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सोमवार, 5 नवंबर 2018

दिवाली 2018 7 नवंबर लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 17:57 से 19:53

  • दिवाली पर्व तिथि व मुहूर्त 2018

    दिवाली 2018
    7 नवंबर
    लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 17:57 से 19:53
    प्रदोष काल- 17:27 से 20:06
    वृषभ काल- 17:57 से 19:53
    अमावस्या तिथि आरंभ- 22:27 (06 नवंबर)
    अमावस्या तिथि समाप्त- 21:31 (07 नवंबर)

     लक्ष्मी पूजन करना अति शुभफलदाई होगा और मनवांछित फलों की प्राप्ति होगी। घर में कुछ ऐसी तैयारियां हैं जो दीपावली से पूर्व की जाती हैं जिससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। आप भी शुभ दीवाली मनाना चाहते हैं तो यूं करें मां लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी -

    - दीपावली की साफ-सफाई करते समय जल को व्यर्थ न बहाएं क्योंकि जल लक्ष्मी का रूप हाेता है इसलिए पानी काे गंदा करना या बेमतलब बहाना इसका सीधा अर्थ लक्ष्मी काे ठाेकर मारना है इसलिए जहां भी पानी टपकता देखें उसे यथासंभव बंद करवाएं आपकाे धन लाभ हाेगा।

    - दीपावली से कुछ दिन पूर्व घर की दहलीज में चांदी की तार अवश्य डलवाएं। यह आपकाे सफलता की आेर अग्रसर करेगी।

    - वास्तु सिद्धांत के अनुसार दीपावली पर अपने घर की 27 चीजाें का स्थान परिवर्तन अवश्य करें। इसका उद्देश्य आपके जीवन में आई हुई रूकावटाें काे दूर करना है आैर कमाल की बात है कि हमारे नक्षत्राें की गिनती भी 27 ही हाेती है। यदि आप घर के बर्तन काे उठाकर दूसरी जगह पर रखते हैे ताे उसे भी स्थान परिवर्तन ही माना जाता है। इस तरह 27 वस्तुआें का स्थानातरण करके अपने रूके हुए जीवन काे प्रगतिशील बनाया जा सकता है।

    - वास्तु के हिसाब से घर में कम से कम 3 दिन की सफाई जरूरी है एक दिन दीपावली से पहले, दीपावली के दिन तथा काली चाैदस यानि दीपावली के दूसरे दिन। सफाई करते समय सेंधा नमक पानी में डाल कर पोछा लगाएं तथा घर के प्रत्येक काेने में नमक मिले पानी से साफ-सफाई करें ताकि घर में आने वाली नकारात्मक ऊर्जा काे खत्म किया जा सकें।

    - घर के मुुख्य प्रवेश द्वार पर लाल रंग के सिंदूर से स्वास्तिक का चिन्ह आगे व पीछे दाेनाें तरफ बनाएं ताकि आने आैर जाने वाले दाेनाें काे गणेश भगवान जी का आशीर्वाद मिले। सुख एवं समृद्धि का प्रवेश हाे एवं दुख आैर दरिद्रता घर से बाहर प्रस्थान करें।

    - रंग-बिरंगी रंगाेली से घर को सजाने के लिए पहले ही रंग बना कर रख लें और उन्हें अच्छी धूप दिखाएं। रंगोली से मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए उनके चरणाें का स्वरूप इस तरह बनाएं कि वाे घर में आ रहे हाें।

    - आम के पत्ताें का बंधन बना कर मुख्य द्वार पर लगाएं।

    - घर के उत्तर तथा पूर्व की दिशा काे गंगा जल डालकर शुद्ध करें। गणेश जीे का श्री स्वरूप माता लक्ष्मी के दाहिनें तरफ रखें। दाेनाें स्वरूप बैठने की मुद्रा में हाेने चाहिए।

    - विद्युतीय प्रकाश (electronics lights) के स्थान पर प्राकृतिक राेशनी उपयाेग करें। यह वातावरण काे भी स्वच्छ रखेगी तथा कम खर्चे में आपके घर की शाेभा भी बढ़ाएगी। शास्त्रों में दीवाली के शुभ अवसर पर घी के दीए जलाने का वर्णन किया गया है। यदि आपकी सामर्थ्य न हो तो तेल के दीए जलाना भी लाभकारी एवं शुभ होता है। घर के बाहर तथा घर के भीतर चार काेनाें वाला दीया अवश्य जगाएं। राेशनी की ये चार लाै माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर देवता एवं इन्द्र देवता का प्रतीक मानी गई है।

    - दीपावली के दिन पीपल का पेड़़ (घर काे छाेड़ कर कहीं आेर) लगाने से साै गाय दान करने के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है तथा इससे वातावरण भी स्वच्छ हाेता है।

    उपर्युक्त लिखे वास्तु ज्याेतिष आधारित तरीकाें से दीपावली के इस पावन पर्व का स्वागत कीजिए तथा बड़े प्रेम एवं श्रद्धा भाव से इस पर्व काे सबके साथ मिल-बांट कर मनाएं। पुराने गिले-शिकवाें काे भूले आैर कुछ समय भगवान की पूजा-अर्चना एवं ध्यान में गुजारें। फिर देखिएगा कैसे आपका जीवन नई उमंगाें एवं खुशियाें से भर जाएगा आैर हाे जाएगा आपका सच्चा भाग्य-परिवर्तन।
    यह आपको कैसा लगा अबश्य बताएं और अपने परिचित बंधुओं ,मित्रों को शेयर करे

शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

काली हल्‍दी के टोटके खाली नहीं जाते

काली हल्‍दी के टोटके खाली नहीं जाते
इस धरती पर प्रकृति ने जो कुछ भी उत्पन्न किया है, वह बेवजह नहीं है। बहुत सी वस्तुएं है, जिनके बारे में अज्ञान हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी ही दुर्लभ वस्तुओं में से एक काली हल्दी के बारे में बतायेंगे जिसे आप-अपने जीवन में उपयोग करके अनेक प्रकार की समस्याओं से निजात पाकर सुखद एंव समृद्धिदायक जीवन व्यतीत कर सकेंगे। खास बात यह है कि काली हल्‍दी से जुड़े टोटके जल्‍दी खाली नहीं जाते हैं।
हल्दी को मसाले के रूप में भारत में बहुत प्राचीन समय से उपयोग में लाया जा रहा है। पीली हल्दी को बहुत शुद्ध माना जाता है इसलिए इसका उपयोग पूजा में भी किया जाता है।। हल्दी की अनेक प्रजातियां हैं लेकिन पीली हल्दी के अलावा काली हल्दी से पूजा की जाती है तंत्र की दुनियां में काली हल्दी का प्रयोग विभिन्न तरह के टोटको में किया जाता है। काली हल्दी को धन व बुद्धि का कारक माना जाता है। काली हल्दी का सेवन तो नहीं किया जाता लेकिन इसे तंत्र के हिसाब से बहुत पूज्यनीय और उपयोगी माना जाती है। अनेक तरह के बुरे प्रभाव को कम करने का काम करती है। नीचे लिखे इसके कुछ उपायों को अपनाकर आप भी जिन्दगी से कई तरह के दुष्प्रभावों को मिटा सकते हैं।

