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सोमवार, 22 जुलाई 2019

अपेंडिक्स के लक्षण, कारण, बचाव तथा अपेंडिक्स में क्या खाएं

अपेंडिक्स के लक्षण, कारण, बचाव
तथा अपेंडिक्स में क्या खाएं


छोटी आंत (Appendix) अर्थात एक मुंह वाली आंत-10 से 15 सेंटीमीटर तक लम्बी होती है। यह बड़ी आंत के साथ मिली होती है। इसमें सूजन हो जाती है। जब अपेंडिक्स में पुराना संक्रमण हो तो यह रोग और भी गंभीर रूप धारण कर लेता है। ऐसी स्थिति में थोड़े समय में ही आंत में छेद हो सकता है और इसका विषैला तरल पेट की भीतरी झिल्ली (पेरीटोनियम) में पहुंचकर वहां सूजन पैदा कर सकता है। प्रायः युवावस्था और मध्य आयु में यह रोग अधिकता से होता है।

छोटी आंत (SMALL INTESTINE) और बड़ी आंत (COLON) के जोड़ (CAECUM) के निचले भाग में हम लोगों की आंत की पूंछ (अपेंडिक्स ) इसका एक मुंह, एक पतली छोटी थैली के समान है। यह लम्बाई में लगभग 3 या साढ़े तीन इंच होती है, परंतु इसकी लम्बाई कभी-कभी 9 इंच तक हो जाती है। यह केवल एक-चौथाई इंच मोटी होती है। इसी आंत की पूंछ में जो सूजन होती है उसे ही अपेंडिसाइटिस कहते हैं। बहुत-सी अवस्थाओं में अपेंडिक्स में ही सूजन होती है, जो दवाई के उपचार द्वारा आसानी से ठीक हो जाती है, किंतु कभी-कभी आंत के तमाम तंतुओं में ही सूजन फैल जाती है। ऐसे हालात में सर्जरी ही एकमात्र उपचार है, वरना यह फट सकती है और जानलेवा साबित हो सकती है। क्या होती है अपेंडिक्स ?- पहले डॉक्टर्स का मानना था कि अपेंडिक्स शरीर में फालतू अंग होता है और इसका कोई उपयोग नहीं है। लेकिन बाद में हुई रिसर्च में पाया गया कि एक स्वस्थ शरीर के लिए अपेंडिक्स भी जरूरी अंग होता है। इसमें भोजन पचाने के लिए गुड बैक्टीरिया जमा होते हैं जो पाचन में मदद करते हैं। जब शरीर में किसी लंबी बीमारी के कारण बैक्टीरिया की कमी हो जाती है तो अपेंडिक्स का काम पाचन तन्त्र को ठीक रखना होता है।

अपेंडिक्स के लक्षण

अपेंडिक्स के प्रमुख लक्षणों में शामिल है – बुखार होना, जी मिचलना, उलटी, पीठ में दर्द, अत्यधिक मात्रा में गैस बनना, भूख कम लगना, पेशाब करते समय दर्द, गंभीर संक्रमण जैसे अपेंडिक्स के लक्षण हो सकते हैं। इसमें पेट में अधिक मात्रा में गैस तो बनती ही है, लेकिन उसे बाहर निकालने में समस्या आती है। इसके अलावा कब्ज़ और डायरिया के लक्षण भी दिखाई देते हैं।

अपेंडिक्स की बीमारी में पहले पेट में नाभि के नीचे और आस-पास बहुत तेज दर्द होता है, जिसके कारण रोगी तड़पने लगता है। यह दर्द अपना स्थान बदलता रहता है और अंत में नाभि के दाईं ओर कुछ नीचे दक्षिण में दर्द आकर ठहर जाता है।

इस रोग में पेट के इंफैक्शन वजह से जीभ पर सफेद परत सी जम जाती है |

इस रोग में रोगी को तेज़ दर्द के साथ मितली और उलटी भी आती है तथा कम्पन होकर 101 से 102 फॉरेनहाइट तक बुखार भी हो जाता है।

रोगी की नाड़ी की गति 120 बार प्रति मिनट तक पहुंच जाती है। रोगी अपनी दाईं टांग खींचकर रखता है क्योंकि ऐसा करने से उसे दर्द से कुछ राहत महसूस होती है। पेट को दबाने पर उस स्थान पर दर्द अधिक होता है और सूजन के कारण उभार-सा दिखाई देने लगता है।

अपेंडिक्स के मरीज को उठने-बैठने पर या दाईं टांग सिकोड़ने और फैलाने में बहुत तकलीफ का अनुभव होता है। इसी कारण प्रायः रोगी हिलता-डुलता तक नहीं है।

दाएं तरफ का पेट और पेट की पेशी अकड़कर सख्त हो जाती है। इसके अतिरिक्त रोगी को कब्ज की शिकायत हो सकती है और कई रोगियों को दस्त भी होते हैं।

अपेंडिक्स से पीड़ित रोगी के रक्त के श्वेत कण (B.C.) बढ़ जाते हैं।

अपेंडिक्स भोजन करने अथवा न करने से संबंध नहीं रखता और हर समय दर्द होता रहता है। यह दर्द व्यायाम और परिश्रम करने पर बढ़ जाता है।

एक्स-रे कराने अथवा बेरियम के एनिमा से इस रोग से पीड़ित 80% रोगियों में इस रोग की जाँच द्वारा पता लगाया जा सकता है।

गर्भावस्था में अपेंडिसाइटिस के लक्षण

गर्भावस्था में इस बीमारी की पहचान देर से हो पाती है, क्योंकि अपेंडिक्स इस समय गर्भाशय से ढंका रहता है। अपेंडिक्स का दर्द पेट के दाई भाग में नीचे की ओर या पेट के बीच में होता है, साथ में बुखार और उल्टियाँ हो सकती हैं। यदि जल्दी ही इसका ऑपरेशन नहीं किया जाए तो अपेंडिक्स के फटने का डर गर्भावस्था में अधिक रहता है। अपेंडिसाइटिस की पहचान होते ही उसका ऑपरेशन जल्दी ही करवा लेना सही कदम होता है। पहचान के लिए कभी-कभी एम.आर.आई. की जरूरत भी पड़ सकती है। गर्भ के पहले छह महीने में अपेंडिक्स का ऑपरेशन लैप्रोस्कॉपी द्वारा किया जा सकता है; पर इसके बाद पेट खोलकर ऑपरेशन करने की जरूरत होती है। साथ में एंटीबायोटिक्स देना जरूरी है, ताकि संक्रमण फैल न सके। अपेंडिसाइटिस के कारण गर्भपात एवं समय पहले बच्चा होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे हालात में नवजात का वजन भी कम होता है।

अपेंडिक्स के कारण

जो लोग मांसाहारी नहीं हैं, उनमें यह रोग बहुत ही कम देखा जाता है।

इस रोग का प्रमुख कारण कब्ज होता है।

अपेंडिक्स आंत में रुकावट आने से |

हालाँकि, आधुनिक चिकित्सा पद्धति के मतानुसार जिन जीवाणुओं को अपेंडिक्स का कारण कहा जाता है, वे सभी स्वस्थ व्यक्तियों की आंतों के भीतर दिखाई पड़ते हैं। इसके साथ ही हम यह भी बता दें कि कब्जियत होने से ही यह रोग हो जाता है, ऐसी भी बात नहीं है, बल्कि जिनका शरीर पहले से विजातीय द्रव्यों से भरा होता है, केवल उन्हीं को यह रोग होता है।

अपेंडिक्स की बीमारी से बचाव

अपेंडिक्स जैसी अंदरूनी बिमारियों से बचाव का सबसे प्रभावकारी उपाय नियमित स्वस्थ्य जाँच और स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना होता है इस विषय पर हमने कई आर्टिकल लिखे है | यह पढ़ें – जानिए क्यों जरुरी है फुल बॉडी चेकअप तथा Full Body Checkup List

अपेंडिक्स की बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा फाइबर्स वाले भोजन, ग्रीन वेजिटेबल्स, सलाद वगैरह खाएं। पानी भरपूर पिएं। जंक फूड, स्मोकिंग ड्रिंकिंग का सेवन ना करें।

