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मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020

एक ज़रूरी अपील

एक ज़रूरी अपील
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आज मैं एक लड़की,एक ज़िम्मेदार नागरिक और एक पुलिस अधिकारी होने के नाते कुछ प्रिवेंटिव एक्शन व ज़रूरी कदम सभी को सजेस्ट करना चाहती हूं ,जो हर हालत में हर लड़की और उनके परिजनों तक पहुंचें।

1- नाबालिग लड़कियों के केस में पेरेंट्स और स्कूल प्रबंधन की सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदारी होती है। नासमझ बच्ची अपने साथ हुई घटना को न ठीक से समझ सकती है और न बता सकती है। इसलिए हर वक्त उसे सुरक्षित निगरानी में रखना बेहद ज़रूरी है। ख़ासकर पुरुष स्टाफ जैसे ड्राइवर, सर्वेंट, रिश्तेदार, ट्यूशन टीचर वगेरह के साथ अकेला न छोड़ें और न ही उनसे बच्ची के कपड़े बदलने या नहलाने जैसे कार्य कराएं।
उसे तीन साल की उम्र से ही अच्छे और खराब स्पर्श की ट्रेनिंग दें। इसे अपने मौलिक कर्तव्य की तरह निभाएं।

2- आठ साल की उम्र में बच्ची को अश्लील हरकतों और  रेप का अर्थ समझा दें। बार बार समझाएं जिससे उसे इसकी समझ पैदा हो जाये और अकेले असुरक्षित जाने के खतरों से लगातार आगाह करते रहें। उसे बताएं कि कोई पुरूष अगर अश्लील इशारे करे,पोर्न वीडियो भेजे या दिखाने की कोशिश करे,उसके सामने अपना लिंग छुए या दिखाए या मास्टरबेट करे तो फौरन आकर पेरेंट्स को बताए। यही हरकतें उसके पोटेंशियल बलात्कारी होने का लक्षण हैं।और वो आपसे ये सब शेयर कर सके इसके लिए उसके दोस्त बनिये। डांट डपट करके उसे ये बातें बताने से हतोत्साहित न करें।

3- किशोर लड़कियों को अकेले निकलने से न रोकें किंतु उसे ज़रूरी सेफ्टी मेजर्स के बारे में बताएं। उसके साथ रेप के केसेस डिस्कस करें और उसके मोबाइल में वन टच इमरजेंसी नम्बर रखें जो आवश्यक रूप से पुलिस का ही हो। उसके बाद वह परिजनों को कॉल कर सकती है। स्प्रे,चाकू ,कैंची, सेफ्टी पिन,मिर्च पाउडर उसके बैग में अनिवार्य रूप से रहे। यह आदत जितनी जल्द विकसित कर दें ,उतना बढ़िया। इसका डेमो देकर उसे ट्रेंड करवा दें। रिहर्सल आवश्यक है अन्यथा हथियार होते हुए भी घबराहट में उसका उपयोग नहीं हो पाता।

4- वयस्क लड़कियां भी पर्स में ऊपर बताए हुए हथियार अनिवार्य रूप से रखें व ज़रूरत पड़ने पर बिना घबराए उनके इस्तेमाल में कुशल हो। इन हथियारों के साथ एक तेज़ आवाज़ वाली सीटी रखें।अपराध के वक्त तेज़ शोर से अक्सर अपराधी भाग जाते हैं। अगर कोई ऐसी डिवाइस हो या बन सकती हो जो एक बटन दबाते ही इतना तेज विशेष आवाज़ का सायरन बजाए जो आसपास के सारे क्षेत्र में गूंज जाए और जिसकी आवाज़ को सिर्फ रेप होने की आशंका के रूप में यूनिवर्सल साउंड माना जाए तो कृपया इसकी जानकारी दें और अगर नहीं है और कोई व्यक्ति या कम्पनी इसे बना सकती है तो इसे सभी नागरिकों की तरफ से मेरा आग्रह मानकर बना दे।यह बेहद प्रभावी सिद्ध होगी।

