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शनिवार, 25 मई 2019

यह प्रचण्ड चमत्कार कैसे हो गया...?


खंडित छत्र,
भग्न रथ,
अपने ही रक्त-स्वेद में सने धरती पर लोटते हुए महारथी,
श्लथ-क्लांत कराहते हुए असंख्य पदातिक,
दुम दबा कर भागती शत्रु सेना,
लहराती विजय पताकाएँ,
दमादम गूंजते हुए नगाड़े,
बजती हुई विजय दुंदुभी,
पाञ्चजन्य का गौरव-घोष...
यह बहुत आश्वस्ति देने वाला परिदृश्य है
यह प्रचण्ड चमत्कार कैसे हो गया...?
ढेर सारे विशेषज्ञ,विद्वान इस परम गौरवशाली विजय का विश्लेषण करेंगे तरह तरह से इसे विकास की जीत बताएँगे अतः इस प्रचण्ड विजय का सत्य बताना,समाज तक पहुंचना आवश्यक है आख़िर yadavo ne  बसपा को क्यों ठुकरा दिया...?

यादवों ने चारा खाने में जेल की सज़ा भुगतते बवासीर-पीड़ित लालू के राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी को क्यों दुत्कार दिया...?
बौद्ध,जैन,सनातनी,सिक्ख,आर्यसमाजी यानी धर्म के हाथ की सदैव से खुलीं पाँचों उँगलियाँ सिमट कर मुक्का कैसे बन गयीं...?
बाल्मीक,क्षत्रिय,जाटव,ब्राह्मण,जाट,यादव, वैश्य,कुर्मी,कहार...हर वर्ग ने कांग्रेस,TMC, वामपंथ आदि को धार मार कर क्यों बहा दिया...?
अपने बूते भाजपा ३०० कैसे हो गयी...?
प्रसून का मुरझाना,सागरिका का कीचड़ ठहरना,राजदीप का जुगनू भर भी न बचना, बरखा का रेगिस्तान बनना,प्रणय का स्थायी वियोगी होना,रवीश का कालिख निकलना यानी स्वयं को मुख्य धारा के तीसमार ख़ाँ मानने वालों को राष्ट्र ने मुँह दिखाने के लायक़ भी क्यों नहीं छोड़ा...?
बँगाल में अपने नाम से बिलकुल उलट क्रूर ममता और उनके साथियों की भरपूर गुंडागर्दी के बाद भी कमल कैसे खिल उठा, क्या वहाँ विकास मुद्दा था...?
भोपाल से दिग्विजय सिंह की साढ़े तीन लाख से अधिक की पराजय कैसे हो गयी...?
कल तक आत्मा तक को तोड़ देने वाली मार से आहत,बिलख-बिलख कर रोने वाली शस्त्रहीन पदातिक ने महारथी का कवच फाड़ कर उसकी राजनैतिक मृत्यु कैसे निश्चित कर दी...?
साध्वी प्रज्ञा ने चुनाव प्रचार में नथुराम गोडसे को देशभक्त कहा तुरंत प्रेस टूट पड़ा भाजपा तक दबाव में आ गयी मगर यह अप्रतिम विजय बता रही है कि भोपाल के समाज के मन में क्या था आख़िर प्रत्येक वर्ग,प्रत्येक समाज का व्यक्ति झुलसाने वाली गर्मी में वोट डालने क्यों निकल पड़ा...?
इसका वास्तविक कारण केवल और केवल राष्ट्र के मूल स्वरुप की चिंता है नरेंद्र दामोदर दास मोदी नाम के तेजस्वी व्यक्ति का नेतृत्व राष्ट्र-रक्षा करेगा,का अखण्ड विश्वास है चुनाव से कुछ पूर्व बालाकोट में सैन्य आक्रमण के प्रमाण माँगने वालों को यह समझ ही नहीं आया कि राष्ट्र के लिये मुद्दा यह नहीं है कि बालाकोट में सेना का पराक्रम कितना कारगर है बल्कि मुद्दा है कि सेना शत्रु के पीछे उसके घर में घुस गयी राष्ट्र तक जो संदेश पहुँचा वह था कि मोदी मर्द है और भारत वीरपूजा करने वालों का राष्ट्र है...!
