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रविवार, 27 जनवरी 2019

नेहरू की गलतिया जो देशको महंगी पडी

नेहरू की गलतिया जो देशको महंगी पडी

नेपाल आज भारतका हिस्सा होता

1951 में नेपालके तत्कालीन महाराजा ' ञिभुवन ' ने नेहरूसे कहा की वो नेपाल का विलय भारत में करवानेको तैयार है, आप चाहें तो नेपाल भारत का हिस्सा बन सकता हैं, लेकीन दुर्भाग्य से नेहरू ने उनका ऑफर ठुकरा दिया.

( संदर्भ- Rediff News - )

( संदर्भ - The Hindu - )

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बलुचिस्तान आज भारत में होता

1948 में बलुचिस्तानके नवाब ' खान ' ने बलुचिस्तानका भारत में विलय कर लेने की बात नेहरू से कही और अॅसेशन लेटर बिनशर्त नेहरू को भेजा, बदकिस्मतीसे नेहरू ने ये ऑफर ठुकराया. ईसके कुछ ही दिनों बाद पाकिस्तानने बलुचिस्तान पर जबरदस्ती कब्जा किया.

( संदर्भ- Dailymail England - )

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पाकिस्तानका ग्‍वादर बंदरगाह आज भारतका होता...

ओमान ने 1947 में ग्‍वादर बंदरगाह भारत को लेने की पेशकश की थी लेकिन नेहरूने ईसे इन्कार कर दिया. बादमे ओमान ने ग्‍वादर बंदरगाह पाकिस्‍तान को बेच दिया. आज पाकिस्‍तान ने ग्‍वादर बंदरगाह चिन को दिया है, जहाँसे चीन भारतकी नौदल पर नजर रखता है, हाल ही में पाकिस्‍तान ने भारतीय व्यापारी कुलभुषन जाधव को ग्‍वादर बंदरगाह पर ही पकडा था.

( संदर्भ- Dailyo News - )

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भारत का कोको आइसलैंड चिन के पास गया

1950 में नेहरू ने भारत का कोलकाता से नजदीक ' कोको द्वीप समूह जो अंदमान का हिस्सा है उसे बर्मा को गिफ्ट दे दिया.

बाद में बर्मा ने उसे चीन को दे दिया, जहाँ से आज चीन द्वारा भारतकी मरींन्स पर हेरगीरी होती है. आज गुगल मैप में कोको द्वीप समूह देखने पर चिन का मिलट्री बेस तथा हवाई धावपट्टी साफ दिखती है.

( Google Map location of COCO Iceland - )

( संदर्भ - )

( संदर्भ - )

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काबू व्हेली भारतसे अलग हो गई

1954 को मणिपुर प्रांत की काबू व्हेली नेहरू ने पार्लमेंट और मणिपुरी लोगों के विरोध के बावजुद बर्मा को गिफ्ट कर दी, यह लगभगा 11000 वर्ग कि.मी बडी और कश्मीर जैसी खूबसरत है, एक समय में 'Jewel of Manipur ' के नामसें काबू व्हेली जानी जाती थी, दुर्भाग्यसे आज हम ईसे गवां चुके हैं.

( संदर्भ - )

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हैदराबाद की जगह आज दक्षिण पाकिस्तान होता.

हैदराबाद के निज़ाम हैदराबाद को पाकिस्तानका हिस्सा बनाना चाहते थे. एक बार नेहरु विदेश गए, सरदार पटेल ने सेना के पोलो मिशन ( हैदराबाद मुक्ती संग्राम ) के तहत हैदराबाद पर चडाई की और 13 सितंबर 1948 को हेदराबाद भारत में मिलाया.

उसी वक्त नेहरु वापस आ रहे थे अगर वो आते तो विलय न होता इसलिए पटेल ने नेहरु के विमान को उतरने न देने का हुक्म दिया, निजाम ने विलय पे हस्ताक्षर किए, उसके बाद नेहरु का विमान उतारा गया. पटेल ने नेहरु को फ़ोन किया और कहा ” हैदराबाद का भारत में विलय ” ये सुनते ही नेहरु ने गुस्से में फ़ोन वही पटक दिया था.

( संदर्भ - )

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आज भारत UN का स्थायी मेंबर होता.

1950 में अमेरिका ने भारत को सुरक्षा परिषद ( United Nations ) में स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल होने को कहा, लेकिन भारत की बजाय नेहरू ने चीन को UN में लेने की सलाह दे डाली.

अमरिका और रशिया ने 1955 में और एक बार नेहरू को UN में आने की पेशकश की लेकीन बदकिस्मतीसे दुसरी बार भी नेहरु ने उनकी पेशकश ठुकरा दी.

