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रविवार, 15 सितंबर 2019

तुम कौन साले विराट कोहली या PV सिंधु हो जो तुम्हारी मौत पे हिंदुस्तान रोयेगा ?

शाह बानो का केस याद है ?
वो एक बूढ़ी M औरत थी ।
उसके पति ने उसे TTT दे दिया ।
उसने केस कर दिया । मेरे को गुज़ारा भत्ता दो ......
केस सुप्रीम कोर्ट तक गया ।
वो सुप्रीम कोर्ट से केस जीत गई । सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा , इस बूढ़ी तलाकशुदा औरत को गुज़ारा भत्ता दो ।
भाई जान लोग में तहलका मचा । ये तो सरेआम शriयत पे हमला था । खूब बमचक मची ।
राजीव गांधी की सरकार थी ।
उनके एक राजनैतिक सलाहकार थे ....... उन्ने उनको समझाया ....... अबे , एक सूअर नाली में पड़े रह के खुश है ....... उसको वहीं मज़े आ रिये हैं ...... कायकू उसको नाली से बाहर निकाल रिये हो ?????? उसको नाली से बाहर निकालने में अपने हाथ कायकू गंदे कर रिये हो ?????? पड़े रहने दो  वहीं पे .......
राजीव G के पास प्रचंड बहुमत था दोनों सदनों में , उन्ने कानून बना कर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल दिया ।
पड़े रहो नाली में .........
1 Sept 2019 को सुबह करीब 11 बजे मैं लखनऊ पहुंचा । अद्भुत नजारा था सड़कों पे ........ एक भी दुपहिया वाहन चालक बिना Halmet के सड़क पे नही दिख रहा था ।
5 दिन लखनऊ रह के जब पंजाब वापस आया तो ट्रेन से लोहियां खास नामक स्टेशन पे उतरा । छोटा सा कस्बा है । वहाँ एक भी व्यक्ति Halmet लगाए नही दिखा ।
आज दिन भर जालंधर में रहा । बड़ा शहर है । हर चौराहे पे Traffic Police खड़ी रहती है हमेशा । पूरे शहर में ज़्यादातर लोग बिना Halmet के ही चल रहे थे । लोग Car और Bike चलाते हुए फोन सुन रहे थे ।
Red Lights Jump कर रहे थे ।
पंजाब सरकार ने भी नए मोटर व्हीकल एक्ट को अपने यहाँ लागू करने से मना कर दिया है ।
ऐसी सभी सरकारें , जो नए मोटर व्हीकल एक्ट को लागू करने से इनकार करती हैं उनका संदेश अपनी जनता के लिए स्पष्ट है ........ मरो  ........ कुत्ते की मौत मरो सड़क पे ........
अमरेंद्र सिंह या योगी या अन्य कोई CM तो जब सड़क पे चलता है तो उसके लिए सड़क खाली करा ली जाती है ....... वो तो 5 करोड़ की bullet Proof बख्तरबंद गाड़ी में चलता है ....... उसका accident नही होना है सड़क पे ....... सड़क पे कुत्ते की मौत हमको आपको मरना है ........ उस दिन जब मेरा एक्सीडेंट हुआ तो पिछली रात की आंधी में गिरा पेड़ 24 घंटे बाद तक सड़क पे ही पड़ा था ....... उसकी चपेट में मैं आया ........ अमरेंद्र सिंह को उस सड़क पे आना होता तो क्या वो पेड़ वहीं पड़ा होता ........ जी नही रातों रात वो सड़क गड्ढा मुक्त हो गयी होती ........ पर चूंकि उसपे मुझे चलना था इसलिए मुझे मरने / मारने के लिये उस पेड़ को वहीं छोड़ दिया गया ......... वो तो मेरी किस्मत थी कि मैंने बाकायदे Halmet , Riding jacket , Gloves , Knee Guard सब पहना हुआ था इसलिए खरोंच तक नही आई ........ न पहना होता halmet तो वहीं on the Spot राम नाम सत्य हो गया होता ........
सरकार की मंशा स्पष्ट है ........ मरो ** के , कुत्ते की मौत मरो ....... पहनो चाहे न पहनो halmet ....... गाड़ी चलाते हुए फोन सुनो चाहे मुजरा देखो ....... दारू पी के चलाओ चाहे हेरोइन smack ...... हम क्यों नाराज़गी मोल लें पब्लिक की ....... जो सूअर नाली में पड़ा खुश है उसे निकालने में हम अपने हाथ और कपड़े क्यों गंदे करें ???????
तुम साले मर जाओगे , वो बहुत करेंगे तो एक Tweet कर कब अफसोस जता देंगे ........ उसके बाद सरकारी रिकॉर्ड में तुम बस एक आंकड़ा बन के दर्ज हो जाओगे ...... सिर्फ एक आंकड़ा ........ इस साल इतने मरे ......
Noida की उस IT Firm के उन Employees के नाम किसी को याद हैं जो उस दिन उस Ford Endeavour में मरे ????? वो लोग उस नई गाड़ी की joy ride लेने यमुना एक्सप्रेसवे पे गए थे । सबने दारू पी रखी थी और गाड़ी 150 Kmph पे भगा रहे थे ........ कुत्ते की मौत मरे ......... योगी जी को कोई फर्क पड़ा क्या ???? या अमरेंद्र सिंह को ???? या ममता बनर्जी को ??????
योगी जी अगला चुनाव भी जीत जाएंगे ।
तुम मरो कुत्ते की मौत ......... मत पहनो halmet , मत लगाओ seat belt , दारू पी के चलाओ , चलाते हुए फोन सुनो ........ बिना DL चलाओ ........ Enjoy your Freedom and Save your Money ........ कोई चालान नही होगा ........ 130 करोड़ हैं , तुम कौन साले विराट कोहली य्या PV सिंधु हो जो तुम्हारी मौत पे हिंदुस्तान रोयेगा ???????

शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे

- बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती,
हीरा मोत्या की जो होती,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। ------------------------------------------
जैल में जनम लेके घणो इतरावे,
कोई महला में जो होतो,
कोई अंगना में जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। --------------------------------------
देवकी रे जनम लेके घणो इतरावे, कोई यशोदा के होतो,
माँ यशोदा के जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। ----------------------------------------
गाय को ग्वालो होके घणो इतरावे,
कोई गुरुकुल में जो होतो
कोई विद्यालय जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। ----------------------------------------
गूज़रया की छोरियां पे घणो इतरावे,
ब्राह्मण बाणिया की जो होती,
ब्राह्मण बाणिया की जो होती,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। ----------------------------------------
साँवली सुरतिया पे घणो इतरावे,
कोई गोरो सो जो होतो,
कोई सोणो सो जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। -----------------------------------------
माखन मिश्री पे कान्हा घणो इतरावे,
छप्पन भोग जो होतो,
मावा मिश्री जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। ----------------------------------------
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे, कोई सोना की जो होती,
हीरा मोत्या की जो होती,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।
https://youtu.be/vF6uLCvfPlg

गुरुवार, 5 सितंबर 2019

बढ़ा_जुर्माना_और_सख्त_कानून_क्यों_जरूरी

#बढ़ा_जुर्माना_और_सख्त_कानून_क्यों_जरूरी :-
एक चमत्कारी लौंडा अपने घर से बाइक उठाकर निकला,
माँ को बोला फुटबॉल खेलने जा रहा हूँ।
कभी भागती बाइक का स्पीट मीटर देख रहा है,
कभी 90-100की रफ्तार से दौड़ती बाइक के शीशे में अपनी उड़ती जुल्फे देख रहा है।।
खैर 15 मिंट में ही बाइक ठेके पर जाकर रुक गई।
वहाँ पहले से मौजूद 2-3 याडी, लफाड़ियो से गले मिला और फिर पत्ती इकट्ठा होने लगी।
किसी ने 200 रुपे दिए किसी ने 300।
ठेके के बराबर में बनी कैंटीन/हत्थे पर महफ़िल सजी ।
दावत का दौर शुरू हुआ।
पीते पीते 4 आदमी 2 बोतल गटक गये,
बिल देते समय कैंटीन वाले से छोटा सा झगड़ा भी हुआ।
फिर बाहर निकले तो एक दोस्त ने एक स्पेशल माल(भांग-गांझे) वाली सिगरेट तैयार कर ली।
अब सुट्टा मारते मारते खोपड़ी भारी होने लगी,
इधर मोबाइल पर माँ के लगातार फोन आ रहे थे।
तो अब घर जाने की चिंता हुई,
दोस्तो तो टाटा-बाय बाय कहकर फिर से अपनी प्यारी बाइक स्टार्ट की और उसी गति से दौडा दी।
लेकिन इस बार अंतर ये था कि बाइक बिलकुल नागिन की तरह लहरे ले रही थी।
अपनी धुन में मस्त लौंडा जोर जोर से गाते हुए जा रहा था।
लेकिन ये क्या ?
अचानक बैलेंस बिगड़ गया और 90 कि स्पीड पर भागती बाइक दूसरी साइड से आ रही बाइक से जाकर भिड़ गई।
जोर की आवाज हुई, कहीं बम फटा हो जैसे।
दूसरी बाइक पर बैठी महिला सिर फट जाने के कारण तत्काल मौके पर मर गई।
उस महिला का पति हेलमेट होने के कारण बच तो गया लेकिन उसका एक पैर तो जैसे बस एक दो नसों पर ही रुका था, अलग होने को ही था।
उनके साथ जो एक या सवा साल का बच्चा रहा होगा वो दूर घास के ढेर पर पड़ा था लेकिन ठीक था,
और ये चमत्कारी लौंडा ?
लोग ढूंढ रहे थे कि उसका सिर कहाँ गया ?
पास में पड़े उसके मोबाइल पर अब भी माँ का फोन लगातार आ रहा था।
वो सोचती होगी कि मेरा बेटा रोनाल्डो को पछाड़कर अभी आ जायेगा।
लेकिन वो क्या जाने की नियमो को फुटबॉल की तरह उड़ाने वाले उसके लौंडे की गर्दन को नियति ने फुटबॉल की तरह उछाल दिया था।
वो तो गया ही गया लेकिन साथ ही,
एक नन्हे से मासूम से उसकी माँ को छीनकर ले गया।
उसकी किस्मत को छोड़ गया ताउम्र के लिए अपाहिज हो चुके बाप के हवाले।।
खैर, आपको बढ़े हुए जुर्माने से तकलीफ है तो हम पर कौनसा कोई दवाई है आपका दर्द मिटाने की।
आपका दर्द नियति मिटायेगी।।
जिसे पुलिस की रिश्वत की चिंता है वो या तो नियम न तोड़े या फिर जुर्माना दे।
कब तक ये देश आपकी मनमानी झेलेगा ?
(आप शेयर या कॉपी-पेस्ट करेंगे तो शायद किसी की आंख खुले)

