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शुक्रवार, 8 मई 2020

कम से कम 6 महीने या समग्र स्थिति में सुधार होने तक इसका पालन करना होगा।

*ध्यानपूर्वक पढ़ें एक महत्वपूर्ण संदेश*।

शहरों व कस्बों में हम सभी को स्थिति से अवगत होना चाहिएे।

एक बार लॉकडाउन आंशिक रूप से/पूरी तरह से उठा लिया जाता है।

हमें यातायात नियमों का पालन करने के लिए जिम्मेदार नागरिक होने की आवश्यकता है और अपने आप को, अपने परिवार और अपने सामान को बचाने में सक्रिय रहें।

जितने भी इन दिनों लाँकडाउन रहेगा, उन सभी दिनों में ज्यादा कमाई नहीं थी, इसलिए नौकरी छूटने/व्यापार पर प्रभाव के कारण असामाजिक घटनाओं में अचानक उछाल आ सकता है।

 1. लोगों को बहुत सावधान रहना होगा। इसमें घर के लोग, बच्चे, स्कूल और कॉलेज जाने वाले लड़के/लड़कियां, कामकाजी महिला/पुरुष शामिल हैं।

 2. इस दौरान हो सके तो महंगी घड़ियाँ न पहनें।

 3. महंगे चेन, चूड़ियां, ईयर रिंग्स न पहनें । अपने हैंड बैग्स के साथ सावधानी बरते ।

 4. पुरुष हाई एंड वॉच, महंगे कंगन और चेन पहनने से परहेज कर सकते हैं।

 5. अपने मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल जनता(सार्वजनिक)में न करें। सार्वजनिक रूप से मोबाइल का उपयोग कम से कम करने की कोशिश करें।

 6. किसी भी अजनबी को हो सके तो वाहन में लिफ्ट न दे।

 7. आवश्यकता से अधिक धन लेकर साथ भ्रमण पर न जाएं।

 8. अपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड को सुरक्षित रखें।

 9. अपने बड़ों, पत्नी और बच्चों के कल्याण के बारे में जानने के लिए समय-समय पर घर पर फोन करते रहें।

 10. घर के बड़ों और लोगों को निर्देश दें कि दरवाजे की घंटी बजाते समय मुख्य दरवाजे से सुरक्षित दूरी बनाए रखें, यदि संभव हो तो ग्रिल गेट को किसी पार्सल या पत्र प्राप्त करने के लिए ग्रिल के करीब न जाने दें।

 11. बच्चों को जितना हो सके समय पर घर जल्दी लौटने की हिदायत दें।

 12. घर तक पहुँचने के लिए किसी भी एकांत या छोटी शॉर्टकट वाली सड़कों का प्रयोग न करें, कोशिश यही करें कि अधिकतम मुख्य सड़कों का उपयोग करें।

 13. जब आप बाहर होते हैं तो अपने आसपास के संघ्दित लोगों पर नजर रखें।

 14. हमेशा हाथ में एक आपातकालीन नंबर होना चाहिए।

 15. लोगों से सुरक्षित दूरी बनाए रखें।

 16. *पब्लिक ज्यादातर मास्क पहेनेगी*। *पहचानना मुश्किल  होगा*।

 17. जो कैब सेवाओं का उपयोग करते हैं, कृपया अपनी यात्रा का विवरण अपने माता-पिता, भाई-बहन, रिश्तेदारों, दोस्तों या अभिभावकों के साथ साझा करें।

 18. सरकारी परिवहन प्रणाली की कोशिश करें और उसका उपयोग करें।

 19. भीड़ वाली बसों से बचें।

 20. अपने दैनिक सैर के लिए जाते समय उजाले में लगभग सुबह 6.00 बजे के आसपास जाएं, शाम को अधिकतम 8:00 बजे तक मुख्य सड़कों का उपयोग करें।  खाली सड़कों से बचें।

 20. मॉल, समुद्र तट और पार्कों में ज्यादा समय न बिताएं।

 21. अगर बच्चों को ट्यूशन क्लासेस अटेंड करना है तो बड़ों को उन्हें लाने एवं छोडने की जिम्मेदारी दें।

 22. अपने वाहनों में कोई कीमती सामान न छोड़ें।

कम से कम 6 महीने या समग्र स्थिति में सुधार होने तक इसका पालन करना होगा।

 आप सभी को साझा करें ...

