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सोमवार, 7 सितंबर 2020

नक्षत्रों के वृक्षों का संक्षिप्त परिचय

नक्षत्रों के वृक्षों का संक्षिप्त परिचय निम्रानुसार है:-
कुचिला - मध्यम ऊँचाई का वृक्ष जो मध्य भारत के वनों में पाया जाता है। इसके टिकियानुमा बीजों में स्थित विष बहुत अधिक औषधीय महत्त्व का होता है।
आंवला - इसके फल को अमृत फल कहा गया है जो विटामिन 'सी' का समृद्धतम् स्त्रोत है।
गूलर - बड़े आकार का छायादार वृक्ष। शुक्र ग्रह की शान्ति में इसकी समिधा प्रयुक्त होती है।
जामुन - बहते जल क्षेत्रों के नजदीक आसानी से उगने वाला वृक्ष। मधुमेह की श्रेष्ठतम औषधि।
खैर - मध्यम ऊँचाई का कांटेदार वृक्ष। इसकी लकड़ी से कत्था बनता है।
काला तेंदू/शीशम - आद्र्रा नक्षत्र हेतु वर्णित नक्षत्र वृक्ष शब्द 'कृष्ण' के अर्थ में दोनों वृक्ष आ जाते हैं। शीशम - ऊँचे वृक्ष वाली महत्त्वपूर्ण काष्ठ प्रजाति। काला तेंदू - काले तने वाला वृक्ष जिसका प्रकाष्ठ अत्यन्त मजूबत व काला होता है। फल खाने के काम में आता है व पत्तियाँ बीड़ी बनाने के काम आती हैं।
बांस - इसे गरीब की 'इमारती लकड़ी' कहते हैं।
पीपल - अति पवित्र वृक्ष। भगवान बुद्ध को इसी वृक्ष के नीचे 'बोधि' प्राप्त हुई थी।
नागकेसर - मुख्य रूप से आसाम के आद्र्र क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से उगने वाला वृक्ष। इसकी लकड़ी अत्यधिक कठोर होती है।
बरगद - वट सावित्री व्रत में हिन्दू महिलाओं द्वारा पूजा जाने वाला विशालकाय छायादार वृक्ष।
पलाश - सूखे व बंजर क्षेत्रों में उगने वाला मध्यम ऊँचाई का वृक्ष। फूल से होली पर खेलने वाले रंग बनाते हैं। इसे 'वन ज्वाला' (फ्लेम आफ द फारेस्ट) भी कहते हैं।
पाकड़ - घनी शीतल छाया देने के लिए प्रसिद्ध वृक्ष।
रीठा - मध्यम ऊँचाई का वृक्ष जिसका फल झाग देने के कारण धुलाई के कार्यों में प्रयुक्त होता है।
बेल - कठोर कवच के फल वाला मध्यम ऊँचाई का वृक्ष जिसकी पत्तियां शिवजी की पूजा में चढ़ाई जाती हैं।
अर्जुन - जलमग्र या ऊँचे जलस्तर वाले क्षेत्रों में आसानी से उगने वाला वृक्ष है। इसकी छाल हृदय रोग की श्रेष्ठतम औषधि है।
कंटारी - छोटी ऊँचाई के इस वृक्ष के कांटे बहुशाखित होते हैं, इसके फल त्रिदोषनाशक होते हैं।
मौलश्री - दक्षिण भारत में प्राकृतिक रूप से उगने वाला छायादार- शोभाकार वृक्ष।
चीड़ - ठन्डे पहाड़ी क्षेत्र में उगने वाली सुई जैसी पत्तियों वाला सीधी ऊँ चाई में बढऩे वाला वृक्ष जिसकी छाल पतली होती है।
साल - प्रदेश के तराई क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से उगने अति महत्त्वपूर्ण प्रकाष्ठ वृक्ष।
वंजुल - बहते जल स्त्रोतों के किनारे उगने वाला छोटी ऊँचाई का वृक्ष।
कटहल - मध्यम ऊँचाई का वृक्ष जिसके बृहदाकार फल की सब्जी खाई जाती है।
आक - बंजर शुष्क भूमि पर उगने वाली झाड़ी जैसी प्रजाति।
शमी - छोटे कांटों वाला छोटी ऊँचाई का वृक्ष जिसे उ.प्र. में छयोंकर व राजस्थान में खेजड़ी कहते हैं।
कदम्ब - भगवान कृष्ण की स्मृति से जुड़ा ऊँचा वृक्ष जो आद्र्र क्षेत्रों में आसानी से उगता है।
आम - भारत में फलों का राजा नाम से प्रख्यात है।
नीम - 'गाँव के वैद्य' नाम से प्रसिद्ध औषधीय महत्त्व का वृक्ष।
महुआ - शुष्क पथरीली व रेतीली व रेतीली भूमि में उगने वाला वृक्ष। गरीबों में उपयोगिता के कारण इसे 'गरीब का भोजन' नाम की उपमा दी जाती है।

