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शनिवार, 23 मार्च 2019

सभी व्यस्त मित्रों को सादर समर्पित

*पछतावा*

आस्ट्रेलिया की ब्रोनी वेयर कई वर्षों तक कोई meaningful काम तलाशती रहीं, लेकिन कोई शैक्षणिक योग्यता एवं अनुभव न होने के कारण बात नहीं बनी।
फिर उन्होंने एक हॉस्पिटल की Palliative Care Unit में काम करना शुरू किया। यह वो Unit होती है जिसमें Terminally ill या last stage वाले मरीजों को admit किया जाता है। यहाँ मृत्यु से जूझ रहे लाईलाज बीमारियों व असहनीय दर्द से पीड़ित मरीजों के मेडिकल डोज़ को धीरे-धीरे कम किया जाता है और काऊँसिलिंग के माध्यम से उनकी spiritual and faith healing की जाती है ताकि वे एक शांतिपूर्ण मृत्यु की ओर उन्मुख हो सकें।
ब्रोनी वेयर ने ब्रिटेन और मिडिल ईस्ट में कई वर्षों तक मरीजों की counselling करते हुए पाया कि मरते हुए लोगों को कोई न कोई पछतावा ज़रूर था।
कई सालों तक सैकड़ों मरीजों की काउंसलिंग करने के बाद ब्रोनी वेयर  ने मरते हुए मरीजों के सबसे बड़े 'पछतावे' या 'regret' में एक कॉमन पैटर्न पाया।
जैसा कि हम सब इस universal truth से वाकिफ़ हैं कि मरता हुआ व्यक्ति हमेशा सच बोलता है, उसकी कही एक-एक बात epiphany अर्थात 'ईश्वर की वाणी' जैसी होती है। मरते हुए मरीजों के इपिफ़नीज़ को  ब्रोनी वेयर ने 2009 में एक ब्लॉग के रूप में रिकॉर्ड किया। बाद में उन्होनें अपने निष्कर्षों को एक किताब “THE TOP FIVE REGRETS of the DYING" के रूम में publish किया। छपते ही यह विश्व की Best Selling Book साबित हुई और अब तक  लगभग 29 भाषाओं में छप चुकी है। पूरी दुनिया में इसे 10 लाख से भी ज़्यादा लोगों ने पढ़ा और प्रेरित हुए।

ब्रोनी द्वारा listed 'पाँच सबसे बड़े पछतावे' संक्षिप्त में ये हैं:

1) "काश मैं दूसरों के अनुसार न जीकर अपने अनुसार ज़िंदगी जीने की हिम्मत जुटा पाता!"

यह सबसे ज़्यादा कॉमन रिग्रेट था, इसमें यह भी शामिल था कि जब तक हम यह महसूस कर पाते हैं कि अच्छा स्वास्थ्य ही आज़ादी से जीने की राह देता है तब तक यह हाथ से निकल चुका होता है।

2) "काश मैंने इतनी कड़ी मेहनत न की होती"

ब्रोनी ने बताया कि उन्होंने जितने भी पुरुष मरीजों का उपचार किया लगभग सभी को यह पछतावा था कि उन्होंने अपने रिश्तों को समय न दे पाने की ग़लती मानी।
ज़्यादातर मरीजों को पछतावा था कि उन्होंने अपना अधिकतर जीवन अपने कार्य स्थल पर खर्च कर दिया!
उनमें से हर एक ने कहा कि वे थोड़ी कम कड़ी मेहनत करके अपने और अपनों के लिए समय निकाल सकते थे।

3) "काश मैं अपनी फ़ीलिंग्स का इज़हार करने की हिम्मत जुटा पाता"

ब्रोनी वेयर ने पाया कि बहुत सारे लोगों ने अपनी भावनाओं का केवल इसलिए गला घोंट दिया ताकि शाँति बनी रहे, परिणाम स्वरूप उनको औसत दर्ज़े का जीवन जीना पड़ा और वे जीवन में अपनी वास्तविक योग्यता के अनुसार जगह नहीं पा सके! इस बात की कड़वाहट और असंतोष के कारण उनको कई बीमारियाँ हो गयीं!

4) "काश मैं अपने दोस्तों के सम्पर्क में रहा होता"

ब्रोनी ने देखा कि अक्सर लोगों को मृत्यु के नज़दीक पहुँचने तक पुराने दोस्ती के पूरे फायदों का वास्तविक एहसास ही नहीं हुआ था!
अधिकतर तो अपनी ज़िन्दगी में इतने उलझ गये थे कि उनकी कई वर्ष पुरानी 'गोल्डन फ़्रेंडशिप' उनके हाथ से निकल गयी थी। उन्हें 'दोस्ती' को अपेक्षित समय और ज़ोर न देने का गहरा अफ़सोस था। हर कोई मरते वक्त अपने दोस्तों को याद कर रहा था!

5) "काश मैं अपनी इच्छानुसार स्वयं को खुश रख पाता!!!"

आम आश्चर्य की यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात सामने आयी कि कई लोगों को जीवन के अन्त तक यह पता ही नहीं लगता है कि 'ख़ुशी' भी एक choice है!

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि-
'ख़ुशी वर्तमान पल में है'...
'Happiness Is Now'...

