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गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020

आने वाले 20 वर्षो में मारवाड़ीयों के घरों से कुछ रिश्ते हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे

 मरणासन्न परिस्थिती 🙏
             *#विडंबना*
❇️ आने वाले 20 वर्षो में मारवाड़ीयों के घरों से कुछ रिश्ते हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे। भाई, भाभी, देवर, देवरानी, जेठ, जेठानी, काका, काकी सहित अनेक रिश्ते मारवाड़ीयों के घरों से समाप्त हो जाएंगे।
❇️बस ढाई तीन लोगों के परिवार बचेंगे, न हिम्मत देने वाला बड़ा भाई होगा, न तेज तर्राट छोटा भाई होगा,न घर मे भाभी होगी, न कोई छोटा देवर होगा, बहु भी अकेली होगी, न उसकी कोई देवरानी होगी न जेठानी। कुल मिलाकर इस एक बच्चा फैशन और सिर्फ मैं - मैं की मूर्खता के कारण ...

❇️ मारवाड़ी परिवार खत्म होते जा रहे हैं, दो भाई वाले परिवार भी अब आखरी स्टेज पर हैं । अब राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न सीता उर्मिला मांडवी जैसे भरे पूरे परिवार असम्भव हो चले हैं । पहले कच्चे घरो में भी बड़े परिवार रह लेते थे अब बड़े बंगलो में भी ढाई तीन लोग रहने का फैशन चल पड़ा है। मन दुखी होता है सोचकर, हम मारवाड़ीयों को ईमानदारी से इस दिशा में सोचना चाहिए।  इस चुनौती पूर्ण सदी में हम एक बच्चें को कहा कहा अड़ा पाएंगे और उसमें हिम्मत कौन भरेगा बिना भाइयों के कंधे पर हाथ रखे। मारवाड़ीयों की घटती हुई जनसंख्या चिंता का विषय है!
❇️ मारवाड़ीयों को अपना ट्रेंड परिवर्तन करना होगा बच्चों की शादी की उम्र 20 से 24 तक निश्चित करें कामयाब बनाने के चक्कर में 30 से 35 तक खींच रहे हैं इतने में एक पीढ़ी का अंतर हो जाता है आपकी कामयाबी के समय में सामने वाला बीस का आंकड़ा पार कर देता है....!
❇️ आप अपने मैं-मैं(अहंकार) एवं अपने विशेष सुख के कारणों से आने वाली पीढ़ी का भविष्य खतरे में डाल रहे हैं। आज की दौड़ में किसी को किसी से मतलब नहीं है। दुःख एवं सुख में जब अपने इकट्ठे होते हैं। इसका स्वाद ही अलग होता है।
❇️ आप अपने बच्चों को संस्कार की मात्रा बढायें एवं हमारी संस्कृति पर जोरदार असर बनायें। यदि हमारा पुरा भरा परिवार हो तो  इसके बहुत सारे लाभ हैं।  हमारा मकसद हमारी एकता एवं अखंडता को कोई बाहरी लोग तोड़ नहीं सकें।
❇️ हमारे समाज से निवेदन है कि अपने बच्चों को जितनी भाषा सिखाएं। लेकिन अपने घर के हर सदस्य आपस में माड़वाड़ी भाषा  का उपयोग करें। 
❇️ आज हमारे परिवार छोटा होने का मुख्य कारण है कि माता पिता में संस्कार एवं संस्कृति की कमी होना। दुसरी बड़ा कारण है मैं (अहंकार)। आप जो भी बोयेंगे। वहीं फल के रूप में वापस मिलेगा।
🙏🙏सोचनीय विषय है..🙏🙏🏻
❤️🙏 जय श्री राधे कृष्णा 🙏❤️

बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

अगर पुलिस किसी मामले में पूछताछ के लिए किसी को बुलाए तो कौन सी बातें याद रखना जरूरी है?

अगर पुलिस किसी मामले में सामान्य पूछताछ के लिए किसी को बुलाए तो कौनसी बातें याद रखना जरूरी है?

