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बुधवार, 30 सितंबर 2020

जैविक खेती के मूल सिद्धांत


माँ बुलाती है 
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जैविक खेती के मूल सिद्धांत :-

इसके लिए सबसे पहले सभी को पूर्ण संकल्पित होना चाहिए क्यों कि शुरुआत में जानकारी और अनुभव के अभाव में कुछ परेशानी हो सकती हैं
लेकिन जब अच्छी तरह से जानकर करेंगे तो जैविक खेती जरा भी मुश्किल नहीं है

जैविक कृषि के कुछ मूल सिद्धांत हैं
मिट्टी में जीवाणुओं की मात्रा भूमि की उत्पादकता का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है
ये जीवाणु मिट्टी ,हवा और कृषि अवशेषों में कुदरती रूप से उपलब्ध पोषक तत्वों को पौधों के अनुरूप बनाते हैं
ये जीवाणु जो जैविक कृषि का मूल है तो इनको हमनें कृत्रिम रसायन का प्रयोग करके इनको समाप्त कर दिया है जिसका दुष्प्रभाव हमें भुगतना पड़ रहा है ।हमारे भूमि उत्पादन शक्ति में और
हमारे भोजन मे

रासायनिक खादें भी मिट्टी में जीवाणु के पनपने में रूकावट करती हैं इसलिए सबसे पहला काम है मिट्टी में जीवाणु की संख्या बढाना
जिसके लिए केमिकल कीटनाशक और रसायनों का प्रयोग बिल्कुल  बंद करें
फिर बिक्री और खाने में प्रयोग होने वाले फसल के हिस्से को छोड़कर खेत मे पैदा होने वाली किसी भी सामग्री बायोमास को  खरपतवार को भी खेत से बाहर नहीं जाने देना चाहिए
हम काफी बार कृषि अवशेषों को खेत में ही जलाने का काम करते हैं
जलाना तो बिल्कुल भी नहीं चाहिए
उसका वहीं पर भूमि को ढंकने के लिए और खाद के रूप में प्रयोग करना चाहिए

इस प्रक्रिया को प्राकृतिक आच्छादन या मल्चिंग करना भी कहा गया है
खेत में अगर बायोमास की 3-4 ईंच की परत बन जाए तो बहुत अच्छा है यह परत बहुत से काम करती है
वाष्पीकरण कम करके पानी बचाती है जिससें जल संचय भी होता है
बारिश और तेज हवा आंधी में मिट्टी को बचाती है

खरपतवार को नियंत्रित व रोकथाम करती है

तापमान नियंत्रित करके ज्यादा गर्मी सर्दी में भी मिट्टी के जीवाणुओ के लिए उपयुक्त बनाती है व उनके लिए भोजन का काम करती है
और आखरी में गल सड कर मिट्टी की ऊपजाऊ शक्ति बढाती है

ज़मीन ढकने के लिये बायोमास के छोटे टुकड़े कर के डालना बेहतर रहता है. बायोमास के तौर पर चौड़े पत्ते और मोटी टहनी का प्रयोग नहीं करना चाही ये.

खरपतवार तभी नुकसान करती है जब वह फसल से ऊपर जाने लगे या उसमें फल या बीज बनने लगे सूर्य प्रकाश मे अवरोध पैदा करे 
तभी उसे निकालने की जरूरत है
निकालकर भी उसका खाद या भूमि को ढंकने में प्रयोग होना चाहिए

उसे खेत से बाहर फैंकने की जरूरत नहीं है
वैसे इस तरह की खेती में कुछ वर्ष पश्चात खरपतवार की समस्या नही के बराबर हो जाती है
इसका कारण ये है कि रासायनिक खाद के प्रयोग से खरपतवार को सहज ही उपलब्ध पोषण तत्व एकदम से मिल जाते हैं जिससे वह तेजी से बढता है परंतु कुदरती खेती में खरपतवार को सहज उपलब्ध पोषक तत्व नहीं मिलता इसलिए खरपतवार की समस्या धीरे धीरे कम हो जाती है

आगे यह है कि खेत में जैव-विविधता होनी चाहये, यानी कि केवल एक किस्म की फ़सल न बो कर खेत में एक ही समय पर कई किस्म की फसल बोनी चाहिए

र्जैव-विविधता या मिश्रित खेती मिट्टी की उत्पादकता बढ़ाने और कीटों का नियन्त्रण करने, दोनों मे सहायक सिद्ध होती है. जहाँ तक सम्भव हो सके हर खेत मे फ़ली वाली या दलहनी (दो दाने वाली) एवं कपास, गेहूँ या चावल जैसी एक दाने वाली फ़सलों को समला कर बौंए ...दलहनी या फली वाली फ़सल नाइट्रोजन की पूर्त्ति मे सहायक होती है. एक ही फ़सल यानी कि कपास इत्यादि की भी एक ही किस्म को न बो कर भिन्न-भिन्न किस्मों का प्रयोग करना चाहिए. फ़सल-चक्र मे भी समय-समय पर बदलाव करना चाहीये. एक ही तरह की फ़सल बार बार लेने से मिट्टी से कुछ तत्त्व ख़त्म हो जाते है एव कुछ विशेष कीटों और खरपतवारों को लगातार पनपने का मौका मिलता है. एक-दो फ़सल अपनाने के कारण ही आज किसान भी अपने खेत मे हो सकने वाली चीज़ भी बाज़ार से ख़रीद कर खा रहा है, जिस के चलते किसान परिवार को भी स्वस्थ भोजन नहीं मिलता. ..

कोशिश यह रहे कि भूमि नंगी न रहे. इस के लिये उस में विभिन्न तरह की, लम्बी, छोटी, लेटने वाली और अलग-अलग समय पर बोई और काटे जाने वाली फ़सल ली जाए
खेत मे लगातार फ़सल बने रहने से सूरज की रोशनी, जो धरती पर भोजन और ऊर्जा का असली स्रोत है, और जिसे मुख्य तौर से पौधे ही पकड़ पाते है, का पूरा प्रयोग हो पाता है इस के साथ ही इस से ज़मीन में नमी बनी रहती है और मिट्टी का तापमान नियंत्रित रहता है जिस से मिट्टी के र्जीवाणओ को लगातार उपयूक्त वातावरण मिलता है, वरना वे ज़्यादा गरमी/शरदी मे मर जाते है

खेत मे प्रतिएकड़ कम से कम 5-7 भिन्न-भिन्न प्रकार के पेड़ ज़रूर होने चाहिए. खेत के बीच के पेड़ों को 7-8 फ़ट से ऊपर न जाने दे उन की छ्टाई करते रहे उन के नीचे ऐसी फ़सल उगानी चाहिए जो कम धूप मे भी उगती है (ऐसी फ़सलों को बोना र्जैव-विविधता बनाने मे भी सहायक होगा.) खेत के किनारों पर ऊचे पेड़
हो सकते है. खेत मे पेड़ होने से मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता बढ़ती है, मिट्टी का क्षरण नहीं होता. सबसेे बड़ा फ़ायदा

यह हे कि पेड़ की गहरी जड़ धरती

की निचली परतों से आवश्यक तत्त्व लेती है और टूटे हुए पत्तों, फल-फूल क माध्यम से ये तत्त्व मिट्टी में मिल कर अन्य फ़सलों को मिल जाते हैं उन पर बैठने वाले पक्षी कीट-नियन्त्रण मे भी सहायक सिद्ध होते है. इसलिये खेत मे पक्षियों के बैठने के लिये “T"आकार की व्यवस्था करना भी लाभदायक रहता है. जानकार यह बताते हैं कि ज्यादातर पक्षी शाकाहारी नहीं होते. व अन्न तभी खाते है जब उन्हे कीट खाने को न मिले। इसलिए जहाँ कीटनाशकों का प्रयोग होता है, वहाँ कीट न होने से ही पक्षी अन्न खाते है वरना तो ज़्यादातर पक्षी कीट खाना पसन्द करते हैं

अगला तत्व है खेत मे अधिक से अधिक बरसात का पानी इकट्ठा करना. अगर खेत से पानी बह कर बाहर जाता है तो उस के साथ उपर्जाऊ मिट्टी भी बह जाती है. इस लिए पानी बचाने से मिट्टी भी बचती है. दूसरी ओर जैसे-जैसे मिट्टी मे र्जीवाणओ की संख्या बढती है, मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता भी बढ़ती है. यानी मिट्टी बचाने से पानी भी बचता है. इस के अलावा पानी बचाने के लिये बरसात से पहले मेढ़ों/डोलों की सम्भाल होनी चाहिये. खेत मे ढलान वाले कोने मे छोटे तालाबों और गड्ढों का सहारा भी लिया जा सकता है.