सभी व्यस्त मित्रों को सादर समर्पित

बुधवार, 20 मार्च 2019

होलीका दहन, होलिका की कहानी, होली के आसान टोटके

 

होलिका दहन मूहूर्त्त
शास्त्रोक्त मत -  दहन फाल्गुन शुक्ल की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा को भद्रा रहित करना चाहिए।

मुहूर्त निर्णय - इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा दिनांक 20 मार्च 2019 बुधवार को दिन के 10:45 a.m. पर पूर्णिमा प्रारंभ होगी। जोकि अगले दिन गुरुवार को प्रातः 07:13 a.m. पर समाप्त होगी।

अतः प्रदोष काल में पूर्णिमा 20 मार्च को ही होने से होली पर्व इसी दिन मनाया जाएगा परन्तु 20 मार्च को भद्रा 10:45 a.m. से शुरु होकर 08:59 p.m. तक रहेंगी । शास्त्रानुसार होली का दहन भद्रा पश्चात ही किया जाता है । अतः दिनांक 20 मार्च 2019 दिन बुधवार को भद्रा के पश्चात 09:00 p.m. पर होलिका दहन का श्रेष्ठ मुहूर्त होगा।

 होलिका दहन मुहूर्त
20 मार्च रात्रि 9 बजे बाद अति विशेष शुभ
होलिका दहन भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन
प्रदोष काल में किया जाना शास्त्र सम्मत है, इस वर्ष फाल्गुन शुक्ला
पूर्णिमा बुधवार 20 मार्च को प्रात: 10.45 बजे से प्रारंभ होकर 21 मार्च
को प्रात:. 7.13 बजे तक है। अत: 20  मार्च बुधवार को पूर्णिमा तिथि
प्रदोष व्यापिनी है। प्रदोष काल सूर्यास्त 6.34 बजे से रात्रि 8.58 बजे
तक है। किन्तु भद्रा प्रात: 10.45 बजे से रात्रि 8.59 बजे तक पृथ्वी लोक
की अशुभ एवं अनिष्टकारी है। अत: होलिका दहन भद्रा समाप्ति उपरांत रात्रि 9 बजे से रात्रि 11.4 बजे तक शुभ व अमृत के चौघडिय़ा में  शास्त्र सम्मत है जो देश व राज्य एवं जनता के लिए श्रेष्ठ है। होलिका दहन
मुहूर्त इस वर्ष फाल्गुन शुक्ला पूर्णिमा बुधवार 20 मार्च प्रात: 10.45
बजे से प्रारंभ होकर दूसरे दिन प्रात: 7.13 बजे तक है। भ्रदा योग प्रात:
10.45 बजे से रात्रि 8.59 बजे तक है। अत: होलिका दहन भ्रदा समाप्ति
उपरान्त रात्रि 9 बजे से रात्रि 11.4 बजे तक शुभ व अमृत के चौघडिय़ा में
अति विशेष शुभ है। होलिका दहन के आठ दिनों पूर्व से होलाष्टक प्रारंभ हो
जाता है जिसमें सभी ग्रह एवं देवगण अग्रि स्वरूप उग्र रूप धारण किये होते है। जिनका होलिका दहन के बाद जल से शीतल करने पर स्वभाव शांत हो जाता है। इस दिन नवान्नेष्टि यज्ञ भी सम्पन्न होते है। होलाष्टक प्रारंभ होते ही दो डांडो को एक होलिका का प्रतीक एवं एक प्रहलाद के रूप में स्थापित किया जाता है जो वर्तमान में होलिका दहन के दिन ही स्थापित किये जाते है।
शास्त्रों अनुसार होलाष्टक में किये गये वृत एवं दान आदि करने से कष्टों
से मुक्ति मिलती है।

होली पर्व के साथ ही जुड़ी है होलिका की कहानी। या यूं कहें कि होलिका की वजह से ही रंग-गुलाल के इस पर्व का नाम होली पड़ा तो यह कहना गलत नहीं होगा। होली को यूं तो बुराई का प्रतीक मानते है और होलिका जलाकर बुराई के अंत का उत्सव मनाते है। लेकिन सच यह भी है कि होलिका को जलाने से पहले उसकी पूजा की जाती है। होलिका अगर वास्तव में बुराई की प्रतीक होती तो उसकी पूजा नहीं की जाती। हिमाचल के लोककथाओं में होलिका की वह कहानी मिलती है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे और कहेंगे होली बुराई की प्रतीक नहीं बल्कि प्रेम की देवी थी जिसने प्यार की खातिर अपने जीवन का बलिदान दे दिया। आइए जानें होलिका की वह अनजानी अनसुनी कहानी। होलिका राक्षस कुल के महाराज हिरण्यीकश्यप की बहन थी। यह अग्निदेव की उपासक थी। अग्निदेव से इन्हें वरदान में ऐसा वस्त्र मिला था जिसे धारण करने के बाद अग्नि उन्हें जला नहीं सकती थी। बस इसी बात के चलते हिरण्य्कश्यप ने उन्हेंं यह आदेश दिया कि वह उनके पुत्र प्रह्लाद यानी कि होलिका के भतीजे को लेकर हवन कुंड में बैठें। भाई के इस आदेश का पालन करने के लिए वह प्रहलाद को लेकर अग्नि कुंड में बैठ गईं। इसके बाद ईश्वइर की कृपा से इतनी तेज हवा चली कि वह वस्त्र  होलिका के शरीर से उड़कर भक्त  प्रहलाद के शरीर पर गिर गया। इससे प्रहलाद तो बच गए लेकिन होलिका जलकर भस्म  हो गईं। लेकिन होलिका के अग्नि में बैठने के पीछे जो कथा है उसे कम लोग ही जानते है। कथा के अनुसार होलिका इलोजी नाम के राजकुमार से प्रेम करती थी। इन दोनों ने विवाह की योजना भी बना ली थी। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन इलोजी बारात लेकर होलिका से विवाह करने आने वाला था। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर चिता पर बैठ जाए। अग्नि देव के वरदान के कारण तुम्हें कुछ नहीं होगा लेकिन प्रह्लाद जल जाएगा। होलिका इस क्रूर काम के लिए तैयार नहीं हुई तो हिरण्यकश्यप ने होलिका को यह भय दिखाया कि अगर उसने आदेश का पालन नहीं किया तो इलोजी के साथ विवाह नहीं होने देंगे और इलोजी को दंडित भी करेंगे। अपने प्रेम को बचाने के लिए होलिका ने आदेश का पालन किया और चिता पर प्रह्लाद को लेकर बैठ गई। लेकिन चुपके से प्रह्लाद को अग्निदेव के वरदान से बचा लिया और खुद जलकर खाक हो गई। इलोजी इन सब बातों से अंजान जब होलिका से विवाह करने बारात लेकर आया तो सामने होलिका की राख देखकर व्याकुल हो उठा और हताश होकर वन में चला गया।
 होलीका दहन
( होलीका जलाने का दिन ) की तारीख़  :  ” 20 मार्च ,        2019  ”
 होली पूजने की सामग्री –

