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बुधवार, 9 जनवरी 2019

यही है मोदी का मास्टर स्ट्रोक

ये घटना 2015 की है जब उत्तर प्रदेश में ग्राम प्रधानी के चुनाव चल रहे थे...हस्तिनापुर के पास एक गुज्जर बहुल गांव में एक गुज्जर परिवार मे कुल 17 वोट थे.. अब आप सभी जानते हो कि ग्राम प्रधानी के इलेक्शन में 17 वोट बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं..इसलिए प्रधान पद का प्रत्येक उम्मीदवार उस घर को पूरी महत्त्वता दे रहा था...घर का मुखिया एक बुजुर्ग था जिसे शाम को पीने का शौक भी था
अब गांव देहात से जुड़ा हर व्यक्ति यह भी जानता है कि प्रधानी के चुनाव में शराब का बहुत बड़ा महत्त्व होता है तो इस गांव में भी शराब की दावतें खूब चल रही थी तो एक शाम एक प्रत्याशी पूरी एक पेटी शराब लेकर इस मुखिया के घर पहुंच जाता है मुखिया 17 वोट उसी प्रत्याशी को डलवाने का आश्वासन देकर वो शराब की पेटी रख लेता है....मुखिया के घर से निकलते ही इस प्रत्याशी को प्रधानी पद के दो अन्य प्रतिद्वंदी टकरा जाते हैं और पूछते हैं कि क्या तुम भी मुखिया के यहां शराब की पेटी देकर आये हो?
इस मुलाकात में भेद खुलता है कि मुखिया ने तीनो प्रत्याशीयों से वोट का आश्वासन देकर पूरी 3 पेटी शराब कब्जे में ले ली है
तीनो का पारा चढ़ जाता है कि मुखिया ने शराब की पेटी तो तीनों से ले ली...लेकिन वोट तो किसी एक को ही मिलेगी....इसका मतलब है मुखिया हममें से किन्ही दो को बेवकूफ बना रहा है
तीनो इकठ्ठे ही मुखिया के घर पर पहुंच गए और दूध का दूध और पानी का पानी करने निर्णय लिया
मुखिया के घर जाकर तीनो ने कहा कि “बाबा तुम वोट तो किसी एक को ही दोगे... लेकिन शराब की पेटी तुमने हम तीनों ने ले ली....इसका मतलब है कि तुम हमे मूर्ख बना रहे हो?...जिसको वोट देनी है उसकी पेटी रखो और बाकी दो लोगों की पेटियां वापस करो!
मुखिया ने हामी में सिर हिलाया और कहा कि...हां वोट तो किसी एक को ही दूंगा लेकिन शराब की पेटियां मैंने तुम तीनो से ली हैं...लेकिन अगर तुम तीनो अभी जानना चाहते हो कि मैं वोट किसे दूंगा तो मैं अभी इसका फैसला कर देता हूँ....तीनों प्रत्याशियों के कहा कि हां अभी बताओ
मुखिया ने अपने एक पोते को आवाज लगाकर बुलाया और अंदर कमरे में रखी तीनो शराब की पेटियां लाने को कहा
पोता..अंदर से शराब की तीन पेटियां उठाकर लाया और उनके बीच मे रख दी....मुखिया बोला “क्यों भाई... यही हैं ना तुम्हारी पेटियां"....तीनो ने सहमति में गर्दन हिलाई.....
मुखिया बोला...“अभी फैसला हो जाता है कि इस घर की 17 वोट तुम तीनों में किसको मिलेंगी....तुम तीनो में से जिसे भी लगता है कि मैं उसे वोट नही दूंगा अपनी शराब की पेटियां उठाकर ले जाये....जिसकी पेटी बचेगी....मेरे घर की 17 वोट उसकी!!”
अब मुखिया के इस मास्टर स्ट्रोक से तीनों प्रत्याशी हतप्रभ थे.... क्योंकि अब जो भी प्रत्याशी पहले शराब की पेटी उठाएगा...उसको तो वोट कतई ना मिलेगी और 17 वोट खोने को कोई तैयार नही था....तीनो एक दूसरे की शक्ल देख रहे थे कि पहले पेटी कौन उठाये....लेकिन उठाने को कोई भी तैयार नही था....बहरहाल तीनो ने कहा कि बाबा...पेटी तू ही रख और जिसे चाहे वोट कर दे