पेड़ कोई भी जो अपने आसपास एरिया के देशी प्रजाति के हो जो बहुपयोगी हो जैसे नीम आदि
हरियाणा में हो सकने वाले कुछ पेड़ हैं: , आाँवला, जामुन, चीकू, पपीता (देसी  किस्म लें), अनार, बेर, अमरूद, कीनू, शहतूत, हरड़, बहेड़ा, नींबू , देशी कीकर, करोंदा, सहजन (6 महीन मे फल देने वाली किस्म चुने) अनेक तरह के पेड़ यहा हो सकत ह. रोह्तक की एक सरकारी नर्सरी मे 100 से अधिक तरह के पेड़ लगे हुए है अपने पड़ोस की नर्सरी से आप के इलाके मे लग शकने वाले पौधों के बारे मे पता कर शकते हैं
पेड जो अपने एरिया में होते हैं अपने देश के और फलदार होते है कोई बूरे नहीं होते सभी अच्छे होते हैं

किसी भी फ़सल को, धान और गन्ने र्जैसी फ़सल को भी, पानी की नहीं बल्कि नमी की ज़रूरत होती है. बैड बना कर बीज बोने से और नालियों से पानी देने से, या बिना बैड के भी बदल-बदल कर एक नाली छोड़ कर पानी देने से पानी की खपत काफ़ी घट जाती है और जड़ें ज्यादा फैलती हैं. कम पानी वाली जगह या खारा पानी वाली जगह पर यह काफ़ी फ़ायदेमन्द रहता है. बैड ऐसा हो (3-4 फूट का) कि सब जगह नमी भी पहूच जाये और बाहर बैठ कर पूरे बैड से थोड़ा  खरपतवार भी निकाला जा शके

अगर बी्जों पर कम्पनियों या बाज़ार का कब्ज़ा रहा तो किसान स्वतंत्र हो ही नहीं सकता. इस लिये अपना बीज बनाना क़ुदरती कृषी का आधार है. अपने बाप-दादा के ज़माने के अच्छे बीजों को ढूढ़ कर इकट्ठा करे और उन्है बढ़ाए, सुधारे और बांटे. स्थानीय परन्तु सधरे हुऐ बीजों और पशुओ की देसी लेकिन अच्छी नस्ल का प्रयोग किया जाना चाहिये.बीजोंं के अकुरण की जांच और बोने से पहले उन का उपचार भी ज़रूरी है. बीज बोने के समय का भी कीट नियंत्रण और पैदावार में योगदान पाया जाता है बेमौसमी फसलें लेना भी ठीक नहीं है
बीजों के बीच की परस्पर दूरी जैविक खेती मे प्रचलित खेती के मुकाबले लगभग सवा से डेढ़ गुणा ज्यादा होती है. धान 1 फ़ुट और ईंख 8-9 फ़ुट (चारों तरफ़) की दुरी पर भी बोया जा रहा है. इस से जड़ों को फेलने का पूरा मौका मिलता है बीज कम लगता है परन्तु उत्पादन ज़्यादा होता है.

आमतौर पर सैद्धांतिक रुप से जैविक कृषि में मिट्टी स्वस्थ होने के कारण और जैव विविधता के कारण कीड़ा और बीमारी कम लगते हैं
और लगते भी हैं तो कम घातक होते हैं आवश्यकता पड़ने पर बीमारी या कीटों की रोकथाम के लिए जैविक कीटनाशक किसान द्वारा घर पर आसानी से बिना खास खर्चे के बनाया जा शकता है
यह भी बात ध्यान रखे कि कोई कीट हमारी फसलो को नुकसान नहीं करते बल्कि अधिकतर हमारे मित्र कीट ही होते हैं
जो शत्रु कीटो को स्वतः समाप्त कर देते हैं इसलिए हमे ऐसे जैव तालमेल की तरफ बढना है प्रकृति को समझना है

किसानों को आत्मनिर्भर बनना पडेगा क्यों कि कुछ कंपनियों और विदेशी दुष्चक्रों की नजर हमारी खेती पर हो चुकी है इसलिए इनसे कुछ न खरीदकर स्वयं खाद बनाना
कीटनाशक बनाना
बीजो से बीज बनाना
आदि का प्रशिक्षण लेकर करना चाहिए

इसके लिए पशुपालन खासकर देशी गौपालन अभिन्न अंग है
केवल 1-2 फसलों पर आधारित खेती प्राकृतिक खेती हो नहीं शकती इसमें तो पशुपालन और पेड मिश्रित बहु फसली खेती ही हो सकती हैं

अंतिम में ये वैकल्पिक खेती ज्यादा मुनाफा के चक्कर में नहीं करनी चाहिए बल्कि कुदरती और अन्य जीवो और इंसानों के साथ मिल जुलकर करनी चाहिए जिससे यह टिकाऊ हो
और अपने पूर्वजों कै ज्ञान की तरफ लौट शके
     वो ज्ञान मे भी हमारे पिताजी थे  और  जीवन मे भी... उनकी जीवनशैली केवल हमारे घर की नही .. पूरी मानव जात का आधार थी... वो कभी यूरिया की लाईन मे नही खड़े रहे... एक गाय माता और प्रकृति माता दोनो को छोड़ उन्हे किसी की जरूरत नही थी  हमारे पुरखो को केवल फ्रेम मे मत रखे.. जीवन मे अपने आचरण मे साथ रखे 
जिन्हे  सब्सीडी
का अर्थ ही नही पता था 
हम कहा से चले थे.. कहा आ गए..? चलो वापिस अपने ही घर... 👣   मा बुलाती है

जीरो बजट प्राकृतिक खेती(नैसर्गिक खेती, आर्गेनिक खेती)


जीरो बजट प्राकृतिक खेती(नैसर्गिक खेती, आर्गेनिक खेती)

जीरो बजट प्राकृतिक खेती

    जीरो बजट प्राकृतिक खेती देसी गाय के गोबर एवं गौमूत्र पर आधारित है । एक देसी गाय के गोबर एवं गौमूत्र से एक किसान तीस एकड़ जमीन पर जीरो बजट खेती कर सकता है । देसी प्रजाति के गौवंश के गोबर एवं मूत्र से जीवामृत, घनजीवामृत तथा जामन बीजामृत बनाया जाता है । इनका खेत में उपयोग करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है । जीवामृत का महीने में एक अथवा दो बार खेत में छिड़काव किया जा सकता है । जबकि बीजामृत का इस्तेमाल बीजों को उपचारित करने में किया जाता है ।

 इस विधि से खेती करने वाले किसान को बाजार से किसी प्रकार की खाद और कीटनाशक रसायन खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है। 

फसलों की सिंचाई के लिये पानी एवं बिजली भी मौजूदा खेती-बाड़ी की तुलना में दस प्रतिशत ही खर्च होती है ।

सफल उदाहरण

    गाय से प्राप्त सप्ताह भर के गोबर एवं गौमूत्र से निर्मित घोल का खेत में छिड़काव खाद का काम करता है और भूमि की उर्वरकता का ह्रास भी नहीं होता है। इसके इस्तेमाल से एक ओर जहां गुणवत्तापूर्ण उपज होती है, वहीं दूसरी ओर उत्पादन लागत लगभग शून्य रहती है । राजस्थान में सीकर जिले के एक प्रयोगधर्मी किसान कानसिंह कटराथल ने अपने खेत में प्राकृतिक खेती कर उत्साह वर्धक सफलता हासिल की है । श्री सिंह के मुताबिक इससे पहले वह रासायिक एवं जैविक खेती करता था, लेकिन देसी गाय के गोबर एवं गोमूत्र आधारित जीरो बजट वाली प्राकृतिक खेती कहीं ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है।

प्राकृतिक खेती के सूत्रधार महाराष्ट्र के सुभाष पालेकर की मानें तो जैविक खेती के नाम पर जो लिखा और कहा जा रहा है, वह सही नहीं है । जैविक खेती रासायनिक खेती से भी खतरनाक है तथा विषैली और खर्चीली साबित हो रही है । उनका कहना है कि वैश्विक तापमान वृद्धि में रासायनिक खेती और जैविक खेती एक महत्वपूर्ण यौगिक है । वर्मीकम्पोस्ट का जिक्र करते हुये वे कहते हैं... यह विदेशों से आयातित विधि है और इसकी ओर सबसे पहले रासायनिक खेती करने वाले ही आकर्षित हुये हैं, क्योंकि वे यूरिया से जमीन के प्राकृतिक उपजाऊपन पर पड़ने वाले प्रभाव से वाकिफ हो चुके हैं।

पर्यावरण पर असर

कृषि वैज्ञानिकों एवं इसके जानकारों के अनुसार फसल की बुवाई से पहले वर्मीकम्पोस्ट और गोबर खाद खेत में डाली जाती है और इसमें निहित 46प्रतिशत उड़नशील कार्बन हमारे देश में पड़ने वाली 36 से 48 डिग्री सेल्सियस तापमान के दौरान खाद से मुक्त हो वायुमंडल में निकल जाता है । इसके अलावा नायट्रस, ऑक्साइड और मिथेन भी निकल जाती है और वायुमंडल में हरितगृह निर्माण में सहायक बनती है । हमारे देश में दिसम्बर से फरवरी केवल तीन महीने ही ऐसे है, जब तापमान उक्त खाद के उपयोग के लिये अनुकूल रहता है ।

आयातित केंचुआ या देशी  केंचुआ?