गोबर से बने बड़कूले , रोली , मौली , अक्षत , अगरबत्ती , फूलमाला ,  कच्चा सूत , गुड़ , साबुत हल्दी , मूंग-चावल  ,  फूले , बताशे , गुलाल , नारियल , जल का लोटा , गेहूं की नई हरी बालियां , हरे चने का पौधा आदि। 
होली से दस बारह दिन पहले शुभ दिन देखकर गोबर से सात बड़कूले ( Badkule ) बनाये जाते है। गोबर से बने बड़कूले  को भरभोलिए ( bharbholiye ) भी कहा जाता है। पाँच बड़कूले छेद वाले बनाये जाते है ताकि उनको माला बनाने के लिए पिरोया जा सके।दो बड़कूले बिना छेद वाले बनाये जाते है । इसके बाद गोबर से ही सूरज , चाँद , तारे , और अन्य खिलौने बनाये जाते है। पान , पाटा , चकला ,एक जीभ , होला – होली बनाये जाते है। इन पर आटे , हल्दी , मेहंदी , गुलाल आदि से बिंदियां लगाकर सजाया जाता है। होलिका की आँखें चिरमी या कोड़ी से बनाई जाती है। अंत में ढाल और तलवार बनाये जाते है। बड़कूले से माला बनाई जाती है। माला में होलिका , खिलोंने , तलवार , ढाल आदि भी पिरोये जाते है। एक माला पितरों की , एक हनुमान जी की , एक शीतला  माता की और एक घर के लिए बनाई जाती है। बाजार से तैयार माला भी खरीद सकते है। यह पूजा में काम आती है।
 💐पूजन करने का तरीका💐
पूजन करते समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए।
जल की बूंदों का छिड़काव आसपास तथा पूजा की थाली और खुद पर करें।
इसके पश्चात नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए उन्हें रोली , मौली , अक्षत , पुष्प अर्पित करें। इसी प्रकार भक्त प्रह्लाद को स्मरण करते हुए उन्हें रोली , मौली , अक्षत , पुष्प  अर्पित करें। इसके पश्चात् होलिका को रोली , मौली , चावल अर्पित करें , पुष्प अर्पित करें  , चावल मूंग का भोग लगाएं।  बताशा , फूले आदि चढ़ाएं। हल्दी , मेहंदी , गुलाल , नारियल और बड़कूले चढ़ाएं। हाथ जोड़कर होलिका से सुख समृद्धि की कामना करें। सूत के धागे से होलिका के चारों ओर घूमते हुए तीन , पाँच या सात बार लपेट दें । जल का लोटा वहीं पूरा खाली कर दें। इसके बाद होलीका दहन किया जाता है। पुरुषों के माथे पर तिलक लगाया जाता है। होली जलने पर रोली चावल चढ़ाकर सात बार अर्घ्य देकर सात परिक्रमा करनी चाहिए ।  इसके बाद साथ लाये गए हरे गेहूं और चने होली की अग्नि में भून लें। होली की अग्नि थोड़ी सी अपने साथ घर ले आएं। ये दोनों काम बड़ी सावधानी पूर्वक करने चाहिए। होली की अग्नि से अपने घर में धूप दिखाएँ। भूने हुए गेहूं और चने प्रसाद के रूप में ग्रहण करें घर के ऊपर के हिस्से में तांग दे 1 वर्ष के लिए होलिका की पूजा करने से लाभ मिलता है और व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसी तरह होली के दिन के कुछ टोटके हैं, जिन्हें अपनाकर नकारात्कमता को दूर करने के साथ ही बीमारियों से बचाव और अन्य शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं। होली के दिन अपनी राशि के अनुसार रंगों का प्रयोग कर भी शुभ फल को अपने पक्ष में कर सकते हैं। यहां हम उन बातों को जानेंगे, जिसे होली के दिन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
होली के आसान टोटके
– होलिका दहन के दिन घर से उतारा गया टोटका और शरीर के उबटन को होलिका में जलाने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
– घर, दुकान और कार्यस्थल की नजर उतारकर उसे होलिका में दहन करने से लाभ होता है।
– भय और कर्ज से निजात पाने के लिए नरसिंह स्तोत्र का पाठ करना लाभदायक होता है।
–  होलिका दहन के बाद जलती अग्नि में नारियल दहन करने से नौकरी की बाधाएं दूर होती हैं।
– लगातार बीमारी से परेशान हैं, तो होलिका दहन के बाद बची राख मरीज के सोने वाले स्थान पर छिड़कने से लाभ मिलता है।
– सफलता प्राप्ति के लिए होलिका दहन स्थल पर नारियल, पान तथा सुपारी भेंट करें।
– गृह क्लेश से निजात पाने और सुख-शांति के लिए होलिका की अग्नि में जौ-आटा चढ़ाएं।
– होलिका दहन के दूसरे दिन राख लेकर उसे लाल रुमाल में बांधकर पैसों के स्थान पर रखने से बेकार खर्च रुक जाते हैं।
– दांपत्य जीवन में शांति के लिए होली की रात उत्तर दिशा में एक पाट पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर मूंग, चने की दाल, चावल, गेहूं, मसूर, काले उड़द एवं तिल के ढेर पर नवग्रह यंत्र स्थापित करें। इसके बाद केसर का तिलक कर घी का दीपक जलाकर पूजन करें।
– जल्द विवाह के लिए होली के दिन सुबह एक पान के पत्ते पर साबूत सुपारी और हल्दी की गांठ लेकर शिवलिंग पर चढ़ाएं और बिना पलटे घर आ जाएं। अगले दिन भी यही प्रयोग करें।
– बुरी नजर से बचाव के लिए गाय के गोबर में जौ, अरसी और कुश मिलाकर छोटा उपला बना कर इसे घर के मुख्य दरवाजे पर लटका दें।
– होलिका दहन की रात तगर, काकजंघा, केसर को “क्लीं कामदेवाय फट् स्वाहा” मंत्र से अभिमंत्रित कर होली के दिन इसे अबीर या गुलाल में मिलाकर किसी के सिर पर डालने से वह वश में हो जाता है।
– इसी तरह होली पूजा के समय वैजयंती माला को ॐ क्रीं कामेश्वरी वश्य प्रियाय क्रीं ॐ का जाप कर सिद्ध कर ले। इसके बाद 11 माला का जाप करने के बाद वह माला पहनकर किसी पुरूष के सामने जाने से वह धीरे-धीरे वश में हो जाएगा।
– होली की रात “ॐ नमो धनदाय स्वाहा” मंत्र के जाप से धन में वृद्धि होती है।
– 21 गोमती चक्र लेकर होलिका दहन की रात शिवलिंग पर चढ़ाने से व्यापार में लाभ होता है।
– किसी टोटके से राहत पाने के लिए होली की रात होलिका दहन स्थल पर एक गड्ढा खोदकर उसमें 11 अभिमंत्रित कौड़ियां दबा दें। अगले दिन कौड़ियों को निकालकर अपने घर की मिट्टी के साथ नीले कपड़े में बांधकर बहते जल में प्रवाहित कर दें।
– उधार की रकम वापस पाने के लिए होलिका दहन स्थल पर अनार की लकड़ी से उसका नाम लिखकर होलिका माता से अपने धन वापसी का निवेदन करते हुए उसके नाम पर हरा गुलाल छिड़कने से लाभ होगा।
– होली की रात 12 बजे किसी पीपल वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाने और सात परिक्रमा करने से सारी बाधाएं दूर होती हैं।

