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शुक्रवार, 4 सितंबर 2020

सिक्किम में ऑर्गेनिक खेती से चार साल में दोगुना हुआ पर्यटन


सिक्किम में ऑर्गेनिक खेती से चार साल में दोगुना हुआ पर्यटन

चार जिलों और सवा छह लाख आबादी वाला सिक्किम इन दिनों ऑर्गेनिक खेती की वजह से चर्चा में है। वर्ष 2014 तक सालाना छह लाख पर्यटक ही सिक्किम आ रहे थे। लेकिन ऑर्गेनिक स्टेट घोषित होने के बाद इसमें तेजी से इजाफा हुआ। 2014-15 में साढ़े छह लाख पर्यटक आए। 2016 में 8.6 लाख और 2017 में 14 लाख पार हो गए। कृषि, उद्यानिकी और कैश क्रॉप डेवलपमेंट विभाग के सचिव खोरलो भूटिया कहते हैं- ऑर्गेनिक के कारण ही यह चमत्कार हुआ है। चार सालों में पर्यटकों की तादाद दोगुनी हो गई है। इस साल हम 20 लाख की उम्मीद कर रहे हैं। दो साल में नेपाल, भूटान समेत देश के सभी राज्यों से करीब 1100 प्रतिनिधिमंडल आकर देख चुके हैं कि यहां चल क्या रहा है? चार साल से रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर सख्ती से बंदिश है। दो साल पहले बाकायदा ऑर्गेनिक स्टेट घोषित के बाद लगातार कुछ न कुछ नया हो रहा है। राजधानी गंगटोक में बहुमंजिला किसान बाजार बन रहा है, जहां जैविक सब्जियों को लेकर किसान सीधे उपभोक्ताओं के बीच आ रहे हैं।  

इमारत अभी बन रही है, लेकिन बाजार शुरू हो चुका है। कुल 77 हजार हेक्टेयर जमीन में से इलायची, अदरक, हल्दी और बक व्हीट जैसी खास फसलों के लिए 14 हजार हेक्टेयर जमीन रिजर्व की गई है। इंडियन फामर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव (इफको) सिक्किम सरकार के साथ मिलकर जैविक फसलों के लिए 50 करोड़ रुपए लागत की प्रोसेसिंग यूनिट लगा रही है। एक साल के भीतर इनकी योजना इन्हीं चार प्रमुख फसलों को ऑर्गेनिक सिक्किम के ब्रांड से देश के हर मॉल तक ले जाने की है। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रांड सिक्किम दाखिल होगा।

जैविक जुनून की तीन प्रतिनिधि कहानियां-

1. थ्रीडी एनिमेशन का काम छोड़कर बेंगलुरू से आए

37 साल के शिशिर खड़का रानीपुल के रहने वाले हैं। बंंेगलुरू में तीन साल तक थ्रीडी एनिमेशन की पढ़ाई की। दो साल वहीं नौकरी की। जैविक का माहौल बना तो तीन साल पहले लौटकर आ गए। किसानों से खरीदकर इलायची, हल्दी, अदरक, बक व्हीट और कुट्‌टू के पावडर, चिप्स और नूडल्स का सुंदर सिक्किम नाम से अपना ही ब्रांड बना लिया।

 तीन साल में ही टर्न ओवर 80 लाख रुपए। 

रानीपुल में फैक्ट्री बन रही है। अब सिलीगुड़ी और कोलकाता ले जाने की तैयारी है। शिशिर कहते हैं- पैसा अपनी जगह है। बड़ी बात है कि सिक्किम के सीएम समेत इस फील्ड के कई बड़े लोग मुझे पहचानते हैं। बेंगलुरू की नौकरी में क्या यह मुमकिन था?