हमारे देश के लोगों के सर्वोत्तम हित में एक अधिसूचना जारी करने के लिए सभी अधिकारियों से अनुरोध करें।

 *सुरक्षित रहें* 
www.sanwariya.org 

*स्वस्थ रहे*

गुरुवार, 7 मई 2020

#Corona संकट प्राइवेट नौकरी करने वालों के लिए बहुत बड़ा सबक लेकर आया है

#Corona संकट प्राइवेट नौकरी करने वालों के लिए बहुत बड़ा सबक लेकर आया है :-
यह मानकर चलिए कि नौकरी 50 की उम्र तक ही रहेगी ज्यादा से ज्यादा 55 मान लो अगर उसके बाद भी जॉब रहे तो ये आपकी खुशकिस्मती है लेकिन वर्तमान का खर्च और भविष्य की प्लानिंग 50 साल की उम्र के हिसाब से ही करें | मतलब अगर आप 25 साल की उम्र से कमाना शुरू करते हैं और 55 की उम्र तक आपके पास 30 वर्ष कमाई करने के रहेंगे मतलब आप की बचत करने के लिए आपके पास 30 वर्षों का समय है इन 30 वर्ष के बाद रिटायरमेंट के समय आपको जितने रुपए की आवश्यकता पड़ेगी उसका इंतजाम इन्हीं 30 वर्षों में करना है इसके लिए  प्रतिवर्ष एक अनुशासित बचत प्लान में आने वाले वर्षों में गारंटीड मैच्योरिटी अथवा पेंशन प्लान में निवेश करना जरूरी होता है आपकी आज की उम्र के हिसाब से आप पता कर सकते हैं कि 55 की उम्र से पहले आपके पास कितने वर्ष बचे हैं इतने वर्षों में आपको आपकी रिटायरमेंट अथवा पेंशन प्लान का प्रबंध आवश्यक रूप से करना चाहिए नौकरी के साथ आवश्यक बचत अनिवार्य है

2- इस गलतफहमी में मत रहिए कि मुझे काम आता है इसलिए मैं कंपनी के लिए Indispensable हूं क्योंकि आप कंपनी के लिए उतने ही ज़रूरी हैं जितना 'OKay' शब्द में 'AY' जरूरी है, किसी कर्मचारी के जाने से कंपनी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता, कंपनी के लिए आप कितने उपयोगी हैं यह बहुत हद तक आपके बॉस के नज़रिए पर ही निर्भर करता है |

3- (इसकी पालना करनी ज़रा मुश्किल है, पर बात है पते की) बॉस को गाली देने से कभी कोई फायदा नहीं होता, यकीन मानिए बॉस होना आसान नहीं होता क्योंकि दबाव बहुत ज़्यादा होता है, बॉस को भी 24 घंटे कंपनी के बारे में ही सोचना होता है और उसकी भी व्यक्तिगत ज़िन्दगी उतने ही दबाव में होती है जितनी की उसके मातहतों और सहयोगियों की |