एक समय था कि देश के भाजपा छोड़ कर अन्य राजनैतिक दलों में इफ़्तार पार्टी देने की होड़ लगी रहती थी तलुआ-चाट प्रधानमंत्री ने बयान दिया था राष्ट्र के संस्थानों पर पहला हक़ मुसलमानों का है हम सो सीटें मुसलमान को दे रहे हैं,हम डेढ़ सौ सीटें अल्पसंख्यकों को दे रहे हैं जैसी बातें सामान्य थीं आपको ध्यान होगा कि कुछ वर्ष पूर्व इन कमीनों ने मुस्लिम वोट एकत्र करने के लिए केरल में गौ हत्या की थी क्या इस चुनाव में किसी को ऐसी बेहूदगी का ध्यान है किसी दल के नेता ने चुनाव में जालीदार हैलमेट पहना...?
कोई नेता दोनों हाथ उठाये दुआ की नौटंकी करता दिखाई पड़ा...?
कोई राजनेता किसी इमाम,देवबंदी आलिम, क़ब्र के रखवाले के पास जाता दिखाई दिया...?
बल्कि पारसी दादा,ईसाई माँ,अज्ञात मज़हब को मानने वाले पिता के बेटे को हम सब ने विभिन्न मंदिरों की ड्योढ़ी पर माथा घिसते देखा यह बदलाव स्वयं तो आ नहीं सकता तो यह हुआ कैसे...?
मित्रो...!
इस चमत्कार का श्रेय राष्ट्र के बदले नैरेटिव को है १९४७ से ही भारत की मुख्य धारा का नैरेटिव गाँधी,नेहरू के दबाव में धर्मविरोधी बल्कि धर्मद्रोही था अकेला,खिन्न,क्लाँत हिंदू अंदर ही अंदर असहाय अनुभव करता था मगर उसके पास अपनी पीड़ा को मुखर करने का कोई माध्यम नहीं था समाचारपत्र उनके इशारों पर चलते थे रेडियो,टी.वी. उनकी ढपली बजाते थे राष्ट्र अपने कष्ट कहे तो कैसे कहे...?
अचानक सोशल मीडिया का प्रादुर्भाव हुआ और पीड़ा को वाणी मिल गयी समाचारपत्र, रेडियो,टी.वी.के समानांतर लाखों छोटे-छोटे केंद्र खड़े हो गए ऐसे केंद्र जिन्हें विज्ञापन न मिलने की चिंता नहीं थी ऐसे रेडियों-टीवी जिन्हें मालिक द्वारा नौकरी से निकले जाने का डर नहीं था इस के कारण वैचारिक क्रांति लहलहा उठी...!
इसी वैचरिक क्रांति के परिणाम से उपजे प्रखर,तेजस्वी,मुखर समाज को २०१४ में विकल्प दिखाई पड़ा और वो ख़ासी तादाद में इकट्ठा हो गया २०१४ से १९ तक के पांच वर्षों में इसने भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस, सपा,बसपा,TMC आदि की परफॉर्मेंस देखी परिणाम यह हुआ कि वो भाजपा पर मुग्ध हो गया उसी मुग्धता का परिणाम खंडित छत्र, भग्न रथ,अपने ही रक्त-स्वेद में सने धरती पर लोटते हुए महारथी,श्लथ-क्लांत कराहते हुए असंख्य पदातिक, दुम दबा कर भागती शत्रु सेना, लहराती विजय पताकाएँ, दमादम गूंजते हुए नगाड़े, बजती हुई विजय दुंदुभी, पाञ्चजन्य का गौरव-घोष है...!!!

गजनी वास्तव में राजपूतो के हाथ से निकल गया

#गजनी !

गजनी वह स्थान है, जहां से कभी राजपूत पूरे विश्व का नेतृत्व किया करते थे । गजनी खुरासान से ही ईरान से लेकर यूरोप तक का मार्ग प्रशस्त होता है । अतः चारो दिशाओ का नेतृत्व वहीं से किया जा सकता है ।

लगभग 3000 साल पहले कृष्ण के वंशज यदुवंशी राजपूतो ने यहां से लगभग पूरे विश्व को अपने नियंत्रण में ले लिया था । वहां से इनका शाशन यमुना उर्फ दिल्ली तक आता था ।