2. ढाई एकड़ से छह लाख रुपए सालाना कमाई…

खामदोंग गांव के 44 वर्षीय डीपी सुबेदी के पास ढाई एकड़ जमीन हैं। उनके पिता इसी जमीन पर सिर्फ भरण-पोषण लायक ही उपज ले पाते थे। सिर्फ लाख-डेढ़ लाख के अदरक और संतरे ही बाहर बिकते थे। वर्ष 2006 में सुबेदी ने काम संभाला। उन्हाेंने हर एक इंच जमीन का इस्तेमाल किया। आज वे चेरी पेपर, पपीता, अदरक, हल्दी, मिर्ची और सब्जियां उगा रहे हैं।

शहद के लिए मधुमक्खी पालन और दूध के लिए तीन गायें भीं। सालाना छह लाख की उपज बेच रहे हैं। अकेली मिर्ची ही दो लाख की। तीन गायों के गोबर और गोमूत्र से खाद खुद बनाते हैं। वे कहते हैं-ढाई एकड़ को जैविक बनाने के लिए तीन गायें काफी हैं। हम खाद नहीं खरीदते।

3. तीन साल तक उत्पादन घटा, अब बढ़ने लगा

रूमटेक गांव में 29 एकड़ के िकसान करमा डिचेन बताते हैं कि शुरू के तीन साल थोड़े कठिन थे। किसान गुस्से में थे। सरकार से नाराज भी। पहले एक हेक्टेयर में उत्पादन 20-22 क्विंटल था। लेकिन बाद में मजबूरी में जैविक हुए तो घटकर 15-16 क्विंटल पर आ गया। उन्हीं तीन सालों में जैविक खाद बनाने के ट्रेनिंग प्रोग्राम लगातार चले। शुरुआती नुकसान की भरपाई एमएसपी के जरिए सरकार ने की। खाद के लिए किसानों ने डेयरी साथ में जोड़ीं। जिनके पास गायें नहीं हैं, उन्हें सरकार जैविक खाद दे रही है। अब हम अपना उत्पादन 24-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ले आए हैं। उपज की कीमतें बेहतर मिल रही हैं। कोई खेती से दुःखी नही रहा
अब सब के चहेरे खिले खिले है... चारो तरफ तंदुरस्त फसले और कम खर्च मे विपुल आय.. 😀


गुरुवार, 3 सितंबर 2020

हल्दी की गुणवत्ता बढ़ाने का देशी फॉर्मूला

हल्दी की गुणवत्ता बढ़ाने का देशी फॉर्मूला।
मेरी दादीजी इसका प्रयोग करती है।
बाजार से दो तीन किलो साबुत हल्दी खरीदिये।
फिर इसे 6 घण्टे छाछ में भिगो दीजिए।
अब दो दिन धूप में सूखने दीजिए।
सूखने के बाद इसके टुकड़ों को मिट्टी के तवे पर हल्का भूनिये।
पूरी एक साथ नहीं भूननी है।
थोड़ी थोड़ी, यानि 4-5 गाँठें भूनिये, यहाँ अब दो व्यक्ति चाहिए।
एक भुनने वाला और दूसरा खरल या ओखली में कूटने वाला।
जैसे जैसी हल्दी भुनती जाए वैसे वैसे कूटते जाएं।
गरम गाँठें बिना आवाज के जल्दी जल्दी क्रिस्टल में बदल जाती है।
एक बार सारी हल्दी दरदरी हो जाने पर वह भीतर से लाल रंग की दिखेगी।
अब इसे ठंडा होने दीजिए।
फिर इसे कूटकर छान लें या पीस लें। 
कूटना-छानना- फिर कूटना, इस क्रम से हल्दी तैयार कर लीजिए।
यह हल्दी महक, सुगंध, गुणवत्ता और स्वाद में अद्भुत होगी।
सोते समय एक गिलास दूध में चुटकी भर डालकर  मिलाइए।
परिणाम स्वयं देखें।
www.sanwariyaa.blogspot.com

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राजस्थान के आईएएस में चयनित खींवसर के लाल " दीपक करवा" #Deepakkarwa #IAS2020

राजस्थान के आईएएस में चयनित  खींवसर के लाल " दीपक करवा" #Deepakkarwa #IAS2020

राजस्थान की छोटे से कस्बे की सैनी समाज को ऐसी कई विभूतियां दी है जिन्होंने इस कस्बे को देशभर में विशिष्ट पहचान दी है वर्तमान में समाज में युवा वर्ग को प्रशासनिक सेवा की ओर प्रेरित करना समय की प्रमुख आवश्यकता बन गया है ऐसे में खींवसर में मुंबई माहेश्वरी समाज से प्रथम आईएएस बनने का सम्मान भी इस मिट्टी के लाल दीपक करवा दिलवाने वाले हैं