बुधवार, 4 सितंबर 2019

बढ़ा_जुर्माना_और_सख्त_कानून_क्यों_जरूरी

#बढ़ा_जुर्माना_और_सख्त_कानून_क्यों_जरूरी :-🙋🙋
एक चमत्कारी लौंडा अपने घर से बाइक उठाकर निकला,
माँ को बोला फुटबॉल खेलने जा रहा हूँ।
कभी भागती बाइक का स्पीट मीटर देख रहा है,
कभी 90-100की रफ्तार से दौड़ती बाइक के शीशे में अपनी उड़ती जुल्फे देख रहा है।।
खैर 15 मिंट में ही बाइक ठेके पर जाकर रुक गई।
वहाँ पहले से मौजूद 2-3 याडी, लफाड़ियो से गले मिला और फिर पत्ती इकट्ठा होने लगी।
किसी ने 200 रुपे दिए किसी ने 300।

ठेके के बराबर में बनी कैंटीन/हत्थे पर महफ़िल सजी ।
दावत का दौर शुरू हुआ।
पीते पीते 4 आदमी 2 बोतल गटक गये,
बिल देते समय कैंटीन वाले से छोटा सा झगड़ा भी हुआ।

फिर बाहर निकले तो एक दोस्त ने एक स्पेशल माल(भांग-गांझे) वाली सिगरेट तैयार कर ली।

अब सुट्टा मारते मारते खोपड़ी भारी होने लगी,
इधर मोबाइल पर माँ के लगातार फोन आ रहे थे।
तो अब घर जाने की चिंता हुई,
दोस्तो तो टाटा-बाय बाय कहकर फिर से अपनी प्यारी बाइक स्टार्ट की और उसी गति से दौडा दी।
लेकिन इस बार अंतर ये था कि बाइक बिलकुल नागिन की तरह लहरे ले रही थी।

अपनी धुन में मस्त लौंडा जोर जोर से गाते हुए जा रहा था।

लेकिन ये क्या ?

अचानक बैलेंस बिगड़ गया और 90 कि स्पीड पर भागती बाइक दूसरी साइड से आ रही बाइक से जाकर भिड़ गई।

जोर की आवाज हुई, कहीं बम फटा हो जैसे।

दूसरी बाइक पर बैठी महिला सिर फट जाने के कारण तत्काल मौके पर मर गई।

उस महिला का पति हेलमेट होने के कारण बच तो गया लेकिन उसका एक पैर तो जैसे बस एक दो नसों पर ही रुका था, अलग होने को ही था।

उनके साथ जो एक या सवा साल का बच्चा रहा होगा वो दूर घास के ढेर पर पड़ा था लेकिन ठीक था,

और ये चमत्कारी लौंडा ?

लोग ढूंढ रहे थे कि उसका सिर कहाँ गया ?

