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रविवार, 28 अक्तूबर 2018

करवाचौथ विशेष

*#करवाचौथ_विशेष* -

*#सर्वप्रथम मेरी सभी शादीशुदा महिला मित्रो को इस पर्व की अग्रिम बधाई, ईश्वर से कामना है कि आप सभी का व्रत आसान रहे और फलीभूत हो ।।*

करवा चौथ का पर्व भारत में उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में मुख्य रूप से मनाया जाता है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। करवा चौथ स्त्रियों का सर्वाधिक प्रिय व्रत है। यों तो प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी और चंद्रमा का व्रत किया जाता है। परंतु इनमें करवा चौथ का सर्वाधिक महत्त्व है। इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अटल सुहाग, पति की दीर्घ आयु, स्वास्थ्य एवं मंगलकामना के लिए यह व्रत करती हैं। वामन पुराण में करवा चौथ व्रत का वर्णन आता है। 
दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए एक दूसरे के प्रति सम्मान ,विश्वास और प्रेम का होना जरूरी है करवाचौथ एक माध्यम है इसे बढ़ाने का । इस व्रत से जहाँ  एक दूसरे के लिए विश्वास दिखाया जाता है वही स्वास्थ्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह त्योहार एक प्रभाव छोड़ता है -

*#करवाचौथ भी उन रीतियों में से एक है जिससे आप अपने शरीर को डिटॉक्स करते है और आने वाली ऋतु के लिए खुद को तैयार करते है आइये एक विश्लेषण करते है कैसे ,विश्लेषण पे पूर्व इस पोस्ट में हम कुछ शब्दो को समझ लेते है जिससे आगे आपको समझने में आसानी होगी* --

*#डीटॉक्सिफिकेशन -*

*#वर्कआउट ना करना, प्रॉपर* डाइट ना लेना वगैरह ऐसी कई वजहें हैं, जिनके चलते बॉडी में टॉक्सिंस जमा हो जाते हैं। हेल्दी रहने के लिए इनको फ्लश आउट करना जरूरी है।
जब भी बॉडी में हानिकारक पदार्थ इकट्ठे होते हैं, तब इसके काम करने की क्षमता कम हो जाती है। इससे दिमाग भी थका-थका रहता और पूरी तरह रीलैक्स नहीं हो पाता। बॉडी में टाक्सिंस के जमा होने से और भी कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। मसलन सेल्स में इनके जमा होने से इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे जुकाम, खांसी, छींकों के लगातार बने रहने की समस्या हो सकती है।

*#इससे_लाभ* -
डिटॉक्सिफिकेशन स्टैमिना को बढ़ाने का बेहतरीन तरीका है। इससे आप लाइट, फ्री और फ्रेश महसूस करेंगे। इससे होने वाले तमाम फायदों में स्किन व कॉम्प्लेक्शन का अच्छा होना, इम्युनिटी सिस्टम का स्ट्रॉन्ग होना, पाचन क्षमता का बढ़ना, स्टैमिना और एनर्जी लेवल बढ़ना, मेटाबॉलिज्म का इंप्रूव होना वगैरह शुमार हैं। डिटॉक्सिफिकेशन के दौरान दी जाने वाली डाइट से ये हानिकारक पदार्थ व वेस्ट मैटर बाहर निकल जाते हैं और पूरी बॉडी का सिस्टम क्लीन होता है।

*#ऋतु_संगम_महीने* -- 

*#देश में तीन ऋतुओं की* प्रधानता है। ये तीनों ही अपने चरम काल में ऋतु गुण धर्म के अनुसार अपना तेवर दिखाती हैं। ग्रीष्मकाल की गर्मी, वर्षाकाल की बरसात एवं ठंड काल की ठंडक अपने चरम रूप को प्राप्त कर नाना प्रकार के कहर ढाते हैं। सम्पूर्ण जीव-जगत इससे थर्रा उठता है। तीनों ऋतुओं की प्रखरता के चलते मौतें भी होती है। और जिन महीनों में ऋतुओं का मिलन होता है उसे ऋतु संगम महीने कहते है।
तीन ऋतु और उनकी तीन संधि बेलाएं नाना प्रकार की बीमारियां ज़रूर देती हैं।

*#इस ऋतु संधि बेला में मौसम* का रूप बदलता है। तापमान बदलता है। हवा की दिशा एवं नमी की मात्रा बदलती है। इस परिवर्तन को शरीर सहन नहीं कर पाता। शरीर के भीतर व बाहर भी कष्ट होता है। नसों व मांसपेशियों में ऐंठन होती है। उनमें व हड्डियों के जोड़ों में दर्द होता है।  मन व शरीर बेचैन हो जाता है। चित्त स्थिर नहीं रहता। मिचली आती है, अपच हो जाती है। दस्त या कब्ज़ भी हो सकता है। भूख में परिवर्तन होता है। नींद में परिवर्तन होता है। गले में खराश व सर्दी जुकाम हो जाता है। ये सब ऋतु संक्रमण या मौसम संधि काल की शारीरिक परेशानियां हैं, जिससे बच्चे व बुजुर्गों व खासकर महिलाओं को इस स्थिति का अधिकतर सामना करना पड़ता है, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधिक क्षमता कम होती है जो इस संधि बेला में और कम हो जाती है। अतएव इन्हें ऐसे संक्रमण समय में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

*#उपवास_से_लाभ - उपवास* वास्तव में  गत मौसम के दौरान शरीर के भीतर संचित टॉक्सिसिटी की सफाई के लिए ही होता है। उपवास से शरीर इस टॉक्सिक पदार्थ को शरीर से निकालने का उपक्रम करता है जिसके कारण शरीर से टॉक्सिक(गंदगी) साफ हो जाता है और शरीर अपने आपको नई ऋतु के अनुसार तैयार कर लेता है ।।

*#चाँद_का_प्रभाव -- चंद्रमा की* गुरुत्वाकर्षण क्षमता, इंसान के दिमाग, उसके मूड, स्वभाव और चरित्र को भी प्रभावित करता है। साथ ही यह हमारे स्वास्थ्य पर अपना प्रभाव डालता है।शोध में ऐसा देखा गया है कि मानव शरीर जो 70% तक पानी से बना है, उस पर चंद्रमा की रोशनी का प्रभाव बहुत ज्यादा होता है।पूर्णिमा की रात को मेलाटोनिन नामक हार्मोन का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है ,मेलाटोनिन एक ऐसा हार्मोन है जो सामान्य तौर पर रात के वक्त नियमित नींद के लिए शरीर में स्वतः स्रावित होता है। यह दिमाग की पिनियल ग्रंथि से स्रावित होता है। लेकिन जब हमारी दिनचर्या अनियमित होती है और दिमाग पर तनाव और अवसाद अधिक प्रभावी हो जाता है तब इस हार्मोन का स्राव कम हो जाता है। परिणामस्वरूप नींद हमसे दूर जाने लगती है। ऐसे में मेलाटोनिन के स्तर को बढ़ाने के लिए बाजार में मेलाटोनिन सप्लीमेंट मिलते हैं। इनके सेवन से नींद से जुड़ी अनियमितता को दूर किया जा सकता है।

