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बुधवार, 15 जुलाई 2020

कार के नंबर प्लेट से इसके मालिक का नाम पता चल सकता है


इसके लिए दो एप्लीकेशन और एक लिंक आपके साथ साझा करता हूँ |
1. पहला एंड्राइड एप्प जिसका नाम है -RTO Vehicle Information [1] इसे आप प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं |
जब आप इसे खोलेंगे तब आप के पास यह विकल्प आयेगा |
इसमें आप किसी भी वाहन की जानकारी ले सकते हैं सिर्फ नंबर प्लेट की संख्या डाल कर |
इसके अलावा आप इस एप्प में अपने लाइसेंस की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं |
एक बात ध्यान दें - यह एक आधिकारिक आरटीओ ऐप नहीं है।
2. आधिकारिक आरटीओ ऐप के लिए आप mParivahan[2] डाउनलोड करें |
इसमें भी आप केवल नंबर प्लेट की संख्या डाल कर सभी जानकारी पा सकते हैं |
इस ऐप के मुख्य लाभ हैं -
  • केवल पंजीकरण संख्या दर्ज करके किसी भी दुर्घटनाग्रस्त, लम्बे समय से पार्क किये या चोरी हुए वाहन का विवरण प्राप्त कर सकते हैं ।
  • अपने वाहन पंजीकरण का विवरण सत्यापित कर सकते हैं ।
  • यदि आप सेकेंड हैंड कार खरीदना चाहते हैं तो उम्र और पंजीकरण विवरण सत्यापित कर सकते हैं।
  • समय रहते दुर्घटना की जानकारी दे कर एम्बुलेंस को बुला सकते हैं |
3. इसके अलावा आप सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की वेबसाइट से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |

आशा है ये जानकारी आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी | धन्यवाद |
फुटनोट
[2] mParivahan - Apps on Google Play

इलेक्ट्रॉनिक Mobile, Laptop, Computers बेचते समय DATA को Permanentely Delete कैसे करे?

इलेक्ट्रॉनिक Mobile, Laptop, Computers बेचते समय DATA को Permanentely Delete कैसे करे?