मोदी जी अपनी अगली पूजा अर्चना अब वो कैलाश मानसरोवर पर्वत पर करेगें

नरेद्र मोदी जी ने दाढी क्यों बढाई, कब काटेंगें???? 
भारत का सीक्रेट मिशन, जिसने चीन से छुडाई कब्जाई जमीन
जानिए मोदी जी क्या है प्रतिज्ञा??? 

मैनें पहले भी मोदी जी की दाढी का रहस्य का हिंट लिखा था , किन्तु आज खुलासे का समय आ गया है, सो खोल रहा हूं ၊
मोदी जी अपनी अगली पूजा अर्चना अब वो कैलाश मानसरोवर पर्वत पर करेगें.

शिव स्थली को पुनः प्राप्त करने के राजसूय यज्ञ की ओर बढ़ रहा हिन्दुराजा...... नर + इंद्र मोदी....

जिस प्रकार राम मंदिर निर्माण कार्य से पूर्व मोदी जी  अयोध्या नगरी नहीं गये थे, क्योंकि उन्होंने शपथ ली थी , ठीक उसी प्रकार  नरेंद्र मोदी जी कैलाश मानसरोवर यात्रा पर भी नही गए, जबकि वो शिव जी के परम भक्तों में हैं ၊
ये चीन से अक्साई भारत पुनः प्राप्त करने के बाद ही बाबा शिव के दर्शनार्थ कैलाश मानसरोवर पूजा अर्चना के लिए जाएंगे

चीन के विघटन की तैयारी करता हिन्दुराजा नरेंद्र मोदी....
18देशों के गुप्त साथ के समर्थन के बाद अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप को पुनः सत्ता में लाने के लिए एक युद्ध बहुत जरूरी हो गया है और इस बार अमेरिका ने मोदी के साथ मिलकर चीन के विघटन की तैयारी शुरू कर दी है....
जल्द चीन के आधिपत्य वाले ताइवान व तिब्बत के तेवर भी तेज रफ्तार पकड़ने वाले हैं....
उसके अलावा18 देश जिनसे चीन विस्तारवादी नीतियों के षड्यंत्र के तहत उनकी सीमाओं पर कब्जा जमा बैठा है उनको भी जल्द रणनीतिक व कूटनीतिक समर्थन नरेंद्र मोदी देने वाले हैं

चीन के विघटन के बाद एशिया जम्बूद्वीप में अखण्ड भारत में बहुत बड़ा भारत भूमि का खण्ड पुनः प्राप्त करने के साथ ही अखण्ड भारत की आधारशिला नरेंद्र मोदी जी सेना के पराक्रम की शक्ति के बल पर पुनर्स्थापित करेंगे

इजरायल से अनेक प्रकार के गुप्त हथियार भारत में लाए जा रहे हैं जिनका अमेरिका के अलावा अन्य को कोई आभास नहीं है

 नरेंद्र मोदी के आदेश पर गुप्त ठिकानों पर ब्रह्मोस परमाणु हथियारों की तैनाती की गई है और सुखोई लड़ाकू विमानों की तैनाती की गई है
इसके अलावा स्वदेशी तोप धनुष की तैनाती बड़ी संख्या में कई स्थानों पर की गई है

चिनूक मालवाहक हेलीकॉप्टर से भीष्म टैंक चीनी टैंकों को उड़ाने वाली रेंज में तैनात किए गए हैं

आस्ट्रेलिया के भी युद्धक जंगी युद्धपोतों को चाइना सी की ओर मोड़ दिया गया है.