भारतीयों को अपने अधिकारों के बारे में, खास कर के न्यायिक और मौलिक अधिकारों के बारे में ना ही सही जानकारी रहती है, और न ही उन्हें उसे जानने की इच्छा रहती है। इसको लेकर कोई जागरूकता भी फैलाया भी नहीं जाता। हमारे देश में इसलिए पुलिस का डर सबको बहुत रहता है। इसमें लोगों की पूरी गलती नहीं है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि पुलिस सामान्य पूछताछ पर लोगों को बहुत परेशान करता है। साक्ष्य या पूछताछ के लिए इसलिए आम नागरिक राज़ी नहीं होते।

भारतीय पुलिस( हर कोई नहीं), लेकिन बहुत स्थानों पर अपने क्रूरता और अधिकारों के उल्लंघन हेतु प्रसिद्ध है।

इस तस्वीर को तीन साल पहले हरभजन सिंह जी ने ट्वीट किया था जनता और भारत के शासक वर्गों को पुलिस का यह रूप दिखाने हेतु। इस तस्वीर में एक साथ कितने अधिकार और नियम हनन हो रहे हैं, देखिए -

  • महिला पर पुरुष पुलिस हाथ नहीं उठा सकता।
  • सरेआम पुलिस ऐसे मार नहीं सकता, चाहे वो महिला हो या पुरुष, जब तक देश में ज़रूरी कालीन परिस्थिति न हो या फिर धारा 144 न लगा हो।

लेकिन हर वक्त ऐसा नहीं होता। कुछ सामान्य बातों में पुलिस अगर पूछताछ के लिए बुलाए तो फिर लोगों को अपने अधिकारों और दायित्व के बारे में संपूर्ण जानकारी रखते हुए ही जाना चहिए।

  1. जब तक एक लिखित समन नहीं आता आपको पुलिस थाने जाने पर मजबूर नहीं कर सकतीं।
  2. पुलिस के पास जाने से पहले आप अपने साथ अपने वकील को ले जा सकते हैं। पूरी पूछताछ के समय आप के वकील आपके सहायता कर सकते हैं। पुलिसकर्मी उन्हें मना नहीं कर सकतें।
  3. आपको कोई साक्ष्य या प्रमाण देने के पुलिस मजबूर नहीं कर सकते। अगर वे ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ आप केस दर्ज़ कर सकतेंं हैं।
  4. अगर आप एक महिला हैं तो सिर्फ एक महिला पुलिस अधिकारी ही आपको हात लगा सकतीं हैं। और आपको शाम ६ से सुबह ६ के बीच थाने पर बुलाया नहीं जा सकता। अगर बात कुछ गंभीर हो तो फिर वो लिखित वारंट के साथ मजिस्ट्रेट द्वारा लिखित पर्ची देकर ही ऐसा किया जा सकता है।
  5. वहां साधारण बात के लिए जाने पर भी दो चीज़ों की मांग की जाएं।इंस्पेक्शन मेमो (जिसमें यह प्रमाण रहता है कि आप थाने जाने से पहले कैसे दिख रहे थे।) और अगर आपको अरेस्ट किया जाता है तो फिर अरेस्ट मेमो की डिमांड कीजिए। इसमें सब रहेगा क्यों से लेकर कौन साक्ष्य तक।
  6. आप थाने से घर या किसी को फोन ज़रूर कर सकते हैं। आपके पास फोन न हो तो भी आपको पुलिस स्टेशन में फोन की सुविधा दिया जाना अनिवार्य है।
  7. अगर आप एक एफआईआर दर्ज़ करना चाहते हैं और पुलिस ऐसा करने से मना कर देतीं है, तो यह एक अपराध है। इसमें पुलिस को जेल भी हो सकतीं है।
  8. पुलिस आपको कुछ भी कार्य अपने मर्ज़ी के खिलाफ करने मजबूर नहीं कर सकतीं। बेहतर है आप अपने साथ अपने परिवार या दोस्त से किसी को लेकर जाए।

अभी बस इतना याद आ रहा है, बाकी और याद आने पर इसमें जोड़ते जाएंगे।

यहां पर कोई धारा, आर्टिकल आदि नाम नहीं लिखे क्योंकि यह सब संविधान और आईपीसी से ही आया है।

कोई भ्रष्टाचारी पुलिस वाला अगर फ़ालतू में परेशां करे तो हमें क्या करना चाहिए?