वर्मीकम्पोस्ट खाद बनाने में इस्तेमाल किये जाने वाले आयातित केंचुओं को भूमि के उपजाऊपन के लिये हानिकारक मानने वाले श्री पालेकर बताते है कि दरअसल इनमें देसी केचुओं का एक भी लक्षण दिखाई नहीं देता । आयात किया गया यह जीव केंचुआ न होकर आयसेनिया फिटिडा नामक जन्तु है, जो भूमि पर स्थित काष्ट पदार्थ और गोबर को खाता है । जबकि हमारे यहां पाया जाने वाला देशी केंचुआ मिट्टी एवं इसके साथ जमीन में मौजूद कीटाणु एवं जीवाणु जो फसलों एवं पेड़- पौधों को नुकसान पहुंचाते है, उन्हें खाकर खाद में रूपान्तरित करता है । साथ ही जमीन में अंदर बाहर ऊपर नीचे होता रहता है, जिससे भूमि में असंख्य   छिद्र होते हैं, जिससे वायु का संचार एवं बरसात के जल का पुर्नभरण हो जाता है । इस तरह देसी केचुआ जल प्रबंधन का सबसे अच्छा वाहक है । साथ ही खेत की जुताई करने वाले “हल “ का काम भी करता है ।

सफलता की शुरुआत

जीरो बजट प्राकृतिक खेती जैविक खेती से भिन्न है तथा ग्लोबल वार्मिंग और वायुमंडल में आने वाले बदलाव का मुकाबला एवं उसे रोकने में सक्षम है । इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला किसान कर्ज के झंझट से भी मुक्त रहता है । प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक देश में करीब 40 लाख किसान इस विधि से जुड़े हुये है।

जीरो बजट की खेती करने की विधि

(एक एकड़ खेत के लिए)

१.      बीजोपचार :    कोई भी बीज खेत में लगाने से पहले आप बीज को उपचारित करते है ताकि उसमे कभी कीड़ा ना लगे क्योकि कई बार ऐसा होता है की हमारा बीज बोने के बाद भी नहीं अंकुरण देतासामग्री : पानी २० लीटर, देशी गाय का गोबर ५ किलो, देशी गाय का मूत्र ५ लीटर, ५० ग्राम चुना और १ मुट्ठी मिटटी(जंगल, जहा कभी हल न चला हो) !बनाने की विधि :
१. सबसे पहले ५ किलो गोबर किसी कपडे में लेकर उसे बांधकर, २० लीटर पानी में डालकर १२ घंटे के लिए लटकाकर रख दें.२. १ लीटर पानी में ५० ग्राम चुना डालकर रात भर के लिए छोड़ दो
३. १२ घंटे के बाद पानी से गोबर को निकालो औऔर उसका पानी निचोड़ दो उस २० लीटर पानी में १ मुठ्ठी मिटटी+५ लीटर गोमूत्र + चुना वाला पानी मिलाकर मिश्रण को दाए से बाए की तरफ चलाकर मिलाओ | अब इस मिश्रण को २४ घंटे के लिए रख दो अब ये बीजोपचार के लिए तैयार है ! इसे बिजामृत कहते है!
५. जिस फसल की बीज लगानी है उसका बीज लेकर उसमे इस पानी को छिड़क कर मिला ले और आधे घंटे से एक घंटे में खेत में बुवाई कर दें|लाभ : बीज को कैल्शियम मिल जाता है, बीज मजबूत और खराब नहीं होते, और फसल रोग रहित होगी|नोट : बीज खेत में डालने का सही समय शाम का होता है!२.      खाद :
बीजोपचार के पश्चात हम आपको फसल में खाद बनाने की विधि भी बता रहे है जिससे आपको रासायनिक खाद पर निर्भरता बंद हो जाए. हमारी मिटटी में सारा काम जीवाणु करते है वो ही हमारे फसल को आवश्यक पोषक तत्व पहुचाते है. इस खाद को बनाने से मिटटी में फसल को फायदा पहुचाने वाले जीवो की वृद्दि होगी. आईये जानते है कैसे बनाये खाद |
प्रथम विधि : (जीवामृत): इस विधि में खेत में लाभ पहुँचाने वाले जीवाणु का धीरे-धीरे वृद्धि होता है इसका फल आपको १ से दो साल में अनुभव होता है लेकिन लाभकारी है यदि आपका खेत ज्यादा बीमार ना हो तो इस जीवामृत का उपयोग करें!
सामग्री : १५० लीटर पानी, १५ किलो ताज़ा गोबर, ५-१० लीटर मूत्र, १ किलो दाल का आटा(कोई भी दाल), १ किलो गुड, १/२ किलो मिटटी (पीपल या बरगद के पेड़)नोट : 1.  मूत्र ज्यादा ना मिले तो १ लीटर मूत्र में ५ लीटर पानी (अच्छा तो नहीं फिर भी विकल्प के रूप में)2. इस विधि में जीवामृत लगभग ४८ घंटे में तैयार हो जाती है| इसकी समाप्ति तिथि ६-७ दिन तक है!

बनाने की विधि :
१.      सबसे पहले इन सामग्रियों को प्लास्टिक के एक पात्र मे मिलाकर ६ दिन तक छाया में या अँधेरे में ढककर रखे ६ दिन तक रखे और सुबह शाम किसी डंडे से चलाते रहे. ६वे दिन के बाद ये तैयार हो जाती है
२.      अब ये खेत में डालने के लिए तैयार है इसे जीवामृत कहते है! ये १५० लीटर का होगा!
द्वितीय विधि : (जीवाणु घोल):- इस विधि में ये खाद दूध से दही ज़माने के पद्धति पर काम करता है जैसे १०० किलो दूध में १ चम्मच दही डालो तो वो दूध को अपने जैसा बनाने की क्षमता रखता है ठीक इसी प्रकार ये घोल है बीमार से बीमार मिटटी में डालने पर इसके जीवाणु अपने आप मिटटी को अपने जैसा बनाने लगते है इसको डालने पर आपके खेत को इसका फल जल्दी ही मिलने लगता है!सामग्री : १५-२० किलो ताज़ा गोबर, ५-१० लीटर मूत्र, १ किलो दाल का आटा (कोई भी दाल), १ किलो गुड, १/२ किलो मिटटी (पीपल या बरगद के पेड़).बनाने की विधि :
१.      इन सभी सामग्री को आप प्लास्टिक के बर्तन में मिलाकर कपडे- या जुट के बोरे से इसका मुह ढक दो और सुबह–शाम लकड़ी के डंडे से बाए से दांये एक बार चला दो १५ दिन तक ऐसा करो १५ दिन के बाद ये खाद तैयार हो जायेगी! इसमें करोडो करोडो सूक्ष्म जीव पैदा हो जायेंगे!२.      अब इस खाद को १० गुना पानी में डालकर घोल बनाना है यानि १५०-२०० लीटर पानी में इसे मिला दें और अच्छी तरह मिला ले अब ये पूर्ण घोल मिटटी में डालने योग्य तैयार हो गया है इसे जीवाणु घोल कहते है|खेत में डालने की विधि :१.      यदि खेत खाली है तो खेत में डब्बे से छिड़ककर दे दीजिये! डालने के एक दिन बाद बुवाई कर दीजिये!
२.      यदि खेती में फसल खड़ी है तो पानी लगाते वक्त दे दीजिये पानी की नाली में एक छिद्रयुक्त कंटेनर लेकर उसके मुहाने पर भरकर खोल दीजिये वो पानी के साथ अपने आप चला जायेगा
३.      इसके अलावा इसको डालने की विधि
 यदि आपके पास जानवर ज्यादा है तो इसी १५०-२०० लिटर  घोल में उनका उपला राख मिलाकर लड्डू बना लो और उन लड्डुओ को खेतों में डालो.४.      याद रहे ये ये घोल हर २१ दिन पर बनाकर डालना है!