करवाचौथ का व्रत इस मेलाटोनिन हार्मोन के स्तर को सामान्य करने में मदद करता है ।।

*#मेहंदी - आज आप सभी ने* मेहंदी तो लगवाई ही होगी मेहदी का लाभ भी आप सभी को पता ही होगा , पहले मेहंदी केमिकल नही होती थी बल्कि एक तरह से पौधों के पत्तो को पीस कर बनाई जाती थीं ।मेंहदी (Heena) की पत्तियों में टैनिन, वासोन, मैलिक एसिड, ग्लूकोज मैनिटोल, वसराल और म्यूसिलेज आदि तत्च पाए जाते हैं। मेंहदी (Heena – Mehndi) की पत्तियां रंजक द्रव्य के रूप में इस्तेमाल होती हैं।मेंहदी की ठंडी तासीर खून के विकार, उल्टी, कब्ज, कुष्ठ, बुखार, जलन, रक्तपित्त, पेशाब करने में कठिनाई जैसे शारीरिक विकारों को दूर करती है।हाई ब्लड प्रेशर से पीडि़त व्यक्ति के पैरों के तलवों और हथेलियों पर मेंहदी का लेप काफी आरामदायक है। शरीर की बढ़ी हुई गर्मी बाहर निकालने के लिए भी मेंहदी लगाई जाती है। मेंहदी (Heena – Mehndi) पेट की बीमारी में भी आरामदायक है। साथ ही मेंहदी में टीबी को दूर भगाने के गुण भी हैं। इसकी पत्तियों को पीसकर इस्तेमाल करने से टीबी से राहत मिलती है।

*#आभूषण - आभूषण ऊर्जा व* शक्ति भी प्रदान करते हैं। भारतीय समाज में स्त्रियों के लिए आभूषणों का ज़्यादा महत्‍व है,उनके लिए विशेष आभूषणों की परंपरा का चलन है। महिलाओं को सिर में सोना व पैरों में चांदी के गहने धारण कराये जाते हैं। ताकि स्‍वर्णाभूषणों से उत्‍पन्‍न हुई ऊर्जा पैरों में तथा चाँदी से उत्‍पन्‍न होने वाली ठंडक सिर में चली जाए। सर्दी, गर्मी को खींच लेती है इस तरह से सिर को ठंडा व पैरों को गर्म रखने के मूल्यवान चिकित्सकीय नियम का पूर्ण पालन हो जाता है।नाक व कान में सोने का आभूषण इसलिए पहना जाता है कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेब्स सदैव सिरों तथा किनारों की ओर से प्रवेश करती है, इसलिए मस्तिष्क के दोनों भागों को प्रभावशाली बनाने के लिए नाक व कान में स्‍वर्णाभूषण पहनना चाहिए। कान में स्‍वर्णाभूषण पहनने से मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है तथा हिस्टीरिया व हार्निया की रोकथाम होती है। नाक में स्‍वर्णाभूषण धारण करने से सर्दी-खांसी की रोकथाम होती है।पैरों में चाँदी के आभूषण धारण करने से साइटिका व मन के विकार दूर होते हैं तथा स्‍मरण शक्ति मजबूत होती है। पायल पहनने से पीठ, एड़ी व घुटनों के दर्द में लाभ के साथ ही हिस्टीरिया की रोकथाम होती है। रक्‍तविकार व मूत्र विकार दूर होते हैं तथा सांस का रोग नहीं होता।
प्रेसर पॉइंट tb20, tb21 tb23 के दवाब से मन शांत रहता है ।।

*#सिंदूर --  सिंदूर करवाचौथ का* अभिन्न अंग है इसका विशेष महत्व है , यदि मैं आपसे कहु की आप सिंदूर खा लो तो आप कभी नही मानोगे लेकिन यही सिंदूर आठ पूरियों की अठावरी में इस्तेमाल किया जाता है और आप इसे प्रसाद मान के खाते है क्या आपने कभी ध्यान दिया कि ऐसा क्यों है, ऐसा सिंदूर में उपस्थिति सुहागा(बोरेक्स )और पारा (मर्करी ) खिलाने के लिए है इसके कुछ खास फायदे है सुहागा ME पेट की जलन, बलगम, वायु तथा पित्त को नष्ट करता है, और धातुओं को द्रवित करता है।(डेटॉक्सिफिकेशन) ।वही पारा अपनी चमत्कारिक और हीलिंग प्रॉपर्टीज के लिए वैज्ञानिक तौर पर भी मशहूर है। दस्त ,चक्कर आना ,तंद्रा, सरदर्द ,भूख में कमी,आंतों कीडो का संक्रमण आदि का इससे निवारण होता है

*#चावल - इस व्रत में चावल का* इस्तेमाल होता है चावल का फायदा कुछ इस तरह है चावल विभिन्न प्रकार के विटामिन और मिनरल्स का खजाना है. इसमें नियासिन, विटामिन डी, कैल्श‍ियम, फाइबर, आयरन, थायमीन और राइबोफ्लेविन पर्याप्त मात्रा में होता है.चावल में सोडियम की मात्रा न के बराबर होती है. ऐसे में ये उन लोगों के लिए सबसे अच्छा है जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर और हाइपरटेंशन की समस्या है.चावल में अच्छी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है जोकि शरीर को ऊर्जा देने का काम करता है. इस ऊर्जा की जरूरत शरीर के हर भाग को होती है. मस्त‍िष्क इसी ऊर्जा से शरीर का संचालन करता है. चावल से प्राप्त ऊर्जा उपापचय की क्रिया को भी नियमित रखता है.

