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बुधवार, 29 मई 2019

संघ कुछ नही करता, सिर्फ शाखा लगाता है और स्वयंसेवक के साथ राष्ट्र निर्माण करता है

*संघ और सियासत*

कल दोपहर को एक भाई साहब मिले।
मुझे रोकते हुए बोलते हैं कि *आजकल संघ वालों की जमकर चांदी है। हर जगह CM संघ का, PM संघ का, मंत्री संघ के है।*

खैर, मेने मुस्कुराते हुए सुनकर भी उनकी बात को टाल दिया। लेकिन सोचने वाली बात है। हर्ष हमे भी होता है जब एक स्वयंसेवक देश की कोई जिम्मेदारी का निर्वहन करता है। उसका दायित्व सम्हालता है।

लेकिन हम सामान्य लोगों का एक सामान्य स्वभाव है। कि *हम किसी भी व्यक्ति की सफलता देखते हैं। और उसके संघर्षों को अनदेखा कर देते हैं।*

आज सबको मोदी व योगी का युवाओं में क्रेज दिखता है। लेकिन उनकी तपस्या, उनका त्याग, उनका समर्पण भी देखना चाहिए।

मनोहर पर्रिकर, देवेंद्र फड़नवीस, रघुवरदास, त्रिवेंद्र सिंह रावत, मनोहर खट्टर की सादगी भी देखनी चाहिए। किस तरह पर्रिकर देश के सबसे ज्यादा शो ऑफ करने वाले VVIP लोगों के पसंदीदा राज्य के मुखिया होकर भी सादगी और गरिमा पूर्ण ढंग से रहते हैं।

दूसरी और आज हम देखते हैं कुछ छुट भैया नेताओं को अगर वो किसी शहर के पार्षद भी बन जाएं तो 4 पहिया वाहन के बिना नहीं चलते हैं।

यह अंतर है, इन नामों और हम सामान्य लोगों में,

आप को मोदी की सफलता दिखती है। लेकिन दूसरा पहलू भी तो देखिये। आज उनके समकक्ष जो विरोधी राजनेता हैं, युवराज, और दिल्ली के CM जितनी इन दोनों की आयु है, उससे ज्यादा समय से मोदी इस देश, समाज के लिए काम कर रहे हैं।

जब हमारे बच्चे 12th के बाद किस कॉलेज में प्रवेश लें इस कशमकश में फंसे होते हैं, उस आयु में इन लोगों ने देश और समाज के लिए अपना घर-परिवार छोड़ने का निर्णय ले लिया था।

हम इन जैसे बनना चाहते हैं। लेकिन क्या उनके रास्ते पर चलना चाहते हैं ?

मुझे याद है,
आज से 4-5 साल पहले अगर आप कुर्ता पहन लें तो आपके दोस्त मजाक उड़ाते थे। क्योकि इसे बूढ़ों का पहनावा कहा जाता था। लेकिन आज युवा इसे गर्व से पहनते हैं।

कल तक आप गले में माला पहनकर स्कूल, कालेज नही जा पाते थे। क्योकि आपको बैकवर्ड सोच का कह दिया जाता था, लेकिन आज जब देश के मुखिया *रुद्राक्ष की माला* गले में धारण करते है, तो उनको देखकर लाखों युवा माला पहनते हैं।

मुझे याद है,
अभी कुछ समय पूर्व तक आप अगर युवा हे तो गले में गमछा डालने में शरमाते थे। लेकिन जब देश के प्रधान गले में भगवा गमछा डालते है, तो आज उनका अनुसरण करते हुए करोड़ों युवा भगवा गमछा गले में डालते हैं।

आज आप नजदीकी बाजार चले जाइए, इस वर्ष भगवा गमछों की भरमार है और आपको एक विशेष बात बताता चलु कि *जहाँ सामान्य लोगों की सोचने  समझने की सीमा समाप्त होती है, वहां से एक स्वयंसेवक सोचना प्रारम्भ करता है।*

आज आप जो सादा जीवन जीने वाले CM देख रहे हैं न, वह भविष्य की तैयारी है।
आप दुनिया में संचार क्रांति देख चुके हैं, आप दुनिया में सत्ता परिवर्तन की क्रांति देख चुके हैं, आप योग क्रांति देख चुके हैं

लेकिन अब *चरित्र क्रांति* आने वाली है और संसार के सभी विशेषज्ञ इसे स्वीकार रहे हैं।

और मुझे और हर भारतीय को उस दिन गर्व होगा, जब योग क्रांति की ही तरह *चरित्र क्रांति* की अगुवाई भी भारत ही करेगा।

कल तक जिस राजनीति को हम कीचड़ समझते थे, आज वह साफ़ और निर्मल होने जा रही है। और यह हमारा सौभाग्य है कि हमारी पीढ़ी उन क्षणों की  साक्षी बनेगी।

बात रही संघ की,
तो संघ के विषय में में भी इतना ही देखा और समझा हूँ,
*संघ कुछ नही करता, सिर्फ शाखा लगाता है,,,*
*और स्वयंसेवक के साथ राष्ट्र निर्माण करता है।*

संघे शक्ति युगे युगे
*नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि….*

रविवार, 26 मई 2019

समाजवाद खत्म है। पूंजीवाद के नामो निशान नहीं। मोदी ने एक नई विधा राष्ट्रवाद को जन्म दिया है।

कन्हैया कुमार की पीठ थपथपाना। उसे नायक बनाना। उसके जैसे तमाम हार्दिक पटेलों को हीरो बनाना। पुलवामा और उरी के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक्स पर सवाल करना। ऊपर से मोदी को ही इस पर राजनीति न करने की सलाह देना। अवार्ड वापसी करने की बेवजह मुहिम चलाना। मुस्लिम नागरिकों को डर लगता है कहकर डराना। असहिष्णुता शब्द को उछालना। अब यह देश रहने लायक नहीं रहा बोलना। नोट बंदी का मजाक बनाना और भ्रम फैलाना जैसे न जाने क्या हो गया? बुआ बबुआ की जोड़ी सिर्फ एक सिंबल है। इन 5 सालों में मोदी को हटाने के लिए अक्सर ऐसी जोड़ियां बनीं। मणि शंकर जैसों का पाकिस्तान जाकर अपने ही PM को हटाने की गुहार लगाना। सबसे अधिक दुख तब होता था जब मोदी के मंदिर जाने पर या उनकी आराधना करने पर मजाक बनाते थे। हिन्दू हिन्दू कहकर ऐसे मजाक बनाया गया है की जैसे देश अन्य धर्मों का है सिर्फ। व्यापारी को चोर बना डाला। गाय की चर्चा की इन्होंने? गाय जिसे हम सदियों से पूजते आ रहे हैं उसको काट कर दिखाया इन्होंने केरल में। गौ मूत्र जिसका उलेख आयुर्वेद में है का मजाक बनाया इन्होंने? गोबर जिस पर सैकड़ों अनुसंधान हो रहे का भी मजाक बनाया? यह नहीं जानते इनकी उपयोगिता? पढ़ लिख कर बड़ी बिंदी लगा/खादी का लंम्बा कुर्ता पहन, बाल बढ़ा PhD कर हम गोबर और गौ मूत्र की उपयोगिता पर सवाल उठा खुद को बहुत बड़ा विद्वान समझे पर हैं है वो महा धूर्त।