आज चीन भारत के कई प्रस्ताव UN में नामंजूर कर चुका है. हाल ही उसने दहशतगर्द मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने का भारतीत प्रस्ताव वीटो कर उसे बचाया है.

( संदर्भ- Washington Post - https )

( संदर्भ - )

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सरकारी विमानोंका दुरुपयोग -

एक बार नेहरू भोपाल दौरे पर थे. राजभवन में यह पता चला कि नेहरू की फेवरेट ब्रांड 555 सिगरेट भोपाल में नहीं मिल रही है. फिर भोपाल से इंदौर एक स्पेशल विमान भेजा गया, इंदौर एयरपोर्ट पर सिगरेट के कुछ पैकेट पहुंचाए गए और विमान सिगरेट के पैकेट लेकर वापस भोपाल लौट आया, इस घटना का जिक्र मप्र राजभवन की वेबसाइट पर है.

( संदर्भ- Dainik Bhaskar - )

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विदेश निती पर भारी मुस्लिम तुष्टिकरन की राजनिती

महान ज्यू सायंटिस्ट आईनस्टाइन ने पंडित नेहरू को एक खत लिखा था जिसमें ज्यु लोगों पर हो रहे अत्याचारों का जिक्र कर ईजरायल के स्वतंत्र देश बनने को सपोर्ट करने को कहा... लेकिन मुस्लिमोंके दबाव में नेहरू ने करीब एक महीने तक खत का जवाब नहीं दिया, फिर जवाब देते हुए नेहरु ने स्वतंत्र ईजरायल को सपोर्ट करनेकी कि मांग को नकार दिया और UN में इजरायल के स्वतंत्र देश बनने के खिलाफ वोटिंग की. ऐसे तुष्टिकरन की राजनिती करके ईजरायल को हमने दुर किया, ईजरायल से मिलट्री तथा कृषी तंञज्ञान पाने के बेहतरीन मौके हमने गवा दिये.

( संदर्भ -Indian Express- )

( संदर्भ- The Guardian - )

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पविञ हिंदू तिर्थस्थान कैलाश मानसरोवर खो देना

1962 में चिन के हाथों मिली पराजय का कारण जानने के लिए भारत सरकार द्वारा गठित समिति जिसमे लेफ्टिनेंट जनरल हेंडरसन ब्रुक्स और मिलिट्री कमांडर ब्रिगडियर पी. एस. भगत थे उन्होंने भी नेहरु और उनकी कायर नितीयोंको 1962 के युद्ध के हार का जिम्मेदार ठहराया.

युद्ध हार स्वरूप हमारा लगभग 14000 वर्ग किमी भाग चीन ने ले लिया. इसमें कैलाश पर्वत, मानसरोवर और अन्य स्थान आते हैं. नेहरू पर सवाल उठने लगे तब उन्‍होंने जवाब देते हुए कहा था," उस प्रदेश का देश के लिए कोई महत्‍व नहीं है क्‍योंकि वहां घास का एक तिनका भी नहीं उगता ! "

( संदर्भ - Zee News - )

( संदर्भ- Jagran - )

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न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप ( NSG ) का भारत सदस्य होता

भारत की आजादी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने भारत को न्युक्लियर टेस्ट के लिए मदद का प्रस्ताव दिया था. लेकिन प्रधानमंत्री नेहरु ने उस ऑफर को ठुकरा दिया था. यदि भारत ने वह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता तो भारत न्युक्लियर टेस्ट करने वाला पहला एशियाई देश बन जाता. ईसके साथ ही भारत NSG मेंबर आरामसे बन जाता. आज आजादी के 70 साल बाद भी चायना के विरोध के बावजुद हमको दुनिया भर में घूमकर NSG के लिए लॉबिंग करनी पड़ रही है.

( संदर्भ - NDTV - )

( संदर्भ - Zee News - )

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कश्मिर प्राॅब्लेम व धारा 370.

अक्तूबर 1947 को पाकिस्तानी कबाइली सेना कश्मिर में घुस गई, सरदार पटेल ने कश्मिर के महाराजा को मदत के बदले कश्मिर भारत मे विलय करने की शर्त रखकर कश्मिर में भारतीय सेना भेजी गई. जब भारत की सेनाएं पाकिस्तानी सेना को खदेड़ हि रही थीं के नेहरू ने बिचमें रेडियोपर युद्ध विराम घोषित कर सैन्य वापस बुला लिया और रेडियो पर कहा की इसके बाद UN कश्मिर का मुद्दा सुलझाएगा..! ईस हरकत के कारण कश्मीर का एक तिहाई भाग ( POK ) पाकिस्तानी सेना के पास रह गया.