*#विशेष -*-
वक़्त के साथ परंपरा में संशोधन किया जाना चाहिये पर उसको तिरस्कृत नहीं करना चाहिये, आखिर यही परम्परा हमारे पूर्वजों की धरोहर है। भारतीय महिलाओं की आस्था, परंपरा, धार्मिकता, अपने पति के लिये प्यार, सम्मान, समर्पण, इस एक व्रत में सब कुछ निहित है। भारतीय पत्नी की सारी दुनिया, उसके पति से शुरू होती है उन्हीं पर समाप्त होती है। चाँद को इसीलिये इसका प्रतीक माना गया होगा क्योंकि चाँद भी धरती के कक्षा में जिस तन्मयता, प्यार समर्पण से वो धरती के इर्द गिर्द रहता है, भारतीय औरतें उसी प्रतीक को अपना लेती हैं। वैसे भी भारत, अपनी परंपराओं, प्रकृति प्रेम, अध्यात्मिकता, वृहद संस्कृति, उच्च विचार और धार्मिक पुरज़ोरता के आधार पर विश्व में अपने अलग पहचान बनाने में सक्षम है।

व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात् यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-

मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।

और गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें। पति की दीर्घायु की कामना करें।

नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥

*#फन_नोट -- बीबी शांत रहे* , खुस रहे , स्वस्थ रहे तो पतियों की उम्र वैसे ही बढ़ जाती है । खुस रहिए स्वस्थ रहिए ।। ईश्वर आप सभी के जीवन मे खुशियों के रंग भर दे ।।

*#शुभमस्तु*

शनिवार, 27 अक्तूबर 2018

कांग्रेस के इशारे पर आलोक वर्मा प्रधानमंत्री कार्यालय पर CBI का छापा मार कर नरेंद्र मोदी को बदनाम करने की साजिश में जुटे थे!

एक और सनसनीखेज खुलासे से दहली भारतीय राजनीति, कांग्रेस के इशारे पर आलोक वर्मा प्रधानमंत्री कार्यालय पर CBI का छापा मार कर नरेंद्र मोदी को बदनाम करने की साजिश में जुटे थे!

मोदी सरकार को गिराने के लिए एक और कोंग्रेसी साजिश का पर्दाफ़ाश हुआ है, जिसने भारतीय राजनीति में हड़कंप मचाया हुआ है. यहाँ ये भी साफ़ होता है कि कांग्रेस अपने अंत को देख कर किस कदर छटपटा रही है. सीबीआई में आंतरिक कलह और दो शीर्ष अधिकारियों के बीच आरोप प्रत्यारोप को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है.

👉 प्रधानमंत्री कार्यालय पर सीबीआई का छापा मार कर बड़ी साजिश में लगे थे आलोक वर्मा!

सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को लेकर खुलासा हुआ है कि वो 10 जनपथ के इशारे पर काम कर रहे थे. और ना केवल काम कर रहे थे बल्कि मोदी सरकार को गिराने की कोंग्रेसी साजिश में भी शामिल थे.

खुलासे के मुताबिक़ कांग्रेस के इशारे पर आलोक वर्मा 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार को संकट में फंसाने की साजिश कर रहे थे. खबर है कि आलोक वर्मा प्रधानमंत्री कार्यालय पर सीबीआई का छापा मार कर पीएम नरेंद्र मोदी को बदनाम करने की साजिश में जुटे थे!

👉 अजीत डोवाल के बेटे शौर्य डोवाल का फोन टेप करवाया था!

रिपोर्ट के मुताबिक़ आलोक वर्मा सीबीआई में कांग्रेस के दलाल के रूप में काम कर रहे थे और अपने पद का दुरुपयोग कर सोनिया गांधी व् अन्य भ्रष्ट कोंग्रेसी नेताओं का कवच बने हुए थे. यही कारण है कि कोंग्रेसी नेताओं पर चल रहे भ्रष्टाचार के केसों को जानबूझ कर लटकाया जा रहा था.

इतना ही नहीं, आलोक वर्मा पर कांग्रेस के इशारे पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के बेटे शौर्य डोवाल का फोन टेप करने का आरोप भी है. रिपोर्ट के मुताबिक़ आलोक वर्मा व राकेश अस्थाना दोनों कांग्रेस के लिए काम कर रहे थे.

👉 चिदंबरम पूरे गैंग का सरगना!

आलोक वर्मा चिदंबरम गिरोह द्वारा संचालित थे, तो अस्थाना अहमद पटेल के संदेसरा ग्रुप से लाभ प्राप्त करने वालों में शामिल थे. कांग्रेस में अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने का चिदंबरम का पुराना इतिहास रहा है.

यूपीए-2 में प्रणव मुखर्जी की जासूसी कराने में पहले ही उनका नाम सामने आ चुका है. उनका पूरा गिरोह है, जिसमे वकीलों से लेकर पुलिस व् सीबीआई अधिकारी, सरकारी अम्लों में बैठे बड़े आला अफसर से लेकर न्यायपालिका में बैठे कई जज तक शामिल बताये जा रहे हैं.

👉 अजित डोभाल के आने से कोंग्रेसी साजिशें नाकाम!

यही कारण है कि पीएम मोदी ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना, दोनों पर एक साथ सर्जिकल स्ट्राइक कर कांग्रेस के दोनों खेमे पर प्रहार किया है.

👉 सीबीआई की गोपनीय बातें व् फाइलें कोंग्रेसी नेताओं तक पहुँचता था आलोक वर्मा!

ये भी सामने आया है कि सीबीआई द्वारा कोंग्रेसियों के केसों की फाइलों में मौजूद गोपनीय जानकारियां कोर्ट से पहले चिदंबरम की मेज पर पहुंचा दी जाती थी. यहाँ तक कि राहुल गाँधी तक को सीबीआई की आंतरिक जानकारियां पहुंचाई जाती थीं, यही कारण है कि आलोक वर्मा मोदी को फंसाने के लिए राफेल के कागजात का जुगाड़ कर रहे थे और ये बात राहुल गाँधी को पहले से ही पता थी.

मगर बुद्धि के मामले में तंग राहुल गाँधी खुद ही ट्वीट करके फंस गए. राहुल ने ट्वीट करके कहा कि, “सीबीआई चीफ आलोक वर्मा राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे. उन्हें जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया. प्रधानमंत्री का मैसेज एकदम साफ है जो भी राफेल के इर्द गिर्द आएगा- हटा दिया जाएगा, मिटा दिया जाएगा”.

जिससे तुरंत राहुल पकडे गए कि एक वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी क्या काम कर रहा था, इसकी जानकारी उनतक कैसे पहुंच गयी? यहाँ एक बार फिर से स्पष्ट हो गया कि आलोक वर्मा नाम का ये धूर्त सीबीआई अफसर दरअसल 10 जनपथ की कठपुतली था और राहुल गाँधी को गोपनीय सूचनाएं देकर इसने गोपनीयता का उल्लंघन भी किया!

