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मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020

क्रोसब्रीड से उत्पन्न कुछ विचित्र और खूबसूरत जानवर



क्रोसब्रीड से उत्पन्न जानवर के नामकरण में आधा नाम नर से और आधा नाम मादा से लिया जाता है। इसके अलावा ऐसे जानवर अधिकतर बांझ उत्पन्न होते हैं। ऐसे ही कुछ विचित्र और खूबसूरत जानवरो में निम्नलिखित जानवर प्रमुख हैं।
नर शेर ( लायन)और मादा बाघ (टाइगर) के मिलन से उत्पन्न "लाईगर"।
नर बाघ (टाइगर) और मादा शेर(लायन) के मिलन से उत्पन्न "टाइगोन"।
जेब्रा और गधे(डंकी) के मिलन से "जोंकी"।
नर जगुआर और मादा शेर के मिलन से "जैगलायन"।
भेड़ और बकरी के मिलन से "जीप"।
पोलर बियर और ब्राउन बियर से "ग्रोलर बियर"।
काईयॉट(एक प्रकार का छोटा भेड़िया) और भेडिये (वॉल्फ) के मिलन से "काइवॉल्फ"।
ज़ेबरा और घोड़े की प्रजाति से "जेबरोइड"।
नर व्हेल व मादा डॉल्फिन से "वोल्फिन"।
भैंसे और गाय से "बीफेलो"।
घोडे व गधी से "खच्चर"।
ऊंट(केमल) और लामा से "कामा"।
नोट: ऐसे और भी काफी जानवर हैं।
मूल स्रोत:

कोरौना_वायरस के प्रोपेगैंडा से बचें क्योंकि ज्यादा खतरनाक #MediaFlu है।❗

कोरौना_वायरस के प्रोपेगैंडा से बचें क्योंकि ज्यादा खतरनाक #MediaFlu है।❗


हर साल मार्केट मे लोंच होता है नया वायरस आइए जानते है क्यो ?

आयुर्वेद के प्रखर वक्ता वैद्य नवनीत भारद्वाज जी द्वारा सच्चाइ को उजागर करने वाला लेख ।

#CoronaVirus #WuhanCoronaVirus

हर साल फार्मा कंपनियां ऐसे वायरस खुद बनाती है और लोगो को मरवाती है और फिर मीडिया में प्रोपेगैंडा फैलाती है जिसके लिये वैक्सीनेशन या दवाओं का बड़ा बाजार मंदी के दौर तक मे एकदम से खुल जाता है।  हजारो करोड़ो कमाने के लिये लगभग हर 2-5 वर्ष में एक नया वायरस बाजार में आता है।

विशेष - ध्यान रहे भारत मे भूगोल में अच्छे से अच्छा वायरस अपना दम तोड़ देता है लेकिन यदि आप तुलसी, गौमूत्र अर्क या  उत्तम ताजा गौमूत्र या हल्दी का सेवन करते रहेंगे तो  वायरस कुछ नही बिगाड़ सकता।

बंध करो अब SAAR ,Ebola ,SwineFlu ,BirdFlu ,ZikaVirus ,NipahVirus अब कोरोना  का रोना 

नोट- कोरोना वायरस से आयूर्वेद प्रेमियों को घबराने की जरूरत नहीं है. शुद्ध सात्विक आहार विहार का पालन करे. गिलोय और तुलसी का नियमित सेवन करें. यही दोनों औषध किसी भी तरह के respiratory infection से बचाने के लिए पर्याप्त है. याद रखे किसी भी वायरस को नष्ट नहीं किया जा सकता है. लेकिन स्वयं का प्रतिरोधक तंत्र इतना मजबूत कर सकते हैं कि यह वायरस हानि ना कर सके. इस काम के लिए गिलोय और तुलसी पर्याप्त हैं.
 गिलोय की 6 - 7 इंच लंबे तने को चबाते हुए रस निगल लें. तुलसी की पत्तियों को पीसकर शुद्ध शहद मिलाकर चाट लें. एक दो काली मिर्च मिला लें. इतने से ही इम्यून सिस्टम बे‍हतर होने लगेगा.
यदि किसी को गिलोय को चबाना चूसना तुलसी की पत्तियों को पीसना सिरदर्दी का काम लगता है तो बाजार से नामी गिरामी फार्मेसी की तुलसी घनवटी और गिलोय सत्व ले आये . दो गोली तुलसी घनवटी की चबाकर ऊपर से एक ग्राम गिलोय सत्व मिला हुआ शहद चाट लें. बस हो गया काम कोरोना ही नहीं किसी भी प्रकार के वायरस के प्रति अभेद्द्य सुरक्षा कवच इन दोनों के सेवन से मिल जाता है.

Note- इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें ताकि किसी  रोगी को इसका फायदा मिल सके

#वैदिक_भारत

पकौड़ा बेचने वाले व्यापारी खौलते तेल में हाथ डालकर पकौड़ा तलते हैं यह कोई ट्रिक है या कोई चमत्कार है?