ईसके बाद नेहरू ने संविधान में धारा 370 जुड़ दी, इसमें कश्मीर के लिए अलग संविधान हो गया, जिससे कश्मीर जाने के लिए परमिट की अनिवार्यता हो गई तथा गैर कश्मीर लोगों को कश्मीरमें प्राॅपर्टी खरिदनेपर रोक लग गई.

( संदर्भ- Rediff News - )

( संदर्भ- Frontline - )

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सारे संदर्भ की लिंक :

https://www.dailyo.in/politics/chabahar-gwadar-port-india-pakistan-china-ties-cpec-afghanistan/story/1/11256.html?fbclid=IwAR1j1G9CJxVOYKOy2eixRIFfUYJGP6YoqF_kaepHMecCTZMiwN_-T3PSmZY

https://fas.org/irp/world/china/facilities/coco.htm?fbclid=IwAR0RFBFORUMh3lSDkojU_v4_-x_1IGibGGmn5fnSo94XFAu9yTBfbQ1gJeg

https://www.google.com/maps/place/14%C2%B008'26.3%22N+93%C2%B022'05.8%22E/@14.1318895,93.3886032,13.35z/data=!4m6!3m5!1s0!7e2!8m2!3d14.140641!4d93.368274

http://e-pao.net/epSubPageExtractor.asp?src=news_section.opinions.To_the_President_of_India_on_matter_of_Kabo_Valley&fbclid=IwAR1dc1Z4aHXSa2vhdc-py0OhqXjfpQGT_WoTDI9OC7gntD2rMkZnKF3J1IY

https://www.wilsoncenter.org/publication/not-the-cost-china-india-and-the-united-nations-security-council-1950?fbclid=IwAR3GRHZVGgmUBOxbzDajnoxIL7n-GyoKAR8gWePLA2pq9RhRHV44K08pShY

https://m.rediff.com/news/2001/jun/12inter.htm?fbclid=IwAR11s5UkWh9Dqdli6bJmvjNkH4sUbd5JpzyzI37M_AbNhH4KGnhtGS2uMJ0

https://www.dailymail.co.uk/indiahome/indianews/article-3797114/amp/How-India-Radio-changed-fate-Balochistan.html?fbclid=IwAR1dc1Z4aHXSa2vhdc-py0OhqXjfpQGT_WoTDI9OC7gntD2rMkZnKF3J1IY

गुरुवार, 24 जनवरी 2019

जेनेरिक और ब्रांडेड दवाइयों में ऐसा क्या अंतर हैं कि डॉक्टर हमें जेनेरिक दवाई नही लिखते?

जेनेरिक और ब्रांडेड दवाइयों में ऐसा क्या अंतर हैं कि डॉक्टर हमें जेनेरिक दवाई नही लिखते?
ये हैं एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव। ये भाई साहब तय करते है कि हम और आप कौन सी दवाइयां लेंगे। आपने प्राइवेट डॉक्टर की क्लीनिक के बाहर 1–2 लोगो को गले मे टाई लगाए, हाथों में एक ब्रीफ़केस लिए देखा होगा जो मरीज़ों से भी ज़्यादा उतावले होते है डॉक्टर के केबिन में घुसने के लिए।
एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव अपनी कंपनी की दवाओं का प्रचार करता है। डॉक्टर को मनाता है कि वो उसकी ब्रांडेड महंगी दवाइयां मरीज़ों को लिखें।
पर इनका क्या दोष ये तो सिर्फ़ अपनी नौकरी कर रहें है।

