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रविवार, 16 फ़रवरी 2020

एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत हिन्दू योद्धाओं को इतिहास से बाहर कर सिर्फ मुगलों को महान बतलाने वाला नकली इतिहास पढ़ाया जाता है।

जब औरंगजेब ने मथुरा का श्रीनाथ मंदिर तोड़ा तो मेवाड़ के नरेश राज सिंह 100 मस्जिद तुड़वा दिये थे।
अपने पुत्र भीम सिंह को गुजरात भेजा, कहा 'सब मस्जिद तोड़ दो तो भीम सिंह ने 300 मस्जिद तोड़ दी थी'।

वीर दुर्गादास राठौड़ ने औरंगजेब की नाक में दम कर दिया था और महाराज अजीत सिंह को राजा बनाकर ही दम लिया।

कहा जाता है कि दुर्गादास राठौड़ का भोजन, जल और शयन सब अश्व के पार्श्व पर ही होता था। वहाँ के लोकगीतों में ये गाया जाता है कि यदि दुर्गादास न होते तो राजस्थान में सुन्नत हो जाती।

वीर दुर्गादास राठौड़ भी शिवाजी के जैसे ही छापामार युद्ध की कला में विशेषज्ञ थे। 

मध्यकाल का दुर्भाग्य बस इतना है कि हिन्दू संगठित होकर एक संघ के अंतर्गत नहीं लड़े, अपितु भिन्न भिन्न स्थानों पर स्थानीय रूप से प्रतिरोध करते रहे।

औरंगजेब के समय दक्षिण में शिवाजी, राजस्थान में दुर्गादास, पश्चिम में सिख गुरु गोविंद सिंह और पूर्व में लचित बुरफुकन, बुंदेलखंड में राजा छत्रसाल आदि ने भरपूर प्रतिरोध किया और इनके प्रतिरोध का ही परिणाम था कि औरंगजेब के मरते ही मुगलवंश का पतन हो गया।