ग्रह दोष दूर करने के लिए राशि के रंगों से खेलें होली
होली के दिन अगर अपनी राशि के अनुसार रंगों से होली खेलें तो, इससे ग्रह दोष भी शांत होते हैं। आइए जानते हैं किस राशि के लोगों के लिए कौन सा रंग शुभ होता है। इस होली में अाप इसे अाजमा सकते हैं।

मेष राशि – मेष राशि वालों के लिए लाल और गुलाबी रंग सर्वोत्तम है।
वृषभ राशि – वृषभ राशि के लोग सफेद और क्रीम रंग से होली खेलें।
मिथुन राशि –  मिथुन राशि के लोगों के लिए हरा और पीले रंग शुभ होता है।
कर्क राशि – कर्क राशि के लोगों के लिए सफेद और क्रीम रंग का उपयोग बेहतर होगा।
सिंह राशि – सिंह राशि वालों के लिए पीला और केसरिया रंग काफी अच्छा होता है।
कन्या राशि – कन्या राशि के लोगों के लिए हरा रंग श्रेष्ठ माना जाता है।
तुला राशि –  तुला राशि के लोगों के लिए सफेद और पीला रंग शुभ होता है।
वृश्चिक राशि – वृश्चिक राशि के लोगों के लिए लाल और गुलाबी रंग श्रेष्ठ है।
धनु राशि – धनु राशि के लोगों के लिए लाल व पीला रंग सर्वोत्तम है।
मकर राशि – मकर राशि के लोगों के लिए नीला और हरा रंग शुभ माना गया है।
कुंभ राशि – कुंभ राशि के लोगों के लिए नीला रंग शुभ होता है।
मीन – मीन राशि वालों को हर संभव पीले और लाल रंग से ही होली खेलना चाहिए।

होली के दिन हनुमानजी की पूजा से लाभ
– इस दिन स्वच्छ होकर स्वच्छ वस्त्र खासकर लाल रंग की धोती धारण कर हनुमानजी को चोला और गुलाब फूल की माला चढ़ाएं।
– गुलाब की माला की एक पंखुड़ी लेकर उसको लाल कपड़े में बांध कर घर की तिजोरी में रखने से धन की कमी नहीं होती है।
– पूजन के लिए चमेली के तेल का उपयोग शुभ होता है।
– पूजन के वक्त श्रीराम और हनुमान का स्मरण करें।
– तुलसी माला से निम्न मंत्र का पांच माला जाप करने से लाभ होता है।
             राम रामेति रामेति रामे रामे मनोरमे।
             सहस्त्र नाम तत्तुल्यं राम नामं वारानने।।