मैं मीडिया में सक्रिय रहा हूं इसलिए कुछ बाते बताना चाहूंगा जो मैंने देखी।

व्यवहारिक उपाय:

 

फालतू में पुलिसवाला कभी तंग नहीं करता आम तौर पर पुलिस वाले शरीफ आदमी पर कभी हाथ नहीं डालते। हाँ ये हो सकता है कि कोई पीड़ित आदमी किसी मामले में फंसकर पुलिस के चक्कर में आता है तब बात सिर्फ 'फालतू' नहीं रहती। यहां अवश्य 'भ्रष्टाचारी पुलिस वाला' पीड़ित को तंग करता है। तो उससे निपटना वाकई टेढी खीर है क्योंकि आपको इस संबंध में आवश्यक मदद किस स्तर पर जाकर मिलेगी इसका कोई निश्चित नहीं है। हो सकता है कि उसके बिल्कुल ऊपर वाले अधिकारी से मिले या complaint को होम मिनिस्ट्री तक ले जाना पड़े।

पुलिस हमेशा कमजोर को तंग करती है और यही संसार का नियम है कि हर कोई कमजोर पर हावी होना चाहता है। पंजाबी में एक कहावत का अर्थ है कि कमजोर इंसान की पत्नी सबकी भाभी होती है। भीड़ में भी जो सीधा , या कमजोर या अच्छे कपड़े वाला नहीं हो पुलिस सबसे पहले उसी की पिटाई चालू करती है ताकि अच्छे प्रोफ़ाइल दिखने वाले लोग दूर रहे और पुलिस को सबक ना सीखा पाए। ज्यादातर अनपढ़, काम चलाऊ पोशाक पहने हुए, डरपोक दिखने वाले लोग , बेहद कमजोर युवा लोग पुलिस के निशाने पर आते हैं। तेज तर्रार बोलने वाली महिला से भी पुलिस वाले नहीं उलझते।

अब बात आती है कि हर कोई तुरंत शक्तिशाली कैसे बने? बहुत समय लगता है। शक्ति के अर्थ में तो सभी निर्बल हैं।

शहर में या ग्राम में शक्ति के कुछ केंद्र होते हैं जिनसे आप अपना काम निकाल सकते हैं। ये हैं:

राजनीति से जुड़े हर तरह के लोग चाहे वह कार्यकर्ता ही हो।

पत्रकार चाहे कितना ही छोटे अखबार का हो, पुलिस उससे नहीं उलझती है।

वकील पुलिस को भी कानून सीखा सकता है इसलिए दोनों एक दूसरे से नहीं उलझते।

कोई भी संस्था, संगठन हो इनको पुलिस इज्जत देती है।

पांच आदमी साथ मिलकर थाने चले जाओ, आपकी बात सुनी जाएगी। मगर एक आदमी प्रभाव वाला हो।

आजकल सोशल मीडिया भी एक ताकत बन कर उभरा है। ऐसी घटना को रिकॉर्ड करके पुलिस थाने और पुलिस कप्तान तक पहुंचा दो, आपको हल मिल जाएगा। ।

इनमें से किसी से मिलकर अपनी समस्या बता दीजिए। कोई न कोई आपकी समस्या हल कर देगा।

मैंने पत्रकारिता के दौरान बहुत से लोगों की निस्वार्थ मदद की थी। हमारी कालोनी में एक परिवार रहता था। उनका लड़का मेरा मित्र था। एक दिन उसने मुझे बताया कि कई साल हो गए। उसकी शादी का पलंग व अलमारी आदि एक फर्नीचर वाला दे नहीं रहा और दाम दुगुने तिगुने लगाए बैठा है।

हर कोशिश कर ली जो मेरा दोस्त कर सकता था। पुलिस भी सुनवाई नहीं कर रही थी। मैंने उसे एक कागज पर थानाधिकारी के नाम छोटा सा संदेश लिख कर दिया। नीचे मेरे हस्ताक्षर और मोहर लगा दी। याद आया उन दिनों मैं एक पार्टी का छात्र नेता भी था।

मैं बात को भूल गया। कुछ दिन बाद मेरा दोस्त मिला। वह खुश था । उसका सामान आसानी से पुलिस वाले ने दिला दिया।