मोदी सिर्फ प्रचंड जीत के ही नायक नहीं। इन्होंने ऐसे तमाम लोगों के चेहरे से नकाब उतार डाला है। चुनाव तो कोई भी जीत जाता है। पर इस तरह विचारधारा से लोहा लेना सबके बस की बात नहीं। जब विरोधी सभी एक होकर हमला कर रहे थे ऐसे में यदि मोदी परास्त हो जाते तो क्या होता? यह नोंच नोंच कर खा जाते हमे।

मोदी की हर बात में फिकरा कसा इन लोगों ने। मोदी विदेश यात्रा पर फिजूल खर्च करता है। यह तो हवाई मोदी है। अम्बानी अडानी का गुलाम है। माल्या नीरव को भगाने वाला है। मुसलमानों का दुश्मन है, संविधान को खत्म कर देगा और न जाने क्या क्या। मोदी ने डट कर सबका सामना किया। क्या विपक्ष, क्या मीडिया, क्या अवार्ड वापसी गैंग और क्या टुकड़े टुकड़े गैंग।

आज मोदी फिर नायक हैं। सबके चेहरे बेनकाब हो चुके हैं। अब इन्हें फिर से कोई नया शब्द ढूंढना होगा।

इन कम्युनिस्ट विचार वालों की लुटिया डूब चुकी। समाजवाद खत्म है। पूंजीवाद के नामो निशान नहीं। मोदी ने एक नई विधा राष्ट्रवाद को जन्म दिया है। राष्ट्र रहेगा तभी सब रहेंगे।

मोदी को अगले 5 वर्षों के लिए शुभकामनाएं। और मेरे जैसे उन तमाम लोगों को धन्यवाद जिन्होंने गाहे बगाहे कुंठित लोगों को हर मोड़ पर जवाब दिया जिससे उनके द्वारा महामारी फैलाई न जा सकी। आज उन सब बेनकाबों को भी समझ आ गया की बात में सच्चाई न हो तो वह जीत नहीं सकती।

🇮🇳 जय हिंद 🇮🇳

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21 बच्चे हमेशा के लिए सो गए फिर भी हम नहीं जागेंगे, हैं ना...


एक ज़रूरी पोस्ट....

सूरत में हुए हादसे के बहाने जानिए सीरत अपनी
21 बच्चे हमेशा के लिए सो गए फिर भी हम नहीं जागेंगे, हैं ना...

"कुछ विषय ऐसे होते हैं जिनपर लिखना खुद की आत्मा पर कुफ्र तोड़ने जैसा है, सूरत की बिल्डिंग में आग...21 बच्चों की मौत...आग और घुटन से घबराए बच्चों को इससे भयावह वीडियो आज तक नहीं देखा....इससे ज्यादा छलनी मन और आत्मा आज तक नहीं हुई....फिर भी लिखूंगी...क्योंकि हम सब गलत हैं, सारे कुएं में भांग पड़ी हुई है। हमने किताबी ज्ञान में ठूंस दिया बच्चों को नहीं सिखा पाए लाइफ स्किल। नहीं सिखा पाए डर पर काबू रख शांत मन से काम करना।"

मम्मा डर लग रहा है...एग्जाम के लिए सब याद किया था लेकिन एग्जाम हॉल में जाकर भूल गया...कुछ याद ही नहीं आ रहा था। पांव नम थे...हाथों में पसीना था...आप दो मिनिट उसे दुलारते हैं...बहलाने की नाकाम कोशिश करते हैं फिर पढ़ लो- पढ़ लो- पढ़ लो की रट लगाते हैं। सुबह 8 घंटे स्कूल में पढ़कर आए बच्चे को फिर 4-5 घंटे की कोचिंग भेज देते हैं। जिंदगी की दौड़ का घोड़ा बनाने के लिए, असलियत में हम उन्हें चूहादौड़ का एक चूहा बना रहे हैं। नहीं सिखा पा रहे जीने का तरीका- खुश रहने का मंत्र...साथ ही नहीं सिखा पा रहे लाइफ स्किल। विपरीत परिस्थितियों में धैर्य और शांतचित्त होकर जीवन जीने की कला नहीं सिखा पा रहे हैं ना और इसके लिए सिर्फ और सिर्फ हम पालक और हमारा समाज जिम्मेदार है। आयुष को पांच साल की उम्र में मैं न्यूजीलैंड ले गई थी...9 साल की उम्र में वापस इंडिया ले आई थी...वहां उसे नर्सरी क्लास से फस्टटेड से लेकर आग लगने पर कैसे खुद का बचाव करें...फीलिंग सेफ फीलिंग स्पेशल ( चाइल्ड एब्यूसमेंट), पानी में डूब रहे हो तो कैसे खुद को ज्यादा से ज्यादा देर तक जीवित और डूबने से बचाया जा सके.... जैसे विषय हर साल पढ़ाए जाते थे। फायरफाइटिंग से जुड़े कर्मचारी और अधिकारी हर माह स्कूल आते थे। बच्चों को सिखाया जाता था विपरीत परिस्थितियों में डर पर काबू रखते हुए कैसे एक्ट किया जाए। ह्यूमन चेन बनाकर कैसे एक-दूसरे की मदद की जाए.....हेल्पिंग हेंड से लेकर खुद पर काबू रखना ताकि मदद पहुंचने तक आप खुद को बचाए रखें....

हम नहीं सिखा पा रहे यह सब....नहीं दे पा रहे बच्चों को लाइफ स्किल का गिफ्ट...विपरीत परिस्थितियों से बचना....कल की ही घटना देखिए...हमारे बच्चे नहीं जानते थे कि भीषण आग लगने पर वे कैसे अपनी और अपने दोस्तों की जान बचाएं....नहीं सीखा हमारे बच्चों ने थ्री-G का रूल ( गेट डाउन, गेट क्राउल, गेट आऊट ) जो 3 साल की उम्र से न्यूजीलैंड में बच्चों को सिखाया जाता है, आग लगे तो सबसे पहले झुक जाएं...आग हमेशा ऊपर की ओर फैलती है। गेट क्राउल...घुटनों के बल चले...गेट आऊट...वो विंडों या दरवाजा दिमाग में खोजे जिससे बाहर जा सकते हैं, उसी तरफ आगे बढ़े, जैसा कुछ बच्चों ने किया, खिड़की देख कर कूद लगा दी... भले ही वे अभी हास्पिटल में हो  लेकिन जिंदा जलने से बच गए। लेकिन यहां भी वे नहीं समझ पा रहे थे कि वे जो जींस पहने हैं...वह दुनिया के सबसे मजबूत कपड़ों में गिनी जाती है...कुछ जींस को आपस में जोड़कर रस्सी बनाई जा सकती है। नहीं सिखा पाए हम उन्हें कि उनके हाथ में स्कूटर-बाइक की जो चाबी है उसके रिंग की मदद से वे दो जींस को एक रस्सी में बदल सकते हैं...काफी सारी नॉट्स हैं जिन्हें बांधकर पर्वतारोही हिमालय पार कर जाते हैं फिर चोटी से उतरते भी हैं...वही कुछ नाट्स तो हमें स्कूलों में घरों में अपने बच्चों को सिखानी चाहिए। सूरत हादसे में बच्चे घबराकर कूद रहे थे...शायद थोड़े शांत मन से कूदते तो इंज्युरी कम होती। एक-एक कर वे बारी-बारी जंप कर सकते थे। उससे नीचे की भीड़ को भी बच्चों को कैच करने में आसानी होती। मल्टीपल इंज्युरी कम होती, हमारे अपने बच्चों को। आज आपको मेरी बातों से लगेगा...ज्ञान बांट रही हूं...लेकिन कल के हादसे के वीडियो को बार-बार देखेंगे तो समझ में आएगा एक शांतचित्त व्यक्ति ने बच्चों को बचाने की कोशिश की। वो दो बच्चों को बचा पाया लेकिन घबराई हुई लड़की खुद को संयत ना रख पाई और .... अच्छे से याद है, पापाजी कहते थे मोना कभी आग में फंस जाओ तो सबसे पहले अपने ऊपर के कपड़े उतार कर फेंक देना, मत सोचना कोई क्या कहेगा क्योंकि ऊपर के कपड़ों में आग जल्दी पकड़ती है। जलने के बाद वह जिस्म से चिपक कर भीषण तकलीफ देते हैं...वैसे ही यदि पानी में डूब रही हो तो खुद को संयत करना...सांस रोकना...फिर कमर से नीचे के कपड़े उतार देना क्योंकि ये पानी के साथ मिलकर भारी हो जाते हैं, तुम्हें सिंक (डुबाना) करेंगे। जब जान पर बन आए तो लोग क्या कहेंगे कि चिंता मत करना...तुम क्या कर सकती हो सिर्फ यह सोचना।