अक्सर लोगों को ये भरम होता है कि सिंपल File Delete या फिर Permanent Delete जो कि SHIFT +Delete के संयोजन से किया जाता हैं इससे File Permanent Delete हो जाती हैं जबकि ऐसा नहीं हैं वो फाइल लम्बे समय तक ऐसे एरिया में Preserve यानि save सुरक्षित हो जाती हैं जिसे कुछ सॉफ्टवेयर जिन्हे Data Recovery software कहा जाता हैं उनसे वापस पायी  जा सकती हैं। फिर भी आजकल कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर हैं जिनकी सहायता से कुछ हद्द तक आपके Data को हमेशा के लिए Delete किया जा सकता हैं। पहले हम इस बात को समझेंगे कि फाइल Delete होने के बाद वो कहाँ जाती हैं।
वैसे यूजर को इस बात से अवगत होना जरुरी हैं कि जो सवेंदनशील Data वो डिलीट कर रहे हैं वो चंद सॉफ्टवेयर के द्वारा वापस पाया जा सकता हैं और और ये बहुत बड़ा खतरा है आपकी प्राइवेसी के लिए। ऐसे कई केस हुए हैं जब कोई अपने कंप्यूटर लैपटॉप और मोबाइल में Data डिलीट करके उसको बेच देता है और कई लोग Data रिकवरी से उनका डाटा रिकवर कर लेते हैं हो सकता हो उसमे यूजर की निजी तस्वीरें या वीडियो हो ऐसे में वो Data लीक होने की संभावना हो जाती हैं और फिर शुरू हो जाती हैं ब्लैकमेलिंग। ऐसे में आपको हमेशा सतर्कर्ता से Data को डिलीट करके ही किसी को ऐसी चीज़ें बेचनी चाहिए।
Data डिलीट होने के बाद जाता कहा हैं ?
Data डिलीट होने के बाद रीसायकल बिन में जाता हैं और फिर वहाँ से भी अगर आप डिलीट करेंगे तो भी वो Data आपके सिस्टम पर ही रहता हैं। डिलीट हुआ Data टुकड़ो में सिस्टम के ही फ़ोल्डर्स में सेव हो जाता हैं और समय दर समय डिलीट हुए Data से बदलता रहता हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम डिलीट किये हुए Data को फाइल एलोकेशन टेबल की मदद से विभिन डायरेक्टरी में सेव कर देता है।
अब बात करेंगे की Data को परमानेंटली delete कैसे करे?
देखिये डिलीट हुए Data को परमानेंट डिलीट करने का एक ही तरीका हैं और वो हैं उसको Rewrite करके ही करा जा सकता हैं इसके लिए एक अच्छा सा टूल हैं वो मैं आपको बताने जा रहा हु।
इस सॉफ्टवेयर का नाम हैं इरेज़र जो कि Data को Multipal time write करता हैं और Data रिकवर होने की सम्भावना को शून्य कर देता हैं। ध्यान रहे इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग करने पर आप Data को किसी भी हाल में रिकवर नहीं कर पाएंगे इसलिए सोच समझ कर ही डाटा को इरेस करे। ये Data को परमानेंटली डिलीट करने में थोड़ा समय लेता हैं। टूल फ्री हैं और आप चाहे तो इसका यूज करके देख सकते हैं।
डिलीट किया हुआ Data कैसे वापस पाए ?
ये तरीका तब काम आता हैं जब आप इरेज़र जैसे सॉफ्टवेयर यूज़ नहीं किया हो मतलब डिलीट किया हुआ Data इरेज़र सॉफ्टवेयर से नहीं किया गया हो। वैसे तो बाज़ार में बहुत सारे सॉफ्टवेयर हैं पर मैं यहाँ आपको सबसे बेस्ट बताने वाला हूँ जिसका रिकवरी रेश्यो 95%हैं
इमेज सोर्स :- lsoft technologies
इस सॉफ्टवेयर को यूज करना थोड़ा जेब ढीली कर सकता हैं फिर भी आप चाहे तो ट्रायल ले कर इससे इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें अपना पार्टीशन या डिस्क सेलेक्ट करके आप को सिर्फ लास्ट चांस का ऑप्शन दबाना हैं और अपनी फाइल का प्रकार सेलेक्ट करना हैं कि वो फाइल मूवी की थी या फिर फोटो या कुछ और। और फिर ये सॉफ्टवेयर फाइल रिकवरी करना शरू कर देता हैं।
इलेक्ट्रॉनिक सामान बेचते समय कुछ सावधानियाँँ
  1. अपने सामान को बेचने से पूर्व उसके डाटा को अच्छे से कहींं और सेव कर लेंं और फिर उसे परमानेंटली delete कर देंं। अगर आप मोबाइल में हैं तो आप रिकवरी मोड में जा कर क्लीन Data और cache ऑप्शन से दो या तीन बार करके Data को परमानेंटली रिमूव कर सकते हैं (ध्यान रहे पुलिस और फॉरेंसिक लैब एक्सपर्ट इस Data को वापस पाने में कामयाब हो सकते हैं क्योकि उनके पास बेहतर टूल और टेक्निशन्स होते हैं। अगर कोई पुलिस केस हैं तो ये तरीका काम नहीं करता हैं। )
  2. अगर आपका निजी Data सवेंदनशील हैं तो आप डबल श्योर हो सकते हैं रिकवरी करके देखिये सॉफ्टवेयर से कि वो Data वापस आता है या नहीं।
  3. वेबकेम और मोबाइल कमरे को निजी कार्य करते समय विपरीत डायरेक्शन में रखना चाहिए या फिर वेबकेम के कैमरे को ब्लैक टेप लगा देनी चाहिए।
  4. अपने Data को हमेशा बैकअप ले कर रखेंं। आप बैकअप पेन ड्राइव या फिर पोर्टेबल हार्ड ड्राइव में भी रख सकते हैं।
  5. ध्यान रहे आपका Data ऑनलाइन जा सकता हैं और अमूमन काफी केसेस में ये भी देखने को मिला हैं जिनका निजी Data ऑनलाइन डाला गया उनको ज़िंदगी भर इस बात का पता ही नहीं चला। ऐसे में सतर्कता ही बचाव हैं।
  6. आजकल कपल्स का नया फैशन चला हैं खुद की न्यूड फोटो और वीडियो को मोबाइल और कंप्यूटर लैपटॉप में रखने का ऐसे में वो खतरा खुद ही मोल लेते हैं। सिर्फ डिलीट भर से वो Data कभी डिलीट नहीं होता और किसी और के हाथ में जाने पर रिकवरी से वो Data वापस आ सकता हैं। ऐसे में खुद की और दूसरे की ज़िंदगी का भी ख्याल करे।

आधार कार्ड से कितनी सिम एक्टिव हैं पता लगाया जा सकता है


इसके लिए आपको आधार की वेबसाइट uidai पर जाना पड़ेगा
यहां आप माय आधार पर क्लिक करेंगे >
इसमें आपको आधार सर्विस में आपके आधार कार्ड संबंधित सारी जानकारिया उपलब्ध है।
यहां नीचे आपको मिलेगी आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री इसमें आपको आपने आधार कार्ड से ऑथेंटिकेशन के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी।
धन्यवाद
सभी चित्र गूगल इमेज से साभार
चित्रों का अधिकार मालिक के पास सुरक्षित है

मोबाइल टाइप सी केबल क्या हैं? माइक्रो यूएसबी केबल की जगह टाइप सी केबल क्यों?

