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शनिवार, 26 सितंबर 2020

कांग्रेस क्यो जला रही सरकारी संपत्ति,करे कोर्ट में अपील हो अगर कोई आपत्ति,किसान का फायदा देखने की नही है चाहत, तो मिट जाएगी विपक्ष की संतति

📌 *_कांग्रेस क्यो जला रही सरकारी संपत्ति,करे कोर्ट में अपील हो अगर कोई आपत्ति,किसान का फायदा देखने की नही है चाहत, तो मिट जाएगी विपक्ष की संतति_*

केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा लाए गए कृषि बिल (Farm Bill) के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. कृषि बिल के खिलाफ पंजाब में किसान समिति ने 3 दिवसीय रेल रोको अभियान की शुरुआत कर दी है. इस दौरान पंजाब आने-जाने वाली सभी ट्रेनों को रोक दिया गया है. 

*यदि किसानों के लागत मूल्यों के कानून का बिल किसान विरोधी है तो विपक्ष सुप्रीम कोर्ट में अपील क्यों नहीं कर रहा है*

 माइक तोड़ने, बिल फाड़ने, झुंठा विरोध करने से किसानों के लागत मूल्य मिल जाएंगे? कभी नहीं ? यदि सरकार गलत कर रही है तो विपक्ष याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं जाता है क्या विपक्ष के पास बकीलों की कमी है ? जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो ? किसानों को उनके हक और लागत मूल्यों का सच्चा न्याय मिले । *कुछ तो दाल में काला है या पूरी दाल ही काली है* यदि विपक्ष किसानों को वास्तविकता में लागत मूल्य दिलाना चाहता है तो विपक्ष को एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा देनी चाहिए थी जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाने का सच सामने आएगा ? सुप्रीम कोर्ट न्याय देने के लिए बनाया है  विस्तार से व्याख्या करेगा, किसानों का भ्रम दूर हो जाएगा कोन सही है कोंन गलत है माइक तोड़ने, सड़क और संसद में झुंठ बोलने से किसानों को मूल्य नहीं मिलने वाले हैं देश में हर वस्तु मंहगी है लेकिन पार्टियों और सरकारों को विपक्ष में बैठने के बाद किसानों की फसलों के मूल्य मंहगे खासकर आलू, प्याज और टमाटर मंहगे दिखाई देते हैं शराब और ड्रग्स बहुत मंहगे होते जा रहे है गरीब और अमीर दोनों बिना सरकारी सहायता के पी रहे हैं केबल किसानों के आटा और दाल मंहगे दिखाई देते हैं विपक्ष और सरकारों ने ड्रग्स और शराब को कभी मुद्दा नहीं बनाया क्योंकि उनसे मोटा कमीसन और वोट बैंक मिलता है *जबकि विपक्ष और सरकार मंडियों के कमीसन खोरो को इधर उधर करके नूरा कुस्ती करते दिखाई देते हैं लेकिन किसानों को फसल पर लागत मूल्य देने से परहेज़ करते हैं पहले किसानों की फसलों को विपक्ष और सरकार को सड़कों पर फिकबाना छोड़कर मिलकर गावों, शहरों, मंडियों देश या विदेश में बिकबाना चाहिए  फिर राजनीति करनी चाहिए ?* 
यदि किसानों के लिए कानून गलत है और सरकार विपक्ष की नहीं सुन रही है तो विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए, एनआरसी के विरोध के समय विपक्ष सुप्रीम कोर्ट गया, और भी अनेक उदाहरण हैं एक बार किसानों के हक के लिए भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर देखो, जिससे किसानों को पता चले किसानों की सच्ची लड़ाई कोन लड़ रहा है ? किसानों को बेवकूफ बनाते बनाते ७० साल गुजार दिए लेकिन उनका हक देने में और दिलाने में सभी बोट बैंक खोजते हैं और धोखा देते हैं किसानों के लागत मूल्यों में अभी तक कोई भी पार्टी या नेता दूध का धुला हुआ नहीं निकला है जिसे किसान नेता चौधरी चरण सिंह और सर छोटूराम कहा जा सके !!! मोदी ने कुछ तो किया है पूरा नहीं तो आधा ? *अभी तक किसानों को लागत मूल्यों में किसानों को सिर्फ धोखा मिला है उनका वास्तविक हक नहीं ।।