जो बच्चे बच ना पाए, उनके माँ बाप का सोच कर दिल बैठा जा रहा है। मेरे एक सीनियर साथी ने बहुत पहले कहा था...बच्चा साइकिल लेकर स्कूल जाने लगा है, जब तक वह घर वापस नहीं लौट आता...मन घबराता है। उस समय मैं उनकी बात समझ नहीं पाई थी...जब आयुष हुए तब समझ आया आप दुनिया फतह करने का माद्दा रखते हो अपने बच्चे की खरोच भी आपको असहनीय तकलीफ देती है...इस लेख का मतलब सिर्फ इतना ही है कि हम सब याद करे हिंदी पाठ्यपुस्तक की एक कहानी...

जिसमें एक पंडित पोथियां लेकर नाव में चढ़ा था...वह नाविक को समझा रहा था 'अक्षर ज्ञान- ब्रह्म ज्ञान' ना होने के कारण वह भवसागर से तर नहीं सकता...उसके बाद जब बीच मझधार में उनकी नाव डूबने लगती है तो पंडित की पोथियां उन्हें बचा नहीं पाती। गरीब नाविक उन्हें डूबने से बचाता है, किनारे लगाता है। हम भी अपने बच्चों को सिर्फ पंडित बनाने में लगे हैं....उन्हें पंडित के साथ नाविक भी बनाइए जो अपनी नाव और खुद  का बचाव स्वयं कर सकें। सरकार से उम्मीद लगाना छोड़िए ... चार जांच बैठाकर, कुछ मुआवजे बांटकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। कुकुरमुत्ते की तरह उग आए कोचिंग संस्थान ना बदलेंगे। इस तरह के हादसे होते रहे हैं...आगे भी हो सकते हैं....बचाव एक ही है हमें अपने बच्चों को जो लाइफ स्किल सिखानी है। आज रात ही बैठिए अपने बच्चों के साथ...उनके कैरियर को गूगल करते हैं ना...लाइफ स्किल को गूगल कीजिए। उनके साथ खुद भी समझिए विपरीत परिस्थितियों में धैर्य के साथ क्या-क्या किया जाए याद रखिए जान है तो जहान है।

( गणपति सिराने ( गणपति विसर्जन)  समय की एक घटना मुझे याद है। हमारी ही कॉलोनी के एक भईया डूब रहे थे...दूसरे ने उन्हें बाल से खींचकर बचा लिया...वे जो दूसरे थे ना उन्हें लाइफ स्किल आती थी....उन्होंने अपना किस्सा बताते हुए कहा था...कि डूबते हुए इंसान को बचाने में बचानेवाला भी डूब जाता है...क्योंकि उसे तैरना आता है बचाना नहीं...मुझे मेरे स्विमिंग टीचर ने सिखाया है कि कोई डूब राह हो तो उसे खुद पर लदने ना दो...उसके बाल पकड़ों और घसीटकर बाहर लाने की कोशिश करो....यही तो छोटी-छोटी लाइफ स्किल हैं।
एक निवेदन
कैलाश चंद्र लड्ढा
सांवरिया
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शनिवार, 25 मई 2019

तिल का तेल पृथ्वी का अमृत -तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है.


तिल का तेल पृथ्वी का अमृत

तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है. प्रयोग करके देखें.

आप पर्वत का पत्थर लिजिए और उसमे कटोरी के जैसा खडडा बना लिजिए, उसमे पानी, दुध, धी या तेजाब संसार में कोई सा भी कैमिकल, ऐसिड डाल दीजिए, पत्थर में वैसा की वैसा ही रहेगा, कही नहीं जायेगा...

लेकिन अगर आप ने उस कटोरी नुमा पत्थर में तिल का तेल डाल दीजिए, उस खड्डे में भर दिजिये 2 दिन बाद आप देखेंगे कि, तिल का तेल पत्थर के अन्दर भी प्रवेश करके पत्थर के नीचे आ जायेगा. यह होती है तेल की ताकत  इस तेल की मालिश करने से हड्डियों को पार करता हुआ, हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है.

यदि इस पृथ्वी पर उपलब्ध सर्वोत्तम खाद्य पदार्थों की बात की जाए तो तिल के तेल का नाम अवश्य आएगा और यही सर्वोत्तम पदार्थ बाजार में उपलब्ध नहीं है. और ना ही आने वाली पीढ़ियों को इसके गुण पता हैं.

 क्योंकि नई पीढ़ी तो टी वी के इश्तिहार देख कर ही सारा सामान ख़रीदती है.
और तिल के तेल का प्रचार कंपनियाँ इसलिए नहीं करती क्योंकि इसके गुण जान लेने के बाद आप उन द्वारा बेचा जाने वाला तरल चिकना पदार्थ जिसे वह तेल कहते हैं लेना बंद कर देंगे.

तिल के तेल के अन्दर फास्फोरस होता है जो कि हड्डियों की मजबूती का अहम भूमिका अदा करता है.और तिल का तेल ऐसी वस्तु है जो अगर कोई भी भारतीय चाहे तो थोड़ी सी मेहनत के बाद आसानी से प्राप्त कर सकता है. तब उसे किसी भी कंपनी का तेल खरीदने की आवश्यकता ही नही होगी.

तिल खरीद लीजिए और किसी भी तेल निकालने वाले से उनका तेल निकलवा लीजिए. लेकिन सावधान तिल का तेल सिर्फ कच्ची घाणी (लकडी की बनी हुई) का ही प्रयोग करना चाहिए.

तैल शब्द की व्युत्पत्ति तिल शब्द से ही हुई है। जो तिल से निकलता वह है तैल। अर्थात तेल का असली अर्थ ही है "तिल का तेल".

तिल के तेल का सबसे बड़ा गुण यह है की यह शरीर के लिए आयुषधि का काम करता है.. चाहे आपको कोई भी रोग हो यह उससे लड़ने की क्षमता शरीर में विकसित करना आरंभ कर देता है. यह गुण इस पृथ्वी के अन्य किसी खाद्य पदार्थ में नहीं पाया जाता.