इसके एवज में डॉक्टरों को ईनाम दिया जाता है। कई बार cash में कई बार kind में। cash का मतलब कुछ भी हो सकता है, अच्छी घड़ी, नकद रक़म, या कुछ बड़ा जैसा डॉक्टर वैसा ईनाम। उसी तरह kind में थाईलैंड, सिंगापुर की सैर। कभी कभी रिसर्च पेपर में authorship भी मिलती है। [1]एक बहुत बड़ा मायाजाल है जिसे तोड़ पाना मुश्किल लगता है।
सरकार क्या कर रही है?
जनता के स्वास्थ्य का मामला है तो सरकार ने कुछ ज़रूरी नियम बनाये है। डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखने के लिए ज़रूरी निर्देश भी दिए गए है। 2016 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया न डॉक्टरों को यह कहा है कि वो ज़्यादा से ज़्यादा जेनेरिक दवाइयां मरीज़ों को दें। [2] उन्होंने Indian Medical Council (Professional Conduct, Etiquette and Ethics) Regulations, 2002 में बदलाव कर जेनेरिक दवाओं के लिए रास्ता बनाया है। ऐसा न करने वाले डॉक्टरों के लिए दंड का प्रावधान भी है।
मौजूदा सरकार की यह कोशिश है कि गरीबों को दवाइयां सस्ते दामों पर मिले जो अपने आप मे अच्छा है। पर डॉक्टरों की भी कुछ आशंकाएं है।
डॉक्टर क्या कहते है?
डॉक्टरों के ऊपर यह थोप तो दिया गया है पर डॉक्टर भी अपनी चिंता व्यक्त करते है कि वो क्यों जेनेरिक दवा नही देना चाहते। डॉक्टर कहते है कि जेनेरिक दवाओं में कुछ खामियां होती है जिनसे वो उन्हें मरीज़ों को नही देना चाहते। जेनेरिक दवाओं की bioavailibility (एक पैमाना की कितने प्रतिशत दवा शरीर मे रह पाती है।)
डॉक्टरों का मानना है कि जेनेरिक दवाओं कि

बायोआवैलिबिलिटी संतोषजनक नही होती।
जेनेरिक दवाओं को बनाने के समय उनकी गुणवत्ता का ध्यान नही रखा जाता।
जेनेरिक दवाओं का कोई क्लीनिकल ट्रायल नही होता और मरीज़ों पर उनके असर का कोई अध्यन नही किया जाता।
ऐसा शोध भी उपलब्ध नही है कि जेनेरिक बिल्कुल ब्रांडेड दवाओं जैसा ही काम करता है। [3]

कुछ हद तक यह बातें सही भी हैं। जेनेरिक दवाओं की क़्वालिटी कंट्रोल बड़ी ढुलमुल होती है।
फार्मा इंडस्ट्री की बात करें तो sub-contracting शायद इसमें जिम्मेदार है। कई बार बड़ी कंपनियां ग्राहकों से आर्डर ले कर छोटी कंपनियों को दवा बनाने दे देती हैं। भले ही फार्मूला बड़ी कंपनी का हो पर जिस जगह वो बन रही होती है वहाँ नियमों का सख्ती से पालन नही किया जाता। इन सबसे दवाओं की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। मेरे हिसाब से अगर लोग एक न्यूनतम स्टैण्डर्ड का भी पालन करे तो गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
बात केवल डॉक्टरों तक ही सीमित नही है कई बार मरीज़ सरकारी अस्पताल जाकर भी बाहर से ब्रांडेड दवाएं लिखने का आग्रह करते हैं। शायद उन्हें खुद भी जेनेरिक दवाओं पर उतना भरोसा नही होता।[4]
भारत वैसे तो विश्व मे सबसे बड़ा जेनेरिक दवाओं का निर्माता है पर अभी गुणवत्ता में काफी सुधार की ज़रूरत है।
डॉक्टरों को पूरी तरह से इसके लिए दोषी ठहराना सही नही होगा। जेनेरिक दवाओं को उनके ब्रांडेड के समतुल्य ला कर इस समस्या से निपटा जा सकता है।
सुझावों का स्वगात है और असहमति भी आपका अधिकार है।
धन्यवाद।


फुटनोट
[1] Want to bribe a doctor? Gift authorship of medical papers - Times of India
[2] Doctors to face action unless they only prescribe generic drugs: MCI - Times of India
[3] Doctors wary as Centre pushes for generic drugs
[4] Neither doctors nor patients opt for generic drugs

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अगर आप जीवन से ऊब गए हैं तो क्या कर सकते हैं?

अगर आप जीवन से ऊब गए हैं तो क्या कर सकते हैं?
उसे जी सकते हैं!

अब आप सोच रहे होंगे की ये कैसा अटपटा जवाब है। लेकिन जनाब, जीवन से ऊबना ही क्यों? दुनिया में तो कई ऐसी चीज़ें हैं जो मृत व्यक्ति को भी जीने की लालसा दे दे। तो फिर ऊबने का तो सवाल ही नहीं उठता।

चलिए उदहारण देता हूँ। आप जिस कमरे में बैठे हैं वहाँ पँखा तो होगा ही। अब सोचो की उस पँखे के पीछे कितने लोगों का दिमाग लगा होगा। अब सोचो की इस पँखे को चला कौन रहा है? आप कहेंगे बिजली, लेकिन बिजली तो तांबे या लोहे में नहीं होती। फिर पँखे में कैसे आयी? अजीब है न?

