारों में बोलियाँ" लगाकर"जानवरों" की तरह "बेच" दिया ।
फिर "गौरी" ने 1192 में "पृथ्वीराज चौहान" को हराने के बाद भारत में "इस्लाम का प्रकाश" फैलाने के लिए "हजारों काफिरों" को मौत के घाट उतर दिया और उसकी "फौज" ने "अनगिनत हिन्दू स्त्रियों" के साथ बलात्कार कर उनका "धर्म-परिवर्तन"करवाया।
मुहम्मद बिन कासिम से लेकर सुबुक्तगीन, बख्तियार खिलजी, जूना खाँ उर्फ अलाउद्दीन खिलजी, फिरोजशाह, तैमूरलंग, आरामशाह, इल्तुतमिश, रुकुनुद्दीन फिरोजशाह, मुइजुद्दीन बहरामशाह, अलाउद्दीन मसूद, नसीरुद्दीन महमूद, गयासुद्दीन बलबन, जलालुद्दीन खिलजी, शिहाबुद्दीन उमर खिलजी, कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी, नसरत शाह तुगलक, महमूद तुगलक, खिज्र खां, मुबारक शाह, मुहम्मद शाह, अलाउद्दीन आलम शाह, बहलोल लोदी, सिकंदर शाह लोदी, बाबर, नूरुद्दीन सलीम जहांगीर,~अपने हरम में "8000 रखैलें रखने वाला शाहजहाँ"।
इसके आगे अपने ही दरबारियों और कमजोर मुसलमानों की औरतों से अय्याशी करने के लिए "मीना बाजार" लगवाने वाला "जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर"।
मुहीउद्दीन मुहम्मद से लेकर औरंगजेब तक बलात्कारियों की ये सूची बहुत लम्बी है। जिनकी फौजों ने हारे हुए राज्य की लाखों "हिन्दू महिलाओं" "(माल-ए-गनीमत)"का बेरहमी से बलात्कार किया और "जेहाद के इनाम" के तौर पर कभी वस्तुओं की तरह "सिपहसालारों" में बांटा तो कभी बाजारों में "जानवरों की तरह उनकी कीमत लगायी" गई। ये असहाय और बेबस महिलाएं "हरमों" से लेकर"वेश्यालयों" तक में पहुँची। इनकी संतानें भी हुईं पर वो अपने मूलधर्म में कभी वापस नहीं पहुँच पायीं।
वास्तव में मध्यकालीन भारत में मुगलों द्वारा"पराजित हिन्दू (काफिर) स्त्रियों का बलात्कार" करना एक आम बात थी क्योंकि वो इसे "अपनी जीत" या "जिहाद का इनाम" (माल-ए-गनीमत) मानते थे। केवल यही नहीं इन सुल्तानों द्वारा किये अत्याचारों और असंख्य बलात्कारों के बारे में आज के किसी इतिहासकार ने नहीं लिखा। बल्कि खुद इन्हीं सुल्तानों के साथ रहने वाले लेखकों ने बड़े ही शान से अपनी कलम चलायीं और बड़े घमण्ड से अपने मालिकों द्वारा काफिरों को सबक सिखाने का विस्तृत वर्णन किया। गूगल के कुछ लिंक्स पर क्लिक करके हिन्दुओं और हिन्दू महिलाओं पर हुए "दिल दहला" देने वाले अत्याचारों के बारे में विस्तार से जान पाएँगे। वो भी पूरे सबूतों के साथ। इनके सैकड़ों वर्षों के खूनी शासनकाल में भारत की हिन्दू जनता अपनी महिलाओं का सम्मान बचाने के लिए देश के एक कोने से दूसरे कोने तक भागती और बसती रहीं।
इन मुस्लिम बलात्कारियों से सम्मान-रक्षा के लिए हजारों की संख्या में हिन्दू महिलाओं ने स्वयं को जौहर की ज्वाला में जलाकर भस्म कर लिया। ठीक इसी काल में कभी स्वच्छंद विचरण करने वाली भारतवर्ष की हिन्दू महिलाओं को भी मुस्लिम सैनिकों की दृष्टि से बचाने के लिए पर्दा-प्रथा की शुरूआत हुई।
महिलाओं पर अत्याचार और बलात्कार का इतना घिनौना स्वरूप तो 17वीं शताब्दी के प्रारंभ से लेकर 1947 तक अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल में भी नहीं दिखीं। अंग्रेजों ने भारत को बहुत लूटा परन्तु बलात्कारियों में वे नहीं गिने जाते।