राहुल गांधी के ट्वीट पर उन्हीं की पार्टी के पूर्व नेता शहजाद पूनावाला ने सवाल किया कि आखिर राहुल गांधी को कैसे पता कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा राफेल के दस्तावेज इकट्ठा कर रहे हैं? राहुल गांधी को निश्चित रूप से इस सवाल का खुलासा करना चाहिए.

👉 आलोक वर्मा के काले कारनामों पर एक नज़र!

अगस्ता वेस्टलैंड मामले में अभी तक चार्जशीट न दाखिल की गई हो या फिर उसी मामले में दुबई में गिरफ्तार मुख्य आरोपी मिशेल के प्रत्यर्पण के मामले को लटकाना रहा हो. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ एयरसेल-मैक्सिस घोटाला मामले में चार्जशीट न दाखिल करने की बात हो या उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्रवाई को सुस्त करना हो.

लालू प्रसाद यादव के आईआरसीटी (रेलवे होटल) घोटाला मामले में विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को जांच करने से रोकना हो या फिर बिकानेर जमीन घोटाले में राबर्ट वाड्रा की जांच रोकने का मामला हो. इन सारे मामलों में आलोक वर्मा पर सोनिया गांधी से लेकर उनके संबंधियों या उनके नजदीकी सहयोगियों को बचाने का आरोप है.

👉 अगस्ता वेस्टलैंड में अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं क्यों?

अगस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाला मामले में भ्रष्टाचार साबित होने के बाद भी आजतक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई. आरोप है कि इसके पीछे सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा का ही हाथ बताया जा रहा है.

ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि इस घोटाले में सीधे तौर पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम आया है. इतना ही नहीं इस घोटाले के मुख्य आरोपी (बिचौलिया) क्रिश्चियन मिशेल दुबई में गिरफ्तार किया गया.

सीबीआई और ईडी के संयुक्त प्रयास की वजह से दुबई की अदालत ने उसके प्रत्यर्पण की भी मंजूरी दे दी थी. लेकिन अंत में उसका प्रत्यर्पण नहीं हो पाया. जबकि मिशेल ने भारतीय अधिकारियों के सामने स्पष्ट रूप से सोनिया गांधी का नाम लिया था. लेकिन अंत में उसका प्रत्यर्पण नहीं हो पाया. आरोप है कि कांग्रेस के दबाव के कारण ही आलोक वर्मा ने उनका प्रत्यर्पण नहीं होने दिया.

👉 एयरसेल मैक्सिस मामले में पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट नहीं

एयरसेल-मैक्सिस घोटाला मामले में भी अभी तक पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं होने के पीछे आलोक वर्मा का ही हाथ बताया जा रहा है. आरोप है कि आलोक वर्मा पी चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर कांग्रेस आलाकमान को नाराज नहीं करना चाहते थे.

जबकि ईडी और सीबीआई जांच के बाद यह करीब-करीब साबित हो चुका है कि पी चिदंबरम ने अपने बेटे को आर्थिक फायदा पहुंचाने के एबज में एयरसेल मैक्सिस कंपनी को अवैध तरीके 3,500 करोड़ रुपये के लिए एफआईपीबी की मंजूरी दी थी, जबकि यह काम आर्थिक मामले की कैबिनेट कमेटी का है.

लेकिन चिदंबरम ने उसकी सहमति के बगैर ही मंजूरी दे दी थी. इसके बाद भी अभी तक सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई है.

👉 पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ कार्रवाई रोकने का आरोप

सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर न केवल पी चिदंबरम को बचाने का आरोप लगाया गया है बल्कि उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ चल रही कार्रवाई को भी रोकने का आरोप है. मालूम हो कि कार्ति चिदंबरम से आईएनएक्स मीडिया मामले में ईडी ने कई बार पूछताछ की है.

ईडी के प्रयास से उसकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है, लेकिन सीबीआई ने उसके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है. कार्ति के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने के लिए आलोक वर्मा को ही जिम्मेदारा माना जाता है.

👉 आईआरटीसी घोटाले में लालू प्रसाद यादव को बचाने का आरोप

यथावत के संपादक राम बहादुर राय ने अपने आलेख में एक जगह है लिखा है कि अगर लालू प्रसाद यादव रेलवे मंत्री नहीं बनाए गए होते तो उन्होंने अपने परिवार के लिए जो संपत्ति अर्जित की ही है वह नहीं कर पाते.

ऐसे भ्रष्टाचारी को बचाने का आरोप आलोक वर्मा पर है. आरोप है कि जब विशेष निदेशक राकेश अस्थाना आईआरटीसी घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव की जांच कर रहे थे तो आलोक वर्मा ने उन्हें लालू प्रसाद यादव की जांच करने से रोक दिया था.

कांग्रेस तो कांग्रस उसके नजदीकी सहयोगियों को भी बचाने का आरोप आलोक वर्मा पर लगता रहा है. दरअसल कहा जा रहा है कि ये एक इतना धूर्त और मक्कार किस्म का अधिकारी था, जो एक नंबर का बिकाऊ और मौकापरस्त था. पैसों व् निजी फायदे की खातिर ये कांग्रेस समेत अन्य दलों के भ्रष्टाचारी नेताओं को भी बचाता आ रहा था.

👉 बिकानेर जमीन घोटाला मामले में राबर्ट वाड्रा के खिलाफ आगे नहीं बढ़ने दी जांच

बलात छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को भी बचाने का आरोप लगाया गया है. आरोप है कि बिकानेर में एक जमीन घोटाले में रॉबर्ट वाड्रा का नाम आया था. इस मामले की जांच सीबीआई को करनी थी, लेकिन आलोक वर्मा ने उस जांच को आगे ही नहीं बढ़ने दिया.

आरोप है कि कि आलोक वर्मा ने ही दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ जांच को रोक दिया था. आलोक वर्मा द्वारा जांच रोके जाने के कारण आज तक उसके खिलाफ जांच पूरी नहीं हो पाई है.

👉 वामपंथी वकील प्रशांत भूषण की सहायता!

इतना ही नहीं आलोक वर्मा कांग्रेस और विरोधी पार्टियों के लिए एक केंद्र बन गए थे. वे हमेशा से प्रशांत भूषण के संपर्क में रहे हैं. आरोप तो यह भी है कि आलोक वर्मा के कहने पर ही प्रशांत भूषण ने राकेश अस्थाना के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर उनकी सीबीआई के विशेष निदेशक के पद पर हुई नियुक्ति को लेकर सवाल उठाया था.