4- बचत ज़रूर करिए; नौकरी शुरू होने के साथ ही बचत और निवेश करना भी शुरू करें, याद रखें कि निवेश सिर्फ शेयर मार्केट में नहीं होता बल्कि सेफ ऑप्शन जैसे aditya birla ka  Guaranteed maturity plan, pension plan, child vision star plan, whole life income plan, भी चुन सकते हैं, बैंक में FD से लेकर कमर्शियल एरिया में छोटी सी दुकान खरीदने तक, यह सब आगे जाकर फ़ायदा देंगे। यदि आपकी सैलरी ज्यादा है तो इसका ये मतलब नहीं है कि ख़र्च भी अनाप-शनाप किया जाए, सैलरी ज्यादा का मतलब बचत और निवेश ज्यादा भी हो सकता है | इसके अलावा हॉस्पिटल से संबंधित खर्चो से बचने के लिए नौकरी के साथ हेल्थ इंश्योरेंस अवश्य लेना चाहिए ताकि समय आने पर मेडिकल और हॉस्पिटल के समस्त खर्चे हेल्थ इंश्योरेंस के द्वारा बिना टेंशन के भुगतान किया जा सके
5- घर और गाड़ी अब विलासिता नहीं ज़रूरत हैं इसलिए इन्हें खरीदें ज़रूर लेकिन कोशिश की जाए कि ज़िन्दगी EMI के दुष्चक्र में ना फंस जाए ! EMI-किश्तें आदि जितनी जल्द से जल्द निपट जाएँ उतना अच्छा ! Liability जितनी ज़्यादा होंगी नौकरी की टेंशन उतनी ही ज़्यादा होगी कुछ ऊंच-नीच (नौकरी जाना) हो गया तो उस सूरत में यह liabilities अपने मूल आकार से 10 गुना ज्यादा बड़ी लगती हैं |
6- अगर मुमकिन हो तो आय का दूसरा स्रोत या प्लान-B हमेशा तैयार रखें, नौकरी में रहने के दौरान आपको लग सकता है कि अमुक कंपनी में मेरे पहचान का बंदा है और कुछ इमरजेंसी हो गई तो मदद कर देगा लेकिन यकीन मानिए अगर सड़क पर आ गए तो कोई मदद नहीं करेगा, यह भी ज़रूरी नहीं कि आपकी पहचान का बंदा मदद नहीं करना चाहता यह भी हो सकता है उसकी genuine problem हो और फिलहाल उसके हाथ में कुछ ना हो |
7- ऑफिस में डांट सभी खाते हैं, थोड़ा अपसेट होना स्वभाविक है कोशिश करें कि ऑफिस का तनाव घर ना ले जाएं |
8- मुमकिन हो तो साल में एकाध बार घूमने ज़रूर जाएं.. De Stress और Refresh होने में बहुत मदद मिलती है |
9- साल में एक बार घर (गांव) हर हाल में जाएं, गांव से सम्पर्क कभी ना तोड़ें ! इस बात के लिए मानसिक रूप से अवश्य तैयार रहें की कभी भी झोला-झिमटा समेट कर गांव जाना पड़ सकता है |
10- अगर नौकरी चली जाए तो इस ठसक में मत रहिए कि मैं पुरानी कंपनी में बड़ा काम करता था इसलिए नई जगह भी मुझे वैसा ही काम मिले, जितने नखरे करेंगे उतना ज्यादा टाइम बीतता जाएगा और नई नौकरी मिलने के चांस उतने ही कम होते जाएंगे। खाली दिमाग शैतान का घर वाली कहावत सौ फीसदी सही है खाली वक्त काटने को दौड़ता है।
 11. आजकल क्रेडिट कार्ड का जमाना है बैंक वाले किसी को भी क्रेडिट कार्ड थमा देते हैं और ईएमआई के लिए प्रेरित करते हैं यह एक जाल है इस प्रकार के झांसे में ना फंसे क्रेडिट कार्ड का प्रयोग केवल अपने अकाउंट में जमा रकम के हिसाब से  ही  करें  क्रेडिट कार्ड का भुगतान समय पर करें दिखावे के लिए अनावश्यक खर्च क्रेडिट कार्ड द्वारा ना करें आप अपने क्रेडिट कार्ड का प्रयोग वार्षिक पॉलिसी प्रीमियम भरने अथवा मंथली फिक्स्ड बिल भरने में कर सकते हैं एवं उसका भुगतान नियत तिथि पर ऑटो डेबिट मोड में होना चाहिए ताकि किसी प्रकार के  चार्जेस ना लगे इसके अलावा अनावश्यक खर्चों में क्रेडिट कार्ड का प्रयोग नहीं करना चाहिए
12.  बहुत ज्यादा गोलियों के सेवन या एंटीबायोटिक दवाइयों का सेवन करने से बचना चाहिए जहां तक हो सके आयुर्वेदिक दिनचर्या का पालन करें सप्ताह में अलग-अलग प्रकार के रेस जैसे नींबू पानी आंवले का रस नीम का रस ज्वारे का रस एलोवेरा का रस हल्दी का पानी जीरे का पानी छाछ इत्यादि का सेवन अपनी नियमित दिनचर्या में आवश्यक रूप से सम्मिलित करें इसी प्रकार जंक फूड डिब्बाबंद चीजों से दूरी बनाएं