 एक विशेष उपाय
आटे का एक चौमुखा दीपक सरसो या तिल के तेल का उसमे थोड़ा सा सिंदूर दो लोंग डाल कर चौराहे पर भैरब नाथ के नाम का अवश्य जलाएं
 कल के लिए एक प्रयोग
तीन छोटी छोटी कटोरिया लें उनमें क्रमशः तिल , साबुत धनियां तथा पीली सरसों भरकर अवश्य रखे यह कार्य अभिजित मुहूर्त अर्थात 11 50 से 12 15 मिनट तक कर सकते है । रखते समय नवार्ण मन्त्र का जप अवश्य करें।
नवार्ण मन्त्र दुर्गा सप्तशती में सिद्ध कुंजिकास्तोत्र से जप सकते है । मंत्र पूरा जपे।
 पीली सरसों के स्थान पर ब्रत बाला नमक प्रयोग किया जा सकता है । प्रभाव में कोई कमी नही होगी। अतः सुविधानुसार नमक रखदें।
 तीनो बस्तुए कार्य स्थल आफिस या अपने कारखाने में रख सकते हैं। दीपक बाला प्रयोग तो आज के लिए ही है दूसरा कल दोपहर में करना है
 धन हानि से बचाव का प्रयोग
यदि आपको बार-बार आर्थिक हानि का सामना करना पड़ रहा है तो आप होलिका दहन की शाम को अपने मुख्यद्वार की चोखट पर दोमुखी आटे का दीपक बनायें। चौखट पर थोड़ा सा गुलाल छिड़ककर दीपक जलाकर रख दे। दीपक जलने के साथ ही मानसिक रूप से आर्थिक हानि दूर होने के लिए निवेदन करना चाहिए। यह उपाय कारगर सिद्ध होगा।
नकारात्मकता मुक्ति प्रयोग
यदि किसी के उपर कोई भय का साया है या नकारत्मकता ज़्यादा है तो वह होली पर एक नारियल, एक जोड़ा लौंग व पीली सरसों इन सभी वस्तुओं को लेकर पीडि़त व्यक्ति के उपर से 21 बार उतार होली की अग्नि में डाल दें। सारा दुष्प्रभाव समाप्त हो जायेगा
राहु एवं शनि का उपाय -
एक नारियल का गोला लेकर उसमे सरसो का तेल भरकर..उसी में थोडा सा गुड डाले..फिर उस नारियल के गोलेको राहू या शनि से ग्रस्त व्यक्ति अपने शरीर के अंगो से स्पर्श करवा कर जलती हुई होलिका में डाल देवे.
 शीघ्र विवाह हेतु
जो युवा विवाह योग्य हैं और सर्वगुण संपन्न हैं,फिर भी शादी नहीं हो पा रही है तो यह उपाय करें। होली के दिन किसी शिव मंदिर जाएं और अपने साथ 1 साबुत पान, 1 साबुत सुपारी एवं हल्दी की गांठ रख लें। पान के पत्ते पर सुपारी और हल्दी की गांठ रखकर शिवलिंग पर अर्पित करें। इसके बाद पीछे देखेंबिना अपने घर लौट आएं। 21 दिनों तक ये प्रयोग करें।
भय मुक्त और शुभ फल के लिए प्रयोग
होली दहन के पश्चात उसकी राख और कोयला को घर लाये, कोयले से सफ़ेद कागज में स्वस्तिक बनाकर तावीज़ में डाले, उसमे थोड़ी राख डालें, और गले में धारण करे। आपको आपकी संतान को आंतरिक भय,आशंका से मुक्ति मिलेगी, और शुभ फल मिलेंगे।
 दुकान की नज़र उतारने के लिए
यदि आपको लगता है कि लाख प्रयास के बाद भी आपका व्यापार बढ़ नहीं रहा है तो होलिका दहन से एक दिन पहले फिटकरी के 6 टुकड़े अपनी दुकान / कार्यालय में छोड़ दें और अगले दिन उन्हें लेकर होलिका दहन के समय कपूर और किसी अनाज के साथ चुपचाप जलती हुई होलिका में डाल दें, आपके कारोबार को किसी की नज़र नहीं लगेगी, अगर नज़र लगी होगी तो उतर जाएगी, और कारोबार फलना फूलना शुरू हो जाएगा।
 समृद्धि के लिए
11 गोमती चक्र, 11 हल्दी की गांठ, 11  गट्टे  और 1 रूपये का एक सिक्का पीले कपडे में बांध के होली की रात अपने तिजोरी में रखे, फिर अगले साल उसे विसर्जित करके ये उपाय फिर करे, धन के नए स्त्रोत आपके खुलेंगे।
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रयोग
यदि किसी का पति दूसरी महिला के सम्पर्क में रहता है, तो आप होली पर दो लौंग, एक बताशा और एक पान का पत्ता लें और इन्हें घी में मिला कर होलिका अग्नि को अर्पित करें एवं 7 बार होली की जलती आग की परिक्रमा करें। परिक्रमा करते समय हर बार 1 गोमती चक्र अपने पति का नाम लेकर आग में डालें। ऐसा करने से महिला का पति उसके पास वापस लौट आ सकता है।
होली में करने योग्य कुछ ज्योतिषीय  उपाय
होली दहन के दिन हनुमान जी के आगे घी का दिया जलायें तथा यह प्रार्थना जरूर करें -

श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि ।
बरनउ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ।।
मनोजवं मारुततुल्य वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं ।
वातात्मजं वानरयूथ मुख्यं श्री राम दूतं शरणं प्रपद्ये ।।