काली हल्दी बड़े काम की है। वैसे तो काली हल्दी का मिल पाना थोड़ा मुश्किल है, किन्तु फिर भी यह पन्सारी की दुकानों में मिल जाती है। यह हल्दी काफी उपयोगी और लाभकारक है।

काली हल्दी से भी होता है वशीकरण
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- काली हल्दी के 7 से 9 दाने बनायें। उन्हे धागे में पिरोकर धुप, गूगल और लोबान से शोधन करने के बाद पहन लें। जो भी व्यक्ति इस तरह की माला पहनता है वह ग्रहों के दुष्प्रभावों से व टोने- टोटके व नजर के प्रभाव से सुरक्षित रहता है।

- गुरुपुष्य-योग में काली हल्दी को सिंदूर में रखकर धुप देने के बाद लाल कपड़े में लपेटकर एक दो सिक्को के साथ उसे बक्से में रख दें। इसके प्रभाव से धन की वृद्धि होने लगती है।

- काली हल्दी का चुर्ण दूध में डालकर चेहरे और शरीर पर लेप करने से त्वचा में निखार आ जाता है।

- यदि आप किसी भी नए कार्य के लिए जा रहे है तो काली हल्दी का टीका लगाकर जाएं। यह टीका वशीकरण का कार्य करता है। काली हल्दी को तंत्र के अनुसार वशीकरण के लिए जबरदस्त माना जाता है। यदि आप भी चाहते हैं कि आप किसी को वश में कर पाएं तो काली हल्दी का तिलक एक सरल तंत्रोक्त उपाय है।
1- यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरन्तर अस्वस्थ्य रहता है, तो प्रथम गुरूवार को आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चीने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी को दबाकर रोगी व्यक्ति के उपर से 7 बार उतार कर गाय को खिला दें। यह उपाय लगातार 3 गुरूवार करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा।

2- यदि किसी व्यक्ति या बच्चे को नजर लग गयी है, तो काले कपड़े में हल्दी को बांधकर 7 बार उपर से उतार कर बहते हुये जल में प्रवाहित कर दें।


3- किसी की जन्मपत्रिका में गुरू और शनि पीडि़त है, तो वह जातक यह उपाय करें- शुक्लपक्ष के प्रथम गुरूवार से नियमित रूप से काली हल्दी पीसकर तिलक लगाने से ये दोनों ग्रह शुभ फल देने लगेंगे।

4- यदि किसी के पास धन आता तो बहुत किन्तु टिकता नहीं है, उन्हे यह उपाय अवश्य करना चाहिए। शुक्लपक्ष के प्रथम शुक्रवार को चांदी की डिब्बी में काली हल्दी, नागकेशर व सिन्दूर को साथ में रखकर मां लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श करवा कर धन रखने के स्थान पर रख दें। यह उपाय करने से धन रूकने लगेगा।

5- यदि आपके व्यवसाय में निरन्तर गिरावट आ रही है, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरूवार को पीले कपड़े में काली हल्दी, 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र, चांदी का सिक्का व 11 अभिमंत्रित धनदायक कौड़ियां बांधकर 108 बार ऊँ नमो भगवते वासुदेव नमः का जाप कर धन रखने के स्थान पर रखने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आ जाती है।

6- यदि आपका व्यवसाय मशीनों से सम्बन्धित है, और आये दिन कोई मॅहगी मशीन आपकी खराब हो जाती है, तो आप काली हल्दी को पीसकर केशर व गंगा जल मिलाकर प्रथम बुधवार को उस मशीन पर स्वास्तिक बना दें। यह उपाय करने से मशीन जल्दी खराब नहीं होगी।

7- दीपावली के दिन पीले वस्त्रों में काली हल्दी के साथ एक चांदी का सिक्का रखकर धन रखने के स्थान पर रख देने से वर्ष भर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

8- यदि कोई व्यक्ति मिर्गी या पागलपन से पीडि़त हो तो किसी अच्छे मूहूर्त में काली हल्दी को कटोरी में रखकर लोबान की धूप दिखाकर शुद्ध करें। तत्पश्चात एक टुकड़ें में छेद कर धागे की मद्द से उसके गले में पहना दें और नियमित रूप से कटोरी की थोड़ी सी हल्दी का चूर्ण ताजे पानी से सेंवन कराते रहें। अवश्य लाभ मिलेगा।

कमल गट्टे से धन. कमलगट्टे की माला

कमल गट्टे से धन. कमलगट्टे की माला
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धन प्राप्ति के लिए किए जाने वाले तंत्र प्रयोगों में कई वस्तुओं का उपयोग किया जाता है, कमल गट्टा भी उन्हीं में से एक है। शत्रुजन्य कष्टों से बचाव हेतु मंत्र जप भी कमल गट्टे की माला से किया जाता है। लक्ष्मीजी के लिए मंत्रोच्चार द्वारा किये जाने वाले हवन में कमलगट्टे के बीजों से आहुति दी जाती है कमल गट्टा कमल के पौधे में से निकलते हैं व काले रंग के होते हैं। यह बाजार में आसानी से मिल जाते हैं। मंत्र जप के लिए इसकी माला भी बनती है।मंत्र जप में जप माला देव शक्ति स्वरूप व जाग्रत मानी जाती है। जिसके लिए अलग-अलग मंत्र जप माला अलग-अलग देव कृपा के लिए प्रभावी मानी गई है। लक्ष्मी जी के मंत्रों एवं धनदायक मंत्रों के जप कमलगट्टे की माला से करते हैं।
ऐश्वर्य की देवी महालक्ष्मी की पूजा न केवल धनवान व समृद्ध बनाती है, बल्कि यश, प्रतिष्ठा के साथ शांति, पवित्रता, शक्ति व बुद्धि भी देने वाली मानी गई है।शुक्रवार को देवी लक्ष्मी की सुबह और शाम दोनों ही वक्त स्नान के बाद यथासंभव लाल वस्त्र पहन लाल पूजा सामग्रियों से पूजा करें। देवी की चांदी या किसी भी धातु की बनी प्रतिमा को दूध, दही, घी, शकर और शहद से बने पंचामृत व पवित्र जल से स्नान कराने के बाद लाल चंदन, कुंकुम, लाल अक्षत, कमल गुलाब या गुड़हल का फूल चढ़ाकर घर में बनी दूध की खीर का भोग लगाएं। पूजा के बाद नीचे लिखे लक्ष्मी मंत्रों में किसी भी एक या दोनों का लाल आसन पर कमलगट्टे की माला से कम से कम 108 बार जप करें-
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं
ॐ ह्रीं श्रीं सौं:
श्रीं ह्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नम:
ॐ महालक्ष्म्यै नमः
- पूजा व मंत्र जप के बाद माता लक्ष्मी की आरती करें, प्रसाद ग्रहण करें व माता को चढ़ाया थोड़ा-सा कुंकुम कागज में बांध तिजोरी मे रखें।