लोग अपने दुकान की बिक्री बढ़ाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने रहते हैं और आजकल बहुत से रेस्टोरेंट वालों ने अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए एक बेहद आश्चर्यजनक तरीका अपनाया है और वह गर्म तेल में यानी खौलते तेल में हाथ डालकर पकौड़ा तलना।
इसे देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ होती है। सोशल मीडिया पर मुफ्त में पब्लिसिटी मिलती है कई मेंस्ट्रीम मीडिया वाले भी इसे कवर करने पहुंचते हैं और देखते ही देखते पकौड़े वाले की बिक्री बहुत बढ़ जाती है।
पहले इलाहाबाद में किसी रेस्टोरेंट
वाले ने यह ट्रिक किया फिर दिल्ली में फिर नोएडा में फिर अहमदाबाद में फिर सूरत में फिर इंदौर में यानी कि अब बहुत से रेस्टोरेंट वाले अब इस ट्रिक को आजमा कर अपनी बिक्री बढ़ा रहे हैं।
लेकिन आप जानकर चौक जाएंगे यह ना कोई जादू है ना कोई चमत्कार है ना कोई दैवीय शक्ति है बल्कि यह एक विज्ञान है और आप भी खौलते तेल में हाथ डाल सकते हैं।
खौलते तेल में हाथ डालकर पकौड़ा निकालने के पीछे जो वैज्ञानिक कारण है उसे Leidenfrost effect कहते हैं इस इफ़ेक्ट का यह मतलब है कि खौलते तेल में हाथ डालकर कुछ भी बाहर निकाल सकता है उसके पहले उसे अपना हाथ ठंडे पानी में डालना होगा गर्म तेल हाथ पर पड़ते ही सबसे पहले वह पानी को गर्म कर कर भाप में बदल देता है और यह भाप गर्म तेल को हाथ की त्वचा के संपर्क में नहीं आने देता और यह असर कुछ ही समय के लिए रहता है इसीलिए हाथ कुछ सेकंड बाद बाहर निकाल लेना पड़ता है।
दरअसल सभी पकौड़े वाले पहले अपने हाथ को ठंडे पानी में डुबो देते हैं फिर वह खोलते तेल में हाथ डालते हैं