३.      फसल पर कीटों का प्रभाव :
यदि फसल पर कीटों का प्रभाव हो तो इनसे निपटने के लिए ३ तरह की विधियां है
   अ. निमास्त्रम, ब. ब्रहमास्त्रं, स.अग्निअस्त्रम द. सप्तधान्यांकुर काढ़ा(शक्तिवर्धक दवा)अ. निमास्त्रम :  १०० लीटर पानी + ५ लीटर गोमूत्र + ५ किलो गोबर + ५ किलो निम् के पत्ते और फलियाँ| इन सबको मिलकर ४८ घंटे के लिए रखे| दिन में इसे २ बार चला दे | ४८ घंटे के बाद इसे छानकर फसल पर छिडकाव करे. (उपयोग : फसल बोने के २१वे दिन से ३०वे दिन तक)ब. ब्रह्मास्त्रम : (निमास्त्र छिडकाव के १५ दिन के बाद)   १० लीटर गोमूत्र + ३ किलों निम की पत्ती(निम् का फल यदि हो) + २ किलों सीताफल का पत्ता + २ किलों पपीता का पत्ता + २ किलो अनार का पत्ता + २ किलों अमरुद का पत्ता + २ किलों धतुरा का पत्ता | इन सबको मिलकर कूटकर ५ बार उबाल आने तक उबालकर १ दिन के लिए रखो फिर इसे छानकर अलग कर लो ये ब्रह्मास्त्र   है
 उपयोग करने के लिए १०० लीटर पानी में २ लीटर डालकर स्प्रे कीजिये! (रोकथाम : चुसक किट, फली छेदक के लिए, इल्लियो के उपयोग)स. अग्निअस्त्रम :  १० लीटर गोमूत्र + १ किलों सुरती(खैनी) + १/२ किलों हरी लालमिर्च ++ ५ किलों निम् की पत्ती + १/२ किलो लहसुन (स्थानीय),  खूब अच्छी तरह से कूटकर ५ बार उबाल आने तक पकाए उसके बाद २४ घंटे के लिए रख दे फिर उसके बार उसको छानकर फसल पर छिडक दे. (रोकथाम: पत्ती छेदक कीड़ा,तना छेदक, फल छेदक को दूर करने के काम आता है)नोट: इन तीन प्रकार के जो अस्त्रं दिए है इनको निश्चित समय पर छिडकाव करें बीमारी आगमन की प्रतीक्षा ना करें!द. सप्तधान्यांकुर काढ़ा (टोनिक, शक्तिवर्धक औषधि)- जब फसल के दाने दुग्ध अवस्था(फल की बाल्यावस्था) में हो तब इसका प्रयोग लाभकारी सिद्ध होता है और इसको हरी सब्जी के काटने के ५ दिन पहले और यदि आपके पास कोई फूल का बागान हो तो उसकी कलि निकलने से पहले इसका छिडकाव अवश्य करें|सामग्री: मुंग – १०० ग्राम, उड़द – १०० ग्राम, लोबिया(बोडा, चौली)- १०० ग्राम, मोठ(दाल वाली साबुत) – १००ग्राम, मसूर साबुत  – १०० ग्राम, चना साबुत – १०० ग्राम, गेहूं – १०० ग्राम.
बनाने की विधि और छिडकाव :१.     सबको आपस में मिलाकर पानी में भिगो दें तत्पश्चात ३ दिन के बाद निकालकर गिले कपडे में पोटली बांधकर अंकुरण के लिए रख देवे. जो पानी हे  उसे फेके नहीं. जब एक सेमी की अंकुर निकल आये तब सातों प्रकार के अनाजो को सिल – बट्टे पर पिस कर चटनी बना ले!२.      २०० लीटर पानी में १० लीटर गोमूत्र और वो दानो का पानी और चटनी अच्छे से मिलाकर २ घंटे के लिए रख देवे३.      कपडे से छानकर उसी दिन १ एकड़ में स्प्रे कीजिये!

कुछ और कीटनाशक

१.      छाछ द्वारा – १ मिटटी का घड़ा, ५ लीटर छास, १ ताम्बे की धातु
विधि. सबसे पहले एक मिटटी के घड़े को लेकर उसमे ५ लीटर छाछ डालकर उसमे ताम्बे की कोई धातु (किल, लोटा, तार) आदि डालकर पशु और बच्चो से दूर १५ दिन के लिए रखे इतने दिन में ये पूर्णतया तैयार हो जाता है इसके बाद १० – १५ लीटर पानी मे २०० – २५० ml में  इस छास को मिलकर किसी भी फसल पर स्प्रे करिए.
रोकथाम : पेड़ो पर लगने वाले मकड़ी के जाले, पत्तियों के किट
२.      निम् आक और छाछ द्वारा – २ किलो निम् की पत्ती, २ किलो आकडे(मदार) के पत्ते, ५ लीटर छाछ + १ मिटटी का घडा, उबालने के लिए टिन का डिब्बा, ५ लीटर पानी.विधि. सबसे पहले निम् और आकडे के पत्ते को तोड़कर आपस में मिला कर हल्का कूट ले. फिर टिन के डिब्बे में ५ लीटर पानी और इन पत्तियों को डाले अब इसे तब तक पकायें जब तक पूरी पत्तिया काली ना पड़ जाएँ. फिर इसके बाद इनको मिटटी के घड़े में डालकर छाछ मिला दे. इसके बाद इसको किसी भूमि में १० दिन के लिए गाड़कर रख दे. इसके बाद इसको निकलकर १५ लीटर पानी में १००-१५० मिलीग्राम मिलाकर छिडकाव करें !रोकथाम : मिर्च के फसल पर विशेष प्रभावी, फसलो में मच्छरों का प्रकोप, तना छेदक, फली चुसक कीटों(इल्लियों) के लिए प्रभावी दवा है!३.      निम् + गो-मूत्र द्वारा- ५ किलो निम् की कुट्टी हुई पत्ती + १० लीटर गो-मुत्र को मिलकर १५ दिन तक रख दीजिये १५ दिन के बाद छानकर, १०० लीटर पानी में मिलकर फसल पर छिडकाव करिए|रोकथाम: फफुद, पत्ती किट से बचाव होता हैं.
सुभाष पालेकर विधि

आपको अपनी बिक्री पर 01 अक्टूबर 2020 से TCS Collect करना होगा


*आयकर प्रावधानों में TCS संबंधित महत्वपूर्ण बदलाव*

*अब आपको अपनी बिक्री पर 01 अक्टूबर 2020 से TCS Collect करने की आवश्यकता होगी.*
 
*प्रश्न-* यह प्रावधान किस करदाता पर लागू होगा ?
*उत्तर-* उपरोक्त प्रावधान सभी करदाताओं जिनका की वित्त वर्ष 2019-20 में कुल बिक्री (Total Sale) 10 करोड़ से अधिक है, उन पर लागू होगा.
यदि ऐसे करदाता किसी एक खरीददार को वित्त वर्ष में 50 लाख से ज्यादा का माल बेचते हों, तो 50 लाख से ऊपर की बिक्री पर *बिल में ही* TCS Collect करके गवर्नमेंट को जमा कराना होगा.

*प्रश्न-* TCS की Rate क्या होगी ?
*उत्तर-* TCS की Rate 1 अक्टूबर 2020 से 31 मार्च 2021 तक @0.075 % होगी. 1 अप्रैल 2021 से @0.1% होगी (यदि खरीददार के पास Valid PAN हो तो) अन्यथा @5% से TCS Collect करना होगा.

*प्रश्न-* विक्रेता की उपरोक्त प्रावधानों के लिए क्या-क्या जिम्मेदारी है ?
*उत्तर-* विक्रेता को बिक्री पर विक्रय बिल में TCS Charge करना होगा और ऐसे TCS को Govt. Treasury में जमा कराना होगा. *उसके पश्चात TCS की Return भी भरनी होगी.*

*प्रश्न-* TCS को Govt. Treasury में कब जमा कराना है ?
*उत्तर-* TCS को क्रेता से पेमेंट मिलने पर जमा कराना है. अतः TCS जमा कराने का दायित्व Collection Basis पर है ना कि Bill Basis पर.

*प्रश्न-* यदि 30 सितंबर 2020 तक किसी क्रेता को 50 लाख तक की बिक्री की है और उसके पश्चात 1 अक्टूबर से 31 मार्च 2021 तक 10 लाख की बिक्री की है तो TCS किस राशि पर जमा कराना है ?
*उत्तर-* TCS 50 लाख से ऊपर की राशि 10 लाख पर ही जमा कराना है.

*प्रश्न-* TCS को बिल में कहां और कैसे दर्शाना है और इसका GST पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
*उत्तर-* TCS को बिल में GST Charge करने के पहले दिखाना है और GST, Sale Value + TSC की Amount पर चार्ज किया जाएगा.

सोमवार, 28 सितंबर 2020

JIO POS Lite Application से पैसा कमाए

 JIO POS Application क्या है और इससे पैसा कैसे कमाए?