अब ये देखो की दरअसल बिजली क्या है! छोटे छोटे कण जिन्हें इलेक्ट्रॉन कहते है बस उनका रेल पर चलने जैसे कार्य को ही बिजली कहते हैं। तो इसका मतलब ये हुआ की पँखे के अंदर कई सारे छोटे छोटे सिपाही हैं जो एक कतार में चलते है। वो एक दूसरे को धक्का देते हैं और ये धक्का जुड़ जुड़ कर पँखे को चला देता है। है न अद्भुत!

अब सोचो की बत्ती कैसे जलती है! आप कहोगे की फिलामेंट गर्म होता है तो बिजली निकलती है। मैं बोलूंगा नहीं। क्योंकि ट्यूब-लाइट में फिलामेंट कहाँ? तो बत्ती कैसे जलती है? दरअसल जब हम बिजली से किसी बल्ब या ट्यूब-लाइट को जोड़ते हैं तो वो छोटे छोटे सिपाही (इलेक्ट्रॉन) एक दुसरे को आगे धक्का देने लगते हैं। वो धक्का कुछ मिलीसेकंड में या तो फिलामेंट के अणुओं को, या ट्यूब-लाइट की गैस के अणुओं को धक्का को लगता है। अब ट्यूब-लाइट की गैस के अंदर अणु कतार में लगे नहीं है, तो वो झल्लाने लगते है इतनी सारी ऊर्जा पा कर। तो गैस के अणु धक्के की ऊर्जा को प्रकाश के रूप में बाहर फेंक देते हैं। इसी प्रकार फिलामेंट के अणु बड़ी जल्दी झल्ला जाते हैं और ऊर्जा को प्रकाश के रूप में बाहर फेंकने लगते हैं। है न अद्भुत!

अब ऐसे ही न जाने कितने उपकरण, कितने पहाड़, कितनी नदी, कितना कुछ बचा है जानने को। फिर उबासी कैसी?

