यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 29 अगस्त 2020

बॉलीवुड का जिसने नंगाई और उच्श्रृंखलता के ऐसे प्रतिमान गढ़े की कमाठीपुरा की नगरवधुएं भी शर्मा जाएं।

सॉरी बाबू .....
उध्दव की सरकार खतरे मे  है, आदित्य ठाकरे की नींद उड़ी हुई है, सूरज पंचोली की सांसें उखड़ी हुई है, महेश भट्ट  की पोल खुल रही है, पूरी बॉलीवुड मुसीबत में है, मुंबई पुलिस पर शक के बादल मंडरा रहे हैं उसकी विश्वसनीयता खतरे में है, सबसे तेज चैनल की टीआरपी 60 परसेंट तक घट गई है। एक गुमनाम सी स्ट्रगलर रिया चक्रवर्ती के कारण मुंबई की शान बॉलीवुड और उसकी स्कॉटलैंडयार्ड सरीखी पुलिस दोनों की छवि तार-तार हो चुकी है।

क्या लगता है यह सिर्फ सुशांत सिंह की हत्या के कारण हो रहा है?  नहीं बाबू यह तो एक बहाना है, एक मौका है जिसकी तलाश बहुत दिनों से देश का बहुसंख्यक हिंदू समाज प्रतीक्षा कर रहा था। यह आक्रोश है पिछले दो पीढ़ियों के नैतिक और सामाजिक पतन की जिम्मेवार उस बॉलीवुड का जिसने नंगाई और उच्श्रृंखलता के ऐसे प्रतिमान गढ़े की कमाठीपुरा की नगरवधुएं भी शर्मा जाएं। कमीनगी को धर्म और बेहूदगी को ईमान बनाओगे तो  ये दिन तो देखने ही पड़ेंगे।

तुम्हारे छीछालेदारी से हम बहुत खुश हो रहे हैं और खुश भी क्यों ना हों । हॉलीवुड ने जो दोहरी मानसिकता दिखाई है उसका पाप तो तुम्हें भोगना ही था। पादरी और मौलवी को दीन का पक्का और साधु-संतों को हमेशा चोर, बेईमान और अत्याचारी दिखाना, हर मुस्लिम देशभक्त और हिंदू गद्दार, बिल्ला नo 786 से पाकिस्तगी और श्री108 से घृणा, भजन से दूरी और अली मौला से  लगाव, शंकर भगवान का अपमान और अजान से मुहब्बत.....ड्रग्स..... नारकोटिक्स,.....माफिया....मर्डर....
आतंकवाद......उफ्फ तेरी कुकर्मों की फेहरिस्त तो खत्म होने का नाम ही नही ले रही। जो बोओगे वही तो काटोगे।
सॉरी बाबू।

शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

विक्रमादित्य का काल प्रभु श्रीराम के राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है

#सोने_की_चिड़िया_वाले_देश_का_असली_राजा_कौन ?
बड़े ही शर्म की बात है कि #महाराज_विक्रमादित्य के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है, जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, और स्वर्णिम काल लाया था ।

★उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन , जिनके तीन संताने थी , सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य...बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी , जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द , आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , फिर मैनावती ने भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली ।
★आज ये देश और यहाँ की संस्कृति केवल विक्रमादित्य के कारण अस्तित्व में है
अशोक मौर्य ने बोद्ध धर्म अपना लिया था और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था
भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था, देश में बौद्ध और जैन हो गए थे ।
----------
★रामायण, और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया
विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया
विक्रमादित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् लिखा, जिसमे भारत का इतिहास है
अन्यथा भारत का इतिहास क्या मित्रो हम भगवान् कृष्ण और राम को ही खो चुके थे
हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे,
उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , राज अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को दे दिया , वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है ।
--------------
★महाराज विक्रमादित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया
उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है
विक्रमादित्य के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यपारी सोने के वजन से खरीदते थे
भारत में इतना सोना आ गया था की, विक्रमादित्य काल में सोने की सिक्के चलते थे , आप गूगल इमेज कर विक्रमादित्य के सोने के सिक्के देख सकते हैं।
----------------
★हिन्दू कैलंडर भी विक्रमादित्य का स्थापित किया हुआ है
आज जो भी ज्योतिष गणना है जैसे , हिन्दी सम्वंत , वार , तिथीयाँ , राशि , नक्षत्र , गोचर आदि उन्ही की रचना है , वे बहुत ही पराक्रमी , बलशाली और बुद्धिमान राजा थे ।
कई बार तो देवता भी उनसे न्याय करवाने आते थे ,
विक्रमादित्य के काल में हर नियम धर्मशास्त्र के हिसाब से बने होते थे, न्याय , राज सब धर्मशास्त्र के नियमो पर चलता था
विक्रमादित्य का काल प्रभु श्रीराम के राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जहाँ प्रजा धनि और धर्म पर चलने वाली थी ।
------------
पर बड़े दुःख की बात है की भारत के सबसे महानतम राजा के बारे में कांग्रेसी और वामपंथीयों का इतिहास भारत की जनता को शून्य ज्ञान देता है ।
""इस पोस्ट को आप गर्व से शेयर करें ताकि जन जन तक मेरा यह संदेश पहुंचे और पोस्ट की सार्थकता सिद्ध हो ""
                           जय जय महाकाल

भाजपा मोदी से पहले और मोदी के बाद

*read full story*
*दीपक चौरसिया जाने-माने पत्रकार ने जो कुछ कहा एवं लिखा है उसे आप लोगों से शेयर करने से बाध्य हूँ क्योंकि इसमे सच्चाई है, और मुझे बहुत पसन्द आई।*

*भाजपा मोदी से पहले और मोदी के बाद*
********************************

जब तक भाजपा वाजपेयीजी की विचारधारा पर चलती रही, वो राम के बताये मार्ग पर चलती रही। मर्यादा, नैतिकता, शुचिता इनके लिए कड़े मापदंड तय किये गये थे। परन्तु   कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी।

जहाँ करोड़ों रुपये के घोटाले- घपले करने के बाद भी कांग्रेस बेशर्मी से अपने लोगों का बचाव करती रही, वहीं पार्टी फण्ड के लिए मात्र एक लाख रुपये ले लेने पर भाजपा ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्षमण को हटाने में तनिक भी विलंब नहीं किया। 
परन्तु चुनावों में नतीजा??
वही ढाक के तीन पात...

झूठे ताबूत घोटाला के आरोप पर तत्कालीन रक्षामंत्री जार्ज फर्नांडिस का इस्तीफा, 
परन्तु चुनावों में नतीजा?? 
वही ढाक के तीन पात...

कर्नाटक में येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते ही येदियुरप्पा को भाजपा ने निष्कासित करने में कोई विलंब नहीं किया.....
परन्तु चुनावों में नतीजा??? 
वही ढाक के तीन पात...

खैर....
फिर  होता है नरेन्द्र मोदी का पदार्पण । मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नक्शे कदम पर चलने वाली भाजपा को वो कर्मयोगी कृष्ण की राह पर ले आते हैं।

कृष्ण अधर्मी को मारने में किसी भी प्रकार की गलती नहीं करते हैं। छल हो तो छल से, कपट हो तो कपट से, अनीति हो तो अनीति से..... अधर्मी को नष्ट करना ही उनका ध्येय होता है। 
इसीलिए वो अर्जुन को सिर्फ कर्म करने की शिक्षा देते हैं।

कुल मिलाकर सार यह है कि, 
अभी देश दुश्मनों से घिरा हुआ है, नाना प्रकार के षडयंत्र रचे जा रहे हैं। इसलिए अभी हम नैतिकता को अपने कंधे पर ढोकर नहीं चल सकते हैं। नैतिकता को रखिये ताक पर, और यदि इस देश को बचाना चाहते हैं, तो सत्ता को अपने पास ही रखना होगा। वो चाहे किसी भी प्रकार से हो, साम दाम दंड भेद किसी भी प्रकार से....