सौ ग्राम सफेद तिल 1000 मिलीग्राम कैल्शियम प्राप्त होता हैं। बादाम की अपेक्षा तिल में छः गुना से भी अधिक कैल्शियम है।
काले और लाल तिल में लौह तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो रक्तअल्पता के इलाज़ में कारगर साबित होती है।

तिल में उपस्थित लेसिथिन नामक रसायन कोलेस्ट्रोल के बहाव को रक्त नलिकाओं में बनाए रखने में मददगार होता है।
तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में उपस्थित सिस्मोल एक ऐसा एंटी-ऑक्सीडेंट है जो इसे ऊँचे तापमान पर भी बहुत जल्दी खराब नहीं होने देता। आयुर्वेद चरक संहित में इसे पकाने के लिए सबसे अच्छा तेल माना गया है।

तिल में विटामिन सी छोड़कर वे सभी आवश्यक पौष्टिक पदार्थ होते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। तिल विटामिन बी और आवश्यक फैटी एसिड्स से भरपूर है।

इसमें मीथोनाइन और ट्रायप्टोफन नामक दो बहुत महत्त्वपूर्ण एमिनो एसिड्स होते हैं जो चना, मूँगफली, राजमा, चौला और सोयाबीन जैसे अधिकांश शाकाहारी खाद्य पदार्थों में नहीं होते।

ट्रायोप्टोफन को शांति प्रदान करने वाला तत्व भी कहा जाता है जो गहरी नींद लाने में सक्षम है। यही त्वचा और बालों को भी स्वस्थ रखता है। मीथोनाइन लीवर को दुरुस्त रखता है और कॉलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित रखता है।

तिलबीज स्वास्थ्यवर्द्धक वसा का बड़ा स्त्रोत है जो चयापचय को बढ़ाता है।
यह कब्ज भी नहीं होने देता।
तिलबीजों में उपस्थित पौष्टिक तत्व,जैसे-कैल्शियम और आयरन त्वचा को कांतिमय बनाए रखते हैं।

तिल में न्यूनतम सैचुरेटेड फैट होते हैं इसलिए इससे बने खाद्य पदार्थ उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है।
सीधा अर्थ यह है की यदि आप नियमित रूप से स्वयं द्वारा निकलवाए हुए शुद्ध तिल के तेल का सेवन करते हैं तो आप के बीमार होने की संभावना ही ना के बराबर रह जाएगी.

 यह फेफड़ों का कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, स्तन कैंसर और अग्नाशय के कैंसर के प्रभाव को कम करने में बहुत मदद करता है।
तनाव को कम करता है-

इसमें नियासिन (niacin) नाम का विटामिन होता है जो तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है।
हृदय के मांसपेशियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है-

तिल में ज़रूरी मिनरल जैसे कैल्सियम, आयरन, मैग्नेशियम, जिन्क, और सेलेनियम होता है जो हृदय के मांसपेशियों को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है और हृदय को नियमित अंतराल में धड़कने में मदद करता है।

 जब शरीर बीमार ही नही होगा तो उपचार की भी आवश्यकता नही होगी. यही तो आयुर्वेद है.. आयुर्वेद का मूल सीधांत यही है की उचित आहार विहार से ही शरीर को स्वस्थ रखिए ताकि शरीर को आयुषधि की आवश्यकता ही ना पड़े.

एक बात का ध्यान अवश्य रखिएगा की बाजार में कुछ लोग तिल के तेल के नाम पर अन्य कोई तेल बेच रहे हैं.. जिसकी पहचान करना मुश्किल होगा. ऐसे में अपने सामने निकाले हुए तेल का ही भरोसा करें. यह काम थोड़ा सा मुश्किल ज़रूर है किंतु पहली बार की मेहनत के प्रयास स्वरूप यह शुद्ध तेल आपकी पहुँच में हो जाएगा. जब चाहें जाएँ और तेल निकलवा कर ले आएँ.

तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड (mono-unsaturated fatty acid) होता है जो शरीर से बैड कोलेस्ट्रोल को कम करके गुड कोलेस्ट्रोल यानि एच.डी.एल. (HDL) को बढ़ाने में मदद करता है। यह हृदय रोग, दिल का दौरा और धमनीकलाकाठिन्य (atherosclerosis) के संभावना को कम करता है।
कैंसर से सुरक्षा प्रदान करता है-

तिल में सेसमीन (sesamin) नाम का एन्टीऑक्सिडेंट (antioxidant) होता है जो कैंसर के कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने के साथ-साथ है और उसके जीवित रहने वाले रसायन के उत्पादन को भी रोकने में मदद करता है।

शिशु के हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है-
तिल में डायटरी प्रोटीन और एमिनो एसिड होता है जो बच्चों के हड्डियों के विकसित होने में और मजबूती प्रदान करने में मदद करता है।

उदाहरणस्वरूप 100ग्राम तिल में लगभग 18 ग्राम प्रोटीन होता है, जो बच्चों के विकास के लिए बहुत ज़रूरी होता है।
गर्भवती महिला और भ्रूण (foetus) को स्वस्थ रखने में मदद करता है-

तिल में फोलिक एसिड होता है जो गर्भवती महिला और भ्रूण के विकास और स्वस्थ रखने में मदद करता है।

शिशुओं के लिए तेल मालिश के रूप में काम करता है-

अध्ययन के अनुसार तिल के तेल से शिशुओं को मालिश करने पर उनकी मांसपेशियाँ सख्त होती है साथ ही उनका अच्छा विकास होता है।

आयुर्वेद के अनुसार इस तेल से मालिश करने पर शिशु आराम से सोते हैं।
अस्थि-सुषिरता (osteoporosis) से लड़ने में मदद करता है-

तिल में जिन्क और कैल्सियम होता है जो अस्थि-सुषिरता से संभावना को कम करने में मदद करता है।

दूध के तुलना में तिल में तीन गुना कैल्शियम रहता है। इसमें कैल्शियम, विटामिन बी और ई, आयरन और ज़िंक, प्रोटीन की भरपूर मात्रा रहती है और कोलेस्टरोल बिल्कुल नहीं रहता है।

तिल का तेल ऐसा तेल है, जो सालों तक खराब नहीं होता है, यहाँ तक कि गर्मी के दिनों में भी वैसा की वैसा ही रहता है.
तिल का तेल कोई साधारण तेल नहीं है। इसकी मालिश से शरीर काफी आराम मिलता है। यहां तक कि लकवा जैसे रोगों तक को ठीक करने की क्षमता रखता है।

इससे अगर महिलाएं अपने स्तन के नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें, तो स्तन पुष्ट होते हैं। सर्दी के मौसम में इस तेल से शरीर की मालिश करें, तो ठंड का एहसास नहीं होता।
 इससे चेहरे की मालिश भी कर सकते हैं। चेहरे की सुंदरता एवं कोमलता बनाये रखेगा। यह सूखी त्वचा के लिए उपयोगी है।

तिल का तेल- तिल विटामिन ए व ई से भरपूर होता है। इस कारण इसका तेल भी इतना ही महत्व रखता है। इसे हल्का गरम कर त्वचा पर मालिश करने से निखार आता है। अगर बालों में लगाते हैं, तो बालों में निखार आता है, लंबे होते हैं।

जोड़ों का दर्द हो, तो तिल के तेल में थोड़ी सी सोंठ पावडर, एक चुटकी हींग पावडर डाल कर गर्म कर मालिश करें। तिल का तेल खाने में भी उतना ही पौष्टिक है विशेषकर पुरुषों के लिए।इससे मर्दानगी की ताकत मिलती है!

 हमारे धर्म में भी तिल के बिना कोई कार्य सिद्ध नहीं होता है, जन्म, मरण, परण, यज्ञ, जप, तप, पित्र, पूजन आदि में तिल और तिल का तेल के बिना संभव नहीं है अतः इस पृथ्वी के अमृत को अपनावे और जीवन निरोग बनाय  ।

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समाज में होते जबरदस्त बदलाव कि बानगी देखिए.... जिसको लेकर मुस्लिम समाज भी अचंभित और सदमे में है.