उपाय
1- यदि रोज 108 कमल के बीजों से आहुति दें और ऐसा 21 दिन तक करें तो आने वाली कई पीढिय़ां सम्पन्न बनी रहती हैं।
2- यदि दुकान में कमल गट्टे की माला बिछा कर उसके ऊपर लक्ष्मी का चित्र स्थापित किया जाए व्यापार निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर होता है।
3- कमल गट्टे की माला लक्ष्मी के चित्र पर पहना कर किसी नदी या तालाब में विसर्जित करें तो उसके घर में निरंतर लक्ष्मी का आगमन बना रहता है।
4- जो व्यक्ति प्रत्येक बुधवार को 108 कमलगटटे के बीज लेकर घी के साथ एक-एक करके अग्नि में 108 आहुतियां देता है। उसके घर से दरिद्रता हमेशा के लिए चली जाती है।
5- जो व्यक्ति पूजा-पाठ के दौरान की माला अपने गले में धारण करता है उस पर लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।
6- शुक्रवार, दीपावली, नवरात्रि या किसी देवी उपासना के विशेष दिन कमलगट्टे की माला से अलग-अलग रूपों में लक्ष्मी मंत्र जप देवी लक्ष्मी की कृपा से धन, ऐश्वर्य व यश पाने, कामनासिद्धि व मंत्र सिद्धि का अचूक उपाय माना गया है

धनतेरस के दिन अवश्य खरीदे पीतल के वर्तन

धनतेरस के दिन अवश्य खरीदे पीतल के वर्तन
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धनतेरस के दिन अवश्य खरीदे पीतल के वर्तनसुख.समृद्धि, यश और वैभव का पर्व धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता सुर्यपुत्र यमराज की पूजा का बड़ा महत्व है, हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले इस महापर्व के बारे में पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन देवताओं के वैद्य धनवंतरी ऋषि अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे, जिस कारण इस दिन धनतेरस के साथ.साथ धनवंतरी जयंती भी मनाया जाता है। चूंकि पीतल भगवान धनवंतरी की धातु मानी जाती है, इसलिए इस दिन पीतल खरीदना भी शुभ माना जाता है,

नई चीजों के शुभ कदम के इस पर्व में मुख्य रूप से नए बर्तन या सोना.चांदी खरीदने की परंपरा है, आस्थावान भक्तों के अनुसार चूंकि जन्म के समय धनवंतरी के हाथों में अमृत का कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना अति शुभ होता है। इस दिन घरों को साफ़.सफाई, लीप.पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है। शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है

कहा जाता है कि इसी दिन यमराज से राजा हिम के पुत्र की रक्षा उसकी पत्नी ने किया था। जिस कारण दीपावली से दो दिन पहले मनाए जाने वाले ऐश्वर्य का त्यौहार धनतेरस पर सांयकाल को यमदेव के निमित्त दीपदान किया जाता है, इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है,

मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है

धनतेरस पूजा विधि और मुहूर्त


धनतेरस 2018 – धनतेरस पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

दिवाली भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। दिवाली पर्व का आरंभ धनतेरस से होता है। पांच दिनों तक चलने वाले इस पर्व के पहले दिन धन तेरस मनाया जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरी क्योकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है।  साल 2018 में धनतरेस  5 नवंबर को है। धन तेरस के दिन धन के देवता कुबेर और मृत्यदेव यमराज की पूजा-अर्चना को विशेष महत्त्व दिया जाता है। इस दिन को धनवंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है।


धनतेरस की पौराणिक कथा

यह तिथि विशेष रूप से व्यापारियों के लिए अति शुभ माना जाता है। महर्षि धन्वंतरि को स्वास्थ्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन के समय महर्षि धन्वंतरि अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे। इसीलिए इस दिन बर्तन खरीदने की प्रथा प्रचलित हुई। यह भी माना जाता है कि धनतेरस के शुभावसर पर चल या अचल संपत्ति खरीदने से धन में तेरह गुणा वृद्धि होती है।
एक और कथा के अनुसार एक समय भगवान विष्णु द्वारा श्राप दिए जाने के कारण देवी लक्ष्मी को तेरह वर्षों तक एक किसान के घर पर रहना था। माँ लक्ष्मी के उस किसान के रहने से उसका घर धन-समाप्ति से भरपूर हो गया। तेरह वर्षों उपरान्त जब भगवान विष्णु माँ लक्ष्मी को लेने आए तो किसान ने माँ लक्ष्मी से वहीँ रुक जाने का आग्रह किया। इस पर देवी लक्ष्मी ने कहा किसान से कहा कि कल त्रयोदशी है और अगर वह साफ़-सफाई कर, दीप प्रज्वलित करके उनका आह्वान करेगा तो किसान को धन-वैभव की प्राप्ति होगी। जैसा माँ लक्ष्मी ने कहा, वैसा किसान ने किया और उसे धन-वैभव की प्राप्ति हुई। तब से ही धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन की प्रथा प्रचलित हुई।


धनतेरस पूजा की विधि

धनतेरस की संध्या में यमदेव निमित्त दीपदान किया जाता है। फलस्वरूप उपासक और उसके परिवार को मृत्युदेव यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है। विशेषरूप से यदि गृहलक्ष्मी इस दिन दीपदान करें तो पूरा परिवार स्वस्थ रहता है।
बर्तन खरीदने की परंपरा को पूर्ण अवश्य किया जाना चाहिए। विशेषकर पीतल और चाँदी के बर्तन खरीदे क्योंकि पीतल महर्षि धन्वंतरी का अहम धातु है। इससे घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होती है। व्यापारी इस विशेष दिन में नए बही-खाते खरीदते हैं जिनका पूजन वे दीवाली पर करते हैं।
धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने की भी विशेष परंपरा है। चन्द्रमा का प्रतीक चाँदी मनुष्य को जीवन में शीतलता प्रदान करता है। चूंकि चाँदी कुबेर की धातु है, धनतेरस पर चाँदी खरीदने से घर में यश, कीर्ति, ऐश्वर्य और संपदा की वृद्धि होती है।
संध्या में घर मुख्य द्वार पर और आँगन में दीप प्रज्वलित किए जाते हैं और दीवाली का शुभारंभ होता है।