दिमाग के द्वार खोलो और सारी उम्र उत्साहित रहो।


आप सभी साँवरिया सेठ के बारे मैं जानते होंगे | साँवरिया सेठ प्रभु श्री कृष्ण का ही एक रूप है जिन्होंने भक्तो के लिए कई सारे रूप धरकर समय समय पर भक्तों की इच्छा पूरी की है | कभी सुदामा को तीन लोक दान करके, कभी नानी बाई का मायरा भरके, कभी कर्मा बाई का खीचडा खाकर, कभी राम बनके कभी श्याम बनके, प्रभु किसी न किसी रूप में भक्तों की इच्छा पूरी करते हैं | और आप, मैं और सभी मनुष्य तो केवल एक निमित्त मात्र है | भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि "मैं सभी के लिए समान हूँ " मनुष्य को अपने कर्मो का फल तो स्वयं ही भोगना पड़ता है | आप सभी लोग देखते हैं कि कोई मनुष्य बहुत ही उच्च परिवार जेसे टाटा बिरला आदि में जन्म लेता है और कोई मनुष्य बहुत ही निम्न परिवार जेसे आदिवासी आदि के बीच भी जन्म लेता है कोई मनुष्य जन्म से ही बहुत सुन्दर होता है कि कोई भी उस पर मोहित हो जाये और कोई मनुष्य इतना बदसूरत पैदा होता है कि लोग उसको देखकर दर जाए, किसी के पास तो इतना धन होता है कि वो धन का बिस्तर बनवाकर भी उसपर सो सकता है और कोई दाने दाने का भी मोहताज़ है, कोई शारीरिक रूप से इतना बलिष्ठ होता है कि कोई उसका मुकाबला नहीं कर सकता और इसके विपरीत कोई इतना अपंग पैदा होता है जिसको देखकर हर किसी को दया आ जाये | कई बच्चे जन्म लेते ही मार दिए जाते है या जला दिए जाते है या किसी ना किसी अनीति का शिकार हो जाते है जबकि उन्होंने तो कुछ भी नहीं किया तो फिर नियति का एसा भेदभाव क्यों ?
क्या भगवान् को उन पर दया नहीं आती ?
आप सोच रहे होंगे कि इसका मतलब भगवान ने भेदभाव किया, नहीं !!!
आपने देखा होगा एक ही न्यायाधीश किसी को फांसी कि सजा देता है और किसी को सिर्फ अर्थ दंड देकर छोड़ देता है तो क्या न्यायाधीश भेदभाव करता है ? नहीं ना ?
हम जानते हैं कि हर व्यक्ति को उसके अपराध के अनुसार दंड मिलता है बिलकुल उसी प्रकार मनुष्य का जन्म, सुन्दरता, कुल आदी उसके कर्मों के अनुसार ही निर्धारित होते है इसलिए मनुष्य को अपने कर्मों का आंकलन स्वयं ही कर लेना चाहिए और
कलियुग में पाप तो स्वतः हो जाते हैं किन्तु पुण्य करने के लिए प्रयत्न करने पड़ते है |
"अपने लिए तो सभी करते हैं दूसरों के लिए कर के देखो " - Kailash Chandra Ladha
मैं एक बहुत ही साधारण इंसान हूँ | जीवन में कई सारे अनुभव से गुजरते हुए में आज अपने आप को आप लोगों के सामने स्थापित कर पाया हूँ . बचपन से लेकर आज तक आप सभी लोगो ने अपने जीवन में कई लोगो को भूखे सोते देखा होगा, कई लोग ऐसे भी होते हैं जिनके पास पहनने को कपडे नहीं है, किसी को पढना है पर किताबें नहीं है, कई बालक नहीं चाहते हुए भी किस्मत के कारण भीख मांगने को मजबूर हो जाते है | इन सभी परिस्थितियों को हम सभी अपने जीवन में भी कही ना कही देखते ही हैं लेकिन बहुत कम लोग ही उन पर अपना ध्यान केन्द्रित करते है या उन लोगो के बारे में सोच पाते है किन्तु भगवान् की दया से आज मुझे उन सभी की मदद करने की प्रेरणा जागृत हुई और इसलिए आज मेने एक संकल्प लिया है उन अनाथ भाई बहिनों की मदद करने का, जिनका इस दुनिया में भगवान् के अलावा कोई नहीं है और मेने निश्चय किया है कि उन भाइयों की मुझसे जिस भी प्रकार कि मदद होगी मैं करूँगा | मैं इसमें अपना तन -मन -धन मुझसे जितना होगा बिना किसी स्वार्थ के दूंगा . आज दिनांक 31-07-2005 से सावन के महीने में भगवान का नाम लेकर इस अभियान हेतु इस वेबसाइट www.sanwariya.webs.com की शुरुआत कर रहा हूँ | और इस वेबसाइट को बनाने का मेरा और कोई मकसद नहीं है बस मैं सिर्फ उन निस्वार्थ लोगो से संपर्क रखना चाहता हूँ जो इस तरह की सोच रखते है और दुसरो को मदद करना चाहते है मुझे उनसे और कुछ नहीं चाहिए बस मेरे इस संकल्प को पूरा करने के लिए मुझे अपनी शुभकामनाये और आशीर्वाद ज़रूर देना ताकि मैं बिना किसी रुकावट के गरीब लोगो की मदद कर सकूँ .
ये वेबसाइट www.sanwariya.org आप जेसे लोगों से संपर्क रखने के उद्देश्य से बनाई है
अगर आप मेरे इस काम मैं सहयोग करना चाहते हैं तो अपनी श्रद्धानुसार तन-मन-धन से जिस भी प्रकार आप से हो सके आपके स्वयं के क्षेत्र में ही आप अपने घर में अनुपयोगी वस्तुऐ, कपड़े, किताबे, दवाईया, मेडिकल उपकरण, पुराने कम्प्यूटर, चश्में, चद्दर, बिस्तर, रजाई, कम्बल, जूते, चप्पल, स्वेटर, जर्सी, बेग, खिलोने, साईकिल आदि सभी प्रकार के एसी अनुपयोगी वस्तुएं जो आपके काम नही आ रही है तो जो आपके काम नही आ रही हो उन्हे फेंके नही बल्कि किसी निराश्रित बेसहारा गरीब के लिये एकत्र किजिये बेसहारा, निर्धन, व अनाथ व्यक्तियों के लिये उपलब्ध कराकर आप बिना पैसे पुण्य कमा सकते है और लाखों निराश्रितों को इससे फायदा मिलेगा और यदि आप सक्षम है या पैसे की मदद कर सकते है तो अपने जेब खर्च या धार्मिक बचत को गरीब निर्धन कन्याओं के विवाह, मरीजो की दवाईयाँ और गौ सेवा के लिये एकत्रित किजिये क्योंकि आपकी छोटी सी मदद किसी गरीब के लिये जीवनोपयोगी साबित हो सकती है और यदि आप ये सब हमे देना चाहते है तो हमसे सम्पर्क किजिये या हम तक पहुँचा दिजिये ताकि साँवरिया द्वारा उपरोक्त कपड़े, किताबे, दवाईया, मेडिकल उपकरण, पुराने कम्प्यूटर, चश्में, चद्दर, बिस्तर, रजाई, कम्बल, जूते, चप्पल, स्वेटर, जर्सी, बेग, खिलोने, साईकिल आदि को उचित बेसहारा निर्धन व्यक्तियों मे वितरीत किया जाता है। और आप इस तरह के काउन्टर अपने घर या क्षेत्र में लगाकर इस पुनीत कार्य में कड़ी बन सकते है।
फेसबुक, वाट्सअप, यूट्यूब व सभी सोशियल मीड़िया के माध्यम से इस कार्य मे सभी को माध्यम बनाने मे ज्यादा से ज्यादा सहयोग करे प्रेरित करें।
और अपनी धार्मिक बचत आदि से यदि एक गरीब व्यक्ति का पढाने, रोजगार सीखकर, रोजगार उपलब्ध कराने में सहायता करना शुरू करे तो भारत में गरीबी, निरक्षरता, बेरोजगारी और असमानता को गायब होने में ज्यादा समय नही लगेगा