*Farm Bill 2020: फसल बुवाई के समय मिलेगी उपज के दाम की गारंटी, कॉन्ट्रेक्ट तोड़ने पर भी नहीं होगी कोई कार्रवाई*

कृषि के 3 बिलों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने कहा है कि इन बिल को लेकर राजनीति की जा रही है. विपक्षी दल कृषि बिल को लेकर किसानों को आधारहीन बातों पर गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि कृषि बिल आने से न कृषि उपज मंडियां (APMC) खत्म होने वाली हैं और न ही इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था समाप्त होगी.

 मौजूदा व्यवस्था में किसान को अपनी फसल मंडी में बेचने के लिए वाध्य होना पड़ता था. इसके साथ ही मंडी में बैठे कुछ 25 से 30 आढ़तिया बोली लगाते थे और किसान की उपज के दाम  तय करते थे. इसके अलावा किसानों के लिए कोई दूसरी व्यवस्था नहीं थी, इसलिए किसान को मजबूर होकर मंडी में उपज बेचनी पड़ती थी. मगर अब किसान मंडी के बाहर भी अपनी उपज बेच सकता हैं. इसके साथ ही किसानों को उनकी उपज का भाव भी मर्जी हिसाब से मिलेगा. इतना ही नहीं, कृषि मंत्री ने MSP को लेकर कहा है कि कभी भी MSP किसी कानून का हिस्सा नहीं रहा है. यह पहले भी प्रशासनिक फैसला होता था और आज भी प्रशासनिक फैसला है.

*फसल के दाम की गारंटी*

कृषि बिल से किसान को उनकी फसल के दाम की गारंटी बुवाई के समय मिल जाएगी. इसके लिए किसान और के बीच कॉन्ट्रेक्ट होगा, जिसमें केवल कृषि उत्पाद की खरीद फरोख्त होगी. बता दें कि इसमें जमीन से खरीदार का कोई लेना-देना नहीं होता है. अगर किसान कांट्रेक्ट तोड़ते हैं, तो उन पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी. खास बात है कि खरीदार कॉन्ट्रेक्ट नहीं तोड़ सकता है. 

*APMC*
पहले की तरह ही कृषि उपज मंडियां काम करती रहेंगी, क्योंकि वे राज्य सरकार के अधीन होती हैं. सरकार ने केवल किसान की कृषि उपज मंडियों में अपनी उपज बेचने की वाध्यता खत्म की है. किसान चाहे, तो अपनी उपज कृषि उपज मंडियों में बेच सकते हैं. अगर उनको उपज का दाम बाहर अच्छा मिल रहा है, तो वह  उपज बाहर बेच सकते हैं. बता दें कि किसानों को उपज मंडियों में बेचने पर टैक्स भी देना पड़ता था, लेकिन उपज बाहर बेचने पर किसी भी तरह की टैक्स नहीं देना होगा

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गुरुवार, 24 सितंबर 2020

बेवजह घर से निकलने की जरूरत क्या है

बेवजह घर से निकलने की जरूरत क्या है 
मौत से आंखे मिलाने की जरूरत क्या है

सब को मालूम है बाहर की हवा कातिल है 
यूंही कातिल से उलझने की जरूरत क्या है

ज़िन्दगी एक वरदान है उसे संभाल के रखो
कब्रगाहों को सजाने की जरूरत क्या है

दिल बहलाने के लिए घर में वजह काफी है
यूंही गलियों में भटकने की जरूरत क्या है

किसी राजनेता को किसानों के लिए कोई संवेदना या जिम्मेदारी नहीं है लेकिन किसान सबकी राजनीति का हिस्सा जरूर हैं ।