इसके अलावा ये भी आरोप हैं कि आलोक वर्मा द्वारा लीक किये गए दस्तावेजों के आधार पर ही प्रशांत भूषण ने अस्थाना के खिलाफ स्टर्लिंग बायोटेक मामले से लेकर मोईन कुरैशी से संबंध के मामले को उछाला था.

👉 अरुण शौरी तथा यशवंत सिन्हा भी साजिश में शामिल!

साथ ही ये बात भी सामने आयी है कि पीएम मोदी के खिलाफ बीजेपी के मौकापरस्त नेताओं अरुण शौरी तथा यशवंत सिन्हा व् वामपंथी वकील प्रशांत भूषन के साथ मिलकर ये धूर्त सीबीआई अधिकारी आलोक वर्मा रफाल डील मामले में साजिश रच रहा था.

इस तिकड़ी ने सीबीआई को लिखी 132 पेज की चिट्ठी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील मामले में इनलोगों की मंशा पर पानी फेर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील की प्रक्रिया पर सुनवाई की बात करते हुए इन लोगों की साजिश का बेड़ा गर्क कर दिया.

👉 कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के समर्थन से सीबीआई में वापसी के जुगाड़ में लगा आलोक वर्मा!

सुप्रीम कोर्ट से लात पड़ने के बाद ही इन लोगों ने आलोक वर्मा के माध्यम से सीबीआई के बहाने इस मसले को उठाने की योजना बनाई. आरोप है कि आलोक वर्मा कांग्रेस और विरोधी पार्टियों के मुखौटा भर रह गए थे. वे मोदी सरकार को 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले गहरे संकट में डालना चाहते थे, ताकि कांग्रेस को राजनीतिक रूप से भी लाभ मिल सके.

छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा अभी भी चुप नहीं बैठे हैं. वह अभी भी अपना पत्ता चल रहे हैं. खबर आ रही है कि ये भ्रष्ट व् मक्कार अफसर अब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के समर्थन से दोबारा अपना ओहदा पाने के फिराक में है. दरअसल वे पीएमओ (भास्कर खुलबे और पीके मिश्रा) से टकराने का मन बना चुके हैं. जिस प्रकार दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय (राजेंद्र कुमार) पर रेड डाला गया था. उनकी योजना पीएमओ में रेड डालने की थी.

कुल मिलाकर पीएम मोदी के खिलाफ षड्यंत्र किये जा रहे हैं. किसी तरह से उन्हें बदनाम कर दिया जाए या फिर उनकी ह्त्या करवा दी जाए ताकि कांग्रेस सत्ता में वापसी कर सके क्योकि कांग्रेस राज में भ्रष्टाचार व् लूट करना ऐसे अधिकारियों के लिए भी आसान रहता है.

Courtesy : DDBharat

सोमवार, 22 अक्तूबर 2018

शरद पूर्णिमा - हजार काम छोड़कर 15 मिनट चन्द्रमा को एकटक निहारना

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अमृत बरसाने वाला त्यौहार : शरद पूर्णिमा.......

दूधिया रौशनी का अमृत बरसाने वाला त्यौहार शरद पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है हिन्दू धर्मावलम्बी इस पर्व को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के रूप में भी मनाते हैं ज्योतिषों के मतानुसार पूरे साल भर में केवल इसी दिन भगवान 'चंद्रदेव' अपनी सोलह कलाओं के साथ परिपूर्ण होते हैं | हिन्दू धर्मशास्त्र में वर्णित कथाओं के अनुसार देवी देवताओं के अत्यंत प्रिय पुष्प 'ब्रह्मकमल' केवल इसी रात में खिलता है इस रात इस पुष्प से मां लक्ष्मी की पूजा करने से भक्त को माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है

कहते हैं इसी मनमोहक रात्रि पर भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के संग महारास रचाया था
शरद पूर्णिमा के सम्बन्ध में एक दंतकथा अत्यंत प्रचलित है कथानुसार एक साहूकार की दो बेटियां थी और दोनों पूर्णिमा का व्रत रखती थी, लेकिन बड़ी बेटी ने विधिपूर्वक व्रत को पूर्ण किया और छोटी ने व्रत को अधूरा ही छोड़ दिया फलस्वरूप छोटी लड़की के बच्चे जन्म लेते ही मर जाते थे एक बार बड़ी लड़की के पुण्य स्पर्श से उसका बालक जीवित हो गया और उसी दिन से यह व्रत विधिपूर्वक पूर्ण रूप से मनाया जाने लगा इस दिन व्रती को जितेन्द्रय भाव से रहना चाहिए और हाथ में गेंहू लेकर इस पुण्यशाली व्रत की कथा सुननी चाहिए इस दिन शिव-पार्वती, कार्तिक और महालक्ष्मी की पूजा की जाती है, मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है |

शरद पूर्णिमा का शास्त्रों में महत्व : 16 कलाओं के चांद वाली पूनम रात.......

शरद पूर्णिमा की रात्रि का विशेष महत्त्व है । इस रात को चन्द्रमा की किरणों से अमृत-तत्त्व बरसता है । चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषकशक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है । आज की रात्रि चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक होता है और उसकी उज्जवल किरणें पेय एवं खाद्य पदार्थों में पड़ती हैं तो उसे खाने वाला व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है । उसका शरीर पुष्ट होता है । भगवान ने भी कहा है -

पुष्णमि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।।
'रसस्वरूप अर्थात् अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात् वनस्पतियों को पुष्ट करता हूँ।' (गीताः15.13)

चन्द्रमा की किरणों से पुष्ट यह खीर पित्तशामक, शीतल, सात्त्विक होने के साथ वर्ष भर प्रसन्नता और आरोग्यता में सहायक सिद्ध होती है । इससे चित्त को शांति मिलती है और साथ ही पित्तजनित समस्त रोगों का प्रकोप भी शांत होता है ।

आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाये तो चन्द्र का मतलब है, शीतलता । बाहर कितने भी परेशान करने वाले प्रसंग आयें लेकिन आपके दिल में कोई फरियाद न उठे । आप भीतर से ऐसे पुष्ट हों कि बाहर की छोटी मोटी मुसीबतें आपको परेशान न कर सकें ।