इतिहास साक्षी रहा है कि जब जब आततायी अत्यधिक बर्बर हुए हैं, हिन्दू अधिक संगठित होकर प्रतिरोध किया है। हिन्दू स्वतंत्र चेतना के लिए ही बना है। हिंदुओं का धर्मांतरण सूफियों ने अधिक किया है। तलवार का प्रतिरोध तो उसने सदैव किया है, बस सूफियों और मिशनरियों से हार जाता है।
 बाबर ने मुश्किल से कोई 4 वर्ष राज किया। हुमायूं को ठोक पीटकर भगा दिया। मुग़ल साम्राज्य की नींव अकबर ने डाली और जहाँगीर, शाहजहाँ से होते हुए औरंगजेब आते आते उखड़ गया।
कुल 100 वर्ष (अकबर 1556ई. से औरंगजेब 1658ई. तक) के समय के स्थिर शासन को मुग़ल काल नाम से इतिहास में एक पूरे पार्ट की तरह पढ़ाया जाता है....
मानो सृष्टि आरम्भ से आजतक के कालखण्ड में तीन भाग कर बीच के मध्यकाल तक इन्हीं का राज रहा....!
अब इस स्थिर (?) शासन की तीन चार पीढ़ी के लिए कई किताबें, पाठ्यक्रम, सामान्य ज्ञान, प्रतियोगिता परीक्षाओं में प्रश्न, विज्ञापनों में गीत, ....इतना हल्ला मचा रखा है, मानो पूरा मध्ययुग इन्हीं 100 वर्षों के इर्द गिर्द ही है।
जबकि उक्त समय में मेवाड़ इनके पास नहीं था। दक्षिण और पूर्व भी एक सपना ही था।
अब जरा विचार करें..... क्या भारत में अन्य तीन चार पीढ़ी और शताधिक वर्षों तक राज्य करने वाले वंशों को इतना महत्त्व या स्थान मिला है ?
*अकेला विजयनगर साम्राज्य ही 300 वर्षों तक टिका रहा।  
हम्पी नगर में हीरे माणिक्य की मण्डियां लगती थीं।
 महाभारत युद्ध के बाद 1006 वर्ष तक जरासन्ध वंश के 22 राजाओं ने, 
5 प्रद्योत वंश के राजाओं ने 138 वर्ष , 
10 शैशुनागों ने 360 वर्षों तक , 
9 नन्दों ने 100 वर्षों तक ,
 12 मौर्यों ने 316 वर्षों तक ,
 10 शुंगों ने 300 वर्षों तक ,
 4 कण्वों ने 85 वर्षों तक ,
 33 आंध्रों ने 506 वर्षों तक ,
 7 गुप्तों ने 245 वर्षों तक राज्य किया ।
और पाकिस्तान के सिंध, पंजाब से लेके अफ़ग़ानिस्तान के पर समरकन्द तक राज करने वाले रघुवंशी लोहाणा(लोहर-राणा) जिन्होने देश के सारे उत्तर-पश्चिम भारत वर्ष पर राज किया और सब से ज्यादा खून देकर इस देश को आक्रांताओ से बचाया, सिकंदर से युद्ध करने से लेकर मुहम्मद गजनी के बाप सुबुकटिगिन को इनके खुद के दरबार मे मारकर इनका सर लेके मूलतान मे लाके टाँगने वाले जसराज को भुला दिया। 
कश्मीर मे करकोटक वंश के ललितादित्य मुक्तपीड ने आरबों को वो धूल चटाई की सदियो तक कश्मीर की तरफ आँख नहीं उठा सके। और कश्मीर की सबसे ताकतवर रानी दिद्दा लोहराणा(लोहर क्षत्रिय) ने सब से मजबूत तरीके से राज किया। और सारे दुश्मनों को मार दिया।
तारीखे हिंदवा सिंध और चचनामा पहला आरब मुस्लिम आक्रमण जिन मे कराची के पास देब्बल मे 700 बौद्ध साध्विओ का बलात्कार नहीं पढ़ाया जाता। और इन आरबों को मारते हुए इराक तक भेजने वाले बाप्पा रावल, नागभट प्रथम, पुलकेसीन जैसे वीर योद्धाओ के बारेमे नहीं पढ़ाया जाता।*
फिर विक्रमादित्य ने 100 वर्षों तक राज्य किया था । इतने महान सम्राट होने पर भी भारत के इतिहास में गुमनाम कर दिए गए ।
उनका वर्णन करते समय इतिहासकारों को मुँह का कैंसर हो जाता है। सामान्य ज्ञान की किताबों में पन्ने कम पड़ जाते है। पाठ्यक्रम के पृष्ठ सिकुड़ जाते है। प्रतियोगी परीक्षकों के हृदय पर हल चल जाते हैं।
वामपंथी इतिहासकारों ने नेहरूवाद का मल भक्षण कर, जो उल्टियाँ की उसे ज्ञान समझ चाटने वाले चाटुकारों...!
तुम्हे धिक्कार है !!!
यह सब कैसे और किस उद्देश्य से किया गया ये अभी तक हम ठीक से समझ नहीं पाए हैं और ना हम समझने का प्रयास कर रहे हैं।

एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत हिन्दू योद्धाओं को इतिहास से बाहर कर सिर्फ मुगलों को महान बतलाने वाला नकली इतिहास पढ़ाया जाता है। महाराणा प्रताप के स्थान पर अत्याचारी व अय्याश अकबर को महान होना लिख दिया है। 
ये इतिहास को ऐसा प्रस्तुत करने का जिम्मेवार सिर्फ एक व्यक्ति है वो है
मौलाना आजाद
भारत का पहला केंद्रीय शिक्षा मंत्री
अब यदि इतिहास में उस समय के वास्तविक हिन्दू योद्धाओं को सम्मिलित करने का प्रयास किया जाता है तो विपक्ष  शिक्षा के भगवा करण करने का आरोप लगाता है !
नोट : सब लोग दबाकर कॉपी-पेस्ट करें, और आगे भी Forward करें.... ताकी इस आलेख का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो सके !

शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2020

तुम जमीर को बेच दिए, केवल बिजली व पानी पर

ऐग्जिट पोल के नतीजों पर पहली प्रतिक्रिया
**************************************

(खुद भी पढ़ें और खास मित्रों को भी शेअर करें)

भारत माता सिसक रही हैं,तुम सब की नादानी पर,
तुम जमीर को बेच दिए, केवल बिजली व पानी पर ।।

तुम बोले मंदिर बनवाओ, 'उसने' काँटा साफ किया,
और तीन सौ सत्तर धारा वाला स्विच ही ऑफ किया,
इच्छा यही तुम्हारी थी,घुसपैठी भागें भारत से,
लाकर के कानून हौंसला घुसपैठी का हाफ किया।

राणा-वीर शिवा के वंशज,रीझे कुटिल कहानी पर।
तुम जमीर को बेच दिए,केवल बिजली व पानी पर ।।1।।

रेप किए, छाती काटा, माँ-बहनों सँग हैवानी की,
याद न आया चार लाख हिंदू के करुण कहानी की,
न्याय दिलाना चाहा 'वो' तो तुमने ये अंजाम दिया?
थूकेगा इतिहास, करेगा मंथन  कारस्तानी की ।

अपनों से ज्यादा विश्वास किए तुम पाकिस्तानी पर।
तुम जमीर को बेंच दिए,केवल बिजली व पानी पर ।।2।।

'उनके' बच्चे-बच्चे समझें,किसको वोट नहीं देना,
टुकड़े-टुकड़े करें देश का,फिर भी खोट नहीं देना,
'तीन तलाक' महामारी, आजाद किया खातूनों को,
लेकिन धरने पर बैठी हैं,पति को चोट नहीं देना।

कैसे कोई करे भरोसा,अपने हिंदुस्तानी पर।
तुम जमीर को बेंच दिए,केवल बिजली व पानी पर।।3।।

क्या कसूर था 'सीएए' पर, 'वो' अड़ गया बताओ तो?
क्या कसूर था पाकिस्तानी पर चढ़ गया बताओ तो?
तुमने जो-जो मांग किया, सब पर कानून बनाया 'वो'
यदि 'एनारसी' पर थोड़ा आगे बढ़ गया बताओ तो?

गांधी-नानक की धरती पर, वोट किए हैवानी पर,
तुम जमीर को बेंच दिए,केवल बिजली व पानी पर ।।4।।

सीट तीन सौ तीन मिली थी,फिर क्यों रिस्क उठाया 'वो'?
भ्रष्टाचारी एक हुए सब,फिर भी क्या घबराया 'वो' ?
तुम पर 'उसे' भरोसा था,इस खातिर कदम बढ़ाया 'वो',
'तुम रोहिंग्या के साथी हो', इतना समझ न पाया 'वो'!

देखो 'वे' सब एक हो गईं,पत्तल भर बिरियानी पर।
तुम जमीर को बेंच दिए,केवल बिजली व पानी पर ।।5।।

पन्नादाई अगर सुनीं तो तुम सबको दुत्कारेंगी,
लक्ष्मीबाई वहाँ स्वर्ग से थूकेंगी,फटकारेंगी,
जीजाबाई रोंएंगी,बिलखेंगी,तुम्हें निहारेंगी,
बस यात्रा क्या मिली मुफ्त, द्रोही को आप सँवारेंगी?

दिल्ली की महिलाएं रीझीं,अफजल और गिलानी पर।
तुम जमीर को बेंच दिए,केवल बिजली व पानी पर ।।6।।

जीत नहीं ये झाड़ू की है, तालीबानी जीत गए,
शाहिनबाग नहीं जीता है,अफजल -बानी जीत गए,
जेएनयू जीता है अबकी,रोहिंग्या भी जीत गए,
सच्चे हिंदुस्तानी हारे, पाकिस्तानी जीत गए।

एक वोट भी दे नहिं पाए,शहीदों की कुर्बानी पर।
तुम जमीर को बेंच दिए, केवल बिजली व पानी पर ।।7।।

सुरेश मिश्र
(हास्य कवि, मुंबई)