अपेंडिक्स के रोगी को राहत देने वाले कुछ कदम

गर्म पानी की बोतल से दर्द के स्थान पर सिंकाई करें।

रोगी को तकिए के सहारे बैठा देने से रोगी को दर्द थोडा कम होता है।

रिलैक्सिल ऑयंटमेंट (RELAXYL) निर्माता—फ्रेंको इंडियन : इस मरहम की पीड़ित स्थान पर दिन में 2-3 बार हल्के हाथ से मालिश करें। सावधानी—इस मरहम के लगाने के बाद पट्टी न करें।

मेडीक्रीम (MEDI CREAM) निर्माता रैलीज : इस क्रीम को भी लगाने से मरीज को कुछ राहत मिलती है ।

अपेंडिक्स के मरीज यदि ऊपरी इलाज यानि दवाइयों द्वारा उपचार करवा चुके है और फिर भी आराम न मिले तो किसी अच्छे से हॉस्पिटल में ऑपरेशन कराना ही एकमात्र सफल चिकित्सा है। ऑपरेशन न कराने पर और सूजन दूर हो जाने पर भी यह रोग दोबारा हो सकता है या यह फोड़ा बनकर फट जाता है और पूरे पेट में पीप (Pus) फैलकर संक्रमण (इंफेक्शन) फैला सकता है तथा रोग और भी खतरनाक स्टेज में पहुँच सकता है।

लेप्रोस्कोपी (दूरबीन द्वारा) भी इसका उपचार उपलब्ध है इस तरीके मे 3-5 मिलीमीटर तक के छेद किये जाते है और शरीर के भीतर एक दूरबीन के जरिये देखा जाता है यह लगभग दर्द रहित इलाज की प्रक्रिया है |

अपेंडिक्स के इलाज हेतु कुछ घरेलू आयुर्वेदिक उपाय

सोए के हरे पत्तों का रस आग पर पकाएं। रस फट जाने पर उसको छानकर 100 मि. ली. में शर्बत दीनार 50 मि. ली. मिलाकर दिन में 2 बार (प्रातः व सायं) पिलाएं।

अपेंडिक्स के दर्द और सूजन से राहत के लिए रोजाना 2 बार अदरक की चाय पियें |

काला नमक आग पर गर्म करके अर्क गुलाब में बुझाएं और 60 मि. ग्रा. हींग के साथ (मिलाकर) रोगी को पिलाएं।

बकरी के दूध में उड़द का आटा 250 ग्राम की मात्रा में लेकर और गंधकर उसमें सोंठ, हींग, नमक और सोए के बीज (प्रत्येक 5-5 ग्राम मिलाकर) तवे पर इसकी एक मोटी रोटी एक तरफ से पकाकर और दूसरी तरफ से कच्ची ही रखकर उस पर एरण्ड का तेल (केस्टर ऑयल) चुपड़कर गर्म-गर्म दर्द के स्थान पर बांध दें |

अपेंडिक्स में क्या खाएं

अपेंडिक्स के मरीज को दर्द के समय उपवास कराना ठीक रहता है। रोगी को प्यास लगने पर थोड़ा-थोड़ा पानी पिलाएं। दर्द दूर हो जाने पर कुछ दिन तक संतरे, माल्टे का रस, दूध, सोडा, ग्लूकोज और तरल पेय पदार्थ ही दें और ठोस भोजन रोगी को बिलकुल न दें।

बीमारी दूर हो जाने के बाद भी रोगी के खाने-पीने के संबंध में सावधानी रखी जानी आवश्यक है। रोगी को चाहिए कि मांस आदि कब्ज पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन हमेशा के लिए छोड़ दें । इस आर्टिकल को पढ़ें इसमें कब्ज से बचाव के लिए खानपान की जानकारी दी गई है

मरीज को हल्का खाना खाना चाहिए |

अधिक मिर्च मसाले या घी तेल में बने चटपटे पकवानों से परहेज रखना चाहिए और कठिनाई व देर से पचने वाले खाद्य पदार्थों तथा जल्दबाजी से खाने की आदत को भी सदैव के लिए त्याग देना चाहिए, क्योंकि खान-पान की गड़बड़ी से यह बीमारी फिर से उभर सकती है। रोगी को प्रतिदिन मौसम के उपलब्ध व रुचिकर ताजा फल, सलाद और उबली हुई सब्जी खानी चाहिए।

अपेंडिक्स का ऑपरेशन - Appendectomy

अपेंडिक्स का ऑपरेशन क्या होता है? - Appendectomy kya hai in hindi?

अपेंडिक्स का ऑपरेशन (अपेन्डेक्टमी/ एपेन्डेक्टमी; Appendectomy) एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसके ज़रिये संक्रमित अपेंडिक्स (Appendix) को हटाया जाता है। इस स्थिति को अपेंडिसाइटिस (Appendicitis) कहा जाता है। अपेन्डेक्टमी, जिसे अपेंडिसेक्टोमी (Appendisectomy or Appendicectomy) भी कहा जाता है, एक आम आपातकालीन सर्जरी है।
अपेंडिक्स बड़ी आंत से जुड़ा एक छोटा पाउच है। यह पेट की निचिले हिस्से में दाँई ओर होता है। अगर आपको अपेंडिसाइटिस है तो आपके अपेंडिक्स को तुरंत निकालने के ज़रूरत होती है। अगर इसका उपचार न किया जाये तो अपेंडिक्स फट सकता है। यह एक मेडिकल एमर्जेन्सी (Emergency; आपातकालीन स्थिति) है। 

अपेंडिक्स का ऑपरेशन क्यों किया जाता है? - Appendectomy kab kiya jata hai?

अपेंडिसाइटिस का निदान होने पर आपको इस सर्जरी की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में आपका अपेंडिक्स पीड़ादायक, सूजा हुआ और संक्रमित हो जाता है। आगरा आपको अपेंडिसाइटिस है तो, अपेंडिक्स के फटने का गंभीर जोखिम रहता है और ये लक्षण दिखने के 48 से 72 घंटों में हो सकता है। इस स्थिति में आपके पेट में पेरिटोनाइटिस नामक एक गंभीर जानलेवा संक्रमण हो सकता है।
अपेंडिसाइटिस के लक्षण पाए जाने पर तुरंत अपने चिकत्सक को बताएं और मेडिकल सहायता प्राप्त करें:

नाभी के पास अचानक दर्द शुरू होना जो पेट के दाहिने निचले हिस्से तक हो

पेट में सूजन

पेट की मांसपेशियों में अनम्यता (Rigid Abdominal Muscles)

दस्त

मतली (Nausea)

उलटी

भूख कम लगना

लो-ग्रेड बुखार (Low Grade Fever- 98.6° F से ज़्यादा लेकिन 100.4° F से कम)

हालांकि अपेंडिसाइटिस का दर्द पेट के दाहिने निचले भाग में होता है लेकिन क्योंकि गर्भावस्था में अपेंडिक्स ऊपर हो जाता है इसलिए गर्भवती महिलाओं में इस स्थिति में दर्द पेट के दाहिने ऊपरी भाग में होता है।

अपेंडिक्स का ऑपरेशन होने से पहले की तैयारी - Appendectomy ki taiyari

सर्जरी की तैयारी के लिए आपको निम्न कुछ बातों का ध्यान रखना होगा और जैसा आपका डॉक्टर कहे उन सभी सलाहों का पालन करना होगा:

सर्जरी से पहले किये जाने वाले टेस्ट्स/ जांच (Tests Before Surgery)

सर्जरी से पहले एनेस्थीसिया की जांच (Anesthesia Testing Before Surgery)

सर्जरी की योजना (Surgery Planning)

सर्जरी से पहले निर्धारित की गयी दवाइयाँ (Medication Before Surgery)

सर्जरी से पहले फास्टिंग खाली पेट रहना (Fasting Before Surgery)

सर्जरी का दिन (Day Of Surgery)

सामान्य सलाह (General Advice Before Surgery)

इन सभी के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लिंक पर जाएँ - सर्जरी से पहले की तैयारी

अपेंडिक्स का ऑपरेशन कैसे होता है? - Appendectomy kaise hota hai?