5-पुलिस कंट्रोल रूम व किसी भी पुलिस अधिकारी का नम्बर हमेशा अपने पास रखें। और सबसे पहले उन्हें डायल करें। पुलिस की छवि आपके मन में जो भी हो पर याद रखें कि महिलाओं के अपराधों में पुलिस बेहद तत्परता से काम करती है व आपकी सबसे निकट का पुलिस वाहन शीघ्र आपके पास पहुंच जाएगा। पुलिस एप अपने मोबाइल में रखें व अपनी लोकेशन भेजें। अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन जाकर स्टाफ व अधिकारियों से परिचय करें। पुलिस वाकई आपकी दोस्त है। यह आप महसूस करेंगी।

6- मैं चाहती हूँ कि लड़कियों के लिए यह देश और दुनिया इतनी सुरक्षित हो कि वे आधी रात को भी बेखटके सड़कों पर घूम सकें लेकिन यथार्थ इतना सुंदर नहीं है। इसलिए अकेले देर रात सूनी सड़कों पर आवश्यकता होने पर ही निकलें।पुलिस हर कदम पर आपके साथ तैनात नहीं हो सकती ।और अपराधी व दरिंदे लड़कों को रातों रात सुधारा नहीं जा सकता। इसलिए क्लब या पार्टी से देर रात लौटें तो अपनी सुरक्षा का ध्यान पहले रहे। कैब या टैक्सी करने पर तुरंत लाइव लोकेशन घरवालों को दें व उसका फोटो भी भेजें।यह बात उस ड्राइवर को भी मालूम हो।

7- एक महत्वपूर्ण बात यह कि अगर अपराधी अकेला है तो उसे हैंडल किया जा सकता है। अगर वह रेप अटेम्प्ट करता है तो बिना घबराए उसके टेस्टिकल्स हाथों से पकड़कर जितनी मजबूती से हो सके,दबा दें।इससे वह कुछ मिनिटों के लिए अशक्त हो जाएगा और लड़की को बच निकलने का या उस पर आक्रमण करने का वक्त मिल जाएगा। गैंग रेप की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में लड़की ज़रूर बेबस हो सकती है मगर ऐसे में पुलिस को त्वरित सूचना मदद करेगी।

8- मार्शल आर्ट या अन्य कोई सुरक्षात्मक आक्रमण कला सिखाना अपनी बच्चियों के लिए to do लिस्ट में अनिवार्यतः शामिल कर लें ।

9- बच्चों की सही काउंसलिंग और अपराधों से बचाव के उपाय आप न जानते हों तो बेझिझक पुलिस थाने या किसी एन जी ओ की मदद लें। आपके स्कूल,क्लास, कोचिंग, मोहल्ले में आकर आपके लिए काउंसलिंग सेशन आयोजित हो जाएगा।

10- सबसे महत्वपूर्ण बात सबसे अंत में ये कि समाज को स्त्रियों के लिए सुरक्षित बनाएं और इसके लिए अपने घरों के ,मोहल्ले के व समाज के लड़कों को बचपन से ही शिक्षित करें।उनकी विकृत मानसिकता न हो इसके लिए अपने लड़कों की गतिविधियों पर दस बारह साल की उम्र से नज़र रखें। उसके मोबाइल पर,उसके दोस्तों पर ,उसकी आदतों पर लगातार नज़र रखें व उससे लगातार बात करें। हर रेप घटना पर उससे चर्चा करें । उसे संवेदनशील बनाएं और स्त्रियों के प्रति सम्मान करना सिखाएं। यह शिक्षा अमीरी,गरीबी,धर्म, जाति, क्षेत्र के भेद से परे हर माँ बाप को अपने लड़कों को देनी होगी। अगर पेरेंट्स खुद अनपढ़ व जागरूक नहीं हैं तो ज़िम्मेदार नागरिक अपने आसपास के क्षेत्रों में,स्कूलों में लड़कों के लिए समय समय पर ऐसे सेशन आयोजित कर सकते हैं । इसके साथ ही लड़कों में अपराध के दंड के विषय में भी भय जागृत करें। अगर कोई लड़का आपके परिवार अथवा आस पड़ोस में सेक्समेनियक है तो उसे सायकायट्रिस्ट को दिखाएं। उसे वयस्क होने के बाद म्युचुअल कंसेंट से सेक्स के बारे में समझाएं । यदि कोई आवारा ,शराबी लड़के आपकी नज़रों में हों तो ज़रूर पुलिस को खबर करें 