इसी प्रकार भारत के उच्च परिवारो की जन्मदिन/शादी समारोहो व अन्य कार्यक्रमों में बचे हुये भोजन/पानी की जो अनावश्यक बर्बादी होती है यदि वही भोजन उसी क्षेत्र मे भूखे सोने वाले व्यक्तियों में बांट दिया जाये तो आपकी खुशिंया दुगुनी हो सकती है और आपके इस प्रयास से देश में भुखमरी से मरने वाले लोगो की दुआयें आपको मिलेगी तथा भूखमरी के कारण देश में होने वाली लूटपात/चोरी/डकैती जैसी घटनाओ कम होकर देश मे भाईचारे की व्यवस्था फिर से पनपने लगेगी और एक दिन एसा आयेगा जब देश मे शायद ही कोई भूखा सोयेगा। हर तरफ स्वच्छता, निरोगी काया, शान्ति व सुलभ जीवन यापन होगा।
इसी प्रकार विद्यालयों में पेरेन्ट्स मिटींग में सभी पेरेन्ट्स से स्कूल में सहयोग बैंक बनाकर उसमे पुराने विद्यार्थीयों की स्कूल सामग्री जैसे स्कूल ड्रेस, किताबें, कोपीयां, पेन, पेन्सिल, रबर, शार्पनर, बेग, स्वेटर जर्सी, व अन्य उपकरण, पुरानी साईकिल इत्यादि जो काम नही आ रहे है उन्हे जमा कराये जाये और जिन्हे चाहिये वे उनके लिये निःशुल्क उपलब्ध हो सभी सरकारी व निजी विद्यालयों को इस अभियान में जुड़ना चाहिये इसी प्रकार गौ सेवा हेतु अपनी अपनी काॅलोनीयों में प्रतिदिन रोटी सब्जी, फलो के छिलके हेतु अलग अलग बाल्टी अथवा टिफिन में एकत्र कर गौमाता हेतु भिजवाया जा सकता है अथवा किसी निर्धन बेरोजगार को इस कार्य के लिये नियुक्त कर पास की गौशाला अथवा गायो हेतु पंहुचाने का कार्य किया जा सकता है
"साँवरिया" का लक्ष्य ऐसे भारत का सपना साकार करना है जहाँ न गरीबी/ न निरक्षरता/न आरक्षण/ न असमानता/ न भुखमरी और न ही भ्रष्टाचार हो| चारो ओर सभी लोग सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम और विकसित हो, जहाँ डॉलर और रुपया की कीमत एक समान हो और मेरा भारत जो पहले भी विश्वगुरु था उसका गौरव फिर से पहले जैसा हो जाये |

"सर्वे भवन्तु सुखिनः "
हो गई है पीर पर्वत-सी अब पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए आग जलनी चाहिए
www.sanwariya.org

जय महेश
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घर पर पैसे कमाने के तरीके



घर पर पैसे कमाने के तरीके
1. ब्लॉगिंग:

यदि आपके पास कुछ भी ऐसा है जिसे आप लोगों से साझा कर सकते है, चाहे वह आपका अनुभव हो, किसी विषय विशेष में ज्ञान हो, या आपके पास ऐसी कोई स्टोरी हो, जिसे पढ़ कर आपके यूज़र आनंदित हो सके तो आप को तुरंत अपना एक ब्लॉग बना कर घर से पैसे कमाने का काम शुरू कर देना चाहिए।

2. ईबुक्स:

आप यदि लेखन में रूचि रखते है, तो अपनी लिखी हुयी पुस्तक को ईबुक बना कर ऑनलाइन बेच कर घर बैठे पैसे कमा सकते है।