अपेंडिक्स को हटाने की सर्जरी को करने के दो तरीके हैं:

ओपन अपेन्डेक्टमी (Open Appendectomy) - यह इस सर्जरी को करने का मानक तरीका है

लैप्रोस्कोपिक अपेन्डेक्टमी (Laparoscopic Appendectomy) - यह कम काटकर या चीरकर की जाने वाली प्रक्रिया है

लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान, सर्जन ओपन सर्जरी करने का निर्णय ले सकते हैं। अगर मरीज़ का अपेंडिक्स फट गया है, तो ऐसे में ओपन सर्जरी की ज़रुरत होती है।
हाल में, अध्ययनों में कहा जा रहा है कि इंट्रावेनस (नसों में) एंटीबायोटिक्स दिए जाने से भी इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। हालांकि यह अभी भी विवादास्पद है और अपेन्डेक्टमी को अभी भी उपचार की मानक प्रक्रिया माना जाता है।

ओपन अपेन्डेक्टमी (Open Appendectomy)

पेट के निचले भाग में दांयी तरफ एक चीरा काटा जायेगा, जिसकी लम्बाई दो से चार इंच तक होगी।

पेट की मांसपेशियों को हटाया जायेगा और फिर सर्जिकल धागों से बांधकर अपेंडिक्स को निकाला जायेगा।

अगर रोगी का अपेंडिक्स फट गया है तो आपके उदर को सेलाइन से धोया जायेगा।

फिर पेट की लाइनिंग और मांसपेशियों को सिला जायेगा और घाव को पट्टियों से ढका जायेगा। चीरे के अंदर द्रव निकालने के लिए एक छोटी ट्यूब लगाई जा सकती है।

लैप्रोस्कोपिक अपेन्डेक्टमी (Laparoscopic Appendectomy)

इस प्रक्रिया में ओपन सर्जरी की तुलना में छोटे चीरे किये जाते हैं। हालांकि चीरों की संख्या ज़्यादा होती है। इस प्रक्रिया में एक से तीन तक चीरे काटे जा सकते हैं।

एक चीरे से लैप्रोस्कोप (Laparascope), एक लम्बी पतली ट्यूब, डाला जाता है जिससे एक छोटा वीडियो कैमरा और अन्य सर्जिकल उपकरण जुड़े होते हैं। कैमरा की मदद से सर्जन को पेट के अंदरूनी हिस्सों को देखने और उपकरणों का प्रयोग करने में मदद मिलेगी।

पेट में कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) डालकर पेट को फुलाया जाता है ताकि अंदरूनी हिस्से आसानी से देखे जा सकें।

अपेंडिक्स को सर्जिकल धागों से बाँध कर बाहर निकाला जाएगा।

सर्जरी के समाप्त होने पर लैप्रोस्कोप और अन्य उपकरणों को निकला जायेगा और कार्बन डाइऑक्साइड को चीरों से बहार निकलने दिया जायेगा। द्रव निकालने के लिए चीरे के अंदर एक ट्यूब लगायी जा सकती है।

अंत में चीरे को सिल दिया जायेगा और घाव को पट्टियों से ढक दिया जायेगा।

अपेंडिक्स का ऑपरेशन होने के बाद देखभाल - Appendectomy hone ke baad dekhbhal

अस्पताल में देखभाल (Hospital Care)

सर्जरी के बाद मरीज़ को रिकवरी रूम में ले जाया जायेगा। चिकत्सकों और नर्सों द्वारा मरीज़ की ह्रदय गति, श्वास, रक्त चाप, नब्ज आदि की जांच की जाएगी और स्थिति नियंत्रण में आते ही मरीज़ को अस्पताल के कमरे में शिफ्ट किया जायेगा।

लैप्रोस्कोपिक सर्जरी आउट-पेशेंट (Out Patient; जिसमें मरीज़ को सर्जरी के बाद अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती) आधार पर भी की जा सकती है।

रिकवरी में कितना समय लगेगा यह इस पर निर्भर करता है की सर्जरी किस प्रक्रिया से की गयी है और प्रक्रिया के दौरान एनेस्थीसिया का कौनसा प्रकार दिया गया था।

सर्जरी के अंत में चीरे के अंदर लगायी गयी ट्यूब को तब निकाला जायेगा जब आँतों की कार्यवाही सामान्य हो जाएगी। जब तक उस ट्यूब को निकाल नहीं दिया जाता तब तक मरीज़ कुछ खा या पी नहीं पाएंगे।

आपको आपकी स्थिति के अनुसार दर्द निवारक दवाएं दी जा सकती हैं।

घर में देखभाल (Recovery At Home)

जब आपको अस्पताल से छुट्टी मिल जाये तो ध्यान रखें कि आप घाव को साफ़ और सूखा रखते हैं। आपको किस प्रकार नहाना है इसके निर्देश डॉक्टर द्वारा दिए जायेंगे। डॉक्टर द्वारा कुछ समय में टाँके खोल दिए जायेंगे।

घर आने के बाद भी नियमित रूप से डॉक्टर से चेक-अप करवाते रहें।

ज़्यादा देर तक खड़े रहने पर चीरे की जगह और पेट की मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं का नियमित रूप से सेवन करें।

अगर आपका उपचार लैप्रोस्कोपिक प्रक्रिया से हुआ है तो आपको यह लग सकता है कि कार्बन डाइऑक्साइड अभी भी आपके पेट में है। यह समस्या कुछ दिनों में ठीक हो जाएगी।

सर्जरी के बाद हर वक़्त बिस्तर पर न रहकर, इधर उधर टहलना रोगी के लिए अच्छा होगा। लेकिन थकाने वाले कार्य न करें। डॉक्टर से पूछें कि आप कबसे काम पर वापिस जा सकते हैं।

निम्न परेशानियां होने पर अपने चिकित्सक को सूचित करें:

बुखार या ठंड लगना (और पढ़ें – बुखार के घरेलू उपचार)

चीरे की जगह पर सूजन, रक्तस्त्राव, लाल होना या अन्य किसी प्रकाव का स्त्राव

चीरे की जगह पर दर्द

उलटी

भूख कम लगना

लगातार खांसी होना, सांस लेने में तकलीफ या सांस फूलना

पेट में दर्द, अकड़न या सूजन

दो दिन या उससे ज़्यादा समय तक मलत्याग न होना

तीन दिन से ज़्यादा समय से पानी वाले दस्त होना

अपेंडिक्स के ऑपरेशन की जटिलताएं - Appendectomy me jatiltaye

दोनों प्रक्रियाओं में जटिलताएं और जोखिम कम हैं। लैप्रोस्कोपिक प्रक्रिया में अस्पताल में कम समय तक रहने की आवश्यकता होती है, रिकवरी में कम समय लगता है और संक्रमण का जोखिम भी कम होता है।
अपेन्डेक्टमी से होने वाले कुछ जोखिम निम्न हैं:

रक्तस्त्राव

घाव पर संक्रमण

पेट में सूजन, संक्रमण या पेट का लाल होना (अगर अपेंडिक्स सर्जरी के दौरान फट जाए तो)

आँतों का अवरुद्ध हो जाना

आसपास के अंगों में चोट लग जाना

किसी भी तरह की परेशानी होने पर (उपर्लिखित या कोई अन्य समस्या भी) अपने चिकित्सक से परामर्श ज़रूर

हल्दी का पानी अमृत.

हल्दी का पानी अमृत........

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पानी में हल्दी मिलाकर पीने से होते है यह 7 फायदें.....
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1. गुनगुना हल्दी वाला पानी पीने से दिमाग तेज होता है. सुबह के समय हल्दी का गुनगुना पानी पीने से दिमाग तेज और उर्जावान बनता है.