भारत में किसान हर मौसम में जी तोड़ मेहनत करके हर तरह की खाने पीने की वस्तुएं पैदा करके हम आम लोगों की जरूरतों को पूरा करते हैं लेकिन आजकल परिस्थितियां कुछ ऐसी हो गयी हैं कि सबसे ज्यादा तकलीफ किसानों के जीवन में ही नज़र आती हैं । 
पूरी साल मेहनत करके भी वो लोग ना तो अपने दम पर बिना कर्ज लिए अपने परिवार की जरूरतें ही पूरा कर पाते हैं और ना ही लिये हुए कर्ज को उतार पाते हैं और ये दोनों ही तकलीफें हर साल हजारों किसानों की जान ले लेती हैं । 
और सालों साल तमाम नई नई सरकारी नीतियों , वादों और योजनाओं के बाद भी किसान की स्थिति जस की तस बनी हुई है बल्कि और ज्यादा तकलीफदेय होती जा रही है और ऐसा महसूस भी नहीं होता कि किसी राजनेता को किसानों के लिए कोई संवेदना या जिम्मेदारी है लेकिन किसान सबकी राजनीति का हिस्सा जरूर हैं । 
 तो ये तो तय है कि अभी तो किसानों को अपनी समस्याओं के हल खुद ही करने होंगे लेकिन अगर हम आम लोग अपनी क्षमता से किसानों का सहयोग कर दें तो भारत के सभी किसानों और गांवो को बहुत जल्दी खुशहाल बनाया जा सकता है । तो यहाँ बहुत संक्षिप्त में कुछ ऐसे काम बताए  जा रहे हैं जिन्हें जो भी किसान भाई करेगा वो खुशहाल होना शुरू हो जाएगा और अगर देश के सभी किसान भाइयों ने ये काम करना शुरू कर दिया तो भारत का हर गाँव और पूरा भारत देश ही खुशहाल और मजबूत हो जाएगा -- 
(1) अपने गाँव में जो भी जितनी भी जमीन खाली पड़ी हो उस पर पीपल , बरगद , नीम या अशोक के पेड़ लगाते रहें क्योंकि इससे एक तो प्रदूषण खत्म होकर पर्यावरण शुद्ध होगा , दूसरा गाँव में रोगियों की संख्या कम होती जाएगी , तीसरा पर्यावरण शुद्ध होने से फसल अच्छी होने लगेंगी । इसके साथ ही गाँव की बंजर जमीन पर खसखस और निम्बूघास के पौधे लगाएं क्योंकि ये दोनों ही बंजर जमीन को उपजाऊ बनाते हैं । 
(2) खेती में केमिकल वाले खाद और कीटनाशक का प्रयोग करना  बिल्कुल बन्द करें , क्योंकि एक तो इनकी वजह से जमीन बंजर होती जा रही है और दूसरा इनकी कीमतें हर साल बढ़ती जा रही हैं , तीसरा मिट्टी के बंजर होते जाने के कारण इनकी खपत बढ़ने से खर्चा बढ़ रहा है , चौथा खाद लेने के लिए हर बार खाद गोदामों पर धक्के खाने पड़ते हैं। जो विनाश ला रही है
(3) खेती में जैविक खाद और कीटनाशक का उपयोग  करना शुरू करें(  वैसे किटनाशको की भी कोई जरूर नही )क्योंकि तमाम कृषि वैज्ञानिकों के शोधों में यह बात सिद्ध हुई है कि जानवरों के गोबर और मूत्र से बने खाद में मिट्टी को उपजाऊ बनाने वाले पदार्थ बहुतायत में होते हैं और जानवरों में भी देशी गाय के गोबर और गौमूत्र से बना खाद तथा गाय के गौमूत्र से बना कीटनाशक खेती और किसानों के लिए वरदान है । लेकिन बस सही प्रक्रिया से बनाया गया हो । 
(4) गांव में जहां भी नल लगे हों उनके पास सोखता गड्ढे जरूर बनाएं , क्योंकि ये अपने आप ही water level को बढ़ाते रहते हैं ।
(5) CSIR प्रयोगशाला नागपुर , FICCI प्रयोगशाला नई दिल्ली , SIGMA प्रयोगशाला , ITRI प्रयोगशाला लंदन तथा रूसी वैज्ञानिक शिरोविच आदि ने अपने शोधों में इस बात को सिद्ध किया है कि अगर कुछ तय पदार्थ एक निश्चित मात्रा में गाय के घी के साथ अग्नि में हवन किये जायें तो उससे ऐसे गैसीय रसायन पैदा होते हैं जो जल , वायु और मिट्टी के प्रदूषण को खत्म कर इन्हें शुद्ध करते हैं , तो किसानों के लिए तो यज्ञ वरदान है । इसीलिए अगर हर गाँव में हर घर में हर किसान परिवार द्वारा अगर हर रोज यज्ञ ना हो पाए तो सप्ताह में एक बार सबको एक जगह एक साथ बैठकर बड़ा यज्ञ कर लेना चाहिए । इससे पर्यावरण शुद्ध होगा , फसल भी अच्छी होंगी , रोग कम होंगे और आपसी मेलजोल भी बढ़ेगा । 
(6) अपने पूरे गाँव को एक परिवार मानते हुए , गांव के हर व्यक्ति को परिवार का सदस्य मानते हुए बिना जातपात देखे सबके साथ मिलजुलकर रहें । क्योंकि दुख तकलीफ आने पर आपके गाँव वाले ही आपके साथ खड़े होंगे । इसलिए  जातिवाद , ऊंचनीच और छुआछूत के जहर को हर गाँव से खत्म करें और सबके साथ अच्छा व्यवहार रखें । साफ सुधरे रहें , गांव को साफ सुथरा रखें , सबके साथ मित्रता रखें , अपने बच्चों को गांव के किसी भी बच्चे के साथ खेलने से ना रोकें । 
७ चेकडेम न हो तो जरूर बनाये ये खेत की जान है
अगर बस इतना कर लिया जाए तो हर गाँव और हर किसान परिवार और शायद पूरा भारत देश ही बहुत जल्द खुशहाल हो जाएंगे ।