इसका उदारहण आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूँ, जडेजा राजपूत जो खुद को कृष्ण का वंशज मानते है । कृष्ण के श्यामल वर्ण के होने के कारण यह लोग खुद को सामपुत्र भी कहते है । इन्ही जडेजा लोगो का शाशन सीरिया तक था । सीरिया आज के जितना छोटा नही था । इसका क्षेत्रफल बहुत विशाल हुआ करता था । जिसके लगभग आधा अरब और यूरोप समा जाता है । सीरिया के पुराना नाम " साम " ही है । इसका प्रत्यक्ष प्रमाण मुसलमानो की " गजवा- ऐ - साम " की हदीस है । गजवा भी हिन्दू नाम है, ओर साम तो सामपुत्रो का नाम ही है । अर्थात कृष्ण के पुत्रों के विरुद्ध जिहाद ।

इस क्षेत्र पर सबसे पहले शाशन यदुभान ने आकर स्थापित किया , जिसका विवरण पुराणों में भी मिलता है। उस समय असीरिया में ग्रहयुद्ध चल रहा था, जहां यदुभान नाम के साधारण से राजपूत ने अपनी समझ बुझ से शांति की स्थापना की ओर लोगो ने उन्हें वहां का राजा घोषित कर दिया ।

उसके बाद उनके पुत्र नाभ वहां गद्दी पर बेठे । जिसने मालवा के विजयसिंहः की पुत्री से विवाह किया था । उनके पुत्र बाहुबल हुए, जिनकी घोड़े से गिरने के कारण अकस्मात मृत्यु हो गयी । नाभ के बाद सुभाहु गद्दी पर बैठे । यहां तक शांति ही शांति थी । सुबाहु के बाद उनके पुत्र " रिज " गद्दी पर बैठे । #ध्यान_रहे - यह सारा शाशन अफगानिस्तान से अरब की ओर शाशन कर रहा है । आज भी मुसलमानो ने रिजवान नाम बड़ी श्रद्धा से रखा जाता है, रिज एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ सूर्य के समान महान उदय है । उसी रिज से अंग्रेजो का राइजिंग बना है, जिसका अर्थ भी उदय ही है । और जैसे हम हिन्दू गुणवान, धनवान आदि लगाते है, मुसलमान रिजवान लगाने लगे । अतः रिजवान नाम हिन्दुओ का ही है ।

रिज का विवाह मालवा की राजकुमारी सौभाग्य देवी से हुआ । सौभाग्य देवी जब गर्भवती थी, तो उन्हें स्वपन आया कि उन्होंने एक हांथी को जन्म दिया है । जब ज्योतिषी से इस स्वप्न का तातपर्य पूछा तो उन्होंने कहा, की तुम हाथी के समान एक अत्यंत बलशाली ओर प्रतापी पुत्र को जन्म देने वाली हो । इसी आधार पर उनका नाम "गज " रखा गया । उन्ही के नाम से गजनी नाम भी पड़ा ।

गज के शाशन काल मे ही मुसलमानो की मल्लेछ सेना ने गजनी पर आक्रमण की शुरुवात कर दी थी । चार लाख की सेना के साथ  फरीदशाह ने गजनी पर आक्रमण किया । यह सब अरबी भेड़ें थी ।  भारत की जनता इस आक्रमण की खबर से घबराकर चारो ओर भाग रही थी । लेकिन महाराज गज ने अपनी सेना एकत्र कर सामने से जाकर मल्लेछो पर धावा बोला,  मुसलमानो के 3 लाख सैनिक युद्ध मे मारे गए, ओर हिन्दू राजपूत की तरफ से मारे गए सैनिको की संख्या मात्र 4000 थी ।

इस युद्ध के बाद ही महाराज गज ने अपनी प्रजा को सुरक्षित रखने के लिए एक विशाल दुर्ग का निर्माण करवाया । जिसका नाम " गजनी " रखा गया । इस दुर्ग के निर्माण होते होते ही मल्लेछो ने एक बार फिर आक्रमण कर दिया । यह बड़ा भयंकर युद्ध था । तलवारों ओर घोड़े की तापो के अलावा कुछ सुनाई न पड़ता था । राजपूतो की तलवारों से पल भर में सैंकड़ो सिर भूमि पर गिर रहे थे । इस युद्ध मे सेनापति खुरासान सहित ढाई लाख मुसलमान मारे गए । सात हजार राजपूतो ने वीरगति प्राप्त की ।

राजा गज के बाद साहिलवान वहां की गद्दी पर बैठे । राजा गज जब अपने वर्णाश्रम में तपस्या में लीन थे, तो उनके कुलदेवी की आकाशवाणी हुई, की गजनी  अब तुम लोगो के शाशन से बाहर होने वाला है, आने वाले हजारो वर्षो तक यहां मल्लेछो का शाषन रहेगा ।

किन्तु एक समय ऐसा आएगा ..... तुम्हारे ही वंशज यहां आकर फिर से अपना शाशन स्थापित करेंगे .... ओर पूरे विश्व का नेतृत्व करेंगे ।

गजनी वास्तव में राजपूतो के हाथ से निकल गया ..... लेकिन दूसरी भविष्यवाणी अभी पूरी होनी शेष है ......