2. रोज यदि आप हल्दी का पानी पीते हैं तो इससे खून में होने वाली गंदगी साफ होती है और खून जमता भी नहीं है. यह खून साफ करता है और दिल को बीमारियों से भी बचाता है.
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3. लीवर की समस्या से परेशान लोगों के लिए हल्दी का पानी किसी औषधि से कम नही है. हल्दी के पानी में टाॅक्सिस लीवर के सेल्स को फिर से ठीक करता है. हल्दी और पानी के मिले हुए गुण लीवर को संक्रमण से भी बचाते हैं.
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4. हार्ट की समस्या से परेशान लोगों को हल्दी वाला पानी पीना चाहिए. हल्दी खून को गाढ़ा होने से बचाती है. जिससे हार्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है.
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5. जब हल्दी के पानी में शहद और नींबू मिलाया जाता है तब यह शरीर के अंदर जमे हुए विषैले पदार्थों को निकाल देता है जिसे पीने से शरीर पर बढ़ती हुई उम्र का असर नहीं पड़ता है. हल्दी में फ्री रेडिकल्स होते हैं जो सेहत और सौंदर्य को बढ़ाते हैं.
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6. शरीर में किसी भी तरह की सजून हो और वह किसी दवाई से ना ठीक हो रही हो तो आप हल्दी वाला पानी का सेवन करें. हल्दी में करक्यूमिन तत्व होता है जो सूजन और जोड़ों में होने वाले असाहय दर्द को ठीक कर देता है. सूजन की अचूक दवा है हल्दी का पानी.
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7. कैंसर खत्म करती है हल्दी. हल्दी कैंसर से लड़ती है और उसे बढ़ने से भी रोक देती है. हल्दी एंटीकैंसर युक्त होती है. यदि आप सप्ताह में तीन दिन हल्दी वाला पानी पीयेंगे तो आप भविष्य में कैंसर से हमेशा बचे रहेगें.👏

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कोचिंग का इंजेक्शन लगा कर लौकी की तरह भावी इंजीनियर और डॉक्टर की पैदावार की जाती है

#कोचिंग ....
कोचिंग का इंजेक्शन लगा कर लौकी की तरह भावी इंजीनियर और डॉक्टर की पैदावार की जाती है !अब नेचुरल देसी नस्ल छोटी रह जाती है जो तनाव में आकर या तो मुरझा जाती है या बाजार में बिकने लायक ही नही रहती ...!
अब मैं आपको बीस साल पहले ले जाता हूँ  जब सरकारी स्कूलों का दौर था ..! जब एक औसत लड़के को साइंस ना देकर स्कूल वाले खुद ही लड़के को भट्टी में झोकने से रोक देते थे ...!
आर्ट्स और कामर्स देकर लड़कों को शिक्षक बाबू,पटवारी,नेता और व्यापारी बनाने की तरफ मोड़ देते थे ..!
मतलब साफ है कि पानी को छोटी-छोटी नहरो में छोड़ कर योग्यता के हिसाब से अलग अलग दिशाओ में मोड़ दो ताकि बाढ़ का खतरा ही पैदा ना हो ...!
शिक्षक लड़के के गलती करने पर उसको डंडे से पीट-पीटकर साक्षर बनाने पर अड़े रहते और तनाव झेलने के लिये मजबूत कर देते थे ...!
पापा-मम्मी से शिकायत करो तो दो झापड़ पापा-मम्मी भी जड़ देते थे और गुरुजी से सुबह स्कूल आकर ये और कह जाते थे कि अगर नहीं पढ़े तो दो डंडे हमारी तरफ से भी लगाना आप ...!
अब पक्ष और विपक्ष एक होता देख लड़का पिटने के बाद सीधा फील्ड में जाकर खेलकूद करके अपना तनाव कम कर लेता था ...!
खेलते समय गिरता पड़ता और कभी-कभी छोटी-मोटी चोट भी लग जाती तो मिट्टी डाल कर चोट को सुखा देता,पर कभी तनाव में नहीं आता ...!
दसवीं आते-आते लड़का लोहा बन जाता था। तनावमुक्त होकर मैदान में तैयार खड़ा हो जाता था ...!
हर तरह के तनाव को झेलने के लिए .....!
फिर आया #कोचिंग और #प्राईवेट स्कूलों का दौर यानी की शिक्षा स्कूल से निकल कर ब्रांडेड शोरुम में आ गई ...! शिक्षा सोफेस्टीकेटेड हो गई ...!
बच्चे को गुलाब के फूल की तरह ट्रीट किया जाने लगा !मतलब बच्चा ५०% लाएगा तो भी साइंस में ही पढ़ेगा ...!
हमारा #मुन्ना तो #डॉक्टर ही बनेगा। हमारा बच्चा IIT से B.tech करेगा ....!
शिक्षक अगर हल्के से भी मार दे तो पापा-मम्मी मानवाधिकार की किताब लेकर मीडिया वालों के साथ स्कूल पर चढ़ाई कर देते हैं कि हमारे मुन्ना को हाथ भी कैसे लगा दिया ....?
#मीडिया वाले #शिक्षक के गले में #माइक घुुसेड़ कर पूछने लग जाते हैं कि आप ऐसा कैसे कर सकते हैं ...?
यहाँ से आपका बच्चा #सॉफ्ट #टॉय बन गया बिलकुल #टेडीबियर की तरह ...!
अब बच्चा स्कूल के बाद तीन-चार कोचिंग सेंटर में भी जाने लग गया ...! खेलकूद तो भूल ही गया ..!
फलाने सर से छूटा तो ढिमाके सर की क्लास में पहुंच गया ...!
#बचपन किताबों में ३उलझ गया और बच्चा #कॉम्पटीशन के चक्रव्युह में ही उलझ गया बेचारा ...!
क्यों भाई आपका मुन्ना केवल डॉक्टर और इंजीनियर ही क्यों बनेगा ..?
वो आर्टिस्ट,सिंगर,खिलाड़ी,किसान और दुकानदार से लेकर नेता और कारखाने का मालिक क्यों नहीं बनेगा ...?
हजारों फील्ड हैं अपनी योग्यता के अनुसार कार्य करने के वो क्यों ना चुनो ...!
अभी कुछ दिनों पहले मेरे महंगे #जूते थोड़े से फट गऐ पता किया एक लड़का अच्छी तरह से #रिपेयर करता है कि ये पता ही नहीं चलता कि जूते रिपेयर भी हुए हैं ...!
उसके पास गया तो उसने २०० रुपये मांगे रिपेयर करने के और कहा एक हफ्ते बाद मिलेगें जी ..!
उस लड़के की आमदनी का हिसाब लगाया तो पता चला की लगभग एक लाख रुपये महीने कमाता है !
यानी की पूरा #बारह लाख #पैकेज ...!
#वो तो #कोटा नहीं गया ! उसने अपनी #योग्यता को #हुनर में बदल दिया और अपने काम में #मास्टरपीस बन गया ..! कोई #शेफ़ बन कर लाखों के पैकेज़ में फाइव स्टार होटल में नौकरी कर रहा है तो कोई #हलवाई बन कर बड़े-बड़े इवेंट में खाना बना कर लाखों रुपये ले रहा है कोई #डेयरी फार्म खोल कर लाखों कमा रहा है ...!
कोई दुकान लगा कर लाखों कमा रहा है तो कोई #कंस्ट्रक्शन के बड़े-बड़े ठेके ले रहा है। तो कोई #फर्नीचर बनाने के ठेके ले रहा है ! कोई रेस्टोरेंट खोल कर कमा रहा है तो कोई #कबाड़े का माल खरीद कर ही अलीगढ़ जैसे शहर में ही लाखों कमा रहा है तो कोई #सब्जी बेच कर भी २०-२५ हजार महीने के कमा रहा है तो कोई #चाय की #रेहड़ी लगा कर ही ४०-५० हजार महीने के कमा रहा है तो कोई हमारे यहाँ कचोरी समोसे और पकोड़े-जलेबी बेच कर ही लाखों रुपये महीने के कमा रहा है। मतलब साफ है भैया कमा वो ही रहा है जिसने अपनी योग्यता और उस कार्य के प्रति अपनी रोचकता को हुनर में बदला और उस हुनर में मास्टर पीस बना ..!
जरुरी नहीं है कि आप डॉक्टर और इंजीनियर ही बनें आप कुछ भी बन सकते हैं आपमें उस कार्य को करने का जुनून हो बस। हाँ तो #अभिभावको/#प्रियजनों अपने बच्चों को टैडीबीयर नहीं बल्कि लोहा बनाओ लोहा ...!
अपनी मर्जी की भट्टी में मत झोको उसको। उसे पानी की तरह नियंत्रित करके छोड़ो वो अपना रास्ता खुद बनाने लग जाएगा ..!
पर बच्चों पर नियंत्रण जरुर रखो ...!
अगर वो अनियंत्रित हुआ तो पानी की तरह आपके जीवन में बाढ़ ला देगा ..!
कहने का मतलब ये है कि ....
#शिक्षा को #नेचुरल ही रहने दो ...!,
क्यों #सिंथेटिक बनाकर बच्चे का जीवन और अपनी खुशियों को बरबाद  कर रहे हो ...! 
बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार 
आगे बढ़ने में सहयोग दे .....!