बिना सत्ता के आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं। इसलिए भाजपा के कार्यकर्ताओं को चाहिए कि,
कर्ण का अंत करते समय कर्ण के विलापों पर ध्यान ना दें । सिर्फ ये देखें कि.........
अभिमन्यु की हत्या के समय उनकी नैतिकता कहाँ चली गई थी.....

कर्ण के रथ का पहिया जब कीचड़ में धंस गया तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा, 
पार्थ देख क्या रहे हो, इसे समाप्त कर दो।
संकट में घिरे कर्ण ने कहा, यह अधर्म है.....! 
भगवान कृष्ण ने कहा, 
अभिमन्यु को घेर कर मारने वाले और द्रौपदी को भरी दरबार में वेश्या कहने वाले के मुख से आज अधर्म की बातें शोभा नहीं देती ....!! 
आज राजनीतिक गलियारा जिस तरह से संविधान की बात कर रही है तो लग रहा है जैसे हम पुनः महाभारत युग में आ गए हैं...
विश्वास रखो महाभारत का अर्जुन नहीं चूका था आज का अर्जुन भी नहीं चूकेगा

*यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः!*
*अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृजाम्यहम !*

चुनावी जंग में अमित शाह   जो कुछ भी जीत के लिए पार्टी के लिए कर रहे हैं वह सब उचित है...

.  अटल बिहारी वाजपेयी   की तरह एक वोट का जुगाड़ न करके आत्मसमर्पण कर देना क्या एक राजनीतिक चतुराई थी....???

अटलजी ने अपनी व्यक्तिगत नैतिकता के चलते एक वोट से अपनी सरकार गिरा डाली और पूरे देश को चोर लुटेरों के हवाले कर दिया.....

साम, दाम, भेद, दण्ड राजा या क्षत्रिय द्वारा अपनायी जाने वाली नीतियाँ हैं जिन्हें उपाय-चतुष्ठय (चार उपाय) कहते हैं....

राजा को राज्य की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिये सात नीतियाँ वर्णित हैं ,

उपाय चतुष्ठय के अलावा तीन अन्य हैं- 
माया, उपेक्षा तथा इन्द्रजाल...!!!

राजनीतिक गलियारे में ऐसा विपक्ष नहीं है जिसके साथ नैतिक - नैतिक खेल खेला जाए.... सीधा धोबी पछाड़ आवश्यक है....!!!

*जय हिन्द...*

*One more*
*-:अनजाना इतिहास:-*
बात 1955 की है। सउदी अरब के बादशाह "शाह सऊद"  प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निमंत्रण पर भारत आए थे। वे 4 दिसम्बर 1955 को दिल्ली पहुँचे जहाँ उनका पूरे शाही अन्दाज़ में स्वागात किया गया शाह सऊद दिल्ली के बाद वाराणसी भी गए। 
सरकार ने दिल्ली से वाराणसी जाने के लिए, "शाह सऊद" के लिए, एक विशष ट्रेन में विशेष कोच की व्यवस्था की। शाह सऊद, जितने दिन वाराणसी में रहे उतने दिनों तक बनारस के सभी सरकारी इमारतों पर "कलमा तैय्यबा" लिखे हुए झंडे लगाए गए थे।😡😡

वाराणसी में जिन जिन रास्तों से "शाह सऊद" को गुजरना था, उन सभी रास्तों में पड़ने वाली मंदिर और मूर्तियों को परदे से ढक दिया गया था। 