हिन्द महासागर में विश्व का सबसे शक्तिशाली विमानवाहक युद्धपोत रोनाल्ड रीगन अपने पूरे बैटल ग्रुप के 50 से ज्यादा युद्धपोत के साथ तैनात किया गया है

रोनाल्ड रीगन के बाद 2 और परमाणु हथियारों से लैस अमेरिकी विमानवाहक युद्धपोतों को भी पिछले सप्ताह चीनी सागर में तैनात कर दिया गया है

चीन के अन्य देशों से सीमा विवादित क्षेत्रों में सम्बंधित देशों ने अपनी अपनी सीमा सुरक्षा बलों की जगह फ़ंट्रीयर कोर डिविजन की तैनातियों की तैयारी शुरू कर दी है

इन सब तैयारियों को पूरा करने के बाद ही 29व 30 सितंबर की रात में सिर्फ 5 घण्टे के समय में  4 हजार मीटर ऊंचाई पर स्थित ब्लैक टॉप पर कब्जा करने के लिए अजित डोभाल की स्पेशल फोर्स व सिख इंफेक्ट्री को जिम्मा सौंपा गया था, जिन्होंने तय समय से 1 घण्टे पहले ही शीर्ष छोटी पर स्थापित चीनी बंकर को कब्जे में लेकर वहां पर लगे चाइना के CCTV၊  कैमरे व सेटेलाईट सर्विलांस उपकरणों को उखाड़ फेंका और ब्लैक टॉप पर कब्जा जमा लिया
ये आपरेशन इतना गुप्त था कि सेना के प्रमुख को भी नही बताया गया था , क्योंकि टाप पोस्टों पर बैठे कुछ कांग्रेसी, वामपंथी विचारधारा के लोग भी??????? सकते थे

पूरा आपरेशन मोदी जी और अजीत डोभाल के संचालन में हुआ था ၊

इस प्रकार पहले टॉप पर पहुंच चुके सैनिकों ने चीनी टुच्चीयों को आधे रास्ते से ही वापस खदेड़ दिया
इसमें एक बारूदी सुरंग की चपेट में आने के कारण एक सैनिक वीरगति प्राप्त हुआ.
जिनके बलिदान पर हिन्दुओ को गर्व है

उनके अदम्य साहस व चुस्ती फुर्ती के कारण ही बिना कोई हिंसक झड़प के ही हिन्दू सेना ब्लेक टॉप पर कब्ज़ा करने में सफल हो सकी

सैन्य शक्ति व रणनीतिक मोर्चे पर चीन के खिलाफ बहुत से गुप्त मोर्चो पर तैयार हो गए हैं और जल्द विश्व में चीन के खिलाफ बहुत सारे मोर्चो पर कम्युनिस्ट पार्टी के वजूद को मिटाने का काम शुरू किया जाएगा.

चीन की गर्दन में हाथ डालकर नरेंद्र मोदी जी ने नेपाल, श्री लंका, पाकिस्तान व बांग्लादेश की वामपंथी दलों की फड़फड़ाहट को भी खत्म करने का मन बना लिया है၊၊
पिछले सौ सालों में अखण्ड भारत में से खंडित हुए भारत भूमि के अनमोल खंडों को पुनः हिन्दू राष्ट्र में समाहित करने के राजसूय यज्ञ का प्रारंभ  नरेंद्र मोदी जी  सेना के साथ मिलकर शुरू करेंगे  ၊

इसी कड़ी में ब्रह्मदेश, श्री लंका,भूटान, बांग्लादेश, बलूचिस्तान, सिंध, मुज्जफराबाद आदि में अजित डोभाल जी के स्पेशल कंमाडो ने अपना काम शुरू कर दिया है,

इसी कारण तो इन देशों के ग़द्दार कांग्रेसियों और वामपंथी दलों व अन्य ग़द्दार दलों के नेताओं के भारत विरोधी बयानों में एकाएक से तेजी आ गई है.

वर्तमान  नरेंद्र मोदी जी का सैन्य शक्ति का प्रचंड शक्ति सामर्थ्य पड़ोसी देशों को दिखा रहे हैं ,उसके बाद अगले प्रधानमंत्री के रूप में  योगी आदित्यनाथ जी अखण्ड भारत में से खंडित जम्बूद्वीप के खंड भूखंडों को पुनः भारत में भगवा ध्वज तले समाहित करने के अश्वमेध यज्ञ का प्रारंभ करेंगे.