#नोट - सबसे ज़रूरी सेहत का ख्याल रखें, याद रखिए जब तक आप हैं तभी तक आपके लिए ये दुनिया है और स्वस्थ रहेंगे तो कुछ करने का विकल्प हमेशा मौजूद रहेगा | जागरूक रहें, सजग रहें और बहुत ज़्यादा भरोसे किसी के भी ना रहें ||

सादर/साभार
Kailash chandra ladha 
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#कोरोना #प्राइवेट #नौकरी
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बुधवार, 6 मई 2020

COVID 19 चुनौती या अवसर व्यवस्था परिवर्तन का ?

पोस्ट को पूरा पढ़े, सहमत है तो like के साथ साथ अधिकाधिक शेयर भी करे और यदि कही संशय है, असहमति है तो सबके सकारात्मक विचारो का स्वागत है - 

COVID 19 चुनौती या अवसर व्यवस्था परिवर्तन का ?

विगत लगभग २ माह से पुरे विश्व में कोरोना महामारी के आधुनिक जीवन शैली पर व्यापक प्रभाव को हम सब स्पष्ट रूप से देख पा रहे है | विभिन्न सामाजिक चिन्तक इसे सकारात्मक अथवा नकारात्मक दृष्टी से देख रहे है लेकिन कुछ चिरस्थायी प्राकृतिक प्रभाव जो रूप से स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहे है उस पर गहराई से चिन्तन अवश्य किया जाना चाहिए | यह कहना कतई गलत नहीं होगा की इस महामारी ने दुनिया में कृत्रिम व्यवस्थाओं को अधिक हानि पहुंचाई है, आधुनिकता की चकाचौंध पर सबसे ज्यादा प्रहार किया है | इस संकट में प्राकृतिक संसाधन  तो पहले से बेहतर हुवे है लेकिन सर्वाधिक परेशानी में वही लोग है जो प्रकृति से अधिक दूर हो गये थे, जो जन प्रकृति के निकट थे, वे तो आज भी उतने ही आनंद में है जितने पहले थे | जिन लोगो ने आधुनिकता का स्वाद चखने के लोभ में अपना गाँव, अपना देश, अपना पारिवारिक व्यवसाय छोड़ा, वे ही आज सर्वाधिक परेशानी में जी रहे है | 
आज कोरोना महामारी के इस दौर में जबकि प्रकृति करवट ले रही है, स्वयं को पूर्ण परिष्कृत कर रही है, हमें प्रकृति द्वारा मानव जाति को दिए जा रहे इस सन्देश को समझने का प्रयास करना होगा | जिस आर्थिक युग की तरफ हम दौड़े चले जा रहे थे, क्या भविष्य में यह मानव जीवन के लिए बेहतर व्यवस्था कही जा सकती है ? क्या एक मजदुर जो की अपने गाँव को, परिवार को, पारिवारिक व्यवसाय को छोड़कर, शहर में गया था नौकरी के लिए और आज केवल १ माह के लॉक डाउन के चलते यदि उसके भूखे मरने की नौबत आ जाती है तो ऐसा रोजगार करके क्या हासिल किया उसने ? इससे तो कही गुना बेहतर वो किसान भी है जो पारंपरिक कृषि या पशुपालन में बहुत अधिक नवाचार नही कर सका फिर भी जितना कर पाया, उसी से अपने भरण पोषण के लिए दूसरो पर निर्भर नहीं है | 