यह सब आज करना शुरू करेंगे तो रातों रात कुछ नहीं बदलेगा लेकिन लगातार प्रयासों से असर ज़रूर दिखेगा।क्योंकि कोई परिवार नहीं जानता कि अगली बार किसके घर की स्त्री इस हादसे की शिकार होगी। प्लीज़ इसे बेहद बेहद गम्भीरता से लें। अगर आप ये सब कर रहे हैं तो कृपया अपना फर्ज़ समझकर दूसरों को भी समझाएं।स्त्रियों के लिए एक बेहतर समाज बनाने में हम सब की आहुति लगेगी। प्रदर्शन करें,धरने दें,कड़ी सज़ा की मांग करें, केंडल मार्च करें लेकिन खुद के कर्तव्य नहीं भूलें।

प्लीज़ इसे अधिक से अधिक शेयर करें,कॉपी करें,इसमें कुछ जोड़ना चाहें तो जोड़ दें लेकिन ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक इसे पहुंचाएं। ये बेहद ज़रूरी है। हम यूँ सिर्फ क्षोभ में भरे व्यथित होकर बैठे नहीं रह सकते।मैं इसे बार बार पोस्ट करूंगी ।

-----पल्लवी त्रिवेदी
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक,भोपाल

ठंड में खाने के बाद गुड़ जरूर खाएंगे, जब जान जाएंगे ये लाजवाब फायदे!

ठंड में खाने के बाद गुड़ जरूर खाएंगे, जब जान जाएंगे ये लाजवाब फायदे!
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गुड़ का सेवन अधिकांश लोग ठंड में ही करते हैं वह भी थोड़ी मात्रा में इस सोच के साथ की ज्यादा गुड़ खाने से नुकसान होता है। इसकी प्रवृति गर्म होती है, लेकिन ये एक गलतफहमी है गुड़ हर मौसम में खाया जा सकता है और पुराना गुड़ हमेशा औषधि के रूप में काम करता है।आयुर्वेद संहिता के अनुसार यह शीघ्र पचने वाला, खून बढ़ाने वाला व भूख बढ़ाने वाला होता है। इसके अतिरिक्त गुड़ से बनी चीजों के खाने से बीमारियों में राहत मिलती है।

- गुड़ में सुक्रोज 59.7 प्रतिशत, ग्लूकोज 21.8 प्रतिशत, खनिज तरल 26प्रतिशत तथा जल अंश 8.86 प्रतिशत मौजूद होते हैं।इसके अलावा गुड़ में कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा और ताम्र तत्व भी अच्छी मात्रा में मिलते हैं। इसलिए चाहे हर मौसम में आप गुड़ खाना न पसन्द करें लेकिन ठंड में गुड़ जरूर खाएं।

- यह सेलेनियम के साथ एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है। गुड़ में मध्यम मात्रा में कैल्शियम, फॉस्फोरस व जस्ता पाया जाता है यही कारण है कि इसका रोजाना सेवन करने वालों का इम्युनिटी पॉवर बढ़ता है। गुड़ में मैग्नेशियम अधिक मात्रा में पाया जाता है इसलिए ये बॉडी को रिचार्ज करता है साथ ही इसे खाने से थकान भी दूर होती है।

- गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से सर्दी में अस्थमा परेशान नहीं करता है। रोजाना गुड़ का सेवन हाइब्लडप्रेशर को कंट्रोल करता है। जिन लोगों को खून की कमी हो उन्हें रोज थोड़ी मात्रा में गुड़ जरूर खाना चाहिए। इससे शरीर में हिमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।

- गुड़ का हलवा खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर निकालता है व सर्दियों में, यह शरीर के तापमान को विनियमित करने में मदद करता है। यह लड़कियों के मासिक धर्म को नियमित करने यह मददगार होता है।

- अगर आप गैस या एसिडिटी से परेशान हैं तो खाने के बाद थोड़ा गुड़ जरूर खाएं ऐसा करने से ये दोनों ही समस्याएं नहीं होती हैं। गुड़, सेंधा नमक, काला नमक मिलाकर चाटने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।

- ठंड में कई लोगों को कान के दर्द की समस्या होने लगती है। ऐसे में कान में सरसो का तेल डालने से व गुड़ और घी मिलाकर खाने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

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बथुवा गुणों की खान है और भारत में ऐसी ऐसी जड़ी बूटियां हैं तभी तो मेरा भारत महान है।

बथुवा
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बथुवा को अंग्रेजी में Lamb's Quarters कहते है, इसका वैज्ञानिक नाम Chenopodium album है।

साग और रायता बना कर बथुवा अनादि काल से खाया जाता  रहा है लेकिन क्या आपको पता है कि विश्व की सबसे पुरानी महल बनाने की पुस्तक शिल्प शास्त्र में लिखा है कि हमारे बुजुर्ग अपने घरों को हरा रंग करने के लिए प्लस्तर में बथुवा मिलाते थे और हमारी बुढ़ियां सिर से ढेरे व फांस (डैंड्रफ) साफ करने के लिए बथुवै के पानी से बाल धोया करती। बथुवा गुणों की खान है और भारत में ऐसी ऐसी जड़ी बूटियां हैं तभी तो मेरा भारत महान है।

बथुवै में क्या क्या है?? मतलब कौन कौन से विटामिन और मिनरल्स??

तो सुने, बथुवे में क्या नहीं है?? बथुवा विटामिन B1, B2, B3, B5, B6, B9 और विटामिन C से भरपूर है तथा बथुवे में कैल्शियम,  लोहा, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिंक आदि मिनरल्स हैं। 100 ग्राम कच्चे बथुवे यानि पत्तों में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन व 4 ग्राम पोषक रेशे होते हैं। कुल मिलाकर 43  Kcal होती है।

जब बथुवा शीत (मट्ठा, लस्सी) या दही में मिला दिया जाता है तो यह किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन वाला व किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य व पौष्टिक आहार बन जाता है और साथ में बाजरे या मक्का की रोटी, मक्खन व गुड़ की डळी हो तो इस खाने के लिए देवता भी तरसते हैं।

जब हम बीमार होते हैं तो आजकल डॉक्टर सबसे पहले विटामिन की गोली ही खाने की सलाह देते हैं ना??? गर्भवती महिला को खासतौर पर विटामिन बी, सी व लोहे की गोली बताई जाती है और बथुवे में वो सबकुछ है ही, कहने का मतलब है कि बथुवा पहलवानो से लेकर गर्भवती महिलाओं तक, बच्चों से लेकर बूढों तक, सबके लिए अमृत समान है।

यह साग प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है। बथुए के साग का सही मात्रा में सेवन किया जाए तो निरोग रहने के लिए सबसे उत्तम औषधि है।  बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाएँ तो अच्छा है, यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो काला नमक मिलाएँ और देशी  गाय   के घी से छौंक लगाएँ। बथुए का उबाला हुआ पानी अच्छा लगता है तथा दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है। किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें। बथुवै में  जिंक होता है जो कि शुक्राणुवर्धक है मतलब किसी भाई को जिस्मानी कमजोरी हो तो उसकॅ भी दूर कर दे बथुवा।