गरीब सामान्य वर्ग के लिए 10% आरक्षण देकर मोदी ने भी ऐसा ही एक मास्टर स्ट्रोक खेला है...सारी विपक्षी पार्टियां इसे चुनावी स्टंट या राजनैतिक स्टंट बताकर और इसकी घोषणा के समय को लेकर आलोचना कर रही हैं...लेकिन संसद में इस बिल का विरोध करना यह तय कर देगा...की सामान्य वर्ग का 15% वोट उस विरोधी पार्टी को तो कतई नही मिलेगा....और 15% वोटबैंक से कोई पंगा लेना नही चाहता....कांग्रेस ने मजबूरी में सही लेकिन संसद में बिल का समर्थन करने की घोषणा कर दी है केजरीवाल ने भी अनमने दिल से सही लेकिन समर्थन किया है....अभी यह पोस्ट लिखते-लिखते TV पर मायावती की प्रेस कांफ्रेंस भी देख रहा हूँ कि कैसे वह एक तरफ मोदी और भाजपा को कोस भी रही है और इस 10% आरक्षण का समर्थन भी कर रहीं है..

इन्हें न उगलते बन रहा है न निगलते.......यही है मोदी का मास्टर स्ट्रोक.....और अगले 2 महीने में आप ऐसे ही अन्य स्ट्रोक्स की उम्मीद भी कर सकते हैं.....क्योंकि मोदी ने पहले ही कहा था...की वह साढ़े चार साल केवल काम करेंगें...और कार्यकाल के अंत मे निखालिस राजनीति करेंगें

#ModiOnceMore 👍

मंगलवार, 8 जनवरी 2019

जानिए किसको ओर कैसे मिलेगा 10 फीसदी आरक्षण

*जानिए किसको ओर कैसे मिलेगा 10 फीसदी आरक्षण*                                                नई दिल्ली। बरसों से चली आ रही सवर्ण आरक्षण की ​मांग को लेकर आज केन्द्र की मोदी सरकार ने सवर्ण आरक्षण पर अपनी मुहर लगा दी है। मोदी कैबिनेट में आज सवर्णों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को मंजूरी दे दी है, जिसके साथ ही सवर्णों की बरसों से चली आ रही आरक्षण की मांग अब पूरी होती नजर आ रही है। ऐसे में अब सभी लोगों में इस बात को लेकर दिलचस्पी है कि इस आरक्षण का लाभ किसे और किस प्रकार से मिलेगा।लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रीमंडल की ओर से आज एक बड़ा फैसला लिया गया है और आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10% आरक्षण को मंजूरी दे दी  गई है। इससे पूर्व जहां आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत के भीतर होना तय है, वहीं अब सवर्ण आरक्षण को लागू किए जाने के लिए केंद्र सरकार कल लोकसभा में संशोधन बिल ला सकती है, जिसमें आरक्षण की सीमा 60 प्रतिशत तक की जा सकती है।
बताया जा रहा है कि धारा 15 और 16 में बदलाव किया जा सकता है और कल लोकसभा में इस पर केंद्र सरकार की ओर से संशोधन बिल लाया जा सकता है, वहीं सवर्ण आरक्षण के लिए सीमाएं भी तय हो सकती है। इसके तहत सवर्णों को धारा 15 के तहत शिक्षा संस्थानों में आरक्षण और धारा 16 के तहत सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। बताया जा रहा है कि वर्तमान में इससे पूर्व ओबीसी एसटी और एससी वर्ग के 49 प्रतिशत आरक्षण में कोई छेड़छाड़ नहीं होगी।
*किसको मिलेगा सवर्ण आरक्षण का लाभ*                     
— आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े ऐसे गरीब लोगों को दिया जाएगा, जिन्हें अभी आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है।
— ब्राह्मण, राजपूत और अन्य सवर्ण जातियों को मिलेगा लाभ।
— जिनकी सालाना आमदनी 8 लाख रुपए या इससे कम है।
— जिनके पास 5 एकड़ या उससे कम जमीन है।
— जिनके पास 1000 वर्ग फुट से कम जमीन पर मकान है।
— कस्बों में जिनके पास 200 गज जमीन है,वहीं शहरों में 100 गज जमीन वाले हैं।
— राजपूत, भूमिहार, बनिया, जाट, गुर्जर को इस श्रेणी में मिलेगा आरक्षण।
— इस आरक्षण का लाभ शिक्षा (सरकारी अथवा निजी) और सार्वजनिक रोजगार में मिलेगा।

सोमवार, 31 दिसंबर 2018

स्टेट बैंक की कहानी

स्टेट बैंक की कहानी :

कोई भी इस हास्य व्यंग्य को पर्सनली न ले

जरूरी नहीं, की
*पापों के प्रायश्चित के लिए* दान पुण्य ही किया जाए।

*स्टेट बैंक में खाता*
*खुलवा कर भी*
प्रायश्चित किया जा सकता है..