इस्लाम की तारीफ़ और हिन्दुओं का मजाक बनाते हुए शायर "नज़ीर बनारसी" ने एक शेर कहा था -👇🏻
*अदना सा ग़ुलाम उनका, गुज़रा था बनारस से॥*
*मुँह अपना छुपाते थे, काशी के सनम-खाने॥*

अब खुद सोचिये कि क्या आज मोदी और योगी के राज में किसी भी बड़े से बड़े तुर्रम खान के लिए ऐसा किया जा सकता है। आज ऐसा करना तो दूर, कोई करने की सोच भी नहीं सकता। हिन्दुओं जबाब दो तुम्हे और कैसे अच्छे दिन देखने की तमन्ना थी ?

*आज भी बड़े बड़े ताकतवर देशों के प्रमुख भारत आते हैं और उनको वाराणसी भी लाया जाता है, लेकिन अब मंदिरों या मूर्तियों को छुपाया नहीं जाता है बल्कि उन विदेशियों को गंगा जी की आरती दिखाई जाती है और उनसे पूजा कराई जाती है।* 🙏
*ये था दोगले कांग्रेसियों का हिंदुत्व दमन😡*
अपने परिचितों एवं ग्रुपों में फॉरवर्ड करें🙏
कुछ को मै जगाता हूँ- कुछ को आप जगाऐं।

         *राष्ट्रधर्म सर्वोपरि🚩*
*🇮🇳जय हिन्द-जय भारत🇮🇳*

बुधवार, 26 अगस्त 2020

सरल संस्कृत: श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र

सरल संस्कृत: श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र!

मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकम् ।
कलाधरावतंसकं विलासिलोक रक्षकम् ।
अनायकैक नायकं विनाशितेभ दैत्यकम् ।
नताशुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम् ॥ 1 ॥

नतेतराति भीकरं नवोदितार्क भास्वरम् ।
नमत्सुरारि निर्जरं नताधिकापदुद्ढरम् ।
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरम् ।
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ॥ 2 ॥

समस्त लोक शङ्करं निरस्त दैत्य कुञ्जरम् ।
दरेतरोदरं वरं वरेभ वक्त्रमक्षरम् ।
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करम् ।
मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ॥ 3 ॥

अकिञ्चनार्ति मार्जनं चिरन्तनोक्ति भाजनम् ।
पुरारि पूर्व नन्दनं सुरारि गर्व चर्वणम् ।
प्रपञ्च नाश भीषणं धनञ्जयादि भूषणम् ।
कपोल दानवारणं भजे पुराण वारणम् ॥ 4 ॥

नितान्त कान्ति दन्त कान्ति मन्त कान्ति कात्मजम् ।
अचिन्त्य रूपमन्त हीन मन्तराय कृन्तनम् ।
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनाम् ।
तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम् ॥ 5 ॥

महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं ।
प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् ।
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रताम् ।
समाहितायु रष्टभूति मभ्युपैति सोऽचिरात् ॥ 6 ॥

सोमवार, 24 अगस्त 2020

प्रकृति में केंचुआ, तितली, मधु मख्खी, चिड़िया, मेढ़क, गिद्ध, एवं लाभ दायक सूक्ष्म जीवों की महत्ता

*फसल सुरक्षा रसायनों के दुष्परिणामों से सबक लेकर यदि आज मनुष्य नहीं सुधरा तो मानव सभ्यता का अंत निकट है।* 

प्रकृति में केंचुआ, तितली, मधु मख्खी, चिड़िया, मेढ़क, गिद्ध, एवं लाभ दायक सूक्ष्म जीवों की महत्ता को मनुष्य ने जब से नकारा है तब से उसके जीवन मे संकट बढ़े है, फसलों की उत्पादन लागत बढ़ी है, खाद्यान्न, पानी एवं हवा में प्रदूषण बढ़ा है, कृषि योग्य भूमियों में जीवांश कार्बन बनने की प्रक्रिया बन्द हुई है, भूगर्भ जल स्तर का दोहन बढ़ा है। रसायनों के प्रयोग से प्रकृति की व्यवस्था के नाजुक हालत का यदि ईमानदारी से मूल्यांकन किया जाए तो ज्ञात होता है कि अब इस पृथ्वी पर मनुष्य के जीवन की खुशियों का अंत होने वाला है।