आने वाले समय में बहुत से रोजगारो पर मंदी, या कर्जे की मार बढ़ने से हो सकता है की शहरी क्षेत्र के रोजगार के अवसरों पर गहरा असर पड़े | क्या ऐसे में हम सबको प्रकृति द्वारा दिए जा रहे स्पष्ट सन्देश को समझने का प्रयास नहीं करना चाहिए | क्या इस परिस्थिति में जबकि हर गाँव की सीमा को सील करना आवश्यक होता जा रहा है, गाँधी जी के ग्राम स्वराज की परिकल्पना, अथवा पुरातन आत्मनिर्भर भारतीय व्यवस्था पर गहन चिन्तन, अधिक प्रासंगिक नहीं हो रहा है ? कोरोना जैसी महामारियो से उत्पन्न अनिश्चितताओ को देखते हुवे क्या आने वाले समय के लिए हमें अर्थव्यवस्था के ऐसे प्रारूप पर चिन्तन नहीं करना चाहिए जिसमे गाँव का व्यक्ति, गाँव में ही रहकर, गाँव के लिए ही कार्य करते हुवे ग्राम स्वराज के स्वप्न को साकार करने के संकल्प में अपना दायित्व निर्धारण करे ? 
विगत २ माह के गृहवास (लॉक डाउन) ने यह भी स्पष्ट कर दिया की दुनिया भर के आधुनिक सुख सुविधाओ, आडम्बरो आदि के बिना भी घर में बड़े आनंद के साथ रहा जा सकता है | गाँव का प्रत्येक व्यक्ति यह तय कर ले की गाँव की रोजमर्रा की हर आवश्यक वस्तु जो की गाँव में ही निर्मित की जा सकती है या उपलब्ध करायी जा सकती है वह वस्तु कोई ग्रामवासी गाँव के बाहर से नहीं लेगा, अपने ग्राम को विकसित करने के लिए, ग्राम में रहने वालो के रोजगार की व्यवस्था के लिए, गाँव को उजड़ने से बचाने के लिए हर ग्रामवासी को यह संकल्प लेना ही होगा | स्वदेशी की कल्पना को स्वग्राम तक समझना होगा | जो वास्तु ग्राम में उपलब्ध नहीं हो सकती या निर्माण नहीं हो सकती उसके लिए गृहजिले से आपूर्ति की जाये | जो जिले में संभव नहीं है उसकी आपूर्ति राज्य स्तर पर और जो राज्य में नहीं हो सकता केवल उसकी आपूर्ति राष्ट्रीय स्तर पर की जाए | लेकिन रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं का केन्द्रीयकरण ही अर्थव्यवस्था पर बहुत अधिक घातक सिद्ध हो रहा है | आज यदि लॉक डाउन कुछ हद तक असफल रहा है या बार बार बढ़ाना पड़ रहा है तो उसका सबसे मुख्य कारण इन वस्तुओ की आपूर्ति के लिए बाह्य आपूर्तिकर्ताओ पर निर्भर होना भी रहा है | 
आज समय आ गया है जबकि युवा वर्ग को अपनी सोच में बदलाव लाते हुवे अपनी जमीन से जुड़ना पडेगा, कृषि और पशुपालन, क्षेत्रीय विशिष्टता सम्बन्धी नवाचारो के माध्यम से अपने अपने ग्राम को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे | ग्राम स्तर पर राजनैतिक नेतृत्व (पंच-सरपंच आदि) को ग्रामवासियों को जागरूक करते हुवे, युवाओ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सबको साथ लेकर ग्राम स्वराज की कल्पना को साकार करने हेतु