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बुधवार, 4 मार्च 2020

Corona Virus: होम्योपैथ में कोरोना से बचाव व इलाज संभव, आयुष मंत्रालय ने दवा को दी हरी झंडी


Corona Virus: होम्योपैथ में कोरोना से बचाव व इलाज संभव, आयुष मंत्रालय ने दवा को दी हरी झंडी

कोरोना वायरस के संक्रमण (Corona Virus infection) से जूझते चीन (China) के लिए भारत से राहत भरी खबर है। बिहार के गया में आयोजित मगध होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन (Magadh Homeopathic Medical Association) के 17वें सेमिनार (Seminar) में जमशेदपुर के सीनियर होम्‍योपैथिक डॉक्‍टर  व सिंहभूम होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज (Jamshedpur Homeopathic Medical College) के प्राचार्य (Principal) डॉ. कुलवंत सिंह (Dr. Kulwant Singh) ने दी है। उन्‍होंने बताया कि वायरस से सुरक्षा के लिए एहतियात के तौर पर होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक अल्बम-30 (Arsenic Album 30) का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह दवा सुरक्षा के लिए इस्‍तेमाल के अलावा रोग होने पर भी इस्तेमाल की जा सकती है।
आयुष मंत्रालय ने आर्सेनिक अल्बम-30 दवा को किया अधिसूचित
उन्होंने बताया कि हाल ही में आयुष मंत्रालय ने कोरोना वायरस को लेकर विशेषज्ञों के साथ बैठक की थी, जिसमें केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद और केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद के विशेषज्ञों के साथ इसपर चर्चा की गई। उसके बाद आर्सेनिक अल्बम-30 दवा को आयुष मंत्रालय ने अधिसूचित किया है। इससे कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है।

इनफ्लुएंजा से मिलते-जुलते हैं कोरोना वायरस के लक्षण
डॉ. कुलवंत सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस के लक्षण इनफ्लुएंजा से मिलते-जुलते हैं। इसमें सर्दी-जुकाम, नाक बहना और तेज बुखार, उल्टी जैसी तकलीफें होती हैं। इसमें होम्योपैथ की आर्सेनिक अल्बम-30 दवा दी जा सकती है। इस दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। यह बहुत पुरानी दवा है। करीब ढाई सौ वर्ष पहले इस दवा को ईजाद किया गया था।

डॉक्‍टर की सलाह पर ऐसे ली जा सकती दवा
सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड ने माना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने में होम्योपैथ की दवा 'आर्सेनिक एल्बम-30’ कारगर है। यह दवा डॉक्‍टर की सलाह पर तीन दिन तक खाली पेट ली जा सकती है। संक्रमण कायम रहने पर एक माह बाद दोबारा दवा ली जा सकती है। 
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#china
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शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