समाज में होते जबरदस्त बदलाव कि बानगी  देखिए.... जिसको लेकर मुस्लिम समाज भी अचंभित और सदमे में है......

1- भारत मे जितनी भी दरगाहें है वहां का 80%  खर्चा हिन्दुओं से चलता हैfacebook और WhatsApp की वजह से हिंदुओं मे  एकता औऱ जागरुकता आने लगी है  ?
जिसकी वजह से अजमेर दरगाह पर जाने वाले हिंदुओं की संख्या 30% तक कम हो गया है। इस बात  को लेकर वहां के खादिम लोग बहुत परेशान हैं........*सोर्सेज टॉप फाइव इंडिया लीडिंग ट्रेवल एजेंसीज* ।।

2. अब हिंदू भाई बहन लोग इतने जागरुक हो गए हैं कि कोई भी सामान सिर्फ हिंदू भाई की ही दुकान से खरीद रहे हैं, क्योंकि उन्हें यह एहसास हो गया है कि उनके द्वारा शांति दूतों के दुकान से की गई खरीदारी  कहीं ना कहीं उनके अपनों के पलायन का कारण बनेगी। इस बात को लेकर सभी बड़े मस्जिदों में मंथन का दौर चल रहा है।

3. अभी तक किसी भी उपद्रव होने पर शांत रहने वाले हिंदू भाई पलट कर मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं , इसको लेकर भी शांति दूतों की फटी पड़ी है।।

4. सभी इलाकों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार ईद पर जबरदस्त तरीके से मुसलमानों के घरों का सेवइयों का बाँयकाट किया गया है । मस्जिदों में नमाज के बाद ज्यादा से ज्यादा हिंदुओं से दोस्ती करने को औऱ उनको अपने में घर बुलाकर खाना खिलाने का जोर दिया जा रहा है।।

5. मुस्लिम एक्टर्स और देश विरोधी बयान देने वाली हीरोइनों कि फिल्मों  के इनकम में भी जबरदस्त डाउन फाल आया है,

6. यह पॉइंट तो जबर्दस्त है और बिलकुल शत प्रतिशत सही है कि2014 तक मुस्लिम बनने की होड़  2019 तक हिन्दू बनने की होड़ में तब्दील हो गई
पांच सालों में कितना बदल गया मेरा भारत
मोदी है तो यह मुमकिन हुआ है कि कोई भी सेकुलर नेता जालीदार टोपी नही पहिना पूरे चुनाव में
सोशल मीडिया से जबरदस्त फायदा  हुआ है ।हिन्दू समाज को
मोबाइल नहीं यह महासमर का यंत्र सुत्र है
यह सब तेजी से फेलाना चाहिए कि
आप सबके मिलकर काम करने का नतीजा है कि पूरे चुनाव में हर पार्टी के नेता सिर्फ मंदिर की चौखट पर माथा रगड़ा है , दिग्विजय सिंह जैसा मादरजात धर्म विरोधी नेता भी हिन्दू धर्म के विरुद्ध हिम्मत नहीं जुटा पाया, इसी तरह आप की एकता बनीं रही तो बो दिन दूर नहीं रहेगा जब हर राजनैतिक पार्टी आप से पूंछ कर टिकट तय करेंगी।

ये सही लिखा किसी ने .....

जिस नरेंद्र मोदी ने
कांग्रेस-सीपीआई एक कर दी।
यूपी मे बसपा-सपाई एक कर दी।
पाकिस्तान की तबियत से धुलाई एक कर दी।
भिन्न-भिन्न टैक्स की भराई GST एक कर दी।
मुस्लिम और ईसाई की दुहाई एक कर दी।
अब्दुल की चार थी, लुगाई एक कर दी।

उस मोदी जी को Divider in Chief कह रहे हो ??
यह बदलाव अच्छा है , बदलते भारत की बदलती तस्वीर

काँग्रेस होती तो यह सब होने नहीं देती सामाजिक सद्भावना रूपी जहर के नाम पर

रामजी करें कि बस एक बात और हो जाये। आत्मरक्षा के लिए भी सब जल्दी से जल्दी आत्मनिर्भर हो जाएं।

हिन्दुओं एकता और बढ़ाओ, सन्डे वाले दिन एक निश्चित समय पर मन्दिर जाना शुरू कीजिये, रेजिडेंट्स वैलफेयर सोसायटी इसमें अहम रोल निभा सकती हैं।

आज से ही शुरू कीजिये.... Because tomorrow never comes...

सहमत हैं तो शेयर कीजिये

क्या आप शाकाहारी हैं ? तो ये सच आपको चौंका सकता है

क्या आप शाकाहारी हैं ? तो ये सच आपको चौंका सकता है...??

😣भारत में कुल 3600 बड़े कत्लखाने हैं जिनके पास पशुओं को काटने का लाईसेंस है ! जो सरकार ने दे रखा है !!

😢 इसके इलावा 35000 से अधिक छोटे मोटे कत्लखाने हैं जो गैर कानूनी ढंग से चल रहे हैं ! कोई कुछ पूछने वाला नहीं है जहाँ हर साल 4 करोड़ पशुओं का कत्ल किया जाता है !

👺जिसमें गाय ,भैंस , सूअर, बकरा ,बकरी , ऊंट,आदि शामिल हैं ! मुर्गीयाँ  कितनी काटी जाती है इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है !

😡 भारत के 20% लोग मांसाहारी है जो रोज मांस खाते हैं और सब तरह का मांस खाते है |

😖 मांस के इलावा दूसरी जो चीज कतल से प्राप्त की जाती है वो है तेल ! उसे Tellow कहते हैं

😞 जैसे गाय के मांस से जो तेल निकलता है उसे Beef Tellow और सूअर की मांस से जो तेल निकलता है उसे Pork Tellow कहते है |

😱 इस तेल का सबसे ज़्यादा उपयोग चेहरे में लगाने वाली क्रीम बनाने में होता है जैसे Fair & Lovely , Ponds , Emami इत्यादि |

💧ये तेल क्रीम बनाने वाली कंपनियों द्वारा खरीदा जाता है और जैसा कि आप जानते हैं मद्रास High Court में श्री राजीव दीक्षित ने विदेशी कंपनी Fair and Lovely के खिलाफ Case जीता था

😁जिसमे कंपनी ने खुद माना था कि हम इस Fair and Lovely में सूअर की चर्बी का तेल मिलाते हैं !

😐 तो कत्लखानों मे मांस और तेल के बाद जानवरों का खून निकाला जाता है ! कसाई गाय और दूसरे पशुओं को पहले उल्टा रस्सी से टांग देते हैं....

😗 फिर तेज धार वाले चाकू से उनकी गर्दन पर वार किया जाता है और एक दम खून बहने लगता है नीचे उन्होंने एक ड्रम रखा होता है जिसमें खून इकठा किया जाता है

👿 तो खून का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है अँग्रेजी दवा (एलोपैथिक) बनाने में । पशुओं के शरीर से निकला हुआ खून से एक दवा बनाई जाती है उसका नाम है Dexorange !

😷 यह बहुत ही Popular दवा है और डाक्टर इसको खून की कमी के लिए महिलाओं को लिखते हैं खासकर जब वो गर्भावस्था मे होती है

😭 क्यूंकि तब महिलाओं में खून की कमी आ जाती है और डाक्टर उनको जानवरों के खून से बनी दवा लिखते हैं क्यूंकि उनको दवा कंपनियों से बहुत भारी कमीशन मिलता है !