छोटा मोटा पाप हो, तो
*बैलेंस पता करने चले जाएँ।*

चार काउन्टर पर धक्के खाने के बात पता चलता है, कि
*बैलेंस गुप्ता मैडम बताएगी।*

*गुप्ता मैडम का काउन्टर कौनसा है,*
ये पता करने के लिए
*फिर किसी काउन्टर पर जाना पड़ता है।*

*लेवल वन कम्प्लीट हुआ।* यानी गुप्ता मैडम का
*काउन्टर पता चल गया है।* लेकिन अभी थोड़ा वेट करना पड़ेगा, क्योंकि
*मैडम अभी सीट पर नहीं है।*

आधे घंटे बाद चश्मा लगाए,
पल्लू संभालती हुई,
*युनिनोर की 2G स्पीड से* चलती हुई गुप्ता मैडम
*सीट पर*
*विराजमान हो जाती है।*
आप मैडम को
खाता नंबर देकर बैलेंस पूछते है।

मैडम
*पहले तो*
*आपको इस तरह घूरती है,*
जैसे
*आपने उसकी*
*बेटी का हाथ मांग लिया है।* आप भी
*अपना थोबड़ा ऐसे*
*बना लेते है*
*जैसे सुनामी में आपका सबकुछ उजड़ गया है,*
और आज की तारीख में
*आपसे बड़ा*
*लाचार दुखी कोई नहीं है।*

गुप्ता मैडम को
*आपके*
*थोबड़े पर तरस आ जाता है,* और
*बैलेंस बताने जैसा भारी काम करने का मन बना लेती है।* लेकिन
*इतना भारी काम, अकेली अबला कैसे कर सकती है?*
तो मैडम सहायता के लिए आवाज लगाती है~

*"मिश्रा जीsss, ये बैलेंस कैसे पता करते है?"*

मिश्राजी,
*अबला की*
*करुण पुकार सुनकर*
अपने
*ज्ञान का*
*खजाना खोल देते है।*

पहले तो खाते के अंदर जाकर क्लोजिंग बैलेंस पर क्लिक
करने पर बैलेंस आ जाता था। लेकिन अभी सिस्टम
चैंज हो गया है। अभी आप
*f5* दबाएँ,
और इंटर मार दे तो
बैलेंस दिखा देगा.."

गुप्ता मैडम
चश्मा ठीक करती है,
*तीन बार मोनिटर की तरफ और तीन बार की-बोर्ड की तरफ*
नजर मारती है।
फिर उंगलियाँ की-बोर्ड पर
*ऐसे फिरातीं है, जैसे कोई तीसरी क्लास का लड़का वर्ल्ड मैप में सबसे छोटा देश मस्कट ढूंढ रहा हो।*

मैडम फिर मिश्रा जी को
मदद के लिए पुकारती है~
"मिश्रा जी,
*ये f5 किधर है..??"*

*मैडम की उम्र पचास से ऊपर होने के कारण*.
शायद मिश्रा जी
*पास आकर मदद करने की जहमत नहीं उठाते।*
इसलिए
*वहीँ बैठे बैठे*
जोर से बोलते है~

की बोर्ड में
सबसे ऊपर देखिये मैडम.."

"लेकिन सबसे ऊपर तो
सिर्फ तीन बत्तियां जल रही है.."

"हां उन बत्तियों के नीचे है।
लम्बी लाईन है
*f1 से लेकर f12* तक.."

*फायनली,*
मैडम को f5 मिल जाता है। मैडम झट से बटन दबा देती है। मोनिटर पर आधे घंटे
*जलघड़ी, ( कुछ लोग उसे डमरू समझते है  😊)*
बनी रहती है।

*अंत में*
एक मैसेज आता है~
*"Session expired. Please check your connection.."*

*मैडम अपने हथियार डाल देती है।*
एक नजर, आपके
*गरीबी लाचारी से पुते चेहरे पर*
डालती है और कहती है~
*"सॉरी, सर्वर में प्रोब्लम है.."*

कहने का टोन
*ठीक वैसा ही*
होता है, जैसे
*पुरानी फिल्मो में डॉक्टर ओपरेशन थियेटर से बाहर आ कर*
कहता था~

*"सॉरी।*!!!!