1946 में मुहम्मद अली जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन प्लान, 1947 विभाजन के दंगों से लेकर 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम तक तो लाखों हिन्दू(काफिर) महिलाओं का बलात्कार हुआ या फिर उनका अपहरण हो गया। फिर वो कभी नहीं मिलीं। इस दौरान स्थिती ऐसी हो गयी थी कि "पाकिस्तान समर्थित मुस्लिम बहुल इलाकों" से "बलात्कार" किये बिना एक भी "हिन्दू (काफिर) स्त्री" वहां से वापस नहीं आ सकती थी। विभाजन के समय पाकिस्तान के कई स्थानों में सड़कों पर काफिर स्त्रियों की "नग्न यात्राएं (धिंड) "निकाली गयीं, "बाज़ार सजाकर उनकी बोलियाँ लगायी गयीं"और 10 लाख से ज्यादा की संख्या में उनको दासियों की तरह खरीदा बेचा गया।~20 लाख से ज्यादा महिलाओं को जबरन मुस्लिम बना कर अपने घरों में रखा गया।
इस विभाजन के दौर में हिन्दुओं को मारने वाले सबके सब विदेशी नहीं थे। इन्हें मारने वाले स्थानीय मुस्लिम भी थे। वे समूहों में कत्ल से पहले हिन्दुओं के अंग-भंग करना, आंखें निकालना, नाखुन खींचना, बाल नोचना, जिंदा जलाना, चमड़ी खींचना खासकर महिलाओं का बलात्कार करने के बाद उनके "स्तनों को काटकर" तड़पा-तड़पा कर मारना आम बात थी।
अंत में कश्मीर की बात~~19 जनवरी 1990~~सारे कश्मीरी पंडितों के घर के दरवाजों पर नोट लगा दिया जिसमें लिखा था "या तो मुस्लिम बन जाओ या मरने के लिए तैयार हो जाओ या फिर कश्मीर छोड़कर भाग जाओ लेकिन अपनी औरतों को यहीं छोड़कर "।  लखनऊ में विस्थापित जीवन जी रहे कश्मीरी पण्डित संजय बहादुर उस मंजर को याद करते हुए आज भी सिहर जाते हैं। वह कहते हैं कि "मस्जिदों के लाउडस्पीकर" लगातार तीन दिन तक यही आवाज दे रहे थे कि यहां क्या चलेगा,"निजाम-ए-मुस्तफा", 'आजादी का मतलब क्या "ला इलाहा इलल्लाह", 'कश्मीर में अगर रहना है, "अल्लाह-ओ-अकबर"कहना है।और 'असि गच्ची पाकिस्तान, बताओ "रोअस ते बतानेव सान" जिसका मतलब था कि हमें यहां अपना पाकिस्तान बनाना है, कश्मीरी पंडितों के बिना मगर कश्मीरी पंडित महिलाओं के साथ। सदियों का भाईचारा कुछ ही समय में समाप्त हो गया जहाँ पंडितों से ही तालीम हासिल किए लोग उनकी ही महिलाओं की अस्मत लूटने को तैयार हो गए थे। सारे कश्मीर की मस्जिदों में एक टेप चलाया गया। जिसमें मुस्लिमों को कहा गया की वो हिन्दुओं को कश्मीर से निकाल बाहर करें। उसके बाद कश्मीरी मुस्लिम सड़कों पर उतर आये। उन्होंने कश्मीरी पंडितों के घरों को जला दिया, कश्मीर पंडित महिलाओ का बलात्कार करके, फिर उनकी हत्या करके उनके "नग्न शरीर को पेड़ पर लटका दिया गया"। कुछ महिलाओं को बलात्कार कर जिन्दा जला दिया गया और बाकियों को लोहे के गरम सलाखों से मार दिया गया। कश्मीरी पंडित नर्स जो श्रीनगर के सौर मेडिकल कॉलेजअस्पताल में काम करती थी, का सामूहिक बलात्कार किया गया और मार मार कर उसकी हत्या कर दी गयी। बच्चों को उनकी माँओं के सामने स्टील के तार से गला घोंटकर मार दिया गया। कश्मीरी हिन्दू महिलाएँ पहाड़ों की गहरी घाटियों और भागने का रास्ता न मिलने पर ऊंचे मकानों की छतों से कूद कूद कर जान देने लगी। लेखक राहुल पंडित उस समय 14 वर्ष के थे। बाहर माहौल ख़राब था। मस्जिदों से उनके ख़िलाफ़ नारे लग रहे थे। पीढ़ियों से उनके भाईचारे से रह रहे पड़ोसी ही कह रहे थे, 'मुसलमान बनकर आज़ादी की लड़ाई में शामिल हो या वादी छोड़कर भागो'। राहुल पंडित के परिवार ने तीन महीने इस उम्मीद में काटे कि शायद माहौल सुधर जाए। राहुल आगे कहते हैं,"कुछ लड़के जिनके साथ हम बचपन से क्रिकेट खेला करते थे वही हमारे घर के बाहर पंडितों के ख़ाली घरों को आपस में बांटने की बातें कर रहे थे और हमारी लड़कियों के बारे में गंदी बातें कह रहे थे। ये बातें मेरे ज़हन में अब भी ताज़ा हैं।