किसान के उत्पादन और मूल्य से जुड़े जोखिम घटेंगे, किसानों को मिलेगा सीधा लाभ

*किसान कल्याण के नए मापदंड: कृषि सुधार बिलों से किसानों का ‘एक देश-एक बाजार’ का सपना होगा पूरा।* -सौजन्य से दैनिक जागरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही किसानों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध रही है। किसानों को लुभाने वाली घोषणाओं के बजाय प्रधानमंत्री का जोर कृषि क्षेत्र को समृद्ध और किसानों को सशक्त बनाने पर रहा है। सरकार किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को लेकर चल रही है और इस दिशा में अनेक कदम उठाए गए हैं। इसी कड़ी में कृषि सुधार से संबंधित तीन विधेयक सदन में लाए गए। पहला विधेयक देश के अन्नदाता को बिचौलियों के चंगुल से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ उसे अपनी उपज को इच्छानुसार मूल्य पर बेचने की आजादी देगा। पहले हमारे किसानों का बाजार सिर्फ स्थानीय मंडी तक सीमित था, उनके खरीदार सीमित थे, बुनियादी ढांचे की कमी थी और मूल्यों में पारदर्शिता नहीं थी। इस कारण उन्हें अधिक परिवहन लागत, लंबी कतारों, नीलामी में देरी और स्थानीय माफिया की मार झेलनी पड़ती थी। अब उन्हें राष्ट्रीय बाजार में अवसर मिलने के साथ-साथ बिचौलियों से सही मायनों में मुक्ति मिलेगी। किसानों का ‘एक देश-एक बाजार’ का सपना भी पूरा होगा।
 *किसान के उत्पादन और मूल्य से जुड़े जोखिम घटेंगे, किसानों को मिलेगा सीधा लाभ* 