बथुवा कब्ज दूर करता है और अगर पेट साफ रहेगा तो कोइ भी बीमारी शरीर में लगेगी ही नहीं, ताकत और स्फूर्ति बनी रहेगी।

कहने का मतलब है कि जब तक इस मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएँ। बथुए का रस, उबाला हुआ पानी पीएँ और तो और यह खराब लीवर को भी ठीक कर देता है।

पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शकर मिलाकर नित्य पिएँ तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी।

मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें । आधा रहने पर छानकर पी जाएँ। मासिक धर्म खुलकर साफ आएगा। आँखों में सूजन, लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाएँ।

पेशाब के रोगी बथुआ आधा किलो, पानी तीन गिलास, दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें । बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें। स्वाद के लिए नींबू जीरा, जरा सी काली मिर्च और काला नमक लें और पी जाएँ।

आप ने अपने दादा दादी से ये कहते जरूर सुना होगा कि हमने तो सारी उम्र अंग्रेजी दवा की एक गोली भी नहीं ली। उनके स्वास्थ्य व ताकत का राज यही बथुवा ही है।

मकान को रंगने से लेकर खाने व दवाई तक बथुवा काम आता है और हाँ सिर के बाल ...... क्या करेंगे शम्पू इसके आगे।
हम आज बथुवै को भी कोंधरा, चौळाई, सांठी, भाँखड़ी आदि सैकड़ों आयुर्वेदिक औषधियों की बजाय खरपतवार समझते हैं।


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मूंगफली भिगोकर खाने वालों को बादाम से भी ज्‍यादा मिलती है ताकत

मूंगफली भिगोकर खाने वालों को बादाम से भी ज्‍यादा मिलती है ताकत

ब्लड सर्कुलेशन ठीक रख कर हार्ट के साथ कई बीमारियों से बचाता है।इससे आप डायबिटीज जैसी बीमारी से बचे रहते है।रोजाना भीगी हुई मूंगफली का सेवन ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है।

आमतौर पर लोग सर्दियों में मूंगफली का सेवन ज्‍यादा करते हैं। लेकिन रोजाना भीगी मूंगफली के कुछ दाने खाने से आपकी कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं दूर हो सकती है। इसे भिगोकर खाने से इसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स और आयरन ब्लड सर्कुलेशन ठीक रख कर हार्ट के साथ कई बीमारियों से बचाता है। आइए जानते है रोजाना भीगी हुई मूंगफली खाने से सेहत को क्या फायदे होते है।

 डायबिटीज

रोजाना भीगी हुई मूंगफली का सेवन ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है। इससे आप डायबिटीज जैसी बीमारी से बचे रहते है। इसलिये यदि आपको भी शुगर की समस्या है तो रोज सुबह को पानी में रात भर भिगोये गये मूंगफली के दाने पचास ग्राम जरूर खायें । फाइबर से भरपूर मूंगफली को भिगो कर इसका सेवन करने से डाइजेशन सिस्टम ठीक रहता है। सर्दी में इसका सेवन शरीर को अंदर से गर्मी और एनर्जी देता है।

 गैस और एसिडिटी

पोटेशियम,मैग्नीज, कॉपर, केल्सियम,आयरन, सेलेनियम के गुणों से भरपूर मूंगफली को भिगो कर सुबह खाली पेट खाने से गैस और एसिडिटी की परेशानी दूर होती है। सर्दियों में भीगी हुई मूंगफली का गुड़ के साथ सेवन करने से जोड़ो और कमर दर्द की समस्या दूर हो जाती है। यह शरीर में कैल्शियम की पूर्ति करने का एक बहुत अच्छा साधन है।

 आंखों की रोशनी

बच्चों को सुबह भीगी मूंगफली के कुछ दाने खिलाने से इसमें मौजूद विटामिन आंखों की रोशनी और याद्दाश्त तेज करते है। मूंगफली को खाने से शरीर में खून की कमी भी पूरी हो जाती है। इसके अलावा इससे शारीरिक उर्जा और स्फूर्ती भी बनी रहती है। मूंगफली को इन्ही गुणों के कारण शायद गरीबों का बादाम कहा जाता है ।