धनतेरस 2018 क्या है शुभ मुहूर्त



धन तेरस तिथि - 5 नवंबर 2018, सोमवार
धनतेरस पूजन मुर्हुत - 18:05 बजे से 20:01 बजे तक
प्रदोष काल - 17:29 से 20:07 बजे तक
वृषभ काल - 18:05 से 20:01 बजे तक
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - 01:24 बजे, 5 नवंबर 2018
त्रयोदशी तिथि समाप्त - 23:46 बजे, 5 नवंबर 2018

धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यानि तेरस के दिन मनाया जाने वाला बहुत ही खास त्यौहार है दरअसल इस दिन से ही दिवाली के त्यौहारों की शुरुआत होती है। भगवान धन्वंतरि को इस त्यौहार का देवता मानते हैं क्योंकि वह इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे जिसका पान कर देवता अमर हुए। लेकिन इस दिन धनादि देव कुबेर और समृद्धि प्रदान करने वाली माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। माता लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है इस बारे में एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है।

पौराणिक कथा

माता लक्ष्मी की विशेष पूजा तो वैसे दिवाली के दिन की जाती है लेकिन धनतेरस पर माता लक्ष्मी की पूजा करने के पिछे भी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कथा कुछ यूं है कि एक बार भगवान विष्णु मृत्युलोक यानि भूलोक में गमन करने के लिये निकल पड़े। माता लक्ष्मी ने भी निवेदन किया कि वह भी उनके साथ आना चाहती हैं। भगवान विष्णु उनके स्वभाव से परिचित थे इसलिये पहले ही उन्हें आगाह किया कि मैं आपको एक ही शर्त पर साथ लेकर चल सकता हूं। माता लक्ष्मी मन ही मन बहुत खुश हुई कि चलो सशर्त ही सही भगवन साथ ले जाने के लिये तो माने। माता फटाक से बोली मुझे सारी शर्तें मंजूर हैं। भगवान विष्णु ने कहा जो मैं कहूं जैसा मैं कहूं आपको वैसा ही करना होगा। माता बोली ठीक है आप जैसा कहेंगें मैं वैसा ही करूंगी। दोनों भू लोक पर आकर विचरण करने लगे। एक जगह रुककर श्री हरि ने माता से कहा कि मैं दक्षिण दिशा की तरफ जा रहा हूं। आपको यहीं पर मेरा इंतजार करना होगा। यह कहकर भगवान विष्णु दक्षिण दिशा की तरफ बढ़ गये। अब माता को जिज्ञासा हुई कि दक्षिण दिशा में ऐसा क्या है जो भगवान मुझे वहां नहीं ले जाना चाहते। माता का स्वभाव तो वैसे भी चंचल ही माना जाता है। उनसे वहां पर ज्यादा देर नहीं रुका गया और वे भगवान विष्णु की तरफ ही बढ़ने लगी। आगे जाकर माता को सरसों का खेत दिखाई देता है। उसकी सुंदरता ने माता का मन मोह लिया। वे फूलों को तोड़कर अपना श्रृंगार करने लगीं। इसके बाद वे कुछ ही दूर आगे बढ़ी थी कि गन्ने के खेत उन्हें दिखाई दिये। उन्हें गन्ना चूसने की इच्छा हुई तो गन्ने तोड़कर उन्हें चूसने लगीं ही थी कि भगवान विष्णु वापस आते हुए दिखाई दे जाते हैं। सरसों के फूलों से सजी माता लक्ष्मी को गन्ना चूसते हुए देखकर भगवान विष्णु उन पर क्रोधित हो गये। भगवान ने कहा कि आपने शर्त का उल्लंघन किया है। मैनें आपको वहां रूकने के लिये कहा था लेकिन आप नहीं रूकी और यहां किसान के खेतों से फूल व गन्ने तोड़कर आपने अपराध किया है। इसकी सजा आपको मिलेगी। भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को 12 वर्ष तक किसान की सेवा करने का शाप दे दिया और स्वंय क्षीरसागर गमन कर गये।
अब विवश माता लक्ष्मी को किसान के घर रहना पड़ा। एक दिन माता लक्ष्मी ने किसान की पत्नी को देवी लक्ष्मी की प्रतिमा की पूजा करने की कही और कहा इससे तुम जो भी मांगोगी तुम्हें मिलेगा। कृषक की पत्नी ने वैसा ही किया। कुछ ही दिनों में उनका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया। हंसी खुशी समृद्धि में 12 साल का समय बीत गया। जब भगवान विष्णु माता लक्ष्मी को लेने के लिये आये तो किसान ने माता को न जाने देने का हठ किया। इस पर माता लक्ष्मी ने कहा कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की तेरस की दिन यदि वह विधिपूर्वक मेरी पूजा करे तो वह उसके घर से नहीं जायेंगी। लेकिन वह इस दौरान उन्हें दिखाई नहीं देंगी। वह एक कलश की स्थापना करे और उसमें कुछ धन रखे वह धन उन्हीं यानि लक्ष्मी का रूप ही होगा। इस प्रकार तेरस के दिन किसान ने माता के बताये अनुसार ही पूजा कर कलश स्थापना की और किसान का घर धन-धान्य से पूर्ण रहने लगा। तब से लेकर आज तक धनतेरस पर माता लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा भी चली आ रही है।
आप पर भी मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहे आप सबको धनतेरस के त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाएं

गुरुवार, 1 नवंबर 2018

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पुलिस पब्लिक रीलेशनशिप सेमिनार " पुलिस बिन एक दिन" का आयोजन 22 सितम्बर को सूचना केंद्र में किया गया

जोधपुर|

समाज मे पुलिस के महत्व ओर आम जनता के प्रति एक दूसरे के कर्तव्यों को रेखांकित करते हुए पुलिस पब्लिक प्रेस
द्वारा आयोजित पुलिस पब्लिक रीलेशनशिप सेमिनार " पुलिस बिन एक दिन" का आयोजन 22 सितम्बर को सूचना केंद्र में किया गया,
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि पूर्व न्यायाधिपति श्री गोपाल कृष्ण व्यास, महिला आयोग की सदस्या डॉ. नीलम मूँदड़ा की अध्यक्षता मे, एडीशनल एसपी (ग्रामीण) श्री खिंवसिंह जी भाटी, एडीशनल डीसीपी श्रीमती सीमा हिंगोनिया, एडीशनल डीसीपी (यातायात) श्रीमती निर्मला विश्नोई जी, डीएसपी श्री नरेंद्र चौधरी, बार कॉउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष श्री रणजीत जी जोशी, समाज सेवी व युवा उद्यमी श्री विनोद सिंघवी जी, पुलिस पब्लिक प्रेस के राष्ट्रीय संपादक श्री पवन भूत जी की उपस्थिति मे दीप प्रवज्वलित करके किया गया|
 