पास में पड़े उसके मोबाइल पर अब भी माँ का फोन लगातार आ रहा था।

वो सोचती होगी कि मेरा बेटा रोनाल्डो को पछाड़कर अभी आ जायेगा।
लेकिन वो क्या जाने की नियमो को फुटबॉल की तरह उड़ाने वाले उसके लौंडे की गर्दन को नियति ने फुटबॉल की तरह उछाल दिया था।

वो तो गया ही गया लेकिन साथ ही,

एक नन्हे से मासूम से उसकी माँ को छीनकर ले गया।

उसकी किस्मत को छोड़ गया ताउम्र के लिए अपाहिज हो चुके बाप के हवाले।।

खैर, आपको बढ़े हुए जुर्माने से तकलीफ है तो हम पर कौनसा कोई दवाई है आपका दर्द मिटाने की।

आपका दर्द नियति मिटायेगी।।

जिसे पुलिस की रिश्वत की चिंता है वो या तो नियम न तोड़े या फिर जुर्माना दे।

कब तक ये देश आपकी मनमानी झेलेगा ?

(आप शेयर या कॉपी-पेस्ट करेंगे तो शायद किसी की आंख खुले)

मां के साथ मेरी लाश को निपटाकर ही जाओ

पिता का पुत्र के नाम पत्र .....
लखनऊ के एक उच्चवर्गीय बूढ़े पिता ने अपने पुत्रों के नाम एक चिट्ठी लिखकर खुद को गोली मार ली। चिट्टी क्यों लिखी और क्या लिखा। यह जानने से पहले संक्षेप में चिट्टी लिखने की पृष्ठभूमि जान लेना जरूरी है।
पिता सेना में कर्नल के पद से रिटार्यड हुए । वे लखनऊ के एक पॉश कॉलोनी में अपनी पत्नी के साथ रहते थे। उनके दो बेटे थे। जो सुदूर अमेरिका में रहते थे। यहां यह बताने की जरूरत नहीं है कि माता-पिता ने अपने लाड़लों को पालने में कोई कोर कसर नहीं रखी। बच्चे सफलता की सीढ़िंया चढते गए। पढ़-लिखकर इतने योग्य हो गए कि दुनिया की सबसे नामी-गिरामी कार्पोरेट कंपनी में उनको नौकरी मिल गई। संयोग से दोनों भाई एक ही देश में,लेकिन अलग-अलग अपने परिवार के साथ रहते थे।
एक दिन अचानक पिता ने रूंआसे गले से बेटों को खबर दी। बेटे! तुम्हारी मां अब इस दुनिया में नहीं रही । पिता अपनी पत्नी के लाश के साथ बेटों के आने का इंतजार करते रहे। एक दिन बाद छोटा बेटा आया, जिसका घर का नाम चींटू था। पिता ने पूछा  चिंटू मुन्ना क्यों नहीं आया। मुन्ना यानी बड़ा बेटा। छोटे बेटे के मुंह से एक सच निकल पड़ा। उसने पिता से कहा कि मुन्ना भईया ने कहा कि मां की मौत में तुम चले जाओ। पिता जी मरेंगे, तो मैं चला जाऊंगा।
कर्नल साहब ( पिता) कमरे के अंदर गए। उन्होंने  चंद पंक्तियो का एक पत्र लिखा। जो इस प्रकार था-
प्रिय बेटों
          मैंने और तुम्हारी मां ने बहुत सारे अरमानों के साथ तुम लोगों को पाला-पोसा। दुनिया के सारे सुख दिए। देश-दुनिया के बेहतरीन जगहों पर शिक्षा दी। जब तुम्हारी मां अंतिम सांस ले रही थी, तो मैं उसके पास था।वह मरते समय तुम दोनों का चेहरा एक बार देखना चाहती थी और तुम दोनों को बाहों में भर कर चूमना चाहती थी। तुम लोग उसके लिए वही मासूम मुन्ना और चिंटू थे। उसकी मौत के बात उसकी लाश के पास तुम लोगों का इंतजार करने लिए मैं था। मेरा मन कर रहा था कि काश तुम लोग मुझे ढांढस बधाने के लिए मेरे पास होते। मेरी मौत के बाद मेरी लाश के पास तुम लोगों का इंतजार करने के लिए कोई नहीं होगा। सबसे बड़ी बात यह कि मैं नहीं चाहता कि मेरी लाश निपटाने के लिए तुम्हारे बड़े भाई को आना पड़े। इसलिए सबसे अच्छा यह है कि मां के साथ मेरी लाश को निपटाकर ही जाओ।
                                                                                    तुम्हारा.
                                                                                            पिता
कमरे से ठांय की आवाज आई। कर्नल साहब ने खुद को गोली मार ली।
यह क्यों हुआ, किस कारण हुआ? कोई दोषी है या नहीं। मैं इसके बारे में कुछ नहीं कहना चाहता।
हां यह काल्पनिक कहानी नहीं। पूरी तरह सत्य घटना है। व्यक्ति विशेष के नाम को मैंने हटा दिया है।

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