योगी आदित्यनाथ के पुरुषार्थ का कीर्तिमान स्थापित करने के लिए ही तो उत्तरप्रदेश में संयोग के साथ प्रयोग किये जा रहे हैं,

ताकि आने वाले कालखंड के हिन्दुराजा योगी आदित्यनाथ की यम नियमों वाली राजधर्म की शासन व्यवस्था व नेतृत्व नीति का लौहा पूरा जम्बूद्वीप मानने लगे.....
इसी नीति के तहत  नरेंद्र मोदी जी अपने बाद के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में योगी आदित्यनाथ को स्थापित कर रहे हैं ၊
विश्व में हिंदी भाषा में उद्बोधन देना नरेद्र मोदी जी का शक्ति प्रदर्शन ही है  ၊
 शिवभक्त नरेद्र मोदी जी अगले कुछ ही दिनों में
कैलाश मानसरोवर जाकर जल्द ही (नवम्बर २०२० से पहले) महादेव का शिव तांडव स्त्रोतम गुंजायमान करेंगे ၊
और उसकी वापसी के बाद ही दाढी के बालों का त्याग होगा ၊

राज

गलती से किसी गलत अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिए कैसे वापस आएंगे वह पैसे

 आजकल एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करना चुटकियों का खेल है. UPI, नेट बैंकिंग, मोबाइल वॉलेट ने बैंकिंग ट्रांजैक्शन से जुड़ी मुश्किलों को काफी हद तक कम कर दिया है. सामान्य परिस्थितियों में अब आपको किसी के खाते में पैसे ट्रांसफर करने के लिए बैंक का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होती. ये काम बस एक मोबाइल से चुटकियों में हो जाता है.

मगर जैसे जैसे तकनीक ने बैंकिंग सुविधाओं को आसान और लोगों की पहुंच तक बढ़ाया है, उसी के साथ थोड़ी मुश्किलें भी आईं हैं. जैसे अगर आपने गलती से किसी और के खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए तब आप क्या करेंगे. उस पैसे को कैसे वापस पाएंगे.

कभी न कभी आप से भी ये गलती जरूर हुई होगी. तो चलिए हम आपको बताते हैं कि इस गलती को सुधारा कैसे जाए, यानि चूक से दूसरे के अकाउंट में भेजे गए पैसे को वापस कैसे पाया जाए.

सबसे पहले बैंक को बताएं
जैसे ही आपको पता चले कि आपने गलती से पैसे किसी और के खाते में ट्रांसफर कर दिया है, इसकी जानकारी तुरंत अपने बैंक को दें. कस्टमर केयर को फोन करें और उन्हें पूरी बात बताएं. बैंक आपसे अगर ई-मेल पर सारी जानकारी मांगे तो उसमें इस गलती से हुए ट्रांजेक्शन की पूरी जानकारी दें. ट्रांजेक्शन की तारीख और समय, अपना अकाउंट नंबर और जिस खाते में गलती से पैसे ट्रांसफर हुए हैं, उसका भी जिक्र जरूर करें

आपके ही बैंक के खाते में हुआ ट्रांसफर
अगर आपने जिस बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर किया है, वो अकाउंट नंबर ही गलत है या IFSC कोड गलत है, तो पैसा अपने आप ही आपके खाते में आ जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है तो अपने बैंक ब्रांच में जाकर ब्रांच मैनेजर से मिलें. उसे इस गलत ट्रांजैक्शन के बारे में बताएं. ये जानने की कोशिश करें कि पैसे किस बैंक के खाते में गए हैं. अगर यह गलत ट्रांजैक्शन आपके ही बैंक की किसी ब्रांच में हुआ है तो यह आसानी से आपके खाते में आ जाएगा.

दूसरे बैंक के खाते में हुआ ट्रांसफर
अगर किसी दूसरे बैंक के खाते में पैसे गलती से ट्रांसफर हुए हैं तो रकम वापसी में ज्यादा समय लग सकता है. कई बार तो बैंक इस तरह के मामलों के निपटारे में 2 महीने तक का समय भी लगा सकते हैं. आप अपने बैंक से यह पता कर सकते हैं कि किस शहर की किस ब्रांच के किस अकाउंट में पैसा ट्रांसफर हुआ है. उस ब्रांच में बात कर आप भी अपने पैसे की वापसी का प्रयास कर सकते हैं. आपकी सूचना के आधार पर बैंक उस व्‍यक्ति के बैंक को सूचना देगा, जिसके खाते में गलती से पैसा ट्रांसफर हो गया है. बैंक उस व्‍यक्ति से गलत ट्रांसफर हुए पैसा को वापस करने की अनुमति मांगेगा.

केस दर्ज करा सकते हैं
अपना पैसा वापस लेने का दूसरा तरीका कानूनी है. अगर वह व्यक्ति जिसके खाते में गलती से पैसा ट्रांसफर हुआ है, वो लौटाने से इनकार करता है तो उसके खिलाफ कोर्ट में केस भी दर्ज कराया जा सकता है. हालांकि, पैसा वापस न करने की स्थिति में यह अधिकार रिजर्व बैंक नियमों के उल्लंघन के संदर्भ में होता है. भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देश के मुताबिक लाभार्थी के खाते की सही जानकारी देना लिंक करने वाले की जिम्मेदारी है. अगर, किसी वजह से लिंक करने वाले से गलती होती है तो उसका जिम्‍मेदार बैंक नहीं होगा.