नमस्कार दोस्तों, यदि आप भी JIO POS Lite Application से पैसे कैसे कमाना चाहते है और वो भी घर बैठे तो आप सही जगह पर है। क्युकी इस post पर में आपको पूरी जानकारी देने वाला हूं कि कैसे Jio POS Lite Application को उपयोग करके घर बैठे पैसे कमा सकते हो। हां, ये सच बात है कि Jio POS Lite एप्लिकेशन के मदद से आप लाखो रूपए तो कमा नहीं सकते पर अपने pocket money जरूर निकाल सकते हो।
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अगर आप वास्तव में JIO POS Lite Application से पैसे कमाने के इच्छुक हैं तो इस पोस्ट को अवश्य पढ़ें।

JIO POS Lite Application क्या है?



JIO POS Lite एक तरह की application है। इसके मदद से आप किसी के भी Jio number को रिचार्ज कर सकते है। पहले जैसे हम लोगो को कोई भी recharge करना पड़ता था तो कोई भी mobile recharging shop पर जाना पड़ता था या फिर Paytm या Phonepe जैसे aaplication के मदद से रिचार्ज करना पड़ता था।


पर आज से कोई भी अपने मोबाइल से JIO POS Lite Application को उपयोग करके अपने और दूसरे किसी के भी jio नंबर को recharge कर सकता है। और इस के बदले jio के तरफ से रेकेज करने वाले को 4% की cashback भी मिलता है। 


JIO POS Lite Application से पैसे कैसे कमाए |

JIO ने JIO POS Lite Application को develop किया। इस एप्लिकेशन के मदद से आप घर बैठे किसी का भी रेचेज कर सकते हो बड़े ही आसानी से और इसके बदले हर रिचार्ज के 4% प्रतिशत तक कमीशन मिल जाती है। 

Jio Recharge करके पैसे बड़े आसानी से कमा सकते है।


JIO POS Lite Application से पैसे कमाने केलिए क्या करना पड़ेगा?



Step 1. सबसे पहले play store से Jio POS Lite Application Download करे।
Jio POS Application क्या है और इससे पैसा कैसे कमाए?
Step 2. Allow All बटन पर क्लिक करे और उसको contact, location or media का एसेस देदो।
Jio POS Application क्या है और इससे पैसा कैसे कमाए?
Step 3. अब JIO associate से पैसे कमाई करने के लिए आपको Sign up बटन पर क्लिक करे।
Jio POS Application क्या है और इससे पैसा कैसे कमाए?
Step 4. Sign up करने केलिए अपना Email ID और Jio नंबर डालकर Generate OTP के उपर क्लिक करना होगा।
Jio POS Application क्या है और इससे पैसा कैसे कमाए?
Step 5. Generate OTP के उपर क्लिक करने के बाद आपको एक OTP मिलेगा अपने Jio नंबर पर उस OTP को लिख कर Validate OTP के उपर क्लिक करे। 
Jio POS Application क्या है और इससे पैसा कैसे कमाए?
Step 6. एप्लिकेशन आपका full name और Email ID अपने आप show कर देगा खाली आपको नीचे दिए गए दोनों बॉक्स पर क्लिक कर के Countinue बटन पर क्लिक करे।
Jio POS Application क्या है और इससे पैसा कैसे कमाए?
Step 7. अब Done बटन पर क्लिक करे।

Step 8. लगभग सारे काम ख़तम हो चुका है। अब आपको Sign In के बटन के उपर क्लिक करे।
Jio POS Application क्या है और इससे पैसा कैसे कमाए?

Step 9. अपना JIO मोबाइल नंबर डाले और Generate OTP के उपर क्लिक करे।
Jio POS Application क्या है और इससे पैसा कैसे कमाए?
Step 10. अब के JIO नंबर पे एक OTP आयेगा उसको OTP वाले बॉक्स मे लिख कर Velidate OTP के उपर क्लिक करे।
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Step 11. अपना mPIN set करे Transections Authentication केलिए। और set pin के बटन पर क्लिक करे।
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Step 12. Finally, आपका JIO POS Lite Application तैयार है पैसे कमाने केलिए। 

JIO POS Lite Application कैसे Use करे?

JIO POS Lite Application को Use करना बहुत ही आसान है। इसको कोई भी चला सकता है, क्युकी ये एप्लिकेशन कि यूजर इंटरफेस (User Interface or UI) बहुत ही simple है।


इसमें बड़े ही आसानी से पैसे add कर सकते है और किसी का रिचार्ज कर सकते है और वो भी अपने ही मोबाइल से घर बैठे।

Jio POS Lite एप्लिकेशन के कुछ FAQs:


1. Jio नंबर रिचार्ज करके पैसा कैसे कमाएं?


Jio नंबर रिचार्ज करके आप पैसे कमाई कर सकते है, आपको हर रिचार्ज पर कुछ प्रतिशत की कमीशन मिलता है। Jio ने लॉकडाउन के चलते ये सुनेहरा अवसर लाया है।


2. इस एप से कैसे होगी कमाई?


जब आप Jio POS Lite ऐप को अपने मोबाइल पर install करेंगे, तो सबसे पहले ₹2000 रूपए add करना पड़ेगा, उसके बाद ही आप दूसरे जियो नंबर में recharge कर सकते है। जब भी आप किसी भी मोबाइल नंबर मे recharge करते है, तो आपको कुछ प्रतिशत की कमीशन मिलेगा।


इसी तरीके से आप Jio POS Lite एप्लिकेशन से पैसे कमाई कर सकते है।


3. इस एप से कमीशन पाने के लिए रजिस्ट्रेशन आवश्यक है?


जी हां, दोस्तो जदी आप Jio POS Lite एप्लिकेशन के जरिए पैसे या कमीशन पाने केलिए आपको रागिस्टेशन करना आवश्यक है। हालाकि आपको कोई हार्ड कॉपी इसमें देने की जरूरत नहीं है, फिर भी बिना रजिस्टेशन के आपको कमीशन नहीं मिल सकता।


4. Jio POS Lite एप्लिकेशन install कैसे करे?


आपको सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर पर जाना होगा और सर्च बार मे Jio POS Lite सर्च करे। आप ऐसे ही इस एप्लिकेशन को install कर सकते है।


5. Jio POS Lite App से कितने प्रतिशत कमीशन मिलता है?


इस एप्लिकेशन से आपको यादा तो नहीं पर लगभग 4 प्रतिशत की कमीशन मिलता है।


6. Jio POS Lite Application मे Cash Add कैसे करे?


JIO POS Lite Application मे Cash Add करने के लिए आपको load money के उपर क्लिक करना होगा उसके बाद जितना पैसे add करना चाहते उतना amount डाल के Devid card, credit card, etc. से Cash Add कर सकते है।

सिर्फ एक केंचुआ एक किसान के बचा देता है 4800 रू,जाने कैसे


👉सिर्फ एक केंचुआ एक किसान के बचा देता है 4800 रू,जाने कैसे
केंचुए मिट्टी को नरम बनाते है पोला बनाते है उपजाऊ बनाते हैं केंचुए का काम क्या है ?? ऊपर से नीचे जाना ,नीचे से ऊपर आना पूरे दिनमे दस वीस  चक्कर वो ऊपर से नीचे ,नीचे से ऊपर लगा देता है !

अब जब केंचुआ नीचे जाता तो एक रास्ता बनाते हुए जाता है और जब फिर ऊपर आता है तो फिर एक रास्ता बनाते हुए ऊपर आता है ! तो इसका परिणाम ये होता है की ये छोटे छोटे छिद्र जब केंचुआ तैयार कर देता है तो बारिश का पानी एक एक बूंद इन छिद्रो से होते हुए तल मे जमा हो जाता है !

साथ ही अगर एक केंचुआ साल भर जिंदा रहे तो एक वर्ष मे 36 मेट्रिक टन मिट्टी को उल्ट पूलट कर देता है और उतनी ही मिट्टी को ट्रैक्टर से उल्ट पलट करना पड़े तो सौ लीटर डीजल लग जाता है 100 लीटर डीजल 4800 का है ! मतलब एक केंचुआ एक किसान का 4800 रूपये बचा रहा है ऐसे करोड़ो केंचुए है सोचो कितना लाभ हो रहा है इस देश को !

👉गोबर खाद डालने से फायदा क्या होता है ?

रसायनिक खाद डालो केंचुआ मर जाता है गोबर का खाद डालो केंचुआ ज़िंदा हो जाता है क्योंकि गोबर केंचुए का भोजन है केंचुए को भोजन मिले वह अपनी जन संख्या बढ़ाता है और इतनी तेज बढ़ाता है की कोई नहीं बढ़ा शकता भारत सरकार कहती है हम दो हमारे दो !