कार्यक्रम मे राष्ट्रीय संपादक पवन भूत जी ने पुलिस पब्लिक प्रेस की कार्य प्रणाली तथा कार्यक्रम के मुख्य विषय "पुलिस बिन एक दिन " पुलिस और जनता की आपसी सहभागिता ओर कर्तव्यों पर प्रकाश डाला | समाज मे एक दिन के लिए पुलिस का होना कितना ज़रूरी है ओर पुलिस और जनता की आपसी सहभागिता विषय पर विद्यार्थियों द्वारा २ मिनिट मे अपनी बात पुलिस के उच्चाधिकारिओ के सामने प्रस्तुत की जिसका यहा कार्यक्रम मे उपस्थित अधिवक्ताओ, विद्यार्थियों, अभिभावको, अध्यापको, समाजसेवियों, गणमान्य नागरिको द्वारा तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया गया, इसमे आर्मी चिल्ड्रेन अकडमी बनाड आराधना सेन प्रथम, आदर्श विधया मंदिर बासनी की दुर्गा द्वितीय व कॅरियर पॉइंट वर्ल्ड स्कूल झालामांड की जया भाटी तृतीय स्थान पर रही इन विध्यार्थीयों को राष्ट्रपति पदक से सम्मानित पुलिस एडीशनल एसपी खिंवसिंह जी द्वारा अवॉर्ड देकर सम्मानित किया गया| आने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रसंशा पत्र व पुलिस पब्लिक प्रेस द्वारा मेडल देकर सम्मानित किया गया| कार्यक्रम मे पधारे हुए समाजसेवी केवल जी कोठारी को "कचरे से सोना बनाना सीखे अभियान" के लिए, स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया| कार्यक्रम संयोजक श्री कैलाशचंद्र लढा, पुलिस पब्लिक प्रेस की टीम के जोधपुर के रिपोर्टर हेमंत बाजपेयी, सत्यप्रकाश सोनी अन्य सदस्यों मे अभिषेक शर्मा, अरुण वर्मा, कैलाश सेन, तरुण सोटवाल, परमेश्वर वैष्णव, दीपक सोनी, मनीष गुरिया, अधिवक्ता दीपक परिहार, मंच संचालन करने वाले अधिवक्ता श्री मनीष व्यास, वडोदरा के जितेंद्र पटेल, भीलवाड़ा के क्षितिज सोमानी, लक्ष्मी लक्ष्कार, संजय पूरी, आसोप से संपतलाल सोनी . सूरत से महावीर पारीक, पाली से अमर सिंह आदि को मंचासीन पुलिस अधिकारियों द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया|

पुलिस की और से प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सीमा हिंगोनिया जी ने कहा की सभी को पुलिस को ओर पुलिस के बारे मे जानना चाहिए ताकि समाज को अपराधमुक्त बनाने हेतु आम जनता और पुलिस की सहभागिता मे कार्य किया जा सके| महिला आयोग की डॉ. नीलम जी मूंदड़ा ने पुलिस को उनके कर्तव्य के प्रति जागरूक रहते हुए खिंवसिह जी से मंच पर संवाद किया इस पर जवाब देते हुए एडीशनल एसपी साहब ने बताया की यदि आपको कोई पुलिसकर्मी या किसी अन्य नागरिक के यातायात के नियमो का उलंघन करते दिखाई देता है तो वाट्सअप पर बने हुए पुलिस ग्रूप मे भेजे उस पर संज्ञान लेकर कार्यवाही की जाएगी| नीलम जी ने कार्यक्रम संयोजक कैलाशचंद्र लढा, हेमंत बाजपेयी, और उनकी टीम को उनके राष्ट्रीय संपादक पवन भूत जी द्वारा संचालित पुलिस पब्लिक प्रेस को जोधपुर मे शुभारंभ करने पर धन्यवाद ओर बधाई दी|
कार्यक्रम मे एडीसीपी निर्मला जी विश्नोई ये यातायात पुलिस से संबंधित नियमो की जानकारी सभी को बताते हुए जनता को संबोधित किया, पूर्व न्यायशीश श्री गोपाल कृष्ण व्यास जी ने सम्बोधित करते हुए बताया की पुलिस की वर्दी एक विश्वास है
रात मे अकेले चलते हुए पुलिस का दिखने पर अपने आपको सुरक्षित महसूस करते है और पुलिस की कार्यविधि बताते हुए सभी से जनसहयोग की अपील की |
कार्यक्रम के समापन पर अतिथियो के लिए भोजन की व्यवस्था की गई
जोधपुर मे एक ही मंच पर महिला आयोग, प्रेस, अधिवक्ता, न्यायाधिकारी, पुलिस, पब्लिक को एकट्ठा कर पुलिस पब्लिक प्रेस के संयोजक श्री कैलाशचंद्र लढा, हेमंत बाजपेयी ने बताया की पुलिस पब्लिक प्रेस के एक राष्ट्रीय टोल फ्री नंबर 1800 11 5100 जो पुलिस पब्लिक प्रेस के मध्यम से आम जनता की सहयता हेतु लोकार्पण किया हुआ है जिसमे पुलिस पब्लिक प्रेस के सभी पाठको को प्रेस के मध्यम से संगठित करने हेतु एक कार्ड दिया जाता है जिससे पूरे देश मे कही भी एक दूसरे के सहयोग हेतु प्रेस से जुड़े हुए सभी लोग पूरे भारत मे एक दूसरे की आपस मे मदद कर सके और आम जनता की सहायता हेतु पुलिस और जनता की सहभागिता देश को अपराध मुक्त बनाने हेतु योगदान कर सके|

राजस्थान के प्रभारी श्री तमन्ना अहमद व राष्ट्रीय संपादक पवन भूत जी ने बताया की पूरे देश मे पुलिस पब्लिक प्रेस "पुलिस बिन एक दिन", सोशियल मीडीया & यू, ये शान तिरंगा है, माँ-बाप को भूलना नही आदि कई सामाजिक जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित करती रहती है एवं आगामी दिसंबर माह मे जोधपुर मे "माँ-बाप को भूलना नही" कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया जाएगा|

पपीता की पत्तियां डायरेक्ट कैंसर को खत्म कर सकती है

पपीते के पत्तो की चाय किसी भी स्टेज के कैंसर को सिर्फ 60 से 90 दिनों में कर देगी जड़ से खत्म,