बैंकों के लिए RBI के निर्देश
आजकल जब आप बैंक अकाउंट से किसी और के खाते में पैसे ट्रांसफर करते हैं तो आपके पास एक मैसेज आता है. इसमें भी लिखा होता है कि अगर ट्रांजैक्शन गलत है तो कृपया इस मैसेज को इस नंबर पर भेजें. RBI ने भी बैंकों को निर्देश दिए हैं कि अगर गलती से पैसे किसी दूसरे के खाते में जमा हो जाते हैं तो आपके बैंक को जल्द से जल्द कदम उठाना होगा. बैंक आपके पैसे को गलत खाते से सही खाते में लौटाने के लिए जिम्मेदार 

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रविवार, 6 सितंबर 2020

एक हजार रोगों का प्रमुख कारण रिफाईन्ड तेल

*सबसे ज्यादा मौतें देने वाला भारत में कोई हैl तो वह है*... 
      
        *रिफाईन्ड तेल*

*केरल आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी आंफ रिसर्च केन्द्र के अनुसार, हर वर्ष 20 लाख लोगों की मौतों का कारण बन गया है*... 

*रिफाईन्ड तेल*

*आखिर भाई राजीव दीक्षित जी के कहें हुए कथन सत्य हो ही गये!*

*रिफाईन्ड तेल से DNA डैमेज, RNA नष्ट, , हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा शुगर(डाईबिटीज), bp नपुंसकता *कैंसर* *हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द,कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाईलस, स्केन त्वचा रोग आदि!. एक हजार रोगों का प्रमुख कारण है।* 

*रिफाईन्ड तेल बनता कैसे हैं।*

*बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है, इस विधि में जो भी Impurities तेल में आती है, उन्हें साफ करने वह तेल को स्वाद गंध व कलर रहित करने के लिए रिफाइंड किया जाता है*
*वाशिंग*-- 
*वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किए जाते हैं, ताकि Impurities इस बाहर हो जाएं |इस प्रक्रिया मैं तारकोल की तरह गाडा वेस्टेज (Wastage} निकलता है जो कि टायर बनाने में काम आता है। यह तेल ऐसिड के कारण जहर बन गया है।*

*Neutralisation*--
*तेल के साथ कास्टिक या साबुन को मिक्स करके 180°F पर गर्म किया जाता है। जिससे इस तेल के सभी पोस्टीक तत्व नष्ट हो जाते हैं।*

*Bleaching*--
*इस विधी में P.O.P {प्लास्टर ऑफ पेरिस}  पी.ओ.पी. यह मकान बनाने मे काम ली जाती है का उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गये कैमिकल को 130 °F पर गर्म करके साफ किया जाता है!*

*Hydrogenation*-- *एक टैंक में तेल के साथ निकोल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में तेल को 7-8 बार गर्म व ठंडा किया जाता है, जिससे तेल में पांलीमर्स बन जाते हैं, उससे पाचन प्रणाली को खतरा होता है और भोजन न पचने से सारी बिमारियां होती हैं।*
*निकेल*
*एक प्रकार का Catalyst Metal (लोहा) होता है जो हमारे शरीर के Respiratory system,  Liver,  Skin,  Metabolism,  DNA,  RNA को भंयकर नुकसान पहुंचाता है।*

*रिफाईनड तेल के सभी तत्व नष्ट हो जाते हैं और ऐसिड (कैमिकल) मिल जाने से यह भीतरी अंगों को नुकसान पहुंचाता है।*

*जोधपुर के गौसंवर्धन आश्रम के राकेश निहाल ने बताया कि, गंदी नाली का पानी पी लें, उससे कुछ भी नहीं होगा क्योंकि हमारे शरीर में प्रति रोधक क्षमता उन बैक्टीरिया को लडकर नष्ट कर देता है, लेकिन रिफाईनड तेल खाने वाला व्यक्ति की अकाल मृत्यु होना निश्चित है!*