पुरातन भारतीय व्यवस्था और विभिन्न नवाचारो पर चर्चा करनी होगी | अपने ग्राम को आत्म निर्भर बनाने हेतु स्वावलंबन आधारित योजनाऐ बनाकर समस्त ग्रामवासियो को विश्वास में लेकर स्वयं नेतृत्व करते हुवे सामूहिक संकल्प करने होंगे | गाँव के लिए जल, जमीन, शिक्षा, रोजगार व विभिन्न संसाधनों आदि के लिए सरकारों पर आश्रित रहने की बजाय सामूहिक संकल्प करते हुवे स्वयं इन व्यवस्थाओ की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सकारात्मक निर्णय और प्रयास करने होंगे | यदि गाँव का प्रत्येक व्यक्ति पूरी निष्ठा से अपने ग्राम को स्वयं के प्रयासों से स्वावलंबी बनाने का संकल्प कर लेगा तो प्रकृति स्वयं हर कदम पर साथ देगी, इसमें कोई संशय नहीं है | यदि इस प्रकार से देश के गाँव स्वावलंबी होने लगेंगे तो देश अवश्य आत्मनिर्भर हो जाएगा, देश की सबसे बड़ी समस्या रोजगार का हल निकल पायेगा | 
मेरा युवा पीढी, विशेषकर जो हाल ही में नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधि है उनसे विशेष अनुरोध है की जिस प्रकार संकट के इस समय में हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी देशवासियों को संबोधित करते हुवे हर देशवासी को साथ लेकर चलने का प्रयास करते है उसी भांति वे भी आगे आये, ग्रामवासियों से संपर्क कर उन्हें इस ग्राम स्वराज की संकल्पना से अवगत कराते हुवे सबकी सहमति बनाने का प्रयास करे | पशुपालन, जैविक कृषि, भूसंरक्षण एवं संवर्धन, जल संरक्षण, ग्राम्य पर्यटन, गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था, आयुर्वेद चिकित्सा जैसे अन्यान्य आयामों पर सबके साथ मिलकर विचार विमर्श कर अपने दम पर छोटी से लेकर बड़ी योजनाये बनाये | अधिकाधिक जन सहभागिता सुनिश्चित करते हुवे प्रत्येक ग्रामवासी का दायित्व निर्धारण करे और उनकी व्यवस्थित परिणिति भी सुनिश्चित करे | 
यदि आप युवा है अथवा नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधि है, यदि आप अपने क्षेत्र के उत्थान के लिए हरसंभव प्रयास करना अपना दायित्व समझते है, तो आइये सबसे पहला कदम हम स्वयं उठाये, देश का सबसे पहला आत्मनिर्भर गाँव बनाने का तबगा अपने नाम करे | यदि आप ऐसा करने में सफल हो जाते है तो जाने अनजाने में, प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से आप प्रकृति की, अपने देश की कितनी बड़ी सेवा करेंगे, कितनी समस्याओं का समाधान प्रस्तुत कर देंगे, उनको शब्दों में बखान करना इस पोस्ट में संभव नहीं हो सकता | सच्चे अर्थो में यही राष्ट्र की सेवा होगी, मानवता की सेवा होगी, प्रकृति एवं स्वयं नारायण की पूजा होगी |