नाभी कुदरत की एक अद्भुत देन है

नाभी कुदरत की एक अद्भुत देन है
एक 62 वर्ष के बुजुर्ग को अचानक बांई आँख  से कम दिखना शुरू हो गया। खासकर  रात को नजर न के बराबर होने लगी।जाँच करने से यह निष्कर्ष निकला कि उनकी आँखे ठीक है परंतु बांई आँख की रक्त नलीयाँ सूख रही है। रिपोर्ट में यह सामने आया कि अब वो जीवन भर देख  नहीं पायेंगे।.... मित्रो यह सम्भव नहीं है..
मित्रों हमारा शरीर परमात्मा की अद्भुत देन है...गर्भ की उत्पत्ति नाभी के पीछे होती है और उसको माता के साथ जुडी हुई नाडी से पोषण मिलता है और इसलिए मृत्यु के तीन घंटे तक नाभी गर्म रहती है।
गर्भधारण के नौ महीनों अर्थात 270 दिन बाद एक सम्पूर्ण बाल स्वरूप बनता है। नाभी के द्वारा सभी नसों का जुडाव गर्भ के साथ होता है। इसलिए नाभी एक अद्भुत भाग है।
नाभी के पीछे की ओर पेचूटी या navel button होता है।जिसमें 72000 से भी अधिक रक्त धमनियां स्थित होती है
नाभी में देशी गाय का शुध्द घी या तेल लगाने से बहुत सारी शारीरिक दुर्बलता का उपाय हो सकता है।
1. आँखों का शुष्क हो जाना, नजर कमजोर हो जाना, चमकदार त्वचा और बालों के लिये उपाय...
सोने से पहले 3 से 7 बूँदें शुध्द देशी गाय का घी और नारियल के तेल नाभी में डालें और नाभी के आसपास डेढ ईंच  गोलाई में फैला देवें।
2. घुटने के दर्द में उपाय
सोने  से पहले तीन से सात बूंद अरंडी का तेल नाभी में डालें और उसके आसपास डेढ ईंच में फैला देवें।
3. शरीर में कमपन्न तथा जोड़ोँ में दर्द और शुष्क त्वचा के लिए उपाय :-
रात को सोने से पहले तीन से सात बूंद राई या सरसों कि तेल नाभी में डालें और उसके चारों ओर डेढ ईंच में फैला देवें।
4. मुँह और गाल पर होने वाले पिम्पल के लिए उपाय:-
नीम का तेल तीन से सात बूंद नाभी में उपरोक्त तरीके से डालें।
नाभी में तेल डालने का कारण
हमारी नाभी को मालूम रहता है कि हमारी कौनसी रक्तवाहिनी सूख रही है,इसलिए वो उसी धमनी में तेल का प्रवाह कर देती है।
जब बालक छोटा होता है और उसका पेट दुखता है तब हम हिंग और पानी या तैल का मिश्रण उसके पेट और नाभी के आसपास लगाते थे और उसका दर्द तुरंत गायब हो जाता था।बस यही काम है तेल का।
अपने स्नेहीजनों, मित्रों और परिजनों में इस नाभी में तेल और घी डालने के उपयोग और फायदों को शेयर करिये।
करने से होता है , केवल पढ़ने से नहीं
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मेडिकल किडनैपिंग ये होती है

मेडिकल किडनैपिंग ये होती है
अभिनव वर्मा की माँ ,जो सिर्फ 50 बरस की थीं , पेट में दर्द उठा ,नज़दीक ही फोर्टिस अस्पताल बनेरघट्टा, बंगलौर है ! डा कनिराज ने माँ को देखा और अल्ट्रा साउंड कराने को कहा ! फोर्टिस में ही अल्ट्रा साउंड हुआ और डा कनिराज ने बताया कि गाल ब्लैडर में पथरी है ! एक छोटा सा ऑपरेशन होगा,माँ स्वस्थ हो जाएंगी ! अभिनव माँ को घर लेकर आ गए और पेन-किलर के उपयोग से दर्द खत्म भी हो गया !!
कुछ दिन बाद अभिनव वर्मा को फोर्टिस से फोन कर डा कनिराज ने हिदायत दी कि यूँ पथरी का गाल ब्लैडर में रहना खतरनाक होगा,अतः अभिनव को अपनी माँ का ऑपरेशन तुरंत करा लेना ज़रूरी है ! अभिनव जब अपनी माँ को फोर्टिस बंगलौर लेकर पहुचे तो एक दूसरे डॉक्टर मो शब्बीर अहमद ने अटेंड किया ,जो एंडोस्कोपी के एक्सपर्ट थे,उन्होंने बताया कि एहतियात के लिए ERCP करा ली जाय , डा अहमद को पैंक्रियास कैंसर का .05 % शक था ! अभिनव मजबूर थे, डॉक्टर भगवान होता है, झूठ तो नहीं बोलेगा, सो पैंक्रियास और गाल ब्लैडर की बायोप्सी की गई !! रिपोर्ट नेगेटिव आई मगर बॉयोप्सी और एंडोस्कोपी की प्रक्रिया के बाद माँ को भयंकर दर्द शुरू हो गया ! गाल ब्लैडर के ऑपरेशन को छोड़, माँ को पेट दर्द और इंटर्नल ब्लीडिंग के शक में ICU में पंहुचा दिया गया ! आगे पढ़ने के लिए धैर्य और मज़बूत दिल चाहिए !!
जब अभिनव की माँ अस्पताल में भर्ती हुई थीं तो लिवर,हार्ट,किडनी और सारे ब्लड रिपोर्ट पूरी तरह नार्मल थे ! डॉक्टरों ने बताना शुरू किया कि अब लिवर अफेक्टेड हो गया है, फिर किडनी के लिए कह दिया गया कि डायलिसिस होगा ! एक दिन कहा अब बीपी बहुत 'लो' जा रहा है तो पेस मेकर लगाना पड़ेगा, पेस मेकर लग गया मगर हालात बद से बदतर हो गए ! पेट का दर्द भी बढ़ता जा रहा था और शरीर के अंग एक-एक कर साथ छोड़ रहे थे ! अब तक अभिनव की माँ को फोर्टिस ICU में एक माह से ऊपर हो चुका था !
एक दिन डॉक्टर ने कहा कि बॉडी में शरीर के ऑक्सीजन सप्लाई में कुछ गड़बड़ हो गई अतः ऑपरेशन करना होगा ! ऑपरेशन टेबल पर लिटाने के बाद डॉक्टर, ऑपरेशन थिएटर के बाहर निकल कर तुरंत कई लाख की रकम जमा कराने को कहता है और उसके बाद ही ऑपरेशन करने की बात करता है ! अभिनव तुरंत दौड़ता है और अपने रिश्तेदारों ,मित्रों के सामने गिड़गिड़ाता है,रकम उसी दिन इकट्ठी कर फोर्टिस में जमा कराई गई,पैसे जमा होने के बाद भी डॉक्टर ऑपरेशन कैंसिल कर देते हैं !
हालात क्यों बिगड़ रहे हैं, इंफेक्शन क्यों होते जा रहे थे, डॉक्टर अभिनव को कुछ नहीं बताते ! सिर्फ दवा, ड्रिप, खून की बोतलें और माँ की बेहोशी में अभिनव स्वयं आर्थिक और मॉनसिक रूप से टूट चुका था ! डॉक्टरों को जब अभिनव से पैसा जमा कराना होता था तब ही वह अभिनव से बात करते थे !
माँ बेहोशी में कराहती थी ! अभिनव माँ को देख कर रोता था कि इस माँ को कभी -कभी हलके पेट दर्द के अलावा कोई तकलीफ न थी ! उसकी हॅसमुख और खूबसूरत माँ को फोर्टिस की नज़र लग गई थी ! 50 दिन ICU में रहने के बाद दर्द में कराहते हुए मां ने दुनिया से विदा ले ली ! खर्चा-अस्पताल का बिल रु 43 लाख ,दवाइयों का बिल 12 लाख और 50 यूनिट खून ! अभिनव की माँ की देह को शवग्रह में रखवा दिया गया और अभिनव को शेष भुगतान जमा कराने के लिए कहा गया और शव के इर्द गिर्द बाउंसर्स लगा दिए गए ! अभिनव ने सिर्फ एक छोटी सी शर्त रखी कि मेरी माँ की सारी रिपोर्ट्स और माँ के शरीर की जांच एक स्वतंत्र डॉक्टरों की टीम द्वारा कराइ जाए ! फोर्टिस ने बमुश्किल अनुमति दी !!!