पपीते के पत्ते 3rd और 4th स्टेज के कैंसर को सिर्फ 35 से 90 दिन में सही कर सकते हैं।

अभी तक हम लोगों ने सिर्फ पपीते के पत्तों को बहुत ही सीमित तरीके से उपयोग किया होगा, बहरहाल प्लेटलेट्स के कम हो जाने पर या त्वचा सम्बन्धी या कोई और छोटा मोटा प्रयोग, मगर आज जो हम आपको बताने जा रहें हैं, ये वाकई आपको चौंका देगा, आप सिर्फ 5 हफ्तों में कैंसर जैसी भयंकर रोग को जड़ से ख़त्म कर सकते हैं।

ये प्रकृति की शक्ति है और बलबीर सिंह शेखावत जी की स्टडी है जो वर्तमान में as a Govt. Pharmacist अपनी सेवाएँ सीकर जिले में दे रहें हैं।

आपके लिए नित नवीन जानकारी कई प्रकार के वैज्ञानिक शोधों से पता लगा है कि पपीता के सभी भागों जैसे फल, तना, बीज, पत्तिया, जड़ सभी के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसके वृद्धि को रोकने की क्षमता पाई जाती है।

विशेषकर पपीता की पत्तियों के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसकी वृद्धि को रोकने का गुण अत्याधिक पाया जाता है। तो आइये जानते हैं उन्ही से।

University of florida ( 2010) और International doctors and researchers from US and japan में हुए शोधो से पता चला है की पपीता के पत्तो में कैंसर कोशिका को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है।

Nam Dang MD, Phd जो कि एक शोधकर्ता है, के अनुसार पपीता की पत्तियां डायरेक्ट कैंसर को खत्म कर सकती है, उनके अनुसार पपीता कि पत्तिया लगभग 10 प्रकार के कैंसर को खत्म कर सकती है जिनमे मुख्य है।

breast cancer, lung cancer, liver cancer, pancreatic cancer, cervix cancer, इसमें जितनी ज्यादा मात्रा पपीता के पत्तियों की बढ़ाई गयी है, उतना ही अच्छा परिणाम मिला है, अगर पपीता की पत्तिया कैंसर को खत्म नहीं कर सकती है लेकिन कैंसर की प्रोग्रेस को जरुर रोक देती है।।

तो आइये जाने पपीता की पत्तिया कैंसर को कैसे खत्म करती है?

1. पपीता कैंसर रोधी अणु Th1 cytokines की उत्पादन को ब़ढाता है जो की इम्यून system को शक्ति प्रदान करता है जिससे कैंसर कोशिका को खत्म किया जाता है।

2. पपीता की पत्तियों में papain नमक एक प्रोटीन को तोड़ने (proteolytic) वाला एंजाइम पाया जाता है जो कैंसर कोशिका पर मौजूद प्रोटीन के आवरण को तोड़ देता है जिससे कैंसर कोशिका शरीर में बचा रहना मुश्किल हो जाता है।
Papain blood में जाकर macrophages को उतेजित करता है जो immune system को उतेजित करके कैंसर कोशिका को नष्ट करना शुरू करती है, chemotheraphy / radiotheraphy और पपीता की पत्तियों के द्वारा ट्रीटमेंट में ये फर्क है कि chemotheraphy में immune system को दबाया जाता है जबकि पपीता immune system को उतेजित करता है, chemotheraphy और radiotheraphy में नार्मल कोशिका भी प्रभावित होती है पपीता सोर्फ़ कैंसर कोशिका को नष्ट करता है।

सबसे बड़ी बात के कैंसर के इलाज में पपीता का कोई side effect भी नहीं है।।

कैंसर में पपीते के सेवन की विधि :
कैंसर में सबसे बढ़िया है पपीते की चाय। दिन में 3 से 4 बार पपीते की चाय बनायें, ये आपके लिए बहुत फायदेमंद होने वाली है। अब आइये जाने लेते हैं पपीते की चाय बनाने की विधि।

1. 5 से 7 पपीता के पत्तो को पहले धूप में अच्छी तरह सुखा ले फिर उसको छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ लो आप 500 ml पानी में कुछ पपीता के सूखे हुए पत्ते डाल कर अच्छी तरह उबालें।
इतना उबाले के ये आधा रह जाए। इसको आप 125 ml करके दिन में दो बार पिए। और अगर ज्यादा बनाया है तो इसको आप दिन में 3 से 4 बार पियें। बाकी बचे हुए लिक्विड को फ्रीज में स्टोर का दे जरुरत पड़ने पर इस्तेमाल कर ले। और ध्यान रहे के इसको दोबारा गर्म मत करें।

2. पपीते के 7 ताज़े पत्ते लें इनको अच्छे से हाथ से मसल लें। अभी इसको 1 Liter पानी में डालकर उबालें, जब यह 250 ml। रह जाए तो इसको छान कर 125 ml. करके दो बार में अर्थात सुबह और शाम को पी लें। यही प्रयोग आप दिन में 3 से 4 बार भी कर सकते हैं।

पपीते के पत्तों का जितना अधिक प्रयोग आप करेंगे उतना ही जल्दी आपको असर मिलेगा। और ये चाय पीने के आधे से एक घंटे तक आपको कुछ भी खाना पीना नहीं है।

कब तक करें ये प्रयोग वैसे तो ये प्रयोग आपको 5 हफ़्तों में अपना रिजल्ट दिखा देगा, फिर भी हम आपको इसे 3 महीने तक इस्तेमाल करने का निर्देश देंगे। और ये जिन लोगों का अनुभूत किया है उन लोगों ने उन लोगों को भी सही किया है, जिनकी कैंसर में तीसरी और चौथी स्टेज थी।

रविवार, 28 अक्तूबर 2018

करवाचौथ विशेष

*#करवाचौथ_विशेष* -

*#सर्वप्रथम मेरी सभी शादीशुदा महिला मित्रो को इस पर्व की अग्रिम बधाई, ईश्वर से कामना है कि आप सभी का व्रत आसान रहे और फलीभूत हो ।।*

करवा चौथ का पर्व भारत में उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में मुख्य रूप से मनाया जाता है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। करवा चौथ स्त्रियों का सर्वाधिक प्रिय व्रत है। यों तो प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी और चंद्रमा का व्रत किया जाता है। परंतु इनमें करवा चौथ का सर्वाधिक महत्त्व है। इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अटल सुहाग, पति की दीर्घ आयु, स्वास्थ्य एवं मंगलकामना के लिए यह व्रत करती हैं। वामन पुराण में करवा चौथ व्रत का वर्णन आता है। 
दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए एक दूसरे के प्रति सम्मान ,विश्वास और प्रेम का होना जरूरी है करवाचौथ एक माध्यम है इसे बढ़ाने का । इस व्रत से जहाँ  एक दूसरे के लिए विश्वास दिखाया जाता है वही स्वास्थ्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह त्योहार एक प्रभाव छोड़ता है -