*हमने बहुत कोशिश की*
*पर ठाकुर साहब को*
*नहीं बचा पाए.."*

😊😊

११ बातें जो हर हिंदू को ज्ञात होनी चाहीये

*११ बातें जो हर हिंदू को ज्ञात होनी चाहीये:-*

*१) क्या भगवान राम या भगवान कृष्ण कभी इंग्लंड के हाऊस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य रहे थे? नहीं ना? फिर ये क्या लॉर्ड रामा, लॉर्ड कृष्णा लगा रखा है? सीधे सीधे भगवान राम, भगवान कृष्ण कहियेगा।*

*२) किसी की मृत्यू होने पर "RIP" मत कहिये. कहीये "ओम शांती", "सदगती मिले", अथवा "मोक्ष प्राप्ती हो"। आत्मा कभी एक स्थान पर आराम या विश्राम नहीं करती। आत्मा का पुनर्जन्म होता है अथवा उसे मोक्ष मिल जाता है।*

*३) अपने रामायण एवं महाभारत जैसे ग्रंथों को मायथॉलॉजी मत कहियेगा। ये हमारा गौरवशाली इतिहास है और राम एवं कृष्ण हमारे ऐतिहासिक देवपुरुष हैं, कोई मायथोलॉजिकल कलाकार नहीं।*

*४) मूर्ती पूजा के बारे में कभी अपराधबोध न पालें यह कहकर की "अरे ये तो केवल प्रतीकात्मक है। "सारे धर्मों में मूर्तीपूजा होती है, भले ही वह ऐसा न कहें। कुछ मुर्दों को पूजते हैं कुछ काले पत्थरों को कुछ लटके हुए प्रेषितों को।*

*५) गणेशजी और हनुमानजी को "Elephant god" या "Monkey god" न कहें। वे केवल हाथीयों तथा बंदरों के देवता नहीं है। सीधे सीधे श्री गणेश एवं श्री हनुमानजी कहें।*

*६) हमारें मंदिरों को प्रार्थनागृह न कहें। मंदिर देवालय होते हैं, भगवान के निवासगृह। वह प्रार्थनागृह नहीं होते. मंदिर में केवल प्रार्थना नहीं होती।*

*७) अपने बच्चों के जन्मदिनपर दीप बुझाके अपशकुन न करें. अग्निदेव को न बुझाएं। अपितु बच्चों को दीप की पार्थना सिखाएं "तमसो मा ज्योतिर्गमय" (हे अग्नि देवता, मुझे अंधेरे से उजाले की ओर जाने का रास्ता बताएं". ये सारे प्रतीक बच्चों के मस्तिष्क में गहरा असर करते हैं।*

*८) कृपया "spirituality" और "materialistic" जैसे शब्दों का उपयोग करने से बचें. हिंदूओं के लिये सारा विश्व दिव्यत्व से भरा है। "spirituality" और "materialistic" जैसे शब्द अनेक वर्ष पहले युरोप से यहां आये जिन्होंने चर्च और सत्ता मे फरक किया था। या विज्ञान और धर्म में, इसके विपरित भारतवर्ष में ऋषीमुनी हमारे पहले वैज्ञानिक थे और सनातन धर्म का मूल विज्ञान में ही है। यंत्र, तंत्र, एवं मंत्र यह हमारे धर्म का ही हिस्सा है।*

*९) "Sin" इस शब्द के स्थान पर "पाप" शब्द का प्रयोग करें। हम हिंदूओं मे केवल धर्म (कर्तव्य, न्यायपरायणता, एवं प्राप्त अधिकार) और अधर्म (जब धर्मपालन न हो) है. पाप अधर्म का हिस्सा है।*

*१०) ध्यान के लिये 'meditation' एवं प्राणायाम के लिये 'breathing exercise' इन संज्ञाओं का प्रयोग न करें, यह बिलकुल विपरीत अर्थ ध्वनित करते हैं।*

*११) क्या आप भगवान से डरते है? नहीं ना? क्यों? क्योंकि भगवान तो चराचर मे विद्यमान हैं। इतना ही नहीं हम स्वयं भगवान का ही रूप हैं। भगवान कोई हमसे पृथक नहीं जो हम उनसे डरें, तो फिर अपने आप को "God fearing" अर्थात भगवान से डरने वाला मत कहीये।*

*ध्यान रहे, विश्व मे केवल उनका सम्मान होता है जो स्वयं का सम्मान करते है।*

क्या आप जानते हैं कि ये रूस का यूक्रेन से झगड़ा क्या है ?