यदि कनखजूरा कान में घुस जाये और काट ले तो


गर्मियों के मौसम में कई सारे कीडे मकौड़े बाहर आ जाते है। जिनसे हमें कई तरह का खतरा बना रहता है। कई बार यह हमारे कान में घुस जाते है। जिससे बहुत पीड़ा होती है। हम घर पर भी इसे निकालने का प्रयास करते है। लेकिन यह संभव नहीं हो पाता है। और चिकित्सक तक ले जाने तक हमे कई सारी परेशानियों का समाना करना पड़ जाता है। इस दौरान इसके हमारे कान में काटने का भी डर होता है।
जिससे कान में कई तरह के इनफेक्शनंस भी हो सकते है।
कान मे घुसने वाले कीडों में चींटी, कसारी, व कनखजूरा अगर चींटी जैसा चीज कान में चली जाए तो सामान्य तौर पर पानी कान में डालने पर निकल जाती है। वहीं इससे ज्यादा परेशानी भी नहीं होती है। लेकिन जब कन खजुरा कान मे चला जाए तो बहुत सारी परेशानियों का समाना करना पड़ता है। इसके डंक मारने पर बहुत तेज दर्द होता है।
वहीं इसके काटने पर हमारे शरीर मे ऑक्सीजन की मात्रा कम होनें लगती है। और हमारा शरीर मे थकावट महसूस होनें लगती है। इसके कान में चले जाने पर सेंधा को पानी में मिलाकर कान में डाले जिससे कनखजूरा या तो कान में ही मर जाएगा। या फिर पानी के साथ बाहर आ जाएगा
क्योंकि सेंधा नमक की वजह से यह ज्यादा दैर तक कान में नहीं रह सकता है। जब यह कान से निकल जाए तब भी चिकित्सक की सलाह लेना जरूरी है। क्योंकि इसके डंक से कई परेशानिया हो सकती है।
कानखजूरा नमक यह जीव अक्सर गर्मियों के मौसम के अधिक देखने को मिलता है। वैसे तो गर्मियों के मौसम में कई प्रकार के अन्य खतरनाक जीव, जंतु, कीड़े-मकोड़े अपने अपने बिलो से बहार निकल आते है। पर उन सभी जीवो में कनखजूरा बहुत ही अधिक खतरनाक जीव होता है। इसलिए सोते हुए व्यक्ति को काटना जैसी घटना कई बार देखने को मिलती है। वैसे तो कनखजूरे का जहर और इसका काटना बहुत अधिक जानलेवा नहीं होता है। पर यदि एक बड़े अकार का गोजर किसी बच्चे या कमजोर हृदय वाले व्यक्ति को कटा ले। और उसका समय पर इलाज न हो तो उसे हृदय आघात भी हो सकता है। पर यह समस्या अतयंत दुर्लभ है क्योकि ऐसे मामले काम देखने को मिले है। सामन्यतः यह भी देखा गया है की कनखजूरा काटने के अलावा कई बार कान के अंदर भी घुस जाता है।
यदि कनखजूरा कान में घुस जाये और काट ले तो निम्न लक्षण महसूस हो सकते है –
  • कान लाल होना
  • कान में खुजली होना
  • कान में जलन
  • कान में दर्द होना
  • कान में घाव होना
  • कान का भारी होना आदि इसके लक्षण हैं।
  • सावधानियाँ व रोकथाम
यदि स्थिति बहुत अधिक गंभीर न हो तो कनखजूरे के द्वारा काटने पर उसका इलाज सामान्य तरीको से किया जा सकता है। पर अक्सर ऐसा माना जाता है की, इलाज से बेहतर सावधानी है। तो आइये जानते है की किन सावधानियों को बरतने से आप कनखजूरे के द्वारा काट खाने या कान में घुसने की समस्या से बच सकते है।
यह सभी सावधानी निम्नलिखित है –
  • गर्मी व बरसात के मौसम में खुले में जमीन पर न सोएँ
  • जूता पहनने से पहले उसे जांच ले व नंगे पैर न रहे
  • घर के अंदर पलंग पर ही सोएँ
  • सोते समय खुद को चादर से ढँक कर रखे
  • कान को किसी रुमाल या कपडे से बांध कर सोएँ
बच्चो को जमीन में पाए जाने वाले खुले बिलो से दूर रखें।।
कनखजूरा के काटने पर घरेलु उपाय
1. सेंधा नमक
सेंधा नमक बहुत ही कारगर तरीका है। अगर कनखजूरा किसी व्यक्ति के कान में घुस जाये तो सेंधा नमक को पानी में मिला कर कान में डालने से वह मर जाता है। और आसानी से कान से बहार निकल आता है।
2. चीनी (शक्कर)
यदि कनखजूरे आपके शरीर से चिपक जाये तो उस कनखजूरे के मुँह पर चीनी डालने से वह अपनी पकड़ ढीली कर देता है। और तुरंत आपके शरीर से अलग हो जाता है।
3. हल्दी व गाय का घी
जब किसी व्यक्ति को कनखजूरा काट ले। तो हल्दी में सेंधा नमक व गाय का घी मिला कर एक मिश्रण तैयार कर लें। और कनखजूरे द्वारा काटे गए स्थान पर यह मिश्रण लेप करने से कनखजूरे का विष ख़त्म हो जाता है व तुरंत रहत मिलती है।
4. ठंडा पानी या बर्फ
कनखजूरे के द्वारा काटे जाने पर, घाव वाले स्थान को तुरंत ठन्डे पानी से धोये व बर्फ से सिकाई करें। इस से उस स्थान की नसे सुन्न पढ़ जाएँगी व खून का बहना रुक जायेगा, और जहर आपके शरीर में नहीं फैलेगा।

शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

आजकाल मास्टरनियों के जो हाल है उण नै बयां करती मारवाड़ी र मांय लिखी ये दो चारेक लाइनाँ...

आजकाल मास्टरनियों के जो हाल है उण नै बयां करती मारवाड़ी र मांय लिखी ये दो चारेक लाइनाँ...


मैडम जद हूं स्कूल जावण लागी,
 दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी।

भूल गई टाबरां टीकरां ने,
सारे टाइम मोबाइल चलावण लागी।
सुबह घरां टाइम हूं खाणों कदै बण कोनी,
पर स्कूल में टेम हूं खाणों खुवावण लागी।
मैडम जद हूं स्कूल जावण लागी,
 दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी।

घर हूं बाहर कदे निकली कोनी,
पर इब स्कूल में,
 स्कूटी पे एकली ही जावण लागी।
बांध के मुंह पर कपड़ों,
मुंह धूल सूं बचावण लागी।
मैडम जद हूं स्कूल जावण लागी,
 दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी।

कदे किं की भी हाजिरी  लगाई कोनी जीवन में,
आजकाल ऑनलाइन हाजिरी लगावण लागी।
कदे ही टेम पर तैयार कोनी होयी,
पर इब टेम हूं स्कूल में खड़ी तैयार पावण लागी।
मैडम जद हूं स्कूल जावण लागी,
 दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी।

घर की और टाबरां की कांस तो पहला सूं ही थी,
इब ऑनलाइन हाली कांस भी इनै खावण लागी।
बावली होगी स्कूल की भाग दौड़ में,
स्कूल और कागज कारवाही के नाम हूं ही घबरावण लागी।
मैडम जी जद हूं स्कूल जावण लागी,
 दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी।

कदे सासू की सुनी कोनी,न आदमी की सुणी,
 पर इब रोज पीईईओ कन सूं डाँट खावण लागी।
अगले जन्म मोहे मास्टरनी ना बणा दीज्यो,
टाबरां न बस आ ही बात सिखावण लागी।
मैडम जद हूं स्कूल जावण लागी,
 दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी.....

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