 कैंसर से सुरक्षा

मूंगफली में मौजूद तैलीय अंश गीली खांसी और भूख न लगने की समस्या को दूर करते है। रोजाना इसके कम से कम 20 दाने खाना महिलाओं को कैंसर से दूर रखता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, आयरन, नियासिन, फोलेट, कैल्शियम और जिंक शरीर को कैंसर सेल्स से लड़ने में मदद करते है।

 सेहत का खजाना है मूंगफली

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 100 ग्राम कच्ची मूंगफली में 1 लीटर दूध के बराबर प्रोटीन होता है। मूंगफली में प्रोटीन की मात्रा 25 प्रतिशत से भी अधिक होती है। साथ ही मूंगफली पाचन शक्ति बढ़ाने में भी मदद करती है। 250 ग्राम भूनी मूंगफली में जितनी मात्रा में खनिज और विटामिन पाए जाते हैं, वो 250 ग्राम मांस से भी प्राप्त नहीं हो सकते। मूंगफली में न्यूहट्रियन्टीस, मिनरल, एंटी-ऑक्सीडेंट और विटामिन जैसे पदार्थ पाए जाते हैं। इसमें प्रोटीन, चिकनाई और शर्करा पाई जाती है। एक अंडे के मूल्य के बराबर मूंगफलियों में जितनी प्रोटीन व ऊष्मा होती है, उतनी दूध व अंडे से संयुक्त रूप में भी नहीं होती।

मूंगफली के खाने से दूध, बादाम और घी की पूर्ति हो जाती है। एक सर्वे के मुताबिक जिन लोगों के रक्त में ट्राइग्लाइसेराइड का लेवल अधिक होता है, वे अगर मूंगफली खाएं, तो उनके ब्लड के लिपिड लेवल में ट्राइग्लाइसेराइड का लेवल 10 फीसदी कम हो जाता है। अगर आप सर्दी के मौसम में मूंगफली खाएंगे तो आपका शरीर गर्म रहेगा। यह खाँसी में उपयोगी है व फेफड़े को बल देती है। एक बात ध्यान रखने की है कि मूंगफली पाचन शक्ति को बढ़ाती है, रुचिकर होती है, लेकिन गरम प्रकृति के व्यक्तियों को हानिकारक भी है।

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स्वास्थ्यवर्धक खजूर

स्वास्थ्यवर्धक खजूर

खजूर मधुर, शीतल, पौष्टिक व सेवन करने के बाद तुरंत शक्ति-स्फूर्ति देनेवाला है | यह रक्त, मांस व वीर्य की वृद्धि करता है | ह्रदय व मस्तिष्क को शक्ति देता है | वात, पित व कफ इन तीनों दोषों का शामक है | यह मल व मूत्र को साफ लाता है | खजूर में कार्बोहाइड्रेटस, प्रोटीन्स, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नेशियम, लोह आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता है | ' अमेरिकन कैंसर सोसाइटी ' के अनुसार शारीर को एक दिन में २०-३५ ग्राम डाएटरी फाइबर (खाद्य पदार्थों में स्थित रेशा) की जरुरत होती है, जो खजूर खाने से पूरी हो जाती है |
खजूर रात भर पानी में भिगोकर सुबह लेना लाभदायक है | खजूर रक्त को बढाता है और यकृत (लीवर) के रोगों में लाभकारी है | रक्ताल्पता में इसका नियमित सेवन लाभकारी है | निम्बू के रस में खजूर की चटनी बनाकर खाने से भोजन की अरुचि मिटती है | खजूर का सेवन बालों को लम्बा, घना और मुलायम बनाता है |
औषधि-प्रयोग :-
* कब्जनाशक : खजूर में रेचक गुण भरपूर है | ८-१० खजूर २०० ग्राम पानी में भिगों दें, दुबह मसलकर इनका शरबत बना लें | फिर इसमें ३०० ग्राम पानी और डालकर गुनगुना गर्म करें | खाली पेट चाय की की तरह पी जायें | कुछ देर बाद दस्त होगा | इससे आँतों को बल और शारीर को सुफुर्ती भी मिलेगी | उम्र के अनुसार खजूर की मात्रा कम-जयादा करें |
* नशा निवारक : शराबी प्राय: नशे की झोंक में इतनी शराब पी जाता है की उसका यकृत नष्ट होकर मृत्यु का कारन बन सकता है | इस स्थिति में ताजे पानी में खजूर को अच्छी तरह मसलते हुए शरबत बनायें | यह शरबत पीने से शराब का विषैला प्रभाव नष्ट होने लगता है |
* आँतों की पुष्टि : खजूर आँतों के हनिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है, साथ ही खजूर के विशिष्ट तत्त्व ऐसे जीवाणुओं को जन्म देते हैं जो आँतों को विशेष शक्तिशाली तथा अधिक सक्रिय बनाते हैं |
*हृदय रोगों में : लगभग ५० ग्राम गुठलीरहित छुहारे (खारक) २५० मी. ली. पानी में रात को भिगो दें | सुबह छुहारों को पीसकर पेस्ट बना के उसी बचे हुए पानी में घोल लें | इसे प्रात: खली पेट पी जाने से कुछ ही माह में ह्रदय को पर्याप्त सबलता मिलती है | इसमें १ ग्राम इलायची चूर्ण मिलाना विशेष लाभदायी है |
*तन-मन की पुष्टि : बच्चों को दूध में खजूर उबाल के देने से उन्हें शारीरिक-मानसिक पोषण मिलता है व शारीर सुदृढ़ बनता है |
*शैयामुत्र : जो बच्चे रात्रि में बिस्तर गीला करते हों, उनेह दो छुहारे रात्रि में भिगोकर सुबह दूध में उबाल के दें |
*बच्चों के दस्त में : बच्चों के दाँत निकलते समय उन्हें बार बार गारे दस्त होते हों या पेचिश पड़ती हो तो खजूर के साथ शहद को अछि तरह फेंटकर एक-एक चमच दिन में २-३ बार चटाने से लाभ होता है | 

मस्तिष्क व हृदय की कमजोरीः रात को खजूर भिगोकर सुबह दूध या घी के साथ खाने से मस्तिष्क व हृदय की पेशियों को ताकत मिलती है। विशेषतः रक्त की कमी के कारण होने वाली हृदय की धड़कन व एकाग्रता की कमी में यह प्रयोग लाभदायी है।

मलावरोधः रात को भिगोकर सुबह दूध के साथ लेने से पेट साफ हो जाता है।

कृशताः खजूर में शर्करा, वसा (फैट) व प्रोटीन्स विपुल मात्रा में पाये जाते हैं। इसके नियमित सेवन से मांस की वृद्धि होकर शरीर पुष्ट हो जाता है।

रक्ताल्पताः खजूर रक्त को बढ़ाकर त्वचा में निखार लाता है।

शुक्राल्पताहा खजूर उत्तम वीर्यवर्धक है। गाय के घी अथवा बकरी के दूध के साथ लेने से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त अधिक मासिक स्राव, क्षयरोग, खाँसी, भ्रम(चक्कर), कमर व हाथ पैरों का दर्द एवं सुन्नता तथा थायराइड संबंधी रोगों में भी यह लाभदायी है।

सावधानी :

- आजकल खजूर को वृक्ष से अलग करने के बाद रासायनिक पदार्थों के द्वारा सुखाया जाता है | ये रसायन शारीर के लिए हानिकारक होते है | अत: उपयोग करने से पहले खजूर को अच्छी तरह से धों लें | धोकर सुखाने के बाद इन्हें विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा सकता है |

- होली के बाद खजूर खाना हितकारी नहीं है।

- Diabities वाले खजूर की जगह पर किशमिश का उपयोग करना

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