रिपोर्ट आई ............... अभिनव वर्मा की माँ के गाल ब्लैडर में कभी कोई पथरी नहीं थी

अजीनोमोटो "दिमाग़ को पागल करने का मसाला"

अजीनोमोटो
"दिमाग़ को पागल करने का मसाला"
शादी-ब्याह दावतों में भूल कर भी हलवाई को ना देवें !

आजकल व्यंजनों में, खासकर चायनीज वैरायटी में,
एक सफेद पाउडर या क्रिस्टल के रूप में
मोनो सोडियम ग्लुटामेट (M.S.G.) नामक रसायन
जिसे दुनिया अजीनोमोटो के नाम से जानती है,
का प्रयोग बहुत बढ़ गया है,
बिना यह जाने कि यह वास्तव में क्या है?
अजीनोमोटो नाम तो असल में इसे बनाने वाली मूल चायनीज कम्पनी का है !
यह एक ऐसा रसायन है, जिसके जीभ पर स्पर्श के बाद जीभ भ्रमित हो जाती है और मस्तिष्क को झूठे संदेश भेजने लगती है।
जिस सें सड़ा-गला या बेस्वाद खाना भी अच्छा महसूस होता है।
इस रसायन के प्रयोग से शरीर के अंगों-उपांगों और मस्तिष्क के बीच न्यूरोंस का नैटवर्क बाधित हो जाता है, जिसके दूरगामी दुष्परिणाम होते हैं।

चिकित्सकों के अनुसार अजीनोमोटो के प्रयोग से
1-एलर्जी,
2-पेट में अफारा,
3-सिरदर्द,
4-सीने में जलन,
5-बाॅडीे टिश्यूज में सूजन,
6-माइग्रेन आदि हो सकते है।
अजीनोमोटो से होने वाले रोग इतने व्यापक हो गये हैं कि अब इन्हें ‘चाइनीज रेस्टोरेंट सिंड्रोम कहा जाता है। दीर्घकाल में मस्तिष्काघात (Brain Hemorrhage)
हो सकता है जिसकी वजह से लकवा होता है।
अमेरिका आदि बहुत से देशों में अजीनोमोटो पर प्रतिबंध है।
न जाने
फूड सेफ्टी एण्ड स्टैन्डर्ड अथाॅरिटी आॅफ इंडिया’ ने भारत में अजीनोमोटो को प्रतिबंधित क्यों नहीं किया है?

सुरक्षित खाद्य अभियान ("Safe Food Abhiyan")
की पाठकों से जोरदार अपील है कि दावतों में हलवाई द्वारा मंगाये जाने पर उसे अजीनोमोटो लाकर ना देवें। हलवाई कहेगा कि चाट में मजा नहीं आयेगा,
फिर भी इसका पूर्ण बहिष्कार करें।
कुछ भी हो (AFTER ALL) दावत खाने वाले आपके प्रियजन हैं, आपके यहां दावत खाकर वे बीमार नही पड़ने चाहिए !
जब आपने बाकि सारा बढ़िया सामान लाकर दिया है तो लोगों को अजीनोमोटो के बिना भी खाने में, चाट में पूरा मजा आयेगा, आप निश्चिंत रहें।
अजीनोमोटो तो हलवाई की अयोग्यता को छिपाने व होटलों, ढाबों, कैटरर्स, स्ट्रीट फूड वैंडर्स द्वारा सड़े-गले सामान को आपके दिमाग को पागल बनाकर स्वादिष्ट महसूस कराने के लिए डाला जाता है।
क्या हलवाई की अयोग्यता का दंड अपने प्रियजनों
को देंगे  ????
सुरक्षित खाद्य अभियान(Safe Food Abhiyan)द्वारा
"विज्ञान प्रगति’ मई-2017"में छपी सामग्री पर आधारित।

अजीनोमोटो व उसके नुकसान क्या है | What is Ajinomoto and side effects in hindi

Ajinomoto and its side effects in hindiअजीनोमोटो को हम इसके व्यापारिक नाम मोनो सोडियम ग्लूटामेट के नाम से भी जानते है. इसको संक्षिप्त में हम एमएसजी नाम से भी जानते है. अजीनोमोटो की कंपनी का मुख्य कार्यालय चोओ, टोक्यो में स्थित है. यह 26 देशों में काम करता है. 2013 के वित्तीय वर्ष में इसका वार्षिक राजस्व करीब 12 अरब अमेरिकी डॉलर है. इसका इस्तेमाल ज्यादातर चीन की खाद्य पदार्थो में खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है. पहले हम अधिकांशतः घर पर बने खाने को खाते थे, लेकिन अब लोग चिप्स, पिज्ज़ा और मैगी जैसे खाने को ज्यादा पसंद करने लगे है जिनमे अजीनोमोटो का इस्तेमाल होता है. इसका इस्तेमाल कई डिब्बाबंद फ़ास्ट फ़ूड सोया सॉस, टोमेटो सॉस, संरक्षित मछली जैसे सभी संरक्षित खाद्य उत्पादों में किया जाता है.
अजीनोमोटो और उसके लाभ एवं नुकसान

Ajinomoto and its side effects in hindi

अजीनोमोटो का इतिहास (What is Ajinomoto history)

अजीनोमोटो को पहली बार 1909 में जापानी जैव रसायनज्ञ किकुनाए इकेडा के द्वारा खोजा गया था. उन्होने इसके स्वाद को मामी के रूप में पहचाना जिसका अर्थ होता है सुखद स्वाद. कई जापानी सूप में इसका इस्तेमाल होता है. इसका स्वाद थोडा नमक के जैसा होता है. देखने में यह चमकीले छोटे क्रिस्टल के जैसा होता है. इसमें प्राकृतिक रूप से एमिनो एसिड पाया जाता है. 
अजीनोमोटो का उपयोग (Ajinomoto uses)

अजीनोमोटो 1908 में एक ब्रांड के रूप में व्यावसायिक तौर पर आया, किन्तु आज दुनिया के हर कुक खाने में स्वाद को बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल करते है.

एमएसजी का इस्तेमाल सुरक्षित माना गया है, लेकिन इसको लेकर कुछ ग़लतफ़हमी भी है जो कि वैज्ञानिक रूप से अभी प्रमाणित नहीं हुई है इसका इस्तेमाल सब्जियों के मसाले में किया जाता है.

इसका उपयोग विशेष रूप से चायनीज़ खाने में किया जाता है. यदि किसी सामान्य या चायनीज़ खाने को स्वादिष्ट बनाना है तो लोग इसका इस्तेमाल करते है.

चायनीज़ खाने जैसे नूडल्स, सूप आदि कई प्रकार के खाने के व्यंजन में इसका इस्तेमाल किया जाता

अजीनोमोटो के लाभ (Ajinomoto benefit)
कुछ खाद्य पदार्थो में प्राकृतिक रूप से ग्लूटामेट पाया जाता है जैसे टमाटर, समुद्री मछलियों, पनीर और मशरूम में ये प्रचुर मात्रा में पाए जाते है, जिससे इसमें अलग से इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता और यह हानिकारक भी नहीं होता है. इसलिए अगर कोई व्यक्ति स्वस्थ है और उसको इसे खाने से कोई समस्या नहीं है तो उसे इसका सेवन करने में कोई परेशानी नहीं होगी. यू. एस. फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने एमएसजी के सेवन को सामान्य रूप से सुरक्षित माना है. 