*दिलथाम के अब पढे*

*हमारा शरीर करोड़ों Cells (कोशिकाओं) से मिलकर बना है, शरीर को जीवित रखने के लिए पुराने Cells नऐ Cells से Replace होते रहते हैं नये Cells (कोशिकाओं) बनाने के लिए शरीर खुन का उपयोग करता है, यदि हम रिफाईनड तेल का उपयोग करते हैं तो खुन मे Toxins की मात्रा बढ़ जाती है व शरीर को नए सेल बनाने में अवरोध आता है, तो कई प्रकार की बीमारियां जैसे* -— 

*कैंसर Cancer, Diabetes मधुमेह, Heart Attack          हार्ट अटैक Kidney Problems किडनीखराब, Allergies,  Stomach Ulcer,          Premature Aging,  Impotence,Arthritis, Depression,       Blood Pressure आदि हजारों बिमारियां होगी।*

 *रिफाईनड तेल बनाने की प्रक्रिया से तेल बहुत ही मंहगा हो जाता है, तो इसमे पांम आंयल मिक्स किया जाता है!         (पांम आंयल एक धीमी मौत है)*

*सरकार का आदेश*--
*हमारे देश की पॉलिसी अमरिकी सरकार के इशारे पर चलती है। अमरीका का पांम खपाने के लिए,मनमोहन सरकार ने एक अध्यादेश लागू किया कि, प्रत्येक तेल कंपनियों को खाद्य तेलों में 40% पांम आंयल मिलाना अनिवार्य है, अन्यथा लाईसेंस रद्द कर दिया जाएगा इससे अमेरिका को बहुत फायदा हुआ, पांम के कारण लोग अधिक बिमार पडने लगे, हार्ट अटैक की संभावना     99 % बढ गई, तो दवाईयां भी अमेरिका की आने लगी, हार्ट मे लगने वाली स्प्रिंग                 (पेन की स्प्रिंग से भी छोटा सा छल्ला),          दो लाख रुपये की बिकती हैं, यानी कि अमेरिका के दोनो हाथों में लड्डू, पांम भी उनका और दवाईयां भी उनकी!*

*अब तो कई नामी कंपनियों ने पांम से भी सस्ता,, गाड़ी में से निकाला काला आंयल* *(जिसे आप गाडी सर्विस करने वाले के छोड आते हैं)* 
*वह भी रिफाईनड कर के खाद्य तेल में मिलाया जाता है, अनेक बार अखबारों में पकड़े जाने की खबरे आती है।*

*सोयाबीन एक दलहन हैं, तिलहन नही... दलहन में... मुंग, मोठ, चना, सोयाबीन, व सभी प्रकार की दालें आदि होती है*। 
*तिलहन में... तिल, सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम,ओलीव आयल, आदि आती है।* 
*अतः सोयाबीन तेल, Only Pure पांम आंयल ही होता है। पांमआंयलकोरिफाईनड बनाने के लिए सोयाबीन का उपयोग किया जाता है।*
*सोयाबीन की एक खासियत होती है कि यह, प्रत्येकतरल पदार्थों को सोख लेताहै,पांम आंयल एक दम कालाऔर गाढ़ा होता है उसमे साबुत सोयाबीन डाल दियाजाता है जिससे सोयाबीन बीज उस पांम आंयलकी चिकनाई को सोख लेता है और फिर सोयाबीन की पिसाई होती है, जिससे चिकना पदार्थ तेल तथा आटा अलगअलग हो जाता है, आटा से सोया मंगोडी बनाई जाती है!*
*आप चाहें तो किसी भी तेल निकालने वाले के सोयाबीन ले जा कर, उससे तेल निकालने के लिए कहे!महनताना वह एक लाख रुपये  भी देने पर तेल नही निकालेगा, क्योंकि. सोयाबीन का आटा बनता है, तेल नही*! 

*फॉर्च्यून.. अर्थात.. आप के और आप के परिवार के फ्यूचर का अंत करने वाला*. 

*सफोला... अर्थात.. सांप के बच्चे को सफोला कहते हैं! 5 वर्ष खाने के बाद शरीर जहरीला 10 वर्ष के बाद.. सफोला (सांप का बच्चा अब सांप बन गया है.*
*15 साल बाद.. मृत्यु... यानी कि सफोला अब अजगर बन गया है और वह अब आप को निगल जायगा.!* 

*पहले के व्यक्ति 90.. 100 वर्ष की उम्र में मरते थे तो उनको मोक्ष की प्राप्ति होती थी, क्योंकि.उनकी सभी इच्छाए पूर्ण हो जाती थी।*

*और आज... अचानक हार्ट अटैक आया और कुछ ही देर में मर गया....?* 
*उसने तो कल के लिए बहुत से सपने देखें है, और अचानक मृत्यु..?* 
*अधुरी इच्छाओं से मरने के कारण.. प्रेत योनी मे भटकता है।*