 

खींवसर जिला नागौर राजस्थान के मूल निवासी व वर्तमान में मुंबई निवासी समाज सदस्य बाबूलाल करवा के सुपुत्र दीपक करवा ने वर्ष 2019 की संघ लोक सेवा आयोग प्रशासनिक सेवा परीक्षा में आईएएस के लिए चयनित होने में सफलता प्राप्त की है दीपक आगामी सितंबर 2020 से प्रारंभ होने वाली आईएएस की प्रशिक्षण बैच में शामिल होंगे कोरोना वायरस के कारण इस परीक्षा के परिणाम के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा लेकिन आखिरकार रक्षाबंधन का पर्व 4 अगस्त 2020 उनके और समाज की एक नई खुशखबरी लेकर आ ही गया

 Congratulation to Mr. Deepak Karwa
 from Kheenvsar, Rajasthan for selection in IAS 2020


इस परीक्षा में उन्हें 48 वी रैंक राष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त हुई यह उनका जुनून ही है कि वर्ष 2017 में बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर चयनित होकर भी उन्होंने ज्वाइन नहीं किया बस लक्ष्य था आईएएस बनने का और आखिरकार बनकर ही दम लिया

महासभा बनी करवा परिवार की प्रेरणा :
दीपक का जन्म 21 मई 1993 को खींवसर जिला नागौर राजस्थान की मूल निवासी व मुंबई की एक प्रतिष्ठित कंपनी में सेवारत समाज सदस्य बाबूलाल व वीणा देवी करवा के यहां हुआ दीपक बचपन से ही पढ़ाई में तीक्ष्ण बुद्धि के है उन्होंने JEE कठिन परीक्षा उत्तीर्ण कर IIT चेन्नई से B.Tech. किया लेकिन महासभा द्वारा भीलवाड़ा में आयोजित सम्मेलन ने प्रशासनिक सेवा के लिए प्रेरित कर दिया, बस यही प्रेरणा दीपक की पिता श्री बाबूलाल करवा कर मन में घर कर गई और इसने पारिवारिक प्रेरणा का रूप ले लिया |
श्री करवा अपने पुत्र की सफलता का श्रेय वरिष्ठ समाजसेवी पद्मश्री बंशीलाल राठी के आशीर्वाद , नवल राठी और प्रशांत बांगड के प्रोत्साहन को भी देते हैं

बड़ी बहन सोनू महेश्वरी बनी दीपक की प्रेरणा 
करवा परिवार में उत्पन्न हुए प्रशासनिक सेवा के प्रति रुझान का सर्वप्रथम प्रभाव दीपक की बड़ी बहन सोनू महेश्वरी में दिखाई दिया 
समाज व पिता की प्रेरणा  ने सोनू को संघ लोक सेवा आयोग की सिविल परीक्षा की ओर प्रेरित तो कर दिया लेकिन इस बीच उनका विवाह हो गया और पारिवारिक व्यस्तता एवं विवशता में आखिरकार उन्हें सफलता की यात्रा को मझधार में ही विराम देना पड़ा,
 बस उनके मन में दबी इच्छा अपने छोटे भाई दीपक को राह दिखाई वैसे दीपक ने B.Tech. अंतिम वर्ष 2015 में प्रथम बार अपने सहपाठियों को देखकर यह परीक्षा दे दी थी लेकिन गंभीरता से न लेने के कारण इसमें पूरी तरह असफलता हाथ लगी थी


  साँवरिया की और से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाए 

असफलता मे भी सफलता की राह :
उन्हे जो सफलता मिली वह सहज जी नही मिल गई बल्कि अंतिम छठे प्रयास मे जाकर मिली कभी परीक्षा पेटर्न मे बदलाव कभी किसी अन्य कारण से मिली असफलता से हताश होते हुए भी असफलता मिलने पर भी उन्होने हार नही मानी ओर हर असफलता के सीखते हुए ओर प्रेरणा लेते हुए उन्होने वर्ष 2019 की परीक्षा मे उत्तीर्ण होते हुए 48वीं रेंक प्राप्त की 