केंचुआ इसे नहीं मानता इसको । एक एक केंचुआ 50 50 हजार बच्चे पैदा करके मरता है एक प्रजाति का केंचुआ तो 1 लाख बच्चे पैदा करता है ! तो वो एक ज़िंदा है तो उसने एक लाख पैदा कर दिये अब वो एक एक लाख आगे एक एक लाख पैदा करेंगे करोड़ो केंचुए हो जाएंगे अगर गोबर डालना शुरू किया !!

ज्यादा केंचुआ होंगे तो ज्यादा मिट्टी उलट पलट होगी तो फिर छिद्र भी ज्यादा होंगे तो बारिश का सारा पानी मिट्टी मे धरती मे चला जाएगा ! पानी मिट्टी मे चला गया तो फालतू पानी नदियो मे नहीं जाएगा ,नदियो मे फालतू पानी नहीं गया तो बाढ़ नहीं आएगी तो समुद्र मे फालतू पानी नहीं जाएगा इस देश का करोड़ो करोड़ो रूपये का फायदा हो जाएगा !! इसलिए आप किसानो को समझाओ की भाई गोबर की खाद डालो एक ग्राम भी उत्पादन कम नहीं होगा

दरअसल गोबर जो है वो बहुत तरह के जीव जन्तुओ का भोजन है और यूरिया भोजन नहीं जहर है ।आपके खेत मे एक जीव होता है जिसे केंचुआ कहते हैं केंचुआ को कभी पकड़ना और उसके ऊपर थोड़ा यूरिया डाल देना आप देखोगे केंचुआ तडपना शुरू हो जाएगा और तुरंत मर जाएगा ! जब हम टनों टन यूरिया खेत मे डालते है करोड़ो केंचुए मार डाले हमने यूरिया डाल डाल के !!

जिस किसान के खेत मे यूरिया डालेगा तो केंचुआ मर जाएगा केंचुआ मर गया तो मिट्टी मे ऊपर नीचे कोई जाएगा नहीं तो मिट्टी कठोर होती जाएगी कड़क होती जाएगी ।मिट्टी और रोटी के बारे एक बात कही जाती है की इन्हे फेरते रहो नहीं तो खत्म हो जाती है रोटी को फेरना बंद किया तो जल जाती है मिट्टी को फेरना बंद करो पत्थर जैसी हो जाती है !मिट्टी को फेरने का मतलब समझते है ?? ऊपर की मिट्टी नीचे ! नीचे की ऊपर !ऊपर की नीचे ,नीचे की ऊपर ये केंचुआ ही करता है ! केंचुआ किसान का सबसे बड़ा दोस्त है

👉

रविवार, 27 सितंबर 2020

Mukul Kanitkar thanks PM Modi for mentioning Suryanamaskar in Parliament...

श्री मुकुल भैया के द्वारा मा.प्रधान मंत्री जी के साथ संवाद का वीडियो प्रधानमंत्री जी के official channel पर

इस वीडियो में आदरणीय मुकुल भैया द्वारा मोदीजी के माध्यम से पूरे राष्ट्र को दिए संदेश को सुनकर स्वयं को गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं कि मुझे बचपन से सदैव आपका सानिध्य और मार्गदर्शन मिलता रहा है ।



आप द्वारा फिटनेस के अर्थ और महत्व को लेकर दिया गया चिंतन/स्पष्टीकरण अत्यंत महत्वपूर्ण और अनुकरणीय है।



मात्र 7 मिनट के वक्तव्य में आपने स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्र कार्य में लगे हुवे कार्यकर्ताओं के लिए फिट रहना कितना आवश्यक है? क्यों हमें राष्ट्र कार्य करना है? विश्वगुरु का आशय क्या है? क्यों इस राष्ट्र को विश्वगुरु होना है? इन सबके स्पष्टीकरण के लिए गीता स्वाध्याय कितना महत्वपूर्ण है ?

"खुद को फिट रखना केवल एक व्यक्तिगत अपेक्षा नहीं अपितु समाज के प्रति हमारा परम कर्तव्य है।"



शनिवार, 26 सितंबर 2020

कम पूंजी में भी है हिट ये 10 बिजनेस : मिलेगी सरकारी सहायता भी

आओ व्यापार करें :कम पूंजी में भी है हिट ये 10 बिजनेस : मिलेगी सरकारी सहायता भी जानिए वे सब कुछ

आज हम बता रहे है 10 पॉपुलर और कम पूंजी में शुरू किये जा सकने वाले व्यवसायों के बारे में .. ये व्यापार आप स्वय अपने स्तर पर भी कर सकते है तो pmegp या राज्यों  क़ी अन्य रोजगार योजनाओं के तहत सरकारी व बैंक कि सहायता लेकर भी कर सकते है .

1. कपड़ों में कढ़ाई का व्यवसाय (Embroidery)
आजकल हर कोई अच्छे और सुंदर कपड़े पहनना चाहता है क्योंकि लोग  उन्हें पहन कर आकर्षक दिखना चाहते हैं। खासकर औरतों को कढ़ाई वाले कपडे काफ़ी पसंद होते हैं। इसलिए कपड़ों पर कढ़ाई करने का व्यवसाय आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। खासकर उन हुनर मंद महिलाओं के लिए जो काम की तलाश में है। यह उनके लिए बहुत ही अच्छा विकल्प है। जिसे घर बैठे भी किया जा सकता है।

2. ब्रेड बनाने का व्यवसाय (Bread making/bakery)
इस काम की शुरुआत अपने घर से भी कर सकते है। आजकल ब्रेड खाने वाले लोगों की गिनती बढ़ती जा रही है क्योंकि सबसे कम समय में तैयार होने वाला ब्रेकफास्ट कैटेगरी में आता है। अतः ब्रेड बनाने का बिजनेस आपके लिए बहुत ही अच्छा विकल्प है। जिससे आप एक अच्छे औषत इन्वेस्टमेंट के साथ चालू कर सकते हैं।

3. जन औषधि केंद्र (Janaushadhi Kendra)
यह उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है जिनके पास लगभग 130 वर्ग फुट जमीन हो जिसमें वह अपनी दुकान बनाकर उसमें जन औषधि केंद्र खोल सकते हैं। इसके लिए आपको लगभग 2 से 3 लाख रुपए इंवेस्टमेंट की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में आप सरकारी योजना के तहत जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदन कर सकते हैं और सरकार की मदद से अपना व्यापार शुरू कर सकते हैं।

4. जानवरों के खाने का उत्पाद (Animal feed)
एनिमल फीड को आप जानवरों का खाना कह सकते हैं जो कि अधिकांश डेरी तथा पोल्ट्री फार्म वाले इस्तेमाल करते हैं, जो आपके लिए एक अच्छा विकल्प प्रदान करती है अगर आप ऐसे क्षेत्र से संबंध रखते हैं जहाँ पर मुर्गी पालन तथा डेरी(dairy) का काम होता है। तो यह आपके लिए एक अच्छा विकल्प है।

5. मछली पालन का व्यापार (Fish farming)
अगर आप गाँव में रहते हैं और आपके पास एक छोटा सा तालाब है तो यह आपके लिए बहुत ही अच्छा विकल्प है। आप मछली पालन का व्यापार कर सकते हैं क्योंकि सरकार भी इसके लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है और मछली पालन के लिए आपको बैंक से लोन भी मिल जाएगा। तो ऐसे में यह आपके लिए बहुत ही अच्छा विकल्प बन जाता है।

6. फोटो कॉपी और बुक बाइंडिंग का बिजनेस (Photo copy & book-binding)
अगर आपकी नजर में कोई ऐसी जगह है जिसके आसपास कोई शैक्षिक संस्थान या फिर कोई कोर्ट, कचहरी या तहसील हो तो आप वहाँ पर फोटो कॉपी तथा बुक बाइंडिंग का बिजनेस स्टार्ट कर सकते हैं। अगर सब कुछ सही रहा तो यह बिजनेस आप की अच्छी खासी कमाई कराने में योगदान दे सकता है।

7. मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान (Mobile repairing shop)
अगर आपके पास टेक्निकल हुनर(technical skills) है तो आपके लिए यह काम सबसे बेस्ट है। आजकल जैसे-जैसे मोबाइल फ़ोन्स की बिक्री बढ़ रही है उसी प्रकार से मोबाइल रिपेयर करने वालों की मांग भी बढ़ रही है। अगर आप इस कार्य में इंटरेस्टेड है तो सबसे पहले आपको मोबाइल रिपेयर करने का हुनर सीखना होगा। फिर आप आराम से मोबाइल रिपेयर करने का शॉप खोल सकते हैं और अपने हुनर के मदद से अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।