इस रात को हजार काम छोड़कर 15 मिनट चन्द्रमा को एकटक निहारना । एक आध मिनट आँखें पटपटाना । कम से कम 15 मिनट चन्द्रमा की किरणों का फायदा लेना, ज्यादा करो तो हरकत नहीं । इससे 32 प्रकार की पित्त संबंधी बीमारियों में लाभ होगा, शांति होगी और फिर ऐसा आसन बिछाना जो विद्युत का कुचालक हो, चाहे छत पर चाहे मैदान में । चन्द्रमा की तरफ देखते-देखते अगर मौज पड़े तो आप लेट भी हो सकते हैं । श्वासोच्छवास के साथ भगवन्नाम और शांति को भरते जायें, निःसंकल्प नारायण में विश्रान्ति पायें । ऐसा करते-करते आप विश्रान्ति योग में चले जाना । विश्रांति योग.... भगवदयोग.... अंतरंग जप करते हुए अपने चित्त को शांत, मधुमय, आनंदमय, सुखमय बनाते जाना । हृदय से जपना प्रीतिपूर्वक, आपको बहुत लाभ होगा ।

जिनको नेत्रज्योति बढ़ानी हो, वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें । जिनको दमे की बीमारी हो, वे नजदीक के किसी आश्रम या समिति से सम्पर्क के साथ लेना । दमा मिटाने वाली बूटी निःशुल्क मिलती है, उसे खीर में डाल देना । जिसको दमा है वह बूटी वाली खीर खाये और घूमे, सोये नहीं, इससे दमे में आराम होता है ।

पौराणिक मान्यताएं एवं शरद ऋतु, पूर्णाकार चंद्रमा, संसार भर में उत्सव का माहौल । इन सबके संयुक्त रूप का यदि कोई नाम या पर्व है तो वह है 'शरद-पूनम' । वह दिन जब इंतजार होता है रात्रि के उस पहर का जिसमें 16 कलाओं से युक्त चंद्रमा अमृत की वर्षा धरती पर करता है । वर्षा ऋतु की जरावस्था और शरद ऋतु के बाल रूप का यह सुंदर संजोग हर किसी का मन मोह लेता है । प्राचीन काल से शरद पूर्णिमा को बेहद महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है । शरद पूर्णिमा से हेमंत ऋतु की शुरुआत होती है । इसके महत्व और उल्लास के तौर-तरीकों का महत्व शास्त्रों में भी वर्णित है । इस रात्रि को चंद्रमा अपनी समस्त कलाओं के साथ होता है और धरती पर अमृत वर्षा करता है । रात्रि 12 बजे होने वाली इस अमृत वर्षा का लाभ मानव को मिले इसी उद्देश्य से चंद्रोदय के वक्त गगन तले खीर या दूध रखा जाता है, जिसका सेवन रात्रि 12 बजे बाद किया जाता है । मान्यता तो यह भी है कि इस तरह रोगी रोगमुक्त भी होता है । इसके अलावा खीर देवताओं का प्रिय भोजन भी है ।

शरद पूर्णिमा को कोजागौरी लोक्खी (देवी लक्ष्मी) की पूजा की जाती है । चाहे पूर्णिमा किसी भी वक्त प्रारंभ हो पर पूजा दोपहर 12 बजे बाद ही शुभ मुहूर्त में होती है । पूजा में लक्ष्मीजी की प्रतिमा के अलावा कलश, धूप, दुर्वा, कमल का पुष्प, हर्तकी, कौड़ी, आरी (छोटा सूपड़ा), धान, सिंदूर व नारियल के लड्डू प्रमुख होते हैं । जहां तक बात पूजन विधि की है तो इसमें रंगोली और उल्लू ध्वनि का विशेष स्थान है । इस प्रकार प्रतिवर्ष किया जाने वाला यह कोजागर व्रत लक्ष्मीजी को संतुष्ट करने वाला है । इससे प्रसन्न हुईं माँ लक्ष्मी इस लोक में तो समृद्धि देती ही हैं और शरीर का अंत होने पर परलोक में भी सद्गति प्रदान करती हैं ।

इस रात्रि में ध्यान-भजन, सत्संग, कीर्तन, चन्द्रदर्शन आदि शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यन्त लाभदायक है।
शरद पूर्णिमा कब मनाई जाती है?
अश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. इस बार शरद पूर्णिमा 24 अक्‍टूबर को है.

शरद पूर्णिमा का महत्‍व
शरद पूर्णिमा का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है. मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शरद पूर्णिमा को 'कोजागर पूर्णिमा' (Kojagara Purnima) और 'रास पूर्णिमा' (Raas Purnima) के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत को 'कौमुदी व्रत' (Kamudi Vrat) भी कहा जाता है. मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. कहा जाता है कि जो विवाहित स्त्रियां इसका व्रत करती हैं उन्‍हें संतान की प्राप्‍ति होती है. जो माताएं इस व्रत को रखती हैं उनके बच्‍चे दीर्घायु होते हैं. वहीं, अगर कुंवारी कन्‍याएं यह व्रत रखें तो उन्‍हें मनवांछित पति मिलता है. शरद पूर्णिमा का चमकीला चांद और साफ आसमान मॉनसून के पूरी तरह चले जाने का प्रतीक है. मान्‍यता है कि इस दिन आसमान से अमृत बरसता है. माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा के प्रकाश में औषधिय गुण मौजूद रहते हैं जिनमें कई असाध्‍य रोगों को दूर करने की शक्ति होती है.

शरद पूर्णिमा की तिथ‍ि और शुभ मुहूर्त
चंद्रोदय का समय: 23 अक्‍टूबर 2018 की शाम 05 बजकर 20 मिनट
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 23 अक्‍टूबर 2018 की रात 10 बजकर 36 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्‍त: 24 अक्‍टूबर की रात 10 बजकर 14 मिनट

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि
- शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद व्रत का संकल्‍प लें.
- घर के मंदिर में घी का दीपक जलाएं
- इसके बाद ईष्‍ट देवता की पूजा करें.
- फिर भगवान इंद्र और माता लक्ष्‍मी की पूजा की जाती है.
- अब धूप-बत्ती से आरती उतारें.
- संध्‍या के समय लक्ष्‍मी जी की पूजा करें और आरती उतारें.
- अब चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर प्रसाद चढ़ाएं और आारती करें.
- अब उपवास खोल लें.
- रात 12 बजे के बाद अपने परिजनों में खीर का प्रसाद बांटें.