गुरुवार, 23 मई 2019

जीत के बाद सरकार को जल्द ही उठाने होंगे यह कदम

यह वास्तव में बड़े हर्ष व उत्सव का अवसर है,परंतु हमें इतने पर ही खुश होकर नहीं बैठ जाना है। यह स्थायी समाधान कतई नहीं है और न माना जाना चाहिए,बल्कि मोदी सरकार और हमें इस स्थिति को अधिक मजबूत करने के लिए निरंतर अधिक कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। इसके अन्तर्गत कुछ स्थायी और कुछ तत्कालिक सख्त निर्णय लेने पड़ेंगे व कदम मनोयोग से इस प्रकार उठाने पड़ेंगे:-
*भाजपा घोषणापत्र के अनुसार:*
(1) समान आचार संहिता (Common Civil Code) लागू करके धर्म-जाति के आधार पर बने सारे कानून-व्यवस्थाएं जैसेकि आरक्षण,हिन्दू कोड बिल,मुस्लिम पर्सनल लॉ आदि को खत्म करना।
(2) देशद्रोह कानून को सख्त बनाना।
(3) धारा-370 व अनुच्छेद-35ए को समाप्त कर कश्मीर समस्या को खत्म करना।
जनता के सुख-शान्ति-सुकून के लिए बरसों पुरानी ज्वलंत मांगों/आकांक्षाओं को पूरा करना:-
(1) आयकर व अन्य सभी प्रत्यक्ष करों को भी GST में समाहित कर जनता को अनावश्यक हिसाब-किताब रखने/कर-चोरी के अभिशाप व छापों/कालाधन की समस्या से मुक्ति दिलाना।
(2) किसानों को स्वतंत्र आयोग के माध्यम से अपनी उपज की कीमत तय करने का अधिकार देकर और मंडियों में आढ़तीयों के वर्चस्व को खत्म किसानों की समस्याओं का स्थायी समाधान करना।
(3) देश पर नागा व अन्य साधु-संतों एवं भिखारियों के बढते बोझ और इनका नाजायज फायदा उठाने को पनपते माफिया पर अंकुश लगाने के लिए नियामक आयोग बनाना।
(4) शिक्षा,चिकित्सा-स्वास्थ्य(एलोपेथी रहित),खाद्य,जल,स्वच्छता-प्रदूषण,विद्युत,आय से अधिक संपति बनाने वालों पर निगरानी आदि जनता से सीधे जुड़ी सेवाओं के बेहतर संचालन-नियन्त्रण हेतु बड़ी संख्या में शक्तिशाली नियामक आयोग/एजेंसियां बनाना।
(5) सेना,सशस्त्र बलों,CBI,लोकपाल आदि को अधिक सशक्त व अधिकार-सम्पन्न बनाना।
(6) सबसे महत्त्वपूर्ण--समस्त चुनावों को ऑनलाईन करना,इसके लिये प्रत्याशी व मतदाता की न्यूनतम शिक्षा एवं अधिकतम आयु तय कर वोटर को ATM.PIN जैसी Unique ID दी जावे,जिससे देश-विदेश में कहीं भी बैठे 100% वोटर तय समय में वोट डाल पाएंगे और समय खत्म होते ही सॉफ़्टवेयर से परिणाम तैयार मिलेगा। इससे देश की विशाल धनराशि,समय,शक्ति,उर्जा,कागज आदि की बचत होगी। आदर्श आचार संहिता(MCC) लगाने की भी आवश्कता नहीं होगी तो विकास कार्य ठप्प नहीं होंगे एवं EVM,VVPAT आदि पर खर्च होने वाले अरबों रुपये बचेंगे।
(7) इन 5 वर्षों में अयोध्या में राम मंदिर व सरयू पार मस्जिद बन जाए।
(8) विदेशी आक्रामकों/मुगलों द्वारा बदले गए शहरों/गांवों व अन्य स्थानों का पुन: मूल नामकरण करना।
(9) सभी धर्मस्थलों व उनके खजानों(लगभग 5 लाख करोड़ व वार्षिक आय लगभग 18 लाख करोड़) का अधिग्रहण कर,नियामक आयोग बनाकर इनको सामाजिक रुप से उपयोगी(विशेषतः योग-ध्यान,शिक्षा,स्वास्थ्य हेतु) बनाना व खजाने का विकास में खर्च करना।
(10) सोने और शत्रु देशों से आयात पर कई गुना ड्यूटी द्वारा अंकुश और नशीले पदार्थों की आमद पर कड़ा प्रतिबंध व निगरानी रखना।
(11) प्रत्येक नागरिक(अमीर से भिखारी तक) का पूरा विवरण रखना।
(12) जन्म-मृत्यु-विवाह पंजीकरण को अनिवार्य व प्रभावी बनाना।
(13) जनसंख्या नियन्त्रण (धर्म-जाति  की परवाह किये बिना) हेतु प्रभावी कार्यक्रम लागू करना।
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congratulations modi ji