*#करवाचौथ भी उन रीतियों में से एक है जिससे आप अपने शरीर को डिटॉक्स करते है और आने वाली ऋतु के लिए खुद को तैयार करते है आइये एक विश्लेषण करते है कैसे ,विश्लेषण पे पूर्व इस पोस्ट में हम कुछ शब्दो को समझ लेते है जिससे आगे आपको समझने में आसानी होगी* --

*#डीटॉक्सिफिकेशन -*

*#वर्कआउट ना करना, प्रॉपर* डाइट ना लेना वगैरह ऐसी कई वजहें हैं, जिनके चलते बॉडी में टॉक्सिंस जमा हो जाते हैं। हेल्दी रहने के लिए इनको फ्लश आउट करना जरूरी है।
जब भी बॉडी में हानिकारक पदार्थ इकट्ठे होते हैं, तब इसके काम करने की क्षमता कम हो जाती है। इससे दिमाग भी थका-थका रहता और पूरी तरह रीलैक्स नहीं हो पाता। बॉडी में टाक्सिंस के जमा होने से और भी कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। मसलन सेल्स में इनके जमा होने से इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे जुकाम, खांसी, छींकों के लगातार बने रहने की समस्या हो सकती है।

*#इससे_लाभ* -
डिटॉक्सिफिकेशन स्टैमिना को बढ़ाने का बेहतरीन तरीका है। इससे आप लाइट, फ्री और फ्रेश महसूस करेंगे। इससे होने वाले तमाम फायदों में स्किन व कॉम्प्लेक्शन का अच्छा होना, इम्युनिटी सिस्टम का स्ट्रॉन्ग होना, पाचन क्षमता का बढ़ना, स्टैमिना और एनर्जी लेवल बढ़ना, मेटाबॉलिज्म का इंप्रूव होना वगैरह शुमार हैं। डिटॉक्सिफिकेशन के दौरान दी जाने वाली डाइट से ये हानिकारक पदार्थ व वेस्ट मैटर बाहर निकल जाते हैं और पूरी बॉडी का सिस्टम क्लीन होता है।

*#ऋतु_संगम_महीने* -- 

*#देश में तीन ऋतुओं की* प्रधानता है। ये तीनों ही अपने चरम काल में ऋतु गुण धर्म के अनुसार अपना तेवर दिखाती हैं। ग्रीष्मकाल की गर्मी, वर्षाकाल की बरसात एवं ठंड काल की ठंडक अपने चरम रूप को प्राप्त कर नाना प्रकार के कहर ढाते हैं। सम्पूर्ण जीव-जगत इससे थर्रा उठता है। तीनों ऋतुओं की प्रखरता के चलते मौतें भी होती है। और जिन महीनों में ऋतुओं का मिलन होता है उसे ऋतु संगम महीने कहते है।
तीन ऋतु और उनकी तीन संधि बेलाएं नाना प्रकार की बीमारियां ज़रूर देती हैं।

*#इस ऋतु संधि बेला में मौसम* का रूप बदलता है। तापमान बदलता है। हवा की दिशा एवं नमी की मात्रा बदलती है। इस परिवर्तन को शरीर सहन नहीं कर पाता। शरीर के भीतर व बाहर भी कष्ट होता है। नसों व मांसपेशियों में ऐंठन होती है। उनमें व हड्डियों के जोड़ों में दर्द होता है।  मन व शरीर बेचैन हो जाता है। चित्त स्थिर नहीं रहता। मिचली आती है, अपच हो जाती है। दस्त या कब्ज़ भी हो सकता है। भूख में परिवर्तन होता है। नींद में परिवर्तन होता है। गले में खराश व सर्दी जुकाम हो जाता है। ये सब ऋतु संक्रमण या मौसम संधि काल की शारीरिक परेशानियां हैं, जिससे बच्चे व बुजुर्गों व खासकर महिलाओं को इस स्थिति का अधिकतर सामना करना पड़ता है, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधिक क्षमता कम होती है जो इस संधि बेला में और कम हो जाती है। अतएव इन्हें ऐसे संक्रमण समय में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

*#उपवास_से_लाभ - उपवास* वास्तव में  गत मौसम के दौरान शरीर के भीतर संचित टॉक्सिसिटी की सफाई के लिए ही होता है। उपवास से शरीर इस टॉक्सिक पदार्थ को शरीर से निकालने का उपक्रम करता है जिसके कारण शरीर से टॉक्सिक(गंदगी) साफ हो जाता है और शरीर अपने आपको नई ऋतु के अनुसार तैयार कर लेता है ।।

*#चाँद_का_प्रभाव -- चंद्रमा की* गुरुत्वाकर्षण क्षमता, इंसान के दिमाग, उसके मूड, स्वभाव और चरित्र को भी प्रभावित करता है। साथ ही यह हमारे स्वास्थ्य पर अपना प्रभाव डालता है।शोध में ऐसा देखा गया है कि मानव शरीर जो 70% तक पानी से बना है, उस पर चंद्रमा की रोशनी का प्रभाव बहुत ज्यादा होता है।पूर्णिमा की रात को मेलाटोनिन नामक हार्मोन का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है ,मेलाटोनिन एक ऐसा हार्मोन है जो सामान्य तौर पर रात के वक्त नियमित नींद के लिए शरीर में स्वतः स्रावित होता है। यह दिमाग की पिनियल ग्रंथि से स्रावित होता है। लेकिन जब हमारी दिनचर्या अनियमित होती है और दिमाग पर तनाव और अवसाद अधिक प्रभावी हो जाता है तब इस हार्मोन का स्राव कम हो जाता है। परिणामस्वरूप नींद हमसे दूर जाने लगती है। ऐसे में मेलाटोनिन के स्तर को बढ़ाने के लिए बाजार में मेलाटोनिन सप्लीमेंट मिलते हैं। इनके सेवन से नींद से जुड़ी अनियमितता को दूर किया जा सकता है।