दूसरा विधेयक बोआई के समय ही बाजार से संपर्क प्रदान करता है, जिससे किसान के उत्पादन और मूल्य, दोनों से जुड़े जोखिम घटेंगे। इसके तहत किसान कृषि आधारित उद्योगों, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं, निर्यातकों आदि के साथ अनुबंधित कृषि कर सकेंगे। अनुबंधित किसानों को ऋण की सुविधा, तकनीकी सहायता, बीज की उपलब्धता, फसल बीमा सुविधाएं आदि उपलब्ध कराई जाएंगी। कृषि क्षेत्र में निजी निवेश आने से स्टोरेज, परिवहन तथा एग्रो इंडस्ट्री लगने का रास्ता खुलेगा। इसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा। वे कैश क्रॉप्स और एग्रो-इंडस्ट्री की जरूरतों के अनुसार खेती कर अपनी आमदनी असीमित रूप से बढ़ा सकेंगे। यह अधिनियम किसानों के मालिकाना हक और खेती के अधिकार को पूर्ण रूप से सुरक्षित रखेगा। किसानों को किसी भी समय इस करार से बिना किसी पेनाल्टी के निकलने की आजादी होगी और जमीन की बिक्री, लीज और गिरवी रखना निषिद्ध होगा।
 *शोषित किसानों को आर्थिक विकास का कोई लाभ नहीं मिला*
कई राज्यों में बड़े किसान कॉरपोरेट के साथ मिलकर कैश क्रॉप का लाभ ले रहे थे। अब यह लाभ छोटे किसान भी ले सकेंगे, पर जिन विपक्षी दलों ने उन्हें हमेशा अंधकार और गरीबी में रखा, उन्हें यह बदलाव अच्छा नहीं लगा। वे सड़क से संसद तक इसका विरोध कर रहे हैं। इस दौरान राज्यसभा में उनका आचरण लोकतंत्र और संसदीय मर्यादा को शर्मसार करने वाला था। ये वही लोग हैं जिनके शासन में किसानों की हालत बद से बदतर होती गई। वे बिचौलिये और साहूकारों द्वारा शोषित होते रहे और आर्थिक विकास का उन्हें कोई लाभ नहीं मिला।
 *किसानों के पास एमएसपी के अतिरिक्त भी उपज बेचने के कई विकल्प होंगे*
आज जब प्रधानमंत्री उन्हें वे अधिकार दे रहे हैं जो 70 वर्ष पूर्व ही मिलने चाहिए थे, तो इन नेताओं को अच्छा नहीं लग रहा। वे यह कहकर भ्रम फैला रहे हैं कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खत्म करने जा रही है, जबकि ऐसा कोई प्रावधान इन विधेयकों में नहीं है। वह व्यवस्था यथावत रहेगी। वास्तव में अब किसानों के पास एमएसपी के अतिरिक्त भी उपज बेचने के कई विकल्प होंगे।

 *मोदी सरकार एमएसपी में लगातार वृद्धि कर रही* 
विपक्षी दल भूल जाते हैं कि स्वामीनाथन आयोग की जिन सिफारिशों को कांग्रेस सरकार ने 2006 में ठंडे बस्ते में डाल दिया था, उन्हें मोदी सरकार ने पूरा किया है। मोदी सरकार एमएसपी में लगातार वृद्धि कर रही है, जिसकी एक बानगी गत दिवस भी देखने को मिली। अब 2014 की तुलना में गेहूं की एमएसपी 41 प्रतिशत, धान की 43, मसूर की 73, उड़द की 40, मूंग की 60, अरहर की 40, सरसों की 52, चने की 65 और मूंगफली की 32 प्रतिशत ज्यादा हो गई है। यही नहीं, 2014 की तुलना में गेहूं और धान की खरीद मात्रा में भी क्रमश: 73 और 114 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

 *विपक्षी नेता एमएसपी पर भ्रम फैला रहे, विपक्ष किसानों के विकास में रोड़ा भी बन रहा है* 

2009-14 तक कांग्रेस सरकार ने किसानों से मात्र 1.52 लाख मीट्रिक टन दालें खरीदीं, वहीं मोदी सरकार ने 2014-19 में 76.85 लाख मीट्रिक टन दालों की खरीद की। यह 4962 प्रतिशत का फर्क विपक्ष के ढोंग और मोदी जी के समर्पण को साफ दर्शाता है। स्पष्ट है कि राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल समेत दूसरे विपक्षी नेता न सिर्फ एमएसपी पर भ्रम फैला रहे हैं, बल्कि किसानों के विकास में रोड़ा भी बन रहे है।