दीपक का सपना विकसित हो हमारे गाँव 

      माहेश्वरी समाज का नाम रोशन किया
 





























जब भी बरगद और पीपल के पेड़ को देखो तो अपने पूर्वज तो याद आएंगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था

*हमारे धर्म का रहस्य...*

क्या हमारे ऋषि मुनि पागल थे?
जो कौवों के लिए खीर बनाने को कहते थे?
और कहते थे कि कौवों को खिलाएंगे तो हमारे पूर्वजों को मिल Qजाएगा?
नहीं, हमारे ऋषि मुनि क्रांतिकारी विचारों के थे।
*यह है सही कारण।*

तुमने किसी भी दिन पीपल और बरगद के पौधे लगाए हैं?
या किसी को लगाते हुए देखा है?
क्या पीपल या बड़ के बीज मिलते हैं?
इसका जवाब है ना.. नहीं....
बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु नहीं लगेगी।
कारण प्रकृति/कुदरत ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है।
यह दोनों वृक्षों के टेटे कौवे खाते हैं और उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसीग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं। उसके पश्चात
कौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं।
पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो Round-The-Clock ऑक्सीजन O2  छोड़ता है और बरगद के औषधि गुण अपरम्पार है।
देखो अगर यह दोनों वृक्षों को उगाना है तो बिना कौवे की मदद से संभव नहीं है इसलिए कौवे को बचाना पड़ेगा।
और यह होगा कैसे?
मादा कौआ भादो महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है। 
तो इस नयी पीढ़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है इसलिए ऋषि मुनियों ने
कौवों के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राघ्द के रूप मे पौष्टिक आहार 
की व्यवस्था कर दी।
जिससे कि कौवों की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जाये......

इसलिए दिमाग को दौड़ाए बिना श्राघ्द करना प्रकृति के रक्षण के लिए नितांत आवश्यक है।
घ्यान रखना जब भी बरगद और पीपल के पेड़ को देखो तो अपने पूर्वज तो याद आएंगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं।

🙏सनातन धर्म पे उंगली उठाने वालों, पहले सनातन धर्म को जानो फिर उस पर ऊँगली उठाओ। जब आपके विज्ञान का *वि* भी नही था हमारे सनातन धर्म को पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है, कौन सी चीज खाने लायक है कौन सी नहीं...? अथाह ज्ञान का भंडार है हमारा सनातन धर्म और उनके नियम, मैकाले के शिक्षा पद्धति में पढ़ के केवल अपने पूर्वजों, ऋषि मुनियों के नियमों पर ऊँगली उठाने के बजाय , उसकी गहराई को जानिये🙏

बुधवार, 2 सितंबर 2020

अपने कुल अथवा परिवार की मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध आदि कर्म करें