करवाचौथ का व्रत इस मेलाटोनिन हार्मोन के स्तर को सामान्य करने में मदद करता है ।।

*#मेहंदी - आज आप सभी ने* मेहंदी तो लगवाई ही होगी मेहदी का लाभ भी आप सभी को पता ही होगा , पहले मेहंदी केमिकल नही होती थी बल्कि एक तरह से पौधों के पत्तो को पीस कर बनाई जाती थीं ।मेंहदी (Heena) की पत्तियों में टैनिन, वासोन, मैलिक एसिड, ग्लूकोज मैनिटोल, वसराल और म्यूसिलेज आदि तत्च पाए जाते हैं। मेंहदी (Heena – Mehndi) की पत्तियां रंजक द्रव्य के रूप में इस्तेमाल होती हैं।मेंहदी की ठंडी तासीर खून के विकार, उल्टी, कब्ज, कुष्ठ, बुखार, जलन, रक्तपित्त, पेशाब करने में कठिनाई जैसे शारीरिक विकारों को दूर करती है।हाई ब्लड प्रेशर से पीडि़त व्यक्ति के पैरों के तलवों और हथेलियों पर मेंहदी का लेप काफी आरामदायक है। शरीर की बढ़ी हुई गर्मी बाहर निकालने के लिए भी मेंहदी लगाई जाती है। मेंहदी (Heena – Mehndi) पेट की बीमारी में भी आरामदायक है। साथ ही मेंहदी में टीबी को दूर भगाने के गुण भी हैं। इसकी पत्तियों को पीसकर इस्तेमाल करने से टीबी से राहत मिलती है।

*#आभूषण - आभूषण ऊर्जा व* शक्ति भी प्रदान करते हैं। भारतीय समाज में स्त्रियों के लिए आभूषणों का ज़्यादा महत्‍व है,उनके लिए विशेष आभूषणों की परंपरा का चलन है। महिलाओं को सिर में सोना व पैरों में चांदी के गहने धारण कराये जाते हैं। ताकि स्‍वर्णाभूषणों से उत्‍पन्‍न हुई ऊर्जा पैरों में तथा चाँदी से उत्‍पन्‍न होने वाली ठंडक सिर में चली जाए। सर्दी, गर्मी को खींच लेती है इस तरह से सिर को ठंडा व पैरों को गर्म रखने के मूल्यवान चिकित्सकीय नियम का पूर्ण पालन हो जाता है।नाक व कान में सोने का आभूषण इसलिए पहना जाता है कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेब्स सदैव सिरों तथा किनारों की ओर से प्रवेश करती है, इसलिए मस्तिष्क के दोनों भागों को प्रभावशाली बनाने के लिए नाक व कान में स्‍वर्णाभूषण पहनना चाहिए। कान में स्‍वर्णाभूषण पहनने से मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है तथा हिस्टीरिया व हार्निया की रोकथाम होती है। नाक में स्‍वर्णाभूषण धारण करने से सर्दी-खांसी की रोकथाम होती है।पैरों में चाँदी के आभूषण धारण करने से साइटिका व मन के विकार दूर होते हैं तथा स्‍मरण शक्ति मजबूत होती है। पायल पहनने से पीठ, एड़ी व घुटनों के दर्द में लाभ के साथ ही हिस्टीरिया की रोकथाम होती है। रक्‍तविकार व मूत्र विकार दूर होते हैं तथा सांस का रोग नहीं होता।
प्रेसर पॉइंट tb20, tb21 tb23 के दवाब से मन शांत रहता है ।।

*#सिंदूर --  सिंदूर करवाचौथ का* अभिन्न अंग है इसका विशेष महत्व है , यदि मैं आपसे कहु की आप सिंदूर खा लो तो आप कभी नही मानोगे लेकिन यही सिंदूर आठ पूरियों की अठावरी में इस्तेमाल किया जाता है और आप इसे प्रसाद मान के खाते है क्या आपने कभी ध्यान दिया कि ऐसा क्यों है, ऐसा सिंदूर में उपस्थिति सुहागा(बोरेक्स )और पारा (मर्करी ) खिलाने के लिए है इसके कुछ खास फायदे है सुहागा ME पेट की जलन, बलगम, वायु तथा पित्त को नष्ट करता है, और धातुओं को द्रवित करता है।(डेटॉक्सिफिकेशन) ।वही पारा अपनी चमत्कारिक और हीलिंग प्रॉपर्टीज के लिए वैज्ञानिक तौर पर भी मशहूर है। दस्त ,चक्कर आना ,तंद्रा, सरदर्द ,भूख में कमी,आंतों कीडो का संक्रमण आदि का इससे निवारण होता है

*#चावल - इस व्रत में चावल का* इस्तेमाल होता है चावल का फायदा कुछ इस तरह है चावल विभिन्न प्रकार के विटामिन और मिनरल्स का खजाना है. इसमें नियासिन, विटामिन डी, कैल्श‍ियम, फाइबर, आयरन, थायमीन और राइबोफ्लेविन पर्याप्त मात्रा में होता है.चावल में सोडियम की मात्रा न के बराबर होती है. ऐसे में ये उन लोगों के लिए सबसे अच्छा है जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर और हाइपरटेंशन की समस्या है.चावल में अच्छी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है जोकि शरीर को ऊर्जा देने का काम करता है. इस ऊर्जा की जरूरत शरीर के हर भाग को होती है. मस्त‍िष्क इसी ऊर्जा से शरीर का संचालन करता है. चावल से प्राप्त ऊर्जा उपापचय की क्रिया को भी नियमित रखता है.

*#विशेष -*-
वक़्त के साथ परंपरा में संशोधन किया जाना चाहिये पर उसको तिरस्कृत नहीं करना चाहिये, आखिर यही परम्परा हमारे पूर्वजों की धरोहर है। भारतीय महिलाओं की आस्था, परंपरा, धार्मिकता, अपने पति के लिये प्यार, सम्मान, समर्पण, इस एक व्रत में सब कुछ निहित है। भारतीय पत्नी की सारी दुनिया, उसके पति से शुरू होती है उन्हीं पर समाप्त होती है। चाँद को इसीलिये इसका प्रतीक माना गया होगा क्योंकि चाँद भी धरती के कक्षा में जिस तन्मयता, प्यार समर्पण से वो धरती के इर्द गिर्द रहता है, भारतीय औरतें उसी प्रतीक को अपना लेती हैं। वैसे भी भारत, अपनी परंपराओं, प्रकृति प्रेम, अध्यात्मिकता, वृहद संस्कृति, उच्च विचार और धार्मिक पुरज़ोरता के आधार पर विश्व में अपने अलग पहचान बनाने में सक्षम है।

व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात् यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-

मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।

और गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें। पति की दीर्घायु की कामना करें।

नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥

*#फन_नोट -- बीबी शांत रहे* , खुस रहे , स्वस्थ रहे तो पतियों की उम्र वैसे ही बढ़ जाती है । खुस रहिए स्वस्थ रहिए ।। ईश्वर आप सभी के जीवन मे खुशियों के रंग भर दे ।।

*#शुभमस्तु*

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