कुछ ऐसे व्हाट्सएप हैक्स जो हमारे दैनिक जीवन में फायदेमंद हो सकते हैं



ज्यादातर लोग Whatsapp का इस्तेमाल करते हैं -
  1. संदेश भेजने के लिए
  2. Voice कॉल करने के लिए
  3. वीडियो कॉल करने के लिए
इस तरह हम प्रतिदिन अपना कुछ कीमती वक्त इस एप्प में invest करते हैं तो क्यों ना कुछ ऐसा किया जाए कि
जब भी हम whatsapp open करें हमें दिन भर की कुछ news , समाचार इत्यादि की जानकारी व्हाट्सएप्प में ही मिल जाये।
तो इसके लिए हमें बनाना पड़ेगा एक ग्रुप -
जिसमे एक सदस्य तो आप खुद होंगे
और दूसरे कुछ नंबर्स को जोड़ना होगा जो किसी व्यक्ति के ना होकर एक वेबसाइट द्वारा प्रदान किये गए हैं।
नंबर्स हैं - 7338876038
दूसरा नंबर- 8807020745
तीसरा नंबर- 9840891580
आप इन तीनो नंबर्स को जोड़ कर एक अपना ग्रुप बना लें -
और अपनी इच्छानुसार सेवाएं एक्टिवेट कर लें
जैसे-
हिंदी समाचार , Engliah News , स्पोर्ट्स न्यूज़ , एस्ट्रोलॉजी
चुनाव समाचार , विकिपीडिया , Daily horoscope
क्विज और गेम्स , ट्रैन का pnr स्टेटस
किसी पर्टिकुलर खेल कूद या अभिनेता या अभिनेत्री से जुड़ी खबरें इत्यादि।
ये सारी सर्विसेज मुफ्त हैं।
मैंने पहले से ही एक ग्रुप बना रखा है पर उदाहरण के लिए मैं आपको एक नया ग्रुप बना के दिखा देता हूँ।बनने के बाद ग्रुप कुछ इस तरह से दिखेगा।
आप कभी भी *info सेंड करके सारी सर्विसेज की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।
जैसे-
कुछ अन्य अच्छी सेवाएं -
जैसे- daily horoscope , कैलकुलेटर , डिक्शनरी, ट्रैन का pnr स्टेटस , करेंसी प्राइस विकिपीडिया इत्यादि।
आप इनमें से कोई भी सर्विस मुफ्त में एक्टिवेट कर सकते हैं उससे संबंधित नंबर को ग्रुप में जोड़ करके।
और जब भी चाहे उसे डिएक्टिवेट भी कर सकते हैं।
धन्यवाद।

कभी भी अपने फोन में Truecaller ऐप इंस्टॉल / इस्तेमाल न करें।.

कभी भी अपने फोन में Truecaller ऐप इंस्टॉल / इस्तेमाल न करें।.
एंड्रॉइड फोन रखने वाले ज्यादातर लोगों के फोन में यह ऐप होता है।
जो लोग नहीं जानते हैं कि True caller क्या है, यह एक ऐसा ऐप है जो आपको अज्ञात लोगों के नाम बताता है जो आपको फ़ोन करते हैं।
(आप इसे Google Play Store पर खोज सकते हैं)
क्या आप जानते हैं कि Truecaller के माध्यम से आपके सभी कॉल रिकॉर्डिंग, मैसेज, चैट और कॉन्टैक्ट आपके फोन से लीक हो रहे हैं? में इस बारे में आपको बताऊंगा, लेकिन सबसे पहले, आपको पता होना चाहिए.
Truecaller ने लोगों के फोन से डेटा एकत्र किया है और इसे अपने सर्वर पर डाला है। और फिर मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का उपयोग किसी विशेष फोन नंबर को असाइन करने के लिए किया जाता है। में इसे एक उदाहरण द्वारा समझाता हु :
मान लीजिए, रमेश कुमार सिंह नाम का एक व्यक्ति है, जिसका नंबर (Let’s say A, B & C) फोन में सेव किया गया है
A ने "रमेश कुमार" के रूप में अपना नाम बताया।
B ने अपना नाम "रमेश कुमार सिंह" बताया।
C ने अपना नाम "रमेश कुमार श" बताया।
तो Truecaller क्या करता है कि यह तीनों व्यक्तियों की संपर्क सूची में सामान्य नाम ढूंढता है और इसे अपने आप एक नाम बताता है। इस मामले में, आम नाम रमेश कुमार का है।
इस तरह Truecaller काम करता है।
अब इस बात की जानकारी दें कि यह ऐप आपके फोन से आपके सभी डेटा को कैसे चुरा रहा है।
जब आप Google Play Store से Truecaller इंस्टॉल करते हैं, तो ऐप इंस्टॉल करने से पहले कुछ अनुमतियों को पूछता है। लेकिन ज्यादातर लोग उन अनुमतियों को अनदेखा करते हैं और इस ऐप को अपने डिवाइस पर इंस्टॉल करते हैं। अनुमति में कैमरा, संपर्क, स्थान, एसएमएस, संग्रहण, कॉलिंग और माइक्रोफ़ोन एक्सेस शामिल है।
(प्रतिनिधित्व के लिए तस्वीर)
यदि आप Truecaller की आधिकारिक वेबसाइट पर जाते हैं और उनकी गोपनीयता नीति की जांच करते हैं, तो आप अपने फोन से एकत्र की गई जानकारी की मात्रा देखकर चौंक जाएंगे। मुझे उनके द्वारा एकत्र किए गए कई डेटा में से कुछ को सूचीबद्ध करने दें:
उपकरण का स्थान
आईपी ​​पता
डिवाइस और हार्डवेयर सेटिंग्स
ऑपरेटिंग सिस्टम
वेब ब्राउज़र
स्क्रीन संकल्प
उपयोग के आँकड़े
डिवाइस पर इंस्टॉल किए गए एप्लिकेशन
संपर्क
डिवाइस लॉग
संदेश
डिवाइस आईडी
(उनकी गोपनीयता नीति का स्क्रीनशॉट)
क्या आपको लगता है कि एक ऐप जो किसी अज्ञात कॉलर के नाम की पहचान करता है, उसे उपरोक्त सभी जानकारी की आवश्यकता है? ऐप केवल लोगों की अनभिज्ञता और लापरवाही का फायदा उठा रहा है।
इसलिए, यदि आप अपनी गोपनीयता और डेटा से प्यार करते हैं, तो इस ऐप को अपने फ़ोन से अनइंस्टॉल करें अन्यथा, आप फेसबुक और Google को दोष देते रहेंगे, और Truecaller आपके सभी डेटा को आपकी नाक के नीचे चुरा लेगा।