समय बदलता है तो समस्याएं भी बदलती हैं, और समस्याएं बदलती हैं तो उनके solution भी बदलते हैं. एक समय ऐसा था कि हर मोबाइल कंपनी के अलग अलग चार्जर होते थे, जैसे नीचे चित्र मे देख सकते हैं..
उस समय डाटा ट्रांसफर के बजाय सिर्फ चार्जिंग को मुख्य अहमियत दी जाती थी, लेकिन जैसे जैसे समय बदला तो आवश्यकताएं भी बदली, nokia का बारीक़ पिन बेहद फेमस था परन्तु केवल चार्ज के लिए बाद मे माइक्रो usb ने सारी अन्य पिनो को चलन से बाहर कर दिया, कारण, फ़ास्ट चार्जिंग और तेज़ डाटा ट्रांसपोर्ट दोनों एक साथ मिलने लगे. आज भी बाजार मे माइक्रो usb पिन का उतना ही बोलबाला है.
आज जब हम 4g या 5g कि बात करते हैं तो हमें बहुत तेज़ डाटा ट्रांसफर करने वाली डिवाइस और वैसी ही एक्सेसरीज कि जरूरत पड़ेगी, तो सामने आया type C केबल, इसके कोई अलग फायदे नहीं हैं, बस ये समझ लीजिये कि माइक्रो usb 40 प्रतिशत एफिसिएंट हैं तो type C 80 प्रतिशत तक उससे आगे हैं.
पहले आप अलग अलग प्रकार के type के कनेक्टर के बारे me जान लीजिये.
चित्र मे आप type A, B, mini, micro आदि प्रकार के पिन और पोर्ट देख सकते हैं इनको अलग अलग कार्यों के लिए प्रयोग किया जाता हैं. जैसे type A और B मे एक्सेसरीज के हिसाब से हम usb 1.0 या 2.0 कह सकते हैं, ये काफ़ी कम डाटा ट्रांसफर के लिए प्रयोग कि जाती थी, विशेषतया पुराने कंप्यूटरों और गेमिंग कंसोल मे.
बाद मे इन्ही type A तथा B का उन्नत संस्करण को हम usb 3.1 कहते हैं जिनमे अधिक मात्रा मे डाटा ट्रांसफर हो जाता था, आज भी कई उपकरणों मे ये पोर्ट कॉमन हैं, लेकिन जैसा कि आप जानते हैं जैसे जैसे डिवाइसेस का आकर छोटा हो रहा हैं और दक्षताये बढ़ती जा रही हैं तो कुछ ही समय बाद सभी जगह type c कनेक्टर्स देखे जा सकेंगे. माना जाता हैं कि type c कनेक्शन, HDMI से भी अधिक सुविधाजनक और यूजर फ्रेंडली हैं, सबसे अच्छी खूबियों मे से एक ये हैं कि आप आंखे बंद करके भी इसे कनेक्ट कर सकते हो क्युकी इसमें उल्टा या सुल्टा लगने जैसी कोई समस्या नहीं हैं अँधेरे मे भी आप इसे किसी भी तरफ से अपनी डिवाइस मे लगा सकते हैं, साथ ही 4g या 5g जैसे नेटवर्क के लिएये सबसे बेहतर विकल्प हैं. ये 10 GBPS तक का डाटा और 110 वाट तक कि बिजली बेहद जल्दी आपके उपकरण मे पहुंचा सकता हैं. आजकल सभी फ़ास्ट चार्जर के सही यही केबल मिलता हैं.
इस बात से भी आप वाकिफ होने चाहिए कि बहुत कम समय बाद ये type c भी चलन से बाहर हो जायेंगे और भविष्य मे उस समय कि जरूरत के हिसाब से कोई नयी तकनीक सामने आएगी, जो 100 GBPS से अधिक डाटा ट्रांसफर करने के लिए बनी होंगी, क्यूंकि समय बदलता हैं तो आवश्यकताएं भी बदलती हैं.
धन्यवाद.

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