 *यदि समय रहते इस विषय पर विचार नहीं हुआ तो मानव सभ्यता खतरे में पड़ सकती है।* 

" *केंचुआ"* 

कृषि योग्य भूमियों में प्रति वर्ग मीटर क्षेत्रफल में लगभग 5 केंचुआ हुआ करता थे। प्रति हेक्टर इनकी संख्या लगभग 50000 होती थी। 
अनुकूल परिस्थितियों में एक केंचुआ जिसका बजन 3 ग्राम होता है प्रति दिन अपने बजन के बराबर जैव पदार्थ खाकर उसे ह्यूमस में बदल देता था। वर्षा काल के 90 दिन केंचुओं के लिए अनुकूल मौसम रहता है। खेत मे पाये जाने वाले केंचुए प्रति वर्ष खेत मे उपलब्ध जैव पदार्थ की मात्रा के अनुसार 15 से 20 कुंटल जीवांश कार्बन की मात्रा बढ़ाते थे। 
कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि नीतियां केंचुए की इस सच्चाई को जानते है तभी किसानों को वर्मी कम्पोस्टिंग के लिए अनुदान दे रही है।

" *तितलियां एवं मधु मख्खियां"* 

पर परागित फसलों में परागण की क्रिया को तितलियां एवं मधु मख्खियां ही सम्पन्न करती है। यह बात कृषि विषयों के पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जाती है।
1950 से 80 के दशक के मध्य गांवों के पुराने वृक्षो में मधु मख्खी के छत्ते देखे जाते थे, उस समय हर पुष्प पर तितलियां मंडराया करती थी। परन्तु फसलों को कीटो से सुरक्षा के नाम पर प्रयोग किये गए रसायनों ने तितलियों एवं मधु मख्खियों को नष्ट कर डाला है।
आज नदी, नालों, सड़को एवं जंगलों के अतरिक्त तितलियां एवं मधु मख्खियां कहीं दिखाई नहीं देती है।
पर परागित फसलों जैसे मिर्च, टमाटर, बैगन, भिंडी, चना, मटर, मसूर, अलसी, उर्द मूंग आदि की उपज घटने का मुख्य कारण यही है।

" *मेढ़क"* 

मेढ़क एक ऐसा कीट भक्षी प्राणी था जो गांव, खलिहान एवं खेतों में रहकर मनुष्य में रोग फैलाने वाले मच्छरों पर नियंत्रण बनाये रखता था एवं फसलों में लगने वाले कीटो से फसलों को भी सुरक्षित रखता था। एक अध्ययन के अनुसार वर्षा ऋतु में प्रति हेक्टर 30 से 40 मेढ़क दिखाई दे जाते थे। गांव के प्रत्येक घर के बाहर बने पानी के गड्ढे में 10 से 20 मेढ़क मौजूद रहते थे। गांव के जलासयो में तो मेढकों की संख्या को गिना जाना मुश्किल था। परन्तु आज मेढ़क कहीं भी दिखाई नहीं देते है।
मेढ़क प्रकृति में पाये जाने वाले हानि कारक कीटों को खाकर प्रकृति में संतुलन बनाये रखता था। मेढ़क वर्षा ऋतु बहुत अधिक सक्रिय रहता था, शरद ऋतु में कम एवं ग्रीष्म ऋतु में सुसुप्ता अवस्था मे रहता था। 
परन्तु फसल सुरक्षा रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से आज मेढ़क हमारे बीच नहीं बचा है इसी लिए मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है एवं फ़सलो मे कीटो का प्रकोप बढ़ रहा है।