जितेन्द्र लड्ढा
स्वतंत्र विचारक, राजसमन्द

बुधवार, 29 अप्रैल 2020

अभी जिंदा रहने की उपयोगी सावधानियां #COVID19

अभी जिंदा रहने की उपयोगी  सावधानियां
अपने पूरे परिवार को बचाना हो तो इस उपयोगी (होमवर्क) सावधानियों को जरूर अमल  करे

    अगर हम इन बारीक बातो पर ध्यान  देंगे तभी सुरक्षित रह सकते है, देखे कितनी बारीक बाते हो सकती है corona से सावधानी के लिए, बचना है तो करना ही पड़ेगा ।  इसे बार बार पड़े, यही जीवन है

जैसे
1-  नोट की अदला बदली करना, थूक लगाकर नोट गिनने से बचे । वापस आए हुए पैसे को 3 दिनों तक न छुए जरूरी हो तो प्रेस करले ।
 2 - सब्जी को सलाद के रूप में कच्ची खाने में सावधानी बरते, धनिया, पालक से भी बचें , 
 3 - सब्जी काटते वक़्त  सब्जी फैलाकर न काटे,  जिस बर्तन में सब्जी रखी हो बाद में इन्हीं बर्तनों को, चाकू व हाथ को साबुन से धो ले । 
हो सके तो सूखी सब्जियां खाएं ।
4 - बाहर जाकर कहीं भी बेंच पर न बैठे ।  बाहर की हर वस्तु से टकराने से बचे।
5 - यदि घर के थोड़े भी बाहर गए हो चाहे टहलने या सब्जी के लिए तो रोड से आकर  अपनें पैरो को व चप्पल को घिसकर सर्फ के पानी से फिर हाथ को साबुन से 20 सेकंड तक बाहर ही धोए । रोड पर भी संक्रमण हो सकता है, इसलिए।
6 - यदि ज्यादा देर तक बाहर गए हो तो  हाथ पैर धोकर सीधे बाथरूम जाकर सभी कपड़े को गर्म पानी में भिगो दे फिर नहा ले ।   
7 - बाहर जाते वक़्त मोबाइल पन्नी में रखे बाद ने वहीं पन्नी फेक दे या मोबाइल को बाहर जाते समय न छुए जरूरी हो तो स्पीकर मोड़ पर बात करे । मोबाइल बड़ा खतरा है, इसलिए बाहर होने पर इसे हाथ न लगाए ।
8 -  गेस की टंकी व पास-बुक को 4-5 दिन तक न छुए ।
9 - किसी से बात करते  हुए मूह से थूक उड़ता ही है इसलिए हमेशा मास्क पहने, दूरी बनाकर बात करे।
10 - मित्र पड़ोसी के साथ ओवर कॉन्फिडेंस में एकजुट होकर पास पास न बैठे।
11- किसी ने भोजन दिया हो तो रोटी सब्जी को दुबारा गर्म करना न भूले ।
12 - गमछा, रुमाल, या मास्क पर बार बार हाथ लगाने से खतरा our jyada होता है, उसको रोज धोए । मास्क ,गमछा, रुमाल,  एक ही साइट से पहने । ऊपरी हिस्सा अंदर कभी न आने पाए।
13 - बाहर से आई हुई प्रत्येक वस्तु को जल्दी हाथ न लगाए बहुत सी पालीथीन वाली चीजों को सर्फ से अच्छी तरह से धोए या गर्म पानी में खाने वाला सोड़ा डालकर धूप में रखे । दवाई (रेपर)को तो अवश्य ही साबुन से धोए  
14 - सब्जी, फल के ठेले वालों व कचरे की गाड़ी से दूरी बनाए।
15- राशन की दुकान पर कोई जाए तो वहां बहुत ही ज्यादा सावधानी रखे ।
16- बाहर जाते समय मास्क व चस्मे का उपयोग भी ज्यादा से ज्यादा करे, क्योंकि आख में हाथ लग सकता है ।
17-  3 लेयर के कपड़े के 2- 3 मास्क रखे, उसे बार बार धोए व बदले। मास्क को बीच  से कभी न छुएं साईट से ही पकड़े
18-  अपने किचन में मक्खी, काक्रोच, छिपकली, व चूहे न आने दे सभी खाने की हर वस्तु को ढककर रखें व बर्तन दुबारा धोकर युज करे ।
19 - घर में बाथरूम में, सीढ़ी पर ध्यान से चले, अभी docter की कमी है .
20 - देर तक सांस रोकने की प्रैक्टिस व अन्य योगा भी करे । गुड अदरक, हल्दी, तुलसी, लोंग, काली मिर्च का उपयोग काडे के रूप में अपने हिसाब से करे ।
21- हींग का व अन्य सभी मसाले का उपयोग खाने में जरूर करे

WWW.SANWARIYA.ORG
     ये सब सावधानी हटी बहुत बड़ी दुर्घटना घटी, आपकी ये सब *असावधानियां* पूरे परिवार को ले डूबेगी । कृपया लापरवाह व *ज्यादा बहादुर न बने ।* ये बात सभी को बता सकते है, समझा सकते है , *
*ये आपका फर्ज है इस वक़्त ।*ये बातें भोजन से भी महत्वपूर्ण है* I  इसे *बार बार पोस्ट* करने में *शर्म न करे,* ये पोस्ट सबके लाईफ की सबसे *महत्वपूर्ण* है🙏 राधे राधे धन्यवाद

गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं

हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी , 

पहला चरण   -   कैंची 

दूसरा चरण    -   डंडा 

तीसरा चरण   -   गद्दी ...