शरद पूर्णिमा के दिन खीर कैसे बनाएं?
शरद पूर्णिमा के दिन खीर का विशेष महत्‍व है. मान्‍यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं ये युक्‍त होकर रात 12 बजे धरती पर अमृत की वर्षा करता है. शरद पूर्णिमा के दिन श्रद्धा भाव से खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखी जाती है और फिर उसका प्रसाद वितरण किया जाता है. इस दिन चंद्रोदय के समय आकाश के नीचे खीर बनाकर रखी जाती है. इस खीर को 12 बजे के बाद खाया जाता है. आप शरद पूर्णिमा की खीर इस तरह बना सकते हैं:
- एक मोटे तले वाले बर्तन में दूध गर्म करें. जब दूध घटकर तीन चौथाई रह जाए तब उसमें थोड़े से चावल डालें.
- अब करछी से दूध को हिलाते रहें ताकि चावल नीचे न लग पाएं.
- जब चावल अच्‍छी तरह पक जाएं तब स्‍वादानुसार चीनी डालें.
- करछी से खीर हिलाने के बाद अब इसमें कुटी हुई हरी इलायची या इलायची पाउडर डालें.
- अब काजू, बादाम, किशमिश, चिरौंजी और पिस्‍ते कूटकर डालें. साथ ही केसर भी डालें.
- खीर को अच्‍छी तरह मिलाएं. अगर खीर गाढ़ी हो गई हो तो गैस बंद कर दें.
- खीर को बारीक कटे काजू-बादाम से सजाकर परोसें.

शरदपूर्णिमा का महत्व व् पूजन की पूरी विधि
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा के नाम से प्रसिद्घ है। इस पूर्णिमा से सर्दी आरम्भ हो जाती है, इसी कारण इसका नाम शरद पूर्णिमा पड़ा। वैसे तो इस पूर्णिमा को रास पूर्णिमा, कौमुदी पूर्णिमा तथा कोजागर पूर्णिमाभी कहा जाता है। शास्त्रानुसार भगवान श्री कृष्ण ने इसी पूर्णिमा की रात को गोपियों के साथ महारास रचाई थी इसलिए यह पूर्णिमा रास पूर्णिमा के रुप में भी जानी जाती है।

क्या है महत्व?
कहते हैं कि चन्द्रमा की 16 कलाएं हैं तथा इस पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है तथा उसकी चांदनी से अमृत बरसता है। उस अमृत का लाभ पाने के लिए चांद की चांदनी में खीर तैयार की जाती है तथा उसमें चन्द्रमा की चांदनी का अमृत पडऩे से वह प्रसाद बन जाता है। वैसे तो हर मास पूर्णिमा आती है तथा मंदिरों में इस दिन रात्रि संकीर्तन होता है परंतु शरद पूर्णिमा को विशेष उत्सव होते हैं तथा अमृतमय खीर का प्रसाद अगले दिन प्रात:भक्तों में बांटा जाता है। माना जाता है कि जब चन्द्रमा अपनी आलौकिक किरणें बिखेरता है तो इस शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी जी का आगमन होता है। इस रोज लक्ष्मी जी के पूजन का विशेष महत्व है। मान्यता है की इस रात जो भक्त प्रेम और श्रद्धा से मां को अपने घर आने का न्यौता देता है, वह उसके आशियाने में जरूर आती हैं। लक्ष्मी जी के स्वागत के लिए सुन्दर रंगोली सजाने का भी विधान है।

कैसे हुई चांद की उत्पत्ति?
पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु जी के नाभि कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई तथा ब्रह्मा जी के पुत्र अत्रि मुनि के नेत्रों से चन्द्रमा की उत्पत्ति हुई थी तथा व्रह्मा जी ने चन्द्रमा को संसार में उपलब्ध समस्त औषधियों और नक्षत्रों का स्वामित्व प्रदान किया। प्रभु नाम से जैसे जीव के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं उसी तरह चन्द्रमा की शीतल चांदनी संसार की समस्त वनस्पतियों में जीवन प्रदायिनी औषधि का निर्माण करती है। शरद पूर्णिमा की किरणों से अनेक रोगों की विशेष औषधियां तैयार की जाती हैं। आयुर्वेद के अनुसार जिस खीर में चांद की छिटकती चांदनी की किरणें पड़ जाती हैं वह अमृत से कम नहीं होती, उसे खाने से अनेक मानसिक एवं असाध्य रोगों का निवारण हो जाता है। इसी रात्रि को अनेक आयुर्वैदिक औषधियां भी तैयार की जाती है।

किसका कैसे करें पूजन?
इस दिन महिलाएं अपने घर की सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। वह प्रात: नहा धोकर धूप, दीप, नैवेद्य, फल और फूलों से भगवान विष्णु और श्री सत्यनारायण भगवान का पूजन करके व्रत रखती हैं। जल के पात्र को भरकर तथा हाथ में 13 दाने गेहूं के लेकर मन में शुद्घ भावना से संकल्प करके पानी में डालती हैं रात को चांद निकलने पर उसी जल से अर्घ्य देकर व्रत पूरा करती हैं। पूजा में कमल के फूल शुभ हैं तथा नारियल के लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि रात को राजा इन्द्र अपने एरावत हाथी पर सवार होकर निकलते हैं इसलिए रात को मंदिर में अधिक से अधिक दीपक जलाने चाहिए तथा श्रीमहालक्ष्मी जी का पूजन, जागरण तथा लक्ष्मीं स्रोत का पाठ करना चाहिए।

क्या है पुण्य फल?
व्रत के प्रभाव से इस दिन किया गया कोई भी अनुष्ठान निर्विध्न सम्पन्न होता है तथा जिसने विवाह के उपरांत पूर्णिमा के व्रत आरम्भ करने हो वह इसी दिन से उनकी शुरुआत कर सकता है। इस व्रत से घर में सुख-सम्पत्ति आती है तथा सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। जिन कन्याओं ने 25 पुण्यां (पूर्णिमा) व्रत करने होते हैं वह यदि इस पूर्णिमा से व्रत करें तो अति उत्तम है।