 *मोदी सरकार के कामों से किसान तेजी से खुशहाली के मार्ग पर अग्रसर* 

जहां कई विपक्षी पार्टियों ने वर्षों तक किसानों के नाम पर केवल राजनीति की, वहीं मोदी सरकार ने शास्त्री जी के ‘जय जवान-जय किसान’ नारे को आगे ले जाते हुए दर्जनों ऐसे काम किए हैं, जिनसे किसान तेजी से खुशहाली के मार्ग पर अग्रसर हैं। मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कृषि बजट में 35.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, 16.38 करोड़ किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड दिए गए, माइक्रो इरिगेशन में 39.4 फीसद वृद्धि हुई, कृषि यंत्रीकरण का बजट 1248 गुना किया गया, कृषि ऋण 57 फीसद अधिक दिया गया और कृषि ऋण में दी जाने वाली छूट में निवेश 150 फीसद बढ़ा।

 *10 करोड़ से अधिक किसानों को किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिला* 

इसी कारण मोदी सरकार के छह वर्षों के कार्यकाल में खाद्यान्न उत्पादन 7.29, बागवानी का 12.4 और दलहन का 20.65 फीसद बढ़ा है। इसके अतिरिक्त फसल बीमा योजना से किसानों को सुरक्षा कवच प्रदान किया गया है। इससे बीमित किसानों की संख्या 6.66 करोड़ से बढ़कर 13.26 करोड़ हो गई है। पीएम किसान सम्मान निधि और पीएम किसान पेंशन योजना के माध्यम से किसानों को सीधी सहायता देने का भी काम किया गया है। अब तक 10.21 करोड़ से अधिक किसानों को किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिला है। 94 हजार करोड़ रुपये से अधिक धनराशि सीधे उनके खातों में भेजी गई है। पेंशन योजना से भी अब तक 19.9 लाख किसान जुड़ चुके हैं। मोदी सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये की कृषि मूलभूत संरचना निधि के अंतर्गत वित्तपोषण की एक नई केंद्रीय योजना भी शुरू की है।

 *मोदी सरकार ने किसानों को चीन के नकारात्मक प्रभाव से बचाया* 

मोदी सरकार ने आरसेप से बाहर आकर भी किसानों को चीन के नकारात्मक प्रभाव से बचाया। सरदार पटेल का कहना था, ‘इस धरती पर अगर किसी को सीना तानकर चलने का हक है तो वह धन-धान्य पैदा करने वाले किसान को है।’ मुझे यह कहते हुए गर्व है कि मोदी सरकार ने किसानों को यह अधिकार देने का काम किया है। किसानों के कल्याण के लिए उठाए जा रहे इन कदमों का सुपरिणाम शीघ्र ही देश के समक्ष आएगा और आत्मनिर्भर भारत के लिए हो रहे प्रयासों में हमारे अन्नदाता किसानों की बराबर की भूमिका होगी।
 *लेखक - अमित शाह*

बुधवार, 23 सितंबर 2020

अपने बच्चों को शिक्षित करने के साथ ही हुनरमंद भी बनाइए,

*मुसलमान कभी बेरोजगारी का रोना नहीं रोते !*

उसका कारण बहुत साधारण है ।
एक जीवंत उदाहरण मैं आपको बता रहा हूँ -
www.sanwariyaa.blogspot.com
मेरे पड़ोस का लड़का कल मेरे पास आया और बोला भैया मैं बेरोजगार हूँ, कहीं नौकरी नहीं मिल रही है, बहुत परेशान हूँ, बताईये मोदी जी ने कहा था कि हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार दूँगा, सात साल होने जा रहा है, कुछ नहीं मिला, GDP की ऐसी की तैसी हो गयी सो अलग.... 