दरअसल पुलिस आजकल मनी और पॉवर की बात ही समझती है। अगर दो विरोधी पक्ष एक धन लेकर और दूसरी पॉवर लेकर पुलिस के सामने आ जाए तो यहां थोड़ा संशय आ जाता है। पुलिस इस स्थिति में भी बीच का रास्ता निकाल लेती है। सबसे पहले नौकरी की रक्षा करेगी, फिर अपना पैसा पक्का करने की पूरी कोशिश करेगी और फिर बीच का रास्ता निकलेगी और दोनों पक्षों को संतुष्ट कर देगी। अगर फिर भी एक पक्ष नहीं मानता तो प्रभावशाली लोगों से बैठकें चलेंगी और विरोधी को संतुष्ट करने का पूरा प्रयास चलेगा। ऐसे में अगर पीड़ित कोई कमजोर व्यक्ति है तो उसको फेवर में लेकर सब लोग अपना लाभ उठाएंगे। रिपोर्ट दर्ज भी हो जाती है तो भी कार्रवाई ना के बराबर चलेगी। जैसे निर्भया मामले में हो रहा है जिस पर कई प्रभावशाली धडों की राजनीति चल रही है और यह मामला कुछ लोगों की नाक का सवाल बना हुआ है और फुटबाल का खेल जैसा हो रहा है। युक्तियां ढूंढी जा रही है। वकील लाभ उठा रहे हैं और कई अदृश्य पक्ष मैदान में डटे हैं। खैर, यह तो एक राजनीतिक मामला बन गया है। छोटे लेवल पर बात करें तो निर्बल इंसान की अधिकतर कोई सुनवाई नहीं होती। मनी या किसी की पॉवर का साथ लेना पड़ता है।

कहने का सार यह है कि परेशान होने की बजाय इसे टाले नहीं। उचित माध्यम से इसका हल करें। माध्यम मैंने ऊपर बता दिए हैं।

पुलिस द्वारा पुलिस पॉवर का गलत इस्तेमाल का रिपोर्ट कहा करे?

 

पुलिस द्वारा पुलिस पॉवर का गलत इस्तेमाल का रिपोर्ट कहा करे ?

हम अक्सर ये सुनते है की पुलिस अपनी पॉवर का गलत इस्तेमाल कर के किसी को किसी केस में फसा दिया तो किसी को पैसे ले कर छोड़ दिया !

ऐसे किस्से हम बहुत सुनते है और बहुत से लोग है जो की जानते नहीं है की ऐसे पारिस्थिति में क्या करे और किसको रिपोर्ट करे!

पुलिस द्वारा अपने पॉवर का गलत इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए भारतीय सर्वोच्य नायालय ने प्रकाश सिंह और दुसरे वर्सेज भारत सरकार AIR 2006 SCC1 केस में यह आदेश दिया की सभी राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण(Police Complaint Authority) का गठन करे !

पुलिस शिकायत प्राधिकरण पुलिस के द्वारा शक्ति के गलत इस्तेमाल से संबधित जो  शिकायते  मिलता है उसकी सुनवाई करेगा और प्रथम दृश्य अगर कोई शक्ष्य मिलता  है  तो उस पुलिस अधिकारी के खिलाफ जाँच करके प्रशासन को उस पुलिस अधिकारी के खिलाफ :

  • फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट (FIR)  करने या 
  • विभागीय अनुशाश्निक  करवाई  करने का अनुशंसा कर सकता है 
जिसे पुलिस प्रशासन को मानना पड़ेगा  अगर पुलिस प्रशासन पुलिस शिकायत प्राधिकरण के अनुसंसा को नहीं मानता है तो उसे लिखित में उसका कारण बताना पड़ेगा की क्यों वह अनुसंसा को नहीं मान  रहा है !