* होली की रात सरसों के तेल का चौमुखी दीपक घर के मुख्य द्वार पर लगाएं ।  हर प्रकार की बाधा का निवारण होता है।
* यदि व्यापार या नौकरी में उन्नति न हो रही हो, तो 21 गोमती चक्र लेकर होलिका दहन की रात में शिवलिंग पर चढ़ा दें। इससे बिजनेस में फायदा होने लगेगा।
.* यदि राहु के कारण परेशानी है तो एक नारियल का गोला लेकर उसमें अलसी का तेल भरें। उसी में थोड़ा सा गुड़ डालें और इस गोले को जलती हुई होलिका में डाल दें। इससे राहु का बुरा प्रभाव समाप्त हो जाएगा।
* धन हानि से बचने के लिए होली के दिन घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़कें और उस पर दो मुखी दीपक जलाएं। दीपक जलाते समय धन हानि से बचाव की कामना करें। जब दीपक बुझ जाए तो उसे होली की अग्नि में डाल दें। यह क्रिया श्रद्धापूर्वक करें, धन हानि नहीं होगी।
. घर की सुख-समृद्धि के लिए परिवार के प्रत्येक सदस्य को होलिका दहन में घी में भिगोई हुई दो लौंग, एक बताशा और एक पान का पत्ता अवश्य चढ़ाना चाहिए। साथ ही होली की 11 परिक्रमा करते हुए होली में सूखे नारियल की आहुति देनी चाहिए ।
. यदि आप बेरोजगार हैं तो होली की रात 12 बजे से पहले एक नींबू लेकर चौराहे पर जाएं और उसके चार टुकड़े कर चारों दिशाओं में फेंक दें। वापिस घर आ जाएं किन्तु ध्यान रहे, वापिस आते समय पीछे मुड़कर न देखें।
 यदि आपका पैसा कहीं फंसा है तो होली के दिन 11 गोमती चक्र हाथ में लेकर जलती हुई होलिका की 11 बार परिक्रमा करते हुए धन प्राप्ति की प्रार्थना करें । फिर एक सफेद कागज पर उस व्यक्ति का नाम लाल चन्दन से लिखें जिससे पैसा लेना है फिर उस सफेद कागज को वही 11 गोमती चक्र के साथ में कहीं गड्ढा खोदकर दबा दें। इस प्रयोग से धन प्राप्ति की संभावना बढ़ जाएगी।
*यदि आपको कोई अज्ञात भय रहता है तो होली पर एख सूखा जटा वाला नारियल, काले तिल व पीली सरसों एक साथ लेकर उसे सात बार अपने सिर के ऊपर उतार कर जलती होलिका में डाल देने से अज्ञात भय समाप्त हो जाएगा।
* होलिका दहन के दूसरे दिन होलिका की राख को घर लाकर उसमें थोड़ी सी राई व नमक मिलाकर रख लें। इस प्रयोग से भूत-प्रेत या नजर दोष से मुक्ति मिलती है।
. शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए होलिका दहन के समय 7 गोमती चक्र लेकर भगवान से प्रार्थना करें कि आपके जीवन में कोई शत्रु बाधा न डालें। प्रार्थना के पश्चात पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ गोमती चक्र जलती हुई होलिका में डाल दें।
. शीघ्र विवाह के लिए होली के दिन किसी शिव मंदिर जाएं और अपने साथ 1 साबुत  पान, 1 साबुत  सुपारी एवं हल्दी की गांठ रख लें। पान के पत्ते पर सुपारी और हल्दी की गांठ रखकर शिवलिंग पर अर्पित करें। इसके बाद पीछे देखे बिना अपने घर लौट आएं। यही प्रयोग अगले दिन भी करें। इसके साथ ही समय-समय पर शुभ मुहूर्त में यह उपाय करते रहें । जल्दी ही विवाह के योग बन जाएंगे।
. होली के दिन से शुरू करके बजरंग बाण का 40 दिन तक नियमित पाठ करने से हर मनोकामना पूर्ण होगी।  
होली री घणी घणी बधायाँ।

रामजी थाने सगळा नै निरोगा राखै
कमाई दुनी चोगुणी बढ़ावे
टाबरिया आपस्यूं भी ऊँचा चढ़े।
 देश रो मान बढ़े


मारवाड़ री ईण पावन धरा माथै विराजियोड़ा
मोतिया सू महग़ा अर म्हारे हिवड़े रा हार
थानै " होली " रै ईण  पर्व माथै
हैत प्रिंत  अर औलखाण सारू
म्हारे अन्तस हिवड़ै अर कालजिये री कोर सू
थानै अर थ्हारे सगले कूटूम्ब नै
घणी मोकली  शुभ कामना
वा सा ,
HAPPY Holi my all friends

और हा ऐक बात और सूणजो
 सब ने ऐक ही केणो वोट मोदी जी ने देणो है लोगारी बाता मायने कोणी अणु है

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होली री घणी घणी बधायाँ


होली री घणी घणी बधायाँ।
रामजी थाने सगळा नै निरोगा राखै
कमाई दुनी चोगुणी बढ़ावे
टाबरिया आपस्यूं भी ऊँचा चढ़े।
 देश रो मान बढ़े


मारवाड़ री ईण पावन धरा माथै विराजियोड़ा
मोतिया सू महग़ा अर म्हारे हिवड़े रा हार
थानै " होली " रै ईण  पर्व माथै
हैत प्रिंत  अर औलखाण सारू
म्हारे अन्तस हिवड़ै अर कालजिये री कोर सू
थानै अर थ्हारे सगले कूटूम्ब नै
घणी मोकली  शुभ कामना
वा सा ,
HAPPY Holi my all friends


💐जय जय श्री राधे रानी की💐


और हा ऐक बात और सूणजो

 
सब ने ऐक ही केणो वोट मोदी जी ने देणो है लोगारी बाता मायने कोणी अणु है

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मंगलवार, 19 मार्च 2019

कुछ ऐसे थे मनोहर पर्रिकर जी

कुछ ऐसे थे मनोहर पर्रिकर जी

1. सादगी के लिए चर्चा में रहने वाले। बेटे की शादी में जहां तमाम मेहमान शानदार सूट-बूट से लैस थे, पर्रिकर हाफ शर्ट (जो कि उनकी पहचान बन चुकी थी), क्रीज वाली साधारण पैंट और सैंडिल पहने सबकी आवभगत करने में जुटे थे। आप उन्हें गोवा की सड़कों पर स्कूटर चलाते और बिना सिक्यॉरिटी के साधारण से रेस्ट्रॉन्ट में चाय पीते भी देखा जा सकता था।

2. 63 वर्ष तक मनोहर पर्रीकर सोलह से अठारह घंटे काम करते थे॥ गोवा के मुख्यमंत्री रहते समय मुख्यमंत्री कार्यालय के कर्मचारियों को साँस लेने की भी फुर्सत नहीं मिलती थी॥
एक बार पर्रीकर अपने सचिव के साथ रात बारह बजे तक काम कर रहे थे॥ जाते समय सचिव ने पूछा, “सर, यदि कल थोड़ी देर से आऊँ तो चलेगा क्या?”, पर्रीकर ने कहा, “हाँ ठीक है, थोड़ी देर चलेगी, सुबह साढ़े छः बजे तक आ ही जाना”॥ सचिव महोदय ने सोचा कि वही सबसे पहले पहुँचेंगे, लेकिन जब अगले दिन सुबह साढ़े छः बजे वे बड़ी शान से दफ्तर पहुँचे तो चौकीदार ने बताया कि पर्रीकर साहब तो सवा पाँच बजे ही आ कर ऑफिस में जमे हैं और फाइलें निपटा रहे हैं !