क्या बैंकों द्वारा दी जा रही ऑनलाइन जीरो बैलेंस अकाउंट सुविधा लेना सही है?

क्या बैंकों द्वारा दी जा रही ऑनलाइन जीरो बैलेंस अकाउंट सुविधा लेना सही है?

नहीं, भूल कर भी मत लें !!!
मैं आपको खुद अपने साथ हुई घटना बताता हूँ.
मैंने पिछले साल(2018) अगस्त में Axis बैंक में जीरो बैलेंस अकाउंट(ASAP Account) खुलवाया था. जैसा कि अंदेशा था, अकाउंट खुलवाने के बाद से ही मुझे उनके प्रमोशनल मेल और अलर्ट आने शुरू हो गए.
अभी मुश्किल से 15 दिन ही हुए थे, कि मुझे एक्सिस बैंक की तरफ से मैसेज आया "आपको अपनी KYC पूरी करनी होगी अन्यथा आपका अकाउंट बंद कर दिया जायेगा". जबकि सारी जरुरी जानकारियां और संबंधित डाक्यूमेंट्स पहले ही ऑनलाइन मांगे जा चुके थे. इस वक़्त मैं मजबूर और असहाय था क्योंकि मैंने इस अकाउंट से ट्रांजैक्शन करने शुरू कर दिए थे. खैर, मैं Axis बैंक की नजदीकी ब्रांच पर गया और KYC पूरी कर दी.
उस समय मैंने वहां मौजूद स्टाफ से भी पूछा कि आगे तो कोई दिक्कत नहीं होगी , अन्यथा मैं अपना जीरो बैलेंस अकाउंट बंद करा के नार्मल अकाउंट खुलवा लूँ. पर उन्होंने कहा कोई दिक्कत नहीं होगी.
और मैंने उनकी बात मान कर बहुत बड़ी गलती कर दी क्योंकि अभी मुझे बहुत कुछ झेलना बाकी था. साल भर मैं अपने इस ASAPअकाउंट से ट्रांजैक्शन करता रहा. पर शायद यह तूफान के आने से पहले वाली शांति थी.
कल मुझे Axis बैंक की तरफ से मैसेज आया कि आप का ASAP अकाउंट बंद कर दिया गया है.
मेरे उस अकाउंट में लगभग 30 हज़ार रूपये थे. मैं आनन-फानन भागता हुआ उनके ब्रांच पर पहुँचा, जहाँ से मैंने KYC पूरी कराई थी. वहां उन्होंने मुझे बताया कि इस अकाउंट की शर्तों में यही एक कमी है कि इसे बिना किसी पूर्वसूचना के कभी भी बंद किया जा सकता है. जब मैंने इसका कारण पूछा तो उन्होंने इसे बैंक की पालिसी कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया. अब आप को बैंकों की मनमानी और मेरी हालत का ठीक-ठीक अंदाजा लग गया होगा.
मैंने पूछा, मेरे अकाउंट में जो रूपये थे उनका क्या होगा? जवाब मिला कि वे रूपये Axis बैंक के कंपनी अकाउंट में जमा हो गए हैं और अब आपको एक जनरल अकाउंट खुलवाना पड़ेगा और तभी वे सारे रूपये आपके अकाउंट में ट्रांसफर किये जायेंगे.
फ़िलहाल मैं अपना जनरल अकाउंट खुलवाने की दौड़-भाग में लगा हुआ हूँ. उम्मीद करता हूँ कि मेरा अनुभव आपको बताने के लिए काफी है. और आप इन फ्री की चीज़ों के चक्कर में नहीं पड़ेंगे.
आप में से और भी लोग होंगे जो Kotak और Axis द्वारा चलायी जा रही इस जीरो अकाउंट सुविधा के चक्करों में पड़े होंगे और उन्हें भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा होगा. अपना अनुभव आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं.

शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

बांद्रा स्टेशन की झोपडपट्टी में प्रतिवर्ष आग का रहस्य

*बांद्रा स्टेशन की झोपडपट्टी में प्रतिवर्ष आग का रहस्य!*

*(बांद्रा चुनावक्षेत्र हिंदुवोंका गढ़ हैं! इसी में शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे जी का निवास हैं, अब ये गढ़ ढह गया हैं, विधानसभा चुनाव में अब मुस्लिम विधायक चुनकर आया हैं, जहां पहले हिंदू ही चुनकर आता था!)*

*✒ बांद्रा स्टेशन के आसपास चारों तरफ गहरी-घनी और गंदगी से लबरेज कई झोपडपट्टी मौजूद हैं, जिनमें से अधिकाँश का नाम “नवाज़ नगर”, “गरीब नगर”, “संजय गांधी नगर”, “इंदिरा गांधी नगर” वगैरह है.*

*🤔 आप सोचेंगे इसमें ऐसी क्या ख़ास बात है, ऐसा तो भारत के कई रेलवे स्टेशनों के आसपास होता होगा…*

*🔥बांद्रा की इन झोपडपट्टी की ख़ास बात यह है कि इसमें प्रतिवर्ष (जी हाँ, बिलकुल बिना किसी खण्ड के, प्रतिवर्ष मतलब प्रतिवर्ष) बड़ी जोरदार आग लगती है. ऐसे अग्निकाण्ड देश की किसी भी झोपडपट्टी में “नियमित” रूप से नहीं होते.*
🤔 आखिर इस आगज़नी का रहस्य क्या है?? बार-बार बांद्रा स्टेशन के आसपास ही आग क्यों लगती है?? *आईये थोड़ा समझने का प्रयास करते हैं…*

*📹पिछले कुछ वर्षों में पत्रकारों ने नोट किया है कि बांद्रा झोपडपट्टी में लगने वाली यह आग हमेशा देर शाम को अथवा देर रात में ही लगती है, दिन में नहीं. ऐसी भीषण आग लगने के बाद बांद्रा स्टेशन पहुँचने वाले, वहाँ इंतज़ार करने वाले रेलवे यात्री घबराकर इधर-उधर भागने लगते हैं, डर के मारे काँपने लगते हैं. 🧐परन्तु सर्वाधिक आश्चर्य इस बात का है कि जब भी इन झोपडपट्टी में आग लगती है, तो यहाँ के निवासी बड़ी शान्ति के साथ चुपचाप खाली स्थानों, रेलवे स्टेशन के आसपास एकत्रित हो जाते हैं. उन्हें कतई भय नहीं होता, आग बुझाने की जल्दबाजी भी नहीं होती.*