इस लिए यह आम जनता के लिए सरकार द्वारा दिया गया एक बहुत ही कारगर रास्ता है जीके द्वारा आम जनता एक पुलिस अधिकारी के द्वारा पुलिस पॉवर का गलत इस्तेमाल जैसे :
  • किसी व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत 
  • किसी व्यक्ति को पुलिस कर्मी द्वारा IPC की धरा 320 में परिभाषित कोई गंभीर चोट 
  • पुलिस कर्मी द्वारा बलात्कार या बलात्कार की कोशिश करना 
  • पुलिस कर्मी द्वारा अपने संज्ञान में आये अपराध का FIR नहीं करना 
  • पुलिस कर्मी द्वारा अपने अधिकारों का किया गया गंभीर दुरूपयोग 
  • पुलिस कर्मी द्वारा विधि स्थापित प्रक्रिया की बिना किसी ब्यक्ति की गिरफ्तारी या कैद 
  • पुलिस कर्मी द्वारा जबरन पैसे की वसूली 
  • पुलिस कर्मी द्वारा किसी की जमीन या घर हथिया लेना 
उपरोक्त या कोई ऐसी करवाई जिसमे जनता को लगता है की पुलिस उसके साथ विधि विरुद्ध करवाई कर रही है तो वह अपना शिकायत पुलिस शिकायत प्राधिकरण में कर सकता है !

पुलिस शिकायत प्राधिकरण(PCA) का मुखिया कोई पुलिस अधिकारी नहीं होता है बल्कि वह कोई इमिनेंट पर्सनालिटी जैसे रिटायर जज या सिविल अधिकारी या वकील होते है इसलिए वह डरने की कोई बात नहीं होता है !

आप पुलिस शिकायत प्राधिकरण में अपना शिकायत लिखितं मे डाक , फैक्स या ईमेल के द्वार भेज सकते है ! सभी राज्यों के पुलिस शिकायत प्राधिकरण का पूरा पता आप उस राज्य के पुलिस के वेबसाइट पे प् सकते है ! 

इस प्रकार से पुलिस के गलत शक्ति के इस्तेमाल का रिपोर्ट कहा करे से सम्बंधित एक संक्षिप्त पोस्ट समाप्त हुई !उम्मीद है की पोस्ट पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट में तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग को सब्सक्राइब करके हमलोगों को प्रोतोसाहित करे ! 

किसी भी झूठी एफआईआर से बचने के लिए धारा 482 के तहत आपके ये अधिकार हैं #falseFIR


  Say two words to police, all will be done

#Section482 #Saytwowordstopolice #falseFIR #highcourt #lawyer

धारा 482 के तहत हैं आपके ये अधिकार इस धारा का आप इस्तेमाल करके किसी भी झूठी एफआईआर से बचने के लिए कर सकते हैं। इसके लिए आपको वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में प्रार्थनापत्र भेजना होगा। इसके साथ आप ये बात बता सकते हैं कि आपके खिलाफ जो FIR लिखवाई गई है वो गलत है इसके साथ आप अपनी बेगुनाही के सबूत भी दे सकते हैं। प्रार्थना पत्र के साथ वीडियो रिकॉर्डिंग, ऑडियो रिकॉर्डिंग, फोटोग्राफ्स, डॉक्युमेंट्स जैसे दस्तावेज कोर्ट को भेजें।

अमूमन देखा जाता है कि लोगों को चोरी, मारपीट, बलात्कार या किसी दूसरे मामले में झूठा फंसाया जाता है। इस तरह के झूठे FIR से बचने के लिए आप हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। आपको बता दें कि हाईकोर्ट में जब तक केस का फैसला नहीं आ जाता पुलिस आपके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती। इसके अलावा, आपको गिरफ्तार भी नहीं किया जा सकता है। इस धारा के तहत कोई भी व्यक्ति जो बेगूनाह है बच सकता है। हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद आपको अपनी बेगूनाही के जरुरी दस्तावेज भी जमा करने होंगे। यह धारा ऐसे लोगों को FIR और इसके बाद होने वाली कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए ही बनाया गया है।

Section 482 You can use this section to avoid any false FIR. For this, you have to send a petition in the High Court through a lawyer. With this you can tell you this that the FIR that has been written against you is wrong and you can also give evidence of your innocence. Send documents like video recordings, audio recordings, photographs, documents along with the request letter to the court.
 

It is commonly seen that people are falsely implicated in theft, assault, rape or any other case. You can appeal in the High Court to avoid such a false FIR. Tell you that the police can not take any legal action against you unless the decision of the case is not reached in the High Court. Apart from this, you can not even be arrested. Under this section any person who is absent is able to escape. After filing petition in the High Court, you will also need to submit the necessary documents of your absconding. This section is designed to prevent such people from avoiding FIR and subsequent legal proceedings.

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