8. ब्यूटी पार्लर खोलकर(Beauty parlour)
अगर आप एक महिला हैं और कार्य की तलाश में हैं तो यह आपके लिए एक बेहतरीन बिजनेस आइडिया है जो बहुत ही कम पूंजी (low investment) के साथ शुरू किया जा सकता है। सबसे पहले तो आपको इसके लिए ब्यूटीशियन कोर्स (beautician course) करना होगा और अगर आप 2 या 3 महीने अच्छे से इसको कर लेती हैं तब आप आराम से एक अच्छा सा ब्यूटी पार्लर खोल सकती हैं। ब्यूटी पार्लर को आप अपने घर में भी खोल सकती हैं इससे आपके पैसे की बचत होगी और समय की भी। यह एक बहुत ही बेहतरीन बिजनेस है क्योंकि दिन प्रतिदिन मेकअप का दौर बढ़ता जा रहा है। जिसके कारण ब्यूटी पार्लर काफी ट्रेंडी(trendy) और प्रॉफिटेबल(profitable) बिजनेस बन गया है।

9. होम कैंटीन (Home canteen)
आजकल लोग अपने ऑफिस के काम में इतना व्यस्त होते हैं कि उनके पास समय नहीं होता है कि वह अपने घर जाकर या कहीं बाहर जाकर भोजन करें और जैसे-जैसे ऑफिस की संख्या बढ़ रही है वैसे ही होम कैंटीन की मांग भी बढ़ रही है। आप एक होम कैंटीन खोल कर उनके लिए उनके ऑफिस तक खाना पहुंचा सकते हैं। जिसकी मदद से आप अपने घर से ही अच्छी-खासी आमदनी कर सकते हैं।

10. डीजे साउंड (DJ sound business)
डीजे साउंड सर्विस आज कल बहुत प्रचलित बिजनेस बनता जा रहा है। जब भी कोई पार्टी या बारात आदि होता है तो लोग अपने मनोरंजन के लिए डीजे मंगवाते हैं। ऐसे में यह आपके लिए एक अच्छा बिजनेस हो सकता है। जिससे आप अच्छा पैसे कमा सकते हैं। डीजे का काम शुरू करने के लिए सबसे पहले आपको इसके उपकरण खरीदने होंगे जिसके बाद आप दो तीन व्यक्ति की मदद से आराम से अपने डीजे के बिजनेस को स्टार्ट कर सकते हैं।

सहजन खाने के मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ

सहजन जिसे मोरिंगा नाम से जाना जाता है। यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में मिनरल्स पाए जाते हैं। इसीलिए सप्ताह में कम से कम 2 बार सहजन के पराठे का सेवन जरूर करते हैं। जानिए आखिर *सहजन खाने के क्या-क्या है लाभ-*

*सहजन में पोषक तत्वों जैसे- प्रोटीन, ऑयरन, बीटा कैरोटीन, अमीनो एसिड, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटीमिन ए, सी और बी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल जैसे गुण पाए जाते हैं। वहीं इसकी पत्तियां भी काफी फायदेमंद होती है। सहजन की पत्तियों में संतरे और नींबू की तुलना में 6 गुना अधिक विटामिन-सी होता है। इसके साथ ही दूध में 4 गुना अधिक कैल्शियम,  गाजर की तुलना में 4 गुना अधिक विटामिन ए,  केले की तुलना में 3 गुना अधिक पोटेशियम पाया जाता है। इतना ही नहीं सहजन की पत्तियां भी पानी में आर्सेनिक छोड़ती हैं।* 


*सहजन खाने के मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ*

*हाई ब्लड प्रेशर करे कम*
सहजन में भरपूर मात्रा में पोटैशियम, विटामिन्स पाए जाते हैं। जो ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है। 

*वजन कम करने में करे मदद*
शरीर में बढ़ी हुई चर्बी को कम करने में सहजन काफी कारगर साबित हो सकता है। इसमें अधिक मात्रा में फास्फोरस पाया जाता है। जो वसा कम करने में मदद करता है। इसलिए आप मोरिंगा की पत्तियों का रस का सेवन करे। इससे आपको लाभ मिलेगा।

*डायबिटीज को कंट्रोल*
अगर आप डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं तो सहजन का सेवन करें। इससे आपका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहेगा। दरअसल सहजन में राइबोफ्लेविन अधिक मात्रा में पाया जाता है, जिसके चलते यह ब्‍लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। लेकिन इसका ज्यादा सेवन करने से बचे। 

*इम्यूनिटी करें मजबूत*
सहजन में भरपूर मात्रा में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो आपकी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मदद करते हैं। जिससे किसी भी तरह की संक्रामक बीमारी आपसे कोसों दूर रहती हैं। इसके साथ ही आपकी हड्डियां भी मजबूत होती है। 

*सिर दर्द से दिलाए निजात*
सहजन के पत्तों के रस को काली मिर्च के साथ पीस लें। इसके बाद इस पेस्ट को सिर माथे पर लगा लें। इससे आपको लाभ मिलेगा। 

*स्किन को रखें जवां*
सहजन में भरपूर मात्रा में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं जो आपको स्किन संबंधी हर समस्या से छुटकारा दिला देता है। इसके साथ ही इसमें विटामिन  पाया जाता है। जो आप आपकी स्किन को जवां रखने में मदद करता है। 

*एनीमिया से दिलाए निजात*
शरीर में खून की कमी के कारण एनीमिया की शिकायत हो जाती है। ऐसे में सहजन काफी कारगर साबित हो सकता है।  सहजन की पत्तियों के एथनोलिक एक्सट्रैक्ट में एंटी-एनीमिया गुण मौजूद होते हैं। जिसका सेवन करने से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाती हैं।
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कोरोना के कारण छूटी है अगर आपकी नौकरी तो मोदी सरकार दे रही 50फीसदी सेलेरी करे इस तरह आवेदन

📌 *_कोरोना के कारण छूटी है अगर आपकी नौकरी तो मोदी सरकार दे रही 50फीसदी सेलेरी करे इस तरह आवेदन_*

 मोदी सरकार ने हाल ही में एम्प्लॉई स्टेट इंश्योरेंस एक्ट (ESIC Act.) के तहत 'अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना' की अवधि को 30 जून 2021 के लिए बढ़ाने का ऐलान किया है. इस स्कीम के तहत केंद्र सरकार ने पेमेंट को भी नोटिफाई कर दिया है. इसके बाद 31 दिसंबर 2020 तक कुछ ढील के साथ सब्सक्राइबर्स को 50 फीसदी बेरोजगारी लाभ दिया जाएगा. यह फायदा उन कामगारों को मिलेगा जिनकी 31 दिसंबर के पहले नौकरी चली गई हो.

*31 दिसंबर 2020 के बाद इस स्कीम के तहत नियमों में ढील को समाप्त कर दिया जाएगा*

. 1 जनवरी 2021 से 30 जून 2021 के बीच ओरिजनल क्राइटेरिया के आधार पर ही सब्सक्राइबर्स को लाभ मिल सकेगा. इस अवधि में बरोजगारी लाभ 50 फीसदी की जगह 25 फीसदी ही मिलेगी.

इस स्कीम का लाभ संगठित क्षेत्र के वही कर्मचारी उठा सकते हैं जो ESIC से बीमित हैं और दो साल से अधिक समय नौकरी कर चुके हों. इसके अलावा आधार और बैंक अकाउंट डेटा बेस से जुड़ा होना जरूरी है.

*आइए जानते हैं इस स्कीम के बारे में...*

>> इस स्कीम का लाभ लेने के बीमित व्यक्ति को बेरोजगार होना चाहिए और इसी दौरान उन्हें बेरोजगारी लाभ के लिए क्लेम करना होगा..

>> बीमित व्यक्ति के लिए एक शर्त होगी कि बेरोजगारी से पहले कम से कम उन्होंने 2 साल तक रोजगार कर रहा हो.

>> इस संबंध में योगदान नियोक्ता द्वारा भुगतान किया जाना चाहिए या देय होना चाहिए.

>> अगर किसी व्यक्ति को किसी प्रकार के दुर्व्यवहार, पेंशन प्रोग्रमा या स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने वाले लोगों को इस स्कीम का लाभ नहीं मिलेगा.

>> बीमित व्यक्ति का आधार कार्ड और बैंक अकाउंट डिटेल उनके डेटाबेस से लिंक होना चाहिए.

>> बेरोजगारी व्यक्ति खुद ही यह क्लेम कर सकता है.

>> नौकरी जाने के 30 दिन से लेकर 90 दिन के बीच क्लेम करना होगा.

>> क्लेम को ऑनलाइन सबमिट करना होगा, जिसके बाद बीमित व्यक्ति के बैंक अकाउंट में क्लेम की रकम पेमेंट कर दी गई हो. क्लेम वेरिफाई होने के 15 दिन के अंदर यह पेमेंट कर दिया जाएगा.