3. ऑनलाइन सेलिंग:

ऐमज़ॉन, फ्लिपकार्ट या इन जैसी ही किसी भी e-commerce पोर्टल पर आप किसी भी प्रोडक्ट को घर बैठे बेच कर अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते है।

4. अफ़िलीयट मार्केटिंग:

इंटरनेट पर बहुत सी ऐसी अफ़िलीयट नेटवर्क कंपनिया है जिन्हें मुफ़्त में जोईन करके उनके प्रोडक्ट और सर्विसेज़ को अपने ब्लॉग पर, सोशल मीडिया नेटवर्क पर, या डाइरेक्ट प्रमोट करके घर बैठे आमदनी कर सकते है।

5. गेस्ट कंटेंट राइटिंग:

यहाँ पर बहुत से ऐसे पॉप्युलर ब्लॉग है, जिनके लिए आप आर्टिकल लिख कर अच्छा ख़ासा पैसा कमा सकते है।

6. शेयर ट्रेडिंग:

यदि आपकी रूचि फ़ायनैन्शल मार्केट में है तो आप घर बैठे शेयर ट्रेडिंग कर के घर बैठे पैसे कमा सकते है।

7. रेंट यॉर प्रॉपर्टी:

यदि आपके पास अपनी कोई ऐसी प्रॉपर्टी है जो आपके काम नहीं आ रही है, उसे किसी को किराए पर दे कर घर बैठे पैसे कमा सकते है।

8. टाइपिंग वर्क:

बहुत सी कंपनिया घर बैठे डेटा एंट्री का काम करवाती है, उनके लिए आप टाइपिंग का कार्य घर बैठे शुरू करके पार्ट टाइम या फ़ुल टाइम पैसा कमा सकते है।

9. वर्चूअल असिस्टन्स:

बड़ी बड़ी कम्पनियों को भी अपनी पोर्टल के लिए ऐसे लोगों की ज़रूरत पड़ती जो उनके यूज़र्स को गाइड कर सके। आप ऐसी कम्पनियों से जुड़कर घर बैठे पैसे कमा सकते है।

10. वेब डवेलपिंग:

यदि आप की अभिरुचि कोडिंग में है और आप दूसरे लोगों के लिए पोर्टल बना सकते है तो आप यह काम भी घर बैठे बहुत कम लागत से शुरू करके अच्छी आमदनी कर सकते है।

आशा है उपरोक्त जानकारी आपके लिए लाभप्रद होगी।
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ऑन लाइन मार्केटिंग से पैसा कमाना -इंटरनेट से पैसे कैसे कमाये?

ऑन लाइन मार्केटिंग से पैसा कमाना
इंटरनेट से पैसे कैसे कमाये?
आज इंटरनेट बह्गत ज्यादा भारत में फैला हुआ है. इससे पैसा कमाने का जरिया बहुत ज्यादा बढ़ गया है. लोगों के पास बहुत सरे माध्यम हो गए हैं जिनसे आप पैसे कमाई कर सकते हैं। बस आपके पास मोबाइल या कम्प्यूटर्स होना बहुत जरुरी है. इंटरनेट से पैसे कमाने के तीन बहुत अच्छे माध्यम हैं. जो मैंने नीचे बत्ताए हैं।
यूट्यूब
वेबसाइट
एफिलिएट मार्केटिंग

आज बहुत सारे लोग ऐसे ही पैसे कमाई कर रहे हैं. ये ३ सबसे best तरीका है ? आप इसे अप्लाई जरूर करें ? www.sanwariyaa.blogspot.in
अगर आपके साइट पर 5000 विज़िटर्स डेली 12000 पेज व्यूज करते हैं तो आप आसानी से 25000–27000 रुपये कमा सकते हैं।ये आपके एडसेंस एड पर भी निर्भर करता है आप उससे अधिक भी कमा सकते हैं।अगर affiliate लिंक्स आपके साइट पर हैं और विज़िटर्स उस लिंक से खरीददारी करते हैं तो आप और भी बेहतर कमा सकते हैं।
अर्निंग की शुरुआत आप सिर्फ डािलय 500 विज़िटर्स से भी कर सकते हैं।लेकिन अच्छा होगा कि पहले कम से कम daily 500 विज़िटर्स अपने साइट पर लाएं तभी एडसेंस approval के लिए apply करें।मैंने एक छोटा सा ब्लॉग create किया है जिस पर अभी बहुत ही कम लेख और विज़िटर्स हैं इसलिए मैं उसे मोनेटाइज नहीं किया है।क्यों कि मेरे पास समय का अभाव है।आप चाहें तो देख सकते हैं

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