अजीनोमोटो के नुकसान (Ajinomoto side effects)
एमएसजी का इस्तेमाल पहले चीन की रसोई में होता था, लेकिन अब ये धीरे धीरे हमारे भी घरों की रसोई में अपना पैठ बना चूका है. अपने समय को बचाने के लिए जो हम 2 मिनट में नुडल्स को तैयार कर ग्रहण करते है इस तरह के अधिकांशतः खाद्य पदार्थो में यह पाया जाता है जो धीरे धीरे हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते है.

यह एक प्रकार से नशे की लत जैसा होता है अगर आप एक बार अजीनोमोटो युक्त भोजन को ग्रहण कर लेते है, तो आप उस भोजन को नियमित खाने की इच्छा रखने लगेंगे.

इसके सेवन से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाती है. जब आप एमएसजी मिले पदार्थो का सेवन करते है, तो रक्त में ग्लूटामेट का स्तर बढ़ जाता है. जिस वजह से इसका शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ता है.

एमएसजी को एक धीमा हत्यारा भी कहा जा सकता है. यह आँखों की रेटिना को नुकसान पहुंचाता है साथ ही यह थायराईड और कैंसर जैसे रोगों के लक्षण पैदा कर सकता है.

अजीनोमोटो का इस्तेमाल हानिकारक है (Ajinomoto harmful effects)
अजीनोमोटो के इस्तेमाल को जहाँ सुरक्षित माना गया है वही इसको खाने से कुछ हानिकारक प्रभाव भी पड़ते हैं जैसे कि –

बाँझपन – गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए, क्योकि ये महिला और बच्चे के बीच भोजन आपूर्ति में बाधक बन सकता है. साथ ही यह मस्तिष्क के नयूरोंस पर भी बुरा प्रभाव डालता है यह शरीर में सोडियम की मात्रा को बढ़ा देता है जिस वजह से रक्तचाप बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही पैरों में सूजन की भी समस्या होने लगती है.

माइग्रेन – अजीनोमोटो से युक्त खाद्य पदार्थो का अगर नियमित सेवन किया जाये तो यह माइग्रेन पैदा कर सकता है जिसको हम अधकपाली भी कहते है. इस बीमारी में आधे सिर में हल्का हल्का दर्द होते रहता है.

सीने में दर्द – अजीनोमोटो का सेवन करने से अचानक सीने में दर्द, धड़कन का बढ़ जाना और ह्रदय की मांसपेशियों में खिचाव होने लगता है.

तंत्रिका पर प्रभाव – एमएसजी तंत्रिका को प्रेरित कर उसमे असंतुलन पैदा कर सकती है इस वजह से गर्दन में अकडन या खिचाव के साथ शरीर में झुनझुनी पैदा होने लगती है. इसके सेवन से अल्झाइमर, हन्तिन्ग्तिओन और पार्किन्सन, मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस जैसी लक्षण पैदा होने लगते है. अजीनोमोटो एक नयूरोत्रन्स्मित्टर है जो अनिंद्रा जैसे विकारों के भी लक्षण पैदा कर सकते है.

मोटापा बढ़ना – एमएसजी के अधिक सेवन से मोटापे के बढ़ने का खतरा हमेशा बना रहता है हमारे शरीर में मौजूद लेप्टिन हॉर्मोन, हमे भोजन के अधिक सेवन को रोकने के लिए हमारे मस्तिष्क को संकेत देते है. अजीनोमोटो के सेवन से ये प्रभावित हो सकता है जिस वजह से हम ज्यादा भोजन कर जल्द ही मोटापे से ग्रस्त हो सकते है.

बच्चो के लिए हानिकारक : एमएसजी यानि अजीनोमोटो युक्त खाद्य पदार्थो को बच्चों को बिल्कुल भी नहीं देना चाहिए. अजीनोमोटो का प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति पर अलग अलग होता है अगर किसी भी व्यक्ति को इसको खाने के बाद इस तरह के कोई भी लक्षण न दिखे, तो उनके लिए इसका सेवन सुरक्षित है और वो इससे बने खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते है.

अजीनोमोटो के लिए निष्कर्ष (Ajinomoto conclusion)
किसी भी चीज का अधिक सेवन हमे लाभ पहुंचाने के बदले नुकसान ही पहुंचाते है. अजीनोमोटो का भी जरुरत से ज्यादा या लगातार इस्तेमाल किसी अति संवेदनशील व्यक्ति को नुकसान पंहुचा सकता है. इसलिए जब भी आप इसका सेवन करे ऊपर वर्णित लक्षण दिखने पर इसका सेवन बंद कर दे और डॉ. से परामर्श ले.

दूध + दालचीनी और अनगिनत फायदे

दूध + दालचीनी और अनगिनत फायदे

दूध तो हम में से कई लोग पीते है फिर भी लोगो को शिकायत रहती है

कि उन्हें दूध पचता नही है
और
ना ही शरीर को लगता है।
आज हम आपको एक ऐसी चीज बतायेंगे जिसे दूध में डालकर पीने से आपका शरीर फौलाद की तरह बन जायेगा। आप बीमारियों से कोसों दूर हो जाएंगे और एक स्वस्थ-निरोगी काया पाएंगे।

ये चीज है दालचीनी जिसे हम दैनिक जीवन मे बहुतायत से उपयोग करते है पर इसके कई फायदों से अनजान हैं। दालचीनी को इसके अनोखे गुणों के कारण वंडर स्पाइस भी कहते है। दालचीनी को दूध के साथ मिलाकर पीने से इसके लाभ कई गुना बढ़ जाते हैं। यह ना केवल आपके शरीर को मजबूत करती है बल्कि सुंदरता भी बढ़ाती है।

दालचीनी वाला दूध बनाने के लिए आपको एक ग्लास गर्म दूध में आधा चम्मच दालचीनी अच्छी तरह मिला देना है और इसका गर्म ही सेवन करना है। इस दूध को पीने से आपको कई फायदे होंगे जैसे :-

◆आपका ब्लड सुगर लेवल रेगुलेट रहेगा यानी डाइबिटिज के मरीजों के लिए दालचीनी वाला दूध बहुत बहुत फायदेमंद है।

◆ये स्किन और बालों से सम्बंधित हर समस्या को दूर करता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो बालों और स्किन से जुड़ी रोगाणुओं को नष्ट कर देते हैं।

◆दालचीनी वाले दूध का सेवन करने से गठिया और हड्डियों से जुड़ी समस्याएं होती ही नही हैं। और जिन लोगो को आर्थराइटिस से सम्बंधित समस्या है उन्हें इससे आराम मिलेगा।

◆पढ़ाई करने वाले छात्रों को दालचीनी वाला दूध देने से उनकी एकाग्रता और मेमोरी पावर बढ़ती है।

◆यदि आपको नींद ना आने कि समस्या है तो रोज रात को ये दूध पीने से आपकी ये समस्या धीरे धीरे चली जायेगी।

◆यदि आप वजन कम करने के लिए परेशान हो रहे है तो रोज रात को दालचीनी वाला दूध पीने से आप महिने में 3 से 4 किलो वजन घटा सकते है।

◆दालचीनी वाले दूध का सेवन करने से आपको जीवन मे कभी भी दिल की बीमारी या हार्ट स्ट्रोक का सामना नही करना पड़ेगा।

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करेला कैंसर कोशिकाओं को मार सकता है।

* करेला (करेला) *
कृपया इस संदेश को अपने सभी निकट और प्रिय लोगों तक फैलाएं।
बीजिंग आर्मी जनरल अस्पताल के प्रोफेसर चेन हुई रेन ने पुष्टि की कि, अगर हर कोई जो यह जानकारी प्राप्त करता है और फिर कम से कम 10 अन्य लोगों को वितरित करता है, तो कम से कम एक जीवन बचाया जा सकता है।
मैंने अपना हिस्सा कर लिया है।
मुझे उम्मीद है, आप भी अपना हिस्सा करेंगे।
धन्यवाद।