😝 इसके इलावा इस रक्त का प्रयोग बहुत बड़े पैमाने पर Lipstick बनाने में होता है ! इसके बाद रक्त एक और प्रयोग चाय बनाने में बहुत सी कंपनिया करती है !

❓अब चाय तो पोधे से प्राप्त होती है ! और चाय के पोधे का Size उतना ही होता है जितना गेहूँ  के पोधे का होता है !

❓उसमें पत्तियाँ होती हैं और पत्तियों के नीचे का जो टूट कर गिरता है जिसे डंठल कहते हैं आखिरी हिस्सा ! लेकिन ये चाय नहीं है !

👉 तो फिर क्या करते हैं, इसको चाय जैसा बनाया जाता है ! अगर उस निचले हिस्से को सुखा कर पानी में डालें तो चाय जैसा रंग नहीं आता !

❓तो ये विदेशी कंपनियाँ Brookbond, Lipton,आदि क्या करती हैं जानवरों के खून को इसमें मिलकर सूखा कर डिब्बे मे बंद कर बेचती हैं !

👉 तकनीकी भाषा में इसे Tea Dust कहते हैं ! तो इसके इलवा कुछ कंपनियाँ  Nail Polish बनाने ने प्रयोग करती हैं !!

🐚 मांस, तेल ,खून के बाद कत्लखानों मे पशुओं की हड्डियाँ  निकलती हैं । इसका प्रयोग Tooth Paste बनाने वाली कंपनियाँ करती हैं

😳 Colgate, Close Up, Pepsodent, Cibaca, आदि आदि ! Shaving Cream बनाने वाली काफी कंपनियाँ  भी इसका प्रयोग करती हैं !

😭 और आजकल इन हड्डियों का प्रयोग जो होने लगा है टैल्कम Powder बनाने में !  क्यूंकि ये थोड़ा सस्ता पड़ता है,

🍁वैसे टैल्कम Powder पत्थर से बनता है ! और 60 से 70 रुपए किलो मिलता है और पशुओं की हड्डियों का Powder 25 से 30 रुपए किलो मिल जाता है !!

😞 इसके बाद गाय ऊपर की जो चमड़ी है उसका सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है Cricket  Ball बनाने में ! आज कल सफ़ेद रंग की आती है !

👉 जो गाय की चमड़ी से बनाई जाती है ! गाय के बछड़े की चमड़ी का प्रयोग ज्यादा होता है Ball बनाने में ! पर Foot Ball बड़ी होती है इसमें ज्यादा प्रयोग होता है गाय के चमड़े का !!

👞आजकल और एक उद्योग में इस चमड़े का बहुत उपयोग हो रहा है ! जूते चप्पल बनाने में ! अगर जूता चप्पल बहुत ही Soft है तो वो 100 % गाय के बछड़े के चमड़े का बना है !

👉 और अगर Hard है तो ऊंट और घोड़े के चमड़े का ! इसके इलावा चमड़े का उपयोग पर्स ,बैल्ट व सजावट के सामान में किया जाता है !!
इसके अलावा...

1⃣ गाय के शरीर के अंदर के कुछ भाग है ! उनका भी बहुत प्रयोग होता है ! जैसे गाय में बडी़ आंत , इसको पीस कर Gelatin बनाई जाती है !

👉जिसका बहुत ज्यादा उपयोग आइसक्रीम, चाकलेट, Maggi , Pizza , Burger , Hotdog , Chawmin के Base Material बनाने में होता है |

👉और एक Jelly आती Red Orange Color की उसमें Gelatin का बहुत प्रयोग होता है ! Chewgum तो Gelatin के बिना बन ही नहीं सकती !!

😁आजकल जिलेटिन का उपयोग साबूदाना में होने लगा है | जो हम उपवास में खाते हैं
अत: जो अपने आप को  शाकाहारी कहते हैं और कहीं न कहीं इस मांस का प्रयोग कर रहे हैं और अपना धर्म भ्रष्ट कर रहे हैं !

🐚🐚🐚🐚

🙏 अब आपको क्या करना है यह आप स्वयं तय करें.....

Govt. school V/s PRIVATE SCHOOL

Govt. school V/0 PRIVATE SCHOOL

सरकारी विद्यालयों की तुलना में निजी विद्यालयों की बहुत तारीफ सुनी है निजी विद्यालयों के अध्यापक बहुत योग्य होते हैं ऐसा लोगो का मानना है। पर बहुत सारे प्रश्न ऐसे हैं जिनका उत्तर आप स्वयं नही दे पाएंगे

1) निजी विद्यालय में कमजोर छात्रों का प्रवेश नही लेते है अगर अध्यापक योग्य है तो ऐसे छात्रों को योग्य क्यों नहींबना देते?🤷🏼‍♀

2 )निजी विद्यालयों का होम वर्क अभिभावक या होम ट्यूटर को क्यों कराना होता है अगर विद्यालय के अध्यापक योग्य है तो बच्चे को अपना होमवर्क कर लेना चाहिये।🤷🏼‍♂

3) कक्षा 9 या 10 के बाद निजी विद्यालय के छात्र प्रतियोगी परीक्षा के लिए कोचिंग क्यों करते हैं क्या 10 साल में कई लाख फीस चुकाने के बाद योग्य अध्यापक उसको प्रतियोगी परीक्षा लायक नही बना सके।👍🏼

4 )क्या कारण है कि बच्चों के asignment और प्रोजेक्ट ,बच्चों के माता पिता की मदद और गूगल की मदद से ही पूरे हो पाते हैं जबकि प्रोजेक्ट में मार्गदर्शक के रूप में योग्य अध्यापक का नाम अंकित होता है।जबकि सरकारी स्कूल के बच्चे खुद से प्रोजेक्ट पूरा कर के लाते है वहाँ पे शिक्षक इनका सहपाठी होता है।🤝🏼

5 )हकीकत यह है कि समृद्ध व्यक्ति अपने छात्रों को विद्यालय से अधिक घर पर पढ़ाता है और अच्छे रिजल्ट का श्रेय विद्यालय लेते है।✋🏽

इसी कारण से ये विद्यालय गरीबों के कमजोर बच्चों को अपने यहां नही रखते है क्योंकि उनकी ट्यूशन प्रोजेक्ट और होमवर्क उनके माता पिता नही करा पाएंगे और बच्चे फेल हो जायेगे इससे स्कूल की रेपुटेशन खराब होगी। 🤪😝😜

अगर निजी स्कुल वास्तव में योग्य है तो उस छात्र को पढ़ाये जिसके पास कॉपी खरीदने को पैसे नही है जिसको वर्ष में 2 महीने अपने पिता के साथ मजदूरी करना जरूरी है अन्यथा भूख प्राण ले सकती है और अगर निजी स्कुल उसको पढ़ाकर बिना कोचिंग डॉक्टर या इंजीनियर बना देंगे तो हम मान लेंगे कि निजी  विद्यालय ही सबसे योग्य है

अतः आप सरकारी अध्यापक हैं तो गर्व करें और यदि नहीं है तो सरकारी अध्यापक का उचित सम्मान करें‌ |