*राम नही किसी को मारता.... न ही यह राम का काम!*
*अपने आप ही मर जाते हैं.... कर कर खोटे काम!!*
*गलत खान पान के कारण, अकाल मृत्यु हो जाती है!* 

*सकल पदार्थ है जग माही..!*
*कर्म हीन नर पावत नाही..!!* 
*अच्छी वस्तुओं का भोग,.. कर्म हीन, व आलसी व्यक्ति संसार की श्रेष्ठ वस्तुओं का सेवन नहीं कर सकता*! 

*तन मन धन और आत्मा की तृप्ति के लिए सिर्फ ओलीव आयल ,राइस ब्रान , कच्ची घाणी का तेल, तिल सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम आदि का तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!* पोस्टीक वर्धक और शरीर को निरोग रखने वाला सिर्फ कच्ची घाणी का निकाला हुआ तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए! 
आज कल सभी कम्पनी.. अपने प्रोडक्ट पर कच्ची घाणी का तेल ही लिखती हैं! 
वह बिल्कुल झूठ है.. सरासर धोखा है! 
कच्ची घाणी का मतलब है कि,, लकड़ी की बनी हुई, औखली और लकडी का ही मुसल होना चाहिए! लोहे का घर्षण नहीं होना चाहिए. इसे कहते हैं.. कच्ची घाणी. 
जिसको बैल के द्वारा चलाया जाता हो! 
आजकल बैल की जगह मोटर लगा दी गई है! 
लेकिन मोटर भी बैल की गती जितनी ही चले! 
लोहे की बड़ी बड़ी Expeller (मशिने) उनका बेलन लाखों RPM की गती से चलता है जिससे तेल के सभी पोस्टीक तत्व नष्ट हो जाते हैं और वे लिखते हैं.. कच्ची घाणी... 

*यह व्यापार नहीं,,  स्वास्थ्य की सेवा है*.

भादवे का घी - मरे हुए को जिंदा करने के अतिरिक्त, यह सब कुछ कर सकता है

"भादवे का घी"





भाद्रपद मास आते आते घास पक जाती है। जिसे हम घास कहते हैं, वह वास्तव में अत्यंत दुर्लभ औषधियाँ हैं। इनमें धामन जो कि गायों को अति प्रिय होता है, खेतों और मार्गों के किनारे उगा हुआ साफ सुथरा, ताकतवर चारा होता है। सेवण एक और घास है जो गुच्छों के रूप में होता है। इसी प्रकार गंठिया भी एक ठोस खड़ है। मुरट, भूरट,बेकर, कण्टी, ग्रामणा, मखणी, कूरी, झेर्णीया,सनावड़ी, चिड़की का खेत, हाडे का खेत, लम्प, आदि वनस्पतियां इन दिनों पक कर लहलहाने लगती हैं।

यदि समय पर वर्षा हुई है तो पड़त भूमि पर रोहिणी नक्षत्र की तप्त से संतृप्त उर्वरकों से ये घास ऐसे बढ़ती है मानो कोई विस्फोट हो रहा है। इनमें विचरण करती गायें, पूंछ हिलाकर चरती रहती हैं। उनके सहारे सहारे सफेद बगुले भी इतराते हुए चलते हैं।  यह बड़ा ही स्वर्गिक दृश्य होता है। इन जड़ी बूटियों पर जब दो शुक्ल पक्ष गुजर जाते हैं तो चंद्रमा का अमृत इनमें समा जाता है।

आश्चर्यजनक रूप से इनकी गुणवत्ता बहुत बढ़ जाती है।
कम से कम 5 km चलकर, घूमते हुए गायें इन्हें चरकर, शाम को आकर बैठ जाती है। रात भर जुगाली करती हैं।