गर्म पानी में करेला * (करेला) * आपकी मदद कर सकता है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने व्यस्त हैं, आपको इसे पढ़ने की ज़रूरत है, और फिर दोस्तों और अन्य लोगों में फैल जाएं।

गर्म करेला * (करेला) * कैंसर कोशिकाओं को मार सकता है।

करेले की 2-3 पतली स्लाइस काटें और एक गिलास में डालें, गर्म पानी डालें, पानी क्षारीय हो जाएगा। हर दिन कम से कम एक बार पिएं। किसी के लिए भी, यह उपयोगी होगा।
  
गर्म पानी करेला * (करेला) * एक कैंसर रोधी पदार्थ का उत्सर्जन करेगा। यह प्राकृतिक चिकित्सा की दुनिया में एक नया विकास है, जो कैंसर के इलाज में उपयोगी है।

गर्म पानी करेले का अर्क सिस्ट और ट्यूमर को प्रभावित करेगा। पहले से ही सिद्ध, यह विभिन्न प्रकार के कैंसर को ठीक करने में मदद कर सकता है।

कैंसर के इलाज में करेले का उपयोग, यह केवल ट्यूमर के घातक कोशिकाओं को मार देगा। यह स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित नहीं करेगा।

इसके अलावा, करेले में अमीनो एसिड और पॉलीफेनोल ऑक्सीडेज उच्च रक्तचाप, रक्त परिसंचरण, रक्त के थक्के को कम कर सकते हैं और गहरी शिरा घनास्त्रता की घटना को रोक सकते हैं।

इसे पढ़ने के बाद, इसे परिवार और दोस्तों को भेजें। अपनी सेहत का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए।
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कब्ज की है शिकायत या झड़ रहे हैं बाल, एक हफ्ते लगातार पी लें भिंडी का पानी होंगे ये 10 फायदे

कब्ज की है शिकायत या झड़ रहे हैं बाल, एक हफ्ते लगातार पी लें भिंडी का पानी होंगे ये 10 फायदे

 ज्यादातर लोग मसालेवाली भिंडी की सब्जी खाना पसंद करते हैं। मगर आयुर्वेद विज्ञान में भिंडी ( lady finger ) के पानी को स्वास्थ के लिए बहुत लाभकारी बताया गया है। इससे बालों का झड़ना, सफेद होना, पेट की दिक्कत आदि से छुटकारा मिल सकता है।

1.भिंडी में प्रोटीन, वसा, रेशा, कार्बोहाइट्रेड, कैल्शियम, फास्‍फोरस, लौह मैग्‍नीशियम, पोटैशियम, सोडियम और तांबा पाया जाता है। ये सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लगातार एक हफ्ते तक इसका पानी पीने से कई रोगों से छुटकारा मिल सकता है।

2.भिंडी के पानी में डायटरी फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है। इसे पीने से कब्ज की शिकायत दूर होती है। यह हमारी पाचन क्रिया दुरुस्‍त करने में मदद करता है।

3.भिंडी के पानी में मौजूद घुलनशील फाइबर खून में कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा को कम करते हैं। इससे हार्ट अटैक का खतरा काफी कम हो जाता है।

3.बालों को लंबे समय तक काला और घना बनाये रखने के लिए भी भिंडी के पानी का सेवन फायदेमंद होता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए भिंडी को टुकड़ों में काटकर पानी में डूबों दें। इसमें नींबू का रस भी निचोड़ें। अब दो दिन बाद इस पानी से बाल धोएं। इससे बालों का झड़ना भी बंद हो जाएगा।

4.भिंडी के पानी में मौजूद यूगेनॉल डायबिटीज से बचाने में मदद करता है। ये अतिरिक्त शर्करा को सोख लेता है। इससे चर्बी जमने का खतरा भी दूर होता है।

5.कैंसर को दूर करने में भी भिंडी का पानी बहुत उपयोगी साबित होता है। आंतों में मौजूद विषैले तत्‍वों को हटाने का काम करता है। जिससे बैक्टीरिया खत्म होते हैं।

6.जिन लोगों को सांस लेने में दिक्कत या अस्थमा की शिकायत है उन्हें रोजाना भिंडी का पानी पीना चाहिए। ये श्वांस नली में मौजूद गंदगी को बाहर निकालने और ब्लॉकेज को खोलने में मदद करता है।

7.अगर आपके लीवर में सूजन या दर्द की शिकायत रहती है तो आप भिंडी का पानी पिएं। इसमें मौजूद गुणकारी तत्व लिवर के पास चर्बी जमने नहीं देता है। इससे गुर्दा ठीक से काम करता है।

8.जिन लोगों को वजन बढ़ता जा रहा है उन्हें लगातार एक सप्ताह तक भिंडी का पानी पीना चाहिए। ये मेटाबॉलिज्म को तेज करता है। जिससे खाना जल्दी पचता है और चर्बी गलती है।

9.भिंडी के पानी को पीने से कील-मुंहासों की समस्या से भी छुटकारा मिलता है। क्योंकि ये हमारे शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को बाहर निकाल देता है। इससे पोर्स ब्लॉक नहीं होते हैं।

10.भिंडी का पानी आंखों की रौशनी बढ़ाने में भी मदद करता है। इससे आंखों में जलन और खुजली की समस्या भी दूर होती है।

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धीरे धीरे कितने नाजायज़ ख़र्च से जुड़ते गए है हम

धीरे धीरे कितने नाजायज़ ख़र्च से जुड़ते गए है हम....

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● टॉयलेट धोने का हार्पिक अलग,
● बाथरूम धोने का अलग.
● टॉयलेट की बदबू दूर करने के लिए खुशबू छोड़ने वाली टिकिया भी जरुरी है.
● कपडे हाथ से धो रहे हो तो अलग वाॅशिंग पाउडर
और
मशीन से धो रहे हो तो खास तरह का पाउडर...
(नहीं तो तुम्हारी 20000 की मशीन बकेट से ज्यादा कुछ नहीं.)
● और हाँ, कॉलर का मैल हटाने का व्हॅनिश तो घर में होगा ही,
● हाथ धोने के लिए
नहाने वाला साबुन तो दूर की बात,
● लिक्विड ही यूज करो,
साबुन से कीटाणु 'ट्रांसफर' होते है
(ये तो वो ही बात हो गई कि कीड़े मारनेवाली दवा में कीड़े पड़ गए)
● बाल धोने के लिए शैम्पू ही पर्याप्त नहीं,
● कंडीशनर भी जरुरी है,
● फिर बॉडी लोशन,
● फेस वाॅश,
● डियोड्रेंट,
● हेयर जेल,
● सनस्क्रीन क्रीम,
● स्क्रब,
● 'गोरा' बनाने वाली क्रीम
लेना अनिवार्य है ही.
●और हाँ दूध
(जो खुद शक्तिवर्धक है)
की शक्ति बढाने के लिए हॉर्लिक्स मिलाना तो भूले नहीं न आप...
● मुन्ने का हॉर्लिक्स अलग,
● मुन्ने की मम्मी का अलग,
● और मुन्ने के पापा का डिफरेंट.
● साँस की बदबू दूर करने के लिये ब्रश करना ही पर्याप्त नहीं,
माउथ वाश से कुल्ले करना भी जरुरी है....

तो श्रीमान जी...
10-15 साल पहले जिस घर का खर्च 8 हज़ार में आसानी से चल जाता था,
आज उसी का बजट 40 हजार को पार कर गया है !
तो उसमें सारा दोष महंगाई का ही नहीं है,

कुछ हमारी बदलती सोच भी है !
और दिनरात टीवी पर दिखाये जानवाले विज्ञापनों का परिणाम है !

सोचो..
सीमित साधनों के साथ स्वदेशी जीवन शैली अपनायें, देश का पैसा बचाएं ।

जितना हो सके साधारण जीवन शैली अपनाये !

केवल सरकार को महँगाई के लिये कोसने से कुछ नही होगा ।
🙏👍👌😊

यह लेख बहुत हद तक सबकी आंखें खोलने वाला कड़वा सच है, बस गहराई से सोचने और समझने की जरूरत है ।✍🏻
🤔🤔
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