*अटल बीमित कल्याण योजना के तहत पात्रता, मानदंड में भी रियायत दी गई है जो निम्नलिखित है:*

अधिकतम 90 दिनों की बेरोजगारी के लिए 24 मार्च 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक पहले के 25 प्रतिशत की जगह अब औसत मजदूरी देय के 50 प्रतिशत का राहत भुगतान कर दिया गया है।

राहत के बेरोजगारी के 90 दिनों के बाद देय होने की जगह, यह 30 दिनों के बाद भुगतान के लिए देय हो जाएगा।

बीमित व्यक्ति सीधे ईएसआईसी शाखा कार्यालय के पास दावा जमा करा सकता है। भुगतान सीधे बीमित व्यक्ति के बैंक खाते में किया जाएगा।

बीमित व्यक्ति को उसकी बेरोजगारी से पूर्व कम से कम दो वर्ष की अवधि के लिए बीमा योग्य रोजगार होना चाहिए। (यानि की लाभार्थी को पिछले 2 साल से ESIC से जुड़ा होना चाहिए। )

लाभार्थी का बेरोजगारी से ठीक पहले की योगदान अवधि में 78 दिनों से कम का योगदान नहीं होना चाहिए।

एवं बेरोजगारी से 02 वर्ष पहले की शेष तीन योगदान अवधियों में से, एक में न्यूनतम 78 दिनों का योगदान होना चाहिए।

*अटल बीमित कल्याण योजना के तहत 50% वेतन के लिए आप पात्रता रखते है तो इस तरह से आप ऑनलाइन आवेदन कर सकते है।*

कांग्रेस क्यो जला रही सरकारी संपत्ति,करे कोर्ट में अपील हो अगर कोई आपत्ति,किसान का फायदा देखने की नही है चाहत, तो मिट जाएगी विपक्ष की संतति

📌 *_कांग्रेस क्यो जला रही सरकारी संपत्ति,करे कोर्ट में अपील हो अगर कोई आपत्ति,किसान का फायदा देखने की नही है चाहत, तो मिट जाएगी विपक्ष की संतति_*

केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा लाए गए कृषि बिल (Farm Bill) के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. कृषि बिल के खिलाफ पंजाब में किसान समिति ने 3 दिवसीय रेल रोको अभियान की शुरुआत कर दी है. इस दौरान पंजाब आने-जाने वाली सभी ट्रेनों को रोक दिया गया है. 

*यदि किसानों के लागत मूल्यों के कानून का बिल किसान विरोधी है तो विपक्ष सुप्रीम कोर्ट में अपील क्यों नहीं कर रहा है*

 माइक तोड़ने, बिल फाड़ने, झुंठा विरोध करने से किसानों के लागत मूल्य मिल जाएंगे? कभी नहीं ? यदि सरकार गलत कर रही है तो विपक्ष याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं जाता है क्या विपक्ष के पास बकीलों की कमी है ? जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो ? किसानों को उनके हक और लागत मूल्यों का सच्चा न्याय मिले । *कुछ तो दाल में काला है या पूरी दाल ही काली है* यदि विपक्ष किसानों को वास्तविकता में लागत मूल्य दिलाना चाहता है तो विपक्ष को एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा देनी चाहिए थी जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाने का सच सामने आएगा ? सुप्रीम कोर्ट न्याय देने के लिए बनाया है  विस्तार से व्याख्या करेगा, किसानों का भ्रम दूर हो जाएगा कोन सही है कोंन गलत है माइक तोड़ने, सड़क और संसद में झुंठ बोलने से किसानों को मूल्य नहीं मिलने वाले हैं देश में हर वस्तु मंहगी है लेकिन पार्टियों और सरकारों को विपक्ष में बैठने के बाद किसानों की फसलों के मूल्य मंहगे खासकर आलू, प्याज और टमाटर मंहगे दिखाई देते हैं शराब और ड्रग्स बहुत मंहगे होते जा रहे है गरीब और अमीर दोनों बिना सरकारी सहायता के पी रहे हैं केबल किसानों के आटा और दाल मंहगे दिखाई देते हैं विपक्ष और सरकारों ने ड्रग्स और शराब को कभी मुद्दा नहीं बनाया क्योंकि उनसे मोटा कमीसन और वोट बैंक मिलता है *जबकि विपक्ष और सरकार मंडियों के कमीसन खोरो को इधर उधर करके नूरा कुस्ती करते दिखाई देते हैं लेकिन किसानों को फसल पर लागत मूल्य देने से परहेज़ करते हैं पहले किसानों की फसलों को विपक्ष और सरकार को सड़कों पर फिकबाना छोड़कर मिलकर गावों, शहरों, मंडियों देश या विदेश में बिकबाना चाहिए  फिर राजनीति करनी चाहिए ?* 
यदि किसानों के लिए कानून गलत है और सरकार विपक्ष की नहीं सुन रही है तो विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए, एनआरसी के विरोध के समय विपक्ष सुप्रीम कोर्ट गया, और भी अनेक उदाहरण हैं एक बार किसानों के हक के लिए भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर देखो, जिससे किसानों को पता चले किसानों की सच्ची लड़ाई कोन लड़ रहा है ? किसानों को बेवकूफ बनाते बनाते ७० साल गुजार दिए लेकिन उनका हक देने में और दिलाने में सभी बोट बैंक खोजते हैं और धोखा देते हैं किसानों के लागत मूल्यों में अभी तक कोई भी पार्टी या नेता दूध का धुला हुआ नहीं निकला है जिसे किसान नेता चौधरी चरण सिंह और सर छोटूराम कहा जा सके !!! मोदी ने कुछ तो किया है पूरा नहीं तो आधा ? *अभी तक किसानों को लागत मूल्यों में किसानों को सिर्फ धोखा मिला है उनका वास्तविक हक नहीं ।।

*Farm Bill 2020: फसल बुवाई के समय मिलेगी उपज के दाम की गारंटी, कॉन्ट्रेक्ट तोड़ने पर भी नहीं होगी कोई कार्रवाई*

कृषि के 3 बिलों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने कहा है कि इन बिल को लेकर राजनीति की जा रही है. विपक्षी दल कृषि बिल को लेकर किसानों को आधारहीन बातों पर गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि कृषि बिल आने से न कृषि उपज मंडियां (APMC) खत्म होने वाली हैं और न ही इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था समाप्त होगी.

 मौजूदा व्यवस्था में किसान को अपनी फसल मंडी में बेचने के लिए वाध्य होना पड़ता था. इसके साथ ही मंडी में बैठे कुछ 25 से 30 आढ़तिया बोली लगाते थे और किसान की उपज के दाम  तय करते थे. इसके अलावा किसानों के लिए कोई दूसरी व्यवस्था नहीं थी, इसलिए किसान को मजबूर होकर मंडी में उपज बेचनी पड़ती थी. मगर अब किसान मंडी के बाहर भी अपनी उपज बेच सकता हैं. इसके साथ ही किसानों को उनकी उपज का भाव भी मर्जी हिसाब से मिलेगा. इतना ही नहीं, कृषि मंत्री ने MSP को लेकर कहा है कि कभी भी MSP किसी कानून का हिस्सा नहीं रहा है. यह पहले भी प्रशासनिक फैसला होता था और आज भी प्रशासनिक फैसला है.

*फसल के दाम की गारंटी*

कृषि बिल से किसान को उनकी फसल के दाम की गारंटी बुवाई के समय मिल जाएगी. इसके लिए किसान और के बीच कॉन्ट्रेक्ट होगा, जिसमें केवल कृषि उत्पाद की खरीद फरोख्त होगी. बता दें कि इसमें जमीन से खरीदार का कोई लेना-देना नहीं होता है. अगर किसान कांट्रेक्ट तोड़ते हैं, तो उन पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी. खास बात है कि खरीदार कॉन्ट्रेक्ट नहीं तोड़ सकता है. 

*APMC*
पहले की तरह ही कृषि उपज मंडियां काम करती रहेंगी, क्योंकि वे राज्य सरकार के अधीन होती हैं. सरकार ने केवल किसान की कृषि उपज मंडियों में अपनी उपज बेचने की वाध्यता खत्म की है. किसान चाहे, तो अपनी उपज कृषि उपज मंडियों में बेच सकते हैं. अगर उनको उपज का दाम बाहर अच्छा मिल रहा है, तो वह  उपज बाहर बेच सकते हैं. बता दें कि किसानों को उपज मंडियों में बेचने पर टैक्स भी देना पड़ता था, लेकिन उपज बाहर बेचने पर किसी भी तरह की टैक्स नहीं देना होगा

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