*👉स्वाभाविक रूप से इन झोपडपट्टी की गलियाँ बेहद सँकरी होने के कारण अग्निशमन (फायर ब्रिगेड) और पुलिस की गाड़ियाँ अथवा एम्बुलेंस अन्दर तक नहीं पहुँच पातीं… कुल मिलाकर बात यह कि झोपडपट्टी पूरी जल जाने तक यहाँ के “निवासी” शान्ति बनाए रखते हैं.*
*🤷‍♂ इसके बाद एंट्री होती है टीवी कैमरों, चैनलों के संवाददाता और पत्रकारों की, जो गलियों में पैदल घुसकर तमाम फोटो खींचते हैं, चिल्ला-चिल्लाकर बताते हैं कि “देखो, देखो… गरीबों का कितना नुक्सान हो गया है…”. कुछ ही समय में (या अगले दिन कुछ महिलाएँ कैमरे के सामने अपनी छाती कूटते हुए पधारती हैं, रोना-धोना शुरू करती है और सरकार से मुआवज़े की माँग करती हैं.*

*🤗 ज़ाहिर है की अगले दिन की ख़बरों में, समाचार पत्रों, चैनलों इत्यादि पर झोपडपट्टी के इन “गरीबों”(??) के प्रति सहानुभूति जगाते हुए लेख और चर्चाएँ शुरू हो जाती हैं. आगज़नी के कारण जिन गरीबों का नुक्सान हुआ है, जिनकी झोंपड़ियाँ जल गयी हैं, उनका पुनर्वास हो ऐसी मांगें “नेताओं” द्वारा रखी जाती हैं. कथित बुद्धिजीवी और कथित संवेदनशील लोग आँसू बहाते हुए बांद्रा की झोपडपट्टी वाले इन गरीबों के लिए सरकार से पक्के मकान की माँग भी कर डालते हैं. ज़ाहिर है कि इतना हंगामा मचने और छातीकूट प्रतिस्पर्धा होने के कारण सरकार भी दबाव में होती है,*

 *😈जबकि कुछ सरकारें तो इसी आगज़नी का इंतज़ार कर रही होती हैं. इन कथित गरीबों को सरकारी योजनाओं के तहत कुछ मकान मिल जाते हैं, कुछ लोगों को कई हजार रूपए का मुआवज़ा मिल जाता है… इस झोपडपट्टी से कई परिवार नए मकानों या सरकार द्वारा मुआवज़े के रूप में दी गयी “नई जमीन” पर शिफ्ट हो जाते हैं…*

*👺👉इसके बाद शुरू होता है असली खेल!* 

*🐷मात्र एक सप्ताह के अन्दर ही अधिकाँश “गरीबों”(??) को आधार कार्ड, PAN कार्ड, मतदाता परिचय पत्र वगैरह मिलने शुरू हो जाते हैं!. मात्र पंद्रह दिनों के भीतर उसी जले हुए स्थान पर नई दोमंजिला झोपडपट्टी भी तैयार हो जाती है, जिसमे टीन और प्लास्टिक की नई-नकोर चद्दरें दिखाई देती हैं. कहने की जरूरत नहीं कि ऐसी झोपडपट्टी में पानी मुफ्त में ही दिया जाता है, बिजली चोरी करना भी उनका “अधिकार” होता है. झोपडपट्टी में थोड़ा गहरे अन्दर तक जाने पर पत्रकारों को केबल टीवी, हीटर, इलेक्ट्रिक सिलाई मशीनें वगैरह आराम से दिख जाता है (केवल सरकारों को नहीं दिखता.*
*👉🐷हरवर्ष नियमानुसार एक त्यौहार की तरह होने वाली इस आगज़नी के बाद रहस्यमयी तरीके से 1500 से 2000 नए-नवेले बेघर की अगली बैच न जाने कहाँ से प्रगट हो जाती है.*
*🤷‍♂ जली हुई झोपडपट्टी के स्थान पर नई झोपड़ियाँ खड़ी करने वाले ये “नए प्रगट हुए गरीब और बेघर” वास्तव में गरीब होते हैं.*