3. फिल्म फेस्टिवल 2004 के उद्घाटन समारोह में आए मेहमान ये देखकर हैरान रह गए कि पसीने से लथपथ पर्रिकर पुलिस वालों के साथ आयोजन स्थल के बाहर ट्रैफिक कंट्रोल में जुटे थे। 2012 में खुले मैदान में तीसरी बार शपथ लेने के बाद पर्रिकर ने हर उस आदमी से हाथ मिलाया, जो उन्हें बधाई देने के लिए स्टेज के पास आया। पिछले चुनाव से पहले गोवा के लोगों ने उन्हें 15 दिन तक लगातार रोज 18 से 20 घंटे तक जनसंपर्क करते देखा।

4. बेहद अनुशासित और सख्त प्रशासक कहे जाने वाले पर्रिकर को मार्च 2012 में पर्यटन मंत्री मातनही सलदन्हा के निधन पर फूट-फूट कर रोते देखा गया। 2005 में जब कुछ विधायकों की खरीद-फरोख्त से पर्रिकर की सरकार डिगा दी गई, मातनही उनके साथ चट्टान की तरह खड़े रहे थे। जब मातनही बीमार पड़े, तो पर्रिकर लगातार उनके बेड के सिहराने बैठे रहे। जब डॅाक्टरों ने उन्हें घर जाकर आराम करने के लिए कहा तो जवाब था, मैं उस व्यक्ति को कैसे छोड़कर चला जाऊं, जो इतने सालों तक साए की तरह मेरे साथ बना रहा।

5. नियमों के पक्के पर मानवीय भी। साप्ताहिक जनता दरबार में एक महिला बेटे को लेकर पहुंची और उसके लिए सरकारी लैपटॅाप मांगा। मौजूद अधिकारी ने बताया कि ये लड़का उस सरकारी योजना में नहीं आ पाएगा। बहरहाल, पर्रिकर को याद आ गया कि वे अपने जनसंपर्क अभियान के दौरान इस महिला से मिले थे और उसे योजना के बारे में बताया था। उन्होंने तत्काल उस लड़के को नया लैपटॅाप दिलाने की व्यवस्था की। इसका भुगतान उन्होंने अपनी जेब से किया!

6. पर्रिकर हमेशा इकॅानमी क्लास में विमान यात्रा करते थे। उन्हें आम लोगों की तरह अपना सामान लिए यात्रियों की लाइन में खड़े और बोर्डिंग बस में सवार होते देखा जा सकता था। टेलीफोन पर पर्सनल बातचीत का भुगतान जेब से करते थे। टैक्सी लेने या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने में कभी नहीं झिझकते। पत्नी के निधन के बाद दोनों बेटों के लिए मां की जिम्मेदारी भी उन्होंने बखूबी निभाई थी।

अलग-अलग तरीकों से मनोहर पर्रीकर को रिश्वत देने की कोशिशें भी हुईं, लेकिन उनका कठोर व्यक्तित्त्व और स्पष्ट वक्ता व्यवहार के कारण उद्योगपति इसमें सफल नहीं हो पाते थे और पर्रीकर के साथ जनता थी, इसलिए उन्हें कभी झुकने की जरूरत भी महसूस नहीं हुई॥

एक बार पर्रीकर के छोटे पुत्र को ह्रदय संबंधी तकलीफ हुई. डॉक्टरों के अनुसार जान बचाने के लिए तत्काल मुम्बई ले जाना आवश्यक था. उस समय गोवा का एक उद्योगपति उन्हें विमान से मुम्बई ले गया॥
चूँकि पर्रीकर के बेटे को स्ट्रेचर पर ले जाना था, इस लिए विमान की छह सीटें हटा कर जगह बनाई गई और उसका पैसा भी उस उद्योगपति ने ही भरा॥
पर्रीकर के बेटे की जान बच गई. उस उद्योगपति के मांडवी नदी में अनेक कैसीनो हैं और उसमें उसने अवैध निर्माण कर रखे थे. बेटे की इस घटना से पहले ही पर्रीकर ने उसके अवैध निर्माण तोड़ने के आदेश जारी किए हुए थे॥
उस उद्योगपति ने सोचा कि उसने पर्रीकर के बेटे की जान बचाई है, इस लिए शायद पर्रीकर वह आदेश रद्द कर देंगे॥
ख़ाँग्रेस को भी इस बात की भनक लग गई और वह मौका ताड़ने लगी, कि शायद अब पर्रीकर जाल में फंसें॥ लेकिन हुआ उल्टा ही॥
पर्रीकर ने उस उद्योगपति से स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि एक पिता होने के नाते मैं आपका आजन्म आभारी रहूँगा, परन्तु एक मुख्यमंत्री के रूप में अपना निर्णय नहीं बदलूँगा॥ उसी शाम उन्होंने उस उद्योगपति के सभी अवैध निर्माण कार्य गिरवा दिए और विमान की छः सीटों का पैसा उसके खाते में पहुँचा दिया॥