अमृत रस को अपने दुग्ध में परिवर्तित करती हैं।

यह दूध भी अत्यंत गुणकारी होता है। इससे बने दही को जब मथा जाता है तो पीलापन लिए नवनीत निकलता है।
5 से 7 दिनों में एकत्र मक्खन को गर्म करके, घी बनाया जाता है। इसे ही "भादवे का घी" कहते हैं।
इसमें अतिशय पीलापन होता है। ढक्कन खोलते ही 100 मीटर दूर तक इसकी मादक सुगन्ध हवा में तैरने लगती है। 
बस,,,, मरे हुए को जिंदा करने के अतिरिक्त, यह सब कुछ कर सकता है।
ज्यादा है तो खा लो, कम है तो नाक में चुपड़ लो। 
हाथों में लगा है तो चेहरे पर मल दो। बालों में लगा लो।
दूध में डालकर पी जाओ।
सब्जी या चूरमे के साथ जीम लो।
बुजुर्ग है तो घुटनों और तलुओं पर मालिश कर लो।
इसमें अलग से कुछ भी नहीं मिलाना। सारी औषधियों का सर्वोत्तम सत्व तो आ गया!!
इस घी से हवन, देवपूजन और श्राद्ध करने से अखिल पर्यावरण, देवता और पितर तृप्त हो जाते हैं।
कभी सारे मारवाड़ में इस घी की धाक थी।
इसका सेवन करने वाली विश्नोई महिला 5 वर्ष के उग्र सांड की पिछली टांग पकड़ लेती और वह चूं भी नहीं कर पाता था।

मेरे प्रत्यक्ष की घटना में एक व्यक्ति ने एक रुपये के सिक्के को मात्र उँगुली और अंगूठे से मोड़कर दोहरा कर दिया था!!

आधुनिक विज्ञान तो घी को वसा के रूप में परिभाषित करता है। उसे भैंस का घी भी वैसा ही नजर आता है। वनस्पति घी, डालडा और चर्बी में भी अंतर नहीं पता उसे।लेकिन पारखी लोग तो यह तक पता कर देते थे कि यह फलां गाय का घी है!!

इसमें स्वर्ण की मात्रा इतनी रहती थी, जिससे सर कटने पर भी धड़ लड़ते रहते थे!! बाड़मेर जिले के गूंगा गांव में घी की मंडी थी।वहाँ सारे मरुस्थल का अतिरिक्त घी बिकने आता था जिसके परिवहन का कार्य बाळदिये भाट करते थे। वे अपने करपृष्ठ पर एक बूंद घी लगा कर सूंघ कर उसका परीक्षण कर दिया करते थे।

इसे घड़ों में या घोड़े के चर्म से बने विशाल मर्तबानों में इकट्ठा किया जाता था जिन्हें "दबी" कहते थे।

घी की गुणवत्ता तब और बढ़ जाती, यदि गाय पैदल चलते हुए स्वयं गौचर में चरती थी, तालाब का पानी पीती,जिसमें प्रचुर विटामिन डी होता है और मिट्टी के बर्तनों में बिलौना किया जाता हो। वही गायें, वही भादवा और वही घास,,,, आज भी है। 

इस महान रहस्य को जानते हुए भी *यदि यह व्यवस्था भंग हो गई तो किसे दोष दें?

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रोगानुसार गाय के घी के उपयोग :





१. गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है ।
२. गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है
३. गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है ।
४. 20-25 ग्राम गाय का घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांजे का नशा कम हो जाता है ।
५. गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है ।
६. नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाता है ।
७. गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लोट आती है
८. गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है ।
९. गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है ।
१०. हाथ-पॉँव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ठीक होता है ।
११. हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी ।
१२. गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है ।
१३. गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है ।
१४. गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है ।
१५. अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें ।
१६. हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा ।
१७. गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है ।
१८. जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाई खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, इससे ह्रदय मज़बूत होता है ।
१९. देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है ।
२०. गाय का घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर या बूरा या देसी खाण्ड, तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें । प्रतिदिन प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा गुनगुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है ।
२१. फफोलों पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है ।
२२. गाय के घी की छाती पर मालिश करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायता मिलती है ।
२३. सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम गाय का घी पिलायें, उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें, जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष भी कम हो जायेगा ।
२४. दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ठीक होता है ।
२५. सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, इससे सिरदर्द दर्द ठीक हो जायेगा ।
२६. यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है । वजन भी नही बढ़ता, बल्कि यह वजन को संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है तथा मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है ।
२७. एक चम्मच गाय के शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है ।
२८. गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें । इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक कि तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं । यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है ।
२९. गाय का घी एक अच्छा (LDL) कोलेस्ट्रॉल है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए । यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है ।
३०. अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार, नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को सन्तुलित करता है ।
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विशेषज्ञों का कहना है कि इस संदेश को पढ़ने वाला प्रत्येक व्यक्ति इसे १० लोगों/ग्रुप तक भेज दे तो वह कम से कम एक व्यक्ति का जीवन रोगमुक्त कर सकता
जय गऊ माता
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