निजी school से मोह हटाओ और अपने लाडलो को गुणवत्ता युक्त education दिलाओ

सरकारी स्कूलों में प्रवेश उत्सव मनाया जा रहा है आप अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें, और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें
www.sanwariya.org

https://sanwariyaa.blogspot.com

थाइराइड का अचूक उपचार

थाइराइड का अचूक उपचार🌻

आज के समय में ज़्यादातर लोगों को थाइराइड की समस्या है, इसके कारण सैकड़ों बीमारियां घेर लेती है।
मोटापा इसी के कारण बढ़ जाता है।
लोग दवा खाते रहते हैं लेकिन ये ठीक नही होता।
इसलिए दवा के साथ कुछ नियम जान लें 10 दिन में थाइराइड से आराम मिल जायेगा।

✍1: घर से रिफाइंड तेल बिलकुल हटा दीजिये, न सोयाबीन न सूरजमुखी, भोजन के लिए सरसों का तेल, तिल का तेल या देशी घी का प्रयोग करें।

✍2: आयोडीन नमक के नाम से बिकने वाला ज़हर बंद करके सेंधा नमक का प्रयोग करें, समुद्री नमक BP, थाइराइड, त्वचा रोग और हार्ट के रोगों को जन्म देता है।

✍3: दाल बनाते समय सीधे कुकर में दाल डाल कर सीटी न लगाएं, पहले उसे खुला रखें, जब एक उबाल आ जाये तब दाल से फेना जैसा निकलेगा, उसे किसी चमचे से निकाल कर फेंक दें, फिर सीटी लगा कर दाल पकाएं।

इन तीन उपायों को अगर अपना लिया तो पहले तो किसी को थाइराइड होगा नही और अगर पहले से है तो दवा खा कर 10 दिन में ठीक हो जायेगा।

यह प्रचण्ड चमत्कार कैसे हो गया...?


खंडित छत्र,
भग्न रथ,
अपने ही रक्त-स्वेद में सने धरती पर लोटते हुए महारथी,
श्लथ-क्लांत कराहते हुए असंख्य पदातिक,
दुम दबा कर भागती शत्रु सेना,
लहराती विजय पताकाएँ,
दमादम गूंजते हुए नगाड़े,
बजती हुई विजय दुंदुभी,
पाञ्चजन्य का गौरव-घोष...
यह बहुत आश्वस्ति देने वाला परिदृश्य है
यह प्रचण्ड चमत्कार कैसे हो गया...?
ढेर सारे विशेषज्ञ,विद्वान इस परम गौरवशाली विजय का विश्लेषण करेंगे तरह तरह से इसे विकास की जीत बताएँगे अतः इस प्रचण्ड विजय का सत्य बताना,समाज तक पहुंचना आवश्यक है आख़िर yadavo ne  बसपा को क्यों ठुकरा दिया...?

यादवों ने चारा खाने में जेल की सज़ा भुगतते बवासीर-पीड़ित लालू के राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी को क्यों दुत्कार दिया...?
बौद्ध,जैन,सनातनी,सिक्ख,आर्यसमाजी यानी धर्म के हाथ की सदैव से खुलीं पाँचों उँगलियाँ सिमट कर मुक्का कैसे बन गयीं...?
बाल्मीक,क्षत्रिय,जाटव,ब्राह्मण,जाट,यादव, वैश्य,कुर्मी,कहार...हर वर्ग ने कांग्रेस,TMC, वामपंथ आदि को धार मार कर क्यों बहा दिया...?
अपने बूते भाजपा ३०० कैसे हो गयी...?
प्रसून का मुरझाना,सागरिका का कीचड़ ठहरना,राजदीप का जुगनू भर भी न बचना, बरखा का रेगिस्तान बनना,प्रणय का स्थायी वियोगी होना,रवीश का कालिख निकलना यानी स्वयं को मुख्य धारा के तीसमार ख़ाँ मानने वालों को राष्ट्र ने मुँह दिखाने के लायक़ भी क्यों नहीं छोड़ा...?
बँगाल में अपने नाम से बिलकुल उलट क्रूर ममता और उनके साथियों की भरपूर गुंडागर्दी के बाद भी कमल कैसे खिल उठा, क्या वहाँ विकास मुद्दा था...?
भोपाल से दिग्विजय सिंह की साढ़े तीन लाख से अधिक की पराजय कैसे हो गयी...?
कल तक आत्मा तक को तोड़ देने वाली मार से आहत,बिलख-बिलख कर रोने वाली शस्त्रहीन पदातिक ने महारथी का कवच फाड़ कर उसकी राजनैतिक मृत्यु कैसे निश्चित कर दी...?
साध्वी प्रज्ञा ने चुनाव प्रचार में नथुराम गोडसे को देशभक्त कहा तुरंत प्रेस टूट पड़ा भाजपा तक दबाव में आ गयी मगर यह अप्रतिम विजय बता रही है कि भोपाल के समाज के मन में क्या था आख़िर प्रत्येक वर्ग,प्रत्येक समाज का व्यक्ति झुलसाने वाली गर्मी में वोट डालने क्यों निकल पड़ा...?
इसका वास्तविक कारण केवल और केवल राष्ट्र के मूल स्वरुप की चिंता है नरेंद्र दामोदर दास मोदी नाम के तेजस्वी व्यक्ति का नेतृत्व राष्ट्र-रक्षा करेगा,का अखण्ड विश्वास है चुनाव से कुछ पूर्व बालाकोट में सैन्य आक्रमण के प्रमाण माँगने वालों को यह समझ ही नहीं आया कि राष्ट्र के लिये मुद्दा यह नहीं है कि बालाकोट में सेना का पराक्रम कितना कारगर है बल्कि मुद्दा है कि सेना शत्रु के पीछे उसके घर में घुस गयी राष्ट्र तक जो संदेश पहुँचा वह था कि मोदी मर्द है और भारत वीरपूजा करने वालों का राष्ट्र है...!
एक समय था कि देश के भाजपा छोड़ कर अन्य राजनैतिक दलों में इफ़्तार पार्टी देने की होड़ लगी रहती थी तलुआ-चाट प्रधानमंत्री ने बयान दिया था राष्ट्र के संस्थानों पर पहला हक़ मुसलमानों का है हम सो सीटें मुसलमान को दे रहे हैं,हम डेढ़ सौ सीटें अल्पसंख्यकों को दे रहे हैं जैसी बातें सामान्य थीं आपको ध्यान होगा कि कुछ वर्ष पूर्व इन कमीनों ने मुस्लिम वोट एकत्र करने के लिए केरल में गौ हत्या की थी क्या इस चुनाव में किसी को ऐसी बेहूदगी का ध्यान है किसी दल के नेता ने चुनाव में जालीदार हैलमेट पहना...?
कोई नेता दोनों हाथ उठाये दुआ की नौटंकी करता दिखाई पड़ा...?
कोई राजनेता किसी इमाम,देवबंदी आलिम, क़ब्र के रखवाले के पास जाता दिखाई दिया...?
बल्कि पारसी दादा,ईसाई माँ,अज्ञात मज़हब को मानने वाले पिता के बेटे को हम सब ने विभिन्न मंदिरों की ड्योढ़ी पर माथा घिसते देखा यह बदलाव स्वयं तो आ नहीं सकता तो यह हुआ कैसे...?
मित्रो...!
इस चमत्कार का श्रेय राष्ट्र के बदले नैरेटिव को है १९४७ से ही भारत की मुख्य धारा का नैरेटिव गाँधी,नेहरू के दबाव में धर्मविरोधी बल्कि धर्मद्रोही था अकेला,खिन्न,क्लाँत हिंदू अंदर ही अंदर असहाय अनुभव करता था मगर उसके पास अपनी पीड़ा को मुखर करने का कोई माध्यम नहीं था समाचारपत्र उनके इशारों पर चलते थे रेडियो,टी.वी. उनकी ढपली बजाते थे राष्ट्र अपने कष्ट कहे तो कैसे कहे...?
अचानक सोशल मीडिया का प्रादुर्भाव हुआ और पीड़ा को वाणी मिल गयी समाचारपत्र, रेडियो,टी.वी.के समानांतर लाखों छोटे-छोटे केंद्र खड़े हो गए ऐसे केंद्र जिन्हें विज्ञापन न मिलने की चिंता नहीं थी ऐसे रेडियों-टीवी जिन्हें मालिक द्वारा नौकरी से निकले जाने का डर नहीं था इस के कारण वैचारिक क्रांति लहलहा उठी...!
इसी वैचरिक क्रांति के परिणाम से उपजे प्रखर,तेजस्वी,मुखर समाज को २०१४ में विकल्प दिखाई पड़ा और वो ख़ासी तादाद में इकट्ठा हो गया २०१४ से १९ तक के पांच वर्षों में इसने भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस, सपा,बसपा,TMC आदि की परफॉर्मेंस देखी परिणाम यह हुआ कि वो भाजपा पर मुग्ध हो गया उसी मुग्धता का परिणाम खंडित छत्र, भग्न रथ,अपने ही रक्त-स्वेद में सने धरती पर लोटते हुए महारथी,श्लथ-क्लांत कराहते हुए असंख्य पदातिक, दुम दबा कर भागती शत्रु सेना, लहराती विजय पताकाएँ, दमादम गूंजते हुए नगाड़े, बजती हुई विजय दुंदुभी, पाञ्चजन्य का गौरव-घोष है...!!!