पढ़ने में भले ही यह सब फ़िल्मी टाईप का लगता हो, परन्तु जो लोग पर्रीकर को नज़दीक से जानते थे, उन्हें पता है कि पर्रीकर के ऐसे कई कार्य मशहूर हैं॥ चूँकि भारत की मीडिया गुडगाँव और नोएडा की अधिकतम सीमा तक ही सीमित रहती है, इसलिए पर्रीकर के बारे में
यह बातें अधिक लोग जानते नहीं हैं॥

ऐसे अनमोल रतन की परख करके नरेंद्र मोदी नामक पारखी ने उन्हें एकदम सटीक भूमिका सौंपी है, वह है रक्षा मंत्रालय॥

पिछले चालीस वर्षों में दलाली और भ्रष्टाचार (अथवा एंटनी के कार्यकाल में अकार्यकुशलता एवं देरी से लिए जाने वाले निर्णयों) के लिए सर्वाधिक बदनाम हो चुके इस मंत्रालय के लिए मनोहर पर्रीकर जैसा व्यक्ति ही चाहिए था॥

यह देश का सौभाग्य ही था कि पर्रीकर जैसे क्षमतावान व्यक्ति के सुरक्षित हाथों में रक्षा मंत्रालय की कमान थी॥

जिस समय पर्रीकर को शपथविधी के लिए दिल्ली आमंत्रित किया गया था, उस समय एक “सत्कार अधिकारी” नियुक्त किया गया. जब अधिकारी ने पर्रीकर से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, “आपको एयरपोर्ट पर आने की जरूरत नहीं, मैं खुद आ जाऊँगा”॥
जब होटल के सामने ऑटो रिक्शा से सादे पैंट-शर्ट में “रक्षामंत्री” को उतरते देखा तो दिल्ली की लग्ज़री लाईफ में रहने का आदी वह अधिकारी भौंचक्का रह गया
दोस्तों मुझे गर्व है ऐसे महान व्यक्तियों पर और मोदीजी की परख पर॥

तो क्यों न हम सब मिल कर अपने मित्रों, देश के शुभचिंतकों और देश के सच्चे देशभक्तों को ये सीना 56 इंच कर देने वाली इस प्रेरणा दायक जानकारी से अवगत कराएँ !!!                               

सादगी भरें जीवन को शत-शत नमन🙏🏻🙏🏻
भगवान उनकी आत्मा को शांती🙏🏻🙏🏻

गुरुवार, 7 मार्च 2019

मोदी भारत के लिए राजनीतिक औषधि है

 आयुर्वेद में शहद को अमृत के समान माना गया हैं और मेडिकल साइंस भी शहद को सर्वोत्तम पौष्टिक और एंटीबायोटिक भंडार मानती हैं लेकिन आश्चर्य इस बात का हैं कि शहद की एक बूंद भी अगर कुत्ता चाट ले तो वह तुरन्त मर जाता हैं यानी जो मनुष्यों के लिये अमृत हैं वह शहद कुत्ते के लिये साइनाइड हैं..!!!

# देशी_घी शुद्ध देशी गाय के घी को आयुर्वेद अमृत मानता हैं और मेडिकल साइंस भी इसे अमृत समान ही कहता हैं पर आश्चर्य ये हैं कि मक्खी घी नही खा सकती अगर गलती से देशी घी पर मक्खी बैठ भी जाये तो अगले पल वह मर जाएगी इस अमृत समान घी को चखना मक्खी के भाग्य में नही होता!

# मिश्री .. इसे भी अमृत के समान मीठा माना गया हैं आयुर्वेद में हाथ से बनी मिश्री को अमृत तुल्य बताया गया हैं और मेडिकल साइंस हाथ से बनी मिश्री को सर्वोत्तम एंटबायोटिक मानता है लेकिन आश्चर्य हैं कि अगर खर ( # गधे) को एक डली मिश्री खिला दी जाए तो अगले ही पल उसके प्राण पखेरू उड़ जाएंगे! ये अमृत समान मिश्री खर नही खा सकता हैं !!!

नीम के पेड़ पर लगने वाली पकी हुई # निम्बोली में सब रोगों को हरने वाले गुण होते हैं और आयुर्वेद उसे अमृत ही कहता हैं मेडिकल साइंस भी नीम के बारे में क्या राय कहता हैं आप जानते होंगे! लेकिन आश्चर्य ये हैं कि रात दिन नीम के पेड़ पर रहने वाला # कौवा अगर गलती से निम्बोली को चख भी ले तो उसका गला खराब हो जाता हैं अगर निम्बोली खा ले तो कौवे की मृत्यु निश्चित हैं....!!!
इस धरती पर ऐसा बहुत कुछ हैं जो # अमृतसमान हैं, # अमृततुल्य हैं.....पर इस धरती पर कुछ ऐसे # जीव भी हैं जिनके # भाग्य में वह # अमृत भी नही हैं ...!!
# मोदी भारत के लिये #अमृत समान ही हैं पर मैडम के # मक्खीकुत्तेकौवे_गधे और मीडिया के शिशुपालों आदि को अमृत की महत्ता समझाने में समय नष्ट न कीजिये.....इनके भाग्य में वो # समझ ही नही हैं....ये जीवन भर # गंदगी मे ही सांस लिये है,इसलिये उसे ही अपना
# प्रारब्ध समझतें है...!
इसलिये मोदी भी भारत के लिए राजनीतिक औषधि है ।क्योंकि वो देश को खोखला करने वालों से मुक्त कराने में ,अंतरराष्ट्रीय शक्ति,सामरिक शक्ति बनाकर भारतीयों का सर गर्व से ऊंचा करने में रात दिन लगे है बेहतर हैं इन कुत्ते,गधे, मक्खी जैसों को समझ आ जाये जो एकजुट होकर देश को पहले जैसा बनाने में लगे है।
जागो और जगाओ।

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