 विश्व के सबसे ताकतवर एवं लोकप्रिय नेता श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी को अखंड भारत में प्रचंड बहुमत से उन्हें प्रधानमंत्री बनकर देश का मान बढ़ाने पर सांवरिया और उनकी पूरी टीम द्वारा एवं समस्त देशवासियों की ओर से हार्दिक अभिनंदन एवं तहे दिल से बधाइयां

मंगलवार, 21 मई 2019

घर से कबाड़ और कचरे को हटाकर वास्तु देव की कृपा को बढ़ाएं

"घर से कबाड़ और कचरे को  हटाकर वास्तु देव की कृपा को बढ़ाएं"

✅वास्तु शास्त्र के अनुसार कचरे कबाड़ रखने के लिए नेऋत्य कोण [दक्षिण -पश्चिम] को सबसे उपयुक्त माना गया है ।

✅सर्वप्रथम वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कचरे कबाड़ होना ही नही चाहिए ,

✅अगर है तो घर के सारे सदस्य छुट्टी के दिन बैठकर अलग अलग कर लें ।

✅कुछ सामान को जरूरतमंद को दे दें क्योंकि आप यह निश्चित मानिये ये आपके कुछ भी काम का नही है ,

✅ये जीवन भर कुछ भी काम नही आने वाला । कुछ सामान को कबाड़ी के पास बेच दें इससे आपको कुछ पैसे मिल जायेंगे

✅ देखिये आपने कबाड़ निकाला नही कि लक्ष्मी कि कृपा शुरू हो गयी ।

✅जरूरत मंद को आपने जैसे ही सामान दिया नही कि वो लोग आपको दुवा देना शुरू कर देंगे ---

✅यह भी समृद्धि कि शुरुवात है ---निर्मल बाबा के अनुसार आपकी कृपा वँही रुकी हुयी थी ----कबाड़ हटाते ही कृपा शुरू हो गई।

✅नेऋत्य कोण वैवाहिक जीवन का कोण है अगर पति-पत्नी के सम्बन्धों में कोई अवरोध या कडुवाहट है तो इस कोण में स्थित कबाड़ को तुरंत घर से बाहर का रास्ता दिखाएँ ।

✅इसी कोण से बच्चों का विवाह देखा जाता है अगर बच्चों के विवाह में कोई बाधा उत्पन्न हो रहा है तो इस कोण के कबाड़ हो तुरंत हटा दें ।

✅पति-पत्नी के बीच अगर तलाक के केस कोर्ट में चल रहे हैं और कोई भी एक पक्ष पुन: मिलने को इच्छुक है तो इस कोण में स्थित कचरे कबाड़ की तुरंत बिदाई की तैयारी करें ।

✅राजनीती के क्षेत्र में काम करने वालो के लिए ---इसी कोण से मतदाताओं के साथ सम्बन्ध देखा जाता है -----

✅राजनेता भूलकर भी इस कोण में कबाड़ न रखें ----राजनेताओं के लिए नेऋत्य कोण अत्यंत महत्व पूर्ण है क्योंकि इसी कोण से पार्टी आलाकमान से सम्बन्ध भी देखा जाता है ,

✅और बगैर आलाकमान से अच्छे सम्बन्ध बनाये आपको पार्टी की टिकिट ,मंत्री पद ,राज्यसभा ,राजभोग मिलने से रहा

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