गजनी वास्तव में राजपूतो के हाथ से निकल गया

#गजनी !

गजनी वह स्थान है, जहां से कभी राजपूत पूरे विश्व का नेतृत्व किया करते थे । गजनी खुरासान से ही ईरान से लेकर यूरोप तक का मार्ग प्रशस्त होता है । अतः चारो दिशाओ का नेतृत्व वहीं से किया जा सकता है ।

लगभग 3000 साल पहले कृष्ण के वंशज यदुवंशी राजपूतो ने यहां से लगभग पूरे विश्व को अपने नियंत्रण में ले लिया था । वहां से इनका शाशन यमुना उर्फ दिल्ली तक आता था ।

इसका उदारहण आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूँ, जडेजा राजपूत जो खुद को कृष्ण का वंशज मानते है । कृष्ण के श्यामल वर्ण के होने के कारण यह लोग खुद को सामपुत्र भी कहते है । इन्ही जडेजा लोगो का शाशन सीरिया तक था । सीरिया आज के जितना छोटा नही था । इसका क्षेत्रफल बहुत विशाल हुआ करता था । जिसके लगभग आधा अरब और यूरोप समा जाता है । सीरिया के पुराना नाम " साम " ही है । इसका प्रत्यक्ष प्रमाण मुसलमानो की " गजवा- ऐ - साम " की हदीस है । गजवा भी हिन्दू नाम है, ओर साम तो सामपुत्रो का नाम ही है । अर्थात कृष्ण के पुत्रों के विरुद्ध जिहाद ।

इस क्षेत्र पर सबसे पहले शाशन यदुभान ने आकर स्थापित किया , जिसका विवरण पुराणों में भी मिलता है। उस समय असीरिया में ग्रहयुद्ध चल रहा था, जहां यदुभान नाम के साधारण से राजपूत ने अपनी समझ बुझ से शांति की स्थापना की ओर लोगो ने उन्हें वहां का राजा घोषित कर दिया ।

उसके बाद उनके पुत्र नाभ वहां गद्दी पर बेठे । जिसने मालवा के विजयसिंहः की पुत्री से विवाह किया था । उनके पुत्र बाहुबल हुए, जिनकी घोड़े से गिरने के कारण अकस्मात मृत्यु हो गयी । नाभ के बाद सुभाहु गद्दी पर बैठे । यहां तक शांति ही शांति थी । सुबाहु के बाद उनके पुत्र " रिज " गद्दी पर बैठे । #ध्यान_रहे - यह सारा शाशन अफगानिस्तान से अरब की ओर शाशन कर रहा है । आज भी मुसलमानो ने रिजवान नाम बड़ी श्रद्धा से रखा जाता है, रिज एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ सूर्य के समान महान उदय है । उसी रिज से अंग्रेजो का राइजिंग बना है, जिसका अर्थ भी उदय ही है । और जैसे हम हिन्दू गुणवान, धनवान आदि लगाते है, मुसलमान रिजवान लगाने लगे । अतः रिजवान नाम हिन्दुओ का ही है ।

रिज का विवाह मालवा की राजकुमारी सौभाग्य देवी से हुआ । सौभाग्य देवी जब गर्भवती थी, तो उन्हें स्वपन आया कि उन्होंने एक हांथी को जन्म दिया है । जब ज्योतिषी से इस स्वप्न का तातपर्य पूछा तो उन्होंने कहा, की तुम हाथी के समान एक अत्यंत बलशाली ओर प्रतापी पुत्र को जन्म देने वाली हो । इसी आधार पर उनका नाम "गज " रखा गया । उन्ही के नाम से गजनी नाम भी पड़ा ।

गज के शाशन काल मे ही मुसलमानो की मल्लेछ सेना ने गजनी पर आक्रमण की शुरुवात कर दी थी । चार लाख की सेना के साथ  फरीदशाह ने गजनी पर आक्रमण किया । यह सब अरबी भेड़ें थी ।  भारत की जनता इस आक्रमण की खबर से घबराकर चारो ओर भाग रही थी । लेकिन महाराज गज ने अपनी सेना एकत्र कर सामने से जाकर मल्लेछो पर धावा बोला,  मुसलमानो के 3 लाख सैनिक युद्ध मे मारे गए, ओर हिन्दू राजपूत की तरफ से मारे गए सैनिको की संख्या मात्र 4000 थी ।

इस युद्ध के बाद ही महाराज गज ने अपनी प्रजा को सुरक्षित रखने के लिए एक विशाल दुर्ग का निर्माण करवाया । जिसका नाम " गजनी " रखा गया । इस दुर्ग के निर्माण होते होते ही मल्लेछो ने एक बार फिर आक्रमण कर दिया । यह बड़ा भयंकर युद्ध था । तलवारों ओर घोड़े की तापो के अलावा कुछ सुनाई न पड़ता था । राजपूतो की तलवारों से पल भर में सैंकड़ो सिर भूमि पर गिर रहे थे । इस युद्ध मे सेनापति खुरासान सहित ढाई लाख मुसलमान मारे गए । सात हजार राजपूतो ने वीरगति प्राप्त की ।

राजा गज के बाद साहिलवान वहां की गद्दी पर बैठे । राजा गज जब अपने वर्णाश्रम में तपस्या में लीन थे, तो उनके कुलदेवी की आकाशवाणी हुई, की गजनी  अब तुम लोगो के शाशन से बाहर होने वाला है, आने वाले हजारो वर्षो तक यहां मल्लेछो का शाषन रहेगा ।

किन्तु एक समय ऐसा आएगा ..... तुम्हारे ही वंशज यहां आकर फिर से अपना शाशन स्थापित करेंगे .... ओर पूरे विश्व का नेतृत्व करेंगे ।

गजनी वास्तव में राजपूतो के हाथ से निकल गया ..... लेकिन दूसरी भविष्यवाणी अभी पूरी होनी शेष है ......

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