मैंने उससे कुछ प्रश्न पूछे और सारे प्रश्नों का जबाब इस प्रकार रहा... 
और ये जवाब मिला,
टेलरिंग/कटिंग (दर्ज़ी) का काम करोगे ?
नहीं !
लेडीज़ ब्यूटी पार्लर पर काम करोगे ?
नहीं !
मर्दों के नाई (बार्बर) बनोगे ?
नहीं !
हलवाई का काम करोगे ?
नहीं !
बढ़ई (कारपेंटर) का काम करोगे ?
नहीं !
लुहार का काम करोगे ?
नहीं !
खराद पर काम करोगे ?
नहीं !
ग्राफिक डिज़ाइन का काम आता है ?
नहीं !
कबाड़ी का काम करोगे ?
नहीं !
सब्जी/फ्रूट का काम करोगे ?                      -नहीं !
जूस की दुकान पर काम करोगे ?
नहीं !
क्रेडिट कार्ड बनाने का काम करोगे ?
नहीं !
सेल्समैन बनोगे ?
नहीं !
चाय/पकोड़े की दुकान खोलोगे ?
नहीं !
किराने की दुकान पर काम करोगे  ?
-नहीं !
आढ़त का काम करोगे ?
-नहीं !
सैलून की दुकान पर काम करोगे ?
नहीं !
मेडिकल स्टोर पर काम करोगे ?
नहीं !
डोर टू डोर मार्केटिंग का काम करोगे ?
नहीं !
कार, ट्रक आदि चला लोगे ?
नहीं ! 
बाइक रिपेरिंग आती है ?
नहीं !
कम्प्यूटर चलाने आता है ?
नहीं !
अकाउंट का काम आता है  ?
नहीं !
RO सेलिंग का काम करोगे  ?
नहीं !
इंश्योरेंस सेलिंग का काम करोगे ?
नहीं !
खेती का काम करोगे ?
नहीं !
बैटरी इनवर्टर का काम करोगे ?
नहीं ! 
पंचर बना लोगे ?
नहीं ! 
होटल या रेस्टोरेंट पर काम करोगे  ?
नहीं !
टाइप कर लोगे ?
नहीं !
मार्केटिंग कंपनी में काम करोगे ?
नहीं !
बिजली रिपेरिंग, पंखा, AC, गीज़र, कूलर, वाशिंग मशीन रिपेरिंग कर लोगे ?
नहीं ! 
कपड़े की दुकान पर काम करोगे ?
नहीं ! 
सिलाई या टेलरीग का काम जानते हो ?
नहीं !
पान मसाला गुटखा बेचोगे ?
नहीं ! 

मैंने पुछा तुमको क्या काम आता क्या है ? 

वो बोला जी मैं BA पास हूँ और पढ़ा लिखा हूँ ।

लेकिन कोई काम नहीं मिल रहा है ।।

वो बोला मोदी जी ने युवाओं को बेरोज़गार कर दिया ।।

तब से दिमाग़ खराब है मेरा ।

यह वह लोग हैं जिनको मोदी तो क्या पूरी दुनिया में कोई नौकरी नहीं दे सकता । आज के युवा मेहनत करने के बजाए सरकार को गाली देना बेहतर विकल्प मानते हैं ।।

मैं बोला तुमको ही कुछ काम करना नहीं आता, काम की कमी नहीं है, कमी काम करने वालों की है, काम चारों तरफ बिखरे पड़े हैं, और उनको मुस्लिम लड़के झपट रहे हैं और तुम सरकारी नौकरी के इंतज़ार में बैठे हो, और बेरोज़गारी का रौना रो रो के मोदी का स्यापा कर रहे हो । मोदी के "स्किल इंडिया" का लाभ मुस्लिम लड़के उठा रहे हैं और हिन्दू लड़के सरकारी नौकरी के इंतज़ार में बैठे हैं ।

अपने बच्चों को शिक्षित करने के साथ ही हुनरमंद भी बनाइए, बच्चों को बताइये की कोई काम छोटा नहीं होता, धीरूभाई अंबानी ने पहले पैट्रोल पम्प पर नौकरी की थी, अगर वो सरकारी नौकरी का इंतज़ार करते रहते तो, किसी सरकारी विभाग में क्लर्क/मैनेजर बन कर ही रह जाते, और रिलायंस कम्पनी न बनती ।

बच्चों को हुनर सीखने की सीख दीजिये ।

समाज का हर व्यक्ति हुनर वाला होगा, तभी बेरोजगारी की समस्या हल होगी ।

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