प्रतिक्रिया की अपेक्षा और इंतज़ार में

कैसे मनायें ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस

*14th February को कैसे मनायें मातृ-पितृ पूजन दिवस | Parents Worship Day |* 

 *🌹कैसे मनायें ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस*🌹’

*👉🏻माता-पिता को स्वच्छ तथा ऊँचे आसन पर बैठायें ।*

 *👉🏻बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता के माथे पर      कुंकुम का तिलक करें ।*

 *👉🏻तत्पश्चात् माता-पिता के सिर पर पुष्प अर्पण करें तथा फूलमाला पहनायें ।*

 *👉🏻माता-पिता भी बच्चे-बच्चियों के माथे पर तिलक करें एवं सिर पर पुष्प रखें । फिर अपने गले की फूलमाला बच्चों को पहनायें ।*

 *👉🏻बच्चे-बच्चियाँ थाली में दीपक जलाकर माता-पिता की आरती करें और अपने माता-पिता एवं गुरु में ईश्वरीय भाव जगाते हुए उनकी सेवा करने का दृढ संकल्प करें ।*

*👉🏻बच्चे-बच्चियाँ अपने माता-पिता के एवं माता-पिता बच्चों के सिर पर अक्षत एवं पुष्पों की वर्षा करें ।*

*👉🏻तत्पश्चात् बच्चे-बच्चियाँ अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करें ।*

 *👉🏻बच्चे-बच्चियाँ अपने माता-पिता को झुककर विधिवत् प्रणाम करें तथा माता-पिता अपनी संतान को प्रेम से सहलायें । संतान अपने माता-पिता के गले लगे । बेटे-बेटियाँ माता-पिता में ईश्वरीय अंश देखें और माता-पिता बच्चों में ईश्वरीय अंश देखें ।*

 *👉🏻इस दिन बच्चे-बच्चियाँ पवित्र संकल्प करें : “मैं अपने माता-पिता व गुरुजनों का आदर करूँगा/करूँगी । मेरे जीवन को महानता के रास्ते ले जानेवाली उनकी आज्ञाओं का पालन करना मेरा कर्तव्य है और मैं उसे अवश्य पूरा करूँगा/करूँगी ।”*

 *👉🏻इस समय माता-पिता अपने बच्चों पर स्नेहमय आशीष बरसायें एवं उनके मंगलमय जीवन के लिए इस प्रकार शुभ संकल्प करें : “तुम्हारे जीवन में उद्यम, साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति व पराक्रम की वृद्धि हो । तुम्हारा जीवन माता-पिता एवं गुरु की भक्ति से महक उठे । तुम्हारे कार्यों में कुशलता आये । तुम त्रिलोचन बनो – तुम्हारी बाहर की आँख के साथ भीतरी विवेक की कल्याणकारी आँख जागृत हो । तुम पुरुषार्थी बनो और हर क्षेत्र में सफलता तुम्हारे चरण चूमे ।”*

*👉🏻बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता को ‘मधुर प्रसाद’ खिलायें एवं माता-पिता अपने बच्चों को प्रसाद खिलायें ।*

*👉🏻बालक गणेशजी की पृथ्वी परिक्रमा, भक्त पुंडलिक की मातृ-पितृ भक्ति, श्रवण कुमार की मातृ-पितृ भक्ति – इन कथाओं का पठन करें अथवा कोई एक व्यक्ति कथा सुनाये और अन्य लोग श्रवण करें ।*

*👉🏻माता-पिता ‘बाल संस्कार’, ‘दिव्य प्रेरणा-प्रकाश’, ‘तू गुलाब होकर महक’, ‘मधुर व्यवहार’ – इन पुस्तकों को अपनी क्षमतानुरूप बाँटें-बँटवायें तथा प्रतिदिन थोडा-थोडा स्वयं पढने का व बच्चों से पढाने का संकल्प लें ।*

आजकाल मास्टरनियों के जो हाल है उण नै बयां करती मारवाड़ी र मांय लिखी ये दो चारेक लाइनाँ...