क्या आप जानते हैं कि ये रूस का यूक्रेन से झगड़ा क्या है
हुआ दरअसल ये था ,कि USSR के जमाने में , जब ये सारे देश जिन्हें Russian Block कहा जाता है , रूस के कब्जे में थे तो रूस की Communist सरकार ने जो पहला काम किया वो इन भौगोलिक क्षेत्रों की अपनी देसी भाषाओं को सुनियोजित तरीके से खत्म कर उनपे रूसी थोप दी । शिक्षा व्यवस्था में और आम सामाजिक जीवन , रहन सहन बोल चाल में लोग अपनी देसी बोलियाँ भाषाएं भूल गए और रूसी हो गए । फिर उसके बाद अगला हमला हुआ खानपान और वेश भूषा पे ........ धीरे धीरे लोग अपनी Ethnic Nationalties भूल के रूसी बन गए ।
कालांतर में गोर्बाचेव के युग में जब ये पूरा Russian Block आज़ाद हुआ तो Cremia और सामरिक व्यापारिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण उसका Port यूक्रेन में चला गया ।

रूसी President पुतिन ने 2012 में Cremia पे वापस कब्जा करने का प्लान बनाया । वहां उसके पास सबसे बड़ा हथियार था वो Russian Speaking लोग , जो मूलतः थे तो यूक्रेन के , परंतु भाषा , खानपान , रहन सहन से रूसी हो गए थे , उनको पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह में खड़ा कर दिया । जनमत संग्रह हुआ और उस जनमत संग्रह में Russain Speaking लोगों ने यूक्रेन छोड़ रूस के साथ जाना तय किया , और इस तरह क्रीमिया यूक्रेन से अलग हो रूस के कब्जे में आ गया ।
अब समझ आया कि जब आपकी भाषा और मजहब बदलता है तो कैसे आपकी Nationality बदल जाती है ? कैसे आपकी आस्थाएँ बदल जाती हैं ?????? जब आप अपनी पारंपरिक वेशभूषा , खान पान , रहन सहन , रीति रिवाज़ भूल के कोई विदेशी रंग ढंग , रीति रिवाज़ अपनाने लगते है तो कैसे आपकी सोच बदलती है ???????

मैंने आजतक किसी हिंदी मीडियम , हिंदी इस्पीकिंग , या फिर किसी देसी आदमी को 25 Dec पे ये हूले लूइया हूले लूइया करते नही देखा ।
गांव देहात में किसी को 25 Dec को नकली पेड़ पूजते , नकली पेड़ पे लाइट लगा के नाचते नही देखा ।

ये चुल्ल सिर्फ शहरी , इंग्रेजी इंगलिसस्स मीडियम पढ़े , अपनी जड़ों से कटे जड़ विहीन लोगों को मचती है ।
एक नई पीढ़ी पैदा की है इस इंग्रेजी शिक्षा ने और इस इंग्रेजी टीवी  ने , जिसने हर विदेशी ब्रांड , बिदेसी कलाकार , बिदेसी Event , बिदेसी त्योहार के पीछे पागलों की तरह नाचते देखा है ।

गोरी चमड़ी के नाम पे Justin बीबर जैसा दो कौड़ी का C ग्रेड तो छोड़ो E , F या G ग्रेड भांड भी भारत मे show करके महफ़िल लूट लेता है ।

जिन मूर्खों ने ने भिंडी , गोभी और पनीर के अलावा ज़िंदगी मे कोई अन्य भारतीय भोजन नही खाया , वो जिनको घीया कद्दू तुरई परवल देख के घिन आती है , वो 600 रु का इतालवी पिज़्ज़ा ऐसे भकोसते हैं जैसे साक्षात महादेव का प्रसाद हो ......... जब आप केक काट के हैप्पी बड्डे मनाने लगें , नारियल फोड़ने की जगह फीता काटने लगें , जब किसी को हाथ से दाल भात खाता देख आपको घिन आने लगे , तो समझ लीजिये कि आपकी Nationality change हो रही है ।

अंग्रेजी भाषा बहुत अच्छी है ,तो उसे सिर्फ ज्ञानार्जन का माध्यम बनाइये , अंग्रेजियत से बचिए ।
इस सांस्कृतिक हूले लूइया से बचिए ।

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