शरद पूर्णिमा से जुड़ी मान्‍यताएं
- शरद पूर्णिम को 'कोजागर पूर्णिमा' कहा जाता है. मान्‍यता है कि इस दिन धन की देवी लक्ष्‍मी रात के समय आकाश में विचरण करते हुए कहती हैं, 'को जाग्रति'. संस्‍कृत में को जाग्रति का मतलब है कि 'कौन जगा हुआ है?' कहा जाता है कि जो भी व्‍यक्ति शरद पूर्णिमा के दिन रात में जगा होता है मां लक्ष्‍मी उन्‍हें उपहार देती हैं.
- श्रीमद्भगवद्गीता के मुताबिक शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्‍ण ने ऐसी बांसुरी बजाई कि उसकी जादुई ध्‍वनि से सम्‍मोहित होकर वृंदावन की गोपियां उनकी ओर खिंची चली आईं. ऐसा माना जाता है कि कृष्‍ण ने उस रात हर गोपी के लिए एक कृष्‍ण बनाया. पूरी रात कृष्‍ण गोपियों के साथ नाचते रहे, जिसे 'महारास' कहा जाता है. मान्‍यता है कि कृष्‍ण ने अपनी शक्ति के बल पर उस रात को भगवान ब्रह्म की एक रात जितना लंबा कर दिया. ब्रह्मा की एक रात का मतलब मनुष्‍य की करोड़ों रातों के बराबर होता है.
- माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्‍मी का जन्‍म हुआ था. इस वजह से देश के कई हिस्‍सों में इस दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा की जाती है, जिसे 'कोजागरी लक्ष्‍मी पूजा' के नाम से जाना जाता है.
- ओड‍िशा में शरद पूर्णिमा को 'कुमार पूर्णिमा' कहते हैं. इस दिन कुंवारी लड़कियां सुयोग्‍य वर के लिए भगवान कार्तिकेय की पूजा करती हैं. लड़कियां सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद सूर्य को भोग लगाती हैं और दिन भर व्रत रखती हैं. शाम के समय चंद्रमा की पूजा करने के बाद अपना व्रत खोलती हैं.

शरद पूर्णिमा व्रत कथा
पौराणिक मान्‍यता के अनुसार एक साहुकार की दो बेटियां थीं. वैसे तो दोनों बेटियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं, लेकिन छोटी बेटी व्रत अधूरा करती थी. इसका परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी. उसने पंडितों से इसका कारण पूछा तो उन्‍होंने बताया, ''तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थीं, जिसके कारण तुम्‍हारी संतानें पैदा होते ही मर जाती हैं. पूर्णिमा का व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्‍हारी संतानें जीवित रह सकती हैं.''

उसने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया. बाद में उसे एक लड़का पैदा हुआ, जो कुछ दिनों बाद ही मर गया. उसने लड़के को एक पीढ़े पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढक दिया. फिर बड़ी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया. बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी तो उसका घाघरा बच्चे का छू गया. बच्चा घाघरा छूते ही रोने लगा. तब बड़ी बहन ने कहा, "तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी. मेरे बैठने से यह मर जाता." तब छोटी बहन बोली, "यह तो पहले से मरा हुआ था. तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है. तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है."

उसके बाद नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया.

शनिवार, 20 अक्तूबर 2018

त्रिया चरित्रं, पुरुषस्य भाग्यम देवो न जानाति, कुतो मनुष्य:

“पुरुष का चरित्र और नारी का सौभाग्य”

इस देश में “त्रिया चरित्र” बहुत प्रसिद्धि है, यह शब्द महाभारत के एक श्लोक से आया है, जिसकी अर्धाली मेरे देश में बहुत प्रचलित है।

त्रिया चरित्रं, पुरुषस्य भाग्यम देवो न जानाति, कुतो मनुष्य:

अर्थात स्त्री का चरित्र और पुरुष का भाग्य देवता भी नहीं जानते, मनुष्य कैसे जान सकता है?, पर पूरा श्लोक निम्नवत है।

नृपस्य चित्तं, कृपणस्य वित्तम; मनोरथाः दुर्जनमानवानाम्।
त्रिया चरित्रं, पुरुषस्य भाग्यम; देवो न जानाति कुतो मनुष्यः।।

'राजा का चित्त, कंजूस का धन, दुर्जनों का मनोरथ, पुरुष का भाग्य और स्त्रियों का चरित्र देवता तक नहीं जान पाते तो मनुष्यों की तो बात ही क्या है?'

पर हमने कभी पुरुष के चरित्र पर अंगुली नहीं उठाई,पुरुष, त्रिया चरित्र से भी १०० कदम आगे है, यदि एक स्त्री एक ही समय किसी से बात करती, किसी के बारे में सोचती और किसी से प्यार करती तो पुरुष अपने शरीर की काम वासना की तृप्ति हेतु १०० भिन्न स्त्रियों के साथ संसर्ग करने के लिए श्वानवत यत्र-तत्र विचरण करता रहता है, तभी तो पाणिनि ने श्वान, युवा और इंद्र को एक ही तराजू में तौल दिया।

एक कहावत है न अपना बच्चा और दूसरे की स्त्री,हर इंसान को अच्छी लगती। यह कहावतें ऐसी ही नहीं बन गयीं- बहुत से केस स्टडी कर के हमारे ब्रह्मरत ऋषियों ने कोई श्लोक लिखा और वह श्लोक ही लोकभाषा में कहावतें बन गयीं,जो आज भी सत्य की कसौटी पर परीक्षित होकर स्वर्णवत् प्रकाशमान हैं।

अतः पुरुष का चरित्रवान होना बहुत आवश्यक है, मैंने बचपन में एक कहानी सुनी थी.. एक स्त्री ने अपने पति से पूछा, मुझे कैसे विश्वास हो कि तुम हमारे प्रति वफादार हो? उस युवक ने कहा, यदि मैंने किसी दूसरी स्त्री पर आज तक गलत निगाह नहीं डाली होगी तो कोई तुम्हारे बारे में भी गलत नहीं सोचेगा। स्त्री ने पति की परीक्षा हेतु एक दिन भीड़ में एक किशोर का हाथ पकड़ा.. किशोर बोला, क्या है माता जी?, दूसरे किसी दिन एक युवक का हाथ पकड़ा... युवक बोला,बहिन जी कोई परेशान कर रहा क्या?, तीसरे अवसर पर एक वृद्ध का सहारा लिया, बृद्ध बोला.. बेटी तू क्यों दुःखी है? तब उसे विश्वास हुआ, हमारा पति उच्च आचरण का है।

अतः सामाजिक परिवेश में सद आचरण करने का उत्तरदायित्व प्रत्येक जीव का है, तभी हमारी नारियां भी सावित्री जैसी सौभाग्यशालिनी होंगी, जिसने अपने आचरण से पिता और पति दोनों कुलों के सारे कष्ट अपनी तपस्या की अग्नि में भष्म कर दिए। कोई विदेहकन्या ही सीता रूप में अपने पति का वनवास काल में अनुसरण कर सकती है, जिसके ऐसे आचरण से उसका पिता भी अपने को गौरान्वित महसूस कर के- ”पुत्रि पवित्र किये कुल दोउ” का उद्घोष करेगा और पुत्रि के तपस्वी वेश को भी अपना गौरव समझेगा।

ऐसी नारियों का सौभाग्य और सद्चरित्र कर्मठ पुरुषों का पौरुष ही हमारे देश का स्वर्णिम भविष्य है

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