तब साइकिल चलाना इतना आसान नहीं था क्योंकि तब घर में साइकिल बस पापा या चाचा चलाया करते थे. 
तब साइकिल की ऊंचाई 24 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना मुनासिब नहीं होता था।

"कैंची" वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे।

और जब हम ऐसे चलाते थे तो अपना सीना तान कर टेढ़ा होकर हैंडिल के पीछे से चेहरा बाहर निकाल लेते थे, और "क्लींङ क्लींङ" करके घंटी इसलिए बजाते थे ताकी लोग बाग़ देख सकें की लड़का साईकिल दौड़ा रहा है।

आज की पीढ़ी इस "एडवेंचर" से महरूम है उन्हे नही पता की आठ दस साल की उमर में 24 इंच की साइकिल चलाना "जहाज" उड़ाने जैसा होता था।

हमने ना जाने कितने दफे अपने घुटने और मुंह तोड़वाए है और गज़ब की बात ये है कि तब दर्द भी नही होता था, गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपना हाफ कच्छा पोंछते हुए।

अब तकनीकी ने बहुत तरक्क़ी कर ली है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में ।

मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर संतुलन बनाना जीवन की पहली सीख होती थी!  "जिम्मेदारियों" की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं ।

इधर से चक्की तक साइकिल ढुगराते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए !

और यकीन मानिए इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी।

और ये भी सच है की हमारे बाद "कैंची" प्रथा विलुप्त हो गयी ।

हम लोग  की दुनिया की आखिरी पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा !

*पहला चरण कैंची*

*दूसरा चरण डंडा*

*तीसरा चरण गद्दी।*

● *हम वो आखरी पीढ़ी  हैं*, जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, प्लेट में चाय पी है।

● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल खेले हैं।

● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने कम या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और नावेल पढ़े हैं।

● *हम वही पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात, खतों में आदान प्रदान किये हैं।

● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही  बचपन गुज़ारा है।

● *हम वो आखरी लोग हैं*, जो अक्सर अपने छोटे बालों में, सरसों का ज्यादा तेल लगा कर, स्कूल और शादियों में जाया करते थे।

● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी,  किताबें, कपडे और हाथ काले, नीले किये है।

● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है।

● *हम वो आखरी लोग हैं*, जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर, नुक्कड़ से भाग कर, घर आ जाया करते थे।

● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने गोदरेज सोप की गोल डिबिया से साबुन लगाकर शेव बनाई है। जिन्होंने गुड़  की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है। 

● *हम निश्चित ही वो आखिर लोग हैं*, जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो और बिनाका जैसे  प्रोग्राम सुने हैं।

● *हम ही वो आखिर लोग हैं*, जब हम सब शाम होते ही छत पर पानी का छिड़काव किया करते थे। उसके बाद सफ़ेद चादरें बिछा कर सोते थे। एक स्टैंड वाला पंखा सब को हवा के लिए हुआ करता था। सुबह सूरज निकलने के बाद भी ढीठ बने सोते रहते थे। वो सब दौर बीत गया। चादरें अब नहीं बिछा करतीं। डब्बों जैसे कमरों में कूलर, एसी के सामने रात होती है, दिन गुज़रते हैं।

● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होने वो खूबसूरत रिश्ते और उनकी मिठास बांटने वाले लोग देखे हैं, जो लगातार कम होते चले गए। अब तो लोग जितना पढ़ लिख रहे हैं, उतना ही खुदगर्ज़ी, बेमुरव्वती, अनिश्चितता, अकेलेपन, व निराशा में खोते जा रहे हैं। *हम ही वो खुशनसीब लोग हैं, जिन्होंने रिश्तों की मिठास महसूस की है...!!*

*हम एक मात्र वह पीढी है*  जिसने अपने माँ-बाप की बात भी मानी और बच्चों की भी मान रहे है. 

ये पोस्ट जिंदगी का एक आदर्श स्मरणीय पलों को दर्शाती है l

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