" *पक्षी"* 

गौरैया, कौवा, कबूतर, तोता, मैना, बुलबुल, पडखी, सारस, हंस, गिद्ध, मोर, बगुला जैसे अनेक पक्षी बहुत अधिक संख्या में पाये जाते थे। यदि धूप में आनाज सुखाना होता था तो परिवार के एक व्यक्ति को चिड़ियों से आनाज की रखवाली के लिए बैठना पड़ता था। जब कोई पशु मर जाता था और उसे गांव के बाहर फेंक दिया जाता था तो गिद्ध उस पशु को कुछ ही घण्टो में खाकर नष्ट कर दिया करते थे।खेत की जुताई के समय अथवा खेत मे पलेवा के समय सैकड़ो बगुला पक्षी फसलों में क्षति पहुंचाने वाले कीटों को खाकर हमारी फसलों की सुरक्षा करते थे। 
परन्तु आज फसल सुरक्षा रसायनो के बढ़ते प्रयोग से हमारे इनमें से बीच कोई पक्षी नहीं बचा है।
चीनी गोरिया को मारा और इस किसान ने कीट प्रबंधन के लिए गौरैया को अपने घर में पालना शुरू किया देखिए वीडियो
https://youtu.be/Dq7UqlgurDo

" *भूमि के लाभ दायक सूक्ष्म जीव"* 

भूमि की उर्वरता को बढ़ाने में एवं अघुलनशील पोषक तत्वों को घुलनशील बनाने में तथा नाना प्रकार की बीमारियों से फसलों को बचाने मे लाभ दायक सूक्ष्म जीवणुओ की उपयोगिता आज देश के समस्त कृषि वैज्ञानिक सहमत है तभी तो विभिन्य प्रकार के बायो फर्टिलाइजर के प्रयोग की सलाह किसानों को दी जाती है। 
आज से चालीस वर्ष पूर्व जब लोग खेतों में शौच क्रिया के लिए जाते थे तब मानव मल एक दो दिन में ही ह्यूमस में बदल जाता था क्योंकि तब हमारी भूमियों में लाभदायक जीव केंचुए एवं अन्य सूक्ष्म जीव पर्याप्त संख्या में थे। सभी को यवद है कि फसलों में  बीमारियां बहुत कम लगती थी क्योंकि फसलों में लगने वाली बीमारियों पर प्रकृति के लाभ दायक जीव नियंत्रण बनाये रखते थे।
परन्तु विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी के इस युग मे पढ़े लिखे मनुष्य ने अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए मानवीय मूल्यों को एवं प्रकृति की व्यवस्था को नजरंदाज कर दिया है। 
और देश के किसानों को यह समझाने में सफल रहा है कि बिना रसायनों के खेती सम्भव नहीं है। स्वार्थी एवं लालची मनुष्य दीमक को दुश्मन बताता है केंचुआ को मित्र बताता है। तितली एवं मधु मख्खी को मित्र बताता है और इल्ली एवं माहू को दुश्मन बताता है।
आज हमारी अज्ञानता ने हमारे जीवन मे काम आने वाले अनेकों जीव जंतुओं को प्रकृति से समाप्त कर दिया है। 
आज देश मे बिकने वाले प्रत्येक कीट नाशक रसायन पर प्रतिबंध है किंतु प्रतिबंध लगाने में जिस चतुराई को अपनाया गया है उससे प्रतिबंध के बावजूद भी सभी रसायन धड़ल्ले से बिक रहे है।
वास्तव में कीट नाशक रसायन के नाम पर हम प्रकृति को नष्ट करते जा रहे है जिसका परिणाम यह हो रहा है कि मनुष्य के जीवन की खुशियां नष्ट होती जा रही है।
यदि फसल सुरक्षा रसायनों के प्रयोग को बन्द करने में देर कि गयी तो मानव सभ्यता खतरे में पड़नी तय है।



function disabled

Old Post from Sanwariya