पितृपक्ष 2 सितम्बर से आरम्भ हो रहे है और 17 सितम्बर तक रहेंगे। आप अपने कुल अथवा पारिवार की मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध आदि कर्म करें। पितृदोष आदि से भयभीत होकर तथा पितरों की शांति हेतु  इधर उधर के उपायों या अत्यधिक पूजन-भजन आदि इस पक्षकाल में करने से बचना चाहिए। आपको अपने परिवार में चली आ रही परम्परा के अनुसार बस श्राद्ध कर्म करना है और तन मन से यथासंभव सात्विक और आध्यात्मिक रहना है। 
 #पितृ और कोई नहीं यह आपके परिवार कुल से जुड़े हुए वह सदस्य हैं जिनका वंश आप चला रहे हैं इस अनंत कोटि ब्रह्मांड में 49 प्रकार की वायु में सूक्ष्म रूप से व्याप्त उनकी दिव्य चेतना आपको आगे बढ़ता हुआ देखकर प्रसन्न होती है और उन्नति के मार्ग में सहायक भी होती है लेकिन आप से आशा भी रखती है कि आप उनके लिए उनके नाम पर कुछ न कुछ अवश्य करें। अनिवार्य नहीं कि आप को उनके बारे में जानकारी हो, लेकिन यदि जानकारी है तो बहुत ही अच्छी बात है नहीं होने पर जो प्रयोग यहां बताए जा रहे हैं वह अवश्य करें जिससे आपके पितृ  प्रसन्न होकर आपको लाभ प्रदान करें और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करें इसके साथ ही जिनके परिवार में सती मातेश्वरी का पूजन होता है वह सौभाग्य नवमी का तथा चतुर्दशी का श्राद्ध अवश्य रूप से करें व जिनको अपने पितृ की किसी भी तिथि का ध्यान नहीं है, वह सर्वपितृ अमावस्या के दिन अवश्य रूप से श्राद्ध पिंडदान तर्पण जो भी यथासंभव है अवश्य करें
 वैसे तो पितरों  जलांजलि  अर्थात जल के तर्पण से जिसमें तिल और यव मिले हुए हो साथ ही पिंडदान और विष्णु सूक्त और पितृ सूक्त के पाठ से प्रसन्न होते हैं प्रतिदिन सूर्य व चंद्र को अर्घ्य देने से भी मातृ व पितृ कुल के पितृ प्रसन्न होते हैं किंतु आज के भागम भाग वाले युग में कुछ प्रयोग जो बता रहे हैं वह करने से भी लाभ मिल जाता है।
 आप शांत और प्रसन्न  होकर एक माला (108 बार) यह मंत्र 
 'ॐ पितृ दैवतायै नम:'
 ॐ कारण शरीराय विद्महे 
 दिव्य देहाय धीमहि 
तन्नो पितृ प्रचोदयात।।
सुबह, दोपहर अथवा संध्याकाल में किसी समय इन पंद्रह दिनों में प्रतिदिन जप लेंगें इतना ही आपकी सारी बाधाओं को हर लेगा और आपकी उन्नति के मार्ग खुल जाएंगे। 

पितर को प्रसन्न करने को बस ये उपाय करें-

1. जब आप अपने कुलपरिवार  की चली आ रही धार्मिक मान्यताओं और परम्पराओं का पालन करते हैं। 

2. जब आप गाय, कौवा, कुत्ते और किसी विकलांग के लिए प्रतिदिन कुछ भोजन निकालते हैं।

3. प्रत्येक रात्रि चंद्रमा का थोड़ी देर दर्शन करते हैं और दूध तथा जल को नष्ट नहीं करते हैं। 

4. अपना सूर्य, बृहस्पति और चंद्रमा ग्रह अच्छा रखते हैं अर्थात पिता, माँ, गुरु, ज्ञानी, पुजारी, स्त्रियों  आदि को उचित मान सम्मान देते हैं। 
5.  प्रतिदिन भवन में जल पीने का स्थान जिसे परिंडा कहा जाता है वहां पर दो मटकी या कलश के पास दो बत्ती वाला दीपक लगाएं साथ ही कच्चे दूध में शहद मिलाकर पितरों के नाम पर निवेद्य स्वरूप में अर्पण करें और वह प्रसाद परिवार के लोग लेवे।
6.प्रति अमावस्या पूर्णिमा घर में  गोमूत्र गंगाजल का छिड़काव कर गूगल का धूप लगावें।
7. परिवार के प्रत्येक सदस्य से स्नेह पूर्ण व्यवहार करें चाहे बड़े हो सम वयस्क हो या छोटे हो माता-पिता पत्नी बच्चे सभी से जितना स्नेहमय व्यवहार होगा उतना लाभ अधिक मिलेगा।
8. #यह विशेष प्रयोग है - 
 एक प्लेट में कुशा रख लीजिए उसके ऊपर एक दीपक प्रज्वलित कीजिए जिसमें गोल बाती हो और साथ ही कपूर पर चलाइए अपने घर में जो भी देवस्थान है वहां से आरंभ कीजिए उन्हें दर्शन कराते हुए संध्या समय घर के प्रत्येक कमरे में उसे घुमाइए और जल पीने का जो स्थान है वहां पर ले जाकर रख दीजिए प्रतिदिन कीजिए कपूर लगातार जलता रहे उतना ले कि जब तक आप वहां रखें उसके बाद भी कुछ समय कपूर जले चमत्कारिक रूप से आपको परिणाम सामने आने लगेंगे।

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