1989 में कश्मीर में जिहाद के लिए गठित जमात-ए-इस्लामी संगठन का नारा था- 'हम सब एक, तुम भागो या मरो'। घाटी में कई कश्मीरी पंडितों की बस्तियों में सामूहिक बलात्कार और लड़कियों के अपहरण किए गए। हालात और बदतर हो गए थे। कुल मिलाकर हजारों की संख्या में हिन्दू(काफिर) महिलाओं का बलात्कार किया गया। आज आप जिस तरह दाँत निकालकर धरती के जन्नत कश्मीर घूमकर मजे लेने जाते हैं और वहाँ के लोगों को रोजगार देने जाते हैं। उसी कश्मीर की हसीन वादियों में आज भी सैकड़ों कश्मीरी हिन्दू बेटियों की बेबस कराहें गूंजती हैं, जिन्हें केवल "हिन्दू(काफिर)" होने की सजा मिली। घर, बाजार, हाट, मैदान से लेकर उन खूबसूरत वादियों में न जाने कितनी जुल्मों की दास्तानें दफन हैं जो आज तक अनकही हैं। घाटी के खाली, जले मकान यह चीख-चीख के बताते हैं कि रातों-रात दुनिया जल जाने का मतलब कोई हमसे पूछे। झेलम का बहता हुआ पानी उन रातों की वहशियत के गवाह हैं जिसने कभी न खत्म होने वाले दाग इंसानियत के दिल पर दिए। लखनऊ में विस्थापित जीवन जी रहे कश्मीरी पंडित रविन्द्र कोत्रू के चेहरे पर अविश्वास की सैकड़ों लकीरें पीड़ा की शक्ल में उभरती हुईं बयान करती हैं कि यदि आतंक के उन दिनों में घाटी की मुस्लिम आबादी ने उनका साथ दिया होता जब उन्हें वहां से खदेड़ा जा रहा था, उनके साथ कत्लेआम हो रहा था तो किसी भी आतंकवादी में ये हिम्मत नहीं होती कि वह किसी कश्मीरी पंडित को चोट पहुंचाने की सोच पाता लेकिन तब उन्होंने हमारा साथ देने के बजाय कट्टरपंथियों के सामने घुटने टेक दिए थे या उनके ही लश्कर में शामिल हो गए थे।अभी हाल में ही आप लोगों ने टीवी पर "अबू बकर अल बगदादी" के जेहादियों को काफिर "यजीदी महिलाओं" को रस्सियों से बाँधकर कौड़ियों के भाव बेचते देखा होगा।
पाकिस्तान में खुलेआम हिन्दू लड़कियों का अपहरण कर सार्वजनिक रूप से मौलवियों की टीम द्वारा धर्मपरिवर्तन कर निकाह कराते देखा होगा।~बांग्लादेश से भारत भागकर आये हिन्दुओं के मुँह से महिलाओं के बलात्कार की हजारों दुःखद घटनाएँ सुनी होंगी। यहाँ तक कि म्यांमार में भी एक काफिर बौद्ध महिला के बलात्कार और हत्या के बाद शुरू हुई हिंसा के भीषण दौर को देखा होगा। केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनियाँ में इस सोच ने मोरक्को से ले कर हिन्दुस्तान तक सभी देशों पर आक्रमण कर वहाँ के निवासियों को धर्मान्तरित किया, संपत्तियों को लूटा तथा इन देशों में पहले से फल फूल रही हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता का विनाश कर दिया। परन्तु पूरी दुनियाँ में इसकी सबसे ज्यादा सजा महिलाओं को ही भुगतनी पड़ी...बलात्कार के रूप में ।
आज सैकड़ों साल की गुलामी के बाद समय बीतने के साथ धीरे-धीरे ये बलात्कार करने की मानसिक बीमारी भारत के पुरुषों में भी फैलने लगी। जिस देश में कभी नारी जाति शासन करती थीं, सार्वजनिकरूप से शास्त्रार्थ करती थीं, स्वयंवर द्वारा स्वयं अपना वर चुनती थीं, जिन्हें भारत में देवियों के रूप में श्रद्धा से पूजा जाता था आज उसी देश में छोटी-छोटी बच्चियों तक का बलात्कार होने लगा और आज इस मानसिक रोग का ये भयानक रूप देखने को मिल रहा है।

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