*👉इन्हें नई झोंपड़ियाँ बनाने, उन झोपड़ियों को किराए पर उठाने और ब्याज पर पैसा चलाने के लिए एक “संगठित माफिया” पहले से ही इन झोपडपट्टी में मौजूद होता है. न तो सरकार, न तो पत्रकार, न तो जनता… कोई भी ये सवाल नहीं पूछता कि जब जली हुई झोपडपट्टी में रहने वाले पूर्ववर्ती लोगों को नई जगह मिल गयी, कुछ को सरकारी सस्ते मकान मिल गए, तो फिर ये “नए गरीब” कहाँ से पैदा हो गए जो वापस उसी सरकारी जमीन पर नई झोपडपट्टी बनाकर रहने लगे??*

*🤔 कोई नहीं पूछता… नई बन रही झोपडपट्टी में ये नए आए हुए “गरीब मेहमान” हिन्दी बोलना नहीं जानते, उनकी भाषा में बंगाली उच्चारण स्पष्ट नज़र आता है…*

*🤔ये “गरीब”(??) दिन भर मुँह में गुटका-पान दबाए होते हैं (एक पान दस रूपए का या एक तम्बाकू गुटका भी शायद दस रूपए का मिलता होगा). इस झोपडपट्टी में आने वाले प्रत्येक “गरीब” के पास चारखाने की नई लुंगी और कुरता जरूर होता है… उनका पहनावा साफ़-साफ़ बांग्लादेशी होने की चुगली करता है.*

*👉नवनिर्मित झोपडपट्टी में महाराष्ट्र के अकाल-सूखा ग्रस्त क्षेत्रों का किसान कभी नहीं दिखाई देता. इन झोपडपट्टी में मराठी या हिन्दुस्तानी पहनावे वाले साधारण गरीब क्यों नहीं दिखाई देते, इसकी परवाह कोई नहीं करता. दो-चार पीढियों से कर्ज में डूबे विदर्भ का एक भी किसान बांद्रा की इन झोपडपट्टी में नहीं दिखता??*

*🤷‍♂ऐसा क्यों है कि बांद्रा स्टेशन के आसपास एक विशिष्ट पह्नावेम विशिष्ट बोलचाल वाले बांग्लाभाषी और “बड़े भाई का कुर्ता, तथा छोटे भाई का पाजामा” पहने हुए लोग ही दिखाई देते हैं??*
*👉 बांद्रा स्टेशन के आसपास चाय-नाश्ते की दुकानों, ऑटो व्यवसाय, अवैध कुली इत्यादि धंधों में एक “वर्ग विशेष” (ये धर्मनिरपेक्ष शब्द है) के लोग ही दिखाई देते हैं??*
*🔥अब अगले साल फिर से बांद्रा की इस झोपडपट्टी में आग लगेगी… फिर से सरकार मुआवज़ा और नया स्थान देगी… फिर से कहीं से अचानक प्रगट हुए “नए गरीब” पैदा हो जाएँगे… झोपडपट्टी वहीं रहेगी अतिक्रमण वैसा ही बना रहेगा… गुंडागर्दी और लूटपाट के किस्से वैसे ही चलते रहेंगे… लेकिन ख़बरदार जो आपने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई…*

*😷 आप तो चुपचाप अपना टैक्स भरिये…. वोटबैंक राजनीति की तरफ आँख मूँद लीजिए. और हाँ!!! यदि आप ये सोच रहे हैं कि यह “गरीबी और आगज़नी का यह खेल” केवल बांद्रा स्टेशन के पास ही चल रहा है, तो आप वास्तव में बहुत नादान हैं… यह खेल बंगाल के कई जिलों में चल रहा है, देश के कई महानगरों में बड़े आराम से चल रहा है, एक दिन यह झोपडपट्टी खिसकते-खिसकते आपके फ़्लैट के आसपास भी आएगी*

*😴तब तक आप चादर ओढ़कर सो सकते है!*

*😈👺यह कोई और नही, आजकल दुनिया के मनपसंद  रोहीगया (रोहिंग्या) शांतिदूत ही है!*

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