आजकाल मास्टरनियों के जो हाल है उण नै बयां करती मारवाड़ी र मांय लिखी ये दो चारेक लाइनाँ...


मैडम जद हूं स्कूल जावण लागी,
 दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी।

भूल गई टाबरां टीकरां ने,
सारे टाइम मोबाइल चलावण लागी।
सुबह घरां टाइम हूं खाणों कदै बण कोनी,
पर स्कूल में टेम हूं खाणों खुवावण लागी।
मैडम जद हूं स्कूल जावण लागी,
 दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी।

घर हूं बाहर कदे निकली कोनी,
पर इब स्कूल में,
 स्कूटी पे एकली ही जावण लागी।
बांध के मुंह पर कपड़ों,
मुंह धूल सूं बचावण लागी।
मैडम जद हूं स्कूल जावण लागी,
 दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी।

कदे किं की भी हाजिरी  लगाई कोनी जीवन में,
आजकाल ऑनलाइन हाजिरी लगावण लागी।
कदे ही टेम पर तैयार कोनी होयी,
पर इब टेम हूं स्कूल में खड़ी तैयार पावण लागी।
मैडम जद हूं स्कूल जावण लागी,
 दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी।

घर की और टाबरां की कांस तो पहला सूं ही थी,
इब ऑनलाइन हाली कांस भी इनै खावण लागी।
बावली होगी स्कूल की भाग दौड़ में,
स्कूल और कागज कारवाही के नाम हूं ही घबरावण लागी।
मैडम जी जद हूं स्कूल जावण लागी,
 दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी।

कदे सासू की सुनी कोनी,न आदमी की सुणी,
 पर इब रोज पीईईओ कन सूं डाँट खावण लागी।
अगले जन्म मोहे मास्टरनी ना बणा दीज्यो,
टाबरां न बस आ ही बात सिखावण लागी।
मैडम जद हूं स्कूल जावण लागी,
 दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी.....

यह गरीबों का मुल्क है

*एक व्यंग हैं पसंद आये तो मुस्कुरा दीजियेगा*

💮यह नदियों का मुल्क है,
पानी भी भरपूर है।
बोतल में बिकता है,
पन्द्रह रू शुल्क है।

💮यह गरीबों का मुल्क है,
जनसंख्या भी भरपूर है।
परिवार नियोजन मानते नहीं,
नसबन्दी नि:शुल्क है।

💮यह अजीब मुल्क है,
निर्बलों पर हर शुल्क है।
अगर आप हों बाहुबली,
हर सुविधा नि:शुल्क है।

💮यह अपना ही मुल्क है,
कर कुछ सकते नहीं।
कह कुछ सकते नहीं,
बोलना नि:शुल्क है।

💮यह शादियों का मुल्क है,
दान दहेज भी खूब हैं।
शादी करने को पैसा नहीं,
कोर्ट मैरिज नि:शुल्क हैं।

💮यह पर्यटन का मुल्क है,
रेलें भी खूब हैं।
बिना टिकट पकड़े गए तो,
रोटी कपड़ा नि:शुल्क है।

💮यह अजीब मुल्क है,
हर जरूरत पर शुल्क है।
ढूंढ कर देते हैं लोग,
सलाह नि:शुल्क है।

💮यह आवाम का मुल्क है,
रहकर चुनने का हक है।
वोट देने जाते नहीं,
मतदान नि:शुल्क है।

💮यह शिक्षकों का मुल्क है,
पाठशालाएं भी खूब है,
शिक्षकों को वेतनमान देने के पैसे नहीं,
पढ़ना,खाना,पोशाक निःशुल्क है।

         *:बेचारा आदमी:*

*जब सर के बाल न आये तो दवाई ढूँढता है*
*जब आ जाते है तो नाई ढूँढता है*
*जब सफ़ेद हो जाते है तो डाई ढूँढता है* 
*और जब काले रहते हैं तो लुगाई ढूँढता है*

*मुस्कुराईये यह तो नि